जीवदया ही जीवन : मूक जीवों की न करें अनदेखी

नरेंद्र गुप्ता

धरती पर निवास करनेवाले सभी प्राणियों में सिर्फ इंसान ही अपने खाने-पीने का इंतजाम खुद करता है, लेकिन पशु-पक्षी व अन्य प्राणी इंसानों पर ही आश्रित हैं। यदि इंसानों द्वारा इन बेजुबान प्राणियों की अनदेखी की गई तो फिर उनका जीवन मुश्किल हो जाएगा। ऐसी स्थिति में इंसान को दया दिखाते हुए इन बेजुबानों पर भी परिवार के सदस्य के रूप में ध्यान देना जरूरी है, तभी मानव सभ्यता के साथ-साथ बेजुबान प्राणियों का जीवन धरती पर संभव होगा। देखने में आया है कि काफी लोग जानवरों को पसंद नहीं करते और खाने व पानी की व्यवस्था करनेवालों से लड़ाई-झगड़ा तक करते हैं।
लोग भूल जाते हैं कि इन बेजुबानों को भी इस धरती पर जीने का उतना ही अधिकार है, जितना एक इंसान को और इनके प्रति नफरत नहीं, बल्कि दया और करुणा का भाव रखना ही एक तरह से इंसानियत कही जाएगी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष सर्वाधिक गर्मी पड़ने वाली है। भीषण गर्मी का प्रकोप मनुष्यों को ही नहीं, बल्कि मूक जानवरों के शरीरों को भी जलाता है, उन्हें प्यास से तड़पाता है। मनुष्य के पास तो सब सुविधाएं हैं, लेकिन बेजुबान जीवों को तो इस भीषण गर्मी में ही जीना होता है। गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है और इस चिलचिलाती धूप में बार-बार प्यास लगना स्वाभाविक है। हम मनुष्य तो प्यास लगने पर पानी पी लेते हैं तथा कूलर, पंखे या एसी का सहारा ले लेते हैं, लेकिन गर्मी का यह मौसम इन बेचारे बेजुबान पशु-पक्षियों को बहुत भारी पड़ जाता है। कई पक्षी तो केवल गर्मी और प्यास के कारण तड़पते हुए दम तोड़ देते हैं। मानवीय दायित्व है कि वह मूक जीवों के प्रति दया का भाव रखें और उनके लिए दाने और पानी का इंतजाम करें।

‘अमेरिका से जंजीर में बांधकर बाहर भेजेंगे’ …खौफ में कर ली मासूम बच्ची ने आत्महत्या

अमेरिका से एक दिल दहला देनेवाली घटना सामने आई है। यहां ११वीं कक्षा की एक छात्रा ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि स्कूल के छात्र उसे परेशान करते हुए कहते कि जल्द ही उसके माता-पिता को जंजीर से बांधकर देश से बाहर भेज दिया जाएगा और वो अकेली रह जाएगी। छात्रा द्वारा आत्महत्या करने के बाद छात्रा की मां ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल के छात्र उसे परेशान करने के साथ ही उसे यह कहकर अपमानित करते थे कि उनका परिवार अवैध रूप से अमेरिका में रह रहा है और जल्द ही उन्हें जंजीरों में जकड़ देश से बाहर भेज दिया जाएगा। मां के इन आरोपों के बाद गेंसविले इंडिपेंडेंट स्कूल डिस्ट्रिक्ट पुलिस जांच में जुट गई है। टेक्सास की रहनेवाली जोसलीन रोजो कारांजा को छात्रों ने इस कदर परेशान किया कि ८ फरवरी को उसने आत्महत्या कर ली। जोसलीन की मां मर्बेला कारांजा ने कहा, ‘मेरी बेटी ने कभी कोई संकेत नहीं दिया कि वह इस कदर तनाव में थी। मैं कभी नहीं जान पाई कि उसे स्कूल में बुली किया जा रहा था।’

