ई-केवाईसी का सर्वर डाउन राज्य के ढाई करोड़ राशनकार्ड धारकों पर मंडराया संकट! …३१ दिसंबर तक बढ़ाई गई है आखिरी तारीख

– मंत्री के न होने से काम है ठप
सुनील ओसवाल / मुंबई
राज्य में चुनावी नतीजे आए १७ दिन हो चुके हैं, पर ‘ईडी’ २.० सरकार अभी तक पटरी पर नहीं हुई है। किसी तरह सिर्फ सीएम और दो डीसीएम ने शपथ ली है पर महायुति के घटक दलों के आपसी झगड़े में बाकी मंत्रियों का अभी तक अता-पता नहीं है। इस कारण राज्य के करोड़ों राशन कार्ड धारकों पर संकट मंडरा रहा है।
दरअसल, इन सभी कार्ड धारकों का ई-केवाईसी होना है। इसकी आखिरी तारीख ३१ अक्टूबर थी। चुनाव के कारण प्रशासन ठप था इसलिए अंतिम तारीख बढ़ाकर ३१ दिसंबर कर दी गई है। मगर किसी मंत्री के न होने के साथ ही ई-केवाईसी के सर्वर के डाउन होने से ई-केवाईसी का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। ऐसे में चिंता इस बात की है जिन गरीबों का ई-केवाईसी नहीं हुआ है, उनका क्या होगा? क्या ३१ दिसंबर के बाद उन्हें राशन मिल पाएगा?

अभी तक कितने ई-केवाईसी हुए?
-सरकार के पास नहीं है कोई जानकारी

सरकार ने कुछ महीने पहले नारंगी, सफेद और पीले राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी दिशानिर्देश लागू किए थे। अब तक ई-केवाईसी प्रक्रिया की तारीख को दो बार बढ़ाई जा चुकी है।

राज्य में राशन कार्ड धारकों के लिए ३१ दिसंबर २०२४ तक ई-केवाईसी करना अनिवार्य है। चूंकि राज्य के कई जिलों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सर्वर डाउन हैं इसलिए यह एक बड़ी चिंता की बात है कि क्या करोड़ों राशन कार्ड धारकों का केवाईसी पूरा हो पाएगा या नहीं? कहीं इस कारण राशन कार्ड धारक मुफ्त अनाज से वंचित तो नहीं रह जाएंगे? मजे की बात है कि राज्य के करीब ढाई करोड़ राशन कार्ड धारकों में अभी तक कितनों का ई-केवाईसी हुआ है, सरकार के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है।
बता दें कि राज्य में प्रत्येक राशन कार्ड धारक के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, यह काम धीमी गति से चल रहा है क्योंकि राज्य के कई जिलों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सर्वर डाउन हैं, वहीं राशन दुकानों के बाहर मुफ्त राशन के लिए कार्ड धारकों की कतारें देखी जा रही हैं। सरकारी पोर्टल पर जानकारी दी गई है कि राज्य में पीला, केसरिया, किसान, अन्नपूर्णा, सफेद जैसे २ करोड़ ४७ लाख ४१ हजार ७६४ राशन कार्ड धारक हैं। इनमें से कितने कार्डधारकों ने ई-केवाईसी पूरी कर ली है, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। विधानसभा चुनाव के कारण प्रशासन ने इस काम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जिसका दुष्परिणाम सामने आ रहा है। बता दें कि राशन कार्ड में नामित प्रत्येक परिवार के सदस्य को ई-केवाईसी सत्यापन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। सरकार ने कुछ महीने पहले नारंगी, सफेद और पीले राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी दिशानिर्देश लागू किए थे। अब तक ई-केवाईसी प्रक्रिया की तारीख दो बार बढ़ाई जा चुकी है।

४-जी ई-पॉस मशीनों से हो रही ई-केवाईसी
यदि राशन कार्ड की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, तो इलाके के राशन दुकानों में ४-जी ई-पॉस मशीनों के माध्यम से ई-केवाईसी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। लाभार्थी का आधार कार्ड नंबर दर्ज करने के बाद लाभार्थियों की उंगलियों के निशान और आंखों को स्वैâन करके ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी की जाती है, लेकिन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का सर्वर डाउन होने से नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में बढ़ रहे हैं गुनाह,  आपसी झगड़े छोड़ो गृहमंत्री घोषित करो! …आदित्य ठाकरे का सरकार से आह्वान

