पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर ५ वर्षों में रु. ३६ लाख करोड़ डकार गई मोदी सरकार!

केंद्र सरकार की पोल खोलकर खड़गे ने की खटिया खड़ी
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भले ही पिछले पांच वर्षों के दौरान बड़ी गिरावट देखने को मिली हो, लेकिन आम लोगों को महंगे पेट्रोल-डीजल के दामों से कोई राहत नहीं मिली है। लेकिन इन पांच वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर अपना खजाना जरूर भर लिया है। संसद में प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल के जवाब में ये जानकारी सामने आई है। वित्त वर्ष २०१९-२० के बाद से लेकर मौजूदा वित्त वर्ष २०२४-२५ की पहली तिमाही अप्रैल-जून तक पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों ने ३६.५८ लाख करोड़ रुपए की कमाई की है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार की पोल खोलकर खटिया खड़ी कर दी है। खड़गे ने कहा, `मई २०१४ से लेकर अब तक अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑयल में ३२ प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन मोदी सरकार ने लोगों को कोई राहत नहीं दी। पेट्रोल-डीजल पर लूट जारी है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पेट्रोलियम मंत्रालय से मई २०१९ के बाद से पेट्रोल डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, दूसरे टैक्स और सेस लगाकर वसूले गए रेवेन्यू की जानकारी मांगी। इस प्रश्न के लिखित जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक, वित्त वर्ष २०१९-२० से लेकर वित्त वर्ष २०२४-२५ की पहली तिमाही अप्रैल-जून तक केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर ३६,५८,३५४ करोड़ रुपए वसूले हैं। जबकि पिछले पांच वित्त वर्ष २०१९-२० से लेकर २०२३-२४ के दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने टैक्स के जरिए ३५ लाख करोड़ रुपए की कमाई की है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : ब्रेकअप के बाद नहीं लगेगा रेप केस …सहमति से संबंध के बाद दुष्कर्म का केस करना चिंताजनक

सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम संबंधों में आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों को लेकर अहम पैâसला सुनाया। आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध से जुड़े एक दुष्कर्म के मामले में दर्ज प्राथमिकी को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं करा सकती है। इस तरह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंंता जताई है। मुंबई के खारघर पुलिस स्टेशन में महेश दामू खरे के खिलाफ वनिता एस जाधव द्वारा दर्ज कराई गई सात साल पुरानी एफआईआर पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है कि सहमति से संबंध बनाए जाते हैं, जो लंबे समय तक चल रहा है और कड़वाहट आने पर इसे बलात्कार करार देने की मांग की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामलों को लेकर चिंंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि शादी से पहले आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, बाद में अनबन होने पर केस दर्ज कराया जाता है। इस तरह की घटनाएं चिंंताजनक हैं।
गौरतलब है कि एक विवाहित व्यक्ति खरे और एक विधवा महिला जाधव के बीच संबंध २००८ में शुरू हुआ। जाधव ने आरोप लगाया कि धोखेबाज प्रेमी व्यक्ति ने उससे शादी करने का वादा किया था, जिसके बाद उन्होंने संबंध बनाए, लेकिन बाद में वह शादी के वादे से मुकर गया। इसी मामले पर कोर्ट ने अपना पैâसला सुनाया है और रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।

अपने डीजीपी को बता देना … ऐसा आदेश पास करेंगे कि जिंदगी भर याद रहेगा! …यूपी पुलिस पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कल गुरुवार को यूपी पुलिस को जोरदार फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है और उसे संवेदनशील होने की जरूरत है। इसके साथ ही कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ भी तो ऐसा कोई कठोर आदेश पारित करेंगे कि जिंदगीभर याद रहेगा।
बता दें कि यह मामला याचिकाकर्ता अनुराग दुबे का है, जिन पर अलग-अलग कई मामले दर्ज हैं। उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन वे पेश नहीं हुए, जिसे लेकर यूपी सरकार ने सवाल उठाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हो सकता है कि याचिकाकर्ता को ये डर है कि जांच के दौरान उस पर कोई और मामला दर्ज न कर दिया जाए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी। सुनवाई करते हुए कोर्ट को इस बात पर गुस्सा आ गया कि यूपी पुलिस याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक कई एफआईआर दर्ज कर रही है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यूपी पुलिस एक खतरनाक एरिया में घुस रही है और अपनी पावर का इस्तेमाल करके वह मजे ले रही है।

