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सुल्तानपुर में चिकित्सक हत्याकांड में पत्नी ने यूपी सरकार की 10 लाख की सहायता राशि को नकारा!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

सुल्तानपुर जिले के चर्चित चिकित्सक घनश्याम तिवारी हत्याकांड में प्रदेश सरकार की 10 लाख की सहायता राशि पीड़िता ने लौटा दी है। पीड़िता की तरफ से इसका कोई लिखित या मौखिक कारण नहीं बताया गया है। उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई पर असंतोष जाहिर किया है। सूत्रों की मानें तो हत्याकांड के बाद प्रशासन द्वारा एक करोड़ की मुआवजा राशि पर सहमति जताने के बावजूद सिर्फ 10 लाख की रकम भेजे जाने पर पत्नी ने यह कदम उठाया है। बहरहाल इससे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ है।

बता दें कि बीती 23 सितंबर को अपरान्ह बाद स्थानीय कोतवाली के सखौली कला निवासी डॉ घनश्याम तिवारी को बेरहमी से पीट-पीट कर मारा था। उसके बाद दबंग हमलावरों ने उन्हें दुस्साहसिक तरीके से एक ई रिक्शा पर लादकर शहर के उनके किराए के घर तक भिजवा दिया था। जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई थी। पत्नी निशा तिवारी ने नरायनपुर (सुल्तानपुर) निवासी अजय नारायण व दो अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।

बाद में पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में आरोपियों में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गिरीश नारायण सिंह, भाजयुमो जिलाध्यक्ष चंदन नारायण सिंह, जगदीश नारायण सिंह, विजय नारायण सिंह व चार अज्ञात का नाम जोड़ने के लिए फिर से लिखित रूप से दिया था। आक्रोशित स्वजन चिकित्सक के शव को लेकर बीती 24 सितंबर को गांव पहुंचे थे। विचार-विमर्श के बाद शव का अंतिम संस्कार न करने का निर्णय लिया गया।

उसके बाद इस हत्याकांड को लेकर स्थानीय स्तर पर राजनैतिक तूफान खड़ा कर दिया गया। आज चिकित्सक के स्वजन के इस निर्णय से अफ़सर सकते में आ गए। प्रशासनिक अमला भी सतर्क हो गया। स्थानीय खुफिया एजेंसियां और जिला प्रशासन के अफसर जानकारियां इकट्ठा करते रहे। सोमवार को भोर में ही सखौली कला भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ आर ए वर्मा, विधायक सीताराम वर्मा, राज बाबू उपाध्याय, पूर्व विधायक देवमणि द्विवेदी भी स्वजन को मनाने के लिए पहुंच गए। समझा जाता है कि शासन के दबाव में यह सभी लोग पहुंचे थे। बताते हैं कि बाद में छः सूत्री मांगों पर सहमति बनी थी। इस सहमति पत्र पर इन लोगों के अलावा तत्कालीन जिलाधिकारी जसजीत कौर ने भी हस्ताक्षर किए थे। सहमति पत्र में एक करोड रुपए मुआवजे की मांग की गई थी। पर, दो दिन पहले प्रदेश सरकार से अनुमन्य 10 लाख रुपये जिलाधिकारी के खाते में भेजा गया तो मामला उजागर हुआ।

चेक लेकर गए तहसील के एक अधिकारी को पीड़िता निशा तिवारी ने बैरंग वापस लौटा दिया। सूत्रों के मुताबिक लौटाए गए चेक की बाबत वजह जानने के लिए एक राजस्व कर्मी को भी उनके घर भेजा गया। पर, उन्होंने कुछ भी लिखित देने से इनकार कर दिया। उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई पर असंतोष जाहिर किया है।निशा तिवारी ने कहा – अभी तक मुख्य आरोपित के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नही की गई। उन्होंने सवाल किया कि अभी उनके पति की सेवा 10 साल शेष थी। ऐसे में सिर्फ 10 लाख की सहायता दिया जाना कहाँ तक उचित है ? उन्होंने अनुकंपा नौकरी और बेटे के भविष्य को लेकर भी कोई व्यवस्था न किये जाने पर चिंता जताई है। एसडीएम दीपक वर्मा ने चेक लौटने की पुष्टि की। बताया – पत्नी (निशा तिवारी) ने मौखिक रूप से बताया है कि वे तेरहवीं बाद ही इस पर कुछ निर्णय लेगीं। स्थानीय लोगों के अनुसार प्रशासनिक कार्रवाई से असहमत चिकित्सक के स्वजन की मदद के लिए अब स्थानीय समाज से गोहार लगाई गई है। पूर्व विधायक सन्तोष पांडेय ने भी सोशल साइट्स के जरिये पीड़ित परिवार की मदद के लिए गुरुवार को जारी क्यू आर कोड प्रसारित किया है। पूर्व विधायक ने कहा है कि सर्वसमाज के लोग चिकित्सक के बेटे व पत्नी की परवरिश के लिए आगे आएं और उनकी आर्थिक मदद करें। गुरुवार को करीब एक लाख रुपये की रकम पीड़िता निशा तिवारी के बैंक खाते में पहुँच चुकी थी।”

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