लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी का भाषण इस वक्त सुर्खियों में है। नेता विपक्ष के तौर पर राहुल का यह पहला भाषण था और इसमें उन्होंने सत्ता पक्ष की नफरती राजनीति की धुर्रियां बिखेर कर रख दी थीं। १०२ मिनट लंबे इस भाषण में राहुल गांधी ने विभिन्न पहलुओं को बारीकी से सदन के पटल पर रखकर सरकार को निरुत्तर कर दिया। ऐसे में भोजपुरी एक्टर व सांसद रवि किशन ने राहुल के इस भाषण की निंदा करते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण था…शिव जी की तस्वीर को राहुल फेंक रहे थे और उठा रहे थे।’ अब रवि के इस बयान वाले वीडियो को लेकर फिल्ममेकर हंसल मेहता ने ‘एक्स’ पर सिर्फ इतना ही लिखा, ‘अलेलेले मुन्ना।’ अब क्रिकेट की भाषा में कहें तो रवि की गेंद को हंसल ने सीधा सिक्सर जड़ दिया।
झांकी : शाखा बनाम पेड़
अजय भट्टाचार्य
उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल से बाबाजी की सरकार अगस्त के महीने में राज्यव्यापी पौधारोपण का अभियान चलती है और जाहिर है इस साल भी यह अभियान चलेगा। लेकिन इस साल समाजवादी पार्टी ने अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन (१ जुलाई) से एक सप्ताह तक चलने वाले वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की, जिसके पेड़ों को `पीडीए पेड़’ नाम दिया गया। अखिलेश द्वारा गढ़ा गया `पीडीए’ शब्द `पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक’ (ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक) के इंद्रधनुषी गठबंधन के लिए है। पार्टी की योजना उत्तर प्रदेश के गांवों में पीपल, बरगद और नीम के पौधे लगाने की है। पार्टी के एक नेता के अनुसार `पीडीए पेड़’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की `शाखाओं’ का मुकाबला करेगा। विचार मजबूत जड़ों वाले पौधे उगाने का है जो पर्यावरण के अनुकूल भी हों। हर `पीडीए पेड़’ के पास सामाजिक न्याय के संदेश के साथ छोटे-छोटे फलक भी लगाए जाने की योजना है। ये पौधे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में सामाजिक समानता की प्राणवायु हर दिन देंगे। वर्तमान में हर तरफ पैâले प्रदूषण को दूर करने के लिए पेड़ लगाने की आवश्यकता है, शाखाओं की नहीं। पौधे की जड़ें जब जमीन पकड़ लेती हैं, तो शाखाएं, पत्तियां, फूल, फल सब अपने आप प्राप्त होता है। इसलिए शाखाओं की नहीं, जमीन से जुड़ें पेड़ों की आवश्यकता है, मनुष्य निर्मित शाखाओं की नहीं। `पीडीए पेड़’ पौधारोपण के इस पर्यावरणीय, सामाजिक आंदोलन को उत्तर प्रदेश के गांवों से शुरू कर राष्ट्रव्यापी बनाने का प्रयास किया जाएगा।
एक बयान, दो निशान
लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर दहाड़ें मारकर रोनेवाले चौबेजी जैसे ही विषाद से उबरे, बिहार की सियासत को गरमा दिया। