मेहनतकश : हिम्मत और संघर्ष से मिली सफलता

संदीप पांडेय

जलगांव जिले के पाचोरा तालुका के रहनेवाले भगवान गोपीनाथ भंडारकर कुछ बनने की चाहत लिए मुंबई आए थे। संघर्षों से भरा जीवन होने के बावजूद कुछ कर गुजरने की चाहत और समस्याओं के आगे झुकने की बजाय उससे डटकर मुकाबला करनेवाले भगवान गोपीनाथ को उनकी हिम्मत ने एक सफल इंसान बना ही दिया। ठाणे के दिवा में रहनेवाले भगवान गोपीनाथ बताते हैं कि गांव में खेती करने के साथ ही वे एक किराना स्टोर पर नौकरी भी करते थे। कई सालों तक वहां काम करने के बाद जब उन्होंने देखा कि इससे आगे और नहीं बढ़ा जा सकता तो उन्होंने मुंबई का रुख किया। मात्र दो हजार रुपए लेकर मुंबई पहुंचनेवाले भगवान गोपीनाथ ने भांडुप में सुरक्षारक्षक की भर्ती के लिए ऑनलाइन फॉर्म भर दिया। ऊपर वाले की कृपा से वहां उनकी नियुक्ति हो गई, लेकिन सिर्फ चार हजार रुपए उन्हें मेहनताना मिलता था, जिसमें से ढाई हजार रुपए मकान के किराए में चले जाते थे और बाकी जो रकम बचती थी, उसमें घर चलाना मुश्किल हो जाता था। सुरक्षारक्षक की ड्यूटी के बाद घर चलाने के लिए वो भांडुप में ही प्लाईवुड की दुकानों का सामान बिल्डिंगों में पहुंचाने का कार्य करते। दूसरे शब्दों में कहें तो एक तरह से वो पार्ट टाइम हमाल का काम करने लगे। दिन में ड्यूटी और रात में मजदूरी करते हुए कुछ पैसा जमा हुआ तो उन्होंने वही किया जो उन्होंने पहले से सोच रखा था यानी मुंबई में अपना खुद का मकान। उन्होंने मेहनत से हार नहीं मानी और संघर्ष करते हुए एक अपना छोटा सा खुद का मकान ठाणे के दिवा में खरीद लिया। भगवान गोपीनाथ भंडारकर ने बताया कि आज उन्हें काट-पीट कर २० हजार रुपए तनख्वाह मिलती है, लेकिन मुंबई जैसे शहर का खर्चा, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, दवाई, गांव आने-जाने के कारण पैसा पूरा नहीं पड़ता। इसलिए आज भी सुरक्षारक्षक की ड्यूटी के बाद पार्ट टाइम काम करने का सिलसिला उन्होंने जारी रखा हुआ है, लेकिन भगवान गोपीनाथ अब प्लाईवुड पहुंचाने की बजाय प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का काम करते हैं। भगवान गोपीनाथ भंडारकर का मानना है कि जीवन में किसी का भला नहीं कर सकते तो किसी को अपनी तरफ से परेशान न करो, नुकसान न पहुंचाओ। खैर, जिओ और जीने दो पर विश्वास करनेवाले भगवान गोपीनाथ का कहना है कि युवाओं को रोजगार तभी मिलेगा, जब हमारा राज्य प्रगति करेगा।

राज ‘तंत्र’ : गडकरी का विशेष ज्ञान!

अरुण कुमार गुप्ता

२१वीं सदी में नई पीढ़ी में लिव इन रिलेशनशिप वाला कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। इस नए कल्चर ने समाज में एक नई बहस छेड़ दी है। बहस होनी भी चाहिए, क्योंकि यह समाज के साथ-साथ युवा पीढ़ी के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इन रिश्तों का विरोध करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप सही नहीं है। ब्रिटेन दौरे के दौरान नितिन गडकरी ने रिलेशनशिप में रहने का अपना अनुभव भी साझा किया। लिव इन रिलेशनशिप के बारे में गडकरी ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप गलत है। गडकरी ने कहा कि अगर आप जीवन के सामाजिक ढांचे को नष्ट कर देंगे तो क्या होगा? बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। लिव इन रिलेशनशिप सही नहीं है। यह समाज को नष्ट कर देगा। यह समाज क्यों है? क्योंकि महिलाओं और पुरुषों का अनुपात ठीक है। लड़की से लड़की और लड़के से लड़के की शादियां समाज को नष्ट कर देंगी। एसे में यह कहना उचित होगा कि गडकरी का यह विशेष ज्ञान संभवत युवा पीढ़ी को समझ में आ जाए और वह इस नए कल्चर से अपने आपको दूर रखे।

