बुरा न मानो होली है

जोगीरा सर.र.र.र
सिसक रहे हैं भुजबल भाऊ, मुंडे हैं बेहाल,
जिनको गुरू समझ रखा था, निकले गुरु घंटाल,
जोगीरा सर र र र र र

भैंसा-भेंड़ा और भतीजों की है यही कहानी
महाराष्ट्र, यूपी, बिहार में, चाचा भरते पानी
जोगीरा सर र र र र र

लोग समझते थे झाड़ू से होती सदा सफाई
गजब हो गया दिल्ली में दारू कर गई सफाई
जोगीरा सर र र र र र

सोनाक्षी की शादी पर जिसने था किया बवाल
शर्मा जी की सुता ले उड़ा इक खंडेलवाल
जोगीरा सर र र र र र

बुआ-भतीजे में कब पटती पूछ रहा इतिहास
टीपू से ना सबक लिया, छाती पीटें आकाश
जोगीरा सर र र र र र

अन्ना को गन्ना बनवाया,सहमे अब भगवंत
अगले जनम मिले बीबी, इसको राखी सावंत
जोगीरा सर र र र र र

करते हैं औरंगजेब का जो-जो यहां बखान
उन्हें मिलें औरंगजेब-सी दो दर्जन संतान जोगीरा सर र र र र र

महिला आरक्षण बिल उसने पास किया रे भाई
जिसके घर में आज तलक ना देखी एक लुगाई

देश हमारा चला रहे हैं अब सारे गुजराती
छाती पीट रही है भइया, अब खुद साढ़ेसाती
जोगीरा सर र र र र र

रेखा को कब समझ सका है जग में कोई प्यारे
सीता मइया, मफलर वाले या अमिताभ हमारे
जोगीरा सर र र र र र
-सुरेश मिश्रा

‘नो रंग ओनली कलर्स, नो पानी ओनली वाटर्स’!-सुनील सांवरा

 

टीवी पर जब कॉमेडी शो शुरू हुए तो एक सामान्य से चेहरे ने अपनी कॉमेडी के जरिए बहुत जल्दी लोगों के बीच अपनी पहचान बना ली थी। ये हैं सुनील सांवरा। इनकी हाजिरजवाबी के दर्शक कायल हैं। पेश है इस चुटीले हास्य कलाकार से श्रीकिशोर शाही की हुई बातचीत के प्रमुख अंश –

स्टैंडअप कॉमेडियन किसी को भी नहीं छोड़ते। क्या बचपन में भी होली की शरारतें इसी तरह करते थे?
-ओह, बचपन की तो बात ही कुछ और थी। होली के दिन हम दोस्तों के साथ फुग्गा फेंक रहे थे। तभी एक स्कूटी सवार को फुग्गा लगा। पर ये क्या? उस आदमी ने मुड़कर देखा तो हमारे होश गायब। वो हमारे स्कूल वाले मैथ के टीचर निकले। वह फुग्गा मुझे बहुत भारी पड़ा। बाद में वो हमेशा मैथ के कठिन सवाल पूछकर परेशान करने लगे।

क्या बचपन में ऐसी होली खेली जब आईना में खुद को ही पहचान नहीं पाए हों?
-एक बार का किस्सा मजेदार है। मैं सज-धज कर १०वीं की गर्लप्रâेंड के मुहल्ले में जा रहा था, तभी ८-१० लड़के आए और उन्होंने मेरे चेहरे पर इतने रंग पोत दिए कि मैं पहचान में नहीं आ रहा था। सामने गर्लप्रâेंड रंग खेल रही थी पर वह भी मुझे पहचान नहीं पाई। अब मेरी हालत ऐसी थी कि मैंने भी सोचा कि चलो अच्छा है कि वो पहचान नहीं रही।