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे लेकर जब दिल्ली में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जनता दल यूनाइडेट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी, चौबेजी का बयान हवा में तैर रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव का नेतृत्व भाजपा करेगी और पार्टी में आयातित नेतृत्व से काम नहीं चलेगा। चौबेजी के बयान ने एक साथ दो निशाने साधे। पहला तो अप्रत्यक्ष रूप से बिहार में राजग की कमान संभाल रहे नीतीश कुमार और दूसरा अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, दोनों को इस बयान की तीक्ष्णता का अहसास हुआ। चौबेजी का बयान बाण काम कर चुका था। जदयू की तरफ से केसी त्यागी ने चौबेजी के बयान की यह कहकर हवा निकाल दी कि चौबेजी की पार्टी के सबसे बड़के नेता कह चुके हैं कि बिहार में विधानसभा चुनाव नीतीश के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। लेकिन फिर भी चौबेजी का बयान बिहार में सत्ता की अगुवाई कर रहे जदयू को चोट तो दे ही गया। पार्टी कार्यकारिणी में इस मुद्दे पर गरमागरम चर्चा भी हुई कि आखिर विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करके प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ बनाना चाहती है, लेकिन नीतीश कुमार के नेताओं को यह कोशिश रास नहीं आ रही। एक ओर भाजपा नेता बयान दे रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव राजग भाजपा के नेतृत्व में लड़े। वहीं जदयू नेताओं का कहना है कि बिहार की राजनीति नीतीश कुमार के इर्द गिर्द घूमती है। इसलिए २०२५ का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। नीतीश कुमार राजग का चेहरा हैं। जब भाजपा के बिहारी तंबू को यह अहसास हुआ कि चौबेजी के बयान से गड़बड़ हो सकती है और न केवल बिहार बल्कि दिल्ली की भी गद्दी हिल सकती है, तुरंत सम्राट चौधरी डैमेज कंट्रोल में जुट गए। वे भाजपा की तरफदारी करने मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए। उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात करके भाजपा का पक्ष रखा। जहां तक सम्राट चौधरी की बात है, वे अपनी ही पार्टी के निशाने पर इसलिए हैं कि इस बार कुशवाहा वोट भाजपा से खिसक गया। राजद और जदयू में अपनी पारी खेलने के बाद सम्राट भाजपा में आये हैं। जाहिर है आयातित नेता का जिक्र कर चौबेजी ने सम्राट के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)
दुबई का दूल्हा, तमिल दुल्हन
साउथ इंडिया के काफी लोग खाड़ी देशों खासकर दुबई में काम करते हैं। ऐसे में अगर दुबई के एक चर्चित शख्सियत का कनेक्शन साउथ की लड़की से जुड़ता है तो इसमें ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है। असल में यूएई के सबसे लोकप्रिय यूटयूबरों में शुमार खालिद अल अमेरी ने सगाई करने के बाद अपनी मंगेतर के अंगूठी पहने हाथ की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। पता चला है कि खालिद की मंगेतर ३५ वर्षीय मॉडल और साउथ की एक्ट्रेस सुनैना येला है। सुनैना ने तमिल फिल्मों के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। अब यह दावा किया जा रहा है कि यह कपल इसी साल शादी भी कर लेगा। अब देखना है कि यह जोड़ा शादी के बाद वैâसा रंग जमाता है।
तड़का : हाऊ इज द जोश…हाई
कविता श्रीवास्तव
