हिजाब के बाद मुंबई के कॉलेज ने लगाई टी शर्ट और फटी जींस पर रोक!

सामना संवाददाता / मुंबई 
चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एन.जी आचार्य और डी.के मराठे कॉलेज ने २७ जून को एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि छात्रों को कॉलेज परिसर में औपचारिक और शालीन पोशाक पहननी चाहिए। कॉलेज ने छात्रों के फटी जींस, टी-शर्ट, गरिमाहीन कपड़े और जर्सी जैसे कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है। इसे लेकर धर्म या सांस्कृतिक असमानता का हवाला दिया गया है। बता दें कि इसी कॉलेज ने पहले हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। नोटिस में आगे कहा गया है कि छात्र आधी या पूरी बाजू की कमीज और पेंट पहन सकते हैं। इसमें कहा गया कि लड़कियां कोई भी भारतीय या पश्चिमी पोशाक पहन सकती हैं। चेंबूर स्थित इस कॉलेज में शिवाजी नगर, गोवंडी और मानखुर्द इलाकों के मुस्लिम समुदाय के कई छात्र पढ़ते हैं। नोटिस में यह भी कहा गया कि ७५ प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। कॉलेज संचालन परिषद के महासचिव सुबोध आचार्य ने कहा कि यह कोई नया नोटिस नहीं है। हम छात्रों से केवल ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कह रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि वे भड़काऊ कपड़े न पहनें। हम छात्रों से साड़ी या किसी विशेष रंग की पोशाक पहनने के लिए भी नहीं कह रहे।

हीमोफीलिया मरीजों का बुरा हाल … इंजेक्शन के अभाव में दांव पर जिंदगी! …बहुत महंगा होता है इंजेक्शन

-सरकार सप्लाई में कर रही अनदेखी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
केंद्र में मोदी और राज्य में शिंदे सरकार के माध्यम से चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के दावे बहुत किए जाते रहे हैं। फिर भी यह जानकर हैरानी होगी कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मनपा के केईएम अस्पताल और एमएमआर के कई डे-केयर सेंटरों में हीमोफीलिया के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरूरी पैâक्टर इंजेक्शन की भारी किल्लत है, इसलिए जरूरतमंद मरीज की जिंदगी न केवल दांव पर है, बल्कि कई मामलों में मरीजों को यह इंजेक्शन बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है। फिलहाल, केईएम और डे केयर सेंटरों में पैâक्टर की भले ही जोरदार डिमांड है, लेकिन केंद्र की मोदी और राज्य की शिंदे सरकार इसकी सप्लाई को लेकर गंभीर नहीं है और इसकी अनदेखी कर रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज के लिए सभी ३६ जिलों में डे केयर सेंटर (केंद्र) सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। फिलहाल मुंबई, ठाणे, नागपुर सहित नौ जिलों में डे केयर सेंटर उपलब्ध हैं। दूसरी तरफ राज्य के २७ जिलों में डे केयर सेंटर स्थापित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। जानकारी के अनुसार, राज्य के नौ जिलों में हीमोफीलिया के ५,९६२ मरीज है। दूसरी तरफ हीमोफीलिया मरीजों के इलाज की सुविधा के लिए केंद्र सरकार से हर साल करोड़ों रुपए निधि प्राप्त होती है। इस निधि से हीमोफीलिया मरीजों के रक्त के कारक ८ और ९ के लिए पर्याप्त इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाता है, जबकि रक्त के कारक ७ के लिए इंजेक्शन खरीदना पड़ता है।
इन अस्पतालों में इलाज की सुविधा
प्रदेश में हीमोफीलिया की बीमारी के इलाज की सुविधा फिलहाल नौ जिलों में है। मुंबई के केईएम अस्पताल, नागपुर के डागा स्मृति अस्पताल, पुणे के बी जे चिकित्सा महाविद्यालय में हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज की सुविधा है। इसके साथ ही ठाणे, छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती, नासिक, नगर और सातारा जिले के अस्पताल में भी उपचार की व्यवस्था है।
इतनी है कीमत
हिमोफीलिया के इंजेक्शन की कीमत करीब ४७,००० रुपए है। यदि मरीज को एक दिन में तीन एमजी के इंजेक्शन की जरूरत हो तो १,४०,००० रुपए का खर्च बैठता है।

राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन से बिगड़ी आपूर्ति
मनपा के एक अधिकारी के मुताबिक, केईएम में जिस समय हीमोफीलिया मरीजों का इलाज शुरू हुआ था, उस समय केवल इसके ३५० मरीज पंजीकृत हुए थे, लेकिन अब ये बढ़कर १,५०० तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस बीमारी के करीब २० हजार रोगी होंगे, जिसमें से पांच फीसदी मुंबई में हैं। फिलहाल, केईएम में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी आदि राज्यों से भी इलाज कराने के लिए मरीज यहां पहुंच रहे हैं।

राहुल गांधी की बातों को ‘मिस कोट’ कर रही भाजपा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कुछ दिनों पहले तक जब चुनाव चल रहे थे, कांग्रेस पर बीजेपी आरोप लगाती रहा थी कि कांग्रेस वाले मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र लाए हैं और कल लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी वाले असली हिंदू ही नहीं हैं। हिंदू को लेकर ऐसा विवाद हुआ कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत पांच मंत्रियों ने आपत्ति जताई। पहले हाथ में संविधान उठाकर और फिर भगवान शिव की तस्वीर. दुआ में उठे हाथ की तस्वीर, गुरुनानक की तस्वीर, जीसस की तस्वीर उठाकर राहुल गांधी ने ऐसा तीर मारा कि बीजेपी के दिल में लगा है।
बीजेपी के रणनीतिकारों को भी अब ये समझ आ चुका है कि स्पीकर के चुनाव के ठीक बाद नीट पेपर लीक मामले पर मौन धारण कर लेने और इमरजेंसी की निंदा करने से अब काम नहीं चलनेवाला है और विपक्ष नीट पेपर लीक का मामला यूं ही नहीं जाने देनेवाला है। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के साथ कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा अब बीजेपी पर ही बैकफायर करने लगा है। ऐसे में राहुल गांधी और उनके साथियों को रोकने के लिए टीम मोदी को भी नए सिरे से रणनीति बनानी होगी, क्योंकि कांग्रेस मुक्त भारत की मुहिम हाल फिलहाल तो आगे बढ़ने से रही।
निशाने पर बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा
बीजेपी को अयोध्या की हार बहुत भारी पड़ रही है। फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के कंधे पर बंदूक रख कर राहुल गांधी, अखिलेश यादव के साथ मिलकर संसद सत्र के पहले ही दिन से आक्रामक हैं और वैसे ही राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी दहाड़ने लगे हैं। पैर का दर्द बार-बार उनको परेशान करता है फिर भी थोड़ा रुक कर वो फिर से फायरिंग चालू कर देते हैं।
पूरी महफिल अकेले लूट रहे राहुल
राहुल गांधी पूरी महफिल अकेले न लूट लें इसलिए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के अलावा भी राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह चौहान जैसे सीनियर मंत्रियों को खड़े होकर रिएक्शन देना पड़ रहा था, लेकिन उसमें से भी राहुल गांधी अपने आक्रमण के लिए जरूरी चीजें निकाल ले रहे थे।
बदल डाली पूरी रणनीति
राहुल गांधी ने हिंदुत्व की नई व्याख्या पेश की, जो उनके पहले वाले हिंदू-हिंदुत्व-हिंदूवादी वाले स्टैंड से काफी अलग रहा। असल में पहले राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व को लेकर आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर उद्धाटन का बहिष्कार करने और एवज में अयोध्या की सीट समाजवादी पार्टी के जीत लेने के बाद से पूरी रणनीति बदल डाली है।
सिर्फ मोदी के मन की योजना
अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं के गुस्से का राहुल गांधी हर संभव फायदा उठा रहे हैं और यही वजह है कि अग्निवीर योजना की आलोचना को सेना से जोड़ने के आरोपों का कांग्रेस नेता पर कोई खास असर नहीं होता। राहुल गांधी ये समझाने की कोशिश करते हैं कि अग्निवीर योजना सेना की नहीं, बल्कि सिर्फ मोदी के मन की योजना है।

