मुख्यपृष्ठग्लैमरकभी-कभी : वरना शादी नहीं करूंगी

कभी-कभी : वरना शादी नहीं करूंगी

यू.एस. मिश्रा

जीवन में कब किसे कौन अच्छा लग जाए ये कोई नहीं जानता। सामनेवाला जब दिल को भा जाता है तो उसके बिना जीवन काटना तो दूर की बात एक पल भी गुजारना मुश्किल लगता है। कुछ ऐसा ही हाल हुआ था उन दिनों जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान फिल्म के हीरो की नजरें अपने अपोजिट किरदार निभा रही हीरोइन से लड़ गर्इं। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और बार-बार हीरोइन के सामने विवाह का प्रस्ताव रखनेवाले हीरो ने जब एक बार फिर हीरोइन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो हीरोइन ने हीरो से साफ शब्दों में कह दिया कि शादी होगी तो आज वरना वो विवाह नहीं करेंगी।
बात उन दिनों की है जब गीता बाली फिल्मों में अपने उरूज पर थीं और बतौर हीरो इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने के लिए शम्मी कपूर हाथ-पांव मार रहे थे। इसी बीच शम्मी कपूर को गीता बाली के साथ काम करने का ऑफर मिला। वो फिल्म थी निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा की ‘रंगीन रातें’। फिल्म की आउटडोर शूटिंग के लिए दोनों को एक महीने के लिए रानीखेत जाना पड़ा। फिल्म की शूटिंग शुरू होने के बाद सेट पर काम करते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। दिल की धड़कनों के बढ़ने के साथ ही दोनों का प्यार धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा। एक महीने की शूटिंग खत्म होते-होते शम्मी कपूर गीता बाली के प्यार में गिरफ्तार हो चुके थे। अब शम्मी कपूर चाहते थे कि किसी तरह गीता बाली से उनका विवाह हो जाए और वो उनकी हमसफर बन जाएं। किसी ने ठीक ही कहा है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं, बस लोग उन्हें धरती पर निभाते हैं। अब शम्मी कपूर ने गीता बाली से अपने प्यार का इजहार करते हुए उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। गीता बाली ने भी उनसे अपने प्यार का इजहार तो किया, लेकिन उनके शादी के प्रपोजल को इनकार कर दिया। गीता बाली द्वारा शम्मी कपूर के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने की वजह ये थी कि वो उम्र में शम्मी कपूर से एक वर्ष बड़ी थीं और दूसरे ये कि वो पर्दे पर शम्मी कपूर के बड़े भाई राज कपूर के साथ बतौर हीरोइन और उनके पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ कुछ फिल्मों में काम कर चुकी थीं। गीता बाली को इस बात का डर था कि उन दोनों के परिवारवालों को जब उनके प्यार के बारे में पता चलेगा तो न जाने उस पर उनका क्या रिएक्शन होगा। परिवार वाले उनकी बात मानेंगे या नहीं। गीता बाली के मन में भले ही इन बातों को लेकर कन्फ्यूजन था, लेकिन शम्मी कपूर भी अपनी जिद के पक्के थे। वो जब भी गीता बाली से मिलते अपने प्यार का इजहार करने के साथ ही उनसे शादी की बात जरूर करते। खैर, इस तरह मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा और ऐसा करते हुए लगभग चार महीने बीत गए। लगभग चार महीने बाद २३ अगस्त, १९५५ को शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर और उनकी माताजी भोपाल गए हुए थे। हर बार की तरह उस शाम भी गीता बाली उनसे मिलने के लिए आर्इं और शम्मी कपूर ने उस दिन भी वही शादीवाली बात छेड़ दी। पता नहीं उस दिन गीता बाली के दिल में क्या था उन्होंने जैसे ही शम्मी कपूर के मुंह से शादी की बात सुनी झट से शादी के लिए हामी भर दी। गीता बाली के हामी भरते ही शम्मी कपूर खुशी से झूम उठे। उनकी यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी क्योंकि गीता बाली ने उनके सामने एक शर्त रखते हुए कहा कि मैं विवाह करूंगी तो सिर्फ आज वरना शादी ही नहीं करूंगी। गीता बाली की बात सुनकर शम्मी कपूर के चेहरे से खुशी गायब हो गई और वे सोच में पड़ गए कि ये वैâसी शर्त है। लेकिन थोड़ी देर सोचने के बाद उन्होंने गीता बाली की शर्त मान ली और दोनों अपने कॉमन दोस्त कॉमेडियन जॉनी वॉकर के पास सलाह मांगने के लिए पहुंच गए, जिन्होंने एक हफ्ते पहले ही भागकर शादी की थी। गीता बाली और शम्मी जब उनके पास सलाह मांगने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि मुसलमान होने के नाते वो मस्जिद में निकाह करने गए थे लेकिन तुम हिंदू हो इसलिए तुम्हें मंदिर जाना होगा। जॉनी वॉकर से सुझाव मिलने के बाद अब गीता बाली और शम्मी कपूर अपने दोस्त प्रोड्यूसर हरि वालिया को लेकर बाणगंगा मंदिर पहुंच गए। लेकिन ये क्या वहां पहुंचते तब तक मंदिर का दरवाजा बंद हो चुका था। अब पुजारी ने उनसे कहा कि वो अगले दिन सुबह ४ बजे मंदिर पहुंच जाएं। अब दोनों माटुंगा स्थित शम्मी कपूर के घर आ गए और सुबह होने का इंतजार करने लगे। दूसरे दिन सुबह ४ बजे हरि वालिया को साथ लेकर दोनों मंदिर पहुंच गए और बिना अपने परिजनों के अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए। जब पंडित ने शम्मी कपूर से गीता की मांग में सिंदूर भरने को कहा तो दोनों एक-दूसरे के मुंह देखने लगे क्योंकि जल्दबाजी में शम्मी कपूर सिंदूर लाना भूल गए थे। अब गीता बाली ने अपने पर्स से एक लाल रंग की लिपस्टिक निकाली और उसे शम्मी कपूर के हाथों में थमा दिया। लिपस्टिक से गीता बाली की मांग भरते ही दोनों जनम-जनम के साथी बन गए।

अन्य समाचार