टी-२० वर्ल्डकप जीतकर भारतीय क्रिकेट टीम ने तिरंगे की शान बढ़ा दी और पूरा भारत रोमांचित हो उठा। भारतीय क्रिकेट टीम अपने देश में पधारे और उसका भव्य स्वागत किया जाए, इसका जबरदस्त इंतजार हर जगह हो रहा है। विश्वकप जीतने के आखिरी ओवरों में एक-एक गेंद पर जो जोश बढ़ा था वह जोश अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि महिला क्रिकेटरों ने और भी धूम मचा दी। चेन्नई में उन्होंने भी साउथ अप्रâीका को १० विकेट से हराकर तहलका मचा दिया। इस मैच की खासियत यह रही कि महिला स्पिनर स्नेह राणा ने टेस्ट क्रिकेट में १० विकेट लेनेवाली पहली महिला क्रिकेटर बनने का रिकॉर्ड स्थापित किया। इसीके साथ शेफाली वर्मा ने सबसे तेज डबल सेंचुरी बनाने का रिकॉर्ड बनाया। इस तरह भारत की महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट टीमों ने साउथ अप्रâीका को अपने-अपने मैचों में पराजित करके भारत के लिए दोहरी सफलता अर्जित की है। इससे पूरे देश में जोश एकदम `हाई’ है। वैसे तो `हॉकी’ हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है। लेकिन क्रिकेट ने सारे खेल को पीछे छोड़कर लोकप्रियता का जो स्थान हासिल किया है वह अक्सर देश को एकजुट भी कर देता है। जब भी कोई भारतीय क्रिकेटर एक गेंद फेंकता है या किसी एक गेंद का सामना करता है तो वह अकेला नहीं पूरा देश उस प्रत्येक गेंद, उसकी स्ट्राइक, उसके रन और उसके असर से स्वयं को प्रभावित होता महसूस करता है। यही रोमांच टी-२० वर्ल्डकप के फाइनल मैच में भी दिखा। उस दिन मैं रात्रि में दादर से मालाड के लिए लोकल ट्रेन से रवाना हुई थी। पूरे कंपार्टमेंट में सभी के मोबाइल पर मैच चल रहा था और एक-एक मोबाइल पर चार-पांच लोगों की आंखें लगी हुई थीं। मेरे बांद्रा पहुंचते-पहुंचते सूर्यकुमार यादव ने आखिरी ओवर की पहली गेंद पर दक्षिण अप्रâीका के स्टार बल्लेबाज डेविड मिलर का वैâच लपक लिया। वहीं से बाजी पलट गई। तब सभी लोग एकसाथ झूम उठे और शाबाशी के जोरदार नारे लगाए। उसके बाद जो हुआ उसे देखकर भारत का प्रत्येक क्रिकेटप्रेमी रोमांचित होता रहा। अंतत: आखिरी गेंद पर जब भारत विजयी हुआ तो पूरी ट्रेन में लोग उछल पड़े और भारत `माता की जय’, तालियों, सीटियों, जबर्दस्त शोर-शराबे और देश की विजय की खुशी से पूरा कंपार्टमेंट उछल उठा। मालाड उतरकर मैं बाहर आई तो सड़क पर तिरंगे झंडे लेकर चल रहे नाचते-गाते, उत्सव मनाते लोगों ने सड़कों पर ट्रैफिक जाम कर रखा था। सब एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे। बिना जान पहचान वालों से भी हाथ मिला रहे थे। सबके गले मिल रहे थे। हमें भी देश के गौरव का रोमांच उत्साहित करता रहा। देश के प्रति ऐसी एकजुटता यदि कोई खेल के माध्यम से हो रही है तो यह बहुत बड़ी बात है। इसके लिए सभी क्रिकेट खिलाड़ियों और सभी क्रिकेटप्रेमियों का अभिनंदन है। राष्ट्र-प्रेम का यह जोश हमेशा `हाई’ रहना चाहिए।
मुगल काल में अत्याचार के भय से पूर्वजों ने कबूला था इस्लाम धर्म, अब हुई घर वापसी
उमेश गुप्ता / वाराणसी
चंदौली के बिछिया गांव के निवासी मोहम्मद अजहरूद्दीन ने मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार सनातन धर्म में वापसी कर ली है। अब वह मोहम्मद अजहरुद्दीन से डब्लू सिंह बन गए है। उन्होंने अपने साथ अपने पुत्र-पत्नी को भी शुद्धिकरण कराते हुए सनातन धर्म में वापसी कर लिया है। अब वह रामचरित मानस व गीता पाठ करने लगे हैं। उन्होंने भोजूबीर स्थित आर्य समाज मंदिर में परिवार समेत सनातन धर्म अपनाया।
