संपादकीय : विश्व युद्ध की ओर विश्व… ईरान सरेंडर नहीं कर रहा

तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है और यह साफ है कि दुनिया को विनाश की खाई में धकेला जा रहा है। रशिया और यूक्रेन के बीच चार साल से युद्ध चल रहा है। इजरायल-फिलिस्तीन में युद्ध जारी है। भारत-पाकिस्तान संघर्ष जारी है। चीन, तुर्की और अजरबैजान पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हैं। अब इजरायल और ईरान के बीच युद्ध छिड़ गया है। मध्य-पूर्व में जंग के हालात भयावह हो गए हैं। ईरान ने खुलेआम धमकी दी है कि अगर अमेरिका, ब्रिटेन या प्रâांस इजरायल की मदद करने की कोशिश करते हैं तो वह इन देशों के सैन्य ठिकानों पर हमला करेगा। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि इजरायल पर हमले बंद करो वरना तेहरान में आग लगा देंगे। उसी रात ईरान ने राजधानी तेल अवीव पर मिसाइल दागकर इजरायल को भारी नुकसान पहुंचाया। तेल के कुओं पर बमबारी की गई है। सैकड़ों लोग मारे गए हैं। यह तस्वीर अच्छी नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने युद्धविराम को मंजूरी दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर भी यही धमकी का प्रयोग किया। ट्रंप को लगा कि ईरान ‘सरेंडर ‘ कर देगा, लेकिन ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप को धमकी दे दी। ईरान के सर्वेसर्वा खोमैनी ने चेतावनी दी, ‘हमारे मामलों में मत उलझो, व्यर्थ में अपनी नाक मत घुसाओ, तुम्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ नतीजतन, ट्रंप की मुफ्त फौजदारी बर्बाद हो गई। नेतन्याहू ने ईरान पर हमला करके गलती की। उन्होंने ईरान को कमजोर समझकर गलती की। इजरायल ईरानी सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या करके जीत का जश्न मना रहा है, लेकिन ईरान इस हालात में भी लड़ रहा है।
नेतन्याहू की भागमभाग
जारी है। नेतन्याहू चाहते हैं कि अमेरिका इजरायल की तरफ से युद्ध करे, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप में इसकी हिम्मत नहीं दिखती। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से तत्काल युद्ध रोकने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र को लगता है कि अगर यह युद्ध जारी रहा तो इसका दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा, लेकिन उनकी सुनता कौन है? ‘यूएनओ’ दुनिया में अब तक किसी भी संघर्ष को रोक नहीं सका है। ‘यूएनओ’ का मतलब है अमेरिकी धरती पर अमेरिकी पैसे से पलने वाला बिल्ला है। जब अमेरिका ने इराक के सद्दाम और लीबिया के गद्दाफी को मारा तो यह बिल्ला ‘म्याऊं’ करने को भी तैयार नहीं था। अब जब इसके पालनहार की प्रतिष्ठा दांव पर है तो यह शांति की अपील कर रहा है। इतिहास दर्ज करेगा कि ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायल की धमकियों के आगे ‘सरेंडर’ नहीं किया। वरना दुनिया में ऐसे कई नेता हैं, जो अमेरिका के एक फोन कॉल पर ‘सरेंडर’ कर देते हैं। ‘गाजा’ पट्टी में इजरायल द्वारा अमानवीय हमले किए गए। जब सैकड़ों बच्चों, खाने की लाइन में लगी महिलाओं और बुजुर्गों पर बमबारी की गई, अस्पतालों को जलाकर मानवता को शर्मसार किया गया, तब भी किसी ने संयुक्त राष्ट्र की बात नहीं सुनी। गाजा में मासूम शिशुओं को बचाने के लिए किसी ने पहल नहीं की। नेतन्याहू ने बच्चों को बेरहमी से मार डाला। अब वे छाती पीट रहे हैं कि ईरान हमारी मानव बस्तियों पर हमला कर रहा है। दुनिया इजरायल पर हुए भयानक हमले को देख रही है। इजरायल के
सभी सुरक्षा कवचों को भेदते हुए
हमले जारी हैं। इमारत की छतों पर आयरन डोम बैटरियां रखी गई थीं। इस पर सबसे ज्यादा और सबसे अचूक हमले किए गए। इजरायल और उसके समर्थकों को इसकी उम्मीद शायद नहीं थी। गाजा पट्टी में किए नरसंहार जैसा ही ‘पैटर्न’ ईरान पर इस्तेमाल करके ईरान के तेल कुओं पर कब्जा करने की अमेरिका और इजरायल की संयुक्त योजना रही होगी। ईरान ने सब कुछ उल्टा-पुल्टा कर दिया। भारत ने अमेरिका की फौजदारी और दादागीरी को स्वीकार किया, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप को फटकार दिया। पूर्व अमेरिकी सेना प्रमुख और नाटो कमांडर वेस्ली क्लार्क ने एक खुलासा कर अमेरिका का चेहरा बेनकाब किया है। क्लार्क का कहना है कि पिछले पांच सालों में अमेरिका ने सात देशों में तख्तापलट की योजना बनाई थी। ये देश हैं इराक, सीरिया, सूडान, लेबनान, लीबिया, सोमालिया और ईरान, लेकिन जब ईरान के खुमैनी सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं हुए तो इजरायल ने युद्ध शुरू कर दिया। इससे पहले पुतिन कह चुके हैं कि अमेरिका पूरी दुनिया में युद्ध चाहता है। इसके चलते कई देशों में चिंगारियां उड़ रही हैं। भारत जैसे देश ने अमेरिका के सामने ‘सरेंडर’ कर दिया है। अमेरिका युद्ध की स्थिति पैदा करता है, नहीं तो वह ऐसी सरकारें और प्रधानमंत्री बनाता है जो ‘सरेंडर’ करते हैं। दुनिया की यह तस्वीर असंतुलन पैदा करनेवाली है। यह देखना बाकी है कि ईरान-इजरायल युद्ध का अंतिम परिणाम क्या होगा, लेकिन दोनों तरफ इंसानों की नाहक जान जा रही है। नेतन्याहू के जान बचाने के लिए दूसरे देश भाग जाने की खबर भी चिंताजनक है। लोग मरते हैं और नेता युद्धभूमि से भाग जाते हैं।

