लोग कहते हैं कि मुंबई में हर चीज मिल सकती है, लेकिन सिर छुपाने के लिए छत नहीं। कुछ हद तक यह बात सही भी है। लोग अपना घर उसी को किराए पर देना चाहते हैं, जिनका परिवार होता है। सिंगल आदमी या औरत को घर देने से लोग हिचकते हैं। ‘देव डी’, ‘लागा चुनरी में दाग’, ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी कल्कि कोएचलिन ने एक बातचीत में बताया कि मुंबई में सिंगल वुमेन के लिए किराए का घर ढूंढ़ना आसान नहीं है। अनुराग कश्यप से जब उनका तलाक हुआ, तब तक उनकी दो फिल्में ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ और जवानी दीवानी’ रिलीज हो चुकी थी और वो एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी थीं। बतौर कल्कि, ‘तलाक के बाद मुझे रहने के लिए जगह नहीं मिली। कोई भी मुझे मुंबई में अकेली महिला के रूप में किराए पर घर नहीं देता था। मैं सोचती थी, मैं फेमस हूं। आप मेरे साथ सेल्फी लेना चाहते हैं, लेकिन आप मुझे घर नहीं देना चाहते।’
नहीं था तिशा को कैंसर!
अपनों को खोना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। जुलाई के महीने में अपनी २० वर्षीय बेटी तिशा कुमार को खो चुकीं किशन कुमार की पत्नी तान्या सिंह के लिए भी अपनी बेटी को भुला पाना आसान नहीं है। तिशा आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर अपनी हालिया पोस्ट में खुलासा करते हुए तान्या ने बताया कि उनकी बेटी तिशा की मौत कैंसर की वजह से नहीं, बल्कि लापरवाही की वजह से हुई। इसके साथ ही माता-पिता को आगाह करते हुए उन्होंने एक जरूरी मैसेज भी लिखा। तान्या ने अपनी पोस्ट में लिखा कि तिशा बहुत बहादुर और निडर थी। शुरू में उसे ‘कैंसर’ नहीं था। १५-१६ साल की उम्र में उसे एक वैक्सीन लगी थी, जिससे एक ऑटोइम्यून स्थिति शुरू हो गई थी, जिसका गलत इलाज हुआ। इस बारे में हमें पता नहीं था। उन्होंने माता-पिता को सलाह देते हुए लिखा कि बोन मैरो टेस्ट या बायोप्सी करवाने से पहले डॉक्टर से दूसरी-तीसरी राय जरूर ले लें। हम इन जानकारियों के मिलने से बहुत पहले ही ‘मेडिकल ट्रैप’ में फंस चुके थे। मैं रोज प्रार्थना करती हूं कि बच्चे कभी इस निर्दयी मेडिकल ट्रैप और छिपी नकारात्मक ताकतों के जाल में न फंसें।
आउट ऑफ पवेलियन : जिम में मौत …स्टेरॉयड बना यमदूत
अमिताभ श्रीवास्तव
विश्व का एक बेहतरीन बॉडी बिल्डर अपने दोस्तों के साथ जिम में कसरत कर रहा था। देखते ही देखते वो नीचे गिरा और उसकी मौत हो गई। उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी। २८ वर्षीय जोस मैटियस कोरेया सिल्वा ने हाल ही मे १०० किलोग्राम की बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था। अपने शरीर को अधिक से अधिक मजबूत बनाने के लिए जोस ब्रासीलिया अगुआस क्लारस में अपने मित्रों के साथ जिम में कसरत कर रहा था कि अचानक वो नीचे गिर पड़ा। उसके दोस्त कुछ समझ पाते इतने में ही बेहोश हुए जोस की धड़कने बंद हो गर्इं। हालांकि, उसके मित्रों ने जोस को निकटवर्ती अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उन्हें बचाने के सारे प्रयास असफल रहे। जिम में मौत होना कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी कई ऐसे बॉडी बिल्डर हैं, आम लोग हैं जो अचानक चल बसे हैं। क्यों होता है ऐसा? जोस