मोदी, बीजेपी या संघ पूरा हिंदू समाज नहीं
जब हिंसा और नफरत से हिंदुत्व को जोड़ने पर सत्ता पक्ष ने काउंटर करने की कोशिश की, तो राहुल गांधी ने कहा कि केवल मोदी, बीजेपी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही पूरा हिंदू समाज नहीं है और पूरी मोदी सरकार को काफी देर तक मन की बात सुनाते रहे।

अग्निवीर ‘यूज-एंड-थ्रो मजदूर’
संसद में राहुल गांधी का इल्जाम है कि मोदी सरकार अग्निवीरों को ‘यूज-एंड-थ्रो मजदूर’ की तरह इस्तेमाल कर रही है। राहुल गांधी के इस आरोप पर कि अग्निवीरों को न शहीद का दर्जा दिया जाता है, न सेना के जवानों की तरह कोई मदद। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खारिज करते हैं और सरकार क्या करती है समझाने की कोशिश करते हैं। सरकार की तरफ से बताया जाता है कि अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपए की मदद दी जाती है।

विशेष : जननायक बने राहुल संसद और संविधान स्वतंत्र होकर मुस्कुराए

डॉ. सी पी राय

संसद में १ जुलाई का दिन केवल और केवल प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी का रहा।
नई भूमिका का प्रारंभ करते ही उन्होंने बहुत आत्मविश्वास के साथ बहुत गंभीर और जिम्मेदारीपूर्ण तथा रणनीतिक हमला किया सरकार पर, भाजपा और संघ की पूरी सरकार लगातार तिलमिलाती रही पर लाचार दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार, अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित कई मंत्रियों को राहुल गांधी के भाषण में बार-बार उठ-उठकर टोकाटाकी करना पड़ा और अमित शाह तो अध्यक्ष से संरक्षण मांगते हुए भी एक बार दिखाई पड़े, जिनके खड़े होने पर पहले कोई बोलता ही नहीं था। इसी तरह भूपेंद्र यादव सहित कुछ लोगों ने नियमावली से राहुल गांधी को घेरने की कोशिश तो की लेकिन राहुल गांधी पूरी तैयारी से आए थे इसलिए रुके नहीं। जब भी किसी ने टोकने की कोशिश की, राहुल गांधी ने पूरी सजगता से वहीं उसी समय उसका सटीक जवाब देकर ये बता दिया कि पिछले सालों में संघी ट्रोल आर्मी द्वारा उनके बारे में जो कुछ भी गढ़ा गया था वो ध्वस्त होने वाला है। साथ ही यह भी जता दिया कि आने वाला समय संसद में सरकार के लिए पिछले दस साल जितना आसान नहीं होगा। अब बिना काम किए केवल डरा-धमकाकर, लोकसभा अध्यक्ष की ताकत का मनमाना दुरुपयोग कर और केवल जुमलों के सहारे संसद तथा सरकार नहीं चल पाएगी।
ये अलग बात है कि गोदी मीडिया अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। वह संसद व लोकतंत्र को भी अपमानित करते हुए राहुल गांधी को एक धर्म का अपराधी सिद्ध करने में पूरी ताकत झोंक रहा है। वैसे भी गोदी मीडिया को लोगों ने देखना बंद कर दिया है आगे इनका और पतन होगा। जनता को अदालत में क्योंकि समानांतर मीडिया, यूट्यूब और व्हॉट्सऐप के माध्यम से राहुल गांधी का भाषण इतना अधिक देखा गया और लगातार देखा जा रहा है की एक नया रिकॉर्ड बन जाने की संभावना है।
राहुल गांधी ने कल धर्म जैसे विषय को अपने तरीके से परिभाषित किया। उन्होंने शिव, बुद्ध, महावीर, ईशा और मुस्लिम धर्म को एक साथ रख कर धर्म को एक ही संदेश का वाहक सिद्ध किया तथा सभी आशीर्वाद वाली मुद्रा के हाथ को अभय मुद्रा बताते हुए बड़ी खूबसूरती से कांग्रेस के साथ जोड़ दिया। राहुल गांधी यह संदेश देने में कामयाब रहे कि सभी धर्मों का संदेश है ‘सत्य और अहिंसा’ तथा ‘डरो मत और डराओ मत’ और यही कांग्रेस की और संपूर्ण इंडिया गठबंधन की विचारधारा है। जब शिव की तस्वीर दिखाने पर लोकसभा अध्यक्ष तथा भाजपा ने विरोध किया तो तुरंत हाजिरजवाबी का परिचय देते हुए राहुल गांधी ने कई बार पूछ लिया की क्या यह शिव की तस्वीर लाना गलत है तो अध्यक्ष तथा सत्तापक्ष दोनों अपने को घिरता महसूस कर चुप हो गए। पिछले लोकसभा की