काॅलम 3 : भ्रष्टाचार पर विधानसभा में हंगामा

प्रमोद भार्गव
मध्य प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन सदन में नर्सिंग कॉलेजों के घोटाले की गूंज पुरजोर सुनाई दी। कांग्रेस ने इस मामले पर सदन में चर्चा कराने की मांग को लेकर खूब हंगामा किया। नतीजतन ४५ मिनट के लिए सदन की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को स्थगित करनी पड़ी। अंत में तोमर ने भरोसा दिलाया कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से चर्चा कराई जाएगी, तब कहीं जाकर हंगामा शांत हुआ।
भाजपा के २००४ से चले आ रहे लंबे कार्यकाल में नर्सिंग घोटाले से पहले व्यापम का घोटाला सामने आया था। यह इतना बड़ा घोटाला था कि करीब आधा सैकड़ा निर्दोष लोगों को प्राण गंवाने पड़े थे और अनेक अभ्यर्थी और उनके परिजन आज भी जांच और अदालती कार्यवाही के फेर में परेशान हैं। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इस घोटाले की जांच सीबीआई को दे दिए जाने के बाद इसकी सच्चाई तो आज तक सामने नहीं आई, लेकिन जो नेता और अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे, उन्हें बचा लिया गया। अब बिचारे लाचार छात्र और उनके अभिभावक इस घोटाले का संकट आज तक झेलते चले आ रहे हैं। अब निजी स्तर पर खोले गए नर्सिंग कॉलेजों की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में चल रही है। इसी पर चर्चा की मांग को लेकर कांगे्रस ने विधानसभा में हंगामा खड़ा किया हुआ है। जो लगता है इस बजट सत्र में पूरे समय चलता रहेगा।
नर्सिंग कॉलेजों में भ्रष्टाचार का घुन एक दशक से भी ज्यादा लंबे समय से लगा हुआ है। शासन और प्रशासन का तंत्र इसे जानते हुए भी आंखें मूंदे रहा, क्योंकि ज्यादातर कॉलेजों में भागीदारी शिक्षा के माफियाओं के साथ राजनेताओं और नौकरशाहों की भी रही है। यही हाल बीएड और डीएड कॉलेजों का है। निजी स्तर पर चल रहे करीब ८० फीसदी कॉलेज ऐसे हैं, जिन्हें केवल एकमात्र कर्मचारी के रूप में प्राचार्य चला रहे हैं। दरअसल, इन कॉलेजों में पढ़ाई करनेवाले छात्र इस शर्त पर प्रवेश लेते हैं कि वे सभी तरह की शुल्क तो भर देंगे, लेकिन नियमित कक्षा में नहीं आएंगे। कॉलेज के मालिक भी यही चाहते हैं। इससे उनकी दोनों मुट्ठियों में लड्डू रहते हैं। वे छात्रों से अनुपस्थित रहने का नाजायज शुल्क भी एकमुश्त वसूल लेते हैं। बहरहाल, इन कॉलेजों में ५००-५०० किमी दूर रहनेवाले छात्र भी नियमित छात्र के रूप में पढ़ाई कर रहे हैं। इन कॉलेजों के संचालकों को इस व्यवस्था से यह लाभ भी है कि वे शिक्षकों की भर्ती भी फर्जी तौर पर किए रहते हैं। जब भौतिक रूप में छात्र ही नहीं पढ़ रहे तो फिर शिक्षकों की भला क्या जरूरत? इस व्यवस्था को चलाए रखने के लिए शिक्षा के उच्च अधिकारियों तक भी शुल्क पहुंचा दिया जाता है, जिससे अनदेखी बनी रहे। बहरहाल, इन कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों में केवल धन लेकर डिग्री बांटने का काम चल रहा है।