की मृत्यु के बाद एक बार फिर इस बात की बहस छिड़ गई है कि वो कौन से कारण हैं जिससे मौत हो जाती है? कुछ लोगों ने जोस मैटीयस की मौत का कारण एनाबोलिक स्टेरॉयड के सेवन को बताया है, हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उन्हें अचानक दिल का दौरा क्यों पड़ा? मगर स्टेरॉयड ही यमदूत बना है ऐसा लगभग सारे जानकार बताते हैं। सिलीन रोड्रिग्स डी ब्रिटो ने फेसबुक पर जोस की प्रतिस्पर्धा के दौरान की तस्वीरों को पोस्ट किया है, पहले की और उनकी हाल की तस्वीरों की तुलना करते हुए लिखा है कि यह आश्चर्यजनक है कि एनाबोलिक स्टेरॉयड के उपयोग से ये बॉडीबिल्डर इतनी जल्दी बूढ़े हो जाते हैं। उसने लिखा कि, ‘वह २८ साल का था लेकिन उसकी उम्र दोगुनी लग रही थी। कितना दुखद है यह! मुझे उम्मीद है कि भगवान उसे अच्छी जगह पर रखेगा।’ एक अन्य ने कहा, ‘मैं किसी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन वह व्यक्ति २८ वर्ष का था और उसका चेहरा ५० वर्षीय व्यक्ति जैसा था। उसने लिखा, ‘हम जानते हैं कि कुछ एनाबॉलिक स्टेरॉयड लोगों की उम्र बढ़ाते हैं, यह एक तथ्य है। आप मांसपेशियों का द्रव्यमान बढ़ाते हैं लेकिन आप कई अन्य चीजें खो देते हैं। मैंने एक युवा मित्र भी खो दिया, जो जोस की ही उम्र का था। उन्होंने कहा, ‘वह शराब नहीं पीते थे और न ही नशीली दवाएं लेते थे और उन्होंने मुश्किल से ही प्रशिक्षण लिया था। लेकिन उन्होंने अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने और प्रशिक्षण के दौरान अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए पोटेने नामक एक मल्टी-विटामिन दवा का उपयोग करना शुरू कर दिया। एक दिन उन्होंने इसके साथ वैâफीन लेने का पैâसला किया और दुर्भाग्यवश उन्हें दिल का दौरा पड़ गया।’
हालांकि, रिपोर्ट से जो पुष्टि हुई है वह बताती है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जोस अपने शारीरिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एनाबोलिक स्टेरॉयड का उपयोग कर रहे थे। फिटनेस के प्रति उत्साही व्यक्ति को श्रद्धांजलि दी गई है, जो एक ऑनलाइन सप्लीमेंट स्टोर के भी मालिक थे। उनके भाई टियागो ने कहा, ‘आप अविश्वसनीय थे। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आपसे प्यार करता हूं। स्वर्ग को एक देवदूत मिल गया है। जोस एक बहुत प्रिय व्यक्ति था।’ जोस के अंतिम संस्कार में सैकड़ों लोग शोक संतप्त हुए, इतने अधिक कि वे अंतिम संस्कार स्थल से बाहर ही निकल गए। टियागो ने टिप्पणी की, ‘वहां इतने सारे लोग थे कि वे चैपल के अंदर समा नहीं सके।’
बताया जाता है कि जब जोस की मौत हुई तो वह पेशेवर प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले रहे थे, लेकिन वह स्वयं को व्यस्त रखते थे। वह अन्य बॉडीबिल्डरों को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने के लिए जाने जाते थे और वह एक योग्य वकील भी थे। फिटनेस के इस दीवाने ने २०१८ दक्षिण अमेरिकी चैंपियनशिप में १७९ सेमी तक के पुरुष फिजिक वर्ग में नौवां स्थान हासिल किया था। इससे एक वर्ष पहले अर्नाल्ड क्लासिक साउथ अमेरिका में १०० किग्रा तक के पुरुष बॉडी बिल्डिंग वर्ग में ११ वां स्थान प्राप्त करने के बाद यह उपलब्धि प्राप्त हुई।
क्यों बैन हुई टेनिस सुंदरी?
