मुख्यपृष्ठनए समाचारशिंदे सरकार का घमंड हुआ चूर! ...निवासी डॉक्टरों के आगे हुए नतमस्तक

शिंदे सरकार का घमंड हुआ चूर! …निवासी डॉक्टरों के आगे हुए नतमस्तक

स्टाइपेंड में की दस हजार रुपए की बढ़ोतरी
एक मार्च से हुई लागू

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगों की अनदेखी करते हुए अड़ियल रुख अपनाने वाली शिंदे सरकार का आखिरकार घमंड चकनाचूर हो गया। रेजिडेंट डॉक्टरों की जिद के आगे इस सरकार को घुटने टेकने पड़े। यानी आत्मसमर्पण करना पड़ा है। इसके अलावा सरकार को उनके स्टाइपेंड में १० हजार रुपए की बढोतरी करनी पड़ी है। इसे लेकर सोमवार की रात को बाकायदा शासनादेश जारी कर दिया गया। इसमें बताया गया है कि यह बढोतरी एक मार्च से लागू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि स्टाइपेंड और छात्रावास जैसे जटिल मुद्दों को लेकर काफी समय से महाराष्ट्र में रेजिडेंट डॉक्टर शिंदे सरकार से लड़ाई लड़ रहे थे। इसे लेकर उन्हें कई बार हड़ताल करने के लिए बाध्य होना पड़ा, लेकिन शिंदे सरकार अड़ियल रुख अपनाते हुए केवल आश्वासनों का झुनझुना देने का काम कर रही थी। रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना था कि इस बीच उन्हें बाकायदा लिखित पत्र दिया गया था, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि टाइपेंड में दस हजार रुपए की बढ़ोतरी के साथ ही उसका १० तारीख से पहले भुगतान और छात्रावास की मरम्मत की जाएगी। हालांकि, शिंदे सरकार इस पर फिर से अनदेखी करने लगी। सरकार के इस रुख को देखते हुए मार्ड ने २२ फरवरी से राज्यव्यापी हड़ताल शुरू कर दी थी। इस वजह से मुंबई समेत राज्यभर के सरकारी अस्पतालों का कामकाज प्रभावित हुआ था।
अब हॉस्टल पर फोकस
सेंट्रल मार्ड अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेलगे का कहना है कि रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए पर्याप्त संख्या में हॉस्टल उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में एक ही कमरे में दो-तीन डॉक्टरों को बेहद परेशानी में रहना पड़ता है। हमने बार-बार शासन-प्रशासन के समक्ष अपनी मांगें रखीं, लेकिन उन्हें हर बार केवल आश्वासन ही दिया गया। लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया गया है। ऐसे में अब आगे हॉस्टल पर फोकस होगा।

सरकार ने बढ़ा दिया स्टाइपेंड
रेजिडेंट डॉक्टरों के आगे झुकते हुए शिंदे सरकार ने रेजिडेंट डॉक्टरों के स्टाइपेंड में दस हजार रुपए की बढ़ोतरी किए जाने संबंधी शासनादेश कल रात में जारी कर दिया। इसमें बताया गया है कि एक मार्च से इसे लागू कर दिया गया है।

९६ करोड़ रुपए का तिजोरी पर पड़ेगा अतिरिक्त भार
राज्य सरकार की तिजोरी पर महीने का आठ करोड़ और सालाना ९६ करोड़ रुपयों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हालांकि प्रदेश के करीब ८,००० रेजिडेंट डॉक्टरों को अब महीने में ८५ हजार रुपए का भुगतान सरकार को करना होगा।

 

 

अन्य समाचार