सुनवाई करते हुए कोर्ट को इस बात पर गुस्सा आ गया कि यूपी पुलिस याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक कई एफआईआर दर्ज कर रही है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यूपी पुलिस एक खतरनाक एरिया में घुस रही है और अपनी पावर का इस्तेमाल करके वह मजे ले रही है।

इजरायली तकनीक से मशीन हुई हैक? …हार के बाद मविआ के प्रत्याशियों की अहम बैठक

पुणे में विशेषज्ञों ने बताई तकनीक
सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव में महायुति ने गंदी चाल चली है, ऐसा आरोप लगाते हुए हडपसर विधानसभा क्षेत्र के महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार प्रशांत जगताप ने कहा कि इजरायल की तकनीक की मदद से ईवीएम मशीनों को हैक किया गया है। इजरायल में कुछ संपर्कों से ईवीएम मशीनों की हैकिंग की जानकारी मिली है इसलिए अब से महाविकास आघाड़ी वीवीपैट के वोटों की गिनती के लिए चुनाव आयोग के पास आवेदन करेगा, गलत परिणाम के बारे में चुनाव आयोग से शिकायत की जाए और परिणाम के खिलाफ अदालत में याचिका भी दायर की जाएगी।
पुणे जिले में महाविकास आघाड़ी के हारे हुए उम्मीदवारों की बैठक जिले के एनसीपी भवन में हुई। बैठक में वरिष्ठ वकील असीम सरोदे, ईवीएम मशीन विशेषज्ञ माधव देशपांडे ने मार्गदर्शन किया। बैठक में विधानसभा चुनाव नतीजों पर चर्चा के बाद अगली रणनीति तय की गई। इसके बाद आयोजित प्रेस कॉन्प्रâेंस में प्रशांत जगताप बोल रहे थे। इस अवसर पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष शहर प्रमुख संजय मोरे, पूर्व मंत्री रमेश बागवे, राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रभारी व शहर अध्यक्ष अंकुश काकडे, कांग्रेस सलाहकार अभय छाजेड आदि उपस्थित थे।
पर्दे के पीछे की ताकतों ने वोटिंग मशीन में हेर-फेर किया और मविआ प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में शून्य मतदान दिखाने के लिए मॉक पोल आयोजित किए जाते हैं। मतदान के दिन चुनाव चिह्न अपलोड करते समय मशीन को सुबह ९ बजे से शाम ४ बजे तक प्रोग्राम किया जाता है। इससे मतदान के दिन कार्यक्रम कार्यशील हो जाता है। यह कार्यक्रम चुनाव से पहले और बाद में काम नहीं करता है। इसके बाद अगर विपक्ष आपत्ति जताता है तो चुनाव आयोग यह कहने के लिए स्वतंत्र है कि मतदान के दिन वोटिंग मशीन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी, लेकिन वास्तव में इस साल वोटिंग मशीनों को हैक कर लिया गया और मशीनों में १५ से २५ फीसदी वोटिंग की सेटिंग पहले से की गई।
हारे हुए उम्मीदवारों की बैठक में प्रशांत जगताप, कैटोनमेंट के रमेश बागवे, शिरूर हवेली के अशोक पवार, छत्रपति शिवाजी नगर के दत्ता बहिरट, दौंड के रमेश थोरात शामिल हुए। पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल, अजित गव्हाणे, संग्राम थोपटे, संजय जगताप, अश्विनी कदम के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

कैंसर से भी अधिक जानें ले रहा जहरीला धुआं …सालाना निगल रहा २१ लाख जिंदगियां!