आप कॉमेडियन लोग तो दूसरे कॉमेडियन की खिंचाई करने का कोई मौका नहीं गंवाते हैं। होली में फिर क्या करते हैं?
-होली में हम बोली से होली खेलते हैं। ‘बुरा न मानो होली है’ बोलकर हम सबकुछ बोल देते हैं। एक बार होली के आसपास बिग बी के एक करीबी ने प्रोग्राम कराया। प्रोग्राम की रवानगी में मैंने कह दिया कि हर हीरो २-३ शादी कर रहा है और अमिताभ बच्चन आधे में ही (जया बच्चन की हाइट की ओर हाथों से इशारा करके) खुश हैं। आयोजक महोदय को यह बात काफी बुरी लगी। फिर मैंने जोर से बुरा न मानो होली है कहकर बात संभालने की कोशिश की।

होली के दौरान कोई मजेदार घटना जो याद आते ही हंसी आ जाती हो।
-कई हैं। एक बार एक मनचला थोड़े सुरूर में था। रंग देखकर बोला कि अरे इनका क्या काम? हमारे यहां तो ‘आंख मार’ होली होती है। आंख मार दो तो लाल हो जाती है। वैसे जो ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं, उनका अंदाज ही निराला होता है। एक बार मैंने फुग्गा मारा तो एक महिला की आवाज आई कि ‘नो रंग ओनली कलर्स, नो पानी ओनली वाटर्स’!

आज देश के कई कोनों से आवाजें उठ रही हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया जा रहा है। क्या आपको भी ऐसा महसूस होता है?
-वाकई वक्त बदल गया है। अब तो शो के पहले एक गाइडलाइन आ जाती है। सरकारी संस्थानों से हिदायतें मिलती हैं कि ये नहीं बोलना है। पहले हम मनमोहन सिंह, लालू प्रसाद, सोनिया गांधी जैसे नेताओं पर खूब जोक सुनाते थे। पर अब बंदिश आ गई है। पहले ही बता दिया जाता है कि किसी नेता पर जोक नहीं सुनाना है। पार्टी पर जोक नहीं सुनाना है। सरकारी आयोजनों में तो ये सब पूरी तरह मना है। सच पूछिए तो ऐसे में मजा नहीं आता। बिना सत्ता पर व्यंग्य किए कार्यक्रम में मजा नहीं आता। पब्लिक को भी मजा नहीं आता। वैसे अब प्राइवेट शोज् में भी यह बीमारी पसर गई है। वहां भी तमाम तरह के बंधन लगाए जाने लगे हैं कि ये नहीं बोलना है, वो नहीं बोलना है वगैरह।

ओटीटी पर तो कोई सेंसर नहीं है। वहां तो बोल सकते हैं?
-न जी न। अब तो वहां भी छूट खत्म हो गई है। वहां भी आप बड़े सितारों पर व्यंग्य नहीं कर सकते। फिर क्या मजा आएगा। कहने को ओटीटी पर सब एलाऊ है, पर असल में ऐसा है नहीं। ऐसे में क्या हास्य-व्यंग्य करें? अब तो बिहार में भी बंदिश है। वहां आप शराब पर कोई भी अच्छा-बुरा जोक नहीं सुना सकते।

हिंदी फिल्मों में होली गीतों की एक अपनी मस्ती रही है। कौन-सा गीत आपको सबसे ज्यादा पसंद है?
-वैसे तो हिंदी फिल्मों में एक से बढ़कर एक होली गीत हैं। पर जब आपने पसंदीदा की बात की है तो वह एक ही है। बागवान का गीत ‘होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा…’। यह गीत लाजवाब है। इसका कोई जवाब नहीं है। पता नहीं इन दिनों फिल्मों में होली के गीत कम क्यों हो गए।

अगर आपको मौका मिला तो किस हीरोइन के गालों पर गुलाल लगाना पसंद करेंगे?
-देखिए मेरी पत्नी ‘दोपहर का सामना’ की नियमित पाठिका है इसलिए मैं बता नहीं सका। वैसे इच्छा तो है कि काश, दीपिका पादुकोण को लगा पाता। उनकी शादी के पहले सिर्फ दीपिका समझकर खेलता। अब रणवीर भाई से शादी हो गई है तो भौजाई समझकर खेलना पड़ेगा। उसमें सेफ भी रहेगा। मौका मिला तो उसे रंग जरूर लगाएंगे।

