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रोखठोक : हिंडेनबर्ग रिपोर्ट से टीम जॉर्ज …२०१४ से चुनावों पर प्रश्नचिह्न!

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक

देश में चुनाव मतलब सिर्फ एक दिखावा रह गया है। ईवीएम हैक करके चुनाव जीतने वालों के हाथ आज देश की कमान है। विरोधियों पर नजर रखी जा रही है। उन्हें फंसाया जा रहा है और उसके लिए विदेशी कंपनियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ‘गार्डियन’ ने कई विस्फोट किए। २०२३ के मध्य में वॉशिंगटन से और विस्फोट होंगे और प्रधानमंत्री मोदी को जाना होगा, ऐसी भविष्यवाणी डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आने की बात आज सभी जगह की जा रही है। अखबारों ने ही उनकी छवि को बड़ा बनाया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा नेता बना दिया, लेकिन अडानी प्रकरण के बाद वैश्विक प्रसार माध्यम में मोदी की साख गिर गई। उसमें ‘बीबीसी’ पर छापे के बाद तस्वीर काफी बदल गई है। मोदी की लोकप्रियता और समग्र राजकाज एक गुब्बारा है। लोकतंत्र के मुखौटे के पीछे वे तानाशाही चला रहे हैं, इस पर दुनिया में चर्चा शुरू हो गई। मोदी की अब तक की जीत और लोकप्रियता यह एक तरह का दहशतवाद और तानाशाही ही थी। इस पर वैश्विक प्रसार माध्यम में चर्चा शुरू हो गई है। ‘द गार्डियन’ की खास रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्थान में कई मामलों पर से पर्दा उठता हुआ दिखाई दे रहा है।
‘देश में विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए, उन पर नजर रख नामोनिशान मिटाने के लिए, विपक्ष को समर्पण करने के लिए इजरायल की एक कुख्यात जासूसी कंपनी की हिंदुस्थान में मदद ली जा रही है।’ यह कंपनी किसी भी स्तर तक जा सकती है। यह कंपनी हिंदुस्थान की चुनावी प्रक्रिया में ‘हेरफेर’ अर्थात घोटाला कर रही है। यह कंपनी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके द्वेष और धर्मांधता का जहर फैला रही है। विरोधियों के बारे में दुष्प्रचार कर रही है। प्रमुख नेताओं को बदनाम इन्हीं माध्यमों के जरिए किया जाता है। देश के बड़े वर्ग का दिमाग सुन्न करके मोदी जो कहते हैं उस पर लोगों को सिर हिलाना चाहिए। इसके लिए यह कंपनी विगत कुछ वर्षों से काम कर रही है।’
‘द गार्डियन’ ने बहुत स्पष्टता से इस सच्चाई को व्यक्त किया है। अब हमारे देश के अंधभक्त कहेंगे कि ‘द गार्डियन’ का इस तरह से सच बोलना देश पर हमला है। अब सवाल सिर्फ इतना ही है कि भारत में इस कंपनी की ‘सेवा’ कौन-सी राजनीतिक पार्टी ने ली है। इस बात की जांच होना जरूरी है।
इजरायल की यह कंपनी भारत में चुनाव प्रक्रिया में ‘हेरफेर’ कर रही है, इसका मतलब ‘ईवीएम’ हैक करके भारतीय जनता पार्टी के पराभव का रूपांतर विजय में कर दिया गया।
कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने अब मोदी के ६० प्रतिशत ट्विटर फॉलोअर्स फर्जी हैं और १८ हजार से अधिक ट्विटर अकाउंट भाजपा के लिए ‘फेक खबरें’ फैला रहे हैं, ऐसा आरोप लगाया है।
मोदी की लोकप्रियता और उन्हें २०१४ से मिलनेवाली जीत उसी इजरायली कंपनी और फर्जी ट्विटर अकाउंट की देन है क्या?
पेगासस जारी ही है!
इजरायली कंपनियों को ‘ठेका’ देनेवाले और उन्हें वित्तीय आपूर्ति करनेवाले इसी देश के प्रमुख उद्योगपति हैं। ‘पेगासस’ इस जासूसी करनेवाले उपकरण का इस्तेमाल आज भी हमारे देश में हो रहा है और इस पेगासस का जनक इजरायल है। विपक्षी दलों ने ‘पेगासस’ के मुद्दे को बीच में छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, प्रमुख राजनीतिक नेता और उद्योगपतियों पर आज भी ‘पेगासस’ के जरिए नजर रखी जा रही है। संघ परिवार से जुड़े भाजपा नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक मांग फिर दोहराई है। वे कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को तत्काल पद से हटा देना चाहिए। उन्होंने कई बार मूर्ख बनाया है। पेगासस टेलीफोन टैपिंग ये इसका एक अच्छा उदाहरण है। वॉशिंगटन से डोभाल का एक और भयंकर प्रकरण जल्द खुलनेवाला है। मोदी ने जल्द ही कदम नहीं उठाया तो २०२३ के मध्य तक मोदी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा!’