भारत वायु प्रदूषण की आपदा के मुहाने पर खड़ा है। यहां हर साल हाई ब्लड प्रेशर (हृदय रोग) के बाद सबसे ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण की वजह से होती हैं। डायबिटीज, वैंâसर से होनेवाली मौतें भी इससे कम हैं। जहरीली हवा से भारत में हर साल २१ लाख लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। यही नहीं, लोगों की उम्र भी घट रही है। उनकी कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चेन्नई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ काम कर रही देश की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कल्पना बालाकृष्णन आईआईटीआर में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को लखनऊ में थीं। वायु प्रदूषण पर किए गए उनके शोध व रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल, लैंसेट समेत दुनिया की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. कल्पना का कहना है कि विभिन्न वैज्ञानिक शोध, आईक्यू-एयर और स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से सालाना २१ लाख लोग मौत के शिकार हो रहे हैं। प्रदूषित हवा के असर से लोगों की उम्र दो से तीन प्रतिशत तक घटने लगी है। दुनिया के १० सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित देशों में भारत तीसरे पायदान पर है। बच्चों व बुजुर्गों पर इसका सर्वाधिक बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

टॉर्चर अनलिमिटेड … बांग्लादेश में डर-डरकर रहने को मजबूर हुए हिंदू!

– हिंदुओं के खिलाफ लगाए जा रहे दिल दहलाने वाले नारे
– कट्टरपंथी दंगाई गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्श रहे
बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर हिंदुओं ने बवाल काट दिया है। बांग्लादेश के हिंदू सड़क पर उतर आए हैं और यूनुस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर पुलिस से लेकर सेना तक सभी हिंदुओं पर अत्याचार कर रही है। इस्लामिक कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। बांग्लादेश की सड़कों पर हिंदुओं के काटने के नारे लगाए जा रहे हैं। बांग्लादेश का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ दिल दहला देनेवाले नारे लगा रहे हैं। हिंदुओं की बस्तियों में जाकर उन्हें ढूंढ़-ढूंढ़कर मारा जा रहा है। स्थिति इतनी भयावह है कि हिंदू समुदाय के लोग पूरी रात डर-डरकर रहने को मजबूर हैं। बांग्‍लादेश में हिंदू किस कदर खतरे में हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के चरमपंथी दल गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्‍श रहे हैं। ताजा हिंसा का मामला किशोरगंज जिले के भैराब शहर से सामने आया है, जहां एक हिंदू परिवार के ४ लोग एक अपार्टमेंट में मृत पाए गए हैं। मृतकों की पहचान ३२ वर्षीय जॉनी बिस्वास, उनकी गर्भवती पत्नी और उनके दो बच्चों के रूप में हुई है। पुलिस ने बुधवार को हत्या का मामला दर्ज किया। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के निरस्त होने के बाद से ही हिंदुओं पर जमकर अत्याचार हो रहा है। इसी कड़ी में इस्‍कॉन के पुजारी चिन्‍मय प्रभु को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस प्रशासन की दिखी क्रूरता
ऐसी क्रूरता के बाद पुलिस प्रशासन की बर्बरता भी देखिए कि पुलिस प्रशासन इस हत्याकांड को आत्महत्या की तरह पेश कर रहा है। स्थानीय पुलिस ने कहा है कि जॉनी ने अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करने के बाद खुद को भी मौत के घाट उतार लिया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा है, `हम मामले की जांच कर रहे हैं।’

