सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से जालना जिले में खरपुडी प्रोजेक्ट की जांच के आदेश सिडको के प्रबंधकीय निदेशक को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा लिए गए इस पैâसले से अब सभी की भौंहें तन गई हैं। इस प्रोजेक्ट को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंजूरी दी थी, लेकिन ९०० करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को लेकर अब शिंदे और भाजपा के बीच वापस शीतयुद्ध शुरू हो गया है। फडणवीस द्वारा शिंदे के निर्णय की जांच के आदेश दिए जाने के कारण राज्य के राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि जालना जिले के ९०० करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के पूर्व विधायक संतोष सांबरे ने जांच की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सिडको के खरपुड़ी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में मुख्यमंत्री फडणवीस ने अब जांच के आदेश दिए हैं, जिससे फडणवीस और शिंदे के बीच शीतयुद्ध फिर से शुरू हो गया है। दूसरी तरफ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा है कि अगर पिछली सरकार ने भ्रष्टाचार किया है, घोटाले किए हैं या राज्य की जनता को लूटा है और अगर मुख्यमंत्री फडणवीस इन सभी मामलों की जांच कराना चाहते हैं, तो हम उनके इस निर्णय का स्वागत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र की लूट रोकने की कोशिश कर रहे हैं तो हम विपक्ष में होने के बावजूद उनका समर्थन करेंगे।
नहीं चल रहा है कोई शीतयुद्ध
दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि महायुति में कोई शीतयुद्ध नहीं चल रहा है। शिंदे ने कहा कि राज्य में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा के लिए एक वॉर रूम है। यह वॉर रूम उनके गुट के मंत्रियों के विभागों की समीक्षा के लिए स्थापित किया गया है।
शिंदे गुट और भाजपा में फिर शुरू हुआ शीतयुद्ध … एकनाथ शिंदे के पैâसलों की होगी जांच! … सीएम के आदेश का क्या है मतलब?
महायुति सरकार की दोहरी भूमिका पर विपक्ष आक्रामक …शक्तिपीठ महामार्ग के विरोध में १२ को विधानसभा पर मोर्चा
शक्तिपीठ महामार्ग विरोधी संघर्ष समिति की बैठक में हुआ फैसला
सामना संवाददाता / मुंबई
शक्तिपीठ महामार्ग के मुद्दे पर महायुति सरकार की दोहरी भूमिका पर विपक्ष पूरी तरह से आक्रामक हो गया है। इसके खिलाफ कल हुई शक्तिपीठ महामार्ग विरोधी कृति समिति की बैठक में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष और कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने १२ मार्च को विधानसभा पर मोर्चा निकालने का पैâसला किया है। दूसरी तरफ विपक्ष का आरोप है कि सरकार में रहकर मंत्रियों और विधायकों द्वारा अलग-अलग बयान देना सरकार का षड्यंत्र है। विपक्ष ने सवाल किया है कि गोवा जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग होने के बावजूद किसानों पर शक्तिपीठ महामार्ग क्यों लादा जा रहा है। यह प्रोजेक्ट ८६ हजार करोड़ का है और एक किलोमीटर पर ११० करोड़ रुपए खर्च होने वाले हैं। इस बीच यह भी चेतावनी दी गई है कि जनता के पैसों की हो रही इस बर्बादी के खिलाफ अब लड़ाई को अदालत में ले जाने की बजाय सड़क पर लड़ा जाएगा।
कांग्रेस नेता व विधान परिषद में सदस्य सतेज पाटील ने कहा कि आगामी अधिवेशन में महाविकास आघाड़ी के रूप में हम सभी मजबूती के साथ सवाल उठाएंगे। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ महामार्ग किसानों को बेघर करने वाला प्रोजेक्ट है। इसलिए हम १२ मार्च को बजट सत्र के दौरान भव्य मोर्चा निकालेंगे। इसी के साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की कि वे बड़ी संख्या में इस मोर्चे में शामिल होकर सरकार को अपनी ताकत दिखाएं।
विरोध को देख हिल गए हैं सत्तारूढ़