भांति उसे कार्यवाही से निकालने की मांग करने की या निर्देश देने की हिम्मत भी किसी की भी नहीं हुई। राहुल गांधी द्वारा अभय मुद्रा का बार-बार जिक्र जानबूझकर किया गया और ये मुद्दा संघ तथा भाजपा पर करारा हमला तब बन गया, जब उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म अहिंसक है और वो हिंसा कर ही नहीं सकता है पर संघ और भाजपा लगातार देश मे हिंसा कर रही है तथा उसको बढ़ावा दे रही है। ये संगठन देश को डरा कर रखना चाहते हैं, लेकिन हमने उसी के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी और जनता ने वोट से इसी के पक्ष में संदेश दिया है।
राहुल गांधी ने हमला करते हुए कहा कि भाजपा सरकार पिछले दस साल से संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है इसलिए इंडिया गठबंधन ने संविधान को बचाने का प्रण ले लिया और जनता इस लड़ाई में साथ खड़ी हो गई।
राहुल गांधी ने अपने हमले की शुरुआत सीधे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से की जब उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के आसन पर दो व्यक्ति बैठे हैं एक अध्यक्ष और दूसरे ओम बिड़ला। क्यों जब अध्यक्ष चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी और वे स्वयं उन्हें आसन तक पहुंचाने गए तो बिड़ला जी ने मोदी जी से झुक कर हाथ मिलाया पर उनसे तने रहकर। यह दोहरा व्यवहार था। इस पर बिड़ला जी ने जब सफाई देने की कोशिश की कि मोदी जी बड़े हैं इसलिए वे झुके तो तुरंत राहुल जी ने उन्हें फिर कटघरे में खड़ा कर दिया ये कहते हुए कि लोकसभा में सबसे बड़े लोकसभा अध्यक्ष हैं और उनसे (ओम बिड़ला) बड़ा कोई नहीं, इसलिए उन्हें किसी के सामने नहीं झुकना चाहिए।
राहुल गांधी ने पिछले दस साल के जो-जो मुद्दे थे, सब एक-एक कर धारदार तरीके से उठाए। उन्होंने अग्निवीर पर सरकार को घेरा तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खड़े हो गए पर राहुल गांधी ने बड़ी होशियारी से ये कहते हुए उन्हें निरुत्तर कर दिया, ‘आप कुछ कहो और मैं कुछ कहूं इससे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि अग्निवीर की सच्चाई खुद अग्निवीर जानते हैं और सेना भी जानती है।’ जब उन्होंने किसानों को आतंकवादी कहने का और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश नहीं मानने तथा एमएसपी नहीं देने का सवाल उठाया तो शिवराज सिंह चौहान उठ खड़े हुए पर उनको भी काउंटर अटैक से राहुल ने निरुत्तर कर दिया।
राहुल गांधी ने नीट परीक्षा, किसान, मणिपुर, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी, हिंसा, भय, अयोध्या, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अडानी, अंबानी इत्यादि हर मुद्दे पर धारदार तरीके से सरकार को घेरा, लेकिन हमेशा की तरह इस बार न तो अध्यक्ष ने तेवर दिखा कर रोका और तुरंत भाषण का कोई हिस्सा स्पंज किया और न ही सत्ता पक्ष ने कोई हिस्सा हटाने की मांग की। हो सकता है कि बाद में उनके भाषण के कुछ हिस्से कार्यवाही से स्पंज कर दिए जाएं, लेकिन उसका ये फायदा तो होगा कि इतिहास के पन्नों में वो दर्ज नहीं रहेंगे लेकिन तीर तो कमान से निकल चुका है और अपने निशाने पर लग चुका है। करोड़ों की संख्या में देश की जनता सुन चुकी है तथा पूरा वीडियो करोड़ों लोगों के पास है, जो इतिहास से मिटने नहीं देगा। दस सालों बाद कल संसद में लोकतंत्र जिंदा दिखाई पड़ा। दस वर्षों बाद कल पक्ष और विपक्ष में संतुलन बनता दिखा। दस सालों बाद कल लोकसभा अध्यक्ष सत्ता के दबाव को भी कई बार किनारे करते दिखे। जी हां, दस साल बाद कल संसद और संविधान दोनों मुस्कुराते हुए दिखलाई पड़े स्वतंत्र और स्वच्छंद रूप से मुस्कुराते हुए।
(लेखक पूर्व मंत्री और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन हैं।)

