भूस्खलन होते ही बजेगा सायरन!.. रायगड जिले के ३९२ गांव मानसून के दौरान अलर्ट पर

सामना संवाददाता / मुंबई

पहाड़ों को खोदा जा रहा है, असंख्य पेड़ों को काटा जा रहा है और बसेरा बनाया जा रहा है। इसके कारण रायगड जिले में भूस्खलन प्रभावित गांवों की संख्या १०३ से बढ़कर ३९२ हो गई है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन तंत्र ने कार्ययोजना तैयार की है और भूस्खलन होते ही रायगड के ९० गांवों में सायरन अलर्ट बजेगा। इससे ग्रामीणों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में मदद मिलेगी, जिससे जनहानि को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही दुर्घटना की स्थिति में नागरिकों को तुरंत मदद मिल सके, इसके लिए महाड़ में २३ कर्मियों की एनडीआरएफ टीम तैनात की गई है।
भूस्खलन से खतरे वाले गांवों को पांच समूहों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें वर्ग एक में १८ गांव हैं, यानी सबसे अधिक जोखिम वाले वर्ग दो में ७१, वर्ग तीन में कुल ३९२ गांव, वर्ग चार में १५९ और वर्ग पांच में ७३ गांव शामिल हैं। जिले में वर्ग एक और दो में खतरनाक गांवों में संचार के लिए एक सार्वजनिक घोषणा प्रणाली प्रदान की गई है। जिला नियंत्रण कक्ष से मौसम की चेतावनी एक साथ प्रसारित की जाएगी। साथ ही, आपदाओं के दौरान लाइव संदेश प्रसारित किए जाएंगे। खतरनाक स्थानों पर सायरन की व्यवस्था की गई है और इस प्रणाली के लिए इनवर्टर बैटरी भी प्रदान की गई हैं।
पूर्व की दुर्घटनाएं
२६ जुलाई २००५ को महाड तालुका के दासगांव, रोहन, जुई, कोंडिवते, ऊपरी तुडिल और पोलादपुर तालुका के कुडपन, कोंधवी, कोटवाल गांवों में भूस्खलन हुआ था। इसमें लगभग ३०० लोग मारे गए थे। २२ जून २०१५ को नेरल मोहाची वाडी में भूस्खलन हुआ था, जिसमें ५ लोग मारे गए थे। २१ और २२ जुलाई २०२१ को महाड के तलिये गांव में भूस्खलन हुआ, जिसमें ८४ लोगों की मौत हो गई। पोलादपुर तालुका के केवनाले में भूस्खलन में पांच लोगों की मौत हो गई। साखर सुतारवाड़ी में भूस्खलन में छह लोगों की जान चली गई। तीन अलग-अलग हादसों में कुल ९५ लोगों की मौत हो गई।

हाई रिस्क गांव में ‘पीए सिस्टम’ यानी पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम लगाया गया है। जिला कंट्रोल रूम से २१ जगहों पर एक साथ मौसम की चेतावनी दी जाएगी। लाइव या रिकॉर्डेड संदेश दिए जा सकेंगे। इस जगह पर सायरन बजाया जाएगा।’
-सागर पाठक, आपदा प्रबंधन अधिकारी, रायगड