शिंदे की राजनीति पर बीजेपी का ब्रेक!
महाराष्ट्र की राजनीति में कयासों का दौर अब खत्म हो गया है और सभी अटकलों पर विराम लग चुका है। दूसरी ओर बीजेपी ने घाती यानी एकनाथ शिंदे की राजनीति पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है और उनसे वादा करके डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलवा दी और उनके मनपसंद मंत्रालय को भी नहीं दिया है। बीजेपी ने चुनाव जीतने के बाद शिंदे से पहले सीएम पद ले लिया, जिसके बाद गृह मंत्रालय फिर महाराष्ट्र में उनकी राजनीति को खत्म करने का मन बना लिया है। बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसके पास १३२ विधायक हैं और बीजेपी को सरकार चलाने के लिए १६ विधायकों की जरूरत है। बीजेपी की सेवा में अजीत पवार पूरी तरह से समर्पित हैं। ऐसे में बीजेपी को एकनाथ शिंदे की कोई खास जरूरत नहीं हैं। बीजेपी महाराष्ट्र की राजनीति में जो करना चाहती थी, उस मनसूबे में कामयाब हो गई, लेकिन अपनों से बगावत करके बीजेपी के साथ आए एकनाथ शिंदे को अपनों से बगावत करने का इनाम मिल रहा है। बीजेपी ने पहले अपने फायदे के लिए शिंदे को सीएम बना दिया और विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीट पाने के बाद शिंदे से किनारा कर लिया। इस बीच एकनाथ शिंदे ने खूब पैंतरेबाजी की, लेकिन उनका कोई भी पैंतरा काम नहीं आया और अजीत पवार ने बाजी मार ली है और खुशी-खुशी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने झुनझुना थमा दिया है।

मंत्रियों पर मान-मनव्वल की जिम्मेदारी!
राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के नाराज नेताओं को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। उधर खबर है कि अब नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी मंत्रियों को दी गई है। यहां पत्रकारों से बातचीत में मंत्री उदय सामंत ने यह बात स्वीकार की है कि मंत्री पद नहीं दिए जाने के कारण पार्टी के कुछ विधायकों में नाराजगी है। सामंत आगे यह भी जोड़ते हैं कि नाराज विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी मंत्रियों पर डाली गई है। महाराष्ट्र विधानसभा में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में १५ दिसंबर को भारतीय जनता पार्टी, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट की महायुति के ३९ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। पिछली महायुति सरकार के १० मंत्रियों को इस बार मौका नहीं दिया गया, जबकि १६ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। भाजपा को १९ मंत्री पद मिले, जबकि एकनाथ शिंदे गुट को ११ और अजीत पवार गुट को नौ मंत्री पद मिले। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नाराज विधायकों को मनाने में मंत्रियों को सफलता मिलती है या नहीं।

रौबीलो राजस्थान : जींवतो लेखक मरि‌योड़ो लेखक

बुलाकी शर्मा
राजस्थान

मोबाइल री घंटी बाजी। कवि धाकड़ साब हा। कान रै लगावतां ई बांरी आवाज गूंजी, ‘अरे भाईड़ा, तबीयत तो ठीक है नीं थारी?’
‘बिल्कुल चकाचक हूं धाकड़ साब।’
‘फेर इत्ता दिनां सूं कठैई निजर कियां कोनी आयो? ना किसी साहित्यिक गोष्ठियां में, ना वाट्सअप ग्रुपां में, ना फेसबुक माथै अर ना ही…’
बोलता बे रुकग्या जणै म्हैं पूछ्यो, ‘ना ही… मतलब…!’
‘वैâ ना अखबारां‌ रै शोक संदेश कॉलम में थारो फोटू देख्यो।’
साहित्य क्षेत्र में दाखलो बां रिटायर हुयां पछै लियो है पण उमर रै सायरै आवतै ही बे सीनियर लेखक बणग्या है। साहित्य में आवण रै साथै ई उपनाम धाकड़ थरप लियो। धाकड़ मतलब टॉप। सरकारी महकमै सूं अ‍ेक अफसर रूप रिटायर हु‌या जणै साहित्य में ई अफसरी रो ठरको देखावै। बै खुद नै जनमना लेखक मानै वैâ सरकारी महकमै में कहाणी-कविता लिखण नै फुरसत कोनी मिली पण फाइलां में टिप्पणियां लिखनै लेखन-कर्म जारी राख्यो। खुद नै अफसर-लेखक मानता थकां दूजा लेखकां नै तूंकारै सूं बतळावै अर दूजा बां नै साब वैâयनै।
बां रो तूंकारो सहन करतो आयो हूं पण जद बां म्हारै मरण री बात करी जणा तीखै सुर में बोल्यो, ‘म्हारो फोटू शोक संदेश में सोधण लाग रैया हो? उमर में थांसूं छोटो हूं म्हैं, समझग्या नीं?’
डरावणी हंसी साथै बां रा बोल सुणीज्या, ‘सदीक साब रा अ‍े बोल थारै माथै फिट बैठ रैया है भाईड़ा- साची-साची वैâवूं तद लागै डाम सा।’
म्हारो सुर आकरो हुयग्यो, ‘म्हनैं मरियोड़ो मान रैया हो थे, म्हारै जींवतै थकांई?
‘साहित्यिक हलवैâ में जिको दीखै बो ही जींवतो मानीज्या करै भाईड़ा। म्हांनै देख सगळै निजर आवां। अखबारां में रोजीना नांव छपै… इनै वैâवै जींवतो अर चावो लेखक।’
बां रै तरकां रै तीरां सूं बिंधीजग्यो। बचाव करतो बोल्यो, ‘अबार अ‍ेक क्लासिक उपन्यास माथै काम कर रैयो हूं साब।’
‘तूळी लगा थारै क्लासिक उपन्यास रै। लिखण में म्हे किसा लारै हां। चाळीस सालां में तूं चार किताबां लिखी अर म्हे चार बरसां में चाळीस… कर सवैâ म्हांरी बरोबरी? तूं पैला लिखै, फेर बार-बार जांचै-परखै, सुधार करतो रैवै… आपां इसी मूरखता कोनी करां जणै लिखण रै साथै पूरा अ‍ेक्टिव रैवां। जे तन्नै लेखक रूप जींवतो दीखणो है तो रोजीना कठै नीं कठै थारो नांव अर फोटू दीखणो चाइजै, नीं जणै साहित्यिक हलवैâ में तूं मरियोड़ो ई मानीजसी।’
धाकड़ साब धाकड़ राय देय’र फोन काट दियो।

