सुरेश गोलानी / मुंबई
मीरा-भायंदर क्षेत्र में मैंग्रोव्ज वनों के हो रहे विनाश की लगातार बढ़ती घटनाओं के बावजूद उसे रोकने में प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों ने रविवार सुबह शांतिपूर्ण तरीके से अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। भायंदर में मैंग्रोव्ज वनों की स्वैच्छिक सफाई के दौरान निकले कचरे से युवा पर्यावरण प्रेमियों ने वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों की जनविरोधी रवैए की कड़ी निंदा करते हुए बीट कार्यालय के बाहर एक संदेश लिखा कि ‘अक्षय गजभिये जनता के सेवक हैं, राजा नहीं’।
ज्ञात हो कि अक्षय गजभिये उप वन संरक्षक (डीसीएफ) पद पर कार्यरत हैं। विरोध प्रदर्शन में शामिल पर्यावरण प्रेमी हर्षद ढगे का आरोप है कि शहर में वन क्षेत्र के विनाश के बारे में नागरिकों की सैकड़ों शिकायतों के बावजूद, रेंज वन अधिकारी ( आरएफओ), प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) और डीसीएफ न सिर्फ उनकी अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवालों का जवाब देने में आनाकानी और आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी से भी पेश आते हैं। लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए गजभिये ने दावा किया है कि वन विभाग से संबंधित सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन जो क्षेत्र राजस्व एवं अन्य विभागों के अधीन होते हैं, हम उस विभाग से जुड़े अफसरों को उसकी आधिकारिक जानकारी देने का काम करते हैं। उच्च न्यायालय ने मैंग्रोव्ज सुरक्षा और संरक्षण हेतु स्पष्ट तौर से कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें विनाश और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सीसीटीवी द्वारा निगरानी, मानचित्रण (मैपिंग), सुरक्षात्मक दीवारें और गश्ती प्रणाली का प्रमुखता से समावेश है।
हाई कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन नहीं
पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि इनमें से ज्यादातर दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन नहीं किया गया है। डीसीएफ गजभिये और न्यायालय के आदेश का बार-बार उल्लंघन करनेवाले अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा दिशा-निर्देशों का तत्काल अनुपालन की मांग करते हुए पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिन के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो २० जून को मैंग्रोव्ज विभागीय कार्यालय पर धरना दिया जाएगा।