चीन का ‘चंद्रयान’ चांद से लाया मिट्टी … क्या करेंगे चीनी वैज्ञानिक?

चीन ने चंद्रमा के दूर-दराजवाले हिस्से से चार पाउंड से अधिक मिट्टी इकट्ठा की है। मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चंद्रमा के इस दक्षिणतम बिंदु से कोई चंद्र नमूना धरती पर आया है। चाइना डेली अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, चांग-ई ६ रोबोटिक लूनर लैंडर पिछले सप्ताह पृथ्वी पर वापस आया था। इसके जरिए चंद्रमा के उस हिस्से से १.९५३ किलोग्राम (या लगभग ४.३ पाउंड) नमूने को लाया गया, जो स्थायी तौर पर हमारे ग्रह से दूर है। इस मिट्टी से कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद की जा रही है। चीन के चंद्र कार्यक्रमों की देखरेख करने वाले एक वरिष्ठ अंतरिक्ष अधिकारी जी पिंग ने एक अनावरण समारोह के बाद बताया कि नमूने चंद्रमा के निकटतम हिस्से से एकत्र किए गए नमूनों की तुलना में ‘मोटे और चिपचिपे’ प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि उनमें कुछ ‘गांठें’ हैं। चांग’ई ६ मिशन चंद्रमा के सुदूर भाग से नमूने एकत्र करने वाला पहला मिशन था। इस हिस्से पर अधिकतर समय अंधेरा रहता है और सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती। चंद्रमा के इस हिस्से को हम पृथ्वी से देख भी नहीं पाते हैं। यह दूसरी बार है, जब चीन ने चंद्रमा से मिट्टी का नमूना पृथ्वी पर लाया है।