पहले की होली और आज की होली में क्या फर्क महसूस करते हैं?
-बहुत फर्क आ गया है। आज सोशल मीडिया मजबूत हो गया है पर वन टू वन का रिश्ता खत्म हो गया है। पहले ढोल बजाकर, थाली बजाकर होली खेलते थे। अब लोग होली खेलना नहीं चाहते। चलते-चलते एक चुटकी हो जाए।
मेरे दोस्त सुंदरलाल जी ने होली के त्योहार का फायदा कुछ इस तरह उठाया
चेहरा समझ में न आने के कारण पड़ोसन को ४-५ बार रंग लगाया
पर जैसे ही घर में घुसे, उन्हें देख परिवार का हर सदस्य मौन था।
भाभीजी बोली, जब तुम अभी आ रहे हो तो मेरे साथ कौन था?
बुरा न मानो होली है!!

ब्लैक फ्राइडे : …जब धमाकों से मुंबई दहल उठी …आतंकियों ने खेली थी खून की होली

फिरोज खान

कहते हैं वक्त के साथ जख्म भर जाते हैं, लेकिन कुछ खूंरेज घटनाएं ऐसी होती हैं जिनका दर्द और गम कभी भुलाया नहीं जा सकता। १९९३ का मुंबई सीरियल ब्लास्ट काली स्याही से इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
एक चूक
१९९३ बम विस्फोट का मुख्य आरोपी टाइगर मेमन के खिलाफ कस्टम विभाग ने कोफेपोसा का डिटेंशन ऑर्डर निकाला था। बावजूद इसके टाइगर बे रोक-टोक मुंबई से दुबई व विदेश में कई अन्य शहरों में आता-जाता रहा। वह कभी भी कस्टम विभाग द्वारा पकड़ा नहीं गया। अंडरवर्ल्ड के लोग कस्टम विभाग वालों की मिलीभगत से समुद्र के रास्ते गोल्ड और सिल्वर की तस्करी करते थे। उसी में टाइगर मेमन के खिलाफ कोफेपोसा का डिटेंशन का ऑर्डर निकल चुका था। अंडरवर्ल्ड ने जब ब्लास्ट की साजिश रची तो सरगनाओं ने धमाकों के लिए जरूरी आरडीएक्स हथियार और गोला-बारूद मुंबई पहुंचाने के लिए समुद्री रास्ता चुना। उसी दौरान टाइगर मेमन ने हवाई जहाज से अपने लोगों को मुंबई से वाया दुबई और पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भिजवाया। वह खुद भी पाकिस्तान गया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एम.एन. सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर टाइगर पर उस वक्त कस्टम विभाग वालों ने ध्यान दिया होता, तो मुंबई ब्लास्ट से काफी समय पहले टाइगर मेमन को पकड़ लिया गया होता। इसी लापरवाही का सभी को खामियाजा भुगतना पड़ा। भारी चूक की वजह से कस्टम अधिकारियों को जेल और सजा हुई।
डर गया था संजय दत्त
संजय दत्त उन दिनों मॉरिशस में एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे। बम धमाकों के एक महीने तीन दिनों बाद १५ अप्रैल को एक अंग्रेजी अखबार में खबर छपी कि धमाकों में संजय दत्त का नाम आ सकता है। खबर पढ़ते ही संजय दत्त घबरा गए और पसीने से तरबतर हो गए। फौरन उन्होंने पुलिस कमिश्नर अमरजीत सिंह सामरा को फोन लगाया और अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनका बम धमाकों से कोई लेना-देना नहीं है। जवाब में सामरा ने कहा था कि अगर तुम निर्दोष हो तो घबराते क्यों हो? उन्होंने कहा शूटिंग पूरी करके मुझसे आकर मिलो। १५ अप्रैल को संजय दत्त मुंबई पहुंचे और सीधे पुलिस मुख्यालय पहुंचे। क्राइम ब्रांच अधिकारियों के सामने संजय ने वही बात दोहराई कि उसका धमाकों से कोई लेना-देना नहीं। क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक जब समीर हिंगोरा और हनीफ लकड़ावाला को संजय के सामने खड़ा किया गया, तो उन्हें कुछ कहने के लिए रह नहीं गया। संजय ने माना कि हमलों के लिए चार में से एक एके-५६ और एक रिवॉल्वर उन्हें भी दी गई। पुलिस ने नलवाला को उठाया और पूछताछ की, तो उसने बताया कि लोखंड का काम करनेवाले केरसी अदाजोनिया को जलाने के लिए दी थी। क्राइम ब्रांच टीम फौरन केरसी तक पहुंची। (जारी)