मैनेजमेंट गुरु डॉ. पवन अग्रवाल ने किया प्रेरित

सामना संवाददाता / मुंबई

भारत मर्चेंट्स चेंबर के जुगीलाल पोद्दार सभागार में शनिवार की शाम को मैनेजमेंट गुरु डॉ. पवन अग्रवाल (डब्बावाला फेम) ने अपने मोटिवेशनल स्पीच में डिब्बा वालों के कई प्रेरक किस्से सुनाए। उन्होंने उनकी सेवा सहकार और टाइम प्रतिबद्धताओं को व्यापारियों को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में भारत मर्चेंट्स चेंबर के अध्यक्ष नरेंद्र पोद्दार ने भगवान विट्ठल रुक्मिणी की प्रतिमा देकर डॉ. पवन अग्रवाल को सम्मानित किया। वाइस प्रेसिडेंट मनोज जालान ने उनका अभिनंदन किया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के के सिंगला की भी उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन नवीन कुमार बगड़िया ने किया इस अवसर पर भारत मर्चेंट चेंबर के पदाधिकारी एवं काफी संख्या में कपड़ा बाजार के व्यापारी उपस्थित थे। समारोह में डां. पवन अग्रवाल ने मुंबई के डिब्बे वालों की प्रतीकात्मक साइकिल और छोटा डिब्बा अध्यक्ष नरेंद्र पोद्दार को प्रदान किया। सभा में सभी को यादगार स्वरूप मुंबई का छोटा-सा टिफिन एवं मनपा की तरफ से कपड़े का पुष्प प्रदान किया गया।

पूर्वांचल पॉलिटिक्स : `तुम्हारा बल कहां गया?’…बृजभूषण का चंद्रशेखर आजाद पर तीखा प्रहार

हिमांशु राज

भीम आर्मी प्रमुख और नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ इंदौर की युवती रोहिणी घावरी द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। स्विट्जरलैंड में पढ़ाई कर रही रोहिणी ने आजाद पर झूठे वादे करके अवैध संबंध बनाने के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी बहस छिड़ गई है। यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने चंद्रशेखर आजाद को निशाने पर लेते हुए उनकी पुरानी धमकियों को याद दिलाया। बृजभूषण ने कहा, `जब मेरे ऊपर (महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के) आरोप लगे थे, तो चंद्रशेखर आजाद ने कहा था कि अगर समाज इजाजत दे, तो वह मुझे घसीटकर ले जाएंगे। आज मैं उनसे पूछना चाहता हूं, `मेरे खिलाफ केस दर्ज हो चुका है, मैं कोर्ट का सामना कर रहा हूं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन आज तुम्हारा बल कहां गया?’ इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है, क्योंकि यह मामला अब महज एक व्यक्तिगत विवाद नहीं रह गया है। चंद्रशेखर आजाद की राजनीतिक पहचान एक दलित नेता के रूप में है, जो लंबे समय से सामाजिक न्याय और महिला अधिकारों की बात करते रहे हैं। ऐसे में उन पर लगे ये आरोप न केवल उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करते हैं, बल्कि उस पूरे राजनीतिक आंदोलन को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं दूसरी ओर, बृजभूषण शरण सिंह का यह हस्तक्षेप स्पष्ट रूप से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इस मामले का सामाजिक प्रभाव भी काफी गहरा हो सकता है, क्योंकि यह घटना उत्तर प्रदेश की जटिल जातिगत राजनीति के संदर्भ में सामने आई है। आजाद के समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है, खासकर तब जब यह मामला अदालत तक पहुंचे। फिलहाल सभी की निगाहें चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं, जो इस पूरे विवाद के भविष्य की दिशा तय करेगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और विकसित होगा और उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। इस बीच, महिला संगठनों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच की मांग की है।