झांकी : पाटील का कद बढ़ा

अजय भट्टाचार्य

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटील ने हाल ही में नई दिल्ली में अपने नए आधिकारिक बंगले में राज्य के सभी पार्टी सांसदों और विधायकों के लिए एक भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री की मौजूदगी को राज्य के नेताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा गया कि पाटील गुजरात के राजनीतिक मामलों पर प्रभाव डालना जारी रखेंगे। अपने कार्यकाल के दौरान भाजपा को भारी चुनावी जीत दिलाने वाले पाटील जुलाई २०२३ में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। रात्रिभोज उनके नए घर का जश्न और विदाई दोनों था, क्योंकि गुजरात भाजपा में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन होने की संभावना है।
जल्दी में ‘आप’
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी जल्दी में है और इसीलिए उसने उम्मीदवारों की सूची किश्तों में जारी करना शुरू कर दिया है। पहले ११ उम्मीदवार घोषित करने के बाद अब ‘आप’ ने २० और उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें मनीष सिसोदिया अपनी परंपरागत सीट पटपड़गंज की जगह नई सीट जंगपुरा से चुनाव लड़ेंगे। पटपड़गंज से पार्टी में हाल ही में शामिल हुए शिक्षाविद अवध ओझा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कुछ दिन पहले भाजपा छोड़कर ‘आप’ में शामिल हुए सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को भी तिमारपुर से टिकट दिया गया है। फरवरी में दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। ऐसे में किसी भी समय दिल्ली की ७० सीटों पर चुनाव का एलान हो सकता है। आमतौर पर तारीखें सामने आने के बाद ही पार्टी उम्मीदवारों के नाम घोषित करती है। मगर ‘आप’ ने पहले से ही सीटों पर अपने धुरंधर उतारने शुरू कर दिए हैं।
जदयू अलर्ट
जदयू इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं भाजपा उसके साथ शिंदे जैसा खेल न कर दे। २०२५ का चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ने के आश्वासन के बाद भी जदयू अलर्ट मोड पर आ गई है। पार्टी का मानना है कि भले अन्य राज्यों में भाजपा को जनता का समर्थन मिल रहा है, लेकिन बिहार में राजग की सफलता के लिए नीतीश कुमार का आधार दरकिनार नहीं किया जा सकता। आश्वासन के बाद अगर भाजपा बहुमत के करीब सीटें ले गई तो जेडीयू के साथ खेल हो सकता है। बिहार में कुल २४३ सीटें हैं। विधानसभा में जादुई आंकड़ा १२२ है। अगर भाजपा को इसके आसपास सीटें मिल गर्इं तो ‘महाराष्ट्र’ जैसा प्रयोग दोहराया जा सकता है, इसको लेकर जेडीयू चिंतित है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार … गिरगांव में जन आक्रोश!