‘चार दिन हो गए शपथ लिए सिर्फ एक मुख्यमंत्री व दो उप मुख्यमंत्री ही बनाए हैं।’

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में महागठबंधन सरकार में गृहमंत्री पद को लेकर विवाद नजर आ रहा है। सरकार के शपथ ग्रहण को चार दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है। राज्य में पिछले कुछ दिनों में गुनाह की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसे लेकर आदित्य ठाकरे ने राज्य सरकार से आह्वान करते हुए कहा है कि आपसी झगड़े छोड़कर जल्द से जल्द गृहमंत्री की घोषणा करो।

राज्य की जनता की सुरक्षा का मामला
सरकार इतनी गैरजिम्मेदार वैâसे हो सकती है?
-आदित्य ठाकरे का ‘ईडी’ २.० सरकार पर हमला

पुणे में पिछले ४८ घंटों में कितने अपराध हुए हैं। हर पल राज्य में कहीं न कहीं कोई न कोई वारदात हो रही है। इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाना सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी होती है।

राज्य की जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मामले में सरकार इतनी गैरजिम्मेदार वैâसे हो सकती है? राज्य की ‘ईडी’ २.० सरकार पर इस तरह का हमला शिवसेना नेता व विधायक आदित्य ठाकरे ने किया है।
कल मीडिया से बातचीत करते हुए शिवसेना नेता व विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में काफी घटनाएं हुई हैं। कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है। पुणे में पिछले ४८ घंटों में कितने अपराध हुए हैं। हर पल राज्य में कहीं न कहीं कोई न कोई वारदात हो रही है। इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाना सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि इस राज्य में एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं। गृह विभाग किसके पास है, यह तो स्पष्ट करें! गृह विभाग बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपराध को नियंत्रित रखने का काम गृह विभाग का होता है। इसलिए सभी विवाद छोड़कर गृह विभाग को लेकर घोषणा करें, ऐसा आह्वान आदित्य ठाकरे ने महायुति सरकार से किया है।

 

सात सालों से लटका है … मढ और वर्सोवा प्रोजेक्‍ट!

सामना संवाददाता / मुंबई
लगभग एक साल पहले, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मढ और वर्सोवा द्वीप को जोड़ने वाले केबल-स्‍टे पुल के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कोस्‍टल रेगुलेशन जोन (सीआरजेड) की मंजूरी हासिल की थी। हालांकि, इस महत्‍वाकांक्षी परियोजना के लिए अब भी वन विभाग और बॉम्‍बे हाई कोर्ट से जरूरी मंजूरियों का इंतजार है। इस परियोजना से क्षेत्र में मौजूद मैंग्रोव प्रभावित होंगे, जिसे लेकर आपत्तियां उठाई गई हैं।
२०१५ में पहली बार प्रस्‍तावित इस पुल को पांच साल की योजना और डिजाइनिंग के बाद मंजूरी मिली। २.०६ किलोमीटर लंबे और २७.५ मीटर चौड़े इस पुल को केबल-स्‍टे डिजाइन में बनाया जाएगा। इसमें चार लेन होंगी, जिनमें दो लेन हर दिशा में होंगी। यह पुल वर्सोवा कोलीवाड़ा के पास अमरनाथ रोड को मढ जेट्टी से जोड़ेगा। इस पुल की अनुमानित लागत १,२४६ करोड़ रुपए है, जिसमें निर्माण, तीन साल का रखरखाव, कास्टिंग यार्ड का किराया और मजदूरी व सामग्री की लागत में उतार-चढ़ाव शामिल है। इसे ३६ महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
मैंग्रोव के कारण बढ़ी मुश्किलें
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘सीआरजेड मंजूरी मिलना परियोजना के लिए एक बड़ा कदम था, लेकिन अब भी हमें वन विभाग से एनओसी और बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतिम मंजूरी की जरूरत है। वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा की जाएगी। इसके बाद ही परियोजना का प्रारंभिक कार्य शुरू किया जा सकेगा।’ पुल के प्रस्‍तावित मार्ग में मैंग्रोव का क्षेत्र आता है, जो सीआरजेड के अंतर्गत है। इसे ध्‍यान में रखते हुए महाराष्‍ट्र कोस्‍टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी (एमसीजेडएमए) ने बीएमसी को मैंग्रोव को बचाने के लिए वैकल्पिक रास्‍ता तलाशने की सलाह दी थी। डिजाइन में संशोधन के बाद बीएमसी को फरवरी २०२३ में एमसीजेडएमए से मंजूरी मिली।