बता दें कि मोहम्मद अजहरुद्दीन मुस्लिम धर्म में पठान जाति से ताल्लुकात रखते थे। गौरतलब है कि सनातन धर्म में वापसी करने के बाद दंपति ने अपने बेटे के साथ अपने नाम भी बदल लिए। रिजवाना ने अपना नाम गुड़िया सिंह और पति मो. अजहरुद्दीन ने अपना नाम डब्लू सिंह रख लिया। वहीं बेटे मो. राज का नाम राज सिंह रखा है। मुस्लिम परिवार की घर वापसी की खबर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। कई लोग इसके पक्ष में बोल रहे तो कई लोग इसे गलत और प्रोपागेंडा के तहत कार्य बता रहे हैं।
वैदिक विधान-विधान के साथ स्वीकार किया हिन्दू धर्म
काशी में स्थित आर्य समाज मंदिर में बाकायदा वैदिक विधि विधान से मुस्लिम परिवार ने हिन्दू धर्म स्वीकार किया है। सनातन धर्म स्वीकार कर डब्लू सिंह ने बताया कि जब उन्होंने अपना कुर्सीनामा को देखा तो एहसास हुआ कि उनके पूर्वज पहले सनातनी थे। इसी वजह से शुरू से ही उनके अंदर सनातन धर्म के प्रति आस्था एवं विश्वास था। उन्होंने बताया कि उनके घर में रामचरित मानस और श्रीमद् भागवत की पुस्तके मौजूद हैं। वह इसका पाठ भी करते हैं।
धर्म के ठेकेदारों के कारण हुआ विलंब
उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2006 से ही सनातन धर्म में वापसी करने को लेकर प्रयास कर रहे थे लेकिन धर्म के ठेकेदारों द्वारा उनको प्रताड़ित करने का काम किया गया। हालांकि लंबी लड़ाई लड़ते हुए 30 जून को उन्होंने परिवार सहित अपनी सनातन धर्म में पूर्ण रूप से वापसी कर ली है। आगे कहा कि जो लोग उन्हें दोषी ठहरा रहे थे, जब अपना पुराना इतिहास एवं कुर्सी नामा देखेंगे तो उनका भी सनातन के प्रति रूझान बढ़ जाएगा।
मुगलों के अत्याचार के भय से पूर्वज बने थे मुस्लिम
मुस्लिम धर्म से सनातन धर्म अपनाने वाले दंपति के मुताबिक 6 पीढ़ी पहले मुगल साम्राज्य के अत्याचार के भय से हमारे पूर्वजों ने मजबूरी में मुस्लिम धर्म अपनाया था। जब उन्हें यह बात पता चली थी तो उन्होंने अपने वास्तविक धर्म में लौटने का निर्णय लेते हुए राजसूत्र पीठ से संपर्क किया। ऐसे में आर्य समाज मंदिर में पहुंचकर पूरे परिवार का वैदिक विधि से सनातन धर्म में वापसी की।
राजीव पार्क के कोने में स्वामी विवेकानंद की ‘छोटी मूर्ति’ का विवाद गहराया …स्थगित हुआ प्रतिमा स्थापना का कार्य
विक्रम सिंह/ सुल्तानपुर
यूपी के सुल्तानपुर शहर में नगर पालिका राजीवगांधी पार्क के एक कोने में युवाओं के प्रेरणा स्रोत प्रख्यात प्रगतिशील संत स्वामी विवेकानन्द की तकरीबन ढाई-तीन फुट की प्रतिमा स्थापित करने जा रही है। जिसे लेकर राजनीतिक हल्के में विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस ने सप्ताह भर पूर्व ही खुलकर विरोध जताया और पालिका प्रशासन पर इस निर्णय को मर्यादाविहीन और महापुरुषों का तिरस्कार बताते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। बावजूद प्रतिमा स्थापना का फैसला परिवर्तित न किये जाने पर मंगलवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिससे सकते में आए प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने तत्काल निर्माण रोकवा कर पालिकाधिकारी से रिपोर्ट तलब कर ली है।