सामना संवाददाता / मुंबई
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ शनिवार को गिरगांव स्थित मंगलवाड़ी में ‘हिंदू हित संघ’ की ओर से जन आक्रोश दर्शाया गया। इस जन आक्रोश प्रदर्शन में गिरगांव से बड़ी संख्या में हिंदू भाई शामिल हुए। ‘हिंदू हित संघ’ के अध्यक्ष देवेंद्र सुहास पितले ने बताया कि इस दौरान मुख्य वक्ता माधव वसंत बर्वे (राष्ट्रीय कीर्तनकार एवं विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता) ने अपने विचार प्रस्तुत किए और ‘हिंदू हित संघ’ की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को तुरंत रोकने की अपील की।

सटायर: पुलिस चौकी में दारू पार्टी

 डाॅ रवीन्द्र कुमार

खबर है कि एक पुलिस चौकी में दारू पार्टी हुई। अब सोचने वाली बात ये है कि ये बात लीक कैसे हुई? किसने की? पुलिस चौकी में सी.सी. टी.वी. तो होते नहीं। फिर ये खबर किसी चश्मदीद ने दी है या किसी दिलजले ने जो उस दिन पार्टी में आने से रह गया। क्या ये पहली पार्टी थी? ऐसा देखा जाता है कि किशोर जब भी पकड़ा जाये यही कहता है कि आज पहली बार ही सिगरेट पी और पकड़ा गया। मैंने इंग्लिश फिल्मों में देखा है सभी पुलिस वाले थाने में अथवा बगल के रूम में शौक से शराब पीते हैं या फिर कितनी बार पार्टी भी करते हैं। आखिर केंटीन होती ही है। आप क्या सोचते हैं केंटीन केवल चाय-कॉफी के लिए होती है। फिर आप जूस काॅर्नर का सच जानते ही नहीं।

एक शहर में जब एक बिज़ी कोलाहल वाले इलाके में से पुलिस वालों ने सख्ती की कि अब से आप केवल जूस ही बेचेंगे और कोई अगर उनके ठेले पर शराब पीता दिखाई दिया तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।आपका जूस बेचने का ठेला बंद भी किया जा सकता है। वे सब एक सुर में सुरा के फेवर में बोले “साब ! ईमानदारी की बात तो ये है कि यदि आप शराब बंद कर देंगे और पीने वालों की पकड़-धकड़ करेंगे तो हमारा ठेला वैसे ही बंद हो जाना है। हमारे यहाँ कोई मात्र जूस पीने नहीं आता। सब अपने खींसे में बाॅटली लेकर आते है और हमसे जूस में मिलवा लेते हैं।

अब जब इतनी सुलभ व्यवस्था है। दूर ढूंढो पास मिलती है तो फिर इतना हो हल्ला क्यूँ ? प से पुलिस प से प्याला, प से पुलिस प से प्यासी आत्मा, प से पुलिस प से पीना-पिलाना, इतना काम है दम मारने की फुर्सत नहीं। एक ये लोग हैं जो कोई जरा घूंट दो घूंट ले ले तो हंगामा बरपा देते हैं। ऐसा भी कहीं होता है। दुनियाँ की भाग-दौड़ करें हम, शराब की भट्टी पकड़ें हम, नकली शराब बनाने वालों को पकड़ें हम, शराब पी कर हुड़दंग करें तो पकड़ें हम, बस हमीं को हराम है क्या ये ? भाई हम भी इंसान हैं। जिस खुदा ने ये शराब बनाई है उसी ने हमें भी बनाया है। फिर उसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यूँ ?

दिन भर की इतनी बेहद थकाऊ कार्यप्रणाली के बाद कोई सुस्ता भी नहीं सकता। आप हमसे दक्षता तो अमरीका जैसी मांगते हैं मगर इस मामले में चाहते हैं कि हम वही दक़ियानूसी “ओह नो ! नो गंदी बात” वाला रुख अपनाए रहें। दरअसल हम बहुत बड़े हिपोक्रेट हैं। करना कुछ और दिखाना कुछ। मेरा ऐसा मानना है कि इसको इतनी पाबंदी के साथ रखना ग़लत है। देखिये बरसों से ड्राई गुजरात भी अब धीरे धीरे इसके लिए अपने दिल और द्वार खोल रहा है।