जिम ट्रेनर बेच रहे हैं घातक ड्रग्स…युवाओं को बॉडी बनाने के लिए दे रहे हैं घोड़े का इंजेक्शन!.. युवक हो रहे बीमार, कई बीमारियों की चपेट में

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई के कई कॉलेज छात्र और युवा बॉडी बनाने के चक्कर में घातक ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ, जब कई युवा छात्र गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए। हैरान कर देनेवाली बात तो यह है कि एक दो नहीं, बल्कि ऐसे सैकड़ों युवा जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। चौंका देनेवाली जानकारी जो सामने आई है, वह यह है कि बिना थके घंटों तक कसरत करना और कम समय में आकर्षक बॉडी बनाने के लालच में एडोनोसिक मानोफॉस्फेट नाम का इंजेक्शन लिया जा रहा है। इसे हॉर्स पॉवर डोज कहा जाता है। असल में यह इंजेक्शन रेस वाले घोड़ों को लगाया जाता है, ताकि उनकी परफॉर्मेस में सुधार हो। इन दिनों बॉडी बनाने का शौक रखनेवाले कॉलेज छात्रों और युवाओं में इसका प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है। सबसे ज्यादा हैरान कर देनेवाली बात यह है कि युवाओं को इस इंजेक्शन का रास्ता कोई और नहीं, बल्कि जिम ट्रेनर दिखा रहे हैं, जबकि एडेनोसिक मोनोफॉस्फेट इंजेक्शन पर पाबंदी लगी हुई है।
युवाओं के शौक का फायदा उठा रहे हैं जिम ट्रेनर!
इन दिनों बॉडी बनाने का शौक यंग जनरेशन में कुछ ज्यादा ही पाया जा रहा है। जिम ट्रेनर इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं और मालामाल हो रहे हैं। इंजेक्शन को दो हजार से ढाई हजार रुपए में चोरी छिपे बेचा जाता है।
हाल ही में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बोरीवली, अंधेरी और मीरा रोड स्थित जिमों में छापेमारी की थी, जिसमें लाखों रुपए के प्रतिबंधित इंजेक्शन पाए गए थे। घातक ड्रग्स के सेवन का तेजी से बढ़ रहे क्रेज का व्खुलासा तब हुआ, जब कई कॉलेज छात्र और युवा कई खतरनाक बीमारियों का शिकार हुए। पीड़ितों का कहना है कि शुरुआत में इस इंजेक्शन को लगाने के बाद काफी एनर्जिक अहसास हुआ और शरीर में बड़ी तेजी से मसल्स बढ़ने लगे, लेकिन धीरे-धीरे इसके नुकसान नजर आने लगे। कई लड़कों में शरीर के कुछ आतंरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जबकि कुछ युवाओं के लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ा है।