कब से जूस बेचने लगे ऋतिक रोशन? …वीडियो देख लोगों की जुबां पर यही सवाल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे देख लोगों की आंखें फटी की फटी रह गर्इं। दरअसल, वीडियो में लोगों ने एक शख्स को जूस बेचते हुए देखा। शख्स को देखते ही लोगों के दिमाग में बॉलीवुड के एक बड़े स्टार का चेहरा छप गया। दरअसल, वीडियो में दिखने वाला शख्स जो कि जूस बेच रहा है वह एक्टर ऋतिक रोशन की तरह दिख रहा है। जूस बेचने वाले शख्स का चेहरा ऋतिक रोशन से इतना मिलता-जुलता था कि वीडियो देख लोग इस सोच में पड़ गए कि आखिर ऋतिक रोशन कब से जूस बेचने लगे। वायरल हो रहे इस वीडियो में जूस बेचने वाला शख्स मैंगो शेक तैयार करते नजर आ रहा है। इस वक्त कैमरे का फोकस मैंगो शेक पर था, लेकिन कैमरा जैसे ही उस शख्स के चेहरे पर जाता है, लोग उसे देख भौचक्के रह जाते हैं। जूस बेचने वाले शख्स का चेहरा हूबहू ऋतिक रोशन से मिल रहा है। शख्स को देख ऐसा लग रहा जैसे ऋतिक रोशन खुद मैंगो शेक बनाकर लोगों को पिला रहे हैं। आप देख सकते हैं कि ऋतिक रोशन जैसा दिखने वाला शख्स अपने हाथों में मैंगो शेक का ग्लास पकड़ा हुआ है और वह कस्टमर्स को सर्व कर रहा है। जूस की दुकान में भीड़ लगी हुई है।

ठाणे मनपा पानी का बिल वसूलने में फेल! …तीन महीने में सिर्फ ११ करोड़ ६४ लाख की वसूली

– पिछले वर्ष की तुलना में २ करोड़ रुपए की कमी
सामना संवाददाता / ठाणे 
ठाणे मनपा का जलापूर्ति विभाग बिल वसूलने में फेल साबित हो रहा है, क्योंकि एक ओर जहां ठाणे मनपा का संपत्ति कर विभाग अधिक वसूली कर रहा है, वहीं दूसरी ओर मनपा के जल आपूर्ति विभाग ने इस साल के पहले तीन महीने के सत्र में एक बार फिर निराश किया है। पहले तीन माह में जलापूर्ति विभाग ने ११ करोड़ ६४ लाख ६५ हजार की वसूली की है। जबकि, पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान १३ करोड़ २३ लाख की वसूली की थी। जोकि इस वर्ष लगभग दो करोड़ की कमी आई है। बता दें कि वित्तीय वर्ष २०२४-२५ में ठाणे मनपा के जल आपूर्ति विभाग को २२५ करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया है। इस हिसाब से अप्रैल माह के १८ दिनों में इस विभाग ने १ करोड़ ३६ लाख की वसूली की है। ऐसे में उम्मीद थी कि जलापूर्ति विभाग इस साल अधिक वसूली करेगा लेकिन अब जून के अंत में ऐसा लग रहा है कि इस विभाग ने पिछले साल के मुकाबले कम वसूली की है जो कि ठाणे मनपा की आर्थिक स्थिति को बदहाल करने का काम करेगी। ठाणे महानगर पालिका के माध्यम से पानी के बिलों की वसूली उचित तरीके से की जाए इसलिए स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। इस हिसाब से १ लाख ७ हजार से ज्यादा मीटर लगाए जा चुके हैं। लेकिन स्लम इलाकों में अभी भी इस मीटर के हिसाब से बिल नहीं वसूला जा रहा है। हालांकि पानी के बिलों की वसूली के लिए अभय योजना शुरू की गई है, लेकिन यह ज्यादा सफल नहीं रही है। इसलिए अब मनपा आयुक्त सौरभ राव ने वित्तीय वर्ष २०२४-२५ में पानी के बिलों की वसूली के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का आदेश जलापूर्ति विभाग को दिया है।

