वैशाली जिले के हाजीपुर में राष्ट्रीय जनता दल के कई कार्यकर्ता एक पुजारी को लेकर पटरी के पास पहुंचे और मंत्र पढ़ावाया। इस दौरान लोगों ने पटरी की आरती भी उतारी। पूजा में शामिल लोगों ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा और भोलेनाथ ही लगातार हो रहे रेल हादसों को होने से बचा सकते हैं। २०२४ में रेल हादसों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। सिर्फ जून और जुलाई में ही करीब ४ बड़ी दुर्घटनाएं हुर्इं। इसके अलावा कई मालगाड़ियां पटरी से उतरी। बता दें कि मंगलवार को झारखंड में जमशेदपुर से ८० किलोमीटर दूर चक्रधरपुर मंडल में बड़ाबांबू के पास मुंबई-हावड़ा सीएसएमटी मेल के १८ डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें २ यात्रियों की मौत हो गई। इससे कुछ दिन पहले गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतरी थी, जिसमें ४ की मौत हुई थी।
इजरायल को नक्शे से मिटाने वाले दुश्मन मिट गए! …हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर और हमास के मुखिया इस्माइल हानिया की मौत
इजरायल ने एक के बाद एक अपने दो बड़े दुश्मनों को मार गिराया है। हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर और हमास के मुखिया इस्माइल हानिया की मौत हो चुकी है। बता दें कि हिजबुल्लाह और हमास दोनों ही इजरायल को नक्शे से मिटा देना चाहते हैं। इजरायल के खिलाफ कई बड़े हमलों को अंजाम देने वाले फउद शुकर की तलाश काफी समय से इजरायल और अमेरिका को थी। पिछले कई दशकों से उसकी तलाश जारी थी।
वह हिजबुल्लाह के लिए रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने के लिए काम करता था। फउद शुकर पर ४० करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया गया था। इस बीच इजरायली सेना की तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने कई मासूमों की मौत का बदला ले लिया है और फउद शुकर को मार गिराया है। मिली खबरों के मुताबिक, लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के सीनियर कमांडर और बेरूत पर इजरायल हमले का निशाना बने फउद शुकर को आतंकी संगठन के मुखिया का करीबी सलाहकार माना जाता था। साल १९८३ में बेरूत में हुए बमबारी के बाद से अमेरिकी सरकार को फउद शुकर की तलाश थी।
बेरूत में हुए इस हमले में ३०० अमेरिकी और प्रâांसी०सी सैनिक मारे गए थे। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि क्या फउद शुकर इजरायली हमले में मारा गया है या नहीं। बता दें कि फउद शुकर पर इजरायल के गोलन हाईट्स इलाके में एक फुटबॉल ग्राउंड पर हमला करने का आरोप है। इस हमले में १२ बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद इजरायल ने फउद शुकर को मार गिराने का पैâसला लिया था।
क्लीन बोल्ड : ओलिंपिक में कोरोना की एंट्री
अमिताभ श्रीवास्तव
