शपथ ग्रहण समारोह के लिए बेस्ट की ५८२ बसें आरक्षित …यात्रियों को उठानी पड़ी भारी परेशानी

-सैकड़ों स्टॉप्स पर भीड़, लंबी कतारें, धूप और उमस ने किया बेहाल
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजीत पवार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आजाद मैदान में भीड़ जुटाने के मकसद से मुंबई के अलग-अलग हिस्सों से बेस्ट की ५८२ बसें आरक्षित की गर्इं, लेकिन इसका खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ा। कई बस स्टॉप्स पर यात्रियों की लंबी कतारें लगी रहीं और ऊपर से तेज धूप और उमस ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया।
विधानसभा चुनाव में महायुति को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद आज आजाद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान तीनों पार्टियों की ओर से बड़ी संख्या में लोगों को बुलाने के लिए सैकड़ों बसों का इंतजाम किया गया, लेकिन इनमें बेस्ट की बसों को भी शामिल कर लेने से आम यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
बेस्ट के बेड़े में वर्तमान में कुल ३,१७५ बसें हैं, जिनमें से कुछ खराब स्थिति में होने के कारण सेवाओं में नहीं चल रही हैं। ऐसे में गुरुवार को महायुति के इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए ५८२ बसें आरक्षित की गर्इं। इसका नतीजा यह हुआ कि सुबह ऑफिस जाने के समय बसों की कमी कारण बस स्टॉप पर यात्रियों की काफी लंबी-लंबी कतारें देखी गर्इं। हालांकि, बेस्ट ने इस आयोजन के लिए बसें उपलब्ध कराने से ७५ लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया, लेकिन यात्रियों को हुई असुविधा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिरकार इस परेशानी के लिए जिम्मेदार कौन है?

 

हसीना ने न्यूयॉर्क से साधा निशाना …हिंदुओं के नरसंहार में शामिल हैं यूनुस

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है और उन पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी। ढाका में ५ अगस्त को अपने सरकारी आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया था। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने उनसे (सुरक्षाकर्मियों से) कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, उन्हें गोलियां नहीं चलानी चाहिए।’
कार्यक्रम में हसीना ने कहा, ‘आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहे हैं। दरअसल, यूनुस योजनाबद्ध तरीके से नरसंहार में शामिल रहा है। इस नरसंहार के पीछे मुख्य साजिशकर्ता छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।’ हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया।’

योगी कराएं अपनी डीएनए जांच, हम भी कराएंगे, देशवासियों को बर्बाद कर रही है महंगाई व बेरोजगारी! …अखिलेश यादव ने यूपी के सीएम पर बोला हमला

सामना संवाददाता / कानपुर
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा कि चीन भारत की जमीन दबाए ले रहा है। भविष्य में मानसरोवर और वैâलाश पर्वत भी नहीं जाने देगा, लेकिन भाजपा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने कहा कि सीसामऊ नाले पर सेल्फी लेने वाले भूल गए। २०२७ में सपा सरकार बनने पर हम गंगा मइया को साफ करेंगे। संभल घटना पर कहा कि कानपुर वाले सब जानते हैं कि गाड़ी वैâसे पलटी थी। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डीएनए जांच कराएं। हम भी कराने को तैयार हैं।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र की जीत है। सपा कार्यकर्ताओं की बहादुरी की वजह से जीती है। चुनाव में क्या-क्या हुआ। भाजपाई खोखले हो गए हैं। पुलिस प्रशासन की ताकत से जीत सके। भाजपा हारी है। २०२७ में जब चुनाव होंगे तो भाजपा की हार तय है और सपा जीतेगी। संभल घटना जानबूझकर कर भाजपा ने कराई है, जिसमें पांच जाने गर्इं। बहराइच याद कीजिए, इसका कारण भी भाजपा सरकार थी। संभल भी उसकी देन है। दोबारा सर्वे में नारे लगाते हुए लोग गए। इससे दिक्कत हुई। ये भाजपा के लोग थे। महंगाई, बेरोजगारी पर चर्चा न हो, ऐसा हर प्रयास कर रहे हैं। देश बर्बाद हो रहा है। संविधान के अधिकार छीने जा रहे हैं। कानपुर में उद्योग, कारोबार चौपट है। पनकी पावर स्टेशन पास ही है, जल्दी बनता तो अच्छा होता। समाजवादियों ने मेट्रो दी। उसे भी समय से पूरा नहीं कर पाए।