स्कॉटलैंड का अजीब रिवाज …नवविवाहित के चेहरे पर कालिख पोत घुमाते हैं लोग

शादी-ब्याह को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। भारत के उत्तरी हिस्से में जो रीति-रिवाज शादी के लिए अपनाए जाते हैं, उन्हें दक्षिण भारत में नहीं अपनाया जाता है। देश के अधिकांश हिस्सों की ज्यादातर महिलाएं विवाह में जहां लाल साड़ी पहनती हैं, वहीं कुछ हिस्सों में विवाह के दौरान महिलाएं सफेद साड़ी पहनती हैं। दूसरी तरफ स्कॉटलैंड में नवविवाहित जोड़े के मुंह पर कालिख पोतकर घुमाने की परंपरा है। इस परंपरा को मानने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इस परंपरा से जोड़े की जिंदगी में आनेवाली नकारात्मकता दूर होगी और उनका जीवन खुशहाल हो जाएगा। स्कॉटलैंड में लोगों के बीच यह मान्यता है कि नवविवाहित कपल्स के आसपास कई बुरी आत्माएं होती हैं और मुंह पर कालिख पोतने के बाद वे दूर हो जाती हैं। इस परंपरा को सिर्फ दुल्हन ही नहीं, बल्कि दूल्हे को भी निभाना होता है। इस अजीबोगरीब परंपरा को स्कॉटलैंड में फॉलो किया जाता है। यहां शादी करनेवाले कपल्स का मुंह काला किया जाता है। खास बात यह है कि इसे किसी एक क्षेत्र में नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग कई हिस्सों में निभाया जाता है।

उड़न छू : डंका और ताकत

अजय भट्टाचार्य
डंकापति अमेरिका से वापस आ चुके हैं और भक्त समुदाय सैम अंकल की एक फोटो / वीडियो वायरल कर अहोभाव से विभोर है कि देखो वैâसे दुनिया के सबसे ताकतवर देश का मुखिया हमारे डंकापति को बैठने के लिए कुर्सी लगाकर खुद पीछे खड़ा है। ये है फलाना है तो मुमकिन है, लेकिन समर्थक समुदाय न तो देख पाया और न सून पाया कि डंकापति से मिलने से पहले ही अंकल सैम ने ‘प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क’ (रेसीपोकल टेरिफ) का फरमान जारी किया, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से भारत की ऊंची शुल्क दरों की निंदा की और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करने पर और विपरीत परिणामों की धमकी दी। प्रेस कॉन्प्रâेंस में डंकापति दस मिनट तक अंकल सैम की शानदार जीत और उनके पिछले तीन हफ्तों की नीतियों की तारीफों के पुल बांधते रहे। मगर अंकल सैम ने डंकेश की यात्रा को महज ३० सेकंड में एक वाक्य के जरिए निपटा दिया। इतने भर से पेट नहीं भरा तो अंकल सैम के कार्यालय द्वारा जारी प्रेस बयान में दुनिया को बताया गया कि फलाने के नेतृत्ववाला भारत अमेरिका से बड़ी मात्रा में तेल और गैस खरीदने के लिए सहमत हो गया है। अपमान पर और नमक छिड़कते हुए यह भी कहा गया कि भारत को अमेरिका को अपने सबसे बड़े तेल और गैस आपूर्तिकर्ता के रूप में स्वीकार करना होगा, चाहे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कुछ भी हों। हमने रूस से तेल इसलिए खरीदा क्योंकि वह युद्धग्रस्त देश हमें रियायती दरों पर बेचने को तैयार था, लेकिन अब अमेरिका हमारी कीमत और मात्रा दोनों तय करेगा।
अंकल सैम ने केवल तेल और गैस थोपने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि खुलेआम घोषणा की कि भारत को व्यापार घाटे को संतुलित करने के लिए एफ-३५ लड़ाकू विमान खरीदने के लिए मजबूर किया जाएगा। मतलब डंकापति की अमेरिका यात्रा का यह स्पष्ट परिणाम है भारत के हितों का शर्मनाक आत्मसमर्पण। हमारे नेता की अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की हताशा ने हमारे देश को इस स्थिति में पहुंचा दिया है। जब नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया और हमारे प्रधानजी को ऐसा कोई निमंत्रण नहीं मिला, तो हमारे नेता ने विदेश मंत्री को वॉशिंगटन डीसी भेजा ताकि देर से ही सही, निमंत्रण प्राप्त किया जा सके। लेकिन सैम ने मना कर दिया। शी जिनपिंग की आत्म-सम्मान की भावना देखिए कि अंकल सैम का आमंत्रण और व्यक्तिगत फोन कॉल मिलने के बावजूद, उन्होंने समारोह में जाने के बजाय अपने उपराष्ट्रपति को भेजा। यही एक आत्मनिर्भर नेता का आत्मविश्वास होता है। अमेरिकी सरकार द्वारा भेजे गए अप्रवासी भारतीयों की पहली खेप में सभी को हाथ-पैर में जंजीर बांधकर भेजा गया था, लेकिन इस बीच डंकापति ने अमेरिका यात्रा की और अंकल सैम को इशारों में समझाया। वे समझ गए कि ये २०१४ के पहले का भारत नहीं है। अब ये आजाद शक्तिशाली भारत है…जो विरोध करना जानता है। र्इंट का जवाब पत्थर से देना जानता है। लिहाजा भेजी गई दूसरी खेप में केवल पुरुषों को बेड़ियां बांध पाए… महिलाओं के हाथ पैर नहीं बांध पाए। हौसला मत टूटने देना महामानव का प्लीज..!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