शक्तिपीठ महामार्ग विरोधी संघर्ष समिति के समन्वयक गिरीश फोंडे ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए कोल्हापुर की पहचान है। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ के विरोध को देखकर सत्तारूढ़ दल हिल गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं। किसानों की जमीन छीनने का काम सरकार कर रही है। लातूर जिले के गजेंद्र यलकर ने कहा कि किसानों की जमीन लूटी जा रही है। उन्होंने नदी जोड़ जैसे प्रोजेक्ट देने की मांग की और बागायती जमीन पर आरक्षण लगाने वाले प्रोजेक्टों का विरोध किया।
विरोध न होने का पैदा किया जा रहा भ्रम
सोलापुर के किसान विजयकुमार पाटील ने कहा कि कोल्हापुर जिले को छोड़कर अन्य जिलों में शक्तिपीठ महामार्ग का विरोध नहीं होने का भ्रम पैदा किया जा रहा है, लेकिन सोलापुर जिले से भी इसका विरोध है। उन्होंने सरकार से दिग्भ्रमित न करने की अपील की। परभणी के किसान शांति भूषण कचवे ने चेतावनी दी कि यदि शक्तिपीठ लादा गया तो किसानों का उग्र विरोध होगा। सांगली के घनश्याम नलवाड़े ने कहा कि यह महामार्ग किसानों को बर्बाद करने वाला है। हिंगोली के सूरज मालवाड़ ने कहा कि हिंगोली जिले से भी इसका विरोध है। नांदेड के कचरू मुढल ने कहा कि शक्तिपीठ महामार्ग लादा गया तो वे प्राणों की आहुति दे देंगे। धाराशिवनगर के संभाजी फडतारे ने कहा कि वे अपने माता-पिता की आंखों में आंसू नहीं देख सकते और शक्तिपीठ को रद्द करने की मांग की।
फर्जी दस्तावेज के आधार पर सीएम कोटे से फ्लैट लेने वाले कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को दो साल की सजा!
-सत्र न्यायालय ने ५० हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया
-अब विधायकी और मंत्री पद पर भी मंडराया खतरा
सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री कोटे से दिए जाने वाले सस्ते घर को फर्जी दस्तावेज के आधार पर लेने वाले राज्य के कृषि मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे को दो साल की वैâद और ५० हजार रुपए जुर्माने की सजा सत्र न्यायालय ने सुनार्ई है। इस पैâसले से विधायकी और मंत्री पद भी खतरे में है। कम आय वाले व्यक्ति को सरकार की ओर से यानी मुख्यमंत्री के कोटे से कम दर पर घर उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को शपथ पत्र और आवश्यक दस्तावेज जमा करने होते हैं कि उसके नाम पर कहीं भी कोई फ्लैट नहीं है। एड. माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे ने १९९५ में ऐसे दस्तावेज जमा किए और शहर के कनाडा कॉर्नर इलाके में बने व्हू अपार्टमेंट में मुख्यमंत्री के कोटे से दो फ्लैट प्राप्त किए थे। इतना ही नहीं, इस इमारत में दो अन्य फ्लैट दूसरों ने हासिल कर लिए थे, जिनका इस्तेमाल कोकाटे बंधुओं द्वारा किया जा रहा था। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने जांच कराई। उसके बाद फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फ्लैट हासिल कर सरकार को चूना लगाने के आरोप में माणिकराव कोकाटे, उनके भाई विजय कोकाटे सहित कुल ४ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। सरकारवाड़ा थाने में ४ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।
इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में पूरी हुई। गुरुवार को कोर्ट ने कृषि मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे को दोषी ठहराया और दो साल की वैâद और ५०,००० रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
सबूतों के अभाव में २ लोग बरी
इस मामले की जानकारी सरकारी वकील एड. पूनम घोडके ने मीडिया को दी है। इस मामले में दो और संदिग्ध थे। सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया। कोर्ट ने कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को दो साल की सजा सुनाई है। अगर अपील पर रोक नहीं लगाई गई तो संभावना है कि उनकी विधायकी और वैकल्पिक तौर पर उनकी मंत्री पद खतरे में पड़ जाएगा।
एमएमआरडीए का नया प्रोजेक्ट …महज एक और अधूरी उम्मीद!
