समाज के सिपाही : हर सिर पर हो छत यही एक सपना

शैलेश जायसवाल

सपनों के शहर मुंबई में जहां हर कोई अपने लिए एक छत का सपना देखता है, कृष्णा पटेल इसे सच करने के लिए कार्यरत हैं। उनका दावा है कि उनके लिए रियल एस्टेट केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मिशन है। एक ऐसा मिशन जिसमें हर मेहनतकश परिवार को सम्मानजनक, सस्ता और गुणवत्तापूर्ण आवास प्रदान कराना उनकी प्राथमिकता है। कृष्णा पटेल कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य केवल लाभ कमाने को नहीं, बल्कि हर जरूरतमंद को छत देना बनाया है। उनका मानना है कि घर केवल र्इंट-पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि एक परिवार की खुशियों, सुरक्षा और भविष्य का आधार होता है। उनकी यह सोच उन्हें अन्य डेवलपर्स से अलग बनाती है। वर्ष २०१६ में कृष्णा पटेल और उनके साथियों द्वारा एक कंपनी स्थापित की गई थी। उनका दावा है कि आज उनकी फर्म मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्रों में भरोसे का प्रतीक बन चुकी है। सात वर्षों में कंपनी ने नवाचार, गुणवत्ता और समय पर प्रोजेक्ट डिलिवरी के लिए अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके हर प्रोजेक्ट में केवल इमारतें नहीं खड़ी होतीं, बल्कि सपनों को साकार करने की भावना भी झलकती है। कृष्णा पटेल का कहना है कि नेतृत्व और उनकी टीम की मेहनत ने उनको भारत की सबसे विश्वसनीय रियल एस्टेट कंपनियों में स्थान दिलाया है। कृष्णा पटेल के शुभचिंतकों को लगता है कि उनकी यह प्रतिबद्धता और समाजसेवा का जज्बा ही उन्हें महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार-२०२४ का हकदार बनाता है। यह पुरस्कार उन्हें उनकी उत्कृष्ट निर्माण गुणवत्ता और ग्राहकों के प्रति समर्पण के लिए दिया जा रहा है। कृष्णा पटेल ने इस सम्मान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मेरा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि हर मुंबईकर को अपना घर मिले। मैं ‘प्रेरणा चैरिटेबल ट्रस्ट’ का हृदय से आभारी हूं, जिन्होंने मेरे प्रयासों को पहचान दी। यह सम्मान मुझे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देता है।’ उनकी कंपनी सस्ते दामों में भी उच्च गुणवत्ता के मकान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। कृष्णा पटेल की सोच केवल अमीरों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को अपने घर का सपना पूरा करने में मदद करना है। उनके प्रशंसक कहते हैं कि कृष्णा पटेल जैसे व्यक्तित्व यह दिखाते हैं कि जब व्यवसाय में समाजसेवा का समावेश हो तो यह न केवल लाभदायक, बल्कि प्रेरणादायक भी बनता है। उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को दूसरों की भलाई के साथ जोड़ना चाहता है। कृष्णा पटेल का यह प्रयास बताता है कि सही सोच और ईमानदारी के प्रयास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। हर सिर पर छत यही उनका सपना है और यही उनकी पहचान।