यदि शासन-प्रशासन ईमानदार होते तो शिवराज सिंह चौहान के दूसरे कार्यकाल में ही नर्सिंग कॉलेजों की गड़बड़ियों पर विराम लग गया होता? अब शिवराज केंद्र में मंत्री हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के सिर पर विपक्ष के ओले बरस रहे हैं। हालांकि, विपक्ष भी तब इस घोटाले के विरुद्ध खड़ा हुआ है, जब उच्च न्यायालय ने इस घोटाले को संज्ञान में लेकर सीबीआई जांच बिठा दी। यह जांच न्यायालय की ही निगरानी में चल रही है इसलिए जिम्मेदार मंत्री और अधिकारियों से लेकर शिक्षा माफिया कटघरे में हैं। हालांकि, भ्रष्टाचार की यह जांच भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी। इस मामले में गोलमाल करने के लिए सीबीआई अधिकारी भी रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। राहुल राज नाम के निरीक्षक को १० लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए सीबीआई ने ही गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने सूचना मिलने पर राहुल के प्रोफेसर कॉलोनी भोपाल में स्थित उनके घर पर छापा डाला और ७ लाख ८८ हजार रुपए नकद तथा १००-१०० ग्राम के सोने के बिस्कुट बरामद किए। इसी मामले से जुड़े भोपाल के मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के अध्यक्ष अनिल भास्करन, प्राचार्य सूना अनिल भास्करन और सचिन जैन नाम के बिचौलिए को गिरफ्तार किया है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि मध्य प्रदेश के ८०० कॉलेजों में से करीब ६०० संकाय सदस्य फर्जी हैं। प्रदेश सरकार के अधीनस्थ नर्सिंग परिषद ने इनका पंजीयन और प्रवासन का सत्यापन किया हुआ है।
जाहिर है, घोटाले के इस बड़े खेल में अभी भी सरकारी क्षेत्र की बड़ी मछलियां सुरक्षित हैं। गौरतलब है इन्हें कौन बचा रहा है? जबकि मुख्यमंत्री ने इस घोटाले में कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए हुए हैं। दरअसल, इस घोटाले की जड़ें बहुत गहरी हैं। जिन कॉलेजों में गड़बड़ियां पाई गई हैं या जिन्होंने शर्तें पूरी नहीं की हैं, ऐसे हालात २०१३ से ही चले आ रहे हैं। उस दौरान संचालित हो रहे ३५० कॉलेजों में से १५० से ज्यादा तय मानकों के अनुरूप नहीं थे। बावजूद प्रतिवर्ष उनकी कमियों पर पर्दा डाले रखकर उन्हें नया सत्र चलाए रखने की अनुमतियां चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा दी जाती हैं इसीलिए मुखर हुई कांग्रेस तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के जिला मुख्यालयों पर पुतले जला रही है और उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा सरकार पर जब चर्चा से भागने का आरोप लगाया गया तो मुख्यमंत्री यादव नाराज हो गए और उन्होंने कड़े लहजे में उत्तर देते हुए कहा कि ‘उत्तेजना में कोई बात करेगा तो स्वीकार नहीं की जाएगी। चर्चा से न तो कोई भाग रहा है और न ही कोई डर है।‘ अंत में हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी और विपक्ष को भरोसा दिया कि मंगलवार को प्रश्नकाल के बाद चर्चा कराने की व्यवस्था कर दी जाएगी।
दरअसल, सत्तारूढ़ दल इस मुद्दे पर चर्चा करने का बहाना न्यायालय के समक्ष मामला विचाराधीन होने का कर बचने की कोशिश में था। संसदीय कार्य मंत्री वैâलाश विजयवर्गीय ने चर्चा के दौरान कहा भी ‘कि जो विषय न्यायालय में विचाराधीन होता है या कोई जांच चल रही होती है, तो उस पर जांच नहीं कराई जाती है। परंतु नेता प्रतिपक्ष ने उत्तर दिया कि नर्सिंग परिषद पर कोई रोक नहीं है, अतएव इस परिप्रेक्ष्य में चर्चा हो सकती है। कॉलेज को नर्सिंग कॉलेज चलाने की अनुमति परिषद ने ही दी हुई है। इसी ने कॉलेजों के तय मानकों की अनदेखी कर नर्सिंग शिक्षा का बंटाधार करने का सत्यापन दिया हुआ है, अतएव इस पर चर्चा जरूरी है।