सत् वाणी : मानव का सूक्ष्म शरीर किस प्रकार से है

पं. राजकुमार शर्मा (शांडिल्य)
संपर्क – ७७३८७०७९२३

इस ब्रह्मांड में प्रत्येक जीव के पास दो प्रकार के शरीर होते हैं। पहला स्थूल शरीर और दूसरा सूक्ष्म शरीर। सूक्ष्म शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं कुंडलिनी शक्ति, मन और आत्मा। ७२,००० नाड़ियां और उन नाड़ियों में भ्रमण करती १० प्रकार की वायुएं और इन नाड़ियों से जुड़े हुए ऊर्जा चक्र और ध्वनि चक्र। इस सृष्टि में जीव चार प्रकार से उत्पन्न होता है श्वेतज, जलज, अंडज और पिंडज। सभी प्रकार के जीवों में यह सूक्ष्म शरीर मौजूद होता है। मानव शरीर पिंडज के रूप में उत्पन्न होता है और उसके शरीर में सात ऊर्जा चक्र होते हैं। मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार धारा चक्र। इन ऊर्जा चक्रों से ध्वनि चक्र जुड़े हुए स्थापित हैं। एक ध्वनि चक्र से तकरीबन १,२०० से १,३०० नाड़ियां जुड़कर शरीर के भीतरी अंगों में फैली हुई स्थापित हैं। कुंडली शक्ति आत्मा और मन को लेकर स्त्री के गर्भ में प्रवेश करती है। कुंडलिनी शक्ति जो ज्ञान की देवी है, आत्मा को ज्ञान प्रदान करती है और आत्मा एक मन की रचना शरीर के रूप में कर देती है। मन की १० इंद्रियां होती हैं, जिसमें पांच कर्म इंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रिय।
ज्ञान इंद्रियों द्वारा मन ज्ञान प्राप्त करता है और कर्म इंद्रियों द्वारा काम संपन्न करता है। शरीर के भीतर से मन ही प्रधान माना गया है। मानव शरीर में चंचलता मन की नहीं, बल्कि आत्मा से उत्पन्न होने वाली भावनाओं की होती है। मन तो इस ब्रह्मांड की वह असीम शक्ति है, जिससे प्राणी जीव कर्म संपन्न करता है और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम आत्मा मन के उल्टे भाग को इडा नाड़ी से जोड़ती है और सीधे भाग को पिंगला नाडी से जोड़ती है व बीच के भाग को सुषमना नाड़ी से जोड़ती है। मन को सामने के भाग को ब्रह्मना नाड़ी से जोड़ा जाता है और मन के ऊपरी भाग को बुद्धि से जोड़ा जाता है। सर्वप्रथम आजा चक्र का निर्माण होता है तत्पश्चात पूर्ण सूक्ष्म शरीर से जुड़ा हुआ कच्चा ढांचा ३ माह में तैयार हो जाता है। मानव शरीर में ध्वनि की तरंग चक्र से उत्पन्न होती है और शरीर के सूक्ष्म शरीर में विराजमान इन सभी को पूर्ण रूप से घुमाना बहुत जरूरी है। अगर मानव को एक पूर्ण रूप से निरोगी जीवन व्यतीत करना है तो ४० साल के पश्चात शरीर की नाड़ियां सिकुड़ने लगती हैं और भीतरी अंगों में ऊर्जा का प्रवाह बंद होने लगता है, जिसकी वजह से अंग में व्याधि उत्पन्न होती है और शरीर रोग को धारण कर लेता है। मानव आधुनिक विज्ञान द्वारा स्थूल शरीर को तो पढ़ पाया, जिसकी मदद से वह केवल आराम ही प्रदान कर पाया, इलाज करने में असमर्थ है क्योंकि बीमारी नाड़ियां और ऊर्जा संचार प्रणाली में होती हैं जो सूक्ष्म शरीर का भाग होता है और मानव इलाज करता है स्थूल शरीर का जिससे उसे आराम तो मिलता है, परंतु इलाज नहीं मिल पाता। वैदिक संस्कृत भाषा के उच्चारण से ही शरीर के ध्वनि चक्र पूर्ण रूप से घूमते हैं। पुरुष सूक्त के वैदिक मंत्रों के अध्ययन, मंथन और चिंतन से कोई भी मानव शरीर आयु भर निरोगी जीवन व्यतीत करता है। प्रत्यक्ष समय में पृथ्वी पर सभी भाषाओं में मानव कटी हुई ध्वनियां बोलता है, जिसकी वजह से शरीर का चक्र पूर्ण रूप से घूमने में असमर्थ है। निरोगी जीवन व्यतीत करने हेतु मानव अपनी ऊर्जा संचार प्रणाली को उत्तम बनाता है।

लोक विमर्श : प्रवासी भारतीयों की कमाई पर ट्रंप की है तिरछी नजर!

