कब्र पर जाकर बोला जो किया, सही किया!.. हत्यारे को २५ बाद भी नहीं है पछतावा

यूके के नॉरफॉक शहर के एमनेथ हंगेट गांव में १९९९ में हुई हत्या के मामले में एक किसान की सजा पूरी हो चुकी है। किसान का नाम टोनी मार्टिन है। इस शख्स को अपने किए पर पछतावा नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार, अगस्त १९९९ में जब वो ५४ साल का था, तब उसने दो लोगों को गोली मारी थी। उनमें से एक १६ वर्षीय प्रâेड बारास की मौत हो गई थी, जबकि २९ साल के ब्रेंडन फियरन की जान बच गई थी। उसी हत्या मामले में सजा पूरी होने के बाद प्रâेड की कब्र पर वो गया और कहा कि जो भी किया, सही किया। से अपने किए का पछतावा नहीं है।
बता दें कि रात के समय दो लोग टोनी के घर में चोरी के इरादे से घुसे थे। टोनी ने दोनों को शूट कर दिया। टोनी को ३ मिलियन डॉलर (२५,१८,५३,१५० रुपए) का घर अपनी चाची से विरासत में मिला है। वो इसकी रखवाली कर रहा था। सोते समय टोनी को आवाजें आई, जिसके बाद वो सीढ़ियों पर आया। उसने चोरों को देखा और गोली चला दी। टोनी ने कोर्ट में दलील दी थी कि चेतावनी के तौर पर गोली चलाई थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें हत्या का दोषी पाया।
टोनी को अब भी उम्मीद है कि एक न एक दिन उनको निर्दोष घोषित किया जाएगा। वे न्याय व्यवस्था को सही नहीं मानते। कहते हैं कि खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी ऊर्जा खर्च कर दी। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। आप अपने घर में सोते समय कैसे दोषी हो सकते हैं? क्या अपनी निजी जगह की रक्षा करने की कोशिश करना गलत है? मार्टिन अब ७९ साल के हो चुके हैं। टोनी बताते हैं कि वे अपनी मां से मिलकर आए थे। घर आकर शराब पी और सो गए।
रात को उन्होंने शोर सुना। फिर लंबे समय से अखबारों में छिपाई बंदूक निकाली और बाहर की तरफ आए। अगले दिन यूके पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया। जेल जाने के बाद उनकी मां हिलेरी की भी मौत हो गई। वे एक संन्यासी की तरह सजा काटने के बाद रिहा हुए। एक समय तो वे अपनी कार में सोने लगे थे। वे मानते हैं कि चोरों के लिए सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। प्रâेड के पैर और पीठ में गोली लगी थी, जिससे मौके पर ही मौत हो गई। ब्रेंडन फियरन के पैर में गोली लगी। बाद में उसे भी संपत्ति में चोरी करने की साजिश में तीन साल की जेल हुई। नॉर्विच क्राउन कोर्ट ने टोनी को सजा सुनाई थी।

आंगनवाड़ी सेविकाओं का आज से अनिश्चितकालीन धरना!.. २१ अगस्त से राज्यव्यापी मोर्चे में दो लाख सेविकाएं

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

घाती सरकार द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं पर लगातार दमन जारी है। इसके तहत मजबूरन प्रदेश की दो लाख सेविकाओं को अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले साल से ही मोर्चा, धरना और हड़ताल करने के बावजूद घाती सरकार ने न तो इनके मानधन में वृद्धि की और न ही अन्य मांगों की पूर्ति ही की। इससे अब आंगनवाड़ी सेविकाएं और आक्रामक रुख अख्तियार करने जा रही हैं। इसके तहत कल से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठने जा रही हैं। इसके साथ ही २१ अगस्त से दो लाख आंगनवाड़ी सेविकाएं मोर्चा निकालते हुए घाती सरकार को घेरेंगी।
घाती सरकार का झुनझुना
उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर ४ दिसंबर २०२३ से २५ जनवरी २०२४ तक ५२ दिनों की राज्यव्यापी हड़ताल की थी। हड़ताल के दौरान महिला व बाल विकास मंत्री ने लिखित आश्वासन दिया था कि पहले आशा सेविकाओं के मानधन में वृद्धि की जाएगी। उसके बाद आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन को भी बढ़ाया जाएगा। फिलहाल, घाती सरकार ने १४ मार्च २०२४ को आशा सेविकाओं के मानधन में ५,००० रुपए प्रति माह की वृद्धि का निर्णय लिया है। ऐसे में आंगनवाड़ी सेविकाओं को भी आशा सेविकाओं के समान मानधन में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन इस सरकार ने अभी तक आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव ही नहीं दिया है। इससे आंगनवाड़ी सेविकाएं चिंतित हैं कि अगर अगस्त में वेतन में वृद्धि का निर्णय नहीं लिया गया, तो विधानसभा चुनावों के कारण आचार संहिता लागू हो जाएगी और उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा। ५२ दिनों तक चले हड़ताल के बाद आंगनबाड़ी सेविकाओं को केवल आश्वासन का झुनझुना पकड़ाकर घाती सरकार ने हड़ताल खत्म करा दिया था। लेकिन आज तक घाती सरकार ने उन आश्वासनों को पूरा नहीं किया है।

