– जमीन पर कीचड़ और स्क्रीन पर क्लीन
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में मानसून से पहले हर साल की तरह इस वर्ष भी मनपा ने ‘वॉर रूम’ बनाने का नाटकीय एलान कर दिया है, ताकि नालों की सफाई यानी डीसिल्टिंग की निगरानी की जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, दावा किया गया है कि सीसीटीवी फुटेज लाइव स्ट्रीम होंगे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मॉनिटरिंग होगी और ठेकेदारों के वीडियो अपलोड की जांच होगी।
पर असल सवाल यह है कि जब नालों की सफाई ही समय पर नहीं हुई, सड़कों के गड्ढे जस के तस हैं, पानी की निकासी का कोई स्थायी उपाय नहीं दिखता तो यह ‘वार रूम’ किस जंग की तैयारी है? क्या यह सिर्फ दिखावे की एक और कोशिश नहीं है?
हर साल की तरह इस बार भी बारिश से पहले सिर्फ वैâमरों और आदेशों की होड़ है, लेकिन जमीनी हालात में कोई बदलाव नहीं है। मनपा आयुक्त खुद दौरा कर रहे हैं, लेकिन लोगों को दौरे नहीं, अब नतीजे चाहिए। जिन इलाकों में हर साल घुटनों तक पानी भरता है, वहां आज भी वही टूटे-फूटे नाले, जाम ड्रेनेज और उखड़ी सड़कें मौजूद हैं।
जो वीडियो अपलोड करने की बात की जा रही है, क्या वे वास्तविक हैं या पहले की रिकॉर्डिंग का दोहराव है? नागरिक वेबसाइट पर क्या देखेंगे, जब साफ-सफाई खुद नालों की गहराइयों में गुम है? बार-बार ठेकेदारों को दोषी ठहराना आसान है, लेकिन असली दोष तो उस व्यवस्था का है जो केवल जून आते ही जागती है और जुलाई में बह जाते वादों के साथ फिर सो जाती है।