– अगली किस्त के लिए अगले साल की तारीख
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में बड़ा फटका लगने के बाद घाती सरकार ने राज्य में लाडली बहन योजना शुरू की। इस योजना के माध्यम से राज्य में महिलाओं को १,५०० रुपए प्रतिमाह दिए जाते थे। इसके बाद विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सरकार द्वारा यह राशि २,१०० करने की घोषणा की गई, लेकिन अब घाती सरकार अपनी बात से पलट गई है और कहा है कि वह अगले साल से लाडली बहन योजना का पैसा बढ़ाना शुरू कर देगी। यह बात वरिष्ठ भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कही है।
दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि लाडली बहन योजना का वादा शत-प्रतिशत पूरा करेंगे। अगर हम बढ़ोतरी का भुगतान नहीं करेंगे तो इससे पूरे देश में गलत संदेश जाएगा और हमारी छवि खराब होगी। मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा। मैं महागठबंधन की घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष था इसलिए हम अपने घोषणा-पत्र में किए गए वादों को पूरा करेंगे। बढ़े हुए कब देना है इस पर चर्चा की जाएगी। मुनगंटीवार ने कहा इसलिए हम अगले साल भाऊबीज से उस राशि को बढ़ा सकते हैं।
घातियों का लाडली बहनों से घात! … अब अनुदान में लगा रहे रोज-रोज अड़ंगा
सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को हो रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का फायदा … बेरोजगारी ने ४५ साल का रिकॉर्ड तोड़ा … राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर जताई चिंता
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था और देश की जीडीपी का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश की अर्थव्यवस्था तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक कुछ गिने-चुने अरबपतियों को इसका लाभ मिल रहा हो। राहुल गांधी ने `एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, `भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट दो साल में सबसे नीचे ५.४ फीसदी पर आ गई है। बात साफ है, भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।’ उन्होंने लिखा, `इन तथ्यों पर एक नजर डालिए, देखिए स्थिति कितनी चिंताजनक है। खुदरा महंगाई दर बढ़कर १४ महीने के उच्चतम स्तर ६.२१ फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज की कीमत लगभग ५० फीसदी बढ़ गई है। रुपया ८४.५० के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। बेरोजगारी पहले ही ४५ वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है।
`जब तक कुछ हाथों में ही पैसा रहेगा, तरक्की नहीं हो सकती। भारतीय अर्थव्यवस्था का फायदा सिर्फ और सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।’
राज्य में अब भी २.३६ लाख एड्स मरीज! …देश में रोजाना ११५ मरीजों की मौत
सामना संवाददाता / मुंबई
भारत में अभी भी एचआईवी एक घातक बीमारी है, जो देश पर भारी बोझ की तरह बनी हुई है। २०२३ में अनुमानित २५.४४ लाख एड्स रोगी हैं। १५ वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में यह ज्यादा है। यह आंकड़ा ४४ प्रतिशत है, जबकि लगभग ३ प्रतिशत मामले बच्चों में हैं। महाराष्ट्र में अब भी २.३६ लाख एड्स व एचआईवी मरीज हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में वयस्कों में इसका प्रसार अनुमानित रूप से ०.४ प्रतिशत से अधिक है।
यह जानकारी साझा करते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने कहा कि एचआईवी का प्रकोप भले ही कम हुआ हो, लेकिन इसे नजरअंदाज करना हमारी बड़ी भूल होगी। देश से एड्स को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन, सामाजिक संगठनों और एनजीओ सहित सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। एड्स के पूर्ण उन्मूलन के लिए एकजुटता और सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। ये विचार स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. नितिन अंबाडेकर ने व्यक्त किए।