डॉ. स्वामी, हवा में तीर चलानेवाले नेता नहीं हैं। दुनियाभर की एजेंसियों से उनका संपर्क है और इससे ही वे महत्वपूर्ण जानकारी सामने लाते हैं। अब ‘द गार्डियन’ द्वारा प्रकाशित की गई जासूसी और चुनावी हेराफेरी की जानकारी और डॉ. स्वामी के गिराए गए नए बम का संबंध जोड़ना जरूरी है। मोदी और भारतीय जनता पार्टी के ‘वित्त मंत्री’ गौतम अडानी पर हिंडेनबर्ग रिपोर्ट का फेंका गया बम यह कोई साधारण बात नहीं है। तभी से ही अडानी समूह ढहा तो उठा नहीं और इसमें मोदी का चेहरा देखने लायक हो गया। संसद में दुनिया ने इसे देखा। चुनावी प्रक्रिया में ‘ईवीएम’ के जरिए हेरफेर शुरू है, यह विपक्ष का आरोप बरकरार है। डॉ. स्वामी ने दावा किया कि ‘वॉशिंगटन’ से जल्द ही नया धमाका होगा। चुनावी घोटाले से ताल्लुक रखनेवाला यह धमाका होगा ही तो हैरानी नहीं होनी चाहिए!
लोकप्रियता के वास्तविक सूत्र
प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के ‘सूत्र’ ईवीएम और इजरायली जासूसी कंपनी की कार्रवाई में छिपे हैं। सत्ता हाथ में रखने के लिए इन सूत्रों का इस्तेमाल किया गया। सोशल मीडिया के जरिए सच को दबा दिया गया है, झूठ को सोने की परत चढ़ाकर उसे चमकाने का प्रयास किया ही जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने ६० वर्षों में कुछ भी नहीं किया और नया भारत साल २०१४ के बाद निर्माण हुआ है, ऐसा दुष्प्रचार इस दौरान शुरू हुआ। पूरी दिल्ली पर बुलडोजर चलाकर नए संसद भवन सहित इमारतों का जंगल खड़ा किया। उसकी वास्तव में जरूरत थी क्या? लेकिन इजरायली कंपनी की सलाह पर यह सब हुआ। ऐसा भी कहा जाता है कि इजरायल की एक कंपनी के माध्यम से पूरी दुनिया में ३० चुनावों पर प्रभाव डाला गया। इस कंपनी का नाम JORGE है। कंपनी के सॉफ्टवेयर का नाम AIMS-Advance Impact Media Solution है। इसकी कार्यप्रणाली भाजपा के आईटी सेल के कार्यों से मिलती-जुलती है।
बीते ७-८ वर्षों में देश में ज्यादातर चुनाव ‘निष्पक्ष’ माहौल में नहीं हो पाए। देश में महंगाई, बेरोजगारी और असंतोष के चरम पर होने के बाद भी, ‘हम लोकसभा की ४०० सीटें जीतेंगे’, ऐसा दावा भाजपा के वरिष्ठ नेता करते हैं, इसका अर्थ अब समझा जाना चाहिए। कांग्रेस के दौर में मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया जाता था, ऐसा लोग आरोप लगानेवाले आज मतदान प्रक्रिया को कब्जे में लेने के लिए इजरायली कंपनियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो लोकतंत्र सिर्फ एक दिखावा ही है।
न्यायालयों का प्रमाण पत्र!
अडानी मामले के चलते देश में तूफान उठा, वैसा ही तूफान ‘पेगासस’ जासूसी मामले में भी उठा और अब फिर से जासूसी और ईवीएम घोटाला कर जीतने का नया मामला सामने आया। इस पूरे प्रकरण का आगे अंत क्या होगा? ऐसे तमाम प्रकरणों को न्यायालयों में धकेलकर सरकार को चरित्र का प्रमाण पत्र देनेवाले न्यायाधीश पहले ही नियुक्त किए गए हैं और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल आदि नियुक्त करके एहसान की भरपाई की जाती है। देश में ‘बीबीसी’ पर छापे पड़े। महाराष्ट्र के कारोबारियों पर छापे पर छापे पड़ रहे हैं, लेकिन खलबली मचानेवाले अडानी प्रकरण में संयुक्त संसदीय समिति गठित कर जांच करने के लिए मोदी तैयार नहीं। करोड़ों रुपयों के कालेधन की राशि उद्योगपतियों और व्यापारियों से एकत्रित की गई और कोरोना काल में ‘पीएम केयर्स’ फंड में लगा दी। प्रधानमंत्री के नाम पर शुरू हुआ यह ‘फंड’ आखिर में ‘प्रâॉड’ निकला, लेकिन एक भी केंद्रीय जांच एजेंसी इस पैसे का हिसाब मांगने को तैयार नहीं। एक छोटे कारखाना मालिक के दरवाजे पर इनकम टैक्स से लेकर जीएसटी, ईडी तक के अधिकारी खड़े रहते हैं, लेकिन अडानी के दरवाजे पर अभी तक कोई नहीं पहुंचा। महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं को दहशतवादी-गुंडा ठहराकर उनके फोन चोरी से सुननेवाले अधिकारियों को भाजपा सरकार सीधे पुलिस महानिदेशक के पद पर पदोन्नति देती है और ये सरकार लोकतांत्रिक मार्ग से चल रही है, ऐसा दावा करती है। ये ढोंग नहीं तो क्या है?
इजरायली डिटेक्टिव कंपनी ‘टीम जॉर्ज’ यही मोदी और भाजपा सरकार की सूत्रधार है। ‘द गार्डियन’ ने इसकी पोल खोल दी। हिंडेनबर्ग से टीम जॉर्ज मतलब ‘टीम मोदी’ है क्या, ये अब इसका खुलासा होने दो।
देश में सभी चुनाव मतदान प्रक्रिया मतलब बैलेट पेपर पर ही होने चाहिए, यह मांग फिर आगे आनी चाहिए!
नागपुर समेत पांच विधान परिषदों के चुनाव बैलेट पेपर पर हुए, उसका अनुभव सभी ने महसूस किया!
डॉ. स्वामी जल्द ही एक नया धमाका कराएंगे, वो वॉशिंगटन के रास्ते से ही।
देश इंतजार कर रहा है!

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