 

अमेरिका में ५ लाख उल्लुओं पर आफत! … घने जंगलों में तैनात किए गए पेशेवर निशानेबाज

अमेरिका में जो लोग वन्यजीवों के रक्षक हैं वही अब भक्षक बन गए हैं। जी हां, अगले बसंत से बॉर्ड उल्लुओं को मारना शुरू कर दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिका ने करीब ५ लाख `बॉर्ड’ उल्लुओं को मारने का प्लान बनाया है। बताया जा रहा है कि बॉर्ड उल्लू अमेरिका के `स्पॉटेड उल्लू’ प्रजाति के लिए खतरा बन गए हैं, इनकी वजह से `स्पॉटेड उल्लू’ खत्म होने की कगार पर हैं। ऐसे में वन्यजीव अधिकारियों ने पश्चिमी तट के घने जंगलों में पेशेवर निशानेबाजों को तैनात करने का फैसला किया है। इस योजना के तहत करीब ५ लाख `बॉर्ड’ उल्लुओं को निशाना बनाया जाएगा। `बॉर्ड’ उल्लू अमेरिका में `स्पॉटेड उल्लू’ प्रजाति के लिए खतरा बन गए हैं, जो इनके करीबी रिश्तेदार भी हैं।
अमेरिका का वन्यजीव विभाग ओरेगॉन, वाशिंगटन और कैलिफोर्निया में लगातार कम हो रहे चित्तीदार उल्लुओं की आबादी बढ़ाना चाह रहा है। इस योजना के तहत अगले तीन दशकों में ४.५० लाख उल्लुओं को गोली मारी जाएगी। मूल रूप से ये उल्लू पूर्वी अमेरिका के हैं, लेकिन इन्होंने अब अमेरिका के पश्चिमी तटों पर आक्रमण कर दिया है। बॉर्ड उल्लुओं ने ज्यादातर स्पॉटेड उल्लुओं के संसाधनों पर कब्जा जमा लिया है और छोटे उल्लू इनसे नहीं लड़ पा रहे हैं।

स्वाद यात्रा : ऑथेंटिक साउथ इंडियन फूड फंडा `बनाना लीफ’ है अड्डा

संदीप पांडेय

इटली, डोसा और वड़ा का आज हर कोई दीवाना है। नारियल की चटनी और सांभर के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। फूडी लोग इसे चटकारे के साथ खाते हैं। तो चलिए आज हम आपको एक ऐसे ही रेस्टोरेंट से रूबरू करवाते हैं, जहां आपको ऐसा महसूस होगा कि आप साउथ इंडिया के रेस्टोरेंट में बैठकर ऑथेंटिक साउथ इंडियन फूड का लुत्फ उठा रहे हैं।
मैं अपनी स्वाद यात्रा के लिए घर से निकल गया। इस बार मेरा यह सफर `बनाना लीफ’ रेस्टोरेंट के लिए था, जिसके लिए मैं दादर स्टेशन से बोरीवली स्लो लोकल में बैठ गया। सांताक्रुज स्टेशन पर पहुंचकर मैं लोकल से उतर गया। वेस्ट में स्टेशन से बाहर निकलकर मैं २३१ नंबर की बस में बैठकर अपने डेस्टिनेशन की तरफ निकल पड़ा। एसएनडीटी वूमेंस यूनिवर्सिटी पहुंचकर मैं बस से उतर गया और इसी यूनिवर्सिटी के ठीक सामने `बनाना लीफ’ रेस्टोरेंट है। मैं रेस्टोरेंट के अंदर पहुंचा अंदर का माहौल साउथ इंडियन एंबियंस और साउथ इंडियन म्यूजिक अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।
मैं अंदर सोफे पर बैठा तो ऑर्डर लेने के लिए वेटर मेरे पास आ गया। मैंने मेन्यू देखकर उन्हें बैंगलोर मसाला डोसा ऑर्डर किया। कुछ देर में मेरा ऑर्डर मेरे टेबल पर आ गया था। जब मैंने डोसा खाना शुरू किया तो उसके स्वाद से मेरा मन प्रâफुल्लित हो गया। इसके बाद वेटर ने मुझसे स्वीट में कुछ लेने के लिए पूछा तो मैंने अखरोट हलवा ऑर्डर किया। घी में बना अखरोट का हलवा और ऊपर से कसकर डाला हुआ बादाम मेरे दिल को छू लिया। हर बार की तरह इस बार भी मैं रेस्टोरेंट के ऑनर सूरज शेट्टी से मिला।
सूरज शेट्टी ने बताया कि उन्होंने अपने कस्टमर की डिमांड पर अपने कंटेंट को बढ़ाया है। उन्होंने साउथ इंडियन फूड को मुंबई में सर्व करने की पूरी कोशिश की है। यह रेस्टोरेंट २०१९ से सुबह ९ बजे से रात ११.३० बजे तक अपने ग्राहकों की सेवा में तत्पर रहता है। इससे कस्टमर काफी खुश हैं। इतना ही नहीं मुंबई में इसकी कई शाखाएं भी हैं।
अन्य शाखाओं के नाम
ये सांताक्रुज, वर्सोवा, मालाड, बोरीवली, मीरा रोड, घाटकोपर, माटुंगा, मुलुंड, लोअर परेल के अलावा पूणे, इंदौर, जयपुर और गोवा में भी अपने कस्टमर को साउथ इंडियन फूड केले के पत्ते पर परोसते हैं। साउथ इंडियन थाली में आठ आइटम है, जिसमें अप्पम या पराठा, दो प्रकार की सब्जी, रसम, सांबर और ग्रेवी होता है। यह थाली छोटे से लेकर बड़े तक सभी के बजट में फिट बैठती है।
मेन कोर्स
यहां स्टीम अप्पम के साथ मालवण करी, पनियारम, कोच्चेकट्टे बॉम्ब, मुगलई इडली, दक्षिण बिरयानी, बैंगलोर मसाला डोसा, थट्टे इडली, गुंटूर इडली और चाट भी मिलता है।
जूस
फ्रेश जूस, हेल्दी जूस के अलावा कई अन्य जूस भी मिलते हैं। इसके साथ ही रसम (सूप) भी मिलता है।
स्वीट- एलनीर पाइसम, अखरोट हलवा
डेजर्ट- पाइनएप्पल सीरा
पता – एसएनडीटी वूमेंस यूनिवर्सिटी, सांताक्रुज-पश्चिम
संपर्क नंबर -८८२८८४८८८४ / ८८२८८४८८८५

