-क्रिसिल की रिपोर्ट का खुलासा
सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा सरकार के राज में उद्योग-धंधों की हालत खराब है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि घरेलू कंपनियों की मुनाफा दर में गिरावट आई है। गत ढाई वर्षों में यह सबसे कम वृद्धि दर रही है। इस बात का खुलासा क्रिसिल की एक रिपोर्ट से हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू कंपनियों की राजस्व वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में ४ से ६ प्रतिशत तक गिरी है, जो कोविड महामारी के बाद की सबसे धीमी दर होगी। साख निर्धारण और विश्लेषण से जुड़ी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह रिपोर्ट ३५० कंपनियों के विश्लेषण पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘क्रिसिल की निगरानी में शामिल ४७ क्षेत्रों में से केवल १२ में मार्च तिमाही के लिए क्रमिक और सालाना आधार पर राजस्व वृद्धि में सुधार होने की उम्मीद है।’ उपभोक्ता विवेकाधीन उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहने की उम्मीद है। विवेकाधीन उत्पादों के बीच पिछले वर्ष में अधिक मात्रा और कीमतों में बढ़ोतरी के कारण यात्री वाहनों में स्वस्थ वृद्धि से वाहन क्षेत्र को मजबूती मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में स्वस्थ मांग रहने से संगठित खुदरा क्षेत्र में लगातार १३वीं तिमाही में वृद्धि हुई है। एयरलाइंस और होटल जैसी विवेकाधीन सेवाओं को एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां), शादियों और कॉर्पोरेट यात्रा में उछाल से फायदा हुआ। इसके उलट निर्माण से जुड़े क्षेत्रों से राजस्व की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंका है। इसकी वजह उच्च तुलनात्मक आधार होना है। वित्त वर्ष २०२२-२३ की मार्च तिमाही में निर्माण कंपनियों ने अपना उच्चतम तिमाही राजस्व हासिल किया था। आलोच्य तिमाही में स्थिर मांग रहने के बावजूद सीमेंट क्षेत्र ने मध्यम राजस्व वृद्धि दर्ज की, क्योंकि उच्च आपूर्ति और तीव्र प्रतिस्पर्धा के बीच कीमतें दबाव में रहीं।