‘विश्व एड्स दिवस २०२४’ के उपलक्ष्य में सोमवार को ठाणे जिला सामान्य अस्पताल के अंतर्गत जिला एड्स नियंत्रण एवं रोकथाम प्रकोष्ठ द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान उपनिदेशक डॉ. अशोक नांदापुरकर, जिला सर्जन डॉ. वैâलाश पवार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंगाधर परगे, डॉ. अर्चना पवार, रतन गाढवे और अशोक देशमुख सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान प्रमुख मार्गदर्शकों ने एचआईवी के होने के चार प्रमुख कारणों की जानकारी दी और कॉलेज के छात्रों को इस रोग के उन्मूलन के लिए मार्गदर्शन दिया।
क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब भी यह वायरस हर साल लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है। २०२१ के आखिर तक दुनिया में ३.८४ करोड़ लोग ऐसे थे, जो इस वायरस से संक्रमित थे। २०२१ में दुनियाभर में ६.५ लाख लोगों की मौत का कारण एचआईवी ही था। २०२१ में भारत में एड्स के ६२,९६७ नए मामले सामने आए थे और ४१,९६८ लोगों की मौत हो गई थी। यानी हर दिन औसतन ११५ मौतें। आंकड़े बताते हैं कि २०२१ तक भारत में २४ लाख लोग एचआईवी संक्रमित पाए गए थे।
जनता को साथ लेकर करूंगा काम …सत्कार समारोह में बोले विधायक हारून खान
सामना संवाददाता / मुंबई
हमें पूरा विश्वास था कि अगर मुझे महाविकास आघाड़ी की ओर से प्रत्याशी बनाया गया तो वर्सोवा की सीट जरूर जीतूंगा। मेरी इस जीत में हिंदू समाज के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। ये बातें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक हारून खान ने कहीं।
वर्सोवा के स्थानीय लोगों की तरफ से जोगेश्वरी (पश्चिम) के एसबी रोड स्थित दिवान सेंटर हॉल में आयोजित सत्कार समारोह में विधायक हारून खान ने कहा कि जब हमें टिकट मिला तो पार्टी के बागियों ने मेरा विरोध किया। उन्होंने कहा कि चुनाव तो अब मैं जीत चुका हूं। क्षेत्र के विकास के लिए जनता को साथ लेकर काम करूंगा।
कार्यक्रम में शामिल लोगों की ओर उन्होंने इशारा किया और कहा कि कभी लोग १० काम लेकर आते हैं, जिसमें ८ तो हो जाते हैं, लेकिन २ काम शेष रह जाते हैं, जिसके लिए लोग नाराज हो जाते हैं। अगर ऐसा ही मेरे भी साथ हो तो आप लोग नाराज मत होना।
कांग्रेस उत्तर-पश्चिम जिलाध्यक्ष क्लाइव डायस ने कहा कि हारून खान की जीत में समझदारी का काम किया निर्दलीय उम्मीदवार चंगेज मुल्तानी ने, जिन्होंने अंतिम समय में अपना पर्चा वापस ले लिया। उन्होंने बताया कि वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के २३ लोगों ने कांग्रेस से फार्म भरा था। खुशी की बात यह है कि सबने अंत समय में अपना पर्चा वापस ले लिया और हारून खान की जीत के लिए काम किया।
क्लाइव डायस ने शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की प्रशंसा कर कहा कि उन्होंने समझदारी का काम किया, जो वर्सोवा से हारून खान को तथा जोगेश्वरी से बाला नर को टिकट दिया। ये दोनों लोग जमीन से जुड़े लोग है, जिनकी जीत हुई।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से मोनिका जगताप, डॉ. शीला यादव, गफूर खान, एमए कश्मीरी, सोहैल सिद्दीकी, जावेद अंसारी, पूर्व नगरसेवक चंगेज मुल्तानी, अजय यादव और वसीम कुरैसी सहित बड़ी संख्या में महाविकास आघाड़ी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे।
चुनाव आयोग से नहीं मिली मुक्ति : ६ हजार मनपा कर्मचारी अब भी चुनावी ड्यूटी पर
मनपा का कामकाज हो रहा प्रभावित
सामना संवाददाता / मुंबई
प्रदेश का विधानसभा चुनाव खत्म हो गया है। इस चुनाव के लिए मुंबई मनपा के करीब ६०,००० कर्मचारियों की तैनाती की गई थी। चुनाव के दौरान कई विभागीय कार्य ठप हो गए थे। चुनाव के नतीजे घोषित हुए आज १० दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी ६,००० कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मुक्त नहीं किया गया है। इसके कारण मनपा के तमाम विभागों में काम भी प्रभावित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए महानगरपालिका ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इन कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से तुरंत मुक्त करने की मांग की है।
विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई महानगरपालिका आयुक्त भूषण गगरानी को मुंबई क्षेत्र के लिए जिला चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया था। उनके साथ ६ अतिरिक्त जिला चुनाव अधिकारी भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें महानगरपालिका के ४ अतिरिक्त आयुक्त, मुंबई शहर के जिलाधिकारी और मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी शामिल थे। चुनावी कामों के लिए सभी तंत्रों में समन्वय बनाए रखने की जिम्मेदारी इन अधिकारियों को सौंपी गई थी।
मनपा के १२,५०० अधिकारी और कर्मचारियों को अक्टूबर के पहले सप्ताह से चुनावी कार्य में लगाया गया था। इन्हें ग्रुप डेवलपमेंट ऑफिसर और समन्वय अधिकारी जैसी भूमिकाएं दी गई थीं। बाद में धीरे-धीरे ५० हजार और कर्मचारियों को बूथ लेवल ऑफिसर, क्षेत्रीय अधिकारी आदि के रूप में नियुक्त किया गया। चुनावों के कारण महानगरपालिका के कई कार्य ठप हो गए थे। अब जबकि नतीजे घोषित हो चुके हैं, कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से उनकी मूल ड्यूटी पर लौटाया जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक सभी कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मुक्त नहीं किया है। इस वजह से मनपा प्रशासन बार-बार आयोग से अपील कर रहा है।
प्रोजेक्ट का क्रेडिट लेने की फिराक में भाजपा! …मनपा के चुनावी घोषणा पत्र में बनाएगी मुख्य मुद्दा
सामना संवाददाता / मुंबई
बीजेपी नेतृत्ववाली महायुति २७,३३४ करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मनपा चुनाव में अपने घोषणा-पत्र में मुख्य मुद्दा बनाएगी। इनमें १८,००० करोड़ रुपए का वर्सोवा-दहिसर लिंक रोड (वीडीएलआर) भी शामिल है, जिसे हाल ही में पर्यावरणीय मंजूरी मिली है, लेकिन क्या ये प्रोजेक्ट्स वाकई मुंबई के विकास के लिए हैं या सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा?
चुनाव में देरी पर सवाल
मुंबई में नगर निगम चुनाव २०२२ से लंबित हैं, जबकि पार्षदों का कार्यकाल ९ मार्च २०२२ को समाप्त हो चुका है। अब तक चुनाव न कराए जाने से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या विकास का वादा महज जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव में देरी को अनुचित ठहराया है, फिर भी महायुति सरकार इन पर निर्णय लेने में विफल रही है।
विवादित परियोजनाएं और खर्च
घोषित प्रोजेक्ट्स में से वीडीएलआर और दहिसर-मीरा रोड लिंक रोड को हाई-स्पीड कॉरिडोर का हिस्सा बताया गया है, लेकिन क्या इन परियोजनाओं की भारी लागत, जिसमें वीडीएलआर के लिए १८,००० करोड़ रुपए और दहिसर-मीरारोड लिंक रोड के लिए ३,३०४ करोड़ रुपए शामिल हैं, वास्तव में जनता के हित में है? पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के बावजूद, दहिसर-मीरारोड लिंक रोड को अभी भी अदालत की स्वीकृति का इंतजार है।
इसके अलावा, वर्सोवा-मढ केबल-स्टे ब्रिज (३,२४६ करोड़ रुपए) और ५.४ किमी एलिवेटेड रोड (१,३०३ करोड़ रुपए) जैसे प्रोजेक्ट्स की उपयोगिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकार द्वारा हाल ही में मुफ्त मिलने वाली आापला दवाखाना की दवाइयां बंद कर दी गई हैं। इसके बाद सरकार के हर पैâसले पर लोगों के मन में गंभीर सवाल है।
यहां ईवीएम बैन है! …खामियां मिलने के बाद जापान, जर्मनी, आयरलैंड, बांग्लादेश, नीदरलैंड, इटली इस्तेमाल कर चुके हैं बंद
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद ईवीएम का मामला फिर गर्मा गया है। विपक्ष ईवीएम से चुनाव कराने का विरोध करते हुए इसे फिर से बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की बात कह रहा है। यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि दुनिया के कई देशों में ईवीएम से चुनाव करने की शुरुआत तो हुई थी, पर इसकी खामियां देखकर बाद में इसे बैन कर दिया गया।