विश्व की दूसरे नंबर की टेनिस खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब वो टेनिस खेलते हुए नहीं दिखेगी जबकि हाल ही में कई टूर्नामेंट हैं जिसमें उसे भाग लेना था। उस पर बैन की खबर से पैंâस में जहां निराशा छा गई, वहीं सवाल था कि आखिर क्यों बैन कर दिया गया? दरअसल, इगा स्वियाटेक को प्रतिबंधित पदार्थ सेवन करने के मामले में रिपोर्ट पाजेटिव आई थी इसके बाद उसे एक महीने का डोपिंग निलंबन दिया गया है। पोलैंड की इस खिलाड़ी को उस वक्त विश्व में नंबर एक स्थान प्राप्त हुआ था, जब उन्होंने १२ अगस्त को प्रतियोगिता से इतर नमूने में एनजाइना की दवा ट्राइमेटाजिडाइन युक्त नमूना दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय टेनिस इंटीग्रिटी एजेंसी के एक बयान में कहा गया है, ‘आईटीआईए ने स्वीकार किया कि सकारात्मक परीक्षण पोलैंड में निर्मित और बेची गई एक विनियमित गैर-पर्चे वाली दवा (मेलाटोनिन) के संदूषण के कारण हुआ था, जिसे खिलाड़ी जेट लैग और नींद की समस्याओं के लिए ले रही थी। स्वियाटेक, जो अब दूसरे स्थान पर हैं, उन्हें अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया गया है, जिसके कारण वे तीन टूर्नामेंटों में भाग नहीं ले पाएंगी तथा उन्हें आठ दिन और सजा काटनी होगी। डब्ल्यूटीए के एक बयान में कहा गया है, ‘डब्ल्यूटीए अंतर्राष्ट्रीय टेनिस अखंडता संघ (आईटीआईए) – जो टेनिस एंटी-डोपिंग प्रोग्राम (टीएडीपी) का प्रबंधन करता है – द्वारा इगा स्वियाटेक को एक महीने का निलंबन जारी करने के निर्णय को स्वीकार करता है, क्योंकि प्रतिबंधित पदार्थ ट्राइमेटाजिडाइन के लिए उनके सकारात्मक परीक्षण के स्रोत के रूप में एक दूषित विनियमित दवा (मेलाटोनिन) की पहचान की गई थी।’ इस कठिन समय में डब्ल्यूटीए इगा का पूर्ण समर्थन करता है। इगा हमेशा निष्पक्ष खेल और स्वच्छ खेल की भावनाओं को बनाए रखने के लिए पहचानी जाती है। मगर अनजाने में ली गई दवा उसके लिए बैन का कारण बन गई।
‘लॉर्ड’ का जलवा फीका
शार्दुल ठाकुर को भारतीय क्रिकेट ड्रेसिंग रूम में ‘लॉर्ड’ कहा जाता है, लेकिन लगता है इस समय उनके सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। चोट से वापसी कर रहे शार्दुल हाल ही में संपन्न आईपीएल मेगा ऑक्शन में भी अनसोल्ड रहे। पिछले तीन सीजन में शार्दुल के प्रदर्शन में गिरावट आई है। लेकिन अब उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के इतिहास में सबसे खराब गेंदबाजी की। शार्दुल ठाकुर ने केरल के खिलाफ ६९ रन देकर १ विकेट लिया, जो संयुक्त रूप से सबसे महंगा ओवर है। शार्दुल से पहले अरुणाचल प्रदेश के रमेश राहुल टूर्नामेंट के सबसे महंगे गेंदबाज थे। उन्होंने कुछ दिन पहले हरियाणा के खिलाफ ६९ रन लुटाए थे। पिछला रिकॉर्ड हैदराबाद के पगडाला नायडू (१/६७) के नाम था। उन्होंने २०१० में मुंबई के खिलाफ यह कारनामा किया था। शार्दुल ठाकुर को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम में भी नहीं चुना गया। पर्थ रवाना होने से पहले टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ने कहा था कि प्रबंधन शार्दुल ठाकुर से आगे बढ़ चुका है, जो ऑस्ट्रेलिया में पिछली बार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने वाली टीम के हीरो में से एक थे। हालांकि, ३३ वर्षीय खिलाड़ी ने भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी है। २०२४ सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए ९ मैचों में शार्दुल ने ६१.८० की औसत से सिर्फ पांच विकेट लिए। हालांकि, इकॉनोमी उनकी सबसे बड़ी ताकत नहीं रही है, लेकिन जब वह अच्छे फॉर्म में थे तो विकेट लेने और महत्वपूर्ण साझेदारियों को तोड़ना उनकी खूबी थी। पिछले कुछ वर्षों में वे विकेट नहीं ले पा रहे हैं।
