मुस्कान का कोई मोल-तोल नहीं है
ना ही बिकती है ये दुनिया के बाजारों में।
जीभर के लुटाओ इसे फिर देखना यारा
ये जमाना तुम्हारा है।
जिंदगी को एक ‘मधुर मुस्कान’ का ही तो सहारा है।
…वर्ना मुस्कान बिना नीरस जीवन हमारा तुम्हारा है।
-त्रिलोचन
मुस्कान
जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने की परिषदीय विद्यालयों की सराहना
सामना संवाददाता / जौनपुर
मुफ्तीगंज ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय तारा उमरी में आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में नौनिहालों के उत्कृष्ट प्रतिभा की तारीफ करते हुए मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद सिंह ने कहा कि विद्यालय वह जगह है, जहां बच्चों का सर्वज्ञ विकास होता है यहां के बच्चों की प्रस्तुति व कार्यक्रम का संचालन कर रही बच्ची के प्रतिभा को देखकर लगता है कि परिषदीय स्कूल के बच्चों में असीम प्रतिभा है। बस जरूरत है उनको उचित मंच मिले। उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश सिंह व पूरे स्टाफ की भूरि-भूरि प्रशंसा की। विशिष्ट जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल ने कहा कि यहां के बच्चों की प्रतिभा को देखते हुए कहा जा सकता है कि परिषदीय विद्यालयों की भौतिक परिवेश हो या शैक्षिक वातावरण बच्चों में आप विश्वास की बात हो यह हर तरह से कॉन्वेंट स्कूलों से आगे हैं। उन्होंने विद्यालय विकास में पूर्ण सहयोग की बात कही। जिलाध्यक्ष अमित सिंह ने कहा कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश सिंह ने मुख्यालय से सुदूर इस कंपोजिट विद्यालय तारा उमरी को लगन और मेहनत से संवारा है, जिसका परिणाम है कि आज यह बेसिक शिक्षा परिषद जौनपुर का वास्तव में तारा है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिंह ने कहा कि यहां आकर मुझे आप अप्रत्याशित लगा। वाकई में परिषदीय विद्यालयों के प्रति शिक्षकों का कार्य बहुत ही सराहनीय है। खंड शिक्षा अधिकारी कन्हैयालाल ने परिषदीय विद्यालय की योजनाओं पर गीत सुनाकर विभाग के कल्याण योजनाओं की जानकारी दी।
इसके पहले जिलाधिकारी ने मां सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर वार्षिकोत्सव का शुभारंभ किया। विद्यालय के बच्चों ने सरस्वती वंदना पर प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया। विद्यालय के कई छात्राओं ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से शानदार नृत्य प्रस्तुत कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। अध्यक्षता ग्राम प्रधान जयप्रकाश सिंह ने किया। कार्यक्रम का विद्यालय की छात्रा संचालन दिव्यांशी शुक्ला व दीक्षा ने किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से बीडीओ अस्मिता सेन, विंध्यवासिनी उपाध्याय, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री सतीश पाठक, संयुक्त मंत्री शैलेंद्र सिंह, जिला उपाध्यक्ष संतोष बघेल, जिला संगठन मंत्री रामसिंह राव, प्रचार मंत्री मनोज सिंह, प्रदीप राय, विपुल राय, गोपाल सिंह, अनूप दीक्षित, विशाल सिंह, दशरथ राम, सच्चिदानंद, प्रियंका सिंह, मधुरानी संदीप, अमित कुमार, अवनीश सिंह, अनिल पांडे, रीता देवी, सुनीता यादव, संतोष कुमार, बासुदेव सिंह इत्यादि लोग उपस्थित रहे।
भारतीय ज्ञान जीवन जीने की एक कला-प्रो. केके
सामना संवाददाता / मुरादाबाद
-तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के भारतीय ज्ञान परंपरा-आईकेएस केंद्र के तत्वावधान में एनहैंसिंग इंडियन नॉलेज सिस्टम इफेक्टिवनेस इन एचईआई थ्रू करिकुलम पर ऑनलाइन नेशनल कॉन्क्लेव