आउट ऑफ पवेलियन : समुद्र में हुई टक्कर कैसे बच गए लोग?

अमिताभ श्रीवास्तव

समुद्र के बीच में हुई इस भयंकर टक्कर में किसी का भी बचना कठिन था। जब समुद्र आग में नहाया हुआ था उसके मध्य जहाज पर सवार सभी लोग वैâसे बच गए? यह सवाल उन सभी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। जी हां, घने कोहरे के कारण कल एक टैंकर और मालवाहक जहाज में टक्कर हो गई। टक्कर इतनी भयंकर थी कि दोनों आग की लपटों में समा गए थे। उत्तरी सागर में टैंकर और जहाज की टक्कर से कई विस्फोट हुए, इस कारण अमेरिकी ध्वज वाला तेल टैंकर स्टेना इमैक्युलेट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जिसमें युद्धक विमानों के लिए दस मिलियन गैलन र्इंधन भरा हुआ था। यह जहाज उस समय लंगर डाले हुए था, जब पुर्तगाली ध्वज वाले सोलोंग नामक जहाज से उसकी टक्कर हुई, जिसमें अत्यधिक जहरीला सोडियम साइनाइड था। टक्कर से स्टेना के कार्गो टैंक में छेद हो गया। जेट र्इंधन समुद्र में पैâल गया, प्रज्वलित हुआ और फिर दोनों जहाज आग के गोले में तब्दील हो गए। शुक्र था कि बचाव दल ज्यादा दूर नहीं था, चालक दल ने जीवन रक्षक राफ्टों में छलांग लगा दी। यह छलांग वैâसे लगी यह भी वे नहीं जानते क्योंकि लगभग बदहवास से वे केवल बचने के लिए दौड़ रहे थे। हालांकि, सोलोंग के चालक दल का एक सदस्य लापता हो गया था, लेकिन बाद में दोनों जहाजों पर सवार कुल ३६ लोगों का पता लगा लिया गया है। अमेरिकी व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने किसी गड़बड़ी की संभावना से इनकार कर दिया। उन्होंने पुष्टि की कि ५०,००० टन का टैंकर सैन्य जेट र्इंधन ले जा रहा था। उन्होंने कहा, ‘टकराव और विस्फोट से परिचालन या युद्ध की तैयारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’
सुहागरात मर्डर मिस्ट्री
कलियुग है, अयोध्या जैसे धाम भी कुछ लोगों की विक्षिप्त मानसिकता से बच नहीं पाए हैं। अब देखिए न, हत्या फिर आत्महत्या का मामला ऐसा उठा कि सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सनसनी छा गई क्योंकि इस घटना का राज ऐसा है जो अभी तक खुल नहीं पाया है। दरअसल, अयोध्या में एक दूल्हे ने अपनी सुहागरात पर दुल्हन की हत्या कर खुदकुशी कर ली। मामले में पोस्टमार्टम से बड़ा खुलासा हुआ है। सामने आया है कि दुल्हन को मारकर दूल्हा आधे घंटे तक बैठा रहा। फिर फंदे से लटककर अपनी जान दे दी। सुहागरात के दिन दूल्हे ने रात करीब १२ बजे से पहले दुल्हन को मौत के घाट उतारा। इसके बाद लगभग आधे घंटे तक वह कमरे में ही बैठा रहा। कुछ देर बाद ही खुद भी फंदे से लटककर जान दे दी। यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ है। हालांकि, घटना की वजह अब भी रहस्यमयी बनी हुई है। वैंâट थाना क्षेत्र के सहादतगंज मुरावन टोला निवासी प्रदीप कुमार और खंडासा थाना क्षेत्र के डीलीसरैया निवासी मंतूराम की पुत्री शिवानी की शादी ७ मार्च को हुई थी। शनिवार को विदा होकर दुल्हन ससुराल पहुंची। सभी रस्मों-रिवाजों को निभाते हुए रात में लगभग ११ बजे प्रदीप अपने कमरे में दुल्हन के पास चला गया। इस दौरान दोनों सामान्य अवस्था में राजी-खुशी से रहे। सुबह दोनों का शव मिलने से परिवार में हलचल मच गई। मौके पर पुलिस को घटनास्थल से प्रदीप का मोबाइल फोन मिला था, वहीं दुल्हन के पास कोई फोन नहीं था। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है, लेकिन अब तक घटना की मूल वजह तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने घटना की तस्वीर कुछ साफ की है।