उन्होंने कहा कि सरकार नौकरी रोजगार की बात नहीं करना चाहती। चंदा वसूला, उससे महंगाई बढ़ रही। सरकार नाकाम है। गायों पर तेजाब फेंका जा रहा। उन्होंने संभल की घटना के बहाने बिकरू कांड भी याद किया। दक्षिण में तीन विधानसभा में भाजपा के विधायक होने पर बोले कि वर्ष २०२७ में यहां के लोग बात समझ जाएंगे तो सपा ही होगी।

जेब पर डाका! साइबर फ्राॅड में ११ हजार करोड़ गंवाए …इकोनॉमी और सुरक्षा पर खतरा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गृह मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्राॅड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के मुताबिक, वर्ष २०२४ में नवंबर माह तक साइबर फ्राॅड की लगभग १२ लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर के आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष के पहले नौ महीनों में साइबर फ्राॅड की वजह से ११,३३३ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहार) का मानना है कि अपराध पर लगाम नहीं लगी तो वर्ष २०३३ तक हर वर्ष भारत में सालाना एक लाख करोड़ के साइबर अटैक होंगे। साइबर अटैक में ऑनलाइन फ्राॅड और सेक्टार्शन जैसी चीजें ही शामिल नहीं हैं। इनमें डाटा चोरी, रैनसमवेयर, आनलाइन हेट क्राइम, साइबर बुलिंग, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सेवाओं पर साइबर अटैक, आइडेंटिटी थेफ्ट, अवैध सट्टेबाजी एप जैसी कई चीजें शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल किसी देश की आर्थिक व्यवस्था व आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने में किया जा सकता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मुक्तेश चंदेर का कहना है कि साइबर अटैक का इस्तेमाल किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी को कमजोर करने में हो सकता है। एस्टोनिया में हमने ऐसा देखा है। ‘प्रहार’ के राष्ट्रीय संयोजक अभय मिश्रा के मुताबिक, साइबर अटैक किसी देश की आंतरिक सुरक्षा व उनकी आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करने का टूल बनता जा रहा है।

गड़े मुर्दे : क्यों खामोश हुईं दाऊद की बंदूकें! …२००२ के बाद समेट लिया था काला कारोबार