झांकी : दिल्ली भाजपा को झटका

अजय भट्टाचार्य

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को संजीवनी मिली है, वहीं दिल्ली में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। भाजपा के पूर्व विधायक और पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी ने कल ‘आप’ की झाड़ू पकड़ ली है। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। शहीद भगत सिंह सेवा दल फाउंडेशन के संस्थापक शंटी २०१३ में भाजपा विधायक रह चुके हैं। शंटी १०६ बार रक्तदान करके रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुके हैं। करीब ३० साल से समाजसेवा कर रहे हैं। वे झिलमिल वॉर्ड से २ बार पार्षद और शाहदरा से विधायक रह चुके हैं। उन्हें ‘एंबुलेंस मैन’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने ७०,००० से अधिक शवों का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार कराया है। कोविड काल के दौरान, जब लोग शवों को स्वीकार करने में झिझकते थे, उनके परिवार के सदस्यों ने शवों को स्वीकार किया और अंतिम संस्कार किया। वह भी कोविड का शिकार हो गए, यहां तक कि जब उनका परिवार भी कोरोना से संक्रमित हुआ, तब भी उन्होंने अपना मिशन जारी रखा। इसके लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
१३८ मतदाताओं का एक ही बाप
बिहार में चुनाव आयोग ने फिर कमाल किया। कल मुजफ्फरपुर जिले के तिरहुत स्नातक उपचुनाव के दौरान मतदाता सूची में शामिल कुल ७२४ मतदाताओं में १३८ के पिता का नाम मुन्ना कुमार दर्शाया गया । यह सूची औराई प्रखंड के बूथ नंबर ५४ की है। बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान के ठीक पहले यह बड़ी गलती सामने आई। औराई प्रखंड कार्यालय ने यह सूची जारी की थी, जिसके मुताबिक, १३८ मतदाताओं के पिता का नाम मुन्ना कुमार है। इस गलती के कारण मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बन गई जिसकी वजह से लोगों ने नाराजगी जाहिर की। वोटरों को लगा कि कहीं गलती के कारण उनको वोटिंग से वंचित न कर दिया जाए। जिन मतदाताओं के पिता का पहला अक्षर एम है, उनका नाम यूनिकोड फॉन्ट की वजह से मुन्ना कुमार में परिवर्तित हो गया। कंप्यूटर की गलती की वजह से ऐसा हुआ।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा
व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

बात-जज्बात : पाकिस्तान का एक ऐसा भी गांव…!

एमएम सिंह

पाकिस्तान का नाम लेते ही जेहन में एक ऐसे देश की तस्वीर नुमाया होती है, जहां पर सख्त सैनिक शासन और कट्टरवाद की तूती बोलती है! जहां पर सांस भी हुक्मरानों की इजाजत पर ली जाती है! लेकिन ठहरिए, अपने दिमाग में बन रही तस्वीर पर ब्रेक लगाइए क्योंकि वहां पर एक ऐसा गांव भी है जो देश के संविधान को तवज्जो नहीं देता!
एक ऐसा गांव जहां देश का संविधान लागू नहीं होता। ऐसा गांव जिसका अपना संविधान और अपने नियम-कानून हैं। हालांकि, यहां के नियम और कानून बहुत सख्त हैं और यहां रहनेवाले लोगों को इन्हें मानना पड़ता है, लेकिन गांव वाले उन नियम और कानून से खुश हैं।
हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के अंसार मीणा गांव की। अंसार मीणा एक छोटा सा गांव है, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। अंसार मीणा के लोग अपने जीवन के हर पहलू को एक खास तरह के ‘संविधान’ के तहत चलाते आ रहे हैं, जो गांव के लोकल लीडरान द्वारा बनाए और लागू किए जाते हैं। यह एक प्रकार का ‘स्वशासन’ है, जहां पर राज्य या सरकार की किसी तरह से दखलंदाजी नहीं होती! गांव की आर्थिक गतिविधियां, सामाजिक संरचनाएं, और सांस्कृतिक परंपराएं उनके संविधान के मुताबिक ही चलते हैं।
अंसार मीणा में २० सूत्रीय संविधान ग्रामीणों से बातचीत और सभी की राय-मशविरा के बाद लागू किया गया है, जिसमें दहेज प्रथा, हवाई फायरिंग, छात्रों के स्मार्ट फोन पर रोक लगाई गई है। इसके बाद निकाह में खर्चों को कम करने के लिए नियम भी बनाए गए हैं। किसी के इंतकाल के बाद रिचुअल्स काफी खर्चीला नहीं रखा गया है। गांव वाले किसी भी शादी में व्यवहार के तौर पर १०० रुपए से ज्यादा नहीं दे सकते। इसके अलावा यहां शादियों में गांव में चावल बांटने की प्रथा को भी रोक दिया गया है। इस गांव में शादी के खर्च को भी कम कर दिया गया है। मेहमानों का स्वागत चाय और बिस्किट से ही किया जाता है। यहां नए ‘संविधान’ के तहत १४ साल से कम उम्र के बच्चों को मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति नहीं है और न ही स्टूडेंटस मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। गांव में अजनबियों के आने पर रोक है और सबसे अहम यह कि गांववासी नशा बिल्कुल नहीं करते, नशे के कारोबार पर सख्त रोक है। गांव वाले अपने संविधान से बेहद खुश हैं। आखिर क्यों न हों? आज के दौर में जहां पर सामाजिक बदलाव के लिए बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं, अभियान चलाए जाते हैं, करोड़ों लुटाए जाते हैं, शोशेबाजी की जाती है… एक गांव में बिना शोशेबाजी की बदलाव की लहर लोगों की जिंदगी खुशहाल बना रही है!