तिलमिलाया पाक
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मीटिंग में विदेश मंत्रालय ने यह पैâसला लिया है कि वह टीम इंडिया को पाकिस्तान में किसी भी सूरत में नहीं भेजेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, बीसीसीआई ने एक बयान जारी किया है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। जिसका मतलब है कि उनके पाकिस्तान जाने की संभावना नहीं है। इस पैâसले के बाद से पाकिस्तान तिलमिला गया है। बता दें कि चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन अगले साल पाकिस्तान में होना है। भारत सरकार ने कहा है कि अगर पाकिस्तान हाइब्रिड मॉडल के लिए तैयार नहीं होता है तो भारत इसकी मेजबानी की जिम्मेदारी लेगा। भारत आने के लिए विदेशी खिलाड़ियों को कोई दिक्कत नहीं आएगी। बीसीसीआई ने इसी बात को मीटिंग में रखा है। इसकी उम्मीद अब काफी कम है कि भारतीय टीम पाकिस्तान जाएगी। भारत सरकार ने साफ कह दिया है कि वह टीम नहीं भेजेगा। वहीं, पीसीबी हाइब्रिड मॉडल के लिए तैयार नहीं है। पीसीबी के एक सूत्र ने बताया कि अगर पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ की मेजबानी के अधिकार खो देता है तो वह इस आयोजन से पीछे हट जाएगा। सरकार जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, उनमें से एक विकल्प यह है कि पीसीबी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी में भाग ही न ले।
इंडिया इन, पाकिस्तान आउट
पर्थ टेस्ट मैच जीतने के बाद टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की पॉइंट्स टेबल में तगड़ा फायदा हुआ। पर्थ टेस्ट से पहले टीम इंडिया पॉइंट्स टेबल में दूसरे नंबर पर थी, लेकिन पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद भारतीय टीम फिर से पहले पायदान पर पहुंच गई थी। साउथ अप्रâीका और श्रीलंका के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच पर अप्रâीका की पकड़ मजबूत दिखाई दे रही है। अगर कीवी टीम इस मैच को जीत जाती है तो वो फिर डब्ल्यूटीसी फाइनल की पॉइंट्स टेबल में तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी, जबकि श्रीलंका की टीम नीचे खिसक जाएगी। फिलहाल, पॉइंट्स टेबल में साउथ अप्रâीका पांचवें और श्रीलंका तीसरे पायदान पर बनी हुई है। इसके अलावा न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच भी तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला खेला जा रहा है। जो भी टीम इस मैच को जीत लेगी उसको १२ पॉइंट्स मिलेंगे। अगर न्यूजीलैंड की टीम पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड को हरा देती है तो फिर वो भी तीसरे स्थान पर पहुंच सकती है। वहीं अगर इंग्लैड इस मैच को जीतने में कामयाब हो जाती है तो उसको भी थोड़ा फायदा मिलेगा। फिलहाल इंग्लैंड की टीम पॉइंट्स टेबल में छठे पायदान पर बनी हुई है। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की रेस से पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश की टीमें बाहर हो चुकी हैं। डब्ल्यूटीसी फाइनल की पॉइंट्स टेबल में पाकिस्तान सातवें, वेस्टइंडीज आठवें और बांग्लादेश की टीम नौवें स्थान पर बनी हुई है।
सुर्खियों में फिलिप्स का कैच!