क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया

इसको पीने के इतने कारण हैं कभी किसी शराबी से पूछ कर देखिये:
इससे नींद अच्छी आती है, इससे थकान उतर जाती है, इससे अनर्जी मिलती है, इससे साहस में वृद्धि होती है, इससे खाना अच्छी तरह खाया जाता है, इससे एक सोशल लाइफ बनती है, इससे हम पार्टी में जा पाते हैं, इससे फ्रेंड्स बनाते हैं। यह क्लब की जान है। हेल्थ प्राॅब्ल्म्स कैसे भी हों इससे दूर हो जाती हैं। दूर नहीं होती तो कमसेकम उतनी देर को इसमें आराम मिलता है। मैं हर ग़म को भुला कर पी गया।
आखिर ये यूं ही नहीं मिलिट्री में सब को दी जाती। बड़े बड़े जनरल्स से पूछिए। बड़े बड़े शायरों से पूछिए, बड़े बड़े बुद्धिजीवियों से पूछिए। ये बदनाम तो कमज़र्फ लोगों ने की है जिन्हें न पीने का सलीका था न पिलाने का शऊर। मुझे कोई थ्री एक्स रम की परिभाषा बता रहा था। थ्री एक्स=30 दिन, रम = रेगुलर यूज़ मेडिसिन। शास्त्र के शास्त्र भरे पड़े हैं सोम रस के वर्णन से। यह इंसान को इंसान से पहले पैग से ही जोड़ती है और आप चले हैं इसका दिनों में बंटवारा करने। आज ड्राई डे है। आज फलां महापुरुष की सालगिरह है शराब बंद रहेगी। अरे भैया पता तो लगा लो वो महापुरुष भी इससे तुम्हारी ही तरह घृणा करते थे क्या ? जो देवताओं का प्रिय पेय था उसे आपने प्रतिबंधित क्या किया देवता बनने ही बंद हो गए। आपने हज़ारों अशआर से कोई सीख नहीं ली

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो

सुल्तानपुर में फाइनेंस कंपनी एजेंट की नृशंस हत्या …सड़क किनारे लावारिस पड़ा मिला शव

विक्रम सिंह/सुल्तानपुर

यूपी के सुल्तानपुर जिले में ताबड़तोड़ जारी आपराधिक वारदातों में सोमवार को एक और इजाफा हो गया। दोस्तपुर थाना क्षेत्र के देवरपुर में एक नामी गिरामी फाइनेंस कंपनी के संकलन एजेंट की नृशंस हत्या कर शव को सड़क किनारे फेंक दिया गया। हालांकि दिवंगत एजेंट की बाइक भी घटनास्थल पर ही पड़ी मिली है। जिसकी डिग्गी में करीब ७८००० रुपये भी रखे हुए मिले हैं। जिससे वारदात की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस टीम कई कोण पर जांच कर रही है। घटनाक्रम के अनुसार, पड़ोस के जौनपुर जिले के सीमावर्ती गांव निवासी सूरज शुक्ल लार्सन एंड टुब्रो फाइनेंस कंपनी में संकलन एजेंट के पद पर थे। वे रविवार की शाम को सुल्तानपुर के कादीपुर नगर में इसी सिलसिले में आए थे। ये घटना दोस्तपुर थानाक्षेत्र के देवरपुर गांव की है।

देवरपुर गांव में आज सड़क किनारे एक व्यक्ति का शव हत्या कर फेंक दिया गया था। ग्रामीणों ने शव देखा तो हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस की पड़ताल में शव की शिनाख्त जौनपुर निवासी सूरज शुक्ल के रूप में हुई। पैंट की जेब से मिले।कागजातों के अनुसार, सूरज एल एंड टी कंपनी में कादीपुर क्षेत्र के प्रतिनिधि थे। वे इसी क्रम में यहां आए थे। कंपनी के एरिया मैनेजर ने पुलिस को बताया कि शाम सात बजे के करीब आखिरी बार फोन पर बात हुई थी लेकिन इसके बाद उनका फोन नहीं उठा और फिर स्विच ऑफ हो गया।

रहस्यपूर्ण है कि दिवंगत शुक्ल के शव के पास उसकी बाइक मिली है जिसकी डिक्की में ७७७०० रुपए भी मिले हैं। पुलिस उपाधीक्षक विनय गौतम ने बताया कि प्रथमदृष्टया प्रतीत होता है कि हत्या कर शव को फेंका गया है। चेहरे व सिर पर भी चोट के गंभीर निशान मिले हैं। हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दो टीमें गठित कर दी गई हैं।

पुलिस कस्टडी से 25 हजार का इनामी हत्यारोपी फरार!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