बता दें कि सुल्तानपुर कलेक्ट्रेट के सामने दशकों पुराना तिकोनिया पार्क है। जिसमें सन १९९९ से पूर्व पीएम स्व. राजीव गांधी की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। इस तिकोनिया पार्क को ‘राजीव गांधी पार्क’ नाम से भी लिखा पढ़ा जाता है। अब इसी पार्क के दक्षिण कोने में पालिकाधिकारी की अनुमति के बाद भारत विकास परिषद नामक सामाजिक संस्था स्वामी विवेकानंद जी की तकरीबन ढाई-तीन फुट की प्रतिमा स्थापित करने जा रही है। जब ये जानकारी मीडिया के जरिये लोगों की हुई तो कांग्रेस आंदोलित हो उठी। हफ्ते पूर्व डीएम को ज्ञापन देकर विरोध जताया, कहा कि पालिका की यह पहल दोनों महापुरुषों (स्वामी विवेकानंद व राजीव गांधी) का अपमान है। जिस पार्क में राजीव गांधी की आदमकद मूर्ति हो उसी जगह एक कोने में स्वामी जी की छोटी सी मूर्ति लगा देना उन्हें अपमानित करने जैसा है। जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा इसके बावजूद प्रशासन ने कांग्रेस के विरोध को हल्के में लिया। इसपर बौखलाई कांग्रेस मंगलवार को आंदोलित हो उठी। जिलाध्यक्ष अभिषेक राणा व शहर अध्यक्ष शकील अंसारी के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट गेट के सामने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। ‘महापुरुषों का अपमान बंद करो’ नारे लगे। पालिका प्रशासन के खिलाफ भी नारेबाजी हुई। सिटी मजिस्ट्रेट ज्ञापन लेने आए लेकिन कांग्रेसियों ने ज्ञापन देने से इनकार कर दिया। बाद में एडीएमद्वय ने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेसी राजीव गांधी पार्क में हो रहे काम को बंद करवाने की मांग पर अड़े रहे। बाद में कांग्रेसियों ने डीएम ज्योत्सना को ज्ञापन दिया। इसपर डीएम ने पालिका के ईओ को बुलाकर तुरंत काम बंद करने का निर्देश दिया। इस पर ईओ ने मौके पर जाकर जब काम रुकवाया तब जाकर कांग्रेसियों ने धरना समाप्त किया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष राणा ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि जिला प्रशासन जल्द ही स्वामी जी की प्रतिमा किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर सम्मान के साथ लगवाने की व्यवस्था करेगा। अन्यथा कांग्रेस जेल भरो आन्दोलन के लिये बाध्य होगी। इस अवसर पर पार्टी प्रवक्ता अमोल वाजपेई,नफीस फारूकी,पीसीसी सदस्य लाल पद्माकर सिंह, मो. हारुन, हौसिला भीम, तेज बहादुर पाठक, सुब्रत सिंह सनी, अतहर नवाब, राजेश तिवारी, वरिष्ठ नेता विजय श्रीवास्तव, महेंद्र सिंह मास्टर, पवन मिश्र कटांवा, विनय त्रिपाठी, सिराज अहमद उर्फ भोला, प्रेम भारती, किसान कांग्रेस अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह, अपरबल सिंह, सलाहुद्दीन हाशमी, विजय पाल, नंदलाल मौर्य, अमरीश पाठक जिगर, राहुल मिश्रा, जाकिर हसन,वीरेंद्र तिवारी नन्हें, अवधेश गौतम, श्याम लगन, हौसिला कनौजिया, अनवर शाही, हाजी फिरोज, दयाशंकर दूबे, शीतला साहू सहित अनेक प्रमुख जन मौजूद रहे।
सेवानिवृत्त हुए सहायक आयुक्त आदित्यनारायण मिश्र
सामना संवाददाता / मुंबई
आदित्यनारायण मिश्र सहायक आयुक्त ( CGST) पश्चिम जोन मुंबई से 28 जून 2024 को 37 वर्ष 3 माह की प्रदीर्घ सेवा के पश्चात सेवानिवृत्त हुए।