वैश्विक महामारी कोरोना आज भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। आज भी इसको लेकर एक डर का माहौल है जबकि काफी हद तक इस पर काबू पा लिया गया है। बावजूद पेरिस ओलिंपिक में इसकी एंट्री से खलबली मच गर्इं है। दरअसल, ब्रिटेन के तैराक एडम पीटी ने १०० मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक इवेंट में रजत पदक जीता था। २८ जुलाई को उन्होंने पदक जीता और अगले दिन ही कोरोना पॉजिटव पाए गए हैं। एडम पीटी के संपर्क में आए सभी एथलीट को विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा गया है। ब्रिटिश तैराकी अधिकारियों के अनुसार, एडम रविवार से ही ठीक महसूस नहीं कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी वह फाइनल मुकाबले में हिस्सा लेने उतरे। अन्य एथलीट के साथ भी उन्हें बातचीत करते हुए देखा गया। फाइनल के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और सोमवार सुबह जांच करने पर उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। अमेरिका के तैराकी दल की तरफ से कहा कि वे आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि, यह नहीं बताया है कि क्या फिंक का टेस्ट कराया गया है या नहीं।
सिराज के सिर विराट का हाथ
कहते हैं मोहम्मद सिराज के सिर विराट कोहली का हाथ है इसलिए वो टीम इंडिया में बने हुए हैं। यदि उनके प्रदर्शन के लिहाज से आकलन किया जाए तो वो बुरी तरह एक फ्लॉप गेंदबाज हैं। श्रीलंका के साथ खत्म हुई टी-२० सीरीज में वो मुख्य गेंदबाज के रूप में थे मगर उन्होंने पूरी तरह निराश किया। बहरहाल, माना जाता है कि विराट कोहली की वजह से ही टीम इंडिया से डेब्यू करने का मौका मिला और अब लगातार खराब प्रदर्शन के बाद भी उन्हें टीम में शामिल किया गया है। सिराज ने पहली बार साल २०१७ में टीम के लिए डेब्यू किया और उस सीजन उन्होंने आईपीएल में ६ मैचों में करीब १० की इकोनॉमी से रन खरच करते हुए १० विकेट अपने नाम किए थे। हालांकि, टेस्ट मैच में डेब्यू करने के बाद से उनके प्रदर्शन में सुधार आया लेकिन अब वे एक बार फिर से फ्लॉप साबित हो रहे हैं। टीम इंडिया ने अब तक श्रीलंका के खिलाफ दो टी-२० मैच खेले हैं और इसमें सिराज का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। उन्होंने पहले मैच में ३ ओवर में २३ रन खर्च करते हुए १ विकेट अपने नाम किया था। इसके अलावा दूसरे मैच में उन्होंने ३ ओवर में २७ रन खर्च किए और उन्हें कोई सफलता भी नहीं मिली। जबकि वहीं रिंकू सिंह और सूर्यकुमार जैसे बल्लेबाज गेंदबाजी में विकेट ले गए थे।
कमजोर मुक्के
मुक्केबाजी में उम्मीद के नाम पर केवल निकाहत जरीन और लवलीना ही हैं। एक समय हिंदुस्थानी मुक्कों की गूंज हुआ करती थी मगर अभी तक के मुकाबले में मुक्के कमजोर निकले। अपने पहले ही मैच में जहां पुरुष वर्ग में अमित पंघाल हारकर बाहर हुए वहीं महिला वर्ग में जैस्मिन भी हार गर्इं। अमित पंघाल शुरुआती दौर (५१ किग्रा) में हार गए। जाम्बिया के मुक्केबाज और तीसरी वरीयता प्राप्त पैट्रिक चिनेम्बा से वह १:४ से हारे। तो जैस्मिन लैंबोरिया बॉक्सिंग के शुरुआती दौर (५७ किग्रा) में बाहर हो गर्इं। उन्हें पूर्व विश्व चैंपियन और टोक्यो रजत पदक विजेता नेस्टी पेटेसियो से ०:५ से हार मिली। दोनों मुक्केबाज अपना प्रदर्शन नहीं दिखा सके। फुर्ती में भी कमजोर रहे और थकान भी स्पष्ट देखी गई। ऐसे में उनके सिलेक्शन पर भी सवाल खड़ा होता है मगर जब नेशनल स्तर पर मुक्केबाज ही कोई न निकले तो ओलिंपिक जैसे खेलो में ऐसे कमजोर हो रहे मुक्केबाजों का ही सिलेक्शन होता है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)
३ सिक्स बनाएगा सिक्सर किंग!
टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच टी-२० सीरीज का आखिरी मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। अब २ अगस्त यानी कल से वनडे सीरीज खेली जाएगी। जहां अनुभवी बल्लेबाज विराट कोहली और वनडे कप्तान रोहित शर्मा भी टीम में वापसी करेंगे। पहले वनडे मैच में रोहित शर्मा के पास एक वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने का मौका है। इसके अलावा रोहित शर्मा वनडे फॉर्मेट में कई बड़ी उपलब्धियां भी अपने नाम कर सकते हैं। रोहित शर्मा अगर श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे मैच में तीन छक्के लगाने में कामयाब रहे तो इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्का जमाने वाले कप्तान बन जाएंगे। बतौर कप्तान रोहित ने अब तक इंटरनेशनल क्रिकेट में २३१ छक्के जमा दिए हैं। अभी इंटरनेशनल क्रिकेट में बतौर कप्तान सबसे ज्यादा छक्कों का वर्ल्ड रिकॉर्ड इंग्लैंड के पूर्व कप्तान इयोन मॉर्गन के नाम है। मॉर्गेन ने बतौर कप्तान कुल २३३ छक्के लगाए थे। रोहित के पास इस मामले में नंबर-१ बनने का मौका है। रोहित के पास इस मुकाबले में द्रविड़ को सबसे ज्यादा वनडे रनों के मामले में पीछे छोड़ने का भी मौका होगा। रोहित ने अब तक २६२ मैच खेले हैं, जिसमें १०७०९ रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने ३१ शतक और ५५ अर्धशतक लगाए हैं।
तौबा-तौबा…
इन दिनों विकी कौशल की फिल्म `बैड न्यूज’ तौबा-तौबा गाना बड़ा हिट रहा है। जहां देखो, इस गाने के सिग्नेचर स्टेप्स देखने को मिल रहे हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई `तौबा-तौबा’ कर रहा है। लोग अपने-अपने रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। इसी कड़ी में इसी गाने से जुड़ा एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। जिसे देखकर लोग बड़े कंफ्यूज हो गए हैं। दरअसल, वीडियो में तो कोरियोग्राफर किरण जोपले `तौबा-तौबा’ पर डांस कर रहे हैं पर लोगों ने उन्हें मशहूर क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन समझ लिया। बता दें कि किरण जोपले एक कोरियोग्राफर हैं, जिन्हें प्रशंसक गलती से महान श्रीलंकाई क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन समझ बैठे हैं। किरण ने कभी नहीं सोचा था कि खुद के डांस का वीडियो अपलोड करने से लोग उन्हें प्रसिद्ध क्रिकेटर समझ लेंगे।
चोकली पर भड़के कोहली
भारतीय स्टार क्रिकेटर विराट कोहली टी-२० वर्ल्डकप २०२४ के बाद एक बार फिर से एक्शन में दिखने वाले हैं। विराट श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के लिए टीम इंडिया का हिस्सा हैं और वो २ अगस्त से शुरू होनेवाली सीरीज से पहले प्रैक्टिस भी शुरू कर चुके हैं। हालांकि, पहले वनडे से पहले विराट का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें एक श्रीलंकाई फैन चोकली कहकर छेड़ता है। इस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि जब कोहली अपने वार्म-अप रूटीन से गुजर रहे होते हैं, तो एक फैन ने अचानक `चोकली-चोकली’ का नारा लगाना शुरू कर दिया, कोहली ने भी इस फैन की आवाज सुन ली और अपना सिर प्रशंसक की ओर घुमाया और इस फैन को गुस्से में जवाब भी दिया। विराट के चेहरे पर नाखुशी के भाव से ये स्पष्ट था कि वो इस फैन की हरकत से खुश नहीं थे। अगर आप नहीं जानते है तो बता दें कि सोशल मीडिया पर विराट कोहली के ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल करने के लिए `चोकली’ शब्द का प्रयोग करते हैं। इसमें उनके उपनाम `कोहली’ को `चोकिंग’ शब्द के साथ जोड़ा गया है, जो इस धारणा को दर्शाता है कि कोहली भारत के लिए नॉकआउट मैचों में कम प्रदर्शन करते हैं। २०१९ में वर्ल्ड कप से भारत के बाहर होने के दौरान कोहली के १ रन पर आउट होने के बाद इस शब्द को प्रमुखता मिली थी।
मैं अब जीना नहीं चाहता …सदन में भावुक हुए खड़गे
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे का एक अलग ही रूप देखने को मिला। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अचानक भावुक हो गए। दरअसल, खड़गे मंगलवार को राज्यसभा में भाजपा नेता घनश्याम तिवारी की टिप्पणी से आहत थे। भाजपा सांसद घनश्यान तिवारी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर कुछ टिप्पणी की थी और उनके ऊपर परिवारवाद का आरोप लगाया था। आज जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी सीट से उठे और उन्होंने कहा कि उनके मां-बाप ने उनका नाम बहुत सोच समझकर रखा था। उनके पिता चाहते थे कि १२ ज्योतिर्लिंग में से एक उनके बेटे का नाम हो। घनश्याम तिवारी को उनके नाम से क्या दिक्कत है, जो उन्होंने ऐसा बोला। घनश्याम तिवारी ने परिवारवाद का भी आरोप लगाया है, जबकि वह अपने परिवार से राजनीति में आनेवाले पहले सदस्य हैं। बता दें कि अपने ऊपर परिवारवाद का आरोप लगने पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, `जब मैं सदन में नहीं था उस समय घनश्याम तिवारी जी ने एक मुद्दा उठाया था। पॉलिटिक्स में मेरा पहला जेनरेशन है। इसके पीछे मेरे बाप नहीं थे। मां नहीं थी। पिताजी ने मुझे पाला पोसा। यहां तक मैं उनके आशीर्वाद से पहुंचा हूं।’ खड़गे ने कहा, `मैं जीना नहीं चाहता।’ इस पर जब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आप अभी और जिएंगे।
‘मेक इन इंडिया’ का क्या होगा?