मौजूदा समय में इंग्लैंड की टीम न्यूजीलैंड दौरे पर है, जहां दोनों टीमों के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज जारी है। सीरीज का पहला मुकाबला २८ नवंबर से क्राइस्टचर्च में खेला जा रहा है। यहां कीवी ऑलराउंडर ग्लेन फिलिप्स ने एक हैरतअंगेज कैच पकड़ते हुए सबको अपना दीवाना बना लिया है। यह खूबसूरत नजारा इंग्लैंड की बल्लेबाजी के दौरान ५३वें ओवर में देखने को मिला। विपक्षी टीम की तरफ से अनुभवी तेज गेंदबाज टिम साउदी गेंदबाजी कर रहे थे। पोप ने साउदी के इस ओवर की दूसरी गेंद जो कि १२५.९ किमी प्रति घंटे की स्पीड से आ रही थी, उसे बैकवर्ड प्वाइंट की दिशा में खेलने का प्रयास किया, मगर यहां तैनात फिलिप्स ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने लेफ्ट साइड में छलांग लगाते हुए लगभग असंभव वैâच को संभव बना दिया।
मुंबई का माफियानामा : चुनाव आयोग की मुश्किल!
विवेक अग्रवाल
हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
अबू के चुनाव लड़ने की योजना पता चलते ही सीबीआई हरकत में आ गई। पुर्तगाल में सजा काटने के आधार पर उसका नामांकन रद्द करवाने की तैयारी शुरू हो गई। सीबीआई अधिकारियों ने कुछ लिखित जानकारी संबंधित मंत्रालयों और विभागों को भेजी और वह थी कि तीन साल से अधिक समय तक अबू ने मोनिका के साथ नकली पासपोर्ट एवं वीजा पर पुर्तगाल में रहने के आरोप साबित होने पर लिस्बन जेल में काटने संबंधी।
अब सवाल खड़ा हो गया कि किसी को विदेश में काटी सजा के आधार पर देश में चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? अबू के वकील अशोक सरावगी और हिंदी फिल्मों के अभिनेता सत्येंद्र सिंह ने मिलकर उसी दौरान राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी (आरएसपी) का गठन किया था। सरावगी कहते हैं कि हमने चुनाव आयोग में राजनीतिक दल के पंजीकरण का अगस्त २००६ में आवेदन कर दिया था। उनसे मंजूरी भी मिल गई। वर्तमान दलों से परेशान लोगों के लिए आरएसपी अच्छा विकल्प होगा। हमने सत्येंद्र सिंह को दल का अध्यक्ष बनाया है।
ये बात और है कि इस दल के कितने सदस्य बने, किसी को आज तक नहीं पता। उन्हें मोटरसाइकिल चुनाव चिह्न भी आवंटित हो गया। इस दल के महासचिव अशोक सरावगी खुद बने। आरएसपी ने २० सीटों पर चुनाव लड़ना तय किया।
अबू ने अपने गांव मुबारकपुर से चुनावी दंगल में खम ठोकने का इरादा किया। अब ये कोई नहीं बता सकता कि विदेश में सजा काटने के करण अबू को आचार संहिता के तहत चुनाव लड़ने से चुनाव आयोग रोक पाया या नहीं, लेकिन ये जरूर था कि अबू खुद ही चुनाव नहीं लड़ा।
इस बार अबू नहीं, उनके वकील अशोक सरावगी के लिए कान में अबू के एक बंदे ने मंत्र फूंका-
‘सॉलिड फट्टे है भाय ये काला कोट।’
टायर पर चाकूबाजी का अभ्यास