युवक के काटने से सांप की मौत … सांप के डसने से नाराज था युवक

सामना संवाददाता / पटना 
बिहार के नवादा जिले से एक अजब-गजब मामला सामने आया है। यहां के रजौली प्रखंड के जंगली इलाके में एक मजदूर को सांप ने काट लिया। इससे नाराज होकर मजदूर ने सांप को कट लिया, जिससे सांप की मौत हो गई। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। मजदूर को अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज किया जा रहा है। बताया जाता है कि जंगली इलाकों में रेलवे लाइन बिछाने का काम चल रहा है। मंगलवार की देर रात सभी मजदूर अपने बेस कैंप में सो रहे थे, इसी दौरान एक सांप ने एक मजदूर को डस लिया। जैसे ही पूरे मामले की जानकारी रेलवे के अधिकारियों को हुई, तो तुरंत उस मजदूर को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती करवाया। मजदूर संतोष लोहार झारखंड के लातेहार जिले के पाण्डुका का रहने वाला है। इस पूरे मामले में संतोष ने बताया कि उसके गांव में एक टोटका है कि अगर सांप एक बार डस ले तो आप उसे दो बार काट लीजिए, इससे आपको सांप का विष नहीं लगेगा। ग्रामीणों को जब इस अजीबोगरीब घटना की जानकारी मिली तो अस्पताल में भीड़ लग गई। हालांकि, ग्रामीणों का यह भी कहना था कि सांप विषधर नहीं होगा। अगर सांप विषधर होता तो युवक की जान भी जा सकती थी।