फेरी सेवा पर निर्भरता
वर्सोवा क्रीक के कारण मढ और वर्सोवा के बीच कोई सीधा सड़क संपर्क नहीं है। यहां के लोग फेरी सेवा पर निर्भर हैं, लेकिन मानसून के दौरान चार महीने यह सेवा बंद रहती है, जिससे दैनिक यात्रियों को भारी परेशानी होती है। यह पुल न केवल इन क्षेत्रों के लोगों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि पूरे पश्चिमी उपनगर में यातायात को भी सुगम बनाएगा। अब देखना यह है कि परियोजना को कब तक अंतिम मंजूरी मिलती है और काम कब शुरू होता है।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ के लिए सबसे अच्छा नेता!

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
‘इंडिया’ गठबंधन के लिए सबसे अच्छे नेता शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी हैं। यह कहना है पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का। उनका कहना है कि अगर ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी दल इन्हें अपने नेता के रूप में आगे लाते हैं, तो यह गठबंधन निश्चित रूप से सफल होगा।
‘उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी को
करना चाहिए ‘इंडिया’ का नेतृत्व!’

शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए। यह कहना है पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का।
सत्यपाल मलिक का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ‘इंडिया’ गठबंधन के विभिन्न दल अपने नेतृत्व और चुनावी रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं। सत्यपाल मलिक ने उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी दोनों को इस गठबंधन के लिए उपयुक्त नेता बताया। सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘आज के समय में ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए ये दोनों सर्वथा उपयुक्त नेता हैं। अगर ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी दल इन्हें अपने नेता के रूप में स्वीकार कर आगे आने दें तो यकीनन ‘इंडिया’ गठबंधन सफल होगा।’ बता दें कि ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन विपक्षी दलों द्वारा किया गया है, जिसमें विभिन्न दलों को एकजुट करने की कोशिश की गई थी। इस गठबंधन का उद्देश्य २०२४ के आम चुनावों में भाजपा के खिलाफ मजबूत विकल्प प्रस्तुत करना था। चुनाव से पहले ही इस गठबंधन से नीतीश कुमार ने अपनी राह अलग कर ली और भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए।

संविधान का अपमान और ईवीएम का जुगाड़ कर जीते हो हम उसका विरोध कर रहे हैं …आदित्य ठाकरे ने बावनकुले को दिया करारा जवाब

सामना संवाददाता / मुंबई
हम चीन और मकाऊ का संविधान मानते हैं। हम इस देश का संविधान मानते हैं। हम इस देश के संविधान के लिए लड़ रहे हैं। जिस संविधान का अपमान कर आप लोगों ने महाराष्ट्र में दो साल तक एक असंवैधानिक सरकार चलाई और महाराष्ट्र को लूटा। ऐसा करारा जवाब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष नेता-युवासेनाप्रमुख व विधायक आदित्य ठाकरे ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बावनकुले को दिया। रविवार को विधानसभा सदस्यता की शपथ लेने के बाद विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बावनकुले के आरोपों का करारा जवाब दिया।
इस दौरान उन्होंने महायुति पर तीखा हमला किया। बावनकुले ने आरोप लगाया था कि शपथ न लेकर संविधान का अपमान आदित्य ठाकरे ने किया है, जिस पर उन्होंने कड़ा जवाब दिया।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि आज हम इस देश के संविधान के लिए लड़ रहे हैं, जिस संविधान का अपमान कर महायुति के लोगों ने महाराष्ट्र में दो साल तक एक असंवैधानिक सरकार चलाई और महाराष्ट्र को लूटा। महाराष्ट्र के उद्योग-धंधे को दूसरे राज्यों में भेजे। जिस संविधान का अपमान कर आप लोगों ने ईवीएम की चालबाजी से जीत हासिल की, हम उन असंवैधनिक कृत्यों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

ममता बनर्जी द्वारा ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त करने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है। ममता दीदी देश की एक बड़ी नेता हैं। अरविंद केजरीवाल भी हमारे साथ हैं। वे अभी दिल्ली में चुनाव लड़ रहे हैं। अपने-अपने राज्यों में वे अच्छा काम कर रहे हैं। केंद्र में जल्द ही ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार आएगी। इसी डर से ये लोग ईवीएम में गड़बड़ियां कर रहे हैं।