झांकी : नाट्य प्रयोग

अजय भट्टाचार्य

महाकुंभ खत्म होने के बाद चैंपियन ट्रॉफी और उसके बाद आईपीएल की धूम यूं ही नहीं मची है। इस बीच संभल सहित पूरे देश में होली बनाम रमजान के जुम्मे पर भी बतकुच्चन जारी है। इस बार खबर है की आईपीएल की कमेंटरी में भोजपुरी का भी तड़का लगाया गया है, ताकि डंकापति के रणबांकुरे बिहार जीत सकें। आईपीएल में भोजपुरी में कमेंट्री सुनकर खुश होने की बजाय ऐसा लगा, मानो भोजपुरी फिल्मों का कोई कम बजट वाला अभिनेता किसी १०वीं फेल लेखक द्वारा लिखा हुआ स्क्रिप्ट रटकर कमेंट्री कर रहा हो! शब्द और प्रस्तुति दोनों ही स्तरहीन। इससे भोजपुरी का सम्मान नहीं बढ़नेवाला, बल्कि इसकी छवि खराब होनेवाली है। ‘शुरुआत’ करने के नाम पर स्तरहीनता को बढ़ावा देने से भोजपुरी का सिर्फ नुकसान ही होनेवाला है। इन सब नाट्य प्रयोगों का मकसद एक ही है युवाओं को बेरोजगारी महसूस ही न होने दो!!
‘गद्दारों’ की पहचान कब
अमदाबाद के अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने २,००० पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने स्वीकार किया कि पार्टी के भीतर गद्दार हैं। सवाल यह है २०२२ की हार के बाद महाराष्ट्र के एक दलित नेता को आंतरिक तोड़फोड़ करनेवालों की पहचान करने का काम सौंपा गया और संदिग्धों की एक सूची सौंपी गई। इस सूची पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, यहां तक कि कुछ को पदोन्नत भी किया गया। वरिष्ठ कार्यकर्ता राहुल के आकलन से सहमत हैं, लेकिन आश्चर्य है कि क्या कभी कोई कार्रवाई की जाएगी। केवल समय ही बताएगा…!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

सबसे खराब ऑनस्क्रीन जोड़ी अवॉर्ड!