पालघर में शर्मसार हुई इंसानियत…स्वास्थ्य व्यवस्था कोमा में… एंबुलेंस नहीं मिलने से कोख में बच्चे की मौत!

-प्लास्टिक थैली में शिशु का शव ८० किमी दूर लेकर आया पिता

द्रुप्ति झा / पालघर

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे पालघर जिले में चिकित्सा की लापरवाही की पोल खोलती तस्वीरें इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैं। वक्त पर एंबुलेंस नहीं मिलने से एक शिशु की कोख में ही मौत हो गई। अस्पताल से भी घर आने के लिए जब एंबुलेंस नहीं मिली तो पिता शिशु के शव को प्लास्टिक की थैली में लेकर ८० किलोमीटर अपने घर लेकर आया, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया।
६ घंटे एंबुलेंस का इंतजार
यह मामला पालघर के मोखाडा तालुका के एक गांव का है, जहां दो दिन पहले अविता सखाराम कवर नाम की एक गर्भवती महिला को असहनीय पीड़ा होने लगी। परिजनों ने १०८ नंबर पर कॉल किया। ६ घंटे बीत जाने के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिजनों ने उसे निजी वाहन से खोडाला अस्पताल में भर्ती कराया।
खोडाला अस्पताल की शर्मनाक करतूत!
पालघर जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है। वक्त पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक शिशु की कोख में ही मौत हो गई। जब किसी तरह महिला को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया तब तक महिला की स्थिति गंभीर हो चुकी थी। ऐसे में वहां के डॉक्टरों ने उसे नासिक ले जाने को कहा। इस मामले में पूर्व विधायक सुनील भुसारा ने आरोप लगाया है कि खोडाला में डॉक्टरों को पता चल गया था कि महिला के पेट में बच्चे की मौत हो चुकी है तो उन्होंने उसे नासिक क्यों भेजा?
बता दें कि स्थानीय डॉक्टरों ने जब उसे नासिक ले जाने को कहा तो महिला के परिजन निजी वाहन से उसे नासिक ले गए। वहां सिविल अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि कोख में शिशु की मौत हो चुकी थी। इसके बाद मृत बच्चे के शव को घर लाने के लिए परिजनों को नासिक से भी जब एंबुलेंस नहीं मिली तो पिता प्लास्टिक थैली में शिशु के शव को रखकर उसे एसटी से घर ले गया। इस घटना से जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग पर कई सवाल उठने लगे हैं।
जिला प्रशासन की लापरवाही
इस घटना को लेकर राकांपा (शरद चंद्र पवार) के पूर्व विधायक सुनील भुसारा ने आरोप लगाया है कि खोडाला में डॉक्टरों को पता चल गया था कि महिला के पेट में बच्चे की मौत हो चुकी है तो उन्होंने उसे नासिक क्यों भेजा? चिकित्सा विभाग की ओर से हर बार ऐसी गलतियां हो रही हैं। समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने का कारण जिला प्रशासन की लापरवाही है। भुसारा ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीणों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है।

