मनमोहन सिंह
भजनलाल शर्मा जब से राजस्थान के चीफ मिनिस्टर बने हैं, तब से उनकी चैन की नींद गायब है। दरअसल, उनके सीएम बनने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली ही होगी कि लोकसभा चुनाव का एलान हो गया। यह उनके लिए परीक्षा की घड़ी है। केंद्र की नजर में खरा उतरना उनकी सबसे बड़ी प्रॉयरिटी है। उनसे ज्यादा और कौन जानता होगा कि वह किन हालातों में और किनकी नजरें इनायत के चलते चीफ मिनिस्टर की कुर्सी तक पहुंचे हैं। अब उनकी जिम्मेदारी है, किसी भी हालत में लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिताना।
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस ज्वॉइन करने वाले नेताओं ने सीधे-सीधे संदेश दे दिया है कि यदि उनकी कद्र न हो और उनकी नाराजगी दूर नहीं की गई तो उनके पास पर्याय के तौर पर कांग्रेस के द्वार खुले हैं। बाजार में हवा गर्म है कि जैसे-जैसे राजस्थान जमीन तपेगी, वैसे-वैसे भाजपा के लिए सियासी पारा भी चढ़ेगा, क्योंकि टिकट वितरण से नाराज लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कांग्रेस या अन्य पार्टी छोड़कर भाजपा में प्रवेश की खबरें अब आम हो चुकी हैं, लेकिन भाजपा को त्याग कर कांग्रेस में जाना ब्रेकिंग न्यूज बन जाती है। इसकी वजह है कि कांग्रेस में प्रवेश करने वालों पर कांग्रेस किसी सरकारी एजेंसी या अन्य हथकंडों का इस्तेमाल नहीं करती, जबकि भाजपा में यह आम है। भाजपा आलाकमान के आदेश के अलावा अब भाजपा के नए प्रदेश चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी राज्य में पहुंच चुके हैं। दिनभर मीटिंगों का सिलसिला जारी है। विचार मंथन लगातार चल रहा है। प्रदेश चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि मिशन २५ उनका एकमात्र लक्ष्य है। राज्य की २५ में से २५ सीटों से कम सीटों पर कोई समझौता नहीं! यानी गलती पर कोई माफी नहीं!
सहस्त्रबुद्धे के साथ सीएम भजनलाल, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सह प्रभारी विजया रहाटकर, प्रवेश शर्मा, हरियाणा के चुनाव प्रभारी सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ जैसे बहुत सारे कद्दावर शामिल थे। लब्बोलुआब है कि राजस्थान में हालात उतने अच्छे नहीं हैं जितने होने चाहिए थे। धौलपुर- करौली, चूरू, बाड़मेर-जैसलमेर, दौसा, नागौर, सीकर, बांसवाड़ा- डूंगरपुर जैसे बहुत सारे निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां पर मजबूती से काम करना होगा। नई रणनीति तैयार करनी होगी। इस महामंथन के बाद चीफ मिनिस्टर ने मंत्रियों और विधायकों को लोकसभा चुनाव पूर्ण होने तक `ऑन फील्ड’ रहने का फरमान जारी कर दिया है। शर्मा ने कहा कि अब समय घर पर बैठने का नहीं, बल्कि जनता के बीच जाने का है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जरूरत पड़े तो फाइलें भी वहीं फिल्ड पर मंगा लें। फिलहाल, मंथन जारी है।
चलते चलते
फिलहाल, राजनीति में जो कुछ उठापटक हो रही है, उस पर अक्सर सरकारी कर्मचारी खुलकर कुछ भी कहने से कतराते हैं। हालांकि, जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं उसका इस लोकसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी बता देते हैं कि राजस्थान के बिजली विभाग वाले सरकार से खफा लग रहे हैं, वजह है बिजली महकमे का नया फरमान। फरमान यों हैं कि कोई भी कर्मचारी जींस, टीशर्ट पहनकर ऑफिस में नहीं आ सकता। यानी नो वैâजुअल। इन कर्मचारियों को अब न सिर्फ फॉर्मल में आना है, बल्कि पैरों में जूते भी पहनने हैं। `ड्रेस कोड’ का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाने की चेतावनी दी गई है। वैसे तो लोगों का मानना है कि `ड्रेस कोड’ की कड़ाई गलत नहीं है, लेकिन `गलत वक्त’ पर है। चुनाव तो खत्म हो जाने देते हैं।