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मोदी-राजनाथ की सीटें समीक्षा से ऊपर! … यूपी की ७८ सीटों पर ही मंथन करेगा टास्क फोर्स

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
यूपी में भाजपा के सारे सपने इस लोकसभा चुनाव में चूर हो गए। कहां तो पार्टी सभी ८० सीटें जीतने के सपने देख रही थी और कहां तो दो लड़कों ने ऐसी पटखनी दी कि पार्टी सदमे में है। अब पार्टी ने यूपी की सभी सीटों पर मंथन के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। मगर टास्क फोर्स ७८ सीटों की ही समीक्षा करेगा। पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सीटें समीक्षा से ऊपर हैं इसलिए टास्क फोर्स वहां से दूर रहेगा।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में करारा झटका लगा है, जिससे पार्टी बहुमत से दूर रह गई। २०१९ में उसे जहां ६२ सीटें मिली थीं, वहीं २०२४ के आम चुनाव में ३३ पर संतोष करना पड़ा है। यूपी जैसे प्रमुख राज्य से पार्टी को २९ सीटें कम मिली, जिसकी पूरे देश में चर्चा है। अब पार्टी भी इस पर मंथन में जुटी है और पूरा फीडबैक लेने के बाद कुछ एक्शन हो सकता है। अब तक पार्टी नेतृत्व को प्रत्याशियों और स्थानीय नेताओं से जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक, सांसदों को राज्य के कर्मचारियों से सहयोग न मिलना। पार्टी कार्यकर्ताओं का ही खिलाफ हो जाना और संविधान बदलने का गलत नैरेटिव जनता के बीच चल जाना नुकसान पहुंचा गया।
इसके साथ ही भाजपा का राज्य नेतृत्व एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट को इस सप्ताह के अंत तक शीर्ष नेतृत्व को सौंपा जाएगा। भाजपा को सबसे ज्यादा हैरानी अमेठी, पैâजाबाद (अयोध्या वाली सीट), बलिया और सुल्तानपुर जैसी सीटों पर हार से है। इन सीटों को भाजपा के लिए मजबूत माना जाता था। अमेठी में स्मृति ईरानी की कांग्रेस के एक आम कार्यकर्ता से हार ने पूरे नैरेटिव को चोट पहुंचाई है। इसके अलावा अयोध्या की हार भी कान खड़े करने वाली है। सुल्तनापुर में मेनका गांधी ही चुनाव हार गर्इं, जो लगातार जीतती रही हैं। फिर अयोध्या की जीत ने तो पूरे नैरेटिव को ही चोट पहुंचाई है। भाजपा को उस सीट पर हारना पड़ गया, जहां ऐतिहासिक राम मंदिर बना है। ५०० सालों के इतिहास का चक्र जिस अयोध्या में घूमा, वहां ऐसी हार ने भाजपा को हैरान कर दिया है। अब पार्टी पूरे नैरेटिव को वैâसे सेट करे और अपनी हार को वैâसे पचाया जाए, इसकी तैयारी में जुटी है। संघ के लोगों से भी कहा गया है कि वे समीक्षा करके बताएं कि हार के क्या कारण रहे। अब तक कई उम्मीदवारों ने भाजपा की स्टेट लीडरशिप को रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें बताया है कि उनकी हार के क्या कारण रहे हैं।
अयोध्या की हार ने किया हैरान
भाजपा को उस सीट पर हारना पड़ गया, जहां ऐतिहासिक राम मंदिर बना है। ५०० सालों के इतिहास का चक्र जिस अयोध्या में घूमा, वहां ऐसी हार ने भाजपा को हैरान कर दिया है। अब पार्टी पूरे नैरेटिव को वैâसे सेट करे और अपनी हार को वैâसे पचाया जाए, इसकी तैयारी में जुटी है।

भाजपा को सबसे ज्यादा हैरानी अमेठी, पैâजाबाद (अयोध्या वाली सीट), बलिया और सुल्तानपुर जैसी सीटों पर हार से है। इन सीटों को भाजपा के लिए मजबूत माना जाता था। अमेठी में स्मृति ईरानी की कांग्रेस के एक आम कार्यकर्ता से हार ने पूरे नैरेटिव को चोट पहुंचाई है।’

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