-७,३२६ करोड़ की सुरंग पर उठे सवाल
-कैसा होगा ट्रैफिक संकट के बीच सुरंग का भविष्य?
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (एमएमआरडीए) ने ऑरेंज गेट से मरीन ड्राइव तक ९.२ किमी लंबी भूमिगत सुरंग बनाने के लिए ७,३२६ करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। दावा किया जा रहा है कि इस सुरंग से मुंबई के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों की कनेक्टिविटी सुधरेगी और ट्रैफिक का दबाव कम होगा। लेकिन मुंबई के अधूरे प्रोजेक्ट्स को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या यह सुरंग भी सिर्फ कागजों पर रह जाएगी?
पुरानी परियोजनाओं का क्या हश्र हुआ?
मुंबई में मेट्रो परियोजना के कई प्रोजेक्ट आज भी अधूरे पड़े हैं। सिग्नल फ्री कॉरिडोर, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे का चौड़ीकरण और अन्य कई योजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। जब भी प्रशासन ने मुंबई के ट्रैफिक को सुधारने के लिए बड़ी योजनाएं बनाई, उन्हें समय पर पूरा करने में नाकाम रहा। कई फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट वर्षों से अधूरे पड़े हैं। इसी तरह, मुंबई की मेट्रो लाइन परियोजनाएं लगातार देरी का शिकार हो रही हैं।
क्या यह सुरंग वाकई ट्रैफिक समस्या हल करेगी?
इस सुरंग को ट्रैफिक कम करने के लिए जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन पहले से मौजूद बांद्रा-वर्ली सी लिंक, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) जैसी परियोजनाओं से भी यही वादे किए गए थे, जो अभी पूरी भी नहीं हुई हैं।
जनता के पैसे से एक और अधूरा सपना
फिलहाल, भूमिगत सुरंग के लिए खुदाई और लॉन्चिंग शाफ्ट का निर्माण जारी है, लेकिन क्या यह भी कोस्टल रोड और मेट्रो प्रोजेक्ट की तरह लंबित होता जाएगा? अगर एमएमआरडीए इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है, तो उसे पहले अपनी पुरानी अधूरी परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए।
शर्म करो, रेल मंत्री जी! … कुंभ से लौट रहे लाचार परिवार की रेलवे स्टाफ ने की ‘राजधानी’ में बेरहम पिटाई!… महिलाओं को भी नहीं बख्शा
-ट्रेन कैंसिल होने पर मजबूरी में पकड़ी थी गरीब ने ट्रेन
– टीटीई ने मांगे प्रति व्यक्ति ७,५००, नहीं दिए तो पीटा, अस्पताल में होना पड़ा भर्ती
सामना संवाददाता / लखनऊ
महाकुंभ के कारण ट्रेनों में भीड़ इतनी ज्यादा है कि कन्फर्म टिकट वाले भी बीच के स्टेशन पर भीतर नहीं घुस पा रहे हैं। हद तो तब हो जा रही है जब ट्रेनें वैंâसिल कर दी जा रही हैं। इससे यात्रियों की यात्रा नर्क समान हो जा रही है। इसके बावजूद रेल मंत्री को शर्म नहीं आ रही है। अब तो हद हो गई। कुंभ से स्नान कर लौट करे एक लाचार परिवार की रेलवे स्टाफ ने ‘राजधानी’ एक्सप्रेस में पिटाई कर दी। हमलावरों ने महिलाओं को भी नहीं बख्शा। सभी पीड़ितों को बाद में पुलिस ने जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया।
बता दें कि परिवार ने दिल्ली जाने के लिए अयोध्या एक्सप्रेस में टिकट बुक किया था, लेकिन ट्रेन के रद्द होने के कारण वे राजधानी एक्सप्रेस में चढ़ गए। ट्रेन के रवाना होने के बाद जब चेकिंग स्टाफ आया, तो उन्होंने जुर्माने के अलावा परिवार से भारी रकम की मांग की। पीड़ित परिवार ने इसे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद टीटी व स्टाफ ने परिवार पर बेरहमी से हमला कर दिया।
रिश्वत मांगी