विनाश की ओर बढ़ रही पृथ्वी!

-नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन से हुआ खुलासा

जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी तेजी से विनाश की ओर बढ़ रही है। धरती की कई प्रणालियों को टिपिंग का खतरा है। पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) के शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आया कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी की अहम प्रणालियों जैसे बर्फ की चादरें और महासागरीय परिसंचरण पैटर्न के टिपिंग तत्वों में भारी अस्थिरता आ रही है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है। जलवायु विज्ञान में टिपिंग प्वाइंट एक महत्वपूर्ण सीमा है, जिसे पार करने पर जलवायु प्रणाली में बड़े, त्वरित और अक्सर अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं।
शोध के नतीजे बताते हैं कि १.५ डिग्री से अधिक तापमान के हर दसवें हिस्से के साथ टिपिंग के खतरों में वृद्धि होती है। यदि दो डिग्री से अधिक वैश्विक तापमान बढ़ जाए तो टिपिंग के खतरे और भी तेजी से बढ़ेंगे। वर्तमान जलवायु नीतियों के चलते दुनियाभर में इस सदी के अंत तक तापमान के लगभग २.६ डिग्री तक बढ़ने का अनुमान है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगले २० से ३० सालों मे पृथ्वी का तापमान टिपिंग प्वाइंट तक पहुंच जाएगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक, आने वाली शताब्दियों और उससे आगे भी टिपिंग के खतरों को प्रभावी रूप से सीमित करने के लिए हमें नेट-जीरो या कुल शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को हासिल करना और इसे बनाए रखना होगा।

शिक्षा के मंदिर में अश्लीलता

स्कूल-कॉलेज को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, लेकिन आज के हालात में यहां ऐसे भी काम हो रहे हैं, जो इंसानियत को शर्मसार कर देंगे। नोएडा में एक स्कूल में स्टूडेंट्स के बीच किसिंग का एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है। यहां के स्कूल में छात्र-छात्राएं भरी क्लास में एक-दूसरे को किस कर रहे हैं। उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं कि आस-पास कई स्टूडेंट्स भी बैठे हैं। उन्हें ये भी परवाह नहीं है कि वह शिक्षा के मंदिर में बैठे हैं, जहां वह पढ़ने के लिए आए हैं। नोएडा यूनिवर्सिटी का भी हाल कुछ अलग नहीं है। यहां कॉलेज वैंâपस में ही छात्र-छात्राएं इश्क फरमाने लगे हैं। कॉलेज के कॉरिडोर में प्रेमी युगल का किस करते हुए वीडियो वायरल हो रहा है। कॉलेज में ऐसी हरकतें हो रही हैं, लेकिन न शिक्षकों और न कॉलेज प्रशासन कोई सख्ती कर रहा है।
वायरल हो रहे वीडियो में एक छात्र और छात्रा यूनिवर्सिटी की एक सुनसान जगह पर किस करते हुए नजर आ रहे हैं। दोनों इतने मशगूल हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता कि कोई उनका वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस कब तक चुप रहेंगे।
पुलिस ने वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वीडियो नोएडा की किस यूनिवर्सिटी का है। सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ का कहना है कि इस तरह का वीडियो रिकॉर्ड करना कानूनन अपराध है, जबकि अन्य का कहना है कि इन छात्रों और यूनिवर्सिटी पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।