लेडी गागा का सेंस ऑफ ह्यूमर उनके टैलेंट की तरह ही शानदार है और उन्होंने सैटरडे नाइट लाइव में अपनी उपस्थिति के दौरान एक बार फिर इसे साबित कर दिया। पॉप सुपरस्टार, जिन्होंने लॉन्ग अवेटेड लेकिन क्रिटिक्स द्वारा नकारे गए जोकर: फोली ए डेक्स (२०२४) में हार्ले क्विन के रूप में अभिनय किया, ने फिल्म की ‘रेजी अवॉर्ड’ जीत पर एक मजेदार चुटकी ली जिससे इंटरनेट पर हंगामा मच गया। गागा ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘वैसे भी मैं अब एक एक्टर हूं। मैं ऐसी फिल्मों का चयन करने में बहुत मेहनती रही हूं, जो एक गंभीर एक्टर के रूप में मेरे हुनर ​​को प्रदर्शित करें। जोकर २ जैसी फिल्में।’ गोल्डन रास्पबेरी अवॉर्ड्स (जिसे रैजीज के नाम से भी जाना जाता है) हर साल सबसे खराब फिल्मों, प्रदर्शनों और सिनेमाई विकल्पों को उजागर करने के लिए बदनाम हैं, जो प्रतिष्ठित अकादमी अवॉर्ड्स के बिल्कुल विपरीत हैं।

यौवन और व्यथा!

देकै क्लेश गयो परदेश, न भेज्यो संदेश पठायो न पाती।
बीति गयो बरखा बदरी, कथरी-गुदरी वाली शीतल राति।।
आयो न कंत वसंत गयो, न भयो दुख अंत न फाटत छाती।
पापी पपीहा पुकारे पिया, पर पापी पिया न पठावत पाती।।
– कमलेश पांडेय ‘तरुण’

सत्तर-अस्सी के दशक वाली होली

कहां गर्इं वे मस्तियां, कहां गई वह मौज
वे केशर की क्यारियां, गोबर वाले हौज
गोबर वाले हौज बीच डुबकी लगवाना
मेसू, मठरी, माल-पुओं के थाल उड़ाना
बतला तो ऐ यार जमाने कहां गर्इं वे
खुशियों की बरसात न जाने कहां गर्इं वे
फिसल न जावें तो अभी और दिखावें सीन
साड़ी पहने घूमते मिस्टर अल्लादीन
मिस्टर अल्लादीन गुलाबो बनकर डोलें
कभी चुराते नैन कभी घूंघट को खोलें
इस दहशत से हाथ पीठ पीछे चिपकावें
टिके चोली पर, ताकि, नजर फिसल न जावें
रंग लगे है जिस घड़ी, हाल होय बेहाल
फागुन आते ही सजन, दिल की बदले चाल
दिल की बदले चाल, काटता डोले कन्नी
कांटा लगे गुलाब चवन्नी लगे अठन्नी
फागुन में तो रंग यार इस तरह चढ़े है
बिना भंग भी अंग-अंग खुस-रंग लगे है
होली के त्योहार की, बड़ी अनोखी रीत
मुंह काला करते हुए जतलाते हैं प्रीत
जतलाते हैं प्रीत, गालियों को गा-गा कर
लेकिन अपने साथ सभी को हंसा-हंसा कर
करते हैं दिन-रात इस तरह हंसी-ठिठोली
बोल पड़ें सब लोग, बस करो हो ली हो ली
– नवीन सी. चतुर्वेदी

पत्रकार के हत्यारों को दी जाए कडी सजा-हाशिम रिजवी

पत्रकार के हत्याराें को जल्द गिरफ्तार कर सजा न दी गई तो आईजेए चलायेगा आन्दोलन-राजेश यादव

डुमरियागंज मे इडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने राज्यपाल को सम्बोधित एसडीएम को ज्ञापन देकर कारवाई की की मांग।