भारत भूषण ने कर्मचारियों से अनुरोध किया कि वे पूरे परिवार के लिए टिकट बनाकर जुर्माना जोड़ दें। टीटी कर्मचारियों ने बताया कि जुर्माने और रिश्वत सहित कुल खर्च प्रति व्यक्ति ७,५०० रुपए होगा। परिवार के सदस्यों ने कहा कि जुर्माने सहित टिकट का खर्च हमसे ले लीजिए, लेकिन हम रिश्वत नहीं देंगे। इस पर टीटी नाराज हो गया।
१५ फरवरी की घटना
दिल्ली के छतरपुर निवासी भारत भूषण १५ फरवरी को अपने परिवार के साथ महाकुंभ स्नान के लिए गए थे। वे अपनी पत्नी, दो बेटे, दो बहुओं, वृद्ध मां और बेटियों के साथ यात्रा कर रहे थे। राजधानी एक्सप्रेस लखनऊ से चलकर बरेली, मुरादाबाद होते हुए दिल्ली पहुंचती है। आरोप है कि लखनऊ से राजधानी एक्सप्रेस के छूटते ही टीटी व रेलवे स्टाफ वहां पहुंच गए।
बाल पकड़कर घसीटा
उन्होंने गर्भवती और बुजुर्ग महिलाओं तक को नहीं छोड़ा। उन्हें बाल पकड़कर जमीन पर घसीटा गया और बुरी तरह पीटा गया। जब ट्रेन बरेली पहुंची, तो पीड़ित परिवार ने जीआरपी से मदद की गुहार लगाई। दो महिलाओं सहित तीन लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। बर्बरता की हदें पार कर देने वाली यह सनसनीखेज घटना डिब्रूगढ़ से नई दिल्ली जाने वाली २०५०५ राजधानी एक्सप्रेस में हुई।
मोदी सरकार को नहीं है खबर …अरुणाचल सीमा पर चीन ने बसा दिए ९० गांव! …कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का खुलासा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार चीन से नहीं दबने का दावा बारबार करती है, पर चीन अरुणाचल की सीमा पर गांव पर गांव बसाता जा रहा है। इसे लेकर एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चीन की नई घुसपैठ का दावा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है। उनका दावा है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के पास ९० नए गांव बसा दिए हैं। खड़गे ने लिखा कि चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इनमें से बहुत से गांव भारत-चीन सीमा के उस क्षेत्र में हैं, जो विवादित हैं। चीन, भारतीय सीमा पर कुल ६२८ ऐसे गांव बसा चुका है, लेकिन नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह खामोश हैं।
ये पहला मामला नहीं है, इससे पहले चीन अरुणाचल प्रदेश के ९० हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा कर चुका है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश की ३० से ज्यादा जगहों के नाम बदले हैं। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाना शुरू कर चुका है। चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में ६७.२२ किमी लंबी सड़क भी बना ली है। चीन ने लद्दाख क्षेत्र के हिस्से में २ नए प्रांत बसाए हैं। चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील पर एक ब्रिज बनाया है। चीन ने पैंगोंग झील के पास मिलिट्री बेस बनाया है, जिसमें अंडरग्राउंड बंकर हैं, जहां हथियार, र्इंधन, और बख्तरबंद वाहनों को स्टोर किया जाता है।
खतरे में संप्रभुता
चीन हमारी सीमाओं में घुसपैठ कर रहा है, लेकिन नरेंद्र मोदी चीन को ‘क्लीनचिट’ देते हुए कहते रहे हैं कि कोई घुसा हुआ नहीं है। खड़गे ने पोस्ट कर लिखा कि मोदी जी, आप चीन को ‘लाल आंख’ के बजाय ‘लाल सलाम’ की नीति अपना रहें हैं! भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, भौगोलिक सम्प्रभुता एवं अखंडता सर्वोपरि है, मोदी सरकार इसे खतरे में डाल रही है।
मूर्तिकारों को चाहिए पीओपी का विकल्प … …वर्ना गणेशोत्सव और नवरात्रोत्सव हो जाएगा फीका!
