मुख्यपृष्ठनए समाचार...वरना तबाह हो जाता अमेरिका!... जुआनिटा मूडी ने रोका था परमाणु युद्ध

…वरना तबाह हो जाता अमेरिका!… जुआनिटा मूडी ने रोका था परमाणु युद्ध

मनमोहन सिंह

२४ अगस्त की आधी रात। न्यूयॉर्क। राजदूत एडलाई स्टीवेंसन के होटल रूम का फोन घनघनाया। इतनी रात फोन की घंटी बजने से वह चिंतित हो उठे… उन्होंने रिसीवर उठाया… उनके मुंह से सिर्फ इतना ही निकल पाया, `ओह आई सी…’
ये अमेरिका के लिए तनाव भरे संकट के दिन थे और सारी दुनिया के लिए भी! एक तरफ अमेरिका और दूसरी तरफ सोवियत संघ! विश्व की दो महाशक्तियां आमने-सामने थीं! बात कुछ ऐसी ही थी। एक छोटे से देश क्यूबा ने विश्व युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए थे। दरअसल, क्यूबा को सोवियत रूस की तरफ से सामरिक हथियार पहुंचाए जा रहे थे वह भी सीधे-सीधे अमेरिका की नाक के नीचे। आश्चर्य इस बात का था कि इस बात की भनक अमेरिका के खुफिया विभाग को नहीं लग पाई थी। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत एडलाई स्टीवेंसन उस वक्त क्यूबा संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करने जानेवाले थे।
रविवार, १४ अक्टूबर, १९६२ की सुबह। फोर्ट मीड, मैरीलैंड में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी का मुख्यालय।
एक मध्यम कद की भूरे घुंघराले बालों वाली महिला की एक रिपोर्ट ने मुख्यालय ही नहीं व्हाइट हाउस तक में हलचल मचा दी थी।
आधी रात को न्यूयॉर्क के होटल में एंबेसडर को फोन करनेवाली और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के मुख्यालय में जिसकी रिपोर्ट से हलचल मच गई थी, वह महिला ही थी। पहले इस महिला ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि क्यूबा में सोवियत संघ ने परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी हैं अब हालत बिगड़ने लगे थे, लेकिन इस महिला के एक फोन के बाद हालात सुधर गए और विश्व युद्ध के बादल छंट गए, उसने बताया कि सोवियत के जहाज क्यूबा से वापस लौट रहे हैं यानी युद्ध की कोई संभावना नहीं! इस महिला का नाम था जुआनिटा मूडी।
सोवियत रूस के बेड़े के जमाव को देखते हुए अमेरिका ने नाकाबंदी शुरू कर दी थी। क्यूबा की नाकाबंदी के दो दिन बाद २४ अगस्त को मूडी की टीम ने देखा कि क्यूबा की तरफ बढ़ रहे सोवियत जहाजों के बेड़े में से एक ने अपना रास्ता बदल लिया और ऐसा लगा कि वो वापस सोवियत संघ की तरफ जा रहा हो। उन्होंने इस बात की जानकारी व्हाइट हाउस तक पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, फिर उन्होंने रात के वक्त राजदूत को कॉल कर दिया।
२८ अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी ने सोवियत संघ को दो संदेश भेजे। निकिता ख्रुश्चेव क्यूबा में अपनी मिसाइलों को हटाने के लिए तैयार हो गए लेकिन उन्होंने दो शर्तें रखीं। पहली ये कि अमेरिका क्यूबा पर हमला नहीं करेगा और दूसरा ये कि वो तुर्की से अपनी मिसाइलें हटा लेगा।
कौन थी जुआनिटा मूडी?
अमेरिका के नॉर्थ वैâरोलिना नाम के छोटे से शहर में पैदा हुई थी जुआनिटा। उनके छोटे से घर में न तो लाइट की व्यवस्था थी और न ही पानी की। पढ़ाई में होशियार जुआनिटा ने आगे की पढ़ाई के लिए एक यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया था। उस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, साल १९४३। उन्होंने अपनी बहन को पत्र लिखकर कहा कि ऐसे समय में जब विश्व युद्ध के हालात चल रहे हैं मैं कॉलेज में अन्य लड़कियों की तरह अपना समय नहीं बिता सकती। देश सेवा का जज्बा उनके भीतर था। अत: वे देश सेवा में जुट गईं। वे सेना के उस विभाग से जुड़ गईं जहां पर युद्ध के दौरान दुश्मन देश के गुप्त संदेशों को डिकोड किया जाता था। सिग्नल इंटेलिजेंस सर्विस के मुख्यालय, वर्जीनिया में ट्रेनिंग लेने के बाद वह `क्रिप्टएनालिसिस’ बन गईं। देखते ही देखते उसने इसमें महारत हासिल कर ली। उसकी योग्यता को देखते हुए द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद इस विभाग का मुखिया बना दिया गया। २४ अक्टूबर, १९५२ को एनएसए, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की स्थापना के बाद से, इनके विभाग और एनएसए की जिम्मेदारी जानकारी इकट्ठा करने तक ही खत्म हो गई और विश्लेषण का काम सीआईए का हो गया था।
इसके बावजूद उन्होंने १९६२ में जो ऐतिहासिक कार्य किया था उसके लिए १९७५ में, मूडी को `इनआग्रल नैशनल इंटेलिजेंस मेडल ऑफ एचीवमेंट’ से सम्मानित किया गया था। उन्हें २००३ में एनएसए हॉल ऑफ ऑनर में शामिल किया गया था।

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