बता दें कि जिन देशों में ईवीएम बैन है उनमें जापान, जर्मनी, आयरलैंड, बांग्लादेश, नीदरलैंड और इटली का नाम प्रमुख है। चुनाव में ईवीएम बैन करनेवाला नवीनतम देश जापान है। जापान ने २०१८ में नगरपालिका चुनावों के बाद इसका उपयोग बंद कर दिया। सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर चिंताओं के कारण इस देश ने ये पैâसला लिया। इसी तरह बांग्लादेश ने २०१८ के आम चुनावों में तो ईवीएम का उपयोग किया, लेकिन उसके बाद जब विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया तो बांग्लादेश ने २०२३ के आम चुनावों से बैलेट पेपर का उपयोग किया।
जर्मनी में २००९ में एक जर्मन अदालत ने पैâसला सुनाया कि ईवीएम असंवैधानिक है। मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और सार्वजनिक जांच पर चिंताओं के कारण उन्हें बंद कर दिया गया। इसी तरह नीदरलैंड में भी आलोचनाओं के बाद ईवीएम पर बैन लगा दिया गया। वहां २००६ में, समूह ‘वी डू नॉट ट्रस्ट वोटिंग कंप्यूटर्स’ ने वोटिंग मशीनों की सुरक्षा खामियों को उजागर करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। आयरलैंड ने २०१० में ईवीएम प्रणाली को खत्म कर दिया, क्योंकि यह अविश्वसनीय और पारदर्शिता की कमी वाली पाई गई। इटली ने भी सुरक्षा और पारदर्शिता के बारे में समान चिंताओं का हवाला देते हुए २००९ में ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर! …न ऑक्सीजन मिल रहा न एंबुलेंस
– मरीजों को खाट पर ले जाना पड़ रहा अस्पताल
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की खामियां उजागर हुई हैं। यहां प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की विधानसभा में ही लोगों तक स्वास्थ्य सेवा नहीं पहुंच रही है। यहां अस्पतालों में न तो ऑक्सीजन है और न ही एंबुलेंस की कोई व्यवस्था। यहां मरीजों को खाट पर ढोया जा रहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। मनेंद्रगढ़ विधानसभा के छिपछिपी गांव की एक घायल महिला को एंबुलेंस सेवा न मिलने के कारण खाट पर रखकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। जानकारी के अनुसार, महिला का पैर बैलों की लड़ाई के दौरान टूट गया था। परिजनों ने १०८ एंबुलेंस सेवा पर संपर्क किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है। इसके बाद मजबूरन परिजनों ने महिला को खाट पर लिटाकर पिकअप वाहन से मनेंद्रगढ़ अस्पताल पहुंचाया।
विपक्ष ने इस मामले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने कहा कि यह घटना सरकार की विफलता का प्रमाण है। जब मंत्री के क्षेत्र में ऐसी स्थिति है, तो अन्य इलाकों की हालत क्या होगी। इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। सरकार को प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए। यह घटना न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि राज्य की प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं पर भी सवाल खड़े करती है।
भाजपा सरकार के राज में देश बेहाल …हिंदुस्थान के विकास पर ब्रेक! …रेटिंग एजेंसियों ने २०२५ के लिए घटाया अनुमान
सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा सरकार के राज में देश बेहाली की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि आर्थिक अनुमान जाहिर करने वाली रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष २०२५ के लिए हिंदुस्थान की ‘जीडीपी’ की वृद्धि दर के अपने अनुमान में भारी कटौती की है।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हिंदुस्थान की जीडीपी वृद्धि ५.४ फीसदी रही, जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम थी। इसे देखते हुए रेटिंग एजेंसियों ने यह कदम उठाया है। वित्त वर्ष २०२५ की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर की अवधि में हिंदुस्थान की आर्थिक वृद्धि ६ फीसदी रही। मगर आरबीआई ने वित्त वर्ष २०२५ के लिए ७.