एमएम सिंह
किसी ने सही कहा है कि वक्त इंसान से क्या-क्या नहीं करवा लेता। एक जमाने में चीन को पानी पी-पीकर कोसने वाले, चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने का फतवा जारी करने वाले अब चीन को ही सीधे-सीधे हिंदुस्थान की आर्थिक व्यवस्था पर डाका डालने के लिए रेडकारपेट बिछा रहे हैं! गजब का डर!! गजब की मजबूरी!! गजब का राष्ट्रवाद!!! गजबै गजब है… मेक इन इंडिया की जय हो।
यह सब कहना पड़ रहा है आर्थिक सर्वेक्षण २०२४ में दिए गए तर्क को देखते हुए। बकौल इकोनॉमिक्स सर्वे २०२४ भारत को अपने विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्वागत करना चाहिए। वाह क्या कहने। वाकई भारत को तेज प्रगति के लिए चीन पर निर्भरता बढ़ाने की जरूरत है? या फिर कुछ और… लेकिन जिस बात का जिक्र आर्थिक सर्वेक्षण में अब किया गया है, उसकी पृष्ठभूमि काफी समय पहले से तैयार की जा रही थी! जैसे चीनी कंपनियों को देश में काफी अहम हलकों में कंपनियां खोलने की इजाजत दी जा रही हैं, साथ ही चीनी ब्रांड लॉन्च करने की तैयारियों की भी खबर है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में भारत में चीन का आयात १० गुना बढ़ गया है।
२००३-०५ के दौरान भारत और चीन के बीच बराबर व्यापार हुआ। डब्ल्यूटीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि के दौरान भारत का चीन के साथ मामूली व्यापार सरप्लस भी था। हालांकि, इसके तुरंत बाद चीन दो दशकों में भारत को अपना निर्यात दस गुना बढ़ाकर आगे निकल गया। २००५ में १० अरब डॉलर से अब १०१ अरब डॉलर हो गया है। इस बीच, चीन को भारत का निर्यात २०१९ में १० बिलियन डॉलर से बढ़कर १६ बिलियन डॉलर हो गया और तब से उसी स्तर पर स्थिर है। कम निर्यात और उच्च आयात के परिणामस्वरूप पिछले छह वर्षों में संचयी व्यापार घाटा ३८७ अरब डॉलर से अधिक हो गया है, वहीं पिछले १५ वर्षों में भारत के औद्योगिक आयात में चीन की हिस्सेदारी २१ फीसदी से तेजी से बढ़कर ३० प्रतिशत हो गई है। चीन अब सभी औद्योगिक उत्पाद श्रेणियों में भारत का अग्रणी आपूर्तिकर्ता देश है। औद्योगिक वस्तुओं में कृषि, अयस्क, खनिज, पेट्रोलियम, रत्न और जूलरी उत्पादों को छोड़कर सभी उत्पाद शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट (३८.७ प्रतिशत), मशीनरी (३८.५ प्रतिशत), केमिकल्स और फार्मास्यूटिकल्स (२८.७ प्रतिशत), लोहा, इस्पात के उत्पाद, और बेस मैटल (१६.६ प्रतिशत), प्लास्टिक और वस्तुएं (२५.१ प्रतिशत), टैक्सटाइल और कपड़े (४१.५ प्रतिशत), ऑटोमोबाइल, अन्य वाहन (२३.२ प्रतिशत), इसके अलावा मेडिकल, चमड़ा, कागज, कांच शिप, एयरक्राफ्ट इत्यादि १७ फीसदी। अब तक इस बात पर सांत्वना दी जा सकती थी कि हम चीन से सिर्फ आयात ही कर रहे थे। हालांकि वह भी भारत की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं था, लेकिन अब जब चीन की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में अपना ठौर ढूंढ लेंगी। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में (एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और ट्रांसपोर्टेशन आदि क्षेत्र) में अपना वर्चस्व बनाने लगेंगी तब क्या होगा? कोई भी देश किसी दूसरे देश पर उपकार करने के लिए निवेश नहीं करता। इसका उद्देश्य होता है अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और उसके लिए वह सारे हथकंडे अपनाता है। मौजूदा दौर में बड़ी मात्रा में आयात किए जा रहे हैं, जैसे टेक्सटाइल, माइनिंग, मेटल वर्क और कृषि के लिए मशीनरी, साथ ही नल, वाल्व, पंप, ट्रांसमिशन शाफ्ट, बॉल बेयरिंग, कंप्रेसर, मोल्ड, क्रेन, मोटर, निर्माण सामग्री, दरवाजे, खिड़कियां, नट, बोल्ट और स्टेशनरी आइटम के लिए हमें चीन का मुंह ताकने की बजाय जमीनी तौर पर इनका प्रोडक्शन शुरू करने की कोशिश की जानी चाहिए, ताकि छोटे-मोटे उद्योगों को जिंदगी मिले।
झांकी : पुडुचेरी पर नजर
अजय भट्टाचार्य
पुडुचेरी भाजपा में खट-पट की खबरों के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री के पूर्व मुख्य प्रधान सचिव के कैलाशनाथन को पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। कैलाशनाथन ११ बार कार्यकाल विस्तार के बाद जून में मुख्यमंत्री कार्यालय में अपने पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें पीएम का बहुत करीबी माना जाता है और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की आंख और कान कहा जाता है। पुडुचेरी के राजभवन में बैठकर वे राज्य सरकार के साथ-साथ भाजपा की अंदरूनी खींचतान पर भी नजर रख सकेंगे। यह नियुक्ति तब हुई है जब पुडुचेरी के भाजपा विधायक पीएमएल कल्याणसुंदरम ने अपनी ही सरकार को जमकर कोसा है। यहां तक कह दिया है कि यह सबसे बेकार सरकार है। बताया जा रहा है कि पुडुचेरी में अभी सियासी रूप से सब कुछ सही नहीं चल रहा है। भाजपा के अंदर ही वहां खटपट की खबरें आ रही हैं। पुडुचेरी में हुए बवाल के सिलसिले में ही कल्याणसुंदरम दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले और अमित शाह से मिलने का वक्त भी मांगा। उनकी शिकायत है कि जब भी वे सूबे के गृहमंत्री एन. नमस्सिवयम से मिलते हैं, उनको बताते हैं कि यहां कितनी परेशानियां हैं, तो वे हर बार कहते हैं कि मुख्यमंत्री से बात करेंगे। अब तो लोकसभा में भी हम सीट हार गए। अब २०२६ के लिहाज से यह स्थिति सही नहीं है। सभी विधायकों और नड्डा से मुलाकात कर उन्हें बता दिया है कि यह सरकार बिल्कुल ही बेकार है। यह खटपट सिर्फ एक नेता को लेकर नहीं है, बल्कि माना जा रहा है कि पुडुचेरी में मंत्रिमंडल में फेरबदल भी हो सकता है। इस समय राज्य में भाजपा के अंदर ही कई खेमे बन चुके हैं जो खुलकर एक दूसरे के खिलाफ बैटिंग कर रहे हैं। इस वजह से भाजपा के लिए इस राज्य में चुनौतियां खड़ी हो चुकी हैं। पार्टी ज्यादा चिंतित इसलिए भी है क्योंकि लंबे समय से यह राज्य भाजपा को राहत से ज्यादा झटके ही दे रहा है। इस समय तो कई भाजपा विधायक ने ही अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप तक लगा दिए हैं। कहा गया है कि कई क्षेत्रों को पर्याप्त फंड नहीं मिल पा रहे हैं, वहां पर लोगों की मांगों को पूरा नहीं किया गया है।
गैर जाट भरोसे भाजपा