बसपा नेता कलामुद्दीन हत्याकांड के आरोपित 25 हजार का ईनामी मुस्तफिज हसन उर्फ बाबू को गुजरात से गिरफ्तार कर ला रही आजमगढ़ पुलिस के चंगुल से फरार हो गया। फरार आरोपी का अभी तक पता नहीं चल पाया है। बता दें कि आजमगढ़ के मेंहनगर थाना क्षेत्र के खुंदन गांव निवासी बसपा नेता व पूर्व प्रधान कलामुद्दीन जब 15 फरवरी 2021 को समय दोपहर 01.30 बजे जिला मुख्यालय से वापस लौट रहे थे। गोसाईं की बाजार से मेंहनगर नहर पटरी से जैसे ही अपने गांव की सड़क पर चार पहिया वाहन से मुड़ें पहले से ही घात लगाए बैठे असलहे से लैस आधा दर्जन अपराधियों ने फायर झोंक दिया। इस हमले में घटनास्थल पर ही बसपा नेता कलामुद्दीन की मौत हो गई थी। जिसमें बसपा नेता के पुत्र द्वारा गांव के आधा दर्जन लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था।हत्या में शामिल रिजवान उर्फ बबलू, अलीसेर जेल में बंद हैं। जबकि अब्दुल पुत्र अब्दुल कयूम बेल पर बाहर है। इस मामले में वांछित और इनामी मुस्तफिजुर हसन उर्फ बाबू जिसकी सर्विलांस लोकेशन गुजरात में मिली थी। घटना की जानकारी पर मेंहनगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर आदिल, सिपाही अभिषेक और अशोक यादव गुजरात पहुंचे। उन्होंने वहां से आरोपी को हिरासत में भी ले लिया। गुजरात पुलिस के साथ कानूनी औपचारिकता करने के बाद पुलिस टीम उसे ट्रेन से लेकर आजमगढ़ आ रही थी। जानकारी के अनुसार जैसे ही ट्रेन उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश की, इनामी आरोपी पुलिस कर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। आरोपी के फरार हो जाने से पुलिस के हाथ पांव फूल गए। पुलिसकर्मियों ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। लेकिन, अभी तक फरार आरोपी का पता नहीं चल सका है। बताया जा रहा है कि आरोपी की बहन ने डीआईजी वैभव कृष्ण से 7 दिसंबर को मिलकर न्याय की गुहार लगाई थी। इसके साथ ही पुलिस कर्मियों पर अपने भाई के अपहरण का आरोप भी लगाया था।

जबकि अपर पुलिस अधीक्षक शहर शैलेन्द्र लाल ने बताया कि 2021 में हुई हत्या के मामले में आरोपी वांछित था। पुलिस उसे गिरफ्तार कर ला रही थी। वाशरूम जाने का बहाना कर यह अमरावती जनपद के लाटगांव खंडेश्वर से फरार हो गया है। इस मामले में अमरावती में भी मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है। साथ ही सभी पुलिस कर्मियों की भी जांच की जा रही है। अगर वह दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। फरार आरोपी 25 हजार का इनामी है।

ईवीएम के खिलाफ विधायकों ने की इस्तीफे की पेशकश! …मुंबई से सुनील राऊत और मारकडवाड़ी से उत्तम जानकर ने छेड़ी मुहिम

सामना संवाददाता/ मुंबई
ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर महाविकास आघाड़ी के नेता अब आक्रामक रुख अपना रहे हैं। एक तरफ जहां जगह-जगह आंदोलन और इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है, वहीं अब महाविकास आघाड़ी के दो विधायकों ने सशर्त इस्तीफे की पेशकश कर दी है। इन दोनों नेताओं ने कहा कि यदि चुनाव आयोग या सरकार बैलेट पेपर से चुनाव करने की तैयारी दर्शाएगी तो हम इस्तीफा देने को तैयार हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, मारकड़वाड़ी में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) पक्ष के विधायक उत्तम जानकर ने तो शरद पवार के समक्ष ही इस्तीफे की पेशकश कर दी। दूसरी तरफ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक सुनील राऊत ने भी साफ चेतावनी दी है कि यदि चुनाव आयोग बैलेट पेपर से चुनाव की अनुमति देता है तो मैं इस्तीफा देकर फिर से चुनाव लड़ने को तैयार हूं।
मालशिरस से जीतकर विधायक बने उत्तम जानकर ने कहा कि मैं मालशिरस के पश्चिमी हिस्से में पीछे रह गया। मुझे बहुत ही कम वोट मिले। मतगणना में उस समय हमने वीवीपैट काउंटिंग की मांग की थी, लेकिन कहा गया कि जब तक काउंटिंग चल रही है, यह नहीं किया जा सकता। इस नतीजे के बाद ३ दिनों तक लोग मेरे पास आ रहे थे, क्योंकि सवाल था कि यहां से इतनी कम वोटिंग वैâसे होती है? इसलिए गांव वालों ने पैâसला किया कि उन्हें बैलेट पेपर पर वोट देना चाहिए, लेकिन प्रशासन ने उन्हें मना कर दिया।

ईवीएम फिक्सिंग नहीं होती तो
ज्यादा अंतर से होती जीत!
शिवसेना और राकांपा विधायक का फूटा गुस्सा