मेहनतकश : गरीब बच्चों में जगा रहे शिक्षा की अलख  

सैयद आशिक अली

‘इल्म नूर है और जहालत अंधेरा है,
कम खाओ पर बच्चों को शिक्षित करो’
कुछ इसी कहावत की तर्ज पर कार्य करनेवाले अहमद सर आज २० वर्षों से शिक्षा जगत में अपनी सफलता की कहानी लिख रहे हैं। एक ओर जहां लोग शिक्षा को व्यवसाय की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं वहीR अहमद सर नि:शुल्क कई बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य उज्ज्वल करने को प्रयत्नशील हैं। ‘एक्सपर्ट’ क्लासेस के संचालक शाह मोहम्मद अहमद अबरार अहमद का बचपन धारावी की तंग गलियों में बीता। लेकिन इन्हीं तंग गलियों में रहनेवाले गरीब बच्चों के लिए अहमद सर शिक्षा की रोशनी जलाकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं। उनकी इन्हीR तमाम कोशिशों की वजह से वे प्राउड ऑफ धारावी, बेस्ट टीचर अवॉर्ड (आईटा), एप्रीसिएशन अवॉर्ड, मोहिबे उर्दु अवार्ड, प्रमोशन अवॉर्ड ऑफ एजुकेशन सहित करीब एक दर्जन अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। अहमद सर के पिता अबरार अहमद वर्ष १९७८ में मुंबई आए थे और स्थानीय बच्चों को मदरसे में अरबी की तालीम देने का काम शुरू किया, जो अब तक जारी है। उनके इसी जज्बे से प्रेरित होकर काफी कम उम्र में अहमद सर ने भी शिक्षा की अलख जगाने का काम शुरू किया। उन्होंने शुरुआती शिक्षा मुंबई मनपा स्कूल में ग्रहण की। इसके बाद साबू सिद्दीक, कॉलेज से होते हुए वे अब मुंबई युनिवर्सिटी पहुंच गए हैं, जहां से वे उर्दू में पीएचडी कर रहे हैं, जो जल्द ही मुकम्मल भी होगा। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही अहमद सर ने साल २००४ में धारावी की तंग व संकरी गलियों में अपने सपनोें को साकार करने के लिए ‘एक्सपर्ट’ क्लासेस की नींव रखी। अहमद सर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके किसी दूसरे काम में लिप्त होने वाले करीब १०० से अधिक बच्चों को न केवल पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि उनकी उच्च शिक्षा भी पूरी करवाई और आज कई बच्चे विभिन्न विभागों में अच्छे पोस्ट पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गरीब व यतीम बच्चों को क्लासेस के साथ-साथ अन्य शैक्षणिक संस्थानों में सहूलियत दिलाकर उन्हें शिक्षा दिलवाना अहमद सर की प्राथमिकता में शुमार है। अहमद सर के मुताबिक, एक बच्चा कोरे कागज के समान होता है, उसे अच्छे से पढ़ाया जाए तो वो उसका भविष्य भी उज्ज्वल हो सकता है। हालात किसी के किसी भी तरह के हों, पर सच्ची लगन, ईमानदारी के साथ कोई भी कार्य किया जाय तो सफलता जरूर मिलती है। अहमद सर कहते हैं कि कुरान पाक की सबसे पहली आयत इकरा में भी यह कहा गया है कि ‘पढ़ो और पढ़ते रहो’, क्योंकि शिक्षा की कोई आयु नहीं है। जहां तालीम नहीं होगी, वहां जिदंगी में अंधेरा ही होगा। अहमद सर का मानना है कि बच्चों को शिक्षित किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि शिक्षित बच्चे ही भारत का भविष्य हैं। भविष्य के भारत को और अधिक संवारने के लिए ‘पढ़ेगा भारत तो बढ़ेगा भारत’ जैसी संकल्पना लागू की जानी चाहिए। बकौल अहमद सर झोपड़ी बहुल इलाकों में शुमार एशिया की सबसे घनी झोपड़पट्टी में बच्चों और नौजवानों के भविष्य को सुधारना मेरा हरसंभव प्रयास है और धारावी का नाम विश्व पटल पर लाना मेरा मुख्य ध्येय है।

 

‘राज’नीति : संकट में नए जिले

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने १९ नए जिलों और तीन संभागों का गठन किया था। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नए जिलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार का मानना है कि पिछली सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया था। उसके चलते इन जिलों के गठन के दौरान काफी खामियां रह गई, जिसकी समीक्षा के लिए भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में एक उप समिति गठित की थी। इसमें जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा शामिल हैं। सरकार ने पूर्व आईएस अधिकारी ललित पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। यह समिति १५ दिन के भीतर नए जिलों के गठन को लेकर की गई सिफारिशों की समीक्षा कर रिपोर्ट उप समिति के अध्यक्ष उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को सौंपेगी। सीमांकन और आबादी के लिहाज से पैमाने पर फिट नहीं बैठने वाले नए जिलों में अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, फलौदी, गंगापुर सिटी, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर शहर, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, कोटपुतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, नीमकाथाना, सलूंबर, सांचैर, शाहपुरा (भीलवाड़ा) शामिल है।

