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घाती सरकार ने आचार संहिता लागू होने से पहले … 72 घंटों में 781 शासनादेश किए जारी!

किसानों को लुभाने के लिए कृषि विभाग ने जारी किए 58 जीआर

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
हिंदुस्थान में कल लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी गई। इसके साथ ही अब महाराष्ट्र समेत पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गई है। हालांकि, शिंदे सरकार इससे भली-भांति वाकिफ थी कि आचार संहिता लागू होते ही विकास कार्य ठप्प हो जाएंगे और इसका सीधा असर होनेवाले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। ऐसे में ऐन मौके पर सरकार ने महज ७२ घंटों के भीतर जल्दबाजी में कुल ७८१ शासनादेश जारी कर दिए। इसके अलावा खेती में फसलों की हुई बर्बादी और कर्ज में डूबने से बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है। लेकिन अब तक किसानों की अनदेखी करनेवाली सरकार को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी याद आई है। साथ ही शासनादेश जारी करते समय किसानों पर विशेष कृपा बरसाते हुए कृषि विभाग ने कुल ५८ जीआर जारी किए हैं।
उल्लेखनीय है कि आचार संहिता लागू होते ही देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। दूसरी तरफ आचार संहिता लागू होने से पहले कामों को निपटाने के लिए सत्ता पक्ष के विधायकों ने जल्दबाजी शुरू कर दी थी। ईडी सरकार और सत्ता पक्ष के विधायकों को डर था कि आचार संहिता लग गई तो सारे काम ठप हो जाएंगे। इसलिए तीन दिनों १४ से १६ मार्च यानी ७२ घंटों के भीतर कुल ७०२ जीआर जारी किए गए। १५ मार्च को एक ही दिन में कुल ३८८ जीआर जारी किए गए। इससे एक दिन पहले यानी १४ मार्च को २८८ जीआर जारी हुए। दूसरी तरफ कल शनिवार को अवकाश होने के बाद भी १०५ जीआर निकाले गए। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि चुनाव के समय सरकार को प्रदेश में विकास करने की सुध आई है। यदि यह सरकार सही तरीके से काम की होती तो आज जिस रफ्तार से शासनादेश जारी करने की नौबत आई है। शायद यह दिन नहीं आया होता।
हर दिन सात किसान कर रहे हैं आत्महत्या
सूत्रों के मुताबिक महायुति सरकार की उपेक्षा के कारण राज्य में प्रतिदिन औसतन सात किसान आत्महत्याए कर रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार आत्महत्या से मरनेवाले किसानों के परिजनों को महज एक लाख रुपए देती है, जो आत्महत्या करनेवाले किसान परिवार के आंसुओं को भी नहीं पोंछ पाती है। इसके साथ ही किसानों को कृषि उपज मूल्य न मिलने और आसमानी संकट के कारण बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा भी सही तरीके से नहीं दिया जा रहा है। इस स्थिति में किसान पूरी तरह से कर्ज के बोझ तले डूब चुके हैं। दूसरी तरफ कर्ज लेकर खेती करनेवाले किसानों को साहूकार पैसे लौटाने के लिए धमकियों का सहारा लेते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सामने केवल आत्महत्या करने का ही विकल्प बचता है।

इन विभागों में जारी हुए हैं सबसे अधिक जीआर
सूत्रों के मुताबिक कृषि विभाग में कुल ५८ जीआर जारी हुए हैं। इसी तरह से मृद व जल संवर्धन विभाग में ५९, स्कूल शिक्षा विभाग में ५६, जल संपदा विभाग में ५१ नियोजन विभाग में ५८, नगर विकास विभाग में ५४, राजस्व व वन विभाग में ४९, पर्यटन विभाग में २०, उच्च शिक्षा व तकनीकी विभाग में २३ शासनादेश जारी हुए हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, पर्यावरण, जलापूर्ति, गृहनिर्माण, कानून व न्याय, सार्वजनिक निर्माण कार्य, गृह, महिला व बाल विकास, आदिवासी, ग्राम विकास समेत अन्य विभाग भी जीआर जारी हुए हैं।

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