जीतेंद्र दीक्षित
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम अक्सर खबरों में रहता है। बीते १५ सालों में करीब छह बार उसके मरने की खबर आ चुकी है और ऐसी हर खबर के कुछ दिनों बाद एक और खबर आती है कि वह जिंदा है। दाऊद इब्राहिम जिंदा हो या मर गया हो लेकिन एक बात बिल्कुल सच है कि उसके गिरोह ने नवंबर २००२ के बाद शहर में एक भी गोली नहीं चलाई। इस सदी के पहले दशक के खत्म होते-होते उसके गिरोह ने मुंबई से अपना काला कारोबार भी समेट लिया।
दाऊद इब्राहिम गिरोह की ओर से मुंबई में आखिरी बड़ी वारदात को अंजाम नवंबर २००२ में दिया गया था। शहर के वर्सोवा इलाके में अली नानजियानी नाम के एक लोकल केबल चैनल चलाने वाले शख्स की छोटा शकील के शूटरों ने हत्या कर दी थी। पुलिस के मुताबिक उस केबल ऑपरेटर का दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई नूर इब्राहिम उर्फ नूरा के साथ किसी संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। नूरा के कहने पर ही शकील ने अली को खत्म करवा दिया। इसके बाद से शकील गिरोह की ओर से मुंबई में किसी बड़े शख्स की हत्या दर्ज नहीं की गई है।
इस वारदात के अगले साल यानी कि २००३ में दाऊद के एक और छोटे भाई इकबाल कासकर को संयुक्त अरब अमीरात से डिपोर्ट करके भारत लाया गया। सारा सहारा शॉपिंग सेंटर के मामले में मकोका कानून के तहत उसकी गिरफ्तारी हुई। मुंबई पुलिस कि आरोप था की यह शॉपिंग सेंटर केंद्र सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया था। कासकर कई साल मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहा और मुकदमा खत्म होने के बाद उसी पैकमोनिया स्ट्रीट में रहने लगा जहां १९८६ तक दाऊद इब्राहिम रहा करता था।
माना जाता है कि अपने भाई के मुंबई पहुंचने के बाद से दाऊद गिरोह ने शहर से अपनी आपराधिक गतिविधियां बंद कर दीं। उसके गिरोह की ओर से बिल्डरों, होटल मालिकों और फिल्मकारों को धमकाया जाना या उनकी हत्या की जानी भी बंद हो गई। यहां तक कि दाऊद ने अपने दुश्मन गिरोह के साथ गैंगवॉर भी खत्म कर लिया। यह पैâसला शायद यह सोच कर लिया गया कि अगर गैंगवॉर जारी रहता है तो मुंबई में उसके भाई की जान को खतरा हो सकता है। दाऊद हीरो के ठंडे पड़ जाने के पीछे एक बड़ी भूमिका मुंबई पुलिस की भी रही। मुंबई पुलिस ने दाऊद के कई बड़े सूत्रों को एनकाउंटर में मार डाला या फिर मकोका कानून के तहत पकड़ कर जेल में ठूंस दिया।
भले ही दाऊद ने मुंबई में अपना अपराधिक कारोबार समेट लिया हो लेकिन उसके नाते रिश्तेदार और पुराने गुर्गे उसके नाम का इस्तेमाल कई साल तक करते रहे। साल २००६ में जबरन वसूली का एक मामला दाऊद की बहन हसीना पारकर पर दर्ज हुआ था। छोटा शकील अक्सर टीवी चैनलों को इंटरव्यू देता रहता था और दोहराता था कि उसका सबसे कट्टर दुश्मन छोटा राजन अभी भी उसके निशाने पर है। साल २०११ में दाऊद के भाई इकबाल कासकर पर फायरिंग हुई जिसमें उसका बॉडीगार्ड मर गया। इस फायरिंग का आरोप छोटा राजन गिरोह पर लगा था। दाऊद के फिलहाल जिंदा होने का तो पता नहीं लेकिन उसके नाम को भारत में सभी भुना रहे हैं। मीडिया से लेकर पुलिस और राजनेता तक अक्सर किसी न किसी संदर्भ में दाऊद इब्राहिम का जिक्र करते रहते हैं।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)

यूपी में फिर मंदिर-मस्जिद पर सख्ती …अवैध लाउडस्पीकर उतारने का विशेष अभियान

सामना संवाददाता / गोरखपुर
धार्मिक व सार्वजनिक स्थलोें से लाउडस्पीकर और ध्वनि विस्तारक हटाने के लिए गुरुवार को जिले में विशेष अभियान चलाया गया। डीएम कृष्णा करुणेश व एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर की अगुवाई में चले अभियान के दौरान अधिकारियों ने जिले के सभी थाना क्षेत्रों का दौरा किया और धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकरों की जांच की। इसके साथ ही, संबंधित थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि जहां भी तेज आवाज में लाउडस्पीकर बज रहा है, उसे हटवाने के साथ ही संबंधित के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करें। इससे पहले भी पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने अभियान चलाकर अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया था, लेकिन कुछ स्थानों पर लाउडस्पीकर बजने की शिकायत मिल रही थी। गुरुवार को यह चेकिंग सुबह चार बजे शुरू हुई, डीएम कृष्णा करुणेश और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ थाना क्षेत्रवार निरीक्षण किया। इस दौरान सभी सीओ (सर्कल ऑफिसर) और थाना प्रभारी भी अपनी टीमों के साथ मौजूद थे। चेकिंग के दौरान अधिकारियों ने चेतावनी दी कि धार्मिक स्थलों पर बिना अनुमति के लाउडस्पीकर लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया कि ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए सभी धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज का स्तर निर्धारित मानकों के अनुसार होना चाहिए।

