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अतिक्रमण और अवैध पार्किंग ने बढ़ाई जाम की समस्या …. निजात दिलाने में प्रशासन असफल!

वाहन पार्किंग की वजह से संकरी हुईं सड़कें
खानापूर्त्ति के लिए लगाए गए हैं नो एंंट्री के बोर्ड
सामना संवाददाता / भायंदर
सड़कों के सीमेंटिकरण के आधे-अधूरे कार्य से शहरवासियों को समस्या उठानी पड़ रही है। इसके अतिरिक्त अवैध वाहन पार्किंग ने भी लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। मीरा-भायंदर की सड़कों पर चौपहिया वाहन, ट्रक, बस जैसे वाहनों का आधी से ज्यादा सड़क पर कब्जा रहता है, जिसे ट्रैफिक विभाग और मनपा पूरी तरह से नजर अंदाज कर देते हैं और आम राहगीर और वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में यह दिक्कत और भी बढ़ जाती है। लोग घंटो तक ट्रैफिक में फंसें रहते हैं जिससे र्इंधन और समय दोनों की बर्बादी होती है। शहर के कई क्षेत्रों में सिर्फ नो एंंट्री के बोर्ड खानापूर्ति के लिए लगाए गए हैं। यातायात पुलिस के सामने से ही भारी वाहन शहर में प्रवेश करते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।
वाहन बेचने के लिए फुटपाथ और सर्विस रोड का इस्तेमाल
गोल्डन नेस्ट चौराहे से लेकर काशीमीरा तक जगह-जगह कई पुराने वाहन विक्रेताओं की दुकानें हैं। इन दूकानदारों ने सर्विस रोड और फुटपाथ पर अपनी दुकानें सजा ली हैं। सर्विस रोड, फुटपाथ, गटर का स्लैब, रोड का किनारा कोई भी जगह इनसे बची नहीं है। छुट्टी के दिनों में भी अवैध वाहन पार्विंâग की वजह से घंटो सड़कें जाम रहती हैं। इन पर कार्रवाई तो दूर प्रशासन सुध भी नहीं ले रहा, ऐसे में सरकार को टैक्स चुकानेवाली जनता अपने आप को असहाय व ठगा हुआ महसूस कर रही है।
सड़क पर होती है भारी वाहनों की पार्किंग
भायंदर फाटक से लेकर गोल्डन नेस्ट तक, आजाद नगर इलाके में सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े ट्रक और व्यावसायिक वाहन खड़े रहते हैं। माल वाहनों की बुकिंग और डिलिवरी के लिए आजाद नगर इलाका हब बन चुका है, जिस वजह से हमेशा यहां का नजारा व्यस्त और भीड़ भरा होता है। भारी वाहनों की पार्विंâग से बीच सड़क पर महज थोड़ी सी ही जगह बचती है, जिसमें गोल्डन नेस्ट का ट्रैफिक सिग्नल लगते ही जाम लग जाता है। कई बार वाहनों के टकराने से वाहन चालकों की आपस में हाथापाई तक नौबत आ जाती है। स्थानीय नागरिक बताते हैं कि यहां हर रोज झगड़ा होता है, फिर भी प्रशासन कुछ नहीं करता।

गैराज मालिकों की मनमानी से राहगीर परेशान
पतरा, ताड़पत्री के शेड बनाकर शहर में जगह-जगह कुकुरमुत्तों की तरह गैराज खुल गए हैं। गैराज के वाहन मरम्मत के इंतजार में सड़कों पर महीनों तक खड़े रहते हैं। वहीं कुछ गैराजों के मैकेनिक सड़क पर ही मरम्मत कार्य शुरू कर देते हैं, जिससे सड़क पर इंजन ऑयल, कलर-पेंट, मरम्मत के औजार पैâले रहते हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत पर मनपा दिखावे की कार्रवाई तो करती है, लेकिन अगले दिन गैराज मालिक ताड़पत्री तानकर फिर से कारोबार शुरू कर देते हैं।

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