मैथिली व्यंग्य : मैथिलक बियाह में संगीत

डॉ. ममता शशि झा मुंबई

नीलू के बियाह ठीक भेलनि त नबका चलन के हिसाब स हल्दी, मेहंदी आ संगीत के कार्यक्रम राख के प्रस्ताव नब तूरिया सबके द्वारा राखल गेल आ तकर मंजूरी बिना कोनो बाधा के पैघ सब द्वारा अपना आप के मॉडर्न देखाब के लेल पारित भ गेल, मुदा नीलू के नानी के इ सब अनसुहाँत लगलनि ओ बजलि ‘मेंहदी आ संगीत भले राखू मुदा हल्दी नहीं ओ त दनोही दिने लगतइ।’
नानी असगरे बड़बड़ेनाइ शुरू छलनि, ‘कहू त अपना सब में इ नचनाइ के कोनो प्रथा छल, गीत गाब के ढंग ककरो नइ छनि आ नाच-कूद के लेल सब तैयार। नाच लेल नटुआ अबइ छल आब ओकर कोनो मोजर नहि कियेक त आब अपने सब नटुआ बनल रहइया। खैर, नानी के बात अनठियबइत सब गोटे मेहंदी आ संगीत के कार्यक्रम के तैयारी में लागी गेलथि। आब समस्या इ छल जे के कोन गीत पर नाचत? किनको नाच अबिते नहि छलनि। सब गोटे एतेक खराब नचइ चला जे हुनका सबके सामने धर्मेंद्रो, ऋतिक रोशन जाँका लगितनि! नीलू के ममियौत कोरियोग्राफर के बजा के ल अनलक आ ओकरा सबके किछु-किछु सिखा देब लेल कहलकइ। कोरियोग्राफर पहिल दिन आबि क सबके फिल्मी गीत पर नृत्य कर लेल कहलकइ इ देख लेल जे अहाँ सब के जेना नाच अबइया तेना नाचू। ओ जहन सबके नचइत देखलकइ त ओकरा मोन के भेलइ जे येत सँ पड़ा गेनाइये उचित, मुदा पाई ल लेने छलइ, बेचारा के घर के जिम्मेदारी छलइ अस्तु सीखेनाइ शुरू केलक। जहन ओ कहइ बाम घूम लेल त सब दहिन घुमि जाय, डॉर घुमाब लेल कहइ त पूरा देह के घुमा लइ जाथिन सब गोटे। आँखि के संगे पूरा मुंह गरदनि संगे शरीर के पूरा उपरका भाग। कोरियोग्राफर परेशान परेशान भ जाय छलइ, हिनका सब के नृत्य देखि क तामसों उठइ छलइ आ हंसियों लगइ छलइ। पहिने इ तय भेल जे पति-पत्नी सब के सिखाओल जाय सब गोटे अपन-अपन प्रस्तुति देता, हिनकर सबके नृत्य देखि क कोरियोग्राफर सब दंपति के संगे कहलक जे नृत्य क लिय किएक त सबके फराक-फराक सिखाब लागब त बियाह बिना संगीत के कार्यक्रम के कर पड़त!
नबतुरिया बच्चा सब हिनकर सबके नचनाइ देखि क पहिने सँ अपन गुट अलग क लेने छलाह। कोरियोग्राफर मोन में सोचि रहल छल जे ओ कोरियोग्राफर स आइ रिंगमास्टर बनि गेल अछि। अंत में ओ सुझाव देलकइ जे ओ अपने मंच पर जा क नृत्य करत आ अहाँ सब गोटे पाछा में आबि क जकरा जेना मोन हैत से नाचि लेब! नानी इ सब देखइत सोचलनि जे आर करु देखाउन्स!!

तड़का : चित्र बदलेगा?

