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वाढवण बंदरगाह के खिलाफ और भड़की विरोध की आग … अगर जबरन थोपा गया बंदरगाह तो लेंगे जल समाधि! … मछुआरों का एलान

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर के वाढवण में प्रस्तावित मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बंदरगाह परियोजना को वैâबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद किसानों, मछुआरों, भूमिपुत्रों के विरोध की आग और भड़क गई है। विनाशकारी बंदरगाह परियोजना का वर्षों से विरोध जारी है, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विरोध के बावजूद बुधवार को वाढवण बंदरगाह को मंजूरी दे दी। इसके बाद पालघर इलाके के तट पर भूमिपुत्रों का आक्रोश फूट पड़ा है।
२५ सालों से कर रहे विरोध
स्थानीय लोग वाढवण में बंदरगाह के प्रस्ताव के खिलाफ हैं और पिछले २५ सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व ७० वर्षीय नारायण पाटील कर रहे हैं, जिन्होंने कहा कि वे अपनी आखिरी सांस तक इस परियोजना का विरोध करेंगे। मछुआरों का कहना है कि वाढवण बंदरगाह का विरोध राज्य के विकास या प्रगति का विरोध है कि ये बिलकुल झूठ है। मछुआरों का कहना है, कि विनाशकारी परियोजना जबरन हम पर थोपी जा रही है। बंदरगाह बनने से इस इलाके में समुद्र में मछलियां विलुप्त हो जाएंगी साथ ही तटीय इलाकों में रहने वाले लाखों मछुआरों की रोजी-रोटी भी छिनेगी। इसके अलावा क्षेत्र का कृषि उद्योग भी प्रभावित होगा।
मछुआरों ने फूंका सरकार का पुतला
बंदरगाह परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद भड़के मछुआरों ने सरकार का पुतला जलाकर अपना विरोध जताया और एलान किया कि अगर परियोजना हम पर थोपी गई तो मछुआरे रेल रोकेंगे और जलसमाधि लेंगे। तटीय इलाकों में बंदरगाह परियोजना जबरन थोपे जाने से नाराज मछुआरों के गांवो में जमकर सरकार के विरोध में नारेबाजी हो रही है। मछुआरों का कहना है कि बंदरगाह बनने से मछुआरों का रोजगार चौपट हो जाएगा और मछली के पलने-बढ़ने की जगह गोल्ड बेल्ट नष्ट हो जाएगा। बंदरगाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) में हमारी याचिका विचाराधीन है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने कानून को ताक पर रखकर वाढवण बंदरगाह बनाने की मंजूरी दी है।

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