महाराष्ट्र में भी कोई लो-प्रोफाइल बनेगा सीएम! …फडणवीस के अरमानों पर फिरेगा पानी

रामदिनेश यादव / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने जीत तो हासिल कर ली है, लेकिन सरकार गठन को लेकर महायुति के नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। २३ तारीख को जारी हुए नतीजों के बाद से अब तक महायुति में सीएम चेहरे का निर्णय नहीं हो पाया। प्रदेश में दोबारा सीएम बनने की चाह रखनेवाले एकनाथ शिंदे तो किसी दबाव के चलते पीछे हो गए हैं, दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस के नाम की अब तक घोषणा नहीं होने से लोगों के मन में शंका बढ़ती जा रही है कि भाजपा फडणवीस को विधानसभा चुनाव में उनकी मेहनत का फल देगी या राजस्थान और मध्य प्रदेश का पैटर्न अपनाएगी और यहां न तो शिंदे और न ही देवेंद्र फडणवीस, बल्कि किसी तीसरे को सीएम बनाएगी। संभवत: भाजपा महाराष्ट्र में किसी नए चेहरे को सीएम बनाना चाहती है।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश में गठित होनेवाली महायुति सरकार में सीएम पद पर भाजपा बहुत ही विचार-विमर्श के साथ चयन करेगी। शिंदे की खराब छवि के चलते उन्हें पहले ही मना कर दिया गया है। अपनी लाज बचाने के लिए शिंदे ने खुद ही अपने आप को सीएम पद की रेस से अलग कर लिया है। अब बचे फडणवीस, चूंकि फडणवीस ब्राह्मण समाज से हैं, राज्य का मराठा समाज उन्हें पहले ही पसंद नहीं कर रहा है। मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि यदि फडणवीस सीएम बने तो फिर आंदोलन होगा। इन्हें बनाने से ओबीसी और मराठा समाज में तनाव बढ़ जाएगा, जो राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ और भाजपा दोनों को रास नहीं आएगा, ऐसे में भाजपा फडणवीस के नाम पर भी एकमत नहीं हो पा रही है। साथ ही फडणवीस को भाजपा केंद्रीय टीम में बड़ा पद देना चाहती है इसलिए भाजपा प्रदेश में लो-प्रोफाइल के विधायक को सीएम बना सकती है। इस रेस में अब मराठा नेता विनोद तावड़े का नाम भी आगे आया है, पिछड़े समाज से आनेवाले सुधीर मुनगंटीवार, आरएसएस में मजबूत पकड़ रखनेवाले और अमित शाह के करीबी चंद्रकांत पाटील, इसके अलावा संघ के करीबी कई नेता हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश और राजस्थान पैटर्न पर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। दरअसल, भाजपा राज्य में भविष्य को देखते हुए जातीय समीकरण साधने का प्रयास कर रही है। इस बार किसी तरह बहुमत तो मिल गया है, लेकिन जो गंध भाजपा ने मचाई है यदि जातीय समीकरण सही नहीं बैठा तो सरकार की नाक में मराठा और ओबीसी समाज दम कर देंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से भाजपा में मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अभियान जारी है। इसके लिए भाजपा में बैठकों का दौर भी जारी है। कभी महाराष्ट्र, तो कभी दिल्ली में बैठकें हो रही हैं। कल सुबह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, तो शाम को अजीत पवार के साथ बैठक की, लेकिन सीएम किसे बनाया जाएगा? इस पर कोई निर्णय बाहर नहीं आया। भाजपा नेताओं के बीच अब प्रदेश में मुख्यमंत्री के लिए सही चेहरे की तलाश करना बड़ी समस्या बन गया है। सीएम के पद पर किसे चुना जाए, भाजपा की कोर कमिटी की बैठक के बाद भी मामला उलझा है।

भाजपा के ९२ निर्वाचित विधायक निकले दागी!… ४० पर गंभीर मामले दर्ज

-हत्या और भ्रष्टाचार जैसे संगीन अपराधों में शामिल
– एडीआर की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
देशभर में चर्चित महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक चौंकानेवाली रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के अनुसार,भाजपा के ९२ विधायकों दागी बताया गया है, वहीं ४० विधायकों पर गंभीर मामले दर्ज किए गए है। जो संगीन मामले दर्ज किए गए है उसमें हत्या और भ्रष्टाचार जैसे मामलों का समावेश है।
खास बात यह है कि ज्यादातर विधायकों पर महिलाओं पर अत्याचार, भ्रष्टाचार, हत्या, हत्या का प्रयास और चुनावी संबंधी अपराध जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं।
किसके कितने विधायक दागी
भाजपा के कुल १३२ जीते विधायको में से ९२ पर विभिन्न आपराधिक मामले, जबकि इनमें से ४० प्रतिशत पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं। शिंदे गुट के ५७ विधायक चुने गए हैं। इनमें से ३८ पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ४७ प्रतिशत पर गंभीर अपराध दर्ज है। अजीत पवार गुट के ४१ निर्वाचित विधायको में से २० पर अपराध दर्ज है।
करोड़पति विधायक और संपत्ति का विवरण
महायुति में अजीत पवार गुट के सभी विधायक करोड़पति हैं, जबकि भाजपा और शिंदे गुट के ९८ प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं। कांग्रेस के साजिद पठान सबसे गरीब विधायक हैं, इनकी संपत्ति संपत्ति ९ लाख रुपए है। भाजपा के श्याम खोडे के पास ३१ लाख और गोपीचंद पडलकर के पास ६५ लाख रुपए की संपत्ति है, जो सबसे कम अमीर विधायकों की सूची में है।
सबसे युवा और वरिष्ठ विधायक
सबसे युवा विधायक की सूची में रोहित पवार टॉप पर हैं। उनकी उम्र २५ वर्ष है, जबकि सबसे वरिष्ठ विधायक की सूची में छगन भुजबल टॉप पर हैं उनकी उम्र ७७ वर्ष है।