दीया कुमारी का डर
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी को आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर अभी से हारने का डर लगने लगा है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर विस्तारकों की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए दीया कुमारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कम समय मिलने के चलते हम ११ सीटों पर चुनाव हार गए थे। हमारी सरकार को मात्र दो महीने काम करने का समय मिला था। अब अगले कुछ महीनो में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव की तैयारी के लिए भी हमें बहुत कम समय मिलेगा। दीया कुमारी के बयान से लगता है कि उन्होंने अभी से उपचुनाव में हार मानकर बयान दे दिया है ताकि चुनाव के बाद वह अपनी बात दोहरा सके। दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजनीति में साइड लाइन करने के बाद दीया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाकर आगे बढ़ाया गया था। मगर पिछले लोकसभा चुनाव में वह अपने राजपूत समाज के नाराज लोगों के वोट भी भाजपा के पक्ष में नहीं डलवा पाई थी। दीया कुमारी उपमुख्यमंत्री बनने के बावजूद प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाई है।

उप चुनाव की आहट
राजस्थान में पांच विधानसभा सीटों झुंझुनू, खींवसर, दौसा, देवली-उनियारा व चौरासी पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। ये सभी सीटें यहां के मौजूदा विधायकों के सांसद निर्वाचित होने के बाद उनके इस्तीफा देने से खाली हुई हैंै। उपचुनाव वाली पांच सीटों में से भाजपा की एक भी सीट नहीं थी। इनमें झुंझुनू, देवली-उनियारा व दौसा में कांग्रेस खींवसर में रालोपा के हनुमान बेनीवाल व चौरासी सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत विधायक थे। उपचुनाव में कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों से गठबंधन जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में ११ सीट हार चुकी भाजपा के लिए उपचुनाव करो या मरो वाली स्थिति बनी हुई है। भाजपा के नेता चाहते हैं कि पांचों सीटों पर जीतकर लोकसभा चुनाव की हार का गम भुलाया जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सभी पांचों सीटों पर जाकर चुनाव पूर्व तैयारी का जायजा ले रहे हैं। वही संगठन स्तर पर भी पांचों विधानसभा उपचुनाव के लिए संचालन समितियों का गठन कर दिया गया है। हर विधानसभा उपचुनाव की कमान किसी वरिष्ठ नेता को दी गई है।

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

तड़का : चलो हम भी खेलें

कविता श्रीवास्तव

टी-२० विश्वकप जीतकर भारतीय क्रिकेट टीम स्वदेश लौट आई है। दिल्ली में प्रधानमंत्री द्वारा स्वागत के तुरंत बाद टीम इंडिया मुंबई पहुंची। खुले वाहन में विजय रैली निकाली तो मुंबईवासियों ने भारी संख्या में उपस्थित होकर गर्मजोशी से खिलाड़ियों का अभिवादन किया और जश्न मनाया। किसी एक खेल में वैश्विक सफलता के बाद पूरा देश किस तरह जोश और जुनून में एकजुट होकर, एक भावना से तिरंगे को लहराकर खुश हो रहा है, गौरवान्वित महसूस कर रहा है, यह हम सभी की राष्ट्रभावना का प्रमाण है। कोई भी खेल मनुष्य के मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। खेल हमें स्वस्थ रखने, दिमाग की क्षमता को विकसित करने, प्रतिस्पर्धा का अभ्यास करने और टीमवर्क करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। हमें सकारात्मक रूप से सोचने, संघर्ष करने और जीतने की क्षमता प्रदान करता है। इसीलिए खेल पर सरकारें खासा खर्च करती हैं। जगह-जगह खेल के मैदान और तमाम खेल अकादमी, खेल प्राधिकरण, खेल संस्थानों से लेकर महत्वपूर्ण समझा जाने वाला खेल मंत्रालय भी सरकार बनाती है। उद्देश्य यही होता है कि आम लोगों का खेल से जुड़ाव बना रहे। संसाधनों की कमी न हो। प्रतिभाओं को अवसर मिले। देश का मान-सम्मान बढ़े, क्योंकि खेल मानवीय गतिविधि है, जिसमें शारीरिक परिश्रम और कौशल ही सफलता दिलाता है। इसमें प्रतिस्पर्धा और सामूहिक भागीदारी के महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं। अनुशासन के साथ अपने आपको नियंत्रित करने वाले व्यवहार के और टीम भावना के गुणों का विकास होता है। हमने देखा कि क्रिकेट के फाइनल मैच में भी जब भारतीय टीम पूरी एकजुट होकर खेल रही थी तो समूचा देश उसे लाइव देख रहा था। जो जहां भी था, आस-पास के लोगों में भी एक टीम भावना थी। सब एक-दूसरे से हाथों पर ताली मारकर, एक-दूसरे से गले मिलकर जो भाईचारा दिख रहे थे वह खेल के माध्यम से ही संभव हुआ। खेल इतना महत्वपूर्ण है कि मुंबई हाई कोर्ट ने भी हाल ही में एक मामले में कहा है कि सरकार खेलों को महत्व दे, क्योंकि आम खेल लोगों और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जजों ने कहा कि प्रगतिशील राज्य अपने समाज की जरूरतों से कभी अनजान नहीं हो सकता है। कोर्ट ने नई मुंबई के घणसोली में बनने वाले एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ११५ किमी दूर रायगड में शिफ्ट करने के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। खेल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि अधिकारियों को खुली जगहों, खेल के मैदान से जुड़े नागरिकों के अधिकारों को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। नए विकसित हो रहे इलाकों में सुविधाओं की कमी दिख रही है, उसके मद्देनजर जमीन के व्यावसायिक दोहन को रोकने के लिए कदम उठाना आवश्यक है। नागरिकों को खेल सुविधाओं से वंचित करना पूरी तरह से सार्वजनिक हित के खिलाफ है।