छुट्टियों में जेब के पैसे हवा में उड़ेंगे! …हवाई यात्रा १,२५८ प्रतिशत तक हुई महंगी

-मुंबई के उपभोक्ता हो रहे हैं परेशान

सामना संवाददाता / मुंबई
क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के दौरान हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को तगड़ा झटका लगा है। मुंबईकरों की जेब के पैसे छुट्टियों में हवा में उड़ जाएंगे। दरअसल, मुंबई से विभिन्न घरेलू गंतव्यों के लिए हवाई किराए में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। अमदाबाद के लिए किराए में १,२५८ प्रतिशत तक का उछाल देखा गया है, जबकि गोवा, बंगलुरु, कोलकाता और अन्य स्थानों के किराए में भी अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है।
मुंबई ग्राहक पंचायत ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराई है। पंचायत ने इंडिगो, एयर इंडिया, अकासा एयर और स्पाइसजेट पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सितंबर और अक्टूबर में ६,००० रुपए से १३,००० रुपए तक का किराया दिसंबर के पहले सप्ताह में १२,१०० रुपए से २७,८०० रुपए तक कर दिया है।

किराए में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
अकासा एयर की मुंबई से अमदाबाद उड़ान में १,२५८ प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई। एयर इंडिया की गोवा (डाबोलिम) उड़ान का किराया ७६६ प्रतिशत बढ़ा है। इसके अलावा, बंगलुरु (६२५ प्रतिशत), कोलकाता (४९१ प्रतिशत), चेन्नई (३५५ प्रतिशत), जयपुर (३४५ प्रतिशत), भुवनेश्वर (१४५ प्रतिशत) और अमृतसर (१३३ प्रतिशत) के लिए भी किराए में भारी बढ़ोतरी हुई है। कुछ विशेष रूट्स पर जहां एयरलाइंस का एकाधिकार है, वहां भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एयर इंडिया की भुज के लिए उड़ान में ३१० प्रतिशत और इंडिगो की आगरा उड़ान में ७२.८६ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग
मुंबई ग्राहक पंचायत के अध्यक्ष शिरीष देशपांडे ने कहा, `हमने नागरिक उड्डयन और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों को इस मामले की शिकायत की है। यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं और सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।’

ईंधन की बढ़ी कीमतें जिम्मेदार
सरकारी तेल कंपनियों ने हाल ही में एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों में १,३१८ रुपए प्रति किलोलीटर का इजाफा किया है। एक महीने पहले ही इसमें २,९४१ रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। मुंबई में वर्तमान एटीएफ की कीमत ८५,८६१ रुपए प्रति किलोलीटर हो गई है।

एशिया-प्रशांत अध्ययन के आंकड़े
एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) एशिया-प्रशांत और मिडल ईस्ट द्वारा नवंबर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में घरेलू हवाई किराए २०१९ के मुकाबले २०२४ की पहली छमाही में ४३ प्रतिशत बढ़े हैं। यह वृद्धि वियतनाम (६३ प्रतिशत) के बाद सबसे अधिक है। छुट्टियों में सफर की तैयारी करने वाले यात्रियों के लिए यह बढ़ोतरी परेशानी का सबब बन गई है। यात्री सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

अब क्या करेंगे सुशासन बाबू बिहार में भी भाजपा के छल से नीतीश कुमार भयभीत!

– महाराष्ट्र में ‘बड़े भाई’ की भूमिका ने जेडीयू को चिंता में डाला
– अधिक सीटों पर जीत के लिए सक्रिय हुए कार्यकर्ता
सामना संवाददाता / पटना
महाराष्ट्र में साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाकर बीजेपी के बड़े भाई की भूमिका में आने से जेडीयू में चिंता बढ़ गई है। उसे पहली बार लग रहा है कि २०२५ के विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा और जेडीयू के विधायकों की संख्या में बड़ा अंतर आया तो वर्षों से दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बनी सहमति टूट भी सकती है। यही कारण है कि जेडीयू अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है। तैयारी के लिहाज से देखें तो जेडीयू अन्य सभी दलों से आगे है, वहीं जेडीयू की अति सक्रियता के कारण समय पूर्व विधानसभा चुनाव की चर्चाएं भी होने लगी हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले ही एनडीए के घटक दलों ने मुख्यमंत्री निवास में बैठक कर घोषणा की थी कि अगला चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। नीतीश ही अगले मुख्यमंत्री होंगे, यह बताने की जरूरत इसलिए नहीं पड़ी क्योंकि इसके पहले के चुनाव जब नीतीश के नेतृत्व में लड़े गए और जीत हुई तो वही मुख्यमंत्री भी बने।