युवक ने इंस्टाग्राम व टिकटॉक पर किया केस

कनाडा के एक २४ वर्षीय युवक ने इंस्टाग्राम, टिकटॉक व यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को `बहुत ज्‍यादा लत लगाने वाला’ बताते हुए उन सबके खिलाफ मुकदमा किया है। युवक का कहना है कि इन प्लेटफॉर्म्स के कारण उसकी कलात्मकता बर्बाद हुई है। उसने अपनी शारीरिक छवि के प्रति भी नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर लिया है।
प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ कनाडाई युवक ने शिकायत दर्ज कराई है। इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब जैसे दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ युवक ने शिकायत दर्ज कराई है। इनके डिज़ाइन लोगों को इनका आदी बनाते हैं और यह उपयोगकर्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य और रचनात्मकता को प्रभावित करते हैं, शिकायत में कहा गया है। मॉन्ट्रियल निवासी २४ वर्षीय युवक ने यह शिकायत दर्ज कराई है। २०१५ से टिकटॉक, यूट्यूब, रेडिट, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे ऐप्स का उपयोग करने की बात शिकायत में कही गई है।
शिकायत में कहा गया है- इनके उपयोग ने उनकी क्षमताओं की प्रगति और गतिविधियों और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
ऐप्स की लत ही इसका कारण है और लोगों में डोपामाइन का स्तर बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को घंटों ऐप्स से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करने के लिए इन्हें इस तरह से डिज़ाइन किया गया है, शिकायतकर्ता ने बताया। कानूनी फर्म लैम्बर्ट एवोकाट्स शिकायतकर्ता को कानूनी सहायता प्रदान कर रही है। शिकायतकर्ता को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले संगठन के वकील के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का डिज़ाइन लोगों को ऐप्स पर अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करेगा। २०२४ में लोग सोशल मीडिया पर जितना समय बिताएंगे, उसकी गणना करें तो यह ५०० मिलियन वर्ष लंबा होगा, ऐसा अनुमान है। यह इस बात का प्रमाण है कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता देना चाहिए, वकील ने कहा।
सोशल मीडिया एप्लिकेशन का मौजूदा डिज़ाइन उपभोक्ताओं के मानसिक परेशानियों का फायदा उठा रहा है, एवोकाट्स का तर्क है। इससे उनके दैनिक जीवन पर असर पड़ेगा और इसके खिलाफ मुआवजे और कार्रवाई की मांग को लेकर केस दर्ज कराया गया है, उन्होंने कहा। कनाडा में सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ फिलहाल कई मामले चल रहे हैं। यह मामला भी उसी कड़ी का हिस्सा है।

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट… खुली अडानी और सेबी की पोल… संजय सिंह ने केंद्र सरकार को घेरा..आम लोगों के डूबे थे ८ लाख ५० हजार करोड़

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बाद राजनीतिक दलों की तरफ से बयान आने शुरू हो गए हैं। विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेरने में लगा है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश के लोगों के हजारों करोड़ रुपए डूब गए। फर्जी कंपनी से हजारों करोड़ निकाले गए। अडानी कंपनी का शेयर बढाया गया। नई रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले।
उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की पिछली रिपोर्ट में बताया गया था कि गौतम अडानी ने मनी लॉन्ड्रिंग करके हजारों करोड़ रुपए मॉरीशस में फर्जी कंपनियां बनाकर लगाए। इन्हीं फर्जी कंपनियों के जरिए अडानी कंपनी का शेयर बढ़ाया गया। वहीं जब इसकी पोल खुली तो देश के करोड़ों आम आदमी का आठ लाख ५० हजार करोड़ डूब गया। यह पैसा अडानी का नहीं बल्कि देश के आम लोगों का था। जब मैंने सदन में इसके खिलाफ आवाज उठाई और घोटाले का खुलासा किया तो मोदी सरकार ने मुझे जेल भेज दिया।
आप सांसद ने कहा कि हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में अडानी और सेबी के सांठगांठ की पोल खुल गई है। हिंडनबर्ग की पिछली रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को इस मामले की जांच का आदेश दिया। सेबी ने मई २०२३ में कोर्ट को बताया, यह एक दिशाहीन जांच है। हुजूर गड़बड़ी तो हुई है लेकिन यह नहीं बता सकते कि यह गड़बड़ी किसने की है। सेबी और उसके अध्यक्ष ने कोर्ट में यह क्यों बोला, इसका खुलासा हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में हुआ है। हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सेबी की प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने १० मिलियन डॉलर अडानी की उन्हीं कंपनियों में लगाए हैं, जिसकी सेबी को जांच करनी थी।