लोकमित्र गौतम

जेब पर डाका!

जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, उनका हर कदम किसी न किसी देश, किसी न किसी कम्युनिटी और किसी न किसी कॉरपोरेट क्षेत्र में कहर बनकर टूट रहा है। उनके हाल ही में साइन किए गए एक और बिल, ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ में एक ऐसा प्रावधान मौजूद है, जिसका सबसे बड़ा भार प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा। अमेरिका बड़े तरीके से प्रवासी भारतीयों की जेब से अरबों डॉलर निकाल लेगा।
दरअसल, अमेरिका ग्रीन कार्ड धारकों और एच-१बी वीजा जैसे अस्थायी वीजा कर्मचारियों से सभी विदेशी कर्मचारियों के उनके अपने देश में भेजे जाने वाले पैसे पर ३.५ फीसदी टैक्स लगाने जा रहा है।
जैसा कि सब जानते हैं कि अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं।
हालांकि, मैक्सिको से कम हैं, लेकिन भारतीय न केवल अमेरिका में बाकी समुदायों के मुकाबले ज्यादा बेहतर कमाते हैं, बल्कि भारतीय बाकी समुदायों के विपरीत अपने देश में रह रहे अपने मां-बाप और परिवार को किसी और प्रवासी के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसे भेजते हैं।
इसलिए ट्रंप के टैक्स का सबसे बड़ा शिकार भारतीय ही होंगे। इस कैटेगिरी में जिन और देशों के प्रवासी शिकार होंगे, उनमें मैक्सिको, चीन, फिलीपींस, फ्रांस, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं। अगर आरबीआई के आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो साल २०२३ में अमेरिका में रहनेवाले भारतीयों ने भारत में रह रहे अपने परिवारों को करीब ११९ अरब डॉलर भेजे थे। ये राशि भेजी तो प्रवासियों द्वारा अपने घरों को जाती है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जमा होनेवाली ये विदेशी मुद्रा भारत के फॉरेन रिजर्व रेशियों का एक बड़ा हिस्सा बनती है और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। अमेरिका में रह रहे भारतीय जितना पैसा भेजते हैं, उससे भारत सरकार अपने कम से कम दो से तीन महीने के आयात बिल अदा करती है इसलिए अमेरिका से प्रवासियों द्वारा भेजे जानेवाले ये पैसे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। देश में होनेवाले विदेशी निवेश के मामले में यह धनराशि या तो उसके बराबर है या थोड़े ही कम। इससे भी इस भेजी जानेवाली धनराशि का महत्व समझा जा सकता है।
अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में रहनेवाले अपने मां-बाप की दवाओं, परिजनों की पढ़ाई, घर खरीदने, कर्जा अदा करने और बहुत से दूसरे मदों के लिए पैसा भेजा जाता है। लेकिन ट्रंप की नजर इन प्रवासी भारतीयों के पैसे पर टिकी है और वे टैक्स के जरिए इसका एक बड़ा हिस्सा छीनना चाहते हैं। अगर अंतिम समय तक कोई बात नहीं बनी और भारतीयों को इस टैक्स की कीमत अदा करनी ही पड़ी तो ये भारत को विदेश से मिलनेवाले पैसे पर बड़ी चोट साबित होगी।
भारतीय हावी
गौरतलब है कि विदेशों से भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा भेजा जाता है। इसे रेमिटेंस कहते हैं, क्योंकि दुनियाभर में भारतीय लगभग ढाई करोड़ से ज्यादा फैले हैं इसलिए बड़े पैमाने पर भारत को विदेश कमाने गये अपने इन नागरिकों से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। पिछले लगभग १७-१८ सालों से भारत विदेश से पैसा पाने वाले देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर बना हुआ है। इस सदी के शुरुआत में जहां पूरी दुनिया के प्रवासियों द्वारा अपने घरों को भेजे जानेवाले कुल पैसे में ११ फीसदी पैसे अकेले भारतीयों के होते थे, वहीं अब तक ये बढ़कर १५ फीसदी हो चुके हैं और आनेवाले सालों में भी नहीं लगता कि कोई और देश भारतीयों की जगह ले लेगा, क्योंकि न केवल पहले से ही दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं, बल्कि आने वाले सालों में उनकी तादाद और बढ़ने जा रही है, खासकर तकनीक के क्षेत्र में। आज दुनियाभर के सर्विस सेक्टर पर भारतीय हावी हैं। पूरी दुनिया के सर्विस सेक्टर में करीब १३ फीसदी भारतीय हैं, जिनके साल २०३० तक बढ़कर १७ से १८ फीसदी हो जाने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, साल २०२९-३० में प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत को १६० से १७० अरब डॉलर तक रेमिटेंस भेजा जाएगा।
आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है, फिर भी इस अर्थव्यवस्था में ३ फीसदी हिस्सा इन प्रवासियों द्वारा भेजे जानेवाले पैसों का है इसलिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी भारतीयों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
कृतघ्न ट्रंप
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की आबादी पिछली सदी के ९० के दशक से लगातार बढी है और अमेरिका के सभी राष्ट्रपति, अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र में खासकर कंप्यूटर के क्षेत्र में काम कर रहे भारतीयों की तारीफ करते रहे हैं। सच बात तो ये है कि जॉर्ज बुश जूनियर से लेकर ओबामा तक भारतीयों को अपनी अर्थव्यवस्था में और अधिक योगदान देने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे हैं मगर ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो भारतीयों से बड़े पैमाने पर चंदा तो लेते हैं, गाहे-बगाहे उनके परिश्रमी और बुद्धिमान होने की बात भी करते हैं, लेकिन उन्हें अमेरिका में कमाई करनेवाले भारतीय फूटी आंख नहीं सुहाते।
उन्हें लगता है कि भारतीय यहां से कमाकर अपने देश को भर रहे हैं। जबकि अर्थशास्त्र का सीधा-सीधा सांख्यिकी अनुमान होता है कि कोई भी प्रवासी किसी देश की अर्थव्यवस्था में जब सौ अरब डॉलर का योगदान देता है, तब उस देश की अर्थव्यवस्था और सिस्टम मुश्किल से उस प्रवासी को १० डॉलर देता है। इस तरह अगर अमेरिका से १०० अरब डॉलर भारतीय प्रवासी अपने देश भेजते हैं तो एक हजार अरब डॉलर वे अमेरिका की संपत्ति में इजाफा करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप को यह नहीं दिख रहा, उनकी तनख्वाह दिख रही है और उनकी कमाई पर सेंध लगाने का षड्यंत्र सूझ रहा है। ट्रंप इस बात से कतई मुतमईन नहीं हैं, न कि थैंकफुल हैं कि परिश्रमी भारतीयों द्वारा अमेरिका की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। दुनिया के दूसरे देशों में अपने परिवारों को भेजे जाने वाले पैसे भारतीयों द्वारा ही नहीं, दूसरे प्रवासियों द्वारा भी सबसे ज्यादा अमेरिका से ही भेजे जाते हैं। साल
अमेरिकी चक्रव्यूह
२०२०-२१ में जहां अमेरिका से २३.४ फीसदी पैसा भेजा जाता था, वह २०२३-२४ में बढ़कर २८ फीसदी हो गया है, क्योंकि २०२२ में अमेरिका में विदेशों से आए मजदूरों की संख्या में करीब ६.३ फीसदी की वृद्धि हुई है इसलिए अब यह रकम और भी बढ़ गई है। जहां तक भारतीयों का सवाल है, उससे ट्रंप इसलिए भी और चिढ़ते हैं, क्योंकि ७८ फीसदी भारतीय प्रवासी मैनेजमेंट, साइंस, बिजनेस और आर्ट जैसे उच्च आयवाले २,७७७ क्षेत्रों में काम करते हैं। टैक्स और करेंसी कन्वर्जन पर लगने वाली लागत पहले ही लंबे समय से वैश्विक चिंता का विषय है, क्योंकि इसका सीधा असर मजदूरों के परिवारों पर पड़ता है। लेकिन अब अमेरिका जैसे देश और भी चक्रव्यूह बनाकर मजदूरों की कमाई का बड़ा हिस्सा हड़पना चाहते हैं।
भारत के जिन राज्यों में विदेशों से सबसे ज्यादा पैसा आता है, उनमें पहले नंबर पर महाराष्ट्र, दूसरे नंबर पर केरल और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु है। अगर यह कानून सख्ती से लागू हुआ तो उन प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा, क्योंकि जो पैसा यहां रह रहे परिवारों के पास आता है, वह अंतत: खर्च तो यहीं होता है और इस खर्च के कारण इन प्रदेशों की अर्थव्यवस्थाएं फलती-फूलती हैं। इस तरह देखा जाए तो प्रवासियों पर नकेल कसकर ट्रंप सिर्फ अपनी तिजोरी ही नहीं भर रहे, बल्कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिशें कर रहे हैं।
(लेखक विशिष्ट मीडिया एवं शोध संस्थान, इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर में वरिष्ठ संपादक हैं)

