सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ नहीं बिक रहे १४,०४७ घरों में फंसे म्हाडा के तीन हजार करोड़ रुपए वसूलने के लिए म्हाडा अब दर-दर भटक रही है। २०१७ से अब तक बने इन मकानों के लिए खरीददार नहीं आ रहे हैं। ऐसे में इन घरों को बेचने के लिए म्हाडा ने अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को विज्ञापन करने के लिए सड़क पर उतारा है। ये कर्मचारी २९ सार्वजनिक स्थानों पर म्हाडा के घरों का प्रचार करेंगे।
गौरतलब है कि म्हाडा आम नागरिकों को सस्ते दामों पर घर दिलाने के लिए कटिबद्ध है। मुंबई में म्हाडा के घरों के लिए खरीददारों की होड़ मची रहती है, वहीं म्हाडा कोकण मंडल द्वारा बने एमएमआर रीजन में हजारों घर सिरदर्द बन गए हैं। इनमें करीब दस हजार घर प्रधानमंत्री आवास योजना के हैं। हालांकि, म्हाडा द्वारा कई स्कीम लाए जाने के बावजूद ये घर नहीं बिक रहे हैं। ‘पहले आओ पहले पाओ’ की स्कीम भी कारगर साबित नहीं हुई। इन घरों को बनाने में म्हाडा के तीन हजार करोड़ से ज्यादा की राशि लगी है। म्हाडा के इन घरों के नहीं बिकने का मुख्य कारण रेलवे और बस स्थानों से दूर होना बताया जा रहा है। अब म्हाडा हर तरह से सुविधा देने को तैयार है।
म्हाडा कोकण मंडल के मुख्य अधिकारी रेवती गायकर ने बताया कि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण ये स्थिति है। अब हम इन घरों के लिए स्कूल-कॉलेज, खेल के मैदान, सुपर मार्वेâट, स्विमिंग पूल, अस्पताल आदि बना रहे हैं। साथ ही घरों के विज्ञापन के लिए म्हाडा की एक टीम बनाई है, जो सोशल मीडिया के साथ-साथ रेलवे व बस स्थानकों सहित २९ सार्वजनिक स्थानों पर म्हाडा के घरों का विज्ञापन और प्रचार करेगी।
बता दें कि म्हाडा के इन घरों की कीमत १४-१६ लाख रुपए है, जो आम नागरिकों की पहुंच के बाहर है। ऐसे में म्हाडा पहली बार अपने घरों को बेचने के लिए दर-दर भटक रही है।
घर ले लो घर… दर-दर भटक रही म्हाडा! …१४,०४७ घरों की बिक्री के लिए २९ जगहों पर कर्मचारी करेंगे प्रचार
ईडी सरकार ने बना दिया मंदिरों को लूट का जरिया! … परिसर पर्यटन से की करोड़ों की कमाई
– जांच के लिए हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका
सामना संवाददाता / मुंबई
घाती सरकार के कार्यकाल में मंदिरों के करोड़ों रुपए भी लूटे गए हैं। यह आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई है। इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि पर्यटन विकास के नाम पर मंदिरों को पर्यटन स्थल के रूप में दिखाकर करोड़ों रुपए की धनराशि का बंदरबांट किया गया है।
सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संतोष तरले ने यह याचिका सुगंधा देशमुख के जरिए दायर की है। सरकार को आम जनता द्वारा भुगतान किए गए कर के पैसे से राजस्व प्राप्त होता है। इस पैसे का उपयोग नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। हालांकि, याचिका में चौंकानेवाला दावा किया गया है कि नासिक के महालक्ष्मी मंदिर में पर्यटन विकास के नाम पर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों ने करोड़ों रुपए लूटे हैं। राजनीतिक दबाव के कारण निफाड, भैरवनाथ और कनीफनाथ मंदिरों को करोड़ों रुपए का फंड दिया गया। ये मंदिर सार्वजनिक ट्रस्ट नहीं हैं। इन मंदिरों को पर्यटन स्थल घोषित नहीं किया जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि इन सभी मामलों की न्यायिक जांच कराई जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि अदालत को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और इस बात की जांच करनी चाहिए कि राज्य भर के मंदिरों को पर्यटक स्थल वैâसे घोषित किया गया।
सातबारा पर महालक्ष्मी मंदिर का
कोई नाम नहीं है
संपत्ति कार्ड, राजस्व रिकॉर्ड और सातबारा पर महालक्ष्मी मंदिर और उसके स्थान का नाम नहीं है। हालांकि, यहां विकास के लिए फंड दिया गया। मंदिरों के आस-पास चल रहा निर्माण अवैध है। नियोजन विभाग से इस निर्माण की अनुमति नहीं है। यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग है। याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
याचिका में की गई मांगें