‘आनंद’ की याद में ‘स्मरण’

 

मुंबई। ‘श्री आनंद कट्टी संगीत प्रतिष्ठान’ की ओर से रविवार, २३ फरवरी २०२५ को मुंबई में शास्त्रीय संगीत समारोह ‘स्मरण’ का आयोजन किया गया है। श्री आनंद कट्टी की याद में आयोजित इस शास्त्रीय संगीत समारोह में प्रसिद्ध गायिका दीपिका भिड़े-भागवत, सितार वादक सारंग वेचलेकर, तबला वादक सरदार हरमीत सिंह एवं यति भागवत सहित हार्मोनियम वादक ज्ञानेश्वर सोनावणे अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। दोपहर ३ बजे से शाम ७ बजे के बीच बोरीवली-पश्चिम स्थित प्रबोधनकार ठाकरे मिनी
ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह में प्रवेश नि:शुल्क है। इस समारोह में बड़ी संख्या में शास्त्रीय संगीत प्रेमी उपस्थित रहेंगे।

आम आदमी हैं रश्मिका

फिल्म के रुपहले पर्दे पर चल रही फिल्म की कहानी तो दर्शकों को दिख जाती है, लेकिन पर्दे के पीछे घटनेवाली कहानियों से वो अनभिज्ञ रह जाते हैं। फिल्म ‘छावा’ में महारानी येसुबाई का किरदार निभानेवाली ‘श्रीवल्ली’ रश्मिका मंधाना ने खुलासा करते हुए बताया कि फिल्म ‘एनिमल’ की शूटिंग के दौरान फिल्म के हीरो रणबीर कपूर ने उन्हें ऑफ वैâमरा इतना इमोशनल कर दिया था कि उनकी आंखों से आंसू बह निकले। फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर की पत्नी की भूमिका निभानेवाली रश्मिका ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान मैं शिकायत कर रही थी कि मेरा नाश्ता कितना बोरिंग है और अगले दिन रणबीर ने अपने रसोइए से कहकर मेरे लिए इतना बेहतरीन नाश्ता मंगवाया, जिसे देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। रश्मिका ने बताया कि रणबीर ने उनसे सवाल करते हुए पूछा कि तुम वो बोरिंग नाश्ता क्यों कर रही थीं? इस रश्मिका ने कहा, ‘तुम्हारे पास अच्छे कुक हैं, हमारे पास नहीं हैं। हम आम आदमी हैं इसलिए हम हैदराबाद से कुक नहीं ला सकते।’

राजकुमार बनेंगे ‘दादा’!