झांकी : किरोड़ी ने कुर्सी छोड़ी

अजय भट्टाचार्य
लोकसभा चुनाव के एक महीने बाद राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। जाहिर तौर पर इसे लोकसभा चुनाव परिणाम से जोड़कर देखा जा रहा है। किरोड़ी लाल मीणा ने दावा किया था कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रोड शो के लिए दौसा आए थे, तब उन्होंने उन्हें ७ सीटों को जीतने की जिम्मेदारी दी थी। मीणा ने कहा था कि अगर इन सात सीटों में से एक भी सीट भाजपा हार गई तो वो वैâबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे। मीणा जिन ७ सीटों की बात कर रहे थे उनमें दौसा, टोंक सवाई माधोपुर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, कोटा-बूंदी, भीलवाड़ा और जयपुर ग्रामीण शामिल थीं। इनमें से ४ सीटों पर भाजपा की हार हुई है। हालांकि बकौल मीणा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उन्हें इस्तीफा देने से मना किया था। मीणा १० दिन पहले अपना इस्तीफा सौंप चुके थे, लेकिन इसका एलान उन्होंने कल किया। उन्होंने कहा, `मैं अपने वादों से नहीं मुकरता।’ दरअसल, लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही उनके इस्तीफे को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। लोकसभा चुनाव नतीजों के दिन जब ४ सीटों पर भाजपा हार गई और सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफे की चर्चाएं चलने लगीं तो उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, `रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई।’ इसके बाद फिर किरोड़ी लाल मीणा ने अपने इस्तीफे के एलान के बाद एक्स पर श्रीरामचरितमानस की वही दो लाइन दोहराई हैं, जो उन्होंने ४ जून को लोकसभा चुनाव नतीजे जारी होते वक्त लिखी थीं। बताया जा रहा है कि उन्हें जो मंत्रालय मिला था, उससे उनके समर्थक खुश नहीं थे। सूत्रों की मानें तो किरोड़ी लाल भी किसी बड़े विभाग और मंत्रालय की उम्मीद में थे। लोकसभा चुनाव के दौरान यह बात भी चर्चा में आई थी कि दौसा सीट से किरोड़ी लाल अपने भाई के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने कन्हैयालाल मीणा को टिकट दे दिया।