ईवीएम घोटाले से नाराज दो नवनिर्वाचित विधायकों ने इस्तीफे की पेशकश की है। ये हैं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधायक सुनील राऊत और राकांपा (शरदचंद्र पवार) विधायक उत्तम जानकर। दोनों विदाायकों का गुस्सा फूट पड़ा है। उनका कहना है कि अगर ईवीएम से घोटाला नहीं किया गया होता, तो उनकी जीत का अंतर काफी ज्यादा होता।
जानकर ने कहा कि मैं मारकडवाड़ी गांव से मिट्टी लेकर चैत्यभूमि गया और वहां अर्पण किया। क्योंकि मारकडवाड़ी के लोग लड़ाकू स्वभाव के हैं। उधर मुंबई में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक सुनील राऊत ने विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गहरी असंतुष्टि जताते हुए इस्तीफा देने की मंशा जाहिर की है। राऊत ने कहा कि ईवीएम के चलते चुनाव परिणामों को लेकर जनता में व्यापक असंतोष और अविश्वास है। अगर चुनाव पारंपरिक बैलट पेपर से हुए होते, तो महायुति केवल ५०-६० सीटें जीती होती।

क्या कहते हैं जानकर
जानकर ने कहा कि हम अगले १५ दिनों में बैलट पेपर पर चुनाव कराकर राज्य और देश में पैदा हुए संदेह के कोहरे को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम चुनाव आयोग को एक पत्र लिख रहे हैं। उनकी सहमति के बाद मैं इस्तीफा दे दूंगा। किसी को ईवीएम के खिलाफ मैदान में उतरना ही होगा। मैं इस्तीफे के लिए तैयार हूं।
क्या कहते हैं सुनील राऊत
देश और महाराष्ट्र की जनता में ईवीएम गड़बड़ी के खिलाफ जोरदार भावना है। वर्तमान चुनाव परिणाम संदिग्ध हैं क्योंकि जनता इस प्रणाली से नाखुश है। अगर चुनाव बैलट पेपर से हुए होते, तो परिणाम अलग होते। उन्होंने कहा कि मेरे समर्थकों की अपेक्षा थी कि मैं ५०-६० हजार वोटों के अंतर से जीतूंगा लेकिन मेरा जीत का अंतर केवल १६,००० वोट रहा। इस अंतर ने मुझे निराश किया है।

ईवीएम के चलते चुनाव परिणामों को लेकर जनता में व्यापक असंतोष और अविश्वास है। अगर चुनाव पारंपरिक बैलट पेपर से हुए होते, तो महायुति केवल ५०-६० सीटें ही जीती होती।

संपादकीय : पाखंड भूषण!

महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की सरकार सत्ता में आई। लेकिन जो तस्वीर सामने दिख रही है, उससे यह सवाल उठ रहा है कि यह सरकार नहीं बल्कि क्या मोदी के तंबू में जंबो सर्कस है? कल तक खुद को बाघ, शेर, हाथी आदि शक्तिशाली मानने वाले जानवर पिंजरों में बंद हैं और भाजपा के इशारे पर उछल-कूद कर रहे हैं या खेल खेल रहे हैं। बदले में भाजपा उनके मुंह पर टुकड़े फेंक रही है। चूंकि शिंदे समूह मलाईदार महकमे प्राप्त करना चाहता था, इसलिए उन्होंने पिंजरे के भीतर रूठना- मनाना शुरू कर दिया, लेकिन अजीत पवार उन सभी में सबसे चतुर निकले। पवार ने बिना किसी हीला- हवाली के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और ना-नुकुर न करने के बदले में उन्होंने क्या पाया? उनकी हजार करोड़ रुपए की संपत्ति, जो ईडी, आयकर विभाग द्वारा बेनामी के रूप में जब्त कर ली गई थी। अजीत पवार के शपथ लेने के तुरंत बाद दिल्ली ट्रिब्यूनल कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा जब्त की गई इस संपत्ति को रिलीज करने का आदेश दिया। २०२१ में भाजपा के दबाव के चलते इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों ने अजीत पवार की इस संपत्ति को जब्त कर लिया था। अजीत पवार और उनके परिवार ने मानो जैसे खेत में, पोल्ट्री फार्म में, रोजगार गारंटी में दिन-रात मेहनत करके यह संपत्ति जमा की थी। स्पार्कलिंग सॉइल, गुरु कमोडिटीज, फायर पावर एग्री फार्म, निबोध ट्रेडिंग, अजीत पवार के स्वरोजगार, कुटीर उद्योग और व्यवसायों से जुड़ी कंपनियों पर छापे मारे गए। पैसे की गड़बड़ी की जांच शुरू की गई। खुद को ‘दादा’ कहने वाले के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटका दी गई और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने एलान कर दिया कि अजीत पवार ने ७० हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला किया है, लेकिन उसके चौथे दिन ही पवार भाजपा की वॉशिंग मशीन में घुसकर पवित्र होकर निकले और कल साक्षात मोदी महाराज की मौजूदगी में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर
एक हजार करोड़ की
जब्त की गई संपत्ति छुड़वा ली। अब इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों को क्या करना चाहिए? क्या उनके द्वारा की गई कार्रवाइयों को झूठा कहा जाना चाहिए या मोदी, फडणवीस आदि द्वारा उगले गए भ्रष्टाचार को बोगस माना जाना चाहिए? ये लोग अजीत पवार को चक्की पीसने के लिए भेजने वाले थे। अजीत पवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से ही फडणवीस ने दहाड़ते हुए कहा था, ‘मैं अविवाहित रहूंगा, लेकिन एनसीपी के साथ नहीं जाऊंगा।’ उनके पास सिंचाई घोटाले के सबूतों से भरी दो बैलगाड़ियां थीं। अब कौन सा अजगर उस सबूत को निगल गया? अजीत पवार द्वारा भाजपा में शामिल होकर शपथ लेना यह मोदी-फडणवीस का भ्रष्टाचार और उसके तुरंत बाद हजार करोड़ की जब्त संपत्ति को मुक्त किया जाना यह जनता के साथ धोखा है। इससे पहले भाजपावासी बने प्रफुल्ल पटेल की ३०० करोड़ की संपत्ति ‘ईडी’ द्वारा पवित्र कर छोड़ दी गई थी। वह संपत्ति दाऊद, इकबाल मिर्ची जैसे लोगों से संबंधित होने का आरोप पत्र ईडी ने ही लगाया था। उस आरोप पत्र को अब जनता के दर्शनार्थ दिल्ली के नेशनल म्यूजियम या लोककल्याण मार्ग पर रखा जाना चाहिए जहां मोदी रहते हैं। यह देश का अनमोल खजाना ही था और इसे मोदी सरकार ने आजाद कराया है। अंग्रेजों द्वारा ले जाए गए कोहिनूर हीरे व हमारी ऐतिहासिक तलवार के बजाय, पटेल-पवारों के खिलाफ आरोप पत्र और उसके बाद संपत्ति रिलीज के ‘क्लीन चिट’ आदेश के जाहिरनामों का उपयोग दुनियाभर में शोध के लिए किया जाएगा। अब अगर मुंबई के दाऊद, छोटा शकील आदि की जब्त संपत्ति भी पवित्र हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि भाजपा पाखंडियों की पार्टी है और वे केवल चुनाव जीतने के लिए वोट जिहाद, हिंदू-मुस्लिम, भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगाते हैं। राज्यसभा में विपक्षी दल की एक बेंच पर सिर्फ ५० हजार का बंडल मिला तो सत्ताधारी
बेंच और छाती
पीटने लगते हैं। यह रकम कहां से आई? यह पैसा काला है या सफेद? ऐसे सवाल राज्यसभा में पूछे जाने लगे। वाह, क्या भ्रष्टाचार विरोधी आवेग है यह? हालांकि ये पाखंडी सिंचाई घोटाले के पैसे से अर्जित अजीत पवार की हजार करोड़ की संपत्ति को पवित्र कर देते हैं, लेकिन उसी संसद में अडानी के भ्रष्टाचार पर बात नहीं होने देते और सिर्फ ५० हजार के लिए विपक्षियों से हिसाब-किताब मांगते हैं? इस पाखंड का कोई इलाज नहीं। इस तरह के पाखंड का स्पष्ट प्रदर्शन मोदी की मौजूदगी वाले शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिला। मोदी महाराज के अंधभक्त कहें या सभी भाजपा समर्थकों ने शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का बहिष्कार कर दिया था। आंदोलन वगैरह किया गया था कि ‘पठान’ मत देखिए। इन्हीं लोगों ने शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ का भी विरोध किया था, उस खान और उनके धर्म पर कीचड़ उछाला था। शाहरुख के बेटे को ड्रग्स के झूठे अपराध में फंसाकर बेचारे शाहरुख को भी आरोपों के पिंजरे में खड़ा कर शाहरुख की देशभक्ति पर सवाल खड़े किए गए। लेकिन उन्हीं शाहरुख को कल के शपथ ग्रहण समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित कर उन्हें सबसे पहली पंक्ति में बैठाया गया और पिछली सभी बातों को भूलकर ये खान महाशय भी भाजपा के अंधभक्तों के पाखंडी मेले में शामिल हो गए। शाहरुख की मजबूरी हम समझ सकते हैं, लेकिन इस मामले में भाजपा के पाखंड को कमाल का ही कहा जा सकता है। भ्रष्टाचार के आरोपी अजीत पवार को भाजपा ने उपमुख्यमंत्री तो बनाया ही साथ में जब्त की गई इस्टेट भी ससम्मान लौटा दी। देशद्रोही आदि का आरोप लगाकर शाहरुख खान को ‘रेड कार्पेट’ पर शपथ समारोह में आमंत्रित किया गया। अब पद्म भूषण जैसा कोई ‘पाखंड भूषण’ ‘खिताब’ तैयार कर भाजपा के पर्दे के पीछे के चाणक्यों को दिया ही जाना चाहिए!