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४० सीटें बढ़ा सकती हैं भाजपा का संकट! …२०१९ में जीत का अंतर ५० हजार से भी कम था

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, लोकसभा चुनाव में इतना अंतर नहीं होता सुरक्षित

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा पूरे जोर-शोर से जुटी हुई है। पीएम मोदी अलग-अलग राज्यों में चुनावी सभाएं कर रहे हैं। भाजपा की तरफ से अबकी बार ४०० पार का नारा दिया गया है, वहीं भाजपा ने खुद के लिए ३७० से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे में पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती है। यह चुनौती साल २०१९ से जुड़ी है। भाजपा ने पिछली बार ३०३ सीटों पर जीत हासिल की थी। पिछली बार हुए संसदीय चुनाव में ४० सीट ऐसी थीं जिनपर भाजपा ने ५० हजार से कम मतों से जीत हासिल की थी।

लोकसभा चुनाव के हिसाब से ५० हजार से कम के अंतर को सामान्य रूप से पलटने वाला मार्जिन माना जाता है। इसका अर्थ है कि इस बार पलड़ा किसी भी दल के पक्ष में झुक सकता है। ऐसे में ये ४० सीट भाजपा के लिए इस बार खतरे की घंटी साबित हो सकती हैं।
इस बार यदि इन ४० सीटों पर अगर विपक्ष की रणनीति कारगर साबित हुई तो भाजपा का आंकड़ा ३०३ से सीधे घटकर २६३ पर आ सकता है। यह बहुमत के जादुई आंकड़े २७२ से कम है। खास बात है कि जिन ४० सीटों पर भाजपा के जीत का मार्जिन ५० हजार से कम था, उनमें से ११ सीट पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी लड़ाई थी, वहीं ६ सीट पर बसपा, सपा और बीजू जनता दल ने भाजपा को चुनौती दी थी। ५० हजार से कम मार्जिन वाली चार सीट पश्चिम बंगाल में थीं। वहीं, दो सीट पर भाजपा की निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय लोक दल था। भाजपा ने जिन ४० संसदीय सीटों पर ५० हजार से कम की मार्जिन पर जीत दर्ज की थी वे हैं, मछलीशहर, खूंटी, चामराजनगर, बर्धमान दुर्गापुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, कांकेर, रोहतक, संबलपुर, दमन और दीव, लोहरदगा, लद्दाख, झारग्राम, कन्नौज, बालासोर, टुमकुर, चंदौली, सुलतानपुर, बैरकपुर, बलिया, इनर मणिपुर, बदायूं, बोलंगीर, बागपत, भुवनेश्वर, मयूरभंज, कालाहांडी, फिरोजाबाद, बस्ती, बालूरघाट, संत कबीरनगर, करीमगंज, कोप्पल, कौशांबी, पाटलीपुत्र, नांदेड़, भदोही, चंडीगढ़, दुमका, और होशियारपुर।

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