मधु का डरावना ‘किस’

९० के दशक में एक्ट्रेस मधु शाह का बॉलीवुड में खूब बोल-बाला था। मधु ने उस दौर में कई बड़ी फिल्मों को रिजेक्ट भी किया था, क्योंकि वो इंटीमेट सीन्स नहीं करना चाहती थीं। मगर एक फिल्म में मधु को जबरदस्ती किसिंग सीन देना पड़ा था, जिसे उन्होंने सबसे डरावना अनुभव बताया। मधु के अनुसार, वह कोई लंबा नहीं था बल्कि छोटा सा किस था, लेकिन उन्हें बहुत बुरा लगा। मधु बोलीं, ‘मुझे शूटिंग से पहले इस सीन के बारे में नहीं बताया गया था। जब मुझे बताया गया तो वो मुझे एक तरफ ले गए और हमने बातचीत की। फिर काफी देर बात करने के बाद उन्होंने समझाया कि ये सीन फिल्म में क्यों जरूरी था? उस वक्त मैं काफी छोटी थी। थोड़ी नासमझ भी थी।

पिंक सेल्फी!

अभिनेत्री दिशा पटनी का जन्मदिन हो तो उनकी खास सहेली मौनी रॉय उन्हें विश वैâसे भूल सकती हैं भला। सो दोनों ने खूब मस्ती की और मौनी ने पिंक ड्रेस में ये खास सेल्फी वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है, जिसे पैंâस खूब पसंद कर रहे हैं।