फैंसी नंबर लेना महंगा `पड़ेगा’…!.. अब वाहन खरीदने वालों से जीएसटी वसूलेगी सरकार

कुछ लोगों को वाहनों के फैंसी नबंर लेने का बहुत शौक होता है। अब यह शौक महंगा पड़ेगा। जी हां, वाहनों पर पसंदीदा नंबर लगवाने का शौक आने वाले दिनों में और महंगा हो सकता है। भारत में फैंसी नंबर प्लेट पर सरकार जीएसटी वसूलने की तैयारी कर रही है। सरकार की योजना फैंसी नंबर प्लेट पर जीएसटी की सबसे ऊंची दर यानी २८ फीसदी लागू करने की है। सूत्रों के मुताबिक, वाहनों में पसंदीदा नंबर प्लेट लगाने पर जीएसटी वसूलने का प्रस्ताव अभी वित्त मंत्रालय को भेजा गया है। प्रस्ताव में वित्त मंत्रालय से पूछा गया है कि क्या फैंसी नंबर या पसंद के नंबर को लग्जरी आइटम माना जा सकता है और उस पर २८ फीसदी की उच्चतम दर से जीएसटी वसूला जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, फील्ड फॉर्मेशन ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या देश में ऐसे फैंसी नंबरों पर जीएसटी पेयेबल है या नहीं। फील्ड फॉर्मेशन का मानना ​​है कि फैंसी नंबर प्लेट लग्जरी आइटम हैं और इसलिए उन पर २८ प्रतिशत की दर से जीएसटी पेयेबल है। वाहनों को नंबर प्लेट या रजिस्ट्रेशन प्लेट उपलब्ध कराने का काम राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
फील्ड फॉर्मेशन क्या है
फील्ड फॉर्मेशन सभी राज्यों और क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालय हैं, जो टैक्स कलेक्शन के लिए जिम्मेदार हैं। टैक्स कलेक्शन के अलावा रीजनल स्ट्रक्चर पर कर संबंधी नियमों को लागू करने और टैक्सपेयर्स के साथ संवाद करने की भी जिम्मेदारी होती है। अगर फील्ड फॉर्मेशन को स्वीकार कर लिया गया तो जल्द ही फैंसी नंबरों पर लोगों का खर्च बढ़ने वाला है।

कुर्ला के रिहायशी इलाके में चल रही रेडी मिक्स कंपनियां…साबित हो रही हैं जानलेवा!.. ओवरलोड ट्रक का टायर फटने से चार घायल

अशोक तिवारी / मुंबई 

कुर्ला कमानी के सुंदर बाग क्षेत्र की आबादी करीब २ लाख से ज्यादा है। सुंदर बाग, अशोक नगर, काजू पाड़ा, हिल नंबर-३ से कमानी जाने के लिए सुंदर बाग रोड ही एकमात्र रास्ता है। इसी सुंदर बाग परिसर में पिछले कुछ वर्षों से स्वास्तिक और स्काइवे नामक दो रेडी मिक्स कंपनियां चलाई जा रही हैं। रिहायशी परिसर में रेडी मिक्स कंपनी चलने की वजह से इस क्षेत्र में प्रदूषण इतना ज्यादा हो गया है कि स्थानीय नागरिकों के सीने में जलन, आंखों में पानी आना, धुंधलापन, दमा और टीबी जैसी बीमारियां तेजी से पैâल रही हैं।
घायलों में बच्चा और महिलाएं शामिल 
बताया जाता है कि शनिवार की रात ८ बजे एक ओवरलोड ट्रक इस कंपनी में आया जो गेट पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था तभी उसका टायर फट गया, जिसकी वजह से वहां से गुजर रहीं तीन महिलाओं समेत एक १० साल का बच्चा उसकी चपेट में आकर घायल हो गए। इस दुर्घटना के बाद कंपनी के खिलाफ स्थानीय नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा और सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब ड्राइवर से लाइसेंस मांगा तो पता चला कि उसके पास लाइसेंस ही नहीं है। वह बिना लाइसेंस के ही कंपनी में काम कर रहा है। जिसके बाद घाटकोपर पुलिस ने  आरोपी ड्राइवर अंकित रोशन चौधरी पर मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
गैरकानूनी ढंग से चलाई जा रही है कंपनी 
स्थानीय समाज सेवक विवेक राय ने बताया कि इस कंपनी के ट्रकों से हफ्ते में एक से दो दुर्घटनाएं होती ही रहती है। दुर्घटना में घायल होने वाले ज्यादातर स्कूली बच्चे होते हैं। रिहायशी परिसर में चल रही रेडी मिक्स कंपनी का मनपा द्वारा ऑडिट भी नहीं किया जाता है। इसके अलावा यह कंपनी गैरकानूनी ढंग से चलाई जा रही है। करीब ६ महीने पूर्व घाटकोपर पुलिस ने इस कंपनी के खिलाफ प्रदूषण पैâलाने का मामला भी दर्ज किया था। स्थानीय नागरिक नरेश तारी ने बताया कि सीमेंट मिक्सिंग कंपनी का पानी गटर में जाता है जिसकी वजह से गटर तुरंत जाम हो जाता है। आलम यह है कि मात्रा १५ मिनट की बरसात में सुंदर बाग इलाका पानी में डूब जाता है। क्योंकि सीमेंट के पानी से गटर पूरी तरफ से चॉकअप हो चुका है।