महालक्ष्मी, भैरवनाथ और कनीफनाथ मंदिरों को पर्यटनस्थल के रूप में वैâसे घोषित किया गया और उसके बाद दी गई धनराशि की जांच जिला न्यायाधीश, न्यायिक अधिकारी या आयोग के माध्यम से की जानी चाहिए। इन मंदिरों को धन स्वीकृत करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इन मंदिरों को किसी भी प्रकार का फंड नहीं दिया जाना चाहिए।
ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर विरोध प्रदर्शन …बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी के चलते महायुति को मिली भारी जीत आम जनता को हजम नहीं हो रही है। लोग इसे लेकर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं कई सामाजिक संगठन ईवीएम में गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और इस धांधली की जांच किए जाने की मांग कर रहे हैं।
पुणे में एक दिन पहले संभाजी ब्रिगेड की ओर से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर चौक पर ईवीएम के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया। इस समय संगठन ने ईवीएम हटाकर बैलेट पेपर पर मतदान कराने की मांग की। इस जोरदार आंदोलन में शामिल विभिन्न सामाजिक पदाधिकारियों ने कहा कि अगर कोई जांच नहीं हुई तो लोग बड़े पैमाने विद्रोह करेंगे। भविष्य में जनआंदोलन विशाल रूप लेगा और ईवीएम को हमेशा ले लिए हटाना पड़ेगा। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मानव कांबले, पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर, मराठा सेवा संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश जाधव, धर्मराज साल्वे, शांताराम खुडे, रोहिनाज शेख, प्रदीप पवार, संजीवनी पुराणिक, सीपीएम के सचिन देसाई, संतोष शिंदे, शरद थोरात आदि ने क्षोभ व्यक्त किया।
लोकतंत्र में जनता ही सर्वश्रेष्ठ
शहर अध्यक्ष सतीश काले ने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वश्रेष्ठ है। जनता के जो मुद्दे अपेक्षित हैं उसे सरकारी नीतियों के अनुसार लागू करने की जरूरत है। आज जनता ही इस देश की सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों का भविष्य भी तय कर रही है, लेकिन जब सत्ता का दुरुपयोग करके लोगों के हाथ से कई चीजें छीन ली जाती हैं। तब लोगों में भारी असंतोष होता है। जैसे इस समय विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर लोगों को हो रहा है। ईवीएम में गड़बड़ी की ठीक से जांच होनी चाहिए।
एसी लोकल का साइड इफेक्ट … साधारण लोकल में बढ़ी यात्रियों की भीड़ …लोगों ने की एसी का किराया कम करने की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में यातायात के लिहाज से सुबह के समय का विशेष महत्व है। इसी कारण हर तीन मिनट में एक लोकल ट्रेन चलाई जाती है, जिसमें औसतन ५,००० यात्री सफर करते हैं, लेकिन इस व्यस्त समय में भायंदर से चर्चगेट के लिए सुबह ८.२४ बजे चलनेवाली साधारण लोकल को रद्द कर उसकी जगह एसी लोकल शुरू कर दी गई। रेलवे प्रशासन के इस पैâसले के खिलाफ यात्रियों ने भायंदर स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया। यात्रियों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर स्टेशन प्रबंधक को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें साधारण लोकल ट्रेन फिर से शुरू करने की मांग की गई।
भायंदर से चर्चगेट के लिए सुबह ८.१७ बजे विरार से १५ डिब्बोंवाली लोकल ट्रेन चलती है। यह विरार लोकल होने के कारण इसमें भारी भीड़ होती है, जिससे भायंदर के यात्रियों, खासकर महिलाओं को ट्रेन में चढ़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद ८.२१ और ८.२४ की एसी लोकल ट्रेन चलती हैं। ८.२४ की साधारण लोकल होने से भायंदर, मीरा रोड और दहिसर के यात्रियों को काफी राहत मिलती थी, लेकिन अब समय सारिणी में बदलाव के कारण यात्रियों को भीड़भाड़ के बीच सफर करना और अधिक कठिन हो गया है।
एसी लोकल के स्थान पर साधारण लोकल तुरंत बहाल करने की मांग को लेकर सभी स्थानीय यात्रियों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया और स्टेशन प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा। यात्रियों की इस मांग को वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के पास भेजा जाएगा, जिसके बाद उचित निर्णय लेने का आश्वासन रेलवे प्रशासन ने प्रदर्शनकारी यात्रियों को दिया।