चलती ट्रेन में खूनी खेल! …सीट के लिए सिरफिरे ने कर दी हत्या

अमेठी जिले के रेलवे स्टेशन पर दो यात्रियों के बीच खून खराबा हो गया। विवाद सीट पर बैठने को लेकर बताया जा रहा है। बता दें कि यात्री पर हमलावरों ने चाकू से हमला किया, जिसके बाद हमलावर ट्रेन से भाग गया। अमेठी जिले के निहालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बीती रात एक ट्रेन में सीट को लेकर झगड़ा हो गया था। विवाद इतना बढ़ गया था कि दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हो गई। इस झगड़े में एक व्यक्ति की जान चली गई। जानकारी के मुताबिक, इस विवाद में ३ लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यात्री पर हमलावरों ने चाकू से हमला करना शुरू किया, जिसके बाद हमलावर चलती ट्रेन से फरार हो गया।
यह घटना अमेठी के निहालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर घटी। बताया जा रहा कि बेगमपुरा एक्सप्रेस ट्रेन में सीट पर बैठने को लेकर दो यात्रियों के बीच लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया था। हमलावरों ने तीन सगे भाइयों पर चाकू से हमला कर दिया था। हमले में घायल एक भाई की मौत हो गई, और दूसरे भाई को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। तीसरे भाई को इलाज के लिए ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, मृतक तौहीन बेगमपुरा एक्सप्रेस से अंबाला से वापस अपने घर आ रहा था। लखनऊ से वो बेगमपुरा ट्रेन में बैठा और हैदरगढ़ के पास ट्रेन में ही सीट पर बैठने को लेकर उसका सुलतानपुर के रहने वाले हमलावरों से विवाद हो गया, जिसके बाद तौहीन ने अपने भाइयों को स्टेशन पर बुला लिया। घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल और राज्य की रेलवे पुलिस ने ४ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मृतक के शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। राजकीय रेलवे पुलिस मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर रही है।

गिरफ्त में आए चारों हमलावर

सुल्तानपुर से लेकर वाराणसी तक पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। जिससे जीआरपी ने सुल्तानपुर में चारों हमलावरों को हिरासत में ले लिया।उनकी पहचान सुलतानपुर के लम्भुआ निवासी दीपक कुमार गौतम, पवन कुमार गौतम, सुजीत कुमार गौतम और मिथुन गौतम के रूप में हुई है। वैधानिक कार्रवाई जीआरपी थाना सुलतानपुर द्वारा की जा रही है।

मोदी-अडानी एक हैं इसलिए सेफ हैं! …संसद के बाहर विपक्ष का हल्लाबोल अलग अंदाज में किया विरोध प्रदर्शन

गौतम अडानी अभियोग के मुद्दे पर संसद के बाहर गुरुवार ०५ दिसंबर को विपक्ष के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस सांसदों का एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। कांग्रेस सांसदों ने गुरुवार को संसद में `मोदी अडानी एक हैं इसलिए अडानी सेफ हैं’ नारे लिखे जैकेट पहनकर प्रदर्शन किया। राहुल गांधी `मोदी अडानी एक हैं’ के नारे लिखे हुए टीशर्ट पहने हुए दिखे तो वहीं प्रियंका गांधी `मोदी-अडानी एक है’ वाले काले रंग की जैकेट पहने दिखीं। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान राहुल गांधी ने कहा, `मोदी जी, अडानी जी की जांच नहीं करा सकते, क्योंकि अगर वह ऐसा करेंगे तो वह खुद की जांच करा लेंगे। मोदी और अडानी एक हैं। दो नहीं हैं, एक हैं।’ दरअसल, विपक्षी सांसद अरबपति गौतम अडानी के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग कर रहे हैं, जिनमें उनके भतीजे सागर अडानी के साथ अमेरिकी अभियोजकों ने रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोग चलाया हुआ है। राहुल गांधी ने `मोदी अडानी एक हैं’ वाली टीशर्ट पहनकर अपनी वीडियो भी सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर शेयर की है। वीडियो शेयर कर राहुल गांधी ने लिखा है, `मोदी अडानी एक हैं और इस सच्चाई को मीडिया आपको कभी नहीं दिखाएगा।’
विपक्षी सांसद अरबपति गौतम अडानी के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग कर रहा है,जिनमें उनके भतीजे सागर अडानी के साथ अमेरिकी अभियोजकों ने रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोग दायर किया है।