कविता श्रीवास्तव

महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। लगभग दो हफ्ते के नाटकीय घटनाक्रमों और तमाम सस्पेंस के बाद अंतत: देवेन्द्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं। अब भाजपा सत्ता के केंद्र में है। भाजपा का सत्ता में आना और भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनना तो चुनावी परिणाम के बाद ही तय हो गया था। चुनावी नतीजों के बाद मीडिया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के वक्त देवेंद्र फडणवीस की मुस्कुराहट भरी मुद्रा के साथ अब तक मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे के निराश से दिख रहे चेहरे वाली फोटो खूब वायरल की। फिर एकाएक शिंदे के अपने गांव चले जाने की चर्चा हुई। खुसफुसाहट यही रही कि पुन: मुख्यमंत्री न बनाए जाने के सदमे से शिंदे बहुत निराश हैं और नाराज भी हैं। हालांकि पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने इससे इनकार किया। बुधवार को जब देवेंद्र फडणवीस को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया तब उनके साथ प्रेस कॉन्प्रâेंस में अजीत पवार की चुटकी लेकर शिंदे कुछ खिलखिलाते हुए जरूर दिखे। खैर, सत्ता के नए समीकरण में नई सरकार के गठन के बाद वे अब राज्य के मुख्यमंत्री नहीं हैं। सत्ता के शीर्ष नेतृत्व का उनका दौर फिलहाल खत्म हुआ। यही हकीकत व्यक्त करता हुआ संजय राऊत का बयान भी गौरतलब है जिसमें उन्होंने कहा है कि अब शिंदे कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। इससे भी महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह कही कि संभव है कि भाजपा उनके गुट में भी सेंध लगाकर कुछ लोगों को तोड़ ले। संजय राऊत की यह बात इसलिए दमदार है क्योंकि ऐसा करने का भाजपा का ताजा इतिहास रहा है। कई राज्यों में इसी आधार पर वह सरकार भी गिरा चुकी है। यदि शिंदे के गुट के विधायकों के अलग-अलग बयानों पर गौर किया जाए तो उनमें से अधिकांश सत्ता के लिए व्याकुल से दिखाई देते हैं। कई विधायकों ने बार-बार बयान देकर सत्ता के साथ बने रहेंगे का शिंदे से अग्राह किया। यही बात कहीं न कहीं उनकी नाराजगी को प्रमाणित करती है। अब नई सरकार बन चुकी है और उसका नेतृत्व अब भाजपा के हाथ में है। ऐसे में सत्ता की प्राथमिकताएं भी निश्चित तौर पर बदलेंगी। महाराष्ट्र में किसानों की समस्याएं हैं। युवा वर्ग को बेरोजगारी से मुक्ति चाहिए। महाराष्ट्र में उद्योग-धंधों, कल -कारखानों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। महंगाई को रोकना भी बहुत बड़ा मुद्दा है। इन सबके अलावा सामाजिक तालमेल बैठकर जातीय व धार्मिक संतुलन, आरक्षण व अन्य मुद्दों को संभालते हुए महाराष्ट्र को विकास की पटरी पर लाने की चुनौती है। नई राजनीतिक परिस्थितियों में अनपेक्षित तालमेल के कई समीकरण भी आगे बदलते दिखाई देंगे, इसमें कोई दो राय नहीं है। अभी महाराष्ट्र में मुंबई की महानगरपालिका सहित कई जगह स्थानीय निकायों के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में पार्टियों में फूट डालने, दलबदल होने आदि की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। निश्चित ही आगामी दिनों में कई राजनीतिक चित्र बदलेंगे क्योंकि महाराष्ट्र के मतदाता भी चौंकाने वाले परिणाम देते हैं।

अडानी मामले को लेकर बोले राहुल गांधी …खुद जांच के दायरे में आ जाएंगे मोदी

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अडानी समूह से जुड़े मामले की जांच नहीं कर सकते, क्योंकि वह खुद जांच के दायरे में आ जाएंगे। उन्होंने संसद परिसर में अडानी समूह के मामले को लेकर संवाददाताओं से बातचीत में यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और अडानी एक हैं। राहुल गांधी ने दावा किया कि अडानी की जांच मोदी नहीं करा सकते, क्योंकि अगर वह जांच कराएंगे तो खुद उनकी जांच होगी। उन्होंने जो टी-शर्ट पहन रखी थी उसके पीछे ‘मोदी-अडानी एक हैं, अडानी सेफ हैं’ लिखा हुआ था। रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति से आरोपों की जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

