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मुख्यमंत्री के दबाव में हुआ अमोल कीर्तिकर पर फैसला… घातियों की गुलामी करने वाले अधिकारियों को यह चोरी हजम नहीं होगी… संजय राऊत की चेतावनी

सामना संवाददाता / मुंबई

उत्तर-पश्चिम मुंबई लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर मात्र ४८ वोटों से हार गए। वहां की चुनाव निर्णय अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने मुख्यमंत्री के दबाव में आकर अमोल कीर्तिकर के विरोध में फैसला दिया है। शिवसेना नेता, सांसद संजय राऊत ने चेतावनी देते हुए कहा कि घातियों की गुलामी करने वाले अधिकारियों को यह चोरी हजम नहीं होगी।
बता दें कि उत्तर-पश्चिम मुंबई लोकसभा सीट पर मतगणना के दौरान चुनाव अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने शिंदे गुट के रवींद्र वायकर को लोकसभा चुनाव का विजेता घोषित किया। अमोल कीर्तिकर ने इस मामले में गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। जब पत्रकारों ने शिवसेना नेता संजय राऊत से इस बारे में सवाल किया कि एक हफ्ते से वोटों की गिनती की सीसीटीवी फुटेज मांगी जा रही है, लेकिन चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से फुटेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसके जवाब में संजय राऊत ने कहा कि जो चोर होता है, वह सीसीटीवी फुटेज कैमरा सब तोड़ देता है। यह सब वंदना सूर्यवंशी ने किया है। मैं जल्द ही उन्हें बेनकाब करूंगा।
उन्होंने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी महाराष्ट्र की सबसे भ्रष्ट अधिकारी हैं। उनका इतिहास देखें। उन्होंने अमोल कीर्तिकर का फैसला मुख्यमंत्री के दबाव में किया है। हम इस मामले में कोर्ट जा रहे हैं। न्याय  के मंदिर में कीर्तिकर की विजय होगी। मुख्यमंत्री शिंदे की गुलामी करने वाले चुनाव अधिकारी, पुलिस अधिकारी इस नतीजे को पचा नहीं पाएंगे। ये चोरी हजम नहीं होगी। संजय राऊत ने कहा कि उन्हें दस्त होने वाला है।
रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने कैसे की चोरी, करेंगे उजागर
रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी का प्रशासनिक इतिहास विवादास्पद रहा है। किसके दबाव में क्या काम किया गया… एमएमआरडीए से लेकर राजस्व विभाग तक कैसे चोरी की गई, इसका खुलासा जल्द होगा। यह उनकी कोशिश है कि सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न हो। रवींद्र वायकर के रिश्तेदार और दोस्त मोबाइल फोन लेकर घूम रहे थे, उन्होंने इसे क्यों नहीं रोका ? संजय राऊत ने पूछा कि क्या वे अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं हैं?
मोदी-शाह ने अहंकार की सीमा तोड़ी है,आप क्या करोगे? 
आरएसएस से संजय राऊत का सवाल

लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है। आरएसएस के मुखपत्र के जरिए बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा रहे हैं। आरएसएस का रुख था कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन नहीं टूटना चाहिए, लेकिन क्या बीजेपी के लोग आरएसएस की बात सुनते हैं? खासतौर पर क्या मोदी-शाह सुनते हैं? शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, सांसद संजय राऊत ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी-शाह ने अहंकार की सीमा पार कर दी है।
उन्होंने कहा कि एक समय आरएसएस बीजेपी का मातृ संगठन था। आरएसएस ने ही बीजेपी को खड़ा किया, उसे नैतिक ताकत दी, लेकिन पिछले १० सालों में अगर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने सबसे पहला काम किया है तो वो है आरएसएस को खत्म करना। महाराष्ट्र में शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ गई। अशोक चव्हाण, अजीत पवार, एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए भ्रष्टाचारियों को बीजेपी के लोग जेल में डालने वाले थे, लेकिन हुआ उलट, बीजेपी ने उन सभी को अपने साथ लेकर महाराष्ट्र और सत्ता पर कब्जा कर कर लिया, पर जनता समझदार है जनता ने उन लोगों को खारिज कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के लोग अजीत पवार और अशोक चव्हाण को जेल में डालने की बात कर रहे थे। मुलुंड के पोपटलाल किरीट सोमैया, हसन मुश्रीफ, प्रताप सरनाईक, यशवंत जाधव, भावना गवली, एकनाथ शिंदे और उनके बेटे तक जांच पहुंची थी, लेकिन बीजेपी ने उन सभी को वॉशिंग मशीन में डालकर साफ कर दिया और अब आरएसएस कह रहा है कि उन्हें बीजेपी में नहीं लेना चाहिए था, लेकिन तब आपने क्या किया? उन्होंने यह सवाल भी उपस्थित किया।

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