१५ महीने में १२४ अविवाहिताएं बनीं मां
सामना संवाददाता / नागपुर
नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जी.एम.सी.एच.) से प्राप्त एक चौंकाने वाले आंकड़े ने व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। पिछले १५ महीनों में १२४ अविवाहित महिलाओं ने अस्पताल में बच्चों को जन्म दिया है। यह डेटा एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है। नाबालिगों और अविवाहित महिलाओं में गर्भधारण में तेज वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती है।
जी.एम.सी.एच. के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनाश गावंडे ने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा केवल ग्रामीण या आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने संकट की छिपी हुई परतों को उजागर करते हुए कहा, ‘कई उच्च-वर्ग की महिलाएं निजी अस्पतालों में इलाज कराती हैं, इसलिए वास्तविक संख्याएं और भी अधिक हो सकती हैं।’
किशोर गर्भावस्था शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती है। युवा लड़कियां गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह विकसित नहीं होती हैं, जिससे अक्सर मां और बच्चे दोनों के लिए जटिलताएं पैदा होती हैं। कई मामलों में डॉक्टरों को न केवल चिकित्सा देखभाल प्रदान करनी चाहिए, बल्कि परिवारों को परामर्श भी देना चाहिए और संवेदनशील मुद्दों पर मार्गदर्शन देना चाहिए।
विशेषज्ञों की चेतावनियां
डॉ. गावंडे ने समाज में खुली बातचीत की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने किशोर लड़कियों के लिए बेहतर यौन शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य पर जागरूकता का आह्वान किया। माता-पिता और बच्चों के बीच विश्वास और खुला संचार बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा न केवल स्वास्थ्य अंतराल को दर्शाता है, बल्कि सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक चुनौतियों को भी दर्शाता है।
रिपोर्ट किए गए स्वास्थ्य परिणाम
५४ फीसदी बच्चे कम वजन के साथ पैदा हुए
१६ फीसदी गर्भपात के कारण बने
१७ फीसदी कम वजन के पैदा हुए, लेकिन कम वजन के रूप में वर्गीकृत नहीं किए गए
मामलों का आयु-वार विभाजन
१८ वर्ष से कम : ६७ मामले
१९ से २१ वर्ष : ३० मामले
२२ से २५ वर्ष : २१ मामले
२६ वर्ष से अधिक : ६ मामले