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट प्रो. केके अग्रवाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा मात्र विषय नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो सदियों से व्यक्ति के व्यवहार में झलकती आ रही है। यह विचारधारा विज्ञान, कला और विभिन्न भाषाओं के जरिए भारतीय समाज में मौजूद रहती है। यह एक व्यवहार और जीवन जीने की कला है। भारतीय ज्ञान परंपरा जागरूकता का विषय होने के साथ-साथ समाज के विकास की भी बात करता है। हम जानते हैं कि वर्तमान समय में पर्यावरण समस्या बढ़ती जा रही है। सूखे की वजह से पानी कम होता जा रहा है। जल का समुचित प्रबंधन कैसे किया जाए, इसकी पूरी व्यवस्था भारतीय ज्ञान परंपरा में मौजूद है। प्रो. केके तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के भारतीय ज्ञान परंपरा-आईकेएस केंद्र के तत्वावधान में एनहैंसिंग इंडियन नॉलेज सिस्टम इफेक्टिवनेस इन एचईआई थ्रू करिकुलम पर ऑनलाइन नेशनल कॉन्क्लेव में बतौर एक्सपर्ट बोल रहे थे। ऑनलाइन कॉनक्लेव में देश के प्रख्यात विश्वविद्यालयों के माननीय कुलपतियों ने अपने-अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। संचालन आईकेएस केंद्र की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने किया।
इससे पूर्व टीएमयू के कुलपति प्रो. वीके जैन बोले, भारतीय ज्ञान परंपरा की नेशनल कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी ज्ञान, आयुर्वेद, योग जैसे महत्वपूर्ण विषयों और समकालीन ज्ञान को बढ़ावा देना है, ताकि छात्रों को समावेशी शिक्षा के साथ भारतीय सभ्यता और संस्कृति की भी जानकारी प्रदान की जा सके। राष्ट्रीय अस्मिता और पहचान को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है। रामायण और महाभारत का उदारहण देते हुए कुलपति ने कहा कि इन दो ग्रंथों के अध्ययन से हमारे छात्र नेतृत्व और अनुशासन को सीख सकते हैं। टीएमयू आईकेएस सेंटर के प्रोफेसर चेयर प्रो. अनुपम जैन ने कहा कि पठन-पाठन सामग्री सरल भाषा में उपलब्ध हो। वर्तमान समय में लोगों के बीच गणित जैसे पाठ्यक्रम का महत्व और रूचि कम होती जा रही है, इसीलिए गणित के प्रति लोगों की रूचि को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में इसको अनिवार्य किया जाना चाहिए। ऐसे विषयों को या मुद्दों को उठाया जाना चाहिए, जिसमें भारतीय ज्ञान का अपना ही योगदान हो। भारतीय ज्ञान परम्परा जैसे महत्वपूर्ण विषय को आगे बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालीन योजना को तैयार करना होगा तभी हम अपने उद्देश्य में कामयाब हो सकेंगे। सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए टीएमयू की डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने कहा कि हमने यूनिवर्सिटी की एक छोटी यात्रा के साथ शुरूआत की, जो आज करीब 14 कालेजों के संग अपने पथ पर अग्रसर है। वर्तमान में भारतीय ज्ञान परम्परा हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर है। नई शिक्षा नीति 2020 के उद्दश्यों को पूरा करने के लिए तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में 2023 में भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र की स्थापना हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य समावेशी शिक्षा को स्थापित करना है। आईकेएस केंद्र की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने समय के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि समय के उचित प्रबंध के बिना हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना के साथ ही भारतीय ज्ञान को आगे बढा़या जा सकता है।