सरकार से व्यावहारिक निर्णय लेने की लगी गुहार
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा ने श्री गणेश और मां दुर्गा की मूर्तियों के निर्माण में पीओपी के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह पैâसला मुंबई हाई कोर्ट और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आदेशों के आधार पर लिया गया है लेकिन मूर्तिकारों को कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं दिया गया, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
मूर्तिकारों का कहना है कि मिट्टी से केवल छोटी मूर्तियां ही बनाई जा सकती हैं, जबकि बड़ी गणपति प्रतिमाएं मुंबई की पहचान का हिस्सा हैं। प्रशासन ने प्रत्येक कारखाने को सिर्फ १०० किलोग्राम शाडू मिट्टी देने की घोषणा की है, जो बेहद कम है। मनपा ने कारखानों में नोटिस लगाने का आदेश दिया है कि वहां केवल पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां ही बनाई जा रही हैं। लेकिन जब कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं है, तो मूर्तिकार इसका पालन कैसे करेंगे?
पर्यावरण के नाम पर रोजगार में अड़ंगा
मुंबई में हर साल नदी-नालों में टनों सीवेज और औद्योगिक कचरा बहाया जाता है, लेकिन मनपा इस पर सख्त कार्रवाई नहीं करती है। अगर पर्यावरण सुधारना ही मकसद है, तो औद्योगिक कचरे और सीवेज पर सख्ती क्यों नहीं की जाती है?
मनपा के फैसले पर उठे सवाल
अगर पीओपी पर प्रतिबंध है, तो सरकार मूर्तिकारों को व्यावहारिक विकल्प कब देगी? केवल १०० किलोग्राम मिट्टी से हजारों मूर्तियां वैâसे बनेंगी? जल प्रदूषण का बड़ा कारण औद्योगिक कचरा और सीवेज है, लेकिन उस पर कोई रोक क्यों नहीं?
सरकार को जल्द निकालना होगा समाधान
मनपा के इस पैâसले से मुंबई के हजारों मूर्तिकारों का भविष्य अंधकार में है। सरकार को चाहिए कि परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए और मूर्तिकारों के लिए भी व्यावहारिक समाधान निकाले।
घरों के लिए मिल मजदूरों का विधान भवन पर महामोर्चा! …सात मजदूर यूनियनें लेंगी भाग
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में मिल मजदूरों और उनके उत्तराधिकारियों को उचित घर दिलाने के लिए मिल मजदूरों के सभी संगठन एकजुट होकर आगामी ६ मार्च को विधान भवन पर महामोर्चा निकालेंगे। यह मोर्चा विधान भवन सुबह ११ बजे पहुंचेगा। इस महामोर्चा में मिल मजदूरों की सात यूनियन भाग लेंगी। मिल मजदूर पिछले कई वर्षों से अपने वाजिब आवास से वंचित हैं। राज्य सरकार की योजना उन्हीं मिल मजदूरों को बाहर निकालने की है, जिन्होंने इस मुंबई को दुनियाभर में मशहूर किया है।
एक लाख से अधिक मजदूर हैं बेघर
एक लाख से ज्यादा मिल मजदूर बेघर हैं। दूसरी ओर, सरकार उद्योगपतियों को विशेष रियायतें देकर मुंबई में खुली जगह को दान की तरह वितरित कर रही है। इसी के विरोध में आगामी छह मार्च को महामोर्चा का आयोजन किया गया है।
बता दें कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक और यूनियन नेता सचिन अहिर के नेतृत्व में कई बार मिल मजूदरों ने अपनी समस्याओं को लेकर समय-समय पर मोर्चा निकाला है। सचिन अहिर ने मिल मजूदरों की समस्याओं, बंद मिलों को चालू करने, मिल मजदूरों के बकाया वेतन आदि विषयों को लेकर केंद्रीय श्रम मंत्री से भी मुलाकात की थी। मुंबई के मिल मजदरों की समस्या सालों से लटकी पड़ी हुई है। कितने मिल मजदूर मर गए, लेकिन उनको उनके अधिकार का घर नहीं मिला। इन सब बातों को ध्यान में रखकर अब यूनियन नेताओं ने आरपार की लड़ाई लड़ने की योजना तैयार की है। इसी के तहत ६ मार्च को सात यूनियन एकजुट होकर विधान भवन पर महामोर्चा निकालने का निर्णय लिया है।
मैली होती उल्हास नदी! …टैंकर माफिया और कंपनियों की सांठगांठ
-कल्याण, डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर में होती है पानी की सप्लाई
सामना संवाददाता / मुंबई
कल्याण, डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर आदि शहरों को पानी सप्लाई करने वाली उल्हास नदी का पानी टैंकर माफिया और कंपनियों की सांठ-गांठ से प्रदूषित हो रही है। यह बात खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वीकार की है।
मुख्यमंत्री की स्वीकोरोक्ति
उल्हास नदी है प्रदूषित!
