मुख्यपृष्ठग्लैमर‘हमारी बॉन्डिंग बहुत स्पेशल है!’ -पश्मीना रोशन

‘हमारी बॉन्डिंग बहुत स्पेशल है!’ -पश्मीना रोशन

 

हृत्विक रोशन की चचेरी बहन और संगीतकार राजेश रोशन की बेटी पश्मीना रोशन अपने भाई हृत्विक के नक्शे कदम पर चलते हुए फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं। २००३ में शाहिद कपूर की डेब्यू फिल्म ‘इश्क विश्क’ की रिलीज के २० वर्षों बाद अब इस रोमांटिक फिल्म का सीक्वेल रिलीज हो रहा है। पेश है, पश्मीना रोशन से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 फिल्मी परिवार से होने के कारण क्या आपको भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
दुनिया में कोई ऐसा है भला जिसे चुनौतियों का सामना न करना पड़ा हो? वर्कशॉप के दौरान मेरी हालत पतली हो गई। अपने लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। वॉइस मॉडुलेशन के लिए भी मैंने एक्सरसाइज शुरू कर दी। फिल्म के दूसरे कलाकारों के साथ सीन करना आसान नहीं था और इसी के साथ कई अन्य चैलेंजेस रहे, जिनका मुझे सामना करना पड़ा।

सेट पर कैसा माहौल रहा?
शूटिंग शुरू होने से पहले वर्कशॉप लिया गया, ताकि हम सभी एक-दूसरे को अच्छी तरह जान लें। मजे की बात यह रही कि यह हद से ज्यादा दिलचस्प रही। सभी एक-दूसरे के साथ इतनी अच्छी तरह से घुल-मिल गए कि एक-दूसरे की कई ऐसी बातें जो हमारे बेस्ट प्रâेंड्स को भी पता नहीं थीं, वो तक एक-दूसरे के बारे में पता चलीं जिसे बातों-बातों में हमने एक-दूसरे से शेयर किया। ऐसी गजब की दोस्ती जब हो जाती है तो फिर एक-दूसरे के प्रति प्रोटेक्टिव भी हो जाते हैं। हमने बहुत धमाल-मस्ती की। मैं न्यू कमर हूं, बाकी सभी ने कुछ फिल्मों में काम किया है। हम सभी ने एक-दूसरे से कुछ न कुछ सीखा है।

क्या ‘रोशन’ परिवार से होने का प्रेशर आपने महसूस किया?
मैं रोशन परिवार से हूं, लेकिन मुझ में टैलेंट है या नहीं यह एक्सप्लोर होने में वक्त लगेगा। फिल्मी परिवार से होने के कारण आपकी तरफ देखने का नजरिया बदल जाता है। मुझे रोशन परिवार पर बहुत नाज है, मेरे दादाजी संगीतकार रोशन और पिताजी राजेश रोशन दोनों गजब के संगीतकार हैं। मेरे ताऊ राकेश रोशन अभिनेता, निर्माता और निर्देशक हैं। मेरा भाई हृत्विक बेहद कामयाब एक्टर है। मेरा भी सपना है कि मैं भी अपने परिवार की तरह लोगों के दिल में बस जाऊं।

क्या हृत्विक ने अभिनय की कोई टिप्स दी?
भैया को मैं अपनी क्लिपिंग्स दिखाया करती थी और मेरी क्लिपिंग्स को देखकर भैया अपनी राय देते थे। मैंने उन्हें पहले ही कह दिया था कि वे मेरी तारीफ न करके मेरे दोषों को सीधे-सीधे बताएं। उनकी राय मेरे लिए बहुत मायने रखती है।

 हृत्विक के साथ कैसा रिश्ता है?
हमारी बॉन्डिंग बहुत स्पेशल है। भैया ने सभी कजिन्स के साथ बहुत प्यारा रिश्ता बनाया है। अगर हम भाई-बहन एक सप्ताह न मिले तो सबसे पहले उन्हें मिसिंग सा लगता है। अगर हम सभी भाई-बहन व्यस्तता के कारण घूमने-फिरने नहीं जा सके तो भैया अपने घर पर लंच या डिनर आयोजित करते हैं और बहुत गपशप करते हैं। सभी से गर्मजोशी भरा रिश्ता रखने में उन जैसा कोई और नहीं है।

 क्या आपके नाम के पीछे कोई विशेष कारण है?
यह नाम मुझे मेरी दादी ने दिया। सच तो यह है कि हमारी दादी ने ही हम सभी का नामकरण बड़े यूनिक नाम से किया। हृत्विक, सुनयना, ईशान, पश्मीना हम चारों भाई-बहनों के नाम दादी की देन है, जो बेहद प्यारे और यूनिक हैं।

आपके दादाजी और पिताजी संगीतकार थे। संगीत में आपका कितना रुझान है?
मेरे पिताजी कहते हैं कि मेरी आवाज मधुर है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। संगीत सीखने की मैंने कई बार कोशिश की, लेकिन पता नहीं क्यों बात नहीं बनी। हां, मैंने की बोर्ड और पियानो सीखा। स्कूल में मैंने शहनाई बजाना सीखा था। वाद्य सीखना मुझे अच्छा लगा, लेकिन मैं गा नहीं पाई। मैंने कत्थक सीखा है और ‘लागा चुनरी में दाग…’ पर मैं कत्थक को भली-भांति परफॉर्म कर लेती हूं। पिताजी और दादाजी के सभी गीत मैं कई मर्तबा सुन चुकी हूं। मुझे पारिवारिक उपलब्धियों पर हमेशा गर्व रहा है, लेकिन परिवार की इन अचीवमेंट्स को पाना मेरे लिए अभी दिल्ली दूर वाली बात है।

 

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