‘ईडी’ सरकार सुधरने को तैयार नहीं… अब छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास की जमीन धंसी!.. घटिया निर्माण के चलते गत अगस्त में ढह गई थी मूर्ति

सुनील ओसवाल / मुंबई

मालवण में राजकोट किले पर नवनिर्मित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के चबूतरे में गड्ढा होने की चौंकानेवाली घटना सामने आई है। प्रतिमा की बार्इं ओर एक बड़ा गड्ढा बन गया है। वहां जमीन काफी नीचे धंस गई है। इससे पता चला है कि चबूतरे के आसपास का निर्माण घटिया गुणवत्ता का है, जो सरकार द्वारा किए गए दावों की पोल खोलता है। इस संबंध में एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराज की प्रतिमा के गिरने का कोई खतरा नहीं है, बल्कि केवल बगल में गड्ढा बन गया है। इस घटना के बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि चबूतरे के आसपास का काम घटिया गुणवत्ता का हुआ है या नहीं।
बता दें कि मालवण में राजकोट किले पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की ४० फुट ऊंची प्रतिमा २६ अगस्त २०२४ को घटिया निर्माण के कारण ढह गई थी। इस घटना के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद महायुति सरकार ने बड़े ही धूमधाम से मूल स्थल पर नई भव्य प्रतिमा स्थापित की। तलवार सहित प्रतिमा की कुल ऊंचाई ८३ फुट है और चबूतरे की ऊंचाई १० फुट है।
इस नई प्रतिमा का अनावरण मई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया था। हालांकि, महज एक महीने में ही प्रतिमा के पास जमीन धंसने की घटना सामने आई है।
निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवाल
चबूतरे के किनारे एक बड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है और इस संबंध में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने बड़ी हड़बड़ी शुरू कर दी है। हालांकि, राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के चबूतरे से सटी जमीन धंस गई है, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल प्रतिमा को कोई खतरा नहीं है। इस प्रतिमा के आधार के पास की भूमि के धंसने से एक बार फिर प्रशासन और निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

दादा की बढ़ रही है लालसा… बनना चाहते हैं चीनी मिल के अध्यक्ष!.. वोटरों को लुभाने के लिए थैली खोलने का लगा आरोप

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की लालसा बढ़ती जा रही है। उन्हें डीसीएम से ज्यादा एक चीनी मिल का अध्यक्ष बनने में रुचि है। तभी तो मालेगांव सहकारी शुगर मिल के चुनाव में दादा ने सीधे अपना नाम आगे किया है। अजीत पवार वहां अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनका कहना है कि यहां इस पैâक्ट्री का अध्यक्ष मैं ही बनूंगा।
बता दें कि मालेगांव शुगर पैâक्ट्री के चुनाव को लेकर अजीत पवार गुट और राकांपा (शरद चंद्र पवार) में कड़ी प्रतिस्पर्र्धा दिख रही है। उनकी इस इच्छा को लेकर विरोधियों ने तगड़ा तंज कसा है। राकांपा (शरद चंद्र पवार) के चंद्रकांत तावरे ने सवाल किया है कि मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा छोड़कर अब शुगर पैâक्ट्री के अध्यक्ष बनने दौड़ पड़े हैं, इससे क्षेत्र में उनकी क्या प्रतिष्ठा रह गई? तावरे ने कहा अगर अजीत पवार को लोगों का भला करना ही था, तो उन्होंने छत्रपति सहकारी कारखाने के जरिए क्यों नहीं किया? जो कारखाने उनके हैं, उन्हें अच्छे दाम क्यों नहीं देते?
पैसों की जरूरत नहीं
अजीत पवार ने कहा अगर चेयरमैन मैं रहूं, तो शुगर कमिश्नर और सहकार मंत्री क्या कर लेंगे? अगर मैं चेयरमैन बना तो मजदूरों की समस्याएं सही तरीके से हल करूंगा। उन्होंने कहा कि अजीत पवार को पैसों की जरूरत नहीं, बाप-दादाओं की कृपा से सबकुछ अच्छा चल रहा है। मुझे सत्ता की भूख नहीं है।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
इस चुनाव प्रचार के दौरान दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। अजीत पवार के सीधे हस्तक्षेप के बाद अब यह चुनावी जंग शब्दों की जंग में तब्दील हो गई है। इस चुनाव में चार पैनल आमने-सामने हैं।