मंत्री पत्नी ने कराई किरकिरी
आंध्र प्रदेश के परिवहन मंत्री मंडीपल्ली रामप्रसाद रेड्डी और उनकी पत्नी हरिथा रेड्डी केवल विपक्ष ही नहीं, बल्कि अपनी भी पार्टी के निशाने पर हैं। हरिथा ने कथित तौर पर एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर को फटकार लगाई, क्योंकि वह उन्हें एक समारोह में ले जाने के लिए देर से पहुंचे थे। हरिथा न तो निर्वाचित सदस्य हैं और न ही उनके पास कोई पद है, लेकिन वह रायचोटी में एक समारोह में भाग लेने गई थीं, जहां से उनके पति हाल ही में निर्वाचित हुए थे। यह समारोह सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी द्वारा किए गए वादे के अनुसार, बढ़ी हुई वरिष्ठ नागरिक पेंशन वितरित करने के लिए आयोजित किया गया था। किसी ने मंत्री जी की पत्नी को बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार एसआई उनके साथ जाएंगे, लेकिन ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं है। उस गलतफहमी के कारण, उन्हें आधे घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा और जब चिन्नामंडम पुलिस स्टेशन के एसआई रमेश बाबू को यह पता चला तो वे वहां पहुंचे। रमेश बाबू को देखते ही हरिथा भड़क उठीं। बाद में दोपहर करीब ३ बजे, बाबू ने उन्हें समझाया कि क्या हुआ और फिर दोनों ने एक-दूसरे से माफी मांगी। इस बीच हरिथा के आगबबूला होने का वीडियो वायरल हो गया। विपक्षी वाईएसआरसीपी ने मंत्री की पत्नी के रवैये की आलोचना की, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने नाराजगी जताई, जबकि मंडीपल्ली रामप्रसाद रेड्डी ने अपनी पत्नी के व्यवहार के लिए माफी मांगी। रेड्डी ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था और मुझे इसका अफसोस है। मैं माफी मांगता हूं और मेरी पत्नी ने भी माफी मांगी है। ऐसा दोबारा नहीं होगा। यह अलग बात है कि हरिथा रेड्डी ने अभी तक सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी है। मुख्यमंत्री नायडू ने अपने मंत्रियों से पुलिस अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के साथ सम्मान से पेश आने को कहा, भले ही उन्हें लगे कि सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने वाईएसआरसीपी का पक्ष लिया था। ऐसा कुछ न करें, जिससे तेदेपा सरकार की छवि खराब हो और ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ग्रह सुरक्षा प्रणाली विकसित नहीं कर सकता भारत-सोमनाथ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि भारत भी एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रहों) की स्टडी करने वाले बड़े वैश्विक मिशनों का हिस्सा बनना चाहता है और भारत इसके लिए योग्य भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अकेले एस्टेरॉयड के खिलाफ ग्रह सुरक्षा प्रणाली विकसित नहीं कर सकता। इसके लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। बंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में छात्रों के लिए ग्रह सुरक्षा पर आयोजित पहली वर्कशॉप में उन्होंने पृथ्वी को संभावित एस्टेरॉयड के प्रभाव से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए संभावित खतरा तो हैं ही, लेकिन इसके साथ ही वे वैज्ञानिक खोज के लिए मूल्यवान अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि एस्टेरॉयड का अध्ययन ब्रह्मांड के निर्माण और पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।

३० फुट लंबे अजगर ने महिला को निगला

इंडोनेशिया से रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। दक्षिण सुलावेसी के लुवु रीजेंसी में ३० फुट लंबे अजगर ने एक महिला को जिंदा निगल लिया। मिली जानकारी के अनुसार, पांच बच्चों की मां अपने बीमार बच्चे के लिए दवा खरीदने के लिए घर से निकली थी और उसके बाद से लापता हो गई थी। जब महिला घर नहीं लौटी तो चिंतित घरवालों ने उसे ढूंढ़ना शुरू किया, लेकिन बाद में वो जिस हालत में मिली, उसे देखकर पति सहम गया। पति आदियान्स्या के अनुसार, उन्होंने पत्नी के पैर को ३० फुट लंबे अजगर के मुंह में पाया। वो उसे तब पूरी तरह निगलने की कोशिश कर रहा था। सांप ने ३० वर्षीय सिरियाती पर तब हमला किया, जब वह पेड़ों के बीच से अकेली जा रही थी। इंडोनेशियाई व्यक्ति ने अपनी पत्नी को बचाने के प्रयास में सांप को मार डाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महिला पहले ही मर चुकी थी।