राजकुमार राव जल्द ही अपकमिंग बायोपिक फिल्म में पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली उर्फ ‘दादा’ की भूमिका में नजर आएंगे। बता दें कि इस फिल्म के हीरो को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही थी कि ऑन-स्क्रीन सौरव की भूमिका में कौन नजर आएगा। अब खुद ‘दादा’ ने अनाउंस किया है कि बड़े पर्दे पर उनकी भूमिका राजकुमार राव निभाएंगे। सौरव गांगुली ने कहा, ‘मैंने जो सुना है उसके अनुसार, राजकुमार राव यह भूमिका निभाएंगे।’ पश्चिम बंगाल के बर्धमान में मीडिया से बात करते हुए सौरव गांगुली ने कहा, ‘जो मैंने सुना है, उसके अनुसार राजकुमार राव लीड रोल निभाएंगे, लेकिन डेट को लेकर इश्यू है। इसलिए इस बायोपिक फिल्म के सिनेमाघरों में रिलीज होने में एक साल से ज्यादा का समय लग जाएगा।’ बता दें कि सौरव गांगुली को क्रिकेट का महाराज बुलाया जाता है। भारतीय टीम में दादा के नाम से फेमस सौरव गांगुली ने भारत के लिए ३११ वनडे मैच खेले हैं और ११३ टेस्ट मैच खेलें हैं। वह बीसीसीआई के प्रेसिडेंट और अब तक के सबसे कामयाब वैâप्टन रह चुके हैं।

चक दे इंडिया

दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी-२०२५ के शुरुआती मैच में बांग्लादेश के खिलाफ शुभमन गिल का शतक आईसीसी वनडे इवेंट्स में भारत के लिए ५०वां शतक है। ऐसे में भारत आईसीसी वनडे टूर्नामेंट में ५० शतक लगाने वाला पहला देश बन गया है। बता दें कि रोहित शर्मा ने आईसीसी वनडे टूर्नामेंट में भारत के लिए सबसे अधिक ८ शतक लगाए हैं। गौरतलब है कि टीम इंडिया ने बांग्लादेश के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ में अपने पहले मुकाबले को ६ विकेट से जीता। इस मैच में टीम इंडिया की तरफ से उपकप्तान शुभमन गिल के बल्ले से नाबाद १०१ रनों की पारी देखने को मिली, जिसके दम पर भारतीय टीम ने एक खास आंकड़ा हासिल किया। चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ में बांग्लादेश के खिलाफ शुभमन गिल के बल्ले से आया शतक टीम इंडिया की तरफ से आईसीसी वनडे इवेंट में अब तक का ५०वां शतक था। ऐसे में इंडिया इस आंकड़े तक पहुंचने वाली अब तक की पहली टीम बन गई है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलियाई टीम है, जिसने आईसीसी वनडे इवेंट में अब तक ४२ शतकीय पारियां बनाई हैं।

रहस्यमयी लड़की!

शिखर धवन ने भले ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन उसके बाद भी वो टीम इंडिया से दूर नहीं हुए हैं। जिसका नजारा चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ में देखने को मिल रहा है। टीम इंडिया और बांग्लादेश के मैच के दौरान शिखर धवन स्टेडियम में मौजूद थे। इस दौरान भारतीय टीम से मिलने के अलावा गब्बर ने कमेंट्री भी की, जिसके बाद वह एक रहस्यमयी लड़की के साथ बैठकर इस मैच का मजा लेते हुए नजर आए। विदेशी युवती के संग धवन की तस्वीरें और वीडियो काफी वायरल हो रहे हैं, जिसके बाद दोनों के बीच डेटिंग की अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि धवन के साथ बैठी युवती का नाम सोफी शाइन है, जो आयरलैंड की रहने वाली हैं। सोफी प्रोडक्ट एडवाइजर हैं और लंबे समय से शिखर धवन की दोस्त हैं। बता दें कि शिखर धवन ने अपने करियर में कई कमाल की पारियां खेली है, वहीं ये खिलाड़ी चैंपियंस ट्रॉफी में कुछ अलग ही अवतार में बल्लेबाजी करता था। गब्बर ने साल २०१३ और २०१७ की चैंपियंस ट्रॉफी में गोल्डन बैट जीता था और इस बार पैंâस उनको काफी मिस कर रहे हैं।

निवेश गुरु : उधारी से छुटकारा पाएं…SIP को बनाएं अपना सबसे बड़ा ग्राहक!