किसान कर्जमाफी संभव नहीं… फाइनेंसियल क्राइसिस में सरकार!.. वरिष्ठ मंत्री की स्वीकारोक्ति

रामदिनेश यादव / मुंबई

राज्य में राजनीतिक लाभ के लिए महायुति सरकार तमाम खर्चीली योजनाओं को शुरू कर सरकारी खजाने को खाली कर दिया है। आज स्थिति यह है कि किसी विशेष काम के लिए भी सरकार कर्ज का इंतजार करती है। राज्य सरकार फाइनेंसियल क्राइसिस से गुजर रही है। एक वरिष्ठ मंत्री ने यह स्वीकार किया है कि सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही है। उस मंत्री ने दबी जुबान में कहा कि लाडली बहन योजना से सरकार की तिजोरी पर सबसे अधिक बोझ बढ़ा है।
मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा कि राज्य चलाते समय ‘लाडली बहन’ योजना के कारण जो आर्थिक बोझ आ रहा है, उसी वजह से किसानों को कर्जमाफी में देरी हो रही है। सरकार जो भी निर्णय लेगी, वह सभी किसानों के हित में ही होगा। प्रकाश आबिटकर ने कहा कि सरकार कर्जमाफी में जानबूझकर देरी नहीं कर रही है, हमें यह समझना चाहिए कि इस समय सरकार पर वित्तीय हालात खराब है।
उन्होंने किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर अनशन कर रहे प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू एक जुझारू नेता हैं, जो किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं इसलिए उनकी तबीयत भी महत्वपूर्ण है। इसीलिए उन्हें आश्वस्त कर भूख हड़ताल को खत्म कराया गया। बता दें कि छह महीने पहले राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में महायुति को सबसे बड़ी सफलता मिली। इस चुनाव के समय महायुति के नेताओं ने राज्य की महिलाओं को ‘लाडली बहन योजना’ के तहत हर महीने २,१०० रुपए की आर्थिक सहायता देने का वादा किया था। साथ ही किसानों की कर्जमाफी का भी आश्वासन दिया गया था। राज्य में महायुति की सरकार बने छह महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक ये वादे पूरे करने में सरकार सफल नहीं हुई है। खास बात यह है कि लाडली बहन योजना से राज्य सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा है।

गोगावले का राजनीतिक चरित्र गंदा!.. परांजपे ने की भरत के विभाग की जांच की मांग

सामना संवाददाता / मुंबई

महायुति सरकार में इन दिनों शामिल तीनों दलों के बीच घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रायगढ़ जिले के पालकमंत्री पद को लेकर अजीत पवार गुट के साथ भी संघर्ष जारी है। शिंदे गुट पर अजीत पवार गुट हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता है। हाल ही में शिंदे गुट के मंत्री भरत गोगावले ने शिवसेना और अजीत पवार गुट पर हमला क्या बोला, अजीत पवार गुट के नेता व प्रवक्ता आनंद परांजपे ने तो पूरी तरह से गोगावले को लताड़ दिया।
परांजपे ने कहा कि जिस शिवसेना ने ही तुम्हें पहचान दी, राजनीति में ऊपर लाया और अब उन्हीं पर इस प्रकार के आरोप लगाकर तुमने यह साबित कर दिया है कि तुम्हारा राजनीतिक चरित्र गंदा है। शिवसेना पर कुछ भी आरोप लगाना बिल्कुल गलत है। मैं भी शिवसेना में काम कर चुका हूं, लेकिन तुम्हारी तरह गद्दारी कभी नहीं किया। आगे बोलते हुए परांजपे ने कहा कि जिला परिषद के सभापति से लेकर विधायक बनने तक शिवसेना ने तुम्हें पहचान दी। अगर अब तुम वही पहचान भूल गए हो, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और अगर शिवसेना ने तुम्हें बड़ा किया है, तो ऐसे शिवसेना पर आरोप लगाना तुम्हारे राजनीतिक चरित्र पर सवाल उठाता है। ऐसा तीखा प्रहार आनंद परांजपे ने भरत गोगावले पर किया। इसी के साथ ही परांजपे ने सीएम फडणवीस से गोगावले के विभाग की जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा कि तमाम सिंचाई परियोजनाओं की उनके क्षेत्र में जांच की जानी चाहिए।