यात्रियों का कहना है कि पश्चिम रेलवे की टाइम टेबल तैयार करनेवाले अधिकारियों को सुबह भायंदर से विरार लोकल में सफर करना चाहिए। लगातार एसी लोकल चलाने का कारण क्या है? दो एसी लोकल के बाद तीसरी साधारण लोकल में तीन लोकल की भीड़ एकत्रित हो जाती है, जिससे यात्रियों को जानलेवा भीड़ का सामना करना पड़ता है। यात्री संगीता देशमुख ने कहा कि यह स्थिति यात्रियों के लिए असहनीय हो गई है।
अब संसद में होगी संविधान पर चर्चा! …सभी पार्टियों ने दी सहमति
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान जारी गतिरोध के बीच अब सभी पार्टियां अगले सप्ताह संविधान पर चर्चा के लिए तैयार हो गई हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों के नेताओं ने इस पर सहमति जताई है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान पर लोकसभा में १३ और १४ दिसंबर को, जबकि राज्यसभा में १६ और १७ दिसंबर को बहस होगी। साथ ही सभी पार्टियों ने सुचारु रूप से सदन चलाने पर भी सहमति जताई है।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहा है, ऐसे में सदन की कार्यवाही के दौरान लगातार गतिरोध देखने को मिल रहा है। इसके मद्देनजर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कल सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसी बैठक में लोकसभा स्पीकर ने सभी दलों के नेताओं के सामने संविधान पर चर्चा का प्रस्ताव रखा। इस पर सभी दलों के नेताओं ने अपनी सहमति जताई है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘बैठक में कुछ दिनों से सदन में जो गतिरोध बना हुआ था, उस पर सबने चिंता व्यक्त की। हमने भी कहा कि सदन में सब अपनी बात रखने के लिए आते हैं। सदन का इतने दिनों तक नहीं चलना और जनता के पैसों का इतने दिन तक नुकसान होना ठीक नहीं है। सबने इस बात को माना और विपक्ष की ओर से भी कई मांग रखी गई। व्यापार सलाहकार समिति में संविधान पर चर्चा होने का जो प्रस्ताव था, उस पर सरकार ने मंजूरी दी है। १३ और १४ तारीख को संविधान पर चर्चा होगी। पहले लोकसभा में चर्चा करेंगे और १६-१७ को राज्यसभा में चर्चा होगी। कल से चर्चा शुरू होगी और कल हम सदनों में पहला बिल पास करेंगे।’ तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि १३ और १४ दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विस्तार से चर्चा होगी। साथ ही उन्होंने बताया कि इस बैठक में सहमति बनी है कि समाजवादी पार्टी के सांसद मंगलवार को संभल के मुद्दे को उठाएंगे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद बांग्लादेश के मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे।
नई बाइक खरीदने पर मुफ्त हेलमेट अनिवार्य …नहीं मिला तो आरटीओ में करें शिकायत
सामना संवाददाता / मुंबई
बाइक विक्रेताओं के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे नया दोपहिया वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को हेलमेट मुफ्त में दें। इस नियम का पालन न करने पर ग्राहकों को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में शिकायत दर्ज कराने की अपील राज्य परिवहन आयुक्त कार्यालय ने की है। हाल ही में बाइक चालक के साथ-साथ पीछे बैठनेवाले के लिए भी हेलमेट अनिवार्य करने का आदेश जारी किया गया है। हेलमेट न पहनने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
इस नियम का सख्ती से पालन कराने और उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश यातायात विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने राज्य के सभी पुलिस आयुक्त, सहआयुक्त और अधीक्षकों को दिए हैं। यातायात विभाग के इस आदेश पर नागरिकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ नागरिकों का कहना है कि बाइक के साथ मुफ्त हेलमेट देने से हेलमेट पहनने की आदत विकसित होगी।
नियम उल्लंघन पर कार्रवाई
अक्सर यह देखा गया है कि नई बाइक के साथ हेलमेट मुफ्त में नहीं दिया जाता, जिससे ग्राहकों को इस नियम की जानकारी नहीं होती। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम की धारा १३८(४) के तहत, नई बाइक खरीदने पर विक्रेता का यह दायित्व है कि वह ग्राहक को बीआईएस मानकों वाला हेलमेट मुफ्त में दे। हालांकि, पैसे बचाने या नए हेलमेट बेचने के लिए शोरूम संचालक ग्राहकों को इस नियम से अनजान रखते हैं। अब अगर शोरूम से उपयुक्त मानकों वाला मुफ्त हेलमेट नहीं दिया जाता, तो ग्राहक स्थानीय आरटीओ में लिखित शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जिस पर आरटीओ द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