` जब राहुल गांधी पीएम बनेंगे तभी पहनूंगी चप्पल’
राहुल गांधी बुधवार को जब दिल्ली से संभल के लिए निकले थे, उनका काफिला दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोक लिया गया। इस दौरान भारी संख्या में आस-पास के लोग राहुल गांधी का समर्थन करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे। ऐसे लोगों में पंडित रेखा शर्मा भी थीं, जो अलीगढ़ से कांग्रेस कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने चप्पलें नहीं पहन रखी थीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह कसम खाई है कि जब राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे, तभी वे चप्पल पहनेंगी।

महिला कर्मचारियों के उत्पीड़न के आरोप में मनपा के दो कर्मचारी निलंबित! …विशाखा समिति का सख्त फैसला

सामना संवाददाता / भायंदर
मीरा भायंदर महानगरपालिका में महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न और आपत्तिजनक व्यवहार के दो अलग-अलग मामलों में कार्रवाई करते हुए दो पुरुष कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय महानगरपालिका की विशाखा समिति की गहन जांच के बाद लिया गया।
महानगरपालिका में महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशाखा समिति का गठन किया गया है। इस समिति के तहत महिलाओं से जुड़े उत्पीड़न के मामलों की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाती है। समिति ने १ जनवरी २०२४ से ३० नवंबर २०२४ के बीच दो गंभीर मामलों का निपटारा किया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की है।
मनपा के आवक-जावक विभाग में कार्यरत एक स्थायी कर्मचारी ने अपनी महिला सहकर्मी को अश्लील तस्वीरें भेजी थीं। इस मामले की शिकायत महिला ने विशाखा समिति से की। जांच में आरोपी ने अपने गलत इरादों को स्वीकार किया। समिति ने आरोपी कर्मचारी को तत्काल निलंबित कर दिया और उसे मानसिक स्वास्थ्य जांच के लिए मनोचिकित्सक के पास भेज दिया है। वहीं दूसरा मामला मनपा के मेडिकल विभाग में एक अनुबंधित कर्मचारी पर महिला सहकर्मी के यौन और मानसिक उत्पीड़न का आरोप था। समिति ने गहन जांच के बाद दोषी पाए गए कर्मचारी को तुरंत बर्खास्त कर दिया। साथ ही पीड़ित महिला कर्मचारी का स्थानांतरण किसी अन्य विभाग में कर दिया गया।

इस्लाम की बात : बांग्लादेश हिंसा  …हिंदू भाइयों के हक में आवाज बुलंद करे मुस्लिम समाज