भरतकुमार सोलंकी
मुंबई

क्या आप भी उन व्यापारियों में से हैं, जो ग्राहकों को उधार में माल बेचते हैं और फिर महीनों तक पेमेंट का इंतजार करते हैं? क्या आपके बिजनेस का एक बड़ा हिस्सा उन उधारियों में फंसा रहता है, जिनका भुगतान समय पर नहीं होता? और क्या आपने कभी सोचा है कि अगर यही पैसा, जो उधार में फंसता हैं, एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश कर दिया जाए, तो यह आपके लिए कितनी बड़ी संपत्ति बना सकता है?
व्यापार की सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि नकदी प्रवाह बना रहे, लेकिन जब माल उधार में बेचा जाता है तो यह प्रवाह टूट जाता है। ग्राहक आपका माल तो ले जाता है, लेकिन पेमेंट समय पर नहीं देता। कई बार ब्याज की मांग भी नहीं कर सकते, क्योंकि बिजनेस संबंध बनाए रखना जरूरी होता है। लेकिन अगर यह पैसा एसआईपी में डाला जाए तो न केवल पूंजी सुरक्षित रहती है, बल्कि कंपाउंडिंग का लाभ भी मिलता है। आखिरकार, एसआईपी का ग्राहक न तो उधारी मांगेगा, न ही पेमेंट लेट करेगा, बल्कि हर महीने आपको मुनाफा देकर जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि एसआईपी को बिजनेस में कैसे अपनाया जाए? मान लीजिए, आप हर महीने १ लाख रुपए की उधारी बढ़ा देते हैं। अगर इन पैसों को एसआईपी में निवेश कर दिया जाए तो १०-१५ साल में यह रकम करोड़ों में बदल सकती है, वहीं उधारी में दिया गया पैसा अगर डूब गया या बहुत लेट मिला तो यह न सिर्फ नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि आपके व्यापार को भी कमजोर करेगा। एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह अनुशासन सिखाता है। जैसे आप अपने व्यापार में नियमित रूप से माल खरीदते और बेचते हैं, वैसे ही अगर आप हर महीने तय राशि एसआईपी में डालते हैं तो समय के साथ यह एक मजबूत वित्तीय सुरक्षा बना देता है और जब आपको किसी बड़े खर्च या निवेश की जरूरत पड़े तो यह एसआईपी आपके लिए एक मजबूत सहारा बन सकता है।
अब सोचिए, जब आपका पैसा किसी ग्राहक के पास उधार में फंसा होता है तो आप चिंता में रहते हैं, लेकिन जब वही पैसा एसआईपी में होता है तो वह हर वर्ष बढ़ता जाता है। कौन सा विकल्प बेहतर है? क्या आपको अब भी उधारी में माल बेचना सही लगता है या फिर एसआईपी को अपना सबसे भरोसेमंद ग्राहक बनाना चाहेंगे? समय बदल रहा है और बिजनेस का तरीका भी। अब व्यापारियों को सिर्फ मुनाफे की सोच से आगे बढ़कर अपनी पूंजी को सुरक्षित और बढ़ाने के बारे में भी सोचना होगा। एसआईपी एक ऐसा साधन है जो आपके पैसे को सिर्फ बचाएगा ही नहीं, बल्कि बढ़ाएगा भी। तो फिर देर किस बात की? आज ही तय करें कि उधारी को अलविदा कहकर एसआईपी को अपने बिजनेस का सबसे अच्छा ग्राहक बनाएंगे!
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)