बंगाल का आलू अब बिहार और झारखंड में नहीं बिकेगा, ममता सरकार के इस नये फरमान से आलू और प्याज हुआ महंगा

अनिल/रांची

पं बंगाल की ममता सरकार के तुगलकी फरमान के कारण बिहार और झारखंड के लोग अब आलू और प्याज की किल्लत का सामना कर रहे हैं। वहीं आलू और प्याज महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर हैं। त्योहारों का सीजन खत्म होने और शादी-ब्याह का सीजन चालू होते ही नये आलू और प्याज का दामों में गिरावट शुरू होने के साथ ही पं बंगाल सरकार द्वारा बिहार और झारखंड में निर्यात होने वाले आलू और प्याज पर रोक लगाने के कारण इन दोनों राज्यों में एक बार फिर सब्जी में काम आने वाले इन दोनों चीजों की दामों अचानक बढ़ोतरी हो गई है। इस कारण बिहार के सीमांचल के किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया में आलू-प्याज व्यापारियों के साथ साथ आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बंगाल से बिहार और झारखंड में आलू की आपूर्ति न होने के कारण फिर एक बार आलू और प्याज महंगे दामों में बिक रहे हैं।इस बीच झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच आलू को लेकर अंतरराज्यीय व्यापार में विवाद की स्थिति बन गई है। गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने आलू और प्याज को बिहार ले जाने पर रोक लगा दी है। बिहार-बंगाल सीमा के रामपुर चेक पोस्ट पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। ताकि पं बंगाल से आलू बिहार न ले जाया जा सके।इस फैसले के बाद बॉर्डर इलाके में व्यापारियों के बीच हड़कंप मच गया है। इस कारण आलू की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।

ममता सरकार के नये फरमान बंगाल का आलू-प्याज केवल बंगाल में ही बिकेगा। इसके बाद बंगाल सरकार के आदेश पर आलू लदी गाड़ियों को बॉर्डर पार नहीं करने दिया जा रहा है। बंगाल पुलिस का साफ कहना है कि आलू और प्याज सिर्फ बंगाल में ही बिकेगा। इसे बाहर किसी अन्य राज्य में भेजा नहीं जाएगा। ममता सरकार ने राज्य में आलू और प्याज की किल्लत को देखते हुए यह कदम उठाया है। वहीं बिहार-झारखंड के कई ऐसे इलाके हैं। जो बंगाल बॉर्डर के सीमावर्ती जिले हैं।यहां के लोग मुख्य रूप से बंगाल के बाजारों पर निर्भर रहते हैं। इस फैसले के कारण बिहार और झारखंड के लाखों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। ठंड के मौसम के दस्तक देने के साथ ही आलू और प्याज के दामों में बढ़ोतरी होने से लोगों के रसोई में बनने वाले आलू परांठा का स्वाद कम कर दिया है। बिहार और झारखंड में अभी आलू के उखड़ने में काफी वक्त लगेगा। इस कारण इन दोनों राज्यों में आलू और प्याज के लिए अभी दूसरे राज्यों ही निर्भर रहना होगा।

अरविंद केजरीवाल की राह चले लालू के लाल! … अगले साल बिहार में सत्ता मिली तो लोगों को मुफ्त मिलेगा मुफ्त बिजली

अनिल मिश्र/पटना

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही सभी पार्टियों ने अभी से कमर कस ली है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले हफ्ते से जहां महिला संवाद यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। वहीं प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम शुरू कर दिया है। आज गुरुवार को बिहार के खगड़िया जिले में कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने भी बड़ा ऐलान किया है।उन्होंने कहा कि अगर अगले साल होने वाले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार आती है। तो वह प्रदेश के लोगों को 200 यूनिट बिजली फ्री देंगे।