टीएमयू के फाउंडर वीसी, यूजीसी के मेंबर एवम् गुरु गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के प्रो. आरके मित्तल ने बताया कि भारत प्राचीन काल से ही विज्ञान, कला और शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे था, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान पूरी व्यवस्था को नष्ट करने का प्रयास किया गया, ताकि उपनिवेशी और साम्राज्यवादी विचारधारा को स्थापित किया जा सके। भारतीय ज्ञान में जैन धर्म का अपना ही महत्व है, जैसे अपिग्रह हो या अहिंसा सभी भारतीय ज्ञान परंपरा के ही भाग हैं। तैतरिय उपनिषद का उदारहण देते हुए कहा कि पंचकोश शिक्षा व्यावहारिक पद्धति पर आधारित है, जिसमें उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से बचने के सिद्धांत के साथ-साथ शाकाहारी पद्धति को अपनाने की बात कही गयी है। एमडीआई, मुर्शिदाबाद के डायरेक्टर प्रो. अजय कुमार जैन ने कहा कि जैन धर्म में भी भगवान राम पूजे जाते हैं। जैन धर्म का इतिहास ऋषभ देव से शुरू होता है, स्कंद पुराण में ऋषभ देव को विष्णु का आठवां अवतार कहा गया है। पदम् पुराण जैन धर्म की रामायण है, इसलिए रामायण और महाभारत का महत्व जैन धर्म में भी है। उन्होंने आत्मा के सिद्धांत और मोक्ष के साथ-साथ पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त होने जैसे महत्व पूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सभी जीवों को समान रूप से इस धरती पर जीने का अधिकार है। हम सभी जीव हों या व्यक्ति एक दूसरे पर निर्भर है, इसीलिए हम सभी इस पृथ्वी पर कुछ समय के लिए अतिथि हैं। हमें भविष्य में आने वाले अतिथियों के लिए पृथ्वी को बचा कर रखना होगा।
एआईयू के भूतपूर्व चेयरपर्सन एवम वर्तमान में शिक्षा और शोध से जुड़े प्रो. संदीप सचेती ने कहा कि व्यक्ति के लिए भारतीय संस्कृति के साथ अपनी जड़ों को जानना बहुत जरुरी है, इसलिए वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान को आधुनिक ज्ञान और वैज्ञानिक पद्धति से जोड़ना चाहिए। विज्ञान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। वैज्ञानिक पद्धति को लागू करना चाहिए। साथ भारतीय ज्ञान के विपुल साहित्य को समझने के लिए संस्कृत भाषा में उपलब्ध स्रोतों का हिंदी और अंग्रेजी ने अनुवाद होना चाहिए। भारतीय मूल्य को बढ़ावा देने के लिए वैदिक ग्रंथों में मौजूद भारतीय गवर्मेंट मॉडल को अपनाना चाहिए। जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरएल रैना ने वैदिक गणित के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक गणित से संबंधित बहुमूल्य सिद्धांत मौजूद है, जो प्रत्येक विषय को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं। वेदों के साथ पुराणों में अध्यापन से जुड़े कई नियम और सिद्धांत मौजूद हैं। वर्तमान में इनका उपयोग करके शिक्षा पद्धति को बेहतर बनाया जा सकता है। नेशनल कानक्लेव में टीएमयू की डीन एकेडमिक प्रो. मंजुला जैन, प्रो. हरबंश दीक्षित, प्रो. विपिन जैन, प्रो. प्रवीन कुमार जैन, प्रो. एसपी सुभाषिनी, डॉ. नितीश मिश्रा डॉ. अनुराग वर्मा आदि की भी मौजूदगी रही।
कभी बंद कमरे भी छोड़
कभी बंद कमरे भी छोड़
कुछ और भी है इसके आगे
क्यूं तू वक्त खपा रहा फिजूल में,
कोई और भी देता है जवाब
निकल तू भी देख ख्वाब…
बीतती है कैसे शाम की उलझन
हथेली पे कैसे होते टिफिन के ढक्कन
एक मुसाफिर आता है, एक मुसाफिर जाता है
पर रोज सामने से गुजरता है
दुनिया की हर तस्वीरों से मंहगी है ये,
जो कभी पराए भी मिला करते हैं।
पांव जलते हैं पत्थरों से
तब जागे आवाज आती है सीने से
भाग रे तू कमाने परदेस,
छोड़ पराया अपना देस
झांकती रहती हैं मां खिड़कियों से,
सोचती बच्चा फिर संभलेगा कैसे
निकल तो रहा है घर से,
पर कलेजा कैसे हो ठंडक इन मोह से,
आसान नहीं है घर की थाली छोड़ना
आसान नहीं है वो बिस्तर छोड़ना
मां को चुप करना,
बीबी से वादा करना…
कभी बंद कमरे भी छोड़
कुछ और भी है इसके आगे…।
-मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
श्री तुलसी हिंदी माध्यमिक विद्यालय बना डिजिटल लर्निंग का मिशाल!