चुनाव में बावनकुले की मैच फिक्सिंग…बेईमानी से की जीत हासिल… कांग्रेस के आरोप से आगबबूला हुए भाजपाई

सामना संवाददाता / मुंबई

कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र की विधानसभा भाजपा ने वोटों की ‘चोरी’ की है। उन्होंने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के कामठी विधानसभा क्षेत्र का उल्लेख किया था, जिसके बाद कांग्रेसी आक्रामक हो गए हैं। कांग्रेस नेता सुरेश भोयर ने आरोप लगाया कि चुनाव में बावनकुले ने मैच फिक्सिंग की है।
उनके इस आरोप लगने के बाद भाजपाई खफा हो गए हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुरेश भोयर को भाजपा नेताओं ने झूठा करार दिया है। भाजपाइयों ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सभी पार्टियों के पदाधिकारियों और मतदाता पंजीकरण अधिकारियों की बैठक में कांग्रेस के नेता सो रहे थे क्या? अगर फर्जी मतदाता बनाए गए थे तो उसी समय आपत्ति क्यों नहीं जताई गई, ऐसा सवाल भाजपा ने कांग्रेस से पूछा है।
बता दें कि राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के कामठी विधानसभा क्षेत्र का उल्लेख किया था। इस पर बावनकुले ने कहा था। इस विवाद के बीच कांग्रेस के कामठी से उम्मीदवार सुरेश भोयर ने आरोप लगाया कि महज १५ दिनों में मतदाता सूची में १२ हजार नाम ऑनलाइन जोड़े गए, साथ ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मजदूरों को मतदाता बनाया गया। इस तरह उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया कि बावनकुले ने बेईमानी से जीत हासिल की।

मीरा-भायंदर में हो रहा है मैंग्रोव्ज का विनाश!..वन विभाग की निष्क्रियता के खिलाफ आंदोलन…२० जून को विभागीय कार्यालय पर धरना देंगे पर्यावरण प्रेमी

सुरेश गोलानी / मुंबई

मीरा-भायंदर क्षेत्र में मैंग्रोव्ज वनों के हो रहे विनाश की लगातार बढ़ती घटनाओं के बावजूद उसे रोकने में प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों ने रविवार सुबह शांतिपूर्ण तरीके से अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। भायंदर में मैंग्रोव्ज वनों की स्वैच्छिक सफाई के दौरान निकले कचरे से युवा पर्यावरण प्रेमियों ने वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों की जनविरोधी रवैए की कड़ी निंदा करते हुए बीट कार्यालय के बाहर एक संदेश लिखा कि ‘अक्षय गजभिये जनता के सेवक हैं, राजा नहीं’।
ज्ञात हो कि अक्षय गजभिये उप वन संरक्षक (डीसीएफ) पद पर कार्यरत हैं। विरोध प्रदर्शन में शामिल पर्यावरण प्रेमी हर्षद ढगे का आरोप है कि शहर में वन क्षेत्र के विनाश के बारे में नागरिकों की सैकड़ों शिकायतों के बावजूद, रेंज वन अधिकारी ( आरएफओ), प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) और डीसीएफ न सिर्फ उनकी अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवालों का जवाब देने में आनाकानी और आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी से भी पेश आते हैं। लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए गजभिये ने दावा किया है कि वन विभाग से संबंधित सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन जो क्षेत्र राजस्व एवं अन्य विभागों के अधीन होते हैं, हम उस विभाग से जुड़े अफसरों को उसकी आधिकारिक जानकारी देने का काम करते हैं। उच्च न्यायालय ने मैंग्रोव्ज सुरक्षा और संरक्षण हेतु स्पष्ट तौर से कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें विनाश और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सीसीटीवी द्वारा निगरानी, मानचित्रण (मैपिंग), सुरक्षात्मक दीवारें और गश्ती प्रणाली का प्रमुखता से समावेश है।
हाई कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन नहीं
पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि इनमें से ज्यादातर दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन नहीं किया गया है। डीसीएफ गजभिये और न्यायालय के आदेश का बार-बार उल्लंघन करनेवाले अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा दिशा-निर्देशों का तत्काल अनुपालन की मांग करते हुए पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिन के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो २० जून को मैंग्रोव्ज विभागीय कार्यालय पर धरना दिया जाएगा।

