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विदेशी निवेशक हुए विमुख… पी-नोट्स ने किया पस्त! … जनवरी में सिर्फ  रु. १.४३ लाख करोड़ का आया निवेश

लोकसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। केंद्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था को ५ ट्रिलियन पहुंचाने का सब्जबाग जनता को दिखा रही है। मगर विदेशी निवेशक सतर्क हैं। दरअसल, विदेशी निवेशकों का रुख देश की अर्थव्यवस्था की कहानी को बखूबी बयां करता है। देश के आर्थिक अखबारों को देखें तो वे बस शेयर बाजार के सेंसेक्स में उलझे रहते हैं। मगर शेयर बाजार की असलियत वहां होनेवाले निवेश में छिपी होती है। जितना ज्यादा निवेश, उतनी अच्छी अर्थव्यवस्था। विदेश से पी-नोट्स के जरिए भी निवेश आता है। मगर ताजा रिपोर्ट बताती है कि पी-नोट्स से होनेवले निवेश में कमी आई है। इससे बाजार कुछ परेशानी महसूस कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, गत जनवरी में पी-नोट्स के जरिए देश में १.४३ लाख करोड़ रुपए का निवेश आया, जो कि पहले कम है।
हिंदुस्थानी पूंजी बाजार में पी-नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) के जरिए होने वाला निवेश विदेशी निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने से जनवरी में गिरावट के साथ १.४३ लाख करोड़ रुपए रहा। इसके जरिए भारतीय बाजार में निवेश पिछले साल दिसंबर, २०२३ में १,४९,४४७ करोड़ रुपए था, जबकि जनवरी, २०२३ में ९१,४६९ करोड़ रुपए था।
भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) यहां पर पंजीकरण कराए बगैर निवेश की मंशा रखने वाले विदेशी निवेशकों के लिए पी-नोट्स जारी करते हैं। हालांकि, इसके लिए भी विदेशी निवेशकों को जांच-परख के दौर से गुजरना पड़ता है। सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजार में इक्विटी, कर्ज एवं हाइब्रिड प्रतिभूति खंडों में पी-नोट्स से निवेश का कुल मूल्य जनवरी, २०२४ के अंत में १.४३ लाख करोड़ रुपए रहा, जो दिसंबर, २०२३ की तुलना में कम है।
एफपीआई निवेश के रुझान के साथ पी-नोट्स का प्रवाह भी निर्धारित होता है। कारोबारी परिवेश को किसी तरह का जोखिम होने पर इस मार्ग से निवेश बढ़ जाता है। बाजार के जानकारों का मानना है कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत सतर्क रुख के साथ की, लेकिन कुछ प्रमुख शेयरों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से निवेशकों ने मुनाफावसूली करनी शुरू कर दी। जनवरी में पी-नोट्स के जरिए आए निवेश में १.२६ लाख करोड़ रुपए इक्विटी, १६,७३१ करोड़ रुपए ऋण या बॉन्ड और ४४५ करोड़ रुपए हाइब्रिड प्रतिभूतियों में लगाए गए।
गौरतलब है कि सहभागी नोट्स को अक्सर पीएन या पी-नोट्स के रूप में जाना जाता है। ये हिंदुस्थानी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए निवेशकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वित्तीय माध्यम हैं और इन्हें हिंदुस्थान में सेबी के साथ पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। पी-नोट्स यानी पीएन के माध्यम से आने वाले निवेश को ऑफशोर डेरिवेटिव निवेश (ओडीआई) माना जाता है। डच बैंक और सिटीग्रुप पी-नोट्स के प्रमुख जारीकर्ता हैं। इन पी-नोट्स के माध्यम से संचित कोई भी पूंजीगत लाभ और लाभांश निवेशकों के हाथों में चला जाएगा। हिंदुस्थान में सेबी और अन्य बाजार नियामक निकाय भागीदारी नोट्स के पक्ष में हैं क्योंकि उनका मानना है कि इनके माध्यम से काम करने वाले फंडों के कारण भारतीय एक्सचेंजों में अस्थिरता पैदा हो सकती है।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) स्थानीय निवेशकों को भारतीय प्रतिभूति बाजार में निवेश करने के लिए अन्य देशों में वित्तीय साधन प्रदान करते हैं। एफआईआई वे निवेशक या फंड हैं, जो बाहर के किसी देश में स्थित हैं और भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। इसने अपंजीकृत विदेशी निवेशकों को किसी भी भारतीय शेयर बाजार नियामक के साथ पंजीकरण कराए बिना भारतीय शेयर बाजार में व्यापार करने में सक्षम बनाया है। बाजार के जानकारों के अनुसार, पी-नोट्स के माध्यम से किया गया निवेश हिंदुस्थानी अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है क्योंकि वे हिंदुस्थानी सूचीबद्ध कंपनियों और अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए धन जुटाने के त्वरित साधन प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार के निवेश के लिए हिंदुस्थानी नियामकों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों की संख्या बहुत अधिक नहीं है क्योंकि ये निवेश आमतौर पर प्रकृति में अल्पकालिक होते हैं।

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