राजेश जायसवाल / मुंबई
स्मार्ट क्लासरूम और स्वच्छता सुविधाओं को राज्यपाल ने सराहा
परेल स्थित श्री तुलसी हिंदी माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा में नवाचार (इनोवेशन) की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। यहां शुक्रवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने विद्यालय का दौरा कर स्मार्ट क्लासरूम, स्टेम लैब और आधुनिक स्वच्छता सुविधाओं का निरीक्षण किया। ये सभी सुविधाएं ‘युवा अनस्टॉपेबल’ एनजीओ की ओर से उपलब्ध कराई गई हैं।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत सरकारी और अनुदानित स्कूलों के आधुनिकीकरण का कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल बोर्ड जितने जरूरी हैं, उतने ही जरूरी स्मार्ट और संवेदनशील शिक्षक भी हैं। अगर शिक्षक बदलाव के लिए तैयार नहीं होंगे, तो आधुनिक सुविधाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।
बता दें कि ‘युवा अनस्टॉपेबल’ नामक गैर-सरकारी संस्था की पहल से देशभर में विद्यालयों के आधुनिकीकरण की मुहिम चलाई जा रही है। इसी योजना के अंतर्गत इस विद्यालय को स्मार्ट क्लासरूम और आधुनिक स्वच्छता सुविधाएं प्रदान की गई हैं। युवा अनस्टॉपेबल वंचित बच्चों को शिक्षा, स्वच्छता और पीने के पानी जैसी सुविधाएं मुहैया कराता है। इसकी स्थापना साल २००५ में अमिताभ शाह के नेतृत्व में हुई थी।
इस मौके पर राज्यपाल ने यह भी सुझाव दिया कि विद्यालयों में आधुनिक स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराते समय वहां पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। राज्यपाल ने इस दौरान विद्यार्थियों के संवादात्मक (इंटरएक्टिव) माध्यम से शिक्षा के लिए तैयार की गई विज्ञान-प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला का दौरा किया और विद्यालय में नव विकसित स्वच्छता सुविधाओं और स्मार्ट क्लासरूम का निरीक्षण किया। इस अवसर पर स्कूल के ट्रस्टी नवीन पांडेय, प्रिंसिपल अमित सिंह, अमित गुप्ता, ‘युवा अनस्टॉपेबल’ के संस्थापक अमिताभ शाह, एचडीएफसी बैंक ‘परिवर्तन’ अभियान की प्रमुख नुसरत पठान, अमीश त्रिपाठी सहित कॉर्पोरेट जगत के कई विभिन्न प्रतिनिधि और छात्र उपस्थित थे।
डाॅ. आर.ए. तिवारी फाउंडेशन द्वारा टिफिन बाॅक्स और पानी बाॅटल का वितरण
सामना संवाददाता / जौनपुर
मुंबई की प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था डॉ. आर.ए.तिवारी फाउंडेशन द्वारा ग्राम पोखरा (ग्राम सभा विजय गिर-पोखरा, ब्लाक बरसठी, तहसील मड़ियाहूं, जौनपुर) में स्थित कंपोजिट विद्यालय (कक्षा पहली से आठवीं कक्षा तक) को टिफिन बॉक्स और पानी बाॅटल वितरण सैकड़ों ग्रामीण वासियों और विद्यालय के अध्यापकों की सादर उपस्थित में किया किया गया। ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. राधेश्याम तिवारी की अध्यक्षता और कथावाचक परमपूज्य आचार्य धीरज भाई और वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट महेंद्र प्रताप मिश्रा के सानिध्य में संपन्न इस प्रेरक कार्यक्रम में अतिथि के रूप विशेष रूप इसी कार्यक्रम के लिए मुंबई से पधारे समाजसेवी, शिक्षाविद् डॉ. हृदय नारायण मिश्रा, वरिष्ठ समाजसेवी इंद्रमणि दुबे, ग्राम प्रधान अच्छेलाल विश्वकर्मा, समाजसेवी लक्ष्मीनारायण तिवारी, अरविंद तिवारी, चंद्रमणि दुबे और राघवेंद्र सेवा मंच के उत्तर प्रदेश प्रभारी पप्पू दुबे उपस्थित थे। ट्रस्ट के मंत्री डॉ. शिवश्याम तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए ट्रस्ट की समस्त बहुआयामी गतिविधियों पर प्रकाश डाला। विद्यालय परिवार की ओर से मुख्याध्यापक राजकमल राव ने आभार माना। अंत में ट्रस्ट की ओर से लंच के रूप में पूरी भांजी की व्यवस्था की गयी।
