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झांकी : पलटीमार इनामदार

अजय भट्टाचार्य

मंगलवार की सुबह अंदर की आवाज सुनकर विधायकी से इस्तीफा देनेवाले गुजरात भाजपा विधायक केतन इनामदार शाम होते-होते बाहर की आवाज सुनकर पलटी मार गए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटील से गांधीनगर में मुलाकात के बाद केतन का मानस चेतन हुआ और इस्तीफा वापस ले लिया। यह पहली बार नहीं है कि इनामदार ने ‘इस्तीफा’ देकर वापस लिया है। जनवरी २०२० में इनामदार ने गुजरात विधानसभा अध्यक्ष को ईमेल द्वारा इसी तरह का इस्तीफा भेजा था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरे में घंटों चर्चा के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। अपने पहले ‘इस्तीफे’ से कुछ महीने पहले इनामदार ने मांजलपुर से भाजपा विधायक योगेश पटेल और वाघोडिया से तत्कालीन विधायक मधु श्रीवास्तव के साथ सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें मांग की गई थी कि वडोदरा के कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों को मंत्री पद दिया जाए। कुछ ही समय बाद पटेल को वैâबिनेट मंत्री बना दिया गया और श्रीवास्तव को गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड का अध्यक्ष बनाया गया।

कर्नाटक भाजपा में झटके जारी
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को झटका देते हुए भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जेसी मधुस्वामी के सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होने की संभावना है। मधुस्वामी २०२३ के विधानसभा चुनाव में चिक्कनायकनहल्ली क्षेत्र से जेडीएस के सीबी सुरेश बाबू से हार गए। मधुस्वामी ने २०१८ में बाबू को उसी निर्वाचन क्षेत्र से हराया था। चिक्कनायकनहल्ली से चार बार के विधायक मधुस्वामी पहले जनता दल के साथ थे, फिर बीएस येदियुरप्पा की केजेपी में शामिल हो गए और बाद में भाजपा के खेमे में चले गए। वह २०२३ की हार के बाद से भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं और उन्होंने अपनी दुर्दशा के लिए पार्टी नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। २०२३ में मधुस्वामी ने स्वीकार किया कि यह कांग्रेस के किरण कुमार ही थे, जिन्होंने वास्तव में उन्हें हराया था। किरण कुमार लिंगायत नेता येदियुरप्पा सहित कई नेताओं के करीबी माने जाते हैं, उन्हें लगभग ५०,००० वोट मिले, जिससे लिंगायत वोट विभाजित हो गए और जेडीएस के बाबू को लगभग १०,००० वोटों से जीतने में मदद मिली। मधुस्वामी के कांग्रेस में शामिल होने से तिप्तूर, तुरुवेकेरे, चिक्कनायकनहल्ली, गुब्बी, तुमकुर ग्रामीण और तुमकुर शहर में कांग्रेस पार्टी की संभावनाएं बढ़ने की उम्मीद है। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन ने वी. सोमन्ना को मैदान में उतारा है और कांग्रेस का चेहरा मुद्दाहनुमे गौड़ा होंगे। यह घटनाक्रम कर्नाटक भाजपा को परेशान कर रही है क्योंकि सोमन्ना लिंगायत होते हुए भी नोलाम्बा लिंगायत नहीं हैं, जो बहुमत में हैं। सांसद जीएस बसवराज के बाद, तुमकुरु में भाजपा के टिकट के लिए नोलाम्बा पर विचार नहीं किया गया। नोलाम्बा तब से नेतृत्वहीन हो गए हैं जब से उन्हें लगा कि उनके अन्य वरिष्ठ नेता मधुस्वामी चिक्कनायकनहल्ली में २०२३ का चुनाव हार गए हैं। तुमकुरु के रहनेवाले राजनीतिक विश्लेषक बीएस मूर्ति को लगता है कि मधुस्वामी जैसे प्रमुख नोलाम्बा नेता का कांग्रेस में शामिल होना पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।

संकट में हनुमान
राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल को करारा झटका लगा है। पार्टी के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष पुखराज गर्ग समेत ५० से ज्यादा विपक्षी नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। अलवर से कांग्रेस के पूर्व सांसद करण सिंह यादव ने भी भाजपा में जाने का पैâसला किया है। इसके अलावा प्रताप सिंह भी भाजपा की नाव में सवार होने जा रहे हैं। प्रताप सिंह २०१४ के लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस के टिकट पर चूरू से चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बेनीवाल को दूसरा बड़ा झटका उनके काफी करीबी माने जानेवाले नेता ने ही दिया है। उम्मेदाराम बेनीवाल भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। चर्चा चल रही है कि कांग्रेस उन्हें बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है। पार्टी बदलने के बाद उम्मेदाराम ने कहा कि हमारे परिवार और कांग्रेस की विचारधारा एक रही है। मैंने देश और राज्य की स्थिति को देखते हुए यह पैâसला लिया है। उम्मेदाराम को आरएलपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक माना जाता था। बाड़मेर में पार्टी को मजबूत करने में उनका रोल काफी अहम रहा था। वह दो बार विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन दोनों ही बार उनके खाते में हार ही आई थी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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