बेरोजगारी बढ़ रही है, सरकार बाजीगरी कर रही है … `हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा कहां गया?’ …कांग्रेस ने साधा केंद्र पर निशाना

कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। उसने महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। कहा कि पीएम का पूरा ध्यान महंगाई घटाने पर नहीं, बल्कि महंगाई के आंकड़ों को कम दिखाने पर है। कांग्रेस के प्रभारी महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने `एक्स’ पर दो पन्नों का बड़ा बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार का ध्यान महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान करने की बजाए आंकड़ों में हेर-फेर करके सच्चाई को छुपाने पर है। लोग त्रस्त हैं और सरकार आंकड़ों की बाजीगरी करने में मस्त है।
जयराम रमेश ने कहा, `रोजगार के वादों में भी खेल खेला गया। हर साल दो करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन जब बेरोजगारी बढ़ने लगी, तब इसके आंकड़ों को छिपाने के लिए सर्वेक्षणों और रिपोर्टस को रोका गया या संशोधित किया गया। रोजगार के मानदंडों में बदलाव कर स्वरोजगार, मुद्रा लोन लेने और अस्थायी नौकरियों को स्थायी रोजगार के रूप में गिना गया, ताकि बेरोजगारी के वास्तविक आंकड़े छिपाए जा सकें। साथ ही, ईपीएफओ डेटा और स्टार्टअप्स को भी रोजगार वृद्धि का हिस्सा दिखाकर रोजगार की स्थिति को कृत्रिम रूप से बेहतर प्रस्तुत किया गया।’ उन्होंने लिखा, `प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान महंगाई घटाने पर नहीं, बल्कि केवल महंगाई के आंकड़ों को कम दिखाने पर है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों को इस तरह से पेश करने की कोशिश जा रही है कि महंगाई नियंत्रित दिखे, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि आम जनता की जेब पर बोझ लगातार बढ़ रहा है।

डिजिटल इंडिया फेल : स्कैमर्स ने लूटे रु. ११,३०० करोड़ …निवेश के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी

– डिजिटल सुरक्षा न होने से निवेशकों में बढ़ी चिंता
सामना संवाददाता / मुंबई 
देश में साइबर अपराधियों की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल २०२४ के शुरुआती ९ महीने में साइबर धोखाधड़ी के चलते भारतीय नागरिकों को स्कैमर्स ने करीब ११,३३३ करोड़ रुपए का चूना लगाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लगभग १२ लाख साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज की गई हैं।
‘सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्राॅड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के आंकड़ों के अनुसार,१२ लाख से ज्यादा साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें शेयर बाजार में निवेश के नाम पर लोगों से सबसे ज्यादा धोखाधड़ी की गई है। इन १२ लाख शिकायतों में २.२८ लाख शिकायतें शेयर बाजार में निवेश से जुड़ी हुई थीं। इससे लोगों को ४,६३६ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस साल की शुरुआत यानी जनवरी से लेकर सितंबर तक डिजिटल अरेस्ट की ६३,४८१ शिकायतें मिली हैं, जिनसे १,६१६ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि साइबर फ्राॅड निवेश और नौकरी, तुरंत लोन, डिजिटल अरेस्ट, डेटिंग, फर्जी गेमिंग ऐप और सेक्सटॉर्शन जैसे तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
सीएफसीएफआरएमएस के पास २०२३ में साइबर अपराधों से संबंधित ११,३१,२२१, २०२२ में ५,१४,७४१ और २०२१ में १,३५,२४२ शिकायतें आई थीं। वहीं, इस साल की पहली तिमाही में केवल डिजिटल अरेस्ट के चलते लोग १२०.३ करोड़ रुपए गंवा चुके हैं।