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर।  सीतापुर के महोली तहसील के वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड को लेकर जिले के पत्रकारो मे गहरा आक्रोश व्याप्त है। इंडियन जनर्लिस्ट एसोसिएशन की डुमरियागंज तहसील शाखा ईकाई ने आईजेए के प्रदेश सचिव हाशिम रिजवी, मंडल मीडिया प्रभारी विजय यादव, संरक्षक विक्रांत श्रीवास्तव तथा विजय पाल चतुर्वेदी की अगुवाई मे विरोध प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन देकर पत्रकार के हत्यारो को कडी सजा दिऐ जाने तथा परिजनों की सुरक्षा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की माँग की।तहसील अध्यक्ष राजेश यादव ने कहा कि यदि जल्द पत्रकार के हत्यारो को गिरफ्तार कर सजा न दी गई तो आईजेए प्रदेश व्यापी आदोलन छेड़ने को बाध्य हो जाएगा।

इस दौरान तहसील अध्यक्ष राजेश यादव, महामंत्री पुरूषोत्तम दूबे, विजयपाल चतुर्वेदी ,मोहम्मद इस्माइल , आदित्य सिंह, सफायत अली, देवानंद पाठक, सच्चिदानंद मिश्र, गणेश अग्रहरि, अजीम हैदर, अनिल सिंह,आलोक श्रीवास्तव आदि पत्रकार एंव पदाधिकारी मौजूद रहे।

दस हजार रुपए रिश्वत दो नहीं तो मुकदमा में फंसाने की धमकी बन गई फांस, रिश्वत के साथ झारखंड में एएसआई गिरफ्तार

अनिल मिश्र/रांची

झारखंड में एक एएसआई को एक व्यक्ति को झुठे मुकदमा में फंसाने को लेकर धमकी देना महंगा पड़ गया। एक युवक से दस हजार रुपए रिश्वत लेने वाले एएसआई को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने आज गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी ने आज मंगलवार को यह कार्रवाई किया है। दरअसल अजय प्रसाद बोकारो जिले के बेरमो कोयलांचल अंतर्गत गांधीनगर थाना में पदस्थापित हैं
उन्हें आज मंगलवार की देर शाम को गिरफ्तार किया गया। एसीबी की टीम एएसआई अजय प्रसाद को अपने साथ धनबाद दफ्तर लेकर गया है।

जानकारी के मुताबिक जरीडीह बाजार के ऊपर बाजार में रहने वाले अनुराग गुप्ता एएसआई के संडे बाजार स्थित आवास में पैसे देने गये थे। इसी दौरान बाहर में एसीबी की टीम निगरानी कर रही थी। जैसे ही अनुराग गुप्ता ने अजय प्रसाद को पैसे दिये एसीबी की टीम ने पुलिस वाले को धर दबोचा।इस संबंध में पूछताछ करने के बाद कागजी प्रक्रिया पूरी की गयी और एसीबी की टीम उन्हें धनबाद ले गयी।प्राप्त जानकारी के अनुसार जरीडीह बाजार के ऊपर बाजार निवासी दिनेश प्रसाद गुप्ता के पुत्र अनुराग गुप्ता ने एसीबी में शिकायत की थी कि उनसे गांधीनगर थाना के एएसआई ने एक केस में नाम डालने के नाम पर पैसे की मांग की है। 10 फरवरी 2025 को टुपकाडीह में रहने वाले इंतखाब अंसारी ने चार नंबर पेट्रोल पंप के पास पैसे के लेन-देन के मामले में मारपीट की शिकायत दर्ज करवायी थी। इसमें कुरपनिया के दो युवक विशाल और सागर को आरोपी बनाया गया था। उसी सिलसिले में अनुराग का भी नाम केस में जोड़ देने की बात एएसआई ने कही थी। जिसके कारण झुठे मुकदमा में फंसाने को लेकर अनुराग गुप्ता ने धनबाद स्थित एसीबी की दफ्तर में इसकी शिकायत दर्ज करवाई। उसके बाद एसीबी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घुसखोर एएसआई अजय प्रसाद को आज अपने जाल में फंसाकर उसे गिरफ्तार धनबाद लेते गए।