अजय भट्टाचार्य
अपने हालिया बिहार दौरे पर पहुंचे प्रधानसेवक जब औरंगाबाद में भाषण दे रहे थे तब उनके साथ मंच पर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, पशुपति पारस और प्रिंस को मंच पर जगह मिली, मगर खुद को मोदी का हनुमान बतानेवाले चिराग पासवान मंच पर नहीं दिखे। चाचा पारस से उनका ३६ का संबंध जगजाहिर है। लोकसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) को लेकर असमंजस है। संभव है अंदर-अंदर बातें तय हो गर्इं हों, मगर बाहर से अभी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से लगातार राजग का हिस्सा रहे लोजपा के विभाजन के बाद चिराग पासवान पर राजग से लेकर इंडिया गठबंधन की नजर है। इन दिनों चिराग थोड़ी कूटनीति की भाषा बोल रहे हैं और अब तक खुलकर प्रधानमंत्री के पक्ष में बोलने वाले चिराग थोड़ी कूटनीति की भाषा बोल रहे। यहां तक कि वैशाली लोकसभा क्षेत्र के साहेबगंज की सभा में भी चिराग ने पत्ते नहीं खोले। वह किस गठबंधन में जाएंगे, यह स्पष्ट नहीं किया। सभा में गए पार्टी कार्यकर्ता से लेकर राजग और इंडिया ब्लाक के नेता असमंजस में हैं। वैशाली की सांसद वीणा देवी मान रही हैं कि पांच सीट पर बात राजग में तय है, मगर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। उनका स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बोलना दोनों गठबंधन के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बेचैनी को बढ़ाए हुए है।
फिर गच्चा खा गए विज
हरियाणा में भाजपा के तेज-तर्रार नेता और अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहनेवाले हरियाणा के गृहमंत्री रहे अनिल विज एक बार फिर गच्चा खा गए हैं। एक बार फिर से कहावत चरितार्थ हो गई, ‘हाथ तो आया पर मुंह न लगा।’ भाजपा ने परसों सुबह अचानक से एलान किया कि मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस्तीफा देनेवाले हैं। इन सबके बीच एक नाम जो मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहले सामने आया वह था अनिल विज। शायद अनिल विज ने भी कुछ महीनों के लिए ही सही लेकिन हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में खुद को देखना शुरू कर दिया था मगर हुआ उलटा। मुख्यमंत्री तो दूर नई सरकार में उनके पास गृह मंत्रालय भी नहीं होगा। इस वजह से नाराज होकर वह मीटिंग छोड़कर चले गए, मगर यह पहली बार नहीं है, जब अनिल विज ‘अपनों’ से नाराज हो गए। अब अटकलें यह भी लग रही हैं कि राजनीति में ३० साल से ज्यादा अवधि से जमे हुए अनिल विज बागी तो नहीं हो जाएंगे। खबर है कि उन्हें नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है। खट्टर के करीबी नायब सिंह सैनी प्रदेश के १२वें मुख्यमंत्री बने। उन्होंने ५ मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह का मनोहर सरकार में गृहमंत्री रहे अनिल विज ने बॉयकॉट किया। उन्होंने ऐसा करके भाजपा और मनोहर लाल को अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। ७० के दशक में अभाविप से जुड़े अनिल विज १९९० में भाजपा की टिकट पर ही पहली बार विधानसभा पहुंचे। अंबाला वैंâट सीट से विधायक सुषमा स्वराज राज्यसभा गर्इं तो उन्हें पार्टी ने चुनावी रण में उतारा। स्टेट बैंक की नौकरी छोड़कर वह चुनाव लड़े और जीते, मगर ५ साल बाद ही उन्होंने १९९५ में भाजपा को राम-राम कह दिया और १० साल तक भाजपा से दूर रहे। लंबे समय से सूबे के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे विज से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी दूर ही बनी रही। ५ बार से विधायक विज विधानसभा में पार्टी के नेता भी रहे हैं।
पूर्व पति-पत्नी में टक्कर
बंगाल में लोकसभा चुनाव के अखाड़े में एक तलाकशुदा जोड़ा आमने-सामने होगा। यह स्थिति राज्य में चर्चा का विषय बन गई है क्योंकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपनी सूची में शमिक सुजाता मंडल को उम्मीदवार बनाया है, जो अपने पूर्व पति सौमित्र खान के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी, जो बांदल के बांकुरा जिले की बिष्णुपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार हैं। भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में बिष्णुपुर से नेता को मैदान में उतारा था। तृणमूल ने उसी सीट से सुश्री मंडल को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। राज्य में २०२१ के विधानसभा चुनाव से पहले इस जोड़े में अलगाव हो गया, जिसमें तृणमूल ने जीत हासिल की। जब उनकी पत्नी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के रूप में राजनीति में शामिल हुर्इं, तो खान ने वैâमरे पर तलाक की घोषणा की थी। बिष्णुपुर के एक वरिष्ठ नेता खान २०१९ के लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल से भाजपा में शामिल हो गए थे। उस समय उनकी पत्नी ने उनके लिए प्रचार किया था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)