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कभी भी ढह सकती है ३.० सरकार!..राजनीति के दो मंझे खिलाड़ी देंगे मोदी को मात

-नीतीश कुमार के बाद नायडू भी कर सकते हैं विशेष राज्य के दर्जे की मांग

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भी बहुमत हासिल नहीं कर सकी। यह अलग बात है कि बैसाखी के सहारे भाजपा और नरेंद्र मोदी एनडीए सहयोगी दलों की मदद से देश में तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहे। एनडीए में घटक दल नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर अड़े हैं। भाजपा और नीतीश कुमार में विशेष राज्य की रार शुरू हो गई है। अब इसी कड़ी में चंद्राबाबू नायडू भी शामिल हो गए हैं। वे भी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं, ऐसी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। ऐसे में अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ और इन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला तो राजनीति के मंझे खिलाड़ी मोदी सरकार को किसी भी समय मात दे सकते हैं। इस विशेष राज्य के दर्जे वाली `रार’ में मोदी की तीसरी बार बनी सरकार किसी भी समय गिर सकती है।
टीडीपी की १६ और जदयू की १२ सीटों के सहारे प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार बना ली है। मंत्रिमंडल में शामिल सभी ७२ मंत्रियों के बीच विभागों का भी बंटवारा हो गया। अब बिहार और आंध्र प्रदेश विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं। हालांकि, मोदी सरकार चाहकर भी उनकी यह मांग पूरी नहीं कर सकती। उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के वादे से पलट रही है।
कांग्रेस भी सवाल कर रही है कि ३० अप्रैल २०१४ को पवित्र नगरी तिरुपति में आपने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा मोदी ने किया था। अब नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दे रही है?
होगी २०१८ की पुनरावृत्ति
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर ही टीडीपी मार्च २०१८ में एनडीए सरकार से अलग हो गई थी। आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्राबाबू नायडू ने केंद्र से राज्य को विशेष दर्जा देने और २०१४ में इसके विभाजन से पहले किए सभी वादों को पूरा करने की मांग को लेकर फरवरी २०१९ में अनशन किया था।

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