अंबिकानगर में शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
सामना संवाददाता / मुंबई
पूर्व सांसद पूनमताई महाजन की पहल पर चांदीवली, सुंदरबाग, अंबिका नगर में शिवशक्ति-भीमशक्ति मित्र मंडल द्वारा संचालित श्री शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया। इस मौके पर दीपक कसबे, दिलीप लोमटे, रियाज मुल्ला, शिवा पाणिग्रही, चेतन सिंह, ओम प्रकाश प्रसाद, सनी गायकवाड, अजय कुमार, मिथलेश सिंह उपस्थित थे।
बाबा कंजातीवीर संकटमोचन शिरडी धाम में धार्मिक आयोजन
सामना संवाददाता / जौनपुर
बाबा कंजातीवीर (सूर्यदेव) संकटमोचन शिरडी धाम, बघौझर, मीरापुर केवल में 22 फरवरी से लेकर 26 फरवरी तक 14वें स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का आयोजन बाबा कंजातीवीर सूर्यदेव पंचदेव चैरिटेबल ट्रस्ट मुंबई की तरफ से किया गया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष धर्मचंद्र उपाध्याय तथा महामंत्री भवन निर्माता रामसेवक पांडे ने उपरोक्त जानकारी देते हुए लोगों से इस कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है। कार्यक्रम को सफल बनाने की लिए उपाध्यक्ष छोटेलाल उपाध्याय, कोषाध्यक्ष दीनानाथ सोनार, संयोजक कृष्णचंद्र उपाध्याय, लालचंद दुबे, प्रधान अवधेश उपाध्याय, घनश्याम उपाध्याय, अखिलेश पांडे, प्यारे मोहन उपाध्याय, विजय पांडे, रंजीत वर्मा, चंद्रभान सिंह, सुभाष श्रीवास्तव, मुरलीधर शर्मा समेत सभी पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
बीती हुई घड़ियां
वक्त मेहरबान था
हर कोई अपने शहर का शहजादा था
मेरे शहर की मिटटी मुझे पुकारे
मेरे शहर की हरीयाली मुझे सुहाए
अपनी गलियों चौबारे पर
खड़े देख रही मेरी छाऊं
कितना बदल गया चारों तरफ मौसम
नामों-निशान नहीं मेरी उस सर जमीं का
जिस पर रखे थे हमने बचपन में अपने कदम
मुझे याद आता है वो दिन पुराना
खीर भवानी मंदिर जाना
तुलमूल माता की स्वादिष्ट लुचियां खाना
ऊंची पहाड़ी पर हारी पर्वत और शंकराचार्य
बर्फीली हवा में फेहरन पहन कर जाना
चश्मेशाही का ठंडा मिठास भरा पानी
याद दिलाता है पुरानी जिंदगानी
बत्तखें तालाब में तैरती थीं
मांजी की हाउस बोट डल झील में
अपने सुर में चलती थी
मातामाल की कअनी पर चढ़ जाना
थिरकती ठंडी हवा के नगमे सुनते रहना
आंगन की कुश की घास से खेलना
बर्फ के ढेले के भूत बनाना
फेरन में कांगड़ी खोसू में चाय पीतल के बर्तन
याद आते हैं हमें हर पल
पुराना नक्शा वो सब सामने आ गया
गहरे घाव को हरा कर गया।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा
खुराफातों की फसल!
पुराने संदूक से निकला मुड़ा-तुड़ा
बदरंग कागज का एक पुर्जा
तेरे हाथों में है, टुकड़े-टुकड़े करने से पहले
पढ़ लिया होता एकबार।
यह तुम्हें मिला पहला
प्रेम पत्र था, शायद
मैंने लोगों की नजरों से छुपाकर
मुश्किल से तुम तक पहुंचाया था,
एकांत में पढ़ कर तुमने मुट्ठी में दबा लिया था
एक ऐसा ही कागज का टुकड़ा
मुझ तक तुमने भी सरकाया था।
दोनों ने चुन-चुनकर प्रीत के शब्द
अपने पत्र में लिखे थे।
प्रेम दर्शाते यह शब्द केवल सुने थे हमने
फिर भी अपनी प्रीत को जताने के लिए लिख दिए थे।
शब्द मात्र शब्द ही थे जिनकी
गहराई और कठिनाई से अनभिज्ञ थे ,
आज विचार रहा हूं
बिन सोचे जो लिखा था
वह कितना भावनाओं
से रचा पगा था,
स्वार्थ, मौकापरस्ती से अछूता था।
आसमान तब मुट्ठी में समाया लगता था
वासंती ऋतु राज छाया हुआ था।
तुम्हारे हाथों से चिंदा-चिंदा कागज नहीं होगा
बिखर जाएगी उस प्रेम की नजरों की लड़ी
जो गोमुख से निकलती पावन सरिता का जल थी
अहम, संशय की गंदगी नहीं थी।
अल्हड़ पन का प्रेम मन से अंकुरित होता है
बाकी तो खुराफातों फसल है।
-बेला विरदी