शिव धाम है मार्कंडेय महादेव

शीतल अवस्थी

महादेव की कृपा से मौत भी टल जाती है। इसी सत्य का साक्षात प्रमाण वाराणसी से करीब ३० किमी की दूरी पर स्थित अत्यंत प्राचीन मार्कंडेय महादेव मंदिर। यह शिव का धाम है और यहां के कण-कण में भगवान भोलेनाथ समाए हैं। कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव, मध्यमेश्वर स्थित मृत्युंजय महादेव, केदारघाट स्थित केदारेश्वर, बंगाली टोला स्थित तिलभांडेश्वर, रामेश्वर महादेव और माधोपुर स्थित शूलटंकेश्वर महादेव मंदिरों में वर्ष भर दर्शन-पूजन हेतु श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसी तरह गढ़चिरौली से २० किलोमीटर दूर चंद्रपुर मार्ग पर चामोरसी मार्कंडेय नामक जगह पर आज भी हजारों वर्ष पुराना एक मंदिर बना हुआ है। यहां चारों ओर बिखरे छोटे-बड़े शिवलिंग और प्राचीन नक्काशीदार मंदिर आज भी पुराना इतिहास जीवित रखे हुए हैं।
भगवान शिव की कृपा से ही मार्कंडेय का जन्म हुआ था और उन्हीं की कृपा से उन्हें सप्त कल्पांत जीवन मिला। गंगा और गोमती के संगम पर बसा कैथी गांव का संबंध इसी पौराणिक घटना से है। यहां मार्कंडेय धाम से लोगों की असीम आस्था जुड़ी है। माना जाता है कि यहीं मृकंड ऋषि ने अपनी पत्नी संग तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और यहीं उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। शिव वरदान से उन्हें पुत्र मार्कंडेय हुआ। जब मार्कंडेय के १६ वर्षीय जीवन पूर्ण होने पर यमराज के दूत उन्हें लेने आए। मार्कंडेय शिव तपस्या में लीन थे। यमदूत का साहस नहीं हुआ उन्हें अपने संग ले जाने का। यमदूत यमराज के पास लौट आए और उसने संपूर्ण घटनाक्रम बताया। यमराज विवश थे, अत: वे बालक को लेने पृथ्वी पर आए। मार्कंडेय पूर्व की भांति शिव की तपस्या में लीन था। तब यम ने उन्हें भयभीत करना चाहा। जब यह दृश्य शिवजी ने देखा तो वे अपने इस नन्हें भक्त की रक्षा करने के लिए प्रकट हो गए। उन्होंने न केवल मार्कंडेय को भयमुक्त किया, बल्कि दीर्घायु का वरदान भी दिया। उसी घटना की स्मृति में यहां शिवजी का मंदिर है। माना जाता है कि यहां भगवान की वंदना करने से वे अकाल मृत्यु का संकट टाल देते हैं और भक्त को दीर्घायु का वरदान देते हैं।

सिरोसिस से परेशान सना

‘बिग बॉस ओटीटी-३’ की विजेता अभिनेत्री सना मकबूल इन दिनों काफी परेशान हैं। वे लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं। सना ने बताया, ‘मैं कुछ समय से ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से जूझ रही हूं और इलाज के दौरान मुझे लीवर सिरोसिस से पीड़ित होने का पता चला।’ उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर और मैं लीवर ट्रांसप्लांट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने इम्यूनोथेरेपी शुरू की है, जिसमें बहुत थकान होती है।’ अब इस बीमारी से सना तो परेशान हैं ही, उनके पैंâस भी परेशान हो गए हैं और उनके जल्द सवस्थ होने की दुआ कर रहे हैं।

मां-बेटी दोनों का प्यार

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा जब भी कुछ करती हैं तो वह खास हो जाता है। अब देखिए न, उन्होंने अपने पिता और पति को फादर्स डे की शुभकामनाएं दी हैं। पिता तो ठीक, पर पति को? चलिए ये राज आपको बता देते हैं। अनुष्का ने अपनी पोस्ट में २ तस्वीरें साझा की हैं, पहली उनके पिता की है और दूसरी फोटो वामिका की लिखे एक ग्रीटिंग की है। वामिका के बनाए ग्रीटिंग को पढ़कर बाप-बेटी की जोड़ी के बारे में कुछ क्यूट चीजें पता चलती हैं। जैसे विराट कोहली अपनी बेटी के साथ मेकअप-मेकअप खेलते हैं और उनका बेटा अकाय पिता पर गया है। अनुष्का ने अपनी पोस्ट के कैप्शन में लिखा, ‘उस पहले इंसान के नाम जिसे मैंने प्यार किया और उस पहले इंसान के नाम जिसे मेरी बेटी ने प्यार किया!