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने इस मौके पर कहा कि हमने 17 महीने में दिया 50 लाख लोगों को नौकरियां दी। इस अवसर पर कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनायी।उन्होंने कहा कि हमने 17 महीने में 4.50 लाख लोगों को नौकरी दिया है। प्रदेश में आज कानून -व्यवस्था चौपट हो चुकी है। हम लोग प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिये काम करेंगे।इसकी योजना हमने तैयार कर ली है।कुछ लोग प्रदेश को लूटने में लगे हैं। हम अपने कार्यकर्ताओं एवं अपने नेताओं से मिलने आये हैं।

तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता दरबार में भी समस्या का समाधान नहीं होता है। क्या दो घंटे में सीएम समस्या का समाधान कर लेंगे।जनता के पैसे को संवाद यात्रा के नाम पर लूटने का प्रयास किया जा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी केंद्र सरकार में शामिल है। लेकिन वह सूबे के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को भूल गये हैं।केंद्र सरकार ने बाढ़ राहत के लिए भी पैसे नहीं दिये हैं।

इस तरह का ऐलान करने वाले तेजस्वी देश के पहले नेता नहीं हैं। उनसे पहले इस तरह की योजना लाकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैक टू बैक दो बार सत्ता पर अपना कब्जा जमा चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लालू के लाल केजरीवाल की राह चल रहे हैं तो यह कहीं से गलत नहीं होगा।

राहुल को संभल जाने से रोकने पर खफा कांग्रेसियों ने जलाईं मोमबत्तियां

विक्रम सिंह/सुल्तानपुर

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी को संभल जाने से रोकने पर सुल्तानपुर में खफा कांग्रेसियों ने सभा की व कैंडल जलाईं। जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा के नेतृत्व में निकले मार्च के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया कोआर्डिनेटर राजेश तिवारी ने सरकार के कृत्य को असंवैधानिक बताया। कहा कि संभल के पीड़ितों से मिलने जा रहे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पुलिस द्वारा सरकार के इशारे पर रोकना अत्यंत निंदनीय है। पुलिस तब नहीं दिखती जहां दिखना चाहिए। प्रदेश सरकार राहुल गांधी से डरी हुई है। इस मौके पर शहर अध्यक्ष शकील अंसारी , कैप्टन ओम प्रकाश दूबे, दीपक सोनी , राहुल त्रिपाठी सहित दर्जनों कांग्रेसी मौजूद रहे। बस स्टेशन पर स्थित शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पार्क में आज़ाद प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शकारियों ने कैंडिल जलाईं।

वाराणसी में नेशनल हाईवे पर खड़े ट्रक से टकराई बाइक, शादी से लौट रहे दो युवकों की मौत

उमेश गुप्ता/वाराणसी

मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के गौर गांव स्थित किसान इंटर कॉलेज के सामने बुधवार की अर्धरात्रि एक दर्दनाक सड़क हादसे में दो युवकों की जान चली गई। राजातालाब से कछवा रोड की ओर जा रहे बाइक सवार नेशनल हाईवे पर खड़ी एक ट्रक से पीछे से टकरा गए। हादसे में दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।

सूचना पर पहुंची मिर्जामुराद पुलिस ने घायलों को एंबुलेंस से ट्रामा सेंटर भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान दीपू विश्वकर्मा (30 वर्ष) और दीपक गुप्ता (24 वर्ष) के रूप में हुई, जो भदोही जिले के चौरी थाना अंतर्गत ममहर गांव के निवासी थे।

दोनों युवक राजातालाब बाजार में एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद बाइक से अपने घर लौट रहे थे। किसान इंटर कॉलेज के पास नेशनल हाईवे पर खड़ी ट्रक से टकरा गए, जिससे मौके पर ही उनकी हालत गंभीर हो गई।

पुलिस ने मृतकों के परिजनों को फोन के जरिए हादसे की सूचना दी। खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। मृतक दीपू विश्वकर्मा दो भाइयों में बड़ा था और दिव्यांश नामक एक बच्चे का पिता था। वहीं, दीपक गुप्ता चार भाइयों में सबसे छोटा और अविवाहित था। दीपक भदोही में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था।

मिर्जामुराद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर ट्रक को कब्जे में ले लिया और चालक व खलासी को हिरासत में लिया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। हादसे के बाद स्थानीय लोगों में गहरा दुख है, और दोनों युवकों की मौत ने पूरे क्षेत्र को शोक में डाल दिया।