जानलेवा हो सकते हैं वसई-विरार के नाले…जगह-जगह टूटे हुए हैं ढक्कन…गिरने से कई स्कूली बच्चे हो चुके हैं घायल

राधेश्याम सिंह / वसई

वसई-विरार शहर महानगरपालिका क्षेत्र की ऊबड़-खाबड़ अनेक सड़कें, मुख्य नाले और गटर के ऊपर टूटे व खुले ढक्कन बारिश के समय आम जनता के लिए चिंता के विषय बने हुए हैं। रोड के किनारे बने गटर के ढक्कन टूटे-फूटे होने के कारण आने-जानेवाले स्कूल के छोटे बच्चे कई बार गटर या नाले में गिर जाते हैं, जिसकी वजह से बच्चे घायल हो जाते हैं। इस तरह की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं।
पिछले महीने खुले गटर में गिर जाने से एक १३ वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था। बारिश के समय रोड के किनारे बने गटर पर आने-जानेवाले नागरिकों और स्कूली बच्चों का परेशान होना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि हर साल बारिश के आने से पहले मनपा आयुक्त अधिकारियों को आदेश तो देते हैं, लेकिन ठेकेदार और ठेका अभियंता के आगे लाचार मनपा के अधिकारी एसी केबिन में बैठकर सिर्फ बिल पास करने में ही व्यस्त रहते हैं, इसी कारण हर साल छोटे बच्चे, वृद्ध, आम जनता और वाहन चालक सड़कों पर जलभराव के कारण और खुले गटर में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त होते हैं।
हर साल हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद अधिकारी अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे, ऐसा सवाल आम जनता  कर रही है। इन सब मुद्दों को लेकर समाज सेवक निलेश भट्ट ने मनपा आयुक्त से मांग की है कि सभी ९ प्रभागों के अधिकारियों को नागरिकों की सुरक्षा के लिए उन्हें उनकी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कड़े आदेश जारी करें कि यदि ठेकेदार की लापरवाही के कारण किसी भी निर्दोष व्यक्ति के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। जब तक अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे और निर्दोष नागरिक इसी प्रकार ठेकेदार और अधिकारियों की लापरवाही के शिकार बनते रहेंगे।

योगी के खिलाफ मौर्य का नया मोर्चा!

-सीएम की कुर्सी छीनने के लिए नई रणनीति तैयार

-लगातार संगठन को बता रहे सरकार से बड़ा

सामना संवाददाता / लखनऊ

लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के अंदर जारी कलह अभी भले ही शांत दिखाई दे रही हो लेकिन सच कुछ और है। सूत्रों की मानें तो यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी के खिलाफ नई रणनीति आंक रहे हैं। यूपी में आम चुनाव के नतीजों से नाखुश बीजेपी आलाकमान एक्शन के लिए सही मौके की तलाश में है। वहीं पिछले दिनों बगावत का झंडा बुलंद करने वाले केशव प्रसाद मौर्य भी अंदरखाने नई रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। सियासी गलियारों में हो रही चर्चाओं की मानें तो केशव यूपी बीजेपी संगठन के साथ ही पार्टी शीर्ष नेतृत्व को भी साधने में जुटे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद केशव प्रसाद मौर्य लगातार संगठन को सरकार से बड़ा बता रहे हैं। वह कई बार मीडिया के सामने और सार्वजनिक कार्यक्रमों में कह चुके हैं कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। केशव मौर्य बार-बार ऐसे बयान देकर योगी आदित्यनाथ सरकार को चेतावनी देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि योगी सरकार में उन्हें किनारे कर दिया गया है। इसके साथ ही वे लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लगे झटके के लिए योगी सरकार के रवैये को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मालूम हो कि इससे पहले २७ और २८ जुलाई को भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हुई। लोकसभा चुनाव के बाद हुई इस मीटिंग में सभी मुख्यमंत्रियों से संगठन संग बेहतर तालमेल बनाकर रखने के लिए कहा था। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यकर्ताओं का सम्मान किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजे से हैरान न हो। सभी आंकड़े सरकार की बढ़त में है और चुनाव में कम सीट आने के बाद भी हम पहले जैसे ही आगे बढ़ रहे हैं।