मैच देखने के लिए रोक दिया अंतिम संस्कार …वीडियो सामने आया तो मच गया बवाल

दक्षिण अमेरिका में हालिया घटी एक घटना ने सोशल मीडिया में बवाल मचा दिया है। हुआ यूं कि एक परिवार ने अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार सिर्फ इसलिए रोक दिया क्योंकि सामने रोमांचक मैच चल रहा था। वीडियो सामने आने के बाद लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। लोग इस पर परिवार की तारीफ कर रहे हैं। वायरल हो रही क्लिप में परिवार को एक मृत रिश्तेदार के ताबूत के बगल में बैठे हुए सामने बड़े स्क्रीन प्रोजेक्टर पर चिली और पेरू के बीच फुटबॉल मैच देखते हुए देखा जा सकता है। मोरक्को वर्ल्ड न्यूज के अनुसार, ताबूत को फूलों और फुटबॉल खिलाड़ियों की जर्सियों से सजाया गया है। ताबूत के पास प्रार्थना कक्ष में लगे एक पोस्टर में लिखा था, ‘अंकल फेना, आपने हमें जो खुशी के पल दिए, उसके लिए धन्यवाद। हम आपको हमेशा याद रखेंगे। वीडियो को एक यूजर टॉम वैलेंटिनो ने एक्स पर शेयर किया है। उन्होंने कैप्शन में लिखा, एक परिवार ने चिली और पेरू के बीच फुटबॉल मैच देखने के लिए अंतिम संस्कार रोक दिया। परिवार प्रार्थना कक्ष में बड़ी स्क्रीन पर मैच देख रहा है। उन्होंने ताबूत को भी सजाया है। इस वीडियो पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक यूजर ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है जैसे वे उसके साथ आखिरी मैच देख रहे हैं। आप ताबूत पर ट्रॉफियां और जर्सी देख सकते हैं।’ एक अन्य ने लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि जब मैं मरूंगा तो मेरा परिवार भी ऐसा ही करेगा।’

पक रही नई खिचड़ी …कांग्रेस के सीएम से मिलने को बेताब चंद्राबाबू नायडू!

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्राबाबू नायडू ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने राज्यों में कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ६ जुलाई को आमने-सामने की बैठक का प्रस्ताव रखा गया है। सोमवार को अपने पत्र में, चंद्राबाबू नायडू ने हैदराबाद में रेवंत रेड्डी के घर पर मिलने का प्रस्ताव रखा है। नायडू के कांग्रेसी सीएम से मिलने के प्रस्ताव ने राजनीतिक हलकों में सनसनी पैदा कर दी है। दोनों राज्यों के बीच संभावित सहयोगी परियोजनाओं के बारे में बहुत अटकलें हैं। टीडीपी नेता ने एक्स पर लिखा,`मैंने तेलंगाना के माननीय मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को पत्र लिखकर हमारे दो तेलुगु भाषी राज्यों के बीच आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक का प्रस्ताव रखा है। मैं विभाजन के बाद के मुद्दों को हल करने, सहयोग बढ़ाने और हमारे राज्यों में प्रगति को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।’ इस मुलाकात के पीछे भले ही कोई भी कारण क्यों न हो लेकिन सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक विशेषज्ञ तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं।

फुलेरा के ग्राम प्रधान पर ज्यादा भरोसा …जब संसद में मनोज झा ने उठाए सवाल

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने वेब सीरीज ‘पंचायत’ का उदाहरण देकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई गड़बड़ियों की शिकायत पर चुनाव आयोग की ओर से देरी से आए मेल पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग, लोगों का भरोसा खोता जा रहा है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान राज्यसभा में आरजेडी सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने अपने भाषण के दौरान वेब सीरीज ‘पंचायत’ का उदाहरण दिया। उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान बहुत गलत बयानबाजी हुर्इं, जिनकी शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग से की थी। मनोज झा ने कहा, ‘पूरे चुनाव के वक्त बिहार में रहा। हमारी सीटें भले ही कम आर्इं, लेकिन हमने बिहार में हवा बदल दी। आज नौकरी का मतलब तेजस्वी है।’ उन्होंने कहा, ‘चुनाव के वक्त बहुत सी गलत बातें हुर्इं। मुजरा, मंगलसूत्र, टोंटी तोड़ ले जाएगा, ये सब सुनने को मिला। हमने उसी समय इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी, लेकिन हमें दो दिन पहले मेल मिला। उसमें हमसे मोबाइल नंबर और नाम पूछा गया।