कमिश्नर से मिलेगी जनता : पुलिस के फाइन से भी नहीं डरता फालूदा वाला! … देर रात तक खुली रहती है शॉप
– दुकान के सामने अवैध पार्किंग से यातायात जाम
प्रेम यादव / मीरा-भायंदर
मीरा रोड के डेल्टा गार्डन इलाके में स्थित ‘बाबा फालूदा’ आउटलेट पर प्रशासन की लापरवाही और नियमों की अनदेखी का सिलसिला जारी है। पिछली खबर के बाद भी प्रशासन और पुलिस ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। स्थानीय निवासियों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। ऐसे में अब उनका गुस्सा बढ़ता जा रहा है। बाबा फालूदा के सामने देर रात तक पार्विंâग की वजह से होनेवाली समस्याओं को लेकर स्थानीय लोग जल्द ही पुलिस कमीश्नर से मुलाकात करनेवाले हैं।
‘बाबा फालूदा’ आउटलेट्स पहले की तरह देर रात तक संचालित हो रहा है। रात ३ बजे तक दुकान के बाहर भीड़ का आलम बना रहता है। सड़क पर दोपहिया और चारपहिया वाहनों की अवैध पार्किंग के कारण यातायात पूरी तरह बाधित हो रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि शोर-शराबा और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी से हालात बदतर हो गए हैं। काशीमीरा पुलिस और ट्रैफिक विभाग ने अब तक इसे लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस प्रशासन सिर्फ दिखावे के लिए गश्त करता है, लेकिन ‘बाबा फालूदा’ पर आंखें मूंदे हुए है। निवासियों का कहना है कि यह दुकान कानून और प्रशासन दोनों को चुनौती दे रही है। एक निवासी ने कहा, ‘दूसरी दुकानों को गश्त के दौरान बंद कराया जाता है, लेकिन ‘बाबा फालूदा’ को विशेष छूट क्यों दी जा रही है? यह सवाल हर किसी के मन में है।’
नागरिकों का कहना है कि ‘अब सहनशक्ति जवाब दे रही है। प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।’ क्या ‘बाबा फालूदा’ को नियमों से ऊपर समझा जा रहा है? ट्रैफिक बाधित होने और अवैध पार्किंग पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? देर रात तक दुकान खोलने की अनुमति किसने दी? स्थानीय निवासियों की शिकायतों पर प्रशासन गंभीर क्यों नहीं है? ऐसे सवाल स्थानीय नागरिकों द्वारा उठाए जा रहे हैं।
इस मामले को हमने संज्ञान में लिया है और कार्रवाई कर रहे हैं। इस तरह देर रात जितनी भी दुकानें खुली रहती हैं, उन सभी को चिह्नित करके कार्रवाई की जाएगी और नियमानुसार फाइन लगाया जाएगा।
-लालू तुरे
वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, (काशीमीरा पुलिस स्टेशन)
‘हमने कई बार फाइन लगाया है, ट्रैफिक भी क्लीयर कराते हैं। जब-जब लोगों की शिकायतें मिलती हैं, हम कार्रवाई करते हैं। नियमों के उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सड़क पर पार्किंग करने वाली जनता को भी ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए।’
-देवीदास हंडोरे,
वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक (यातायात पुलिस)
घातियों का लाडली बहनों से घात! … अब अनुदान में लगा रहे रोज-रोज अड़ंगा
– अगली किस्त के लिए अगले साल की तारीख
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में बड़ा फटका लगने के बाद घाती सरकार ने राज्य में लाडली बहन योजना शुरू की। इस योजना के माध्यम से राज्य में महिलाओं को १,५०० रुपए प्रतिमाह दिए जाते थे। इसके बाद विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सरकार द्वारा यह राशि २,१०० करने की घोषणा की गई, लेकिन अब घाती सरकार अपनी बात से पलट गई है और कहा है कि वह अगले साल से लाडली बहन योजना का पैसा बढ़ाना शुरू कर देगी। यह बात वरिष्ठ भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कही है।
दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि लाडली बहन योजना का वादा शत-प्रतिशत पूरा करेंगे। अगर हम बढ़ोतरी का भुगतान नहीं करेंगे तो इससे पूरे देश में गलत संदेश जाएगा और हमारी छवि खराब होगी। मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा। मैं महागठबंधन की घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष था इसलिए हम अपने घोषणा-पत्र में किए गए वादों को पूरा करेंगे। बढ़े हुए कब देना है इस पर चर्चा की जाएगी। मुनगंटीवार ने कहा इसलिए हम अगले साल भाऊबीज से उस राशि को बढ़ा सकते हैं।
सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को हो रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का फायदा … बेरोजगारी ने ४५ साल का रिकॉर्ड तोड़ा … राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर जताई चिंता
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था और देश की जीडीपी का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश की अर्थव्यवस्था तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक कुछ गिने-चुने अरबपतियों को इसका लाभ मिल रहा हो। राहुल गांधी ने `एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, `भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट दो साल में सबसे नीचे ५.४ फीसदी पर आ गई है। बात साफ है, भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।’ उन्होंने लिखा, `इन तथ्यों पर एक नजर डालिए, देखिए स्थिति कितनी चिंताजनक है। खुदरा महंगाई दर बढ़कर १४ महीने के उच्चतम स्तर ६.२१ फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज की कीमत लगभग ५० फीसदी बढ़ गई है। रुपया ८४.५० के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। बेरोजगारी पहले ही ४५ वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है।
`जब तक कुछ हाथों में ही पैसा रहेगा, तरक्की नहीं हो सकती। भारतीय अर्थव्यवस्था का फायदा सिर्फ और सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।’
राज्य में अब भी २.३६ लाख एड्स मरीज! …देश में रोजाना ११५ मरीजों की मौत
सामना संवाददाता / मुंबई
भारत में अभी भी एचआईवी एक घातक बीमारी है, जो देश पर भारी बोझ की तरह बनी हुई है। २०२३ में अनुमानित २५.४४ लाख एड्स रोगी हैं। १५ वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में यह ज्यादा है। यह आंकड़ा ४४ प्रतिशत है, जबकि लगभग ३ प्रतिशत मामले बच्चों में हैं। महाराष्ट्र में अब भी २.३६ लाख एड्स व एचआईवी मरीज हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में वयस्कों में इसका प्रसार अनुमानित रूप से ०.४ प्रतिशत से अधिक है।
यह जानकारी साझा करते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने कहा कि एचआईवी का प्रकोप भले ही कम हुआ हो, लेकिन इसे नजरअंदाज करना हमारी बड़ी भूल होगी। देश से एड्स को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन, सामाजिक संगठनों और एनजीओ सहित सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। एड्स के पूर्ण उन्मूलन के लिए एकजुटता और सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। ये विचार स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. नितिन अंबाडेकर ने व्यक्त किए।
‘विश्व एड्स दिवस २०२४’ के उपलक्ष्य में सोमवार को ठाणे जिला सामान्य अस्पताल के अंतर्गत जिला एड्स नियंत्रण एवं रोकथाम प्रकोष्ठ द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान उपनिदेशक डॉ. अशोक नांदापुरकर, जिला सर्जन डॉ. वैâलाश पवार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंगाधर परगे, डॉ. अर्चना पवार, रतन गाढवे और अशोक देशमुख सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान प्रमुख मार्गदर्शकों ने एचआईवी के होने के चार प्रमुख कारणों की जानकारी दी और कॉलेज के छात्रों को इस रोग के उन्मूलन के लिए मार्गदर्शन दिया।
क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब भी यह वायरस हर साल लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है। २०२१ के आखिर तक दुनिया में ३.८४ करोड़ लोग ऐसे थे, जो इस वायरस से संक्रमित थे। २०२१ में दुनियाभर में ६.५ लाख लोगों की मौत का कारण एचआईवी ही था। २०२१ में भारत में एड्स के ६२,९६७ नए मामले सामने आए थे और ४१,९६८ लोगों की मौत हो गई थी। यानी हर दिन औसतन ११५ मौतें। आंकड़े बताते हैं कि २०२१ तक भारत में २४ लाख लोग एचआईवी संक्रमित पाए गए थे।