रेलवे स्टेशन अधीक्षक त्र्यंबक मिश्रा और माता द्रौपदी मिश्रा के घर 8 जून 1964 को जन्मे आदित्यनारायण मिश्रा बचपन से ही मेधावी छात्र थे। रुइया स्कूल विलेपार्ले से एस.एस.सी. करने के बाद रूपारेल कॉलेज माटुंगा से B.SC. और M.SC. प्रथम श्रेणी में करने के बाद अन्य नवयुवकों की तरह अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। सफलता भी मिली। 5 मार्च 1987 को वे मुंबई केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए। मुंबई बम ब्लास्ट ( सन् 1993 ) के बाद जांंच–पड़ताल के सिलसिले में चुनिंदा अधिकारियों की एक विशेष टीम महाराष्ट्र के समुद्री तट श्रीवर्धन भेजी गई थी।
आदित्यनारायण मिश्रा भी उस विशेष टीम का हिस्सा थे। वहां भी उन्होंने सफलतापूर्वक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। प्रिवेंटिव विभाग में कार्य के दौरान आपने अनेक हाई प्रोफाइल Cases सफलतापूर्वक हल किए जिसके लिए आप विभाग द्वारा सम्मानित भी हुए। 21 वर्षों तक निरीक्षक के पद पर कार्य करने के बाद अक्तूबर 2008 में अधीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए।
मृदु भाषी,विनम्रता और सहयोग की भावना से ओतप्रोत तथा प्रखर, तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी आदित्यनारायण मिश्रा विभागीय एसोशिएसन में सतत सक्रिय भूमिका निभाते रहे। पश्चिम जोन में रहने के बावजूद उनके सभी ज़ोन के लोगों से अच्छे संबंध हमेशा बने रहे। सहयोगी स्वभाव के चलते सभी ज़ोन के लोगों को मार्गदर्शन भी करते रहे।
हिंदी साहित्य के अच्छे पाठक, कवि सम्मेलन के रसिक श्रोता,पुराने फिल्मी गीतों के शौकीन और मो. रफी साहब की आवाज के प्रेमी आदित्य अपने विभाग के कल्चरल संकाय में भी सतत सक्रिय रहे। अनेक वर्षों तक इसमें वे ट्रेजरर रहे। कल्चरल विभाग के ऑल इंडिया स्तर के अनेक कार्यक्रमों में सहभागी हुए और सफल भी रहे।
15 वर्षों तक अधीक्षक पद सुशोभित करने के बाद 15 जुलाई 2023 को फिर विभागीय पदोन्नति हुई और वे सहायक आयुक्त के पद पर पदासीन हुए। उनके विभागीय जीवन की तरह उनका पारिवारिक जीवन भी अत्यंत सफल रहा है। उनकी पत्नी नलिनी मिश्रा एक सफल ज्वेलरी डिजाइनर, बड़ी बेटी आस्था मिश्रा Accenture Solutions Pvt Ltd. में IT इंजीनियर के रूप में टीम लीडर पोस्ट पर कार्यरत हैं। सुपुत्र आशुतोष मिश्रा ने पिछले वर्ष ही CA की डिग्री प्राप्त की।
37 वर्षों की सफल प्रदीर्घ सेवा के पश्चात आदित्यनारायण मिश्रा सेवानिवृत हुए।
इस अवसर पर कमिश्नर अजय पांडे, ज्वाइंट कमिश्नर कौशल कुमार मिश्रा, असिस्टेंट कमिश्नर बी.एस. लिंगवाल, शिशिर अग्निहोत्री, शंकर सुब्रमण्यम, उन्नी, सेवानिवृत्त प्रशासकीय अधिकारी BMC तथा महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति मंडल बालभारती हिंदी विषय समिति के अध्यक्ष रामहित यादव, पाठयपुस्तक निर्मिति मंडल बालभारती हिंदी समिति सदस्य पूर्णिमा पांडेय, मॉरीशस से डॉ. अविनाश तिवारी एवं अन्य गणमान्य लोगों ने उनकी सेवानिवृत्त जीवन की शुभकामनाएं दी हैं। उनके अभिन्न मित्र, कवि, अधीक्षक शशांक मिश्र ने उनके लिए अपने काव्यपाठ के माध्यम से उनके प्रति अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 60 की तक पहुंची!
मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है-चश्मदीद
मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर एक और धब्बा लग गया। हाथरस के रतिभानपुर में भोले बाबा के सत्संग के समापन के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में 60 लोगों की मौत की सूचना आ रही है। एटा मेडिकल कॉलेज के सीएमओ का कहना है कि सिकंदराराऊ के पास हो रहे एक महोत्सव में भगदड़ मचने से पहले 27 महिलाओं समेत 30 लोगों की मौत हो गई है, 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना आ रही थी। स्थानीय लोगों और चश्मदीदों के अनुसार मरने वालों का आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि अस्पताल में लगातार घायलों को एटा, अलीगढ़ और आगरा मेडिकल लाया जा रहा है। एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह का कहना है कि हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था, तभी भगदड़ मची। अकेले एटा के अस्पताल में अब तक 30 शव मिले हैं, जिनमें 25 महिलाएं, 3 बच्चे और 2 व्यक्ति का शव मिली है।घायलों को अस्पताल में इलाज दिया जा रहा है। कुछ को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया जबकि कुछ लोगों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया। इन शवों की पहचान की जा रही है।
इस घटना पर संज्ञान लेते हुए लखनऊ में मुख्यमंत्री ऑफिस ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके समुचित उपचार कराने और मौके पर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिया है। उन्होंने एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ के नेतृत्व में घटना के कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं। एक घायल महिला ने बताया कि हम दर्शन करने आए थे। बहुत भीड़ थी, जब भगदड़ मची तो मैं और मेरा बच्चा भी भीड़ के नीचे आ गया। अपनी घायल मां के साथ अस्पताल पहुंची एक युवती ने बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद भगदड़ मच गई। हम लोग खेत के ओर से निकल रहे थे, तभी अचानक भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी, जिससे कई लोगों नीचे दब गये। हमारे साथ एक और शख्स आए थे, उनकी मौत हो गई है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण और स्वतन्त्र प्रभार के मंत्री संदीप सिंह को मौक़े पर रवाना कर दिया है। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कल ही राज्य के मुख्यसचिव के रूप में चार्ज लेने वाले मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार घटनास्थल के लिये रवाना हो गये हैं। रवाना होने से पहले मुख्यसचिव ने कहा कि पूरे मामले की गहनता से जांच कर जिम्मेदारों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
शुरुआती बरसात में ही धंस गया आठ मीटर बांध का हिस्सा …गांवों पर बाढ़ का खतरा
मोतीलाल चौधरी / कुशीनगर
परोरही गांव के सामने बना बांध का पानी की धार रोकने का ठोकर नंबर-चार का आठ मीटर हिस्सा सोमवार को शुरुआती बरसात में ही धंस गया। जिसके चलते अगल-बगल के गांवों पर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते ठोकर की मरम्मत नहीं कराई गई तो मानसून के समय नदी के बढ़ते जलस्तर में बांध को नुकसान पहुंच सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार अमवाखास तटबंध के परोरही गांव के सामने बड़ी गंडक नदी बांध से काफी नजदीक बह रही है। बांध को बचाने और पानी की धारा को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए ठोकर नंबर-चार बनाया गया है। नदी में जलस्तर की वृद्धि होने के बाद सोमवार को हल्की बारिश में ठोकर का आठ मीटर हिस्सा धंस गया। ठोकर धंसने के बाद नदी का दबाव अब मुख्य तटबंध पर बढ़ गया है। ठोकर का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त होते ही नदी बांध के करीब से सटकर बह रही है। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना बाढ़ खंड विभाग को दे दी है। इसके बावजूद देर शाम तक विभागीय अधिकारी मौके पर नही पहुंचे। स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी बंधे की काफी नजदीक से होकर बह रही है। इससे मुख्य बांध पर संकट मंडराने लगा है। अगर यही हाल रहा तो बढ़ते जलस्तर में बांध को भी नदी नुकसान पहुंचा सकती है। बंधा टूटने के बाद कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
झुंझुनू में जमीन के विवाद में बाप-बेटे की हत्या
झुंझुनू। राजस्थान के झुंझुनू जिले में मंगलवार की सुबह जमीनी विवाद में चचेरे भाइयों ने पिता-पुत्र की हत्या कर दी। खेत में काम कर रहे परिवार पर दिनदहाड़े लोगों ने तलवार, लाठियों और सरियों से हमला किया। घटना में घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां पहले बेटे, फिर पिता ने दम तोड़ दिया। मारपीट की घटना में तीन अन्य घायलों का फिलहाल अस्पताल में इलाज जारी है। जिनमें से मृतक की पत्नी को जयपुर रेफर किया गया है। वहीं मामले में आरोपी पक्ष से पूछताछ की जा रही है। दोनों पक्षों के बीच जमीन बंटवारे का मामला 2014 से कोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस आरोपी पक्ष को डिटेन किया है।
जिला पुलिस अधीक्षक राजर्षी राज वर्मा ने बताया कि घटना जिले के सूरजगढ़ थाना इलाके के धींगडिया गांव में हुई। जानकारी के अनुसार घटना में दो पक्ष शामिल है। दोनों पक्ष आपस में दो दादाओं की औलाद है। इनमें नेतराम और गणपत राम दोनों भाई थे। दोनों के नाम करीब 20 बीघा जमीन है। इसी जमीन को लेकर दोनों परिवारों में विवाद है। गणपतराम के तीन बेटे हैं। एक बाबूलाल, दूसरा मुरारीलाल और तीसरा श्यामलाल है। इसी तरह बड़े भाई नेतराम के भी तीन बेटे हैं। एक बेटा राम अवतार, दूसरा पवन और तीसरा सांवरमल है।
मृतक बाबूलाल के पुत्र विकास कुमार ने बताया कि मंगलवार सुबह खेत में उसके पिता बाबूलाल (50), भाई सोनू (21), बहन प्रियंका (30) और मां सुनिता (45) काम कर रहे थे। मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे दूसरे पक्ष से पुनीत पुत्र रामअवतार, देवेंद्र पुत्र रामअवतार, सांवरमल पुत्र नेतराम, सरोज, पवन सहित अन्य लोगों ने पहले तलवार, लाठियों और सरियों से हमला कर दिया।
मारपीट के दौरान बाबूलाल और उसका बेटा सोनू (21) गंभीर घायल हो गए। दोनों को सूरजगढ़ के स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां सोनू को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद बाबूलाल को झुंझुनू के बीडीके अस्पताल रेफर किया गया जहां इलाज के दौरान बाबूलाल की मौत हो गई। इसके बाद गंभीर हालत में बाबूलाल की पत्नी सुनीता को जयपुर रेफर कर दिया गया। सूचना मिलने के बाद एसपी राजर्षि राज वर्मा भी अस्पताल पहुंचे। मामले में पांच लोगों को डिटेन किया है। वहीं घटना को लेकर जांच की जा रही है।
जानकारी के अनुसार मृतक सोनू (21) बेंगलुरु में एक कम्पनी में काम करता था। वह पांच दिन पहले ही गांव आया था। मृतक बाबूलाल गांव में ही खेती करता था। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच जमीन बंटवारे का विवाद करीब दस साल पुराना है और वर्ष 2014 से कोर्ट में विचाराधीन है।