हाल ही में लोजपा सांसद अरुण भारती ने यह कहकर जदयू को चिंता में डाल दिया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, जनता तय करेगी। अरुण भारती लोजपा (रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान के बहनोई हैं। सांसद अरुण भारती ने यह भी कहा कि विधानसभा का चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोजपा (रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। राजनीति के जानकार मानते हैं कि भारती का वक्तव्य अनायास नहीं है, उन्होंने शांत तालाब में एक कंकड़ फेंक दिया है। लोजपा सांसद की टिप्पणी पर जदयू की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन कोई समझदार इसे यह कहकर खारिज भी नहीं कर रहा है कि भारती पहली बार सांसद बने हैं। उन्हें राजनीति की गहरी समझ नहीं है। फिलहाल, एनडीए ने २४३ सदस्यीय विधानसभा में २२५ सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जाहिर है, इसमें अधिक सीट जीतने की आपसी होड़ भी शामिल है।

सहयोगियों को धोखा देती है बीजेपी
बिहार विधानसभा चुनाव में करीब एक साल का वक्त बचा है, लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के बाद जो नतीजे आए उसके बाद जिस तरह से सरकार बनी उसको लेकर बिहार में भी सियासत तेज हो गई है। संयोग से महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में जैसे ही आई उसके बाद बिहार में २०२५ में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी भी होने लगी है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बीजेपी सहयोगियों को धोखा देती है। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए पार्टी तोड़ी। शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया। अब शिंदे को भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। अपना मुख्यमंत्री बना लिया। नीतीश कुमार जब हम लोग के साथ आए थे तो यही कहे थे कि बीजेपी वाले मेरी पार्टी को तोड़ देंगे।

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार दावा कर रहे हैं कि नीतीश न सिर्फ अगले विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करेंगे, बल्कि अगली सरकार भी उन्हीं के नेतृत्व में बनेगी। संयोग से बिहार में महाराष्ट्र की तरह ही इस समय एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं। दोनों उपमुख्यमंत्री भाजपा के हैं। अतीत में कभी यह चर्चा भी चली थी कि नीतीश केंद्र की राजनीति में जाएंगे और भाजपा को मुख्यमंत्री का पद दे दिया जाएगा।

अमेरिका में बैलट पेपर तो भारत में क्यों नहीं? …शरद पवार ने उठाया सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की प्रचंड जीत के बाद ईवीएम को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मारकडवाड़ी से शुरू हुई ईवीएम को लेकर लड़ाई अब व्यापक स्वरूप ले रही है। महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने इसे राज्यभर में शुरू करने की तैयारी दर्शाई है। रविवार को एनसीपी (शरद्रचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के मारकड़वाड़ी दौरे के बाद माहौल और गर्म हो गया है। उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका में बैलट पेपर चल सकता है तो भारत में क्यों नहीं।
रविवार को पार्टी के प्रमुख शरद पवार सोलापुर जिले के मालाशिरस विधानसभा क्षेत्र में आनेवाले मारकडवाड़ी गांव पहुंचे। उन्होंने गांव के लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर शरद पवार ने कहा कि चुनावी व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। मारकडवाड़ी गांव में कुल २,०४६ मतदाता हैं। विधानसभा चुनावों में गांव के १,९०५ लोगों ने वोट डाले। गांव के तमाम लोगों के साथ पूर्व सरपंच को ईवीएम से निकले वोटों पर भरोसा नहीं है। इस दौरान शरद पवार ने चुनाव आयोग और भाजपा को भी आड़े हाथ लेते हुए जमकर निशाना साधा। पवार ने कहा कि चुनाव आयोग अगर सही है तो बैलट पेपर पर चुनाव क्यों नहीं होने देता? राज्य सरकार जबरन यहां गांव में धारा १४४ और कर्फ्यू लगाकर लोगों को डरा धमका रही है।

उन्होंने कहा कि चुनावी व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। देश में इस समय मारकडवाड़ी गांव को लेकर बहस चल रही है। ग्रामीण खुद ईवीएम मतदान डेटा पर आपत्ति जता रहे हैं। सरकार ने उनके गांवों में इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका में मत-पत्र पर मतदान हो रहा है, हम लोगों के मन में व्याप्त शंकाओं को दूर करना चाहते हैं।