२ फीसदी वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है। वित्त मंत्रालय ने भी उम्मीद जताई है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि ६.५ से ७ फीसदी के दायरे में रहेगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ६ दिसंबर को होने वाली समीक्षा बैठक में जीडीपी वृद्धि के लिए अपने अनुमान में संशोधन कर सकती है। इस बारे में एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से कम रहे। इसलिए पूरे साल के लिए वृद्धि अनुमान को ६.८ फीसदी से घटाकर ६.५ फीसदी कर दिया गया है और उसमें आगे गिरावट का जोखिम भी बरकरार है। सेवा और विनिर्माण पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) सितंबर के निचले स्तर से बढ़े हैं, जो आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है। जीएसटी संग्रह, ई-वे बिल और टोल राजस्व जैसे अन्य प्रमुख संकेतकों में भी अक्टूबर में सुधार हुआ है। जहां तक मांग की बात है तो ग्रामीण मांग शहरी मांग से आगे निकलती दिख रही है। ग्रामीण बाजार पर केंद्रित कारोबार यानी दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों की बिक्री में भी अक्टूबर में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि भी अक्टूबर में ३.१ फीसदी पर तीन महीने की ऊंचाई पर रही। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि वह वित्त वर्ष २०२५ के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को ६.६ फीसदी से घटाकर ६.३ फीसदी कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में नरमी मुख्य तौर पर शहरी मांग और सामान्य सरकारी पूंजीगत व्यय में गिरावट से प्रेरित थी।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से कम रहे। इसलिए पूरे साल के लिए वृद्धि अनुमान को ६.८ फीसदी से घटाकर ६.५ फीसदी कर दिया गया है और उसमें आगे गिरावट का जोखिम भी बरकरार है।
१४ साल की बच्ची के साथ ब्लैकमेलिंग! … शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव
सामना संवाददाता / मुंबई
महज १४ साल की नाबालिग बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए ५६ साल के व्यक्ति ने बड़ी ही घिनौनी साजिश रची। बच्ची की ब्लैकमेलिंग के लिए ऐसी साजिश रची कि पुलिस भी जानकर दंग रह गई। कई दिनों से ब्लैकमेलिंग के जरिए शारीरिक संबंध बनाने के दबाव से बच्ची काफी डरी और सहमी हुई थी।
मिली जानकारी के मुताबिक, ५६ वर्षीय आरोपी नराधाम ने १४ साल की बच्ची के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए योजना बनाई और ये साजिश थी ब्लैकमेलिंग के जरिए लड़की को डराना और उसने अपनी हवस का शिकार बनाना। डी.एन. नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शहाजी पवार ने बताया कि आरोपी नराधाम ने अपने यहां काम कर रहे लड़के को नाबालिग बच्ची का मोबाइल नंबर दिया और लड़की से बात करने को कहा। यहां तक कि उस लड़के ने लड़की से दोस्ती कर ली और अक्सर दोनों के बीच फोन पर बातचीत शुरू हो गई। डी.एन.नगर पुलिस के मुताबिक, आरोपी लड़के से बातचीत की रिकॉर्डिंग करवाई और यहीं से शुरू हो गया ब्लैकमेलिंग का सिलसिला। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया है कि आरोपी रोज उसे कॉल करके धमकाता था और कहता था कि उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए वर्ना वह उसकी सारी पोल खोल देगा और लड़के के साथ बातचीत की रिकॉर्डिंग वह उसके घरवालों को सुना देगा।
पुलिस हिरासत में आरोपी
पीड़िता की शिकायत के मुताबिक, आरोपी पिछले कई दिनों से उसे ब्लैकमेल कर शारीरिक संबंध बनाने के लिए धमका रहा था। डरी, सहमी लड़की ने आखिर ये बात अपने घरवालों को बताई। पीड़िता के परिजनों ने डी.एन.नगर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी नराधाम और उसके यहां काम कर रहे लड़के को पोस्को के तहत गिरफ्तार कर लिया है और चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।