मैंग्रोव काटकर फाइव स्टार होटल की थी योजना… भाजपा नेताओं के मंसूबे नाकाम!… ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से फिरा पानी…पर्यावरणविदों ने जताया संतोष

सामना संवाददाता / मुंबई

भाजपा के कुछ कथित नेताओं ने हजारों मैंग्रोव काटकर और जैव विविधता को नष्ट करके केगांव खाड़ी में फाइव स्टार होटल बनाने की योजना बनाई थी। हालांकि, ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद यह योजना नाकाम हो गई है। मैंग्रोव विभाग के अधिकारियों ने बड़ी संख्या में बल तैनात कर इस खाड़ी में १०० मीटर तक समुद्र में मौजूद पत्थर और मिट्टी की रुकावट को हटा दिया है। इस कार्रवाई के बाद पर्यावरणविदों ने संतोष जताया है।
उरण-पनवेल के कुछ भाजपा नेताओं ने केगांव ग्राम पंचायत की सीमा में समुद्र तट पर सर्वे क्रमांक २३८, क्रमांक १२ में फाइव स्टार होटल बनाने की योजना बनाई थी। मुंबई से पर्यटकों को समुद्र के रास्ते लाने के लिए स्पीड बोट के लिए जेटी बनाने की भी योजना थी। इसके लिए सत्ता का दुरुपयोग कर समुद्र में ही १०० मीटर गहरा, २.५ मीटर चौड़ा और एक मीटर ऊंचा पत्थर व मिट्टी का भराव कर दिया गया। सीआरजेड का उल्लंघन कर इस अवैध भराव के लिए बड़ी संख्या में मैंग्रोव का वध किया गया। इस मामले में स्थानीय लोगों व मछुआरों की शिकायत के बाद लघु उद्योग पारंपरिक मत्स्य श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकुमार पवार ने मैंग्रोव वन सुरक्षा व संरक्षण समिति में शिकायत दर्ज कराई थी। वन विभाग व मैंग्रोव वन सुरक्षा व संरक्षण समिति ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था, लेकिन कार्रवाई करने से जानबूझकर परहेज किया गया। इसके चलते नंदकुमार पवार ने पुणे स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट में अपील की थी। मछली प्रजनन स्थल साफ किए गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद मैंग्रोव वन विभाग ने लगातार तीन दिनों तक कार्रवाई करते हुए पत्थर व मिट्टी के भराव को हटाने व स्थल को बहाल करने के लिए पोकलेन, जेसीबी व डंपर का इस्तेमाल किया है। वन विभाग मैंग्रोव सेल के अधिकारी किशोर सोनावणे ने यह जानकारी दी। इससे मछली प्रजनन स्थल भी खाली हो गए हैं। नंदकुमार पवार ने कहा कि इससे पर्यावरणीय क्षरण को कम करने में भी मदद मिलेगी और स्थानीय मछुआरों को लाभ होगा।