अडानी के स्मार्ट मीटर पर शिवसेना हुई आक्रामक …आज होगी अहम बैठक

 

सामना संवाददाता / मुंबई
बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) प्रशासन द्वारा अडानी कंपनी के नए स्मार्ट मीटर लागू करने के प्रस्ताव का शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने कड़ा विरोध किया है। इस संबंध में सोमवार दोपहर २ बजे बेस्ट के महाप्रबंधक अनिल डिग्गीकर के कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है। शिवसेना के प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया है कि यदि इस बैठक में अडानी के नए स्मार्ट मीटर पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय नहीं लिया गया तो शिवसेना पूरे मुंबई में तीव्र आंदोलन करेगी।’
स्मार्ट मीटर पर विवाद क्यों?
अडानी कंपनी के नए स्मार्ट मीटर को ग्राहकों के लिए समस्याजनक बताया जा रहा है। शिवसेना का आरोप है कि इन मीटरों से बिजली बिल में अनावश्यक वृद्धि हो सकती है और ग्राहकों की सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है। इस वजह से नागरिकों में आक्रोश बढ़ रहा है, ऐसा शिवसेना का कहना है।
बेस्ट प्रशासन पर दबाव
शिवसेना के प्रतिनिधिमंडल ने बेस्ट प्रशासन को चेतावनी दी है कि अडानी कंपनी के स्मार्ट मीटर के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। इस बैठक में शिवसेना के वरिष्ठ नेता, स्थानीय पदाधिकारी और बेस्ट के अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है। स्मार्ट मीटर के मुद्दे पर बेस्ट और शिवसेना के बीच यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है। अगर अडानी के स्मार्ट मीटर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो शिवसेना के आंदोलन से मुंबई की बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। शहर के नागरिक और बिजली ग्राहक अब इस बैठक पर नजरें लगाए हुए हैं। शिवसेना द्वारा दी गई आंदोलन की चेतावनी और बेस्ट प्रशासन की भूमिका के बीच इस मुद्दे का समाधान क्या निकलता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

६५ सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ! …अनिल देशमुख ने चुनाव नतीजों पर उठाए सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे महाविकास आघाड़ी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। यहां तक कि विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्षी गुट के विधायकों ने शपथ लेने से ही इनकार कर दिया और अगले दिन शपथ ली।
इस बीच एनसीपी (शरदचंद्र पवार) नेता और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि ६०-६५ साल से चुनाव हो रहे हैं और कभी ऐसे नतीजे नहीं आए कि विपक्ष पूरा साफ हो गया।
बातचीत में अनिल देशमुख ने कहा, ‘हरियाणा के चुनाव के बाद और खासकर महाराष्ट्र के चुनाव के बाद जो नतीजे आए। उसको देखकर हर कोई हैरान है। पूरा देश चर्चा कर रहा है कि इस तरह के नतीजे कैसे आए? ६०-६५ साल से चुनाव हो रहे हैं और इस तरह के नतीजे नहीं आए कि विरोधी पार्टी पूरी साफ हो गई हो। इसमें काफी लोगों को शंका है कि ईवीएम की छेड़छाड़ हुई है।
बैलट पेपर से हों चुनाव
अनिल देशमुख ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा कि ऐसी चर्चा देश में हो रही है। इस प्रकार से ईवीएम से चुनाव होते हैं तो वैâसे चुनाव लड़े जाएं। इसकी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस और विरोधी पार्टी ने चुनाव आयोग को लिखित में दिया है, चुनाव आयोग को अपनी राय रखनी चाहिए। आगे के चुनाव ईवीएम से ना कराकर पुराने तरीके से बैलट पेपर से चुनाव होना चाहिए, ऐसी सबकी मांग है।

पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि शंका नहीं, बल्कि जानकार लोग हैं, जिन्होंने अपना स्टेटमेंट दिया है कि ईवीएम में १०० प्रतिशत छेड़छाड़ हो सकती है। ईवीएम के द्वारा रिजल्ट बदले जा सकते हैं। टेक्निकल लोगों ने भी अपना बयान दिया। सब लोगों को शंका है कि महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे बीजेपी की सरकार ने ईवीएम में छेड़छाड़ कर लाए हैं।