गत दिनों बदलापुर में आयोजित एक सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि उल्हास नदी के प्रदूषण को रोकने और नदी में मिलने वाले झरनों और नालों को रोककर पानी का प्रसंस्करण करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने नदी को साफ करने की भी बात कहीं।
गौरतलब हो कि उल्हास नदी में शहरों ने प्रदूषित पानी के अलावा विभिन्न शहरों की कंपनियों से निकलने वाले कचरे को भी बिना प्रक्रिया किए नदी में छोड़ दिया जाता है। परिणाम स्वरूप प्रदूषित पानी के कारण लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होते रहते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों की कंपनियों का अपशिष्ट (कचरा) बिना प्रक्रिया किए टैंकर माफियाओं द्वारा लाया जाता है और उसे उल्हास नदी में छोड़ दिया जाता है।
बताया जाता है कि कंपनियों को अपशिष्ट की प्रक्रिया करने में अधिक खर्च आता है। इसलिए टैंकर माफियाओं को इन कचरों को बाहर ले जाकर फेंकन के लिए कंपनियां अधिक किराया देती हैं। इस तरह के टैंकर माफिया उल्हासनगर, डोंबिवली, कल्याण आदि शहरों में भारी पैमाने पर है जो अन्य राज्यों से खतरनाक केमिकल अपशिष्ट लाकर उल्हास नदी में बहा देते हैं। बताया जाता है कि इस अवैध कारोबार में प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों से लेकर पुलिस प्रशासन तक के लोगों का टैंकर माफियाओं की सांठ-गांठ है, इसीलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
५००–१००० नहीं १४ लाख हिंदुस्थानियों को निकालने की तैयारी!
अमेरिका (यूएस) से अवैध प्रवासी भारतीयों को ट्रंप सरकार निकाल रही है। अवैध तरीके से अमेरिका गए ३३२ भारतीयों को डिपोर्ट कर अलग-अलग तारीखों में वापस भेजा जा चुका है। इनमें सबसे ज्यादा १२८ लोग पंजाब के हैं, जो अमेरिका से निकाले जा चुके हैं। वहीं अब जो खबर आ रही है, उससे अमेरिका में रह रहे अन्य लाखों भारतीयों के साथ देश में रह रहे उनके परिवार वालों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। अब १०० या २०० या ५०० नहीं बल्कि १४ लाख पंजाबियों पर डिपोर्टेशन की तलवार लटक गई है। इससे पहले पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अर्थशास्त्रियों की अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि सख्त इमिग्रेशन नियमों के कारण लोग अमेरिका जाने के लिए डंकी रूट का सहारा ले रहे हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में लोग ट्रैवल एजेंटों की धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ समय से पंजाब के लोगों में विदेश जाकर बसने का चलन काफी बढ़ा है। राज्य के लगभग १३.३४ प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में से कम से कम एक सदस्य विदेश जा रहा है।
हिंदुस्थानियों पर अत्याचार जारी है…`प्लीज हेल्प…!
पनामा होटल की खिड़कियों से भारतीयों ने लगाई मदद की गुहार
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका से प्रवासियों को निकाले जाने का क्रम जारी है। इस बीच भारतीयों समेत ३०० प्रवासियों को पनामा के एक होटल में रखा गया है। सोशल मीडिया पर इन प्रवासियों के वीडियो वायरल हैं, जिसमें वे मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस मामले पर पनामा में मौजूद भारतीय दूतावास की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। दूतावास ने पनामा पहुंचे प्रवासियों को मदद का पूरा भरोसा दिया है। उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बीच में एक देश है पनामा। अमेरिका से भेजे गए प्रवासी वहां के एक होटल में ठहरे हैं।