मुख्यपृष्ठसंपादकीययह तो कायरता ही है!

यह तो कायरता ही है!

भारतीय लोकतंत्र के और कितने चीथड़े उड़ने बाकी हैं? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके सरकारी घर में घुसकर ‘ईडी’ ने गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल के पास पूर्ण बहुमत है। पंजाब में उनकी ‘आप’ पार्टी की सरकार है, लेकिन लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने ‘इंडिया एलायंस’ के साथ गठबंधन कर लिया। इससे दिल्ली और हरियाणा में भाजपा को बड़ा झटका लगेगा। केजरीवाल को कांग्रेस के साथ जाने से रोकने के लिए ‘ईडी’ के जरिए दहशत पैâलाई गई। जब केजरीवाल ने भाजपा के सामने झुकने से इनकार कर दिया तो ईडी ने उनके सरकारी आवास में घुसकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शराब घोटाला वगैरह सब बहाना है। अगर केजरीवाल ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा की ‘वॉशिंग मशीन’ से हाथ मिला लिया होता तो अजीत पवार की तरह उन्हें भी भाजपा के नए शंकराचार्य के तौर पर नियुक्त कर दिया गया होता। इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इसी तरह ‘ईडी’ ने गिरफ्तार किया था। जब जनता द्वारा पूर्ण बहुमत से चुनी गई सरकारों को उखाड़ा नहीं जा सकता, तब ‘ईडी’ आदि तंत्र का उपयोग करके केवल विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने की नीति मोदी-शाह सरकार ने अपनाई है। इसे ही तानाशाही कहते हैं। रशिया या चीन जैसे देशों में, विरोधियों को आसानी से गायब कर दिया जाता है या मार दिया जाता है। हमारे देश में लोकतंत्र की बदहजमी के चलते विरोधियों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें महीनों जेल में डाल दिया जाता है। देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव भयमुक्त वातावरण में पारदर्शी तरीके से होंगे ऐसी घोषणा इलेक्शन कमीशन ने की है, लेकिन जब आचार संहिता लागू हो गई है तो चुनाव में हिस्सा लेनेवाली सरकार विरोधियों का इस तरह से गला घोंटने को इसे किस तरह का संकेत समझा जाए? विपक्ष को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए यह चल रहा आतंकवाद है। औरंगजेब या तो अपने विरोधियों को दंडित करता था या उन्हें यमसदन भेजता था। मौजूदा केंद्र सरकार में भी वही औरंगजेबी प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। ईडी का आरोप है कि केजरीवाल एक राजनीतिक पार्टी चलाते हैं और उन्होंने शराब ठेकों के बदले चंदा लिया, लेकिन इस तरह हजारों करोड़ रुपए का चंदा भाजपा के खाते में भी जमा हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड घोटालों से भाजपा के चेहरे पर खरोंच आ गई। जिन कंपनियों पर ईडी और सीबीआई ने छापे मारे उन कंपनियों से भाजपा ने जबरदस्ती वसूली कर पार्टी के लिए फंड लिया। आपराधिक धन को घुमा देना ही ‘पीएमएलए’ एक्ट में मनी लॉन्ड्रिंग कहलाता है। इस तरह की मनी लॉन्ड्रिंग भाजपा ने की, लेकिन भाजपा और उसके वसूली एजेंट आजाद हैं और केजरीवाल, सिसोदिया, संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। २०१४ से अब तक ‘ईडी’ की ओर से की गई कार्रवाइयों पर नजर डालें तो ९५ फीसदी कार्रवाइयां विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ की गई हैं। यह मोदी-शाह द्वारा सत्ता और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग है। विरोधियों को खत्म करने और अपना खजाना भरने के लिए ईडी, सीबीआई का इस्तेमाल किया गया। यह कार्रवाई असंवैधानिक है। दिल्ली सरकार ने शराब नीति को लेकर जो पैâसले लिए हैं, उससे सरकार को २,८७३ करोड़ का नुकसान हुआ है। ईडी ने दावा किया है कि दक्षिण भारत में शराब उद्यमियों को फायदा पहुंचाने के लिए १३६ करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई और उसके एवज में १०० करोड़ रुपए का फंड स्वीकार किया गया। फिलहाल, ‘ईडी’ एक अविश्वसनीय भैंसा बन गया है जो मोदी-शाह के चाबुक मारते ही उनको अपना शिकार बनाता है, जिन्हें वे अपना निशाना बनाते हैं। इससे भारत का लोकतंत्र, स्वतंत्रता, संविधान नष्ट हो गया है। वर्तमान शासकों की यह नीति खतरनाक है कि कोई विरोधी स्वर रहना ही नहीं चाहिए। यह लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म करने की साजिश है। मोदी सरकार ने सर्वाधिक लाभ अपने दो-चार उद्योगपति मित्रों को दिया है। मोदी युग में संपूर्ण देश, सार्वजनिक उद्यम, मुंबई जैसे शहरों को अडानी के गले में डाल दिया गया, क्या वे मोदी-शाह कर्ण के अवतार हैं इसलिए? वे जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार कर उनके साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार करते थे और उन्हें बदनाम कर चुनाव से हटने पर मजबूर कर देते थे। ऐसा करनेवाले शासक जब लोकतंत्र की माला जपते हैं तब औरंगजेब की याद आती है। औरंगजेब भी माला जपते हुए अपने विरोधियों को हटाता था। फिर भी छत्रपति शिवाजी महाराष्ट्र में पैदा हुए। कंस को जिन जिनसे से डर था उन सभी को उसने वैâद कर लिया, फिर भी कृष्ण का जन्म हुआ और कंस अंतत: मारा गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी आश्चर्यजनक नहीं, धक्कादायक है। तानाशाह कायर ही होता है। मोदी के बारे में जो कहा जाता है, ‘एक अकेला सब पर भारी’, वह सच नहीं है। मोदी डरे हुए हैं इसलिए विपक्ष को जेल में डालकर चुनाव का सामना कर रहे हैं। इसे ही कायर कहते हैं।

अन्य समाचार