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस अपने स्तर पर रणनीति बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस जहां जाट और मुस्लिम वोटर्स को साधकर १० साल बाद प्रदेश में वापसी की कोशिश में जुटी है तो वहीं भाजपा जाटों की नाराजगी सामने आने के बाद अब विधानसभा चुनाव में गैर जाट और ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में करने में जुटी है। भाजपा की रणनीति में ओबीसी, ब्राह्मण और दलित शामिल हैं। इस रणनीति के तहत ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री भी बनाया गया था। ओपी धनखड़ की जगह पर ब्राहाण नेता मोहन लाल बड़ौली को महासचिव पद से प्रोन्नत कर नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है। उनकी जगह अब दलित समुदाय के कृष्ण बेदी को महासचिव बनाया गया है। अग्निवीर योजना और एमएसपी गारंटी को लेकर किसानों के आंदोलन ने जाटों की नाराजगी की धार को और तेज किया। हरियाणा में रिवाज रहा है कि कोई भी पार्टी बिना जाटों के सरकार नहीं बना सकती। ये २०१९ के विधानसभा चुनाव में नजर भी आया। २०१४ के चुनाव में ४६ सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बनाने वाली भाजपा को २०१९ के विधानसभा चुनाव में मात्र ४० सीटें मिलीं। इसके बाद पार्टी ने सरकार बनाने के लिए दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी से गठबंधन किया। हरियाणा में ६२ प्रतिशत गैर जाट आबादी है। इसमें सैनी, गुर्जर, यादव और ओबीसी के ३० प्रतिशत वोट हैं। इसके अलावा दलितों की आबादी भी २० प्रतिशत हैं। जाटों के बाद सबसे बड़ी बिरादरी ब्राह्मण करीब १२ फीसदी हैं। प्रदेश में जाटों की कुल आबादी २७ प्रतिशत है, वहीं ९० में ४० विधानसभा सीटों पर इनका सीधा प्रभाव है इसके अलावा पंजाबी समुदाय का भी भाजपा को पूरा सहयोग रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)
ब्लैक होल्स के विलय से कम हो जाता है वेग! … वैज्ञानिकों के शोध में हुआ खुलासा
ब्लैक होल का विलय एक विशेष तरह का टकराव होता है, जिसके कारण ब्रह्मांड में बहुत सारी गुरुत्व तरंगें निकलती हैं। इन्हीं तरंगों के अध्ययन से वैज्ञानिकों को पिछले छह-सात सालों से ब्लैक होल जैसे रहस्यमयी पिंडों के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल रही है। इनसे उनके भार, आकार, घुमाव आदि के बारे में काफी कुछ पता चल जाता है। नए अध्ययन में वैज्ञानिकों एक विलय के असामान्य गुरुत्व तरंगें मिली हैं, जिनके अध्ययन से पता चला है कि वास्तव में यह विलय नहीं एक बहुत असामान्य सा टकराव था।
एक नए शोध के मुताबिक, २ ब्लैक होल्स के विलय होने में डार्क मैटर की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। दो ब्लैक होल्स तारों के संपर्क में आते हैं, जिनसे उनका वेग कम हो जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, डार्क मैटर ब्लैक होल्स से ऊर्जा अवशोषित करता है और वे गुरुत्वाकर्षण तरंगें पैदा कर एक-दूसरे की ओर बढ़ते हैं।
ब्लैक होल के विलय के अध्ययन से पता चला है कि ब्लैक होल के अधिकांश टकराव या विलय वास्तव में द्विज तंत्र से होते हैं, जो शुरू में द्विज तारे थे। अभी तक देखे गए ९०से ज्यादा विलय में यह विलय बहुत ही अनोखा है, जो मई २०१९ में देखा गया था। जीडब्ल्यू १९,०५२ नाम के इस तरह से निकली गुरुत्व तरंगें बहुत ही अनोखी और अलग ही थीं।
जर्मनी के जेना यूनिवर्सिटी के खगोल व भौतिकविद रोसेला गांबा के अनुसार, इसकी आकृति और विस्फोट जैसी सरंचना को पुराने अवलोकनों से बहुत ही अलग पाया गया है। जीडब्ल्यू १९,०५२ शुरू में एक विलय की तरह अवलोकित किया गया था, जिसमें दो तेजी से घूमते हुए ब्लैक होल एक-दूसरे के पास गोलाकार कक्षा में घूमते हुए एक-दूसरे के पास आ रहे थे।