सैयद सलमान मुंबई

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव चिंता का विषय बन गई है। हाल के दिनों में, सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के कई लोग हताहत हुए हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो गई है। अगस्त में तख्तापलट के बाद सत्ता कट्टरपंथियों के हाथ में आ गई है, तभी से वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कई हिंदू संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक अच्छी बात इस बीच यह हुई है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ हिंदुस्थान में ‘ऑल इंडिया मुस्लिम जमात’ जैसे कई संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है।
मसला इंसानियत का है
बांग्लादेश की इस समस्या पर भारतीय मुसलमानों को खुलकर बोलना चाहिए, क्योंकि यह न केवल मानवाधिकार का मामला है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव से भी जुड़ा हुआ मसला है। बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का बढ़ता प्रभाव और धर्मनिरपेक्षता का ह्रास हिंदुओं की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है। जब यहां का मुस्लिम समाज अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर आवाज उठाता है, अपने देश में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर बोलता है तो बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप रहना उचित नहीं है। दरअसल, यह मुद्दा हिंदू-मुसलमान का नहीं बल्कि इंसानियत का है। हिंदू मरे या मुसलमान, मरता तो इंसान ही है और सच्चे मुसलमान की यही पहचान है कि वह इंसानियत को मजहब के चश्मे से न देखे। मुसलमानों के खिलाफ हिंदुस्थान की धरती पर हो रहे जुल्म पर हिंदू भाइयों का एक बड़ा तबका खुलकर बोलता है। ऐसे में मुसलमानों की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने हिंदू भाइयों के हक में आवाज बुलंद करें।
क्या कहता है कुरआन?
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और नागरिकों पर बढ़ रहे हमले से उनकी सुरक्षा खतरे में है। इस स्थिति में हिंदुस्थानी मुसलमानों का समर्थन महत्वपूर्ण है, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया जा सके। दरअसल, इस्लाम दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति संरक्षण की ताकीद करता है। कुरआन में कहा गया है कि इंसान को मानवता का खलीफा होने के नाते, सभी जीवों का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए (अल-कुरआन २:३०) यह आयत सृष्टि के संरक्षण के प्रति इंसान की जिम्मेदारी को बयान करती है। सृष्टि में इंसान भी तो आते ही हैं। इसमें धर्म, भाषा और जाति का कोई भेद नहीं है। पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी अपने अनुयायियों को दया और करुणा के बारे में सिखाया। हदीसों में यह उल्लेख है कि जो व्यक्ति किसी जानवर या पक्षी पर दया दिखाता है, उसे अल्लाह की ओर से इनाम मिलेगा। यानी इस्लाम शांति और सुरक्षा का संदेश देता है। कुरआन में संरक्षण के बारे में कई आयतें हैं, जो इंसानियत और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को बयान करती हैं। कुरआन की सूरह ६:३८ में कहा गया है कि ‘जमीन पर चलनेवाले किसी जानवर और हवा में उड़नेवाले किसी पक्षी को देखो, ये सब तुम्हारी ही तरह की जातियां हैं।’ यह आयत सभी जीवों की समानता और उनको संरक्षण देने का संदेश देती हैं। सूरह १६:९० में आया है कि निश्चय ही अल्लाह न्याय का और सभी की भलाई का और रिश्तेदारों को (उनके हक) देने का आदेश देता है और अश्लीलता, बुराई और सरकशी से रोकता है। वह तुम्हें नसीहत करता है, ताकि तुम ध्यान दो- ‘यह आयत साफ-साफ इंसानों के बीच न्याय और दया की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जिससे समाज में सामंजस्य बना रहे। सूरह ५:३२ में तो यहां तक कहा गया है कि ‘अगर कोई एक व्यक्ति को मारता है तो मानो उसने पूरी मानवता को मार डाला।’ यानी एक व्यक्ति की हत्या का अर्थ पूरे समाज की हत्या के समान है। यह आयत जीवन के प्रति इस्लाम की गहरी संवेदनशीलता को साबित करती है।
अल्पसंख्यकों का ख्याल
यह बात साफ है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर ज्यादती हो रही है। क्या यही हाल हिंदुस्थान का नहीं है? यहां के मुसलमानों पर पिछले एक दशक में मॉब लिंचिंग, कपड़ों से पहचानो, जय श्रीराम बोलो, मुल्ले काटे जाएंगे, बुलडोजर चलाओ, गोली मारो, मुकदमों में फंसाओ का जबरदस्त खेल खेला जा रहा है। मुसलमान अगर उस दर्द को समझ रहा है तो उसे अपने बांग्लादेशी हिंदू भाइयों के दर्द को समझना होगा। अगर दोनों तरफ के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होंगे तो फिर हिंदुस्थान और बांग्लादेश में क्या अंतर रह जाएगा? दरअसल, हर मुल्क के बहुसंख्यक की जिम्मेदारी है कि वह अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखें। इस मामले में अखंड भारत का हिस्सा रहे तीनों देश हिंदुस्थान, पाकिस्तान और बांग्लादेश आज नाकाम साबित हो रहे हैं। तीनों जगह के अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। इसके राजनीतिक कारणों पर न जाकर सामाजिक और मानवीय पहलू पर विचार करने की जरूरत है।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)