वह एमपीडीए में पहले भी गिरफ्तार हो चुका है। उसका पूरे उल्हासनगर इलाके में खासा आतंक था। इसके पहले भी उसे एक बार अदालत दो साल के लिए तड़ीपार कर चुकी थी। उस वक्त तक उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, हफ्तावसूली, धमकियां देने जैसे कुल २५ मामले दर्ज थे। ठाणे के खतरनाक गुंडे दीपक सोंडे को अदालत ने दिसंबर २००३ के अंतिम सप्ताह में दो साल के लिए ठाणे, मुंबई और रायगढ़ जिलों की सरहद से दूर रहने यानी तड़ीपारी के आदेश सुनाए।
दीपक सोंडे ठाणे जिले की उस दस नंबरी सूची में भी था, जिसके बारे में आम धारणा है कि एक बार जो गुंडा इसमें आ जाता है, उसका अघोषित ‘ब्लैक वारंट’ कट जाता है। दीपक का अपराध जगत में प्रवेश ठाणे जिले में ८० के दशक के आरंभ में डवैâतियों से हुआ था। उसने उल्हासनगर के दो प्रमुख गिरोहों गोपाल राजवानी और पप्पू कालानी के बीच कई बार आयाराम-गयाराम नेताओं की तरह गिरोह बदले थे। तड़ीपारी के ठीक पहले वह विधायक और गिरोह सरगना पप्पू कालानी के साथ था। दीपक सोंडे की पत्नी मीना सोंडे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की उल्हासनगर जिले की अध्यक्ष थी। वह एनसीपी के टिकट पर मनपा का चुनाव लड़ी और पार्षद बनी थी।
उसके बारे में एक पुलिस अधिकारी बताते हैं कि हत्या करने के लिए उसने चाकू को मुख्य हथियार बनाया था। हत्या में पारंगत होने के लिए वह ट्रक और बसों के टायरों पर अभ्यास करता था। इस तरह उसने किसी शिकार के शरीर में चाकू न केवल तेजी से घुसाने बल्कि उसे घुमाने और बाहर निकालने का अच्छा अभ्यास कर लिया था। इसके कारण उसकी कलाइयों में खासी मजबूती आ गई। वह बड़ा जबरदस्त चाकूबाज बन गया था।
एक दिन अदालत के बाहर दीपक से मुलाकात करने के बाद रुखसत हो रहा था कि पास में एक बंदा आया, धीरे से कान में फुसफुसाया-
‘येड़ा बन के पेड़ा खाने में मास्टर है ये सर, थोड़ा संभल के रहने का।’
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)
ब्रजभाषा व्यंग्य : मथुरा-वृंदावन के बंदर
नवीन सी. चतुर्वेदी
घुटरूमल जी बोले बड़े साल’न बाद आये हौ चलौ तीन वन की परकम्मा दै आमें। दिवारी के बाद देवोत्थान एकादशी के दिन तीन वन की परकम्मा लगै। मथुरा, गरुण-गोविंद और वृंदावन इन तीन वन’न की परकम्मा। हमनें पूछी घुटरूमल जी मथुरा, वृंदावन तौ अब स्मार्ट सिटी जैसे है गये फिर नाम तीन वन की परकम्मा क्यों? वे बोले गुरूजी नाम में का रखौ है! अगर काहु पार्टी कौ नाम सत्यवादी पार्टी होय तौ वाकौ सत्यवादी हैवौ जरूरी थोरें ई होवै। सब्द’न पै नाँय भावना’न पै ध्यान देउ।
खैर, हम परकम्मा दैवे निकसे। जैसें ही हमनें वृंदावन की सीमा में प्रवेश कियौ घुटरूमल जी नें सचेत कियौ गुरूजी वृंदावन आय गयौ नेंक बंदर’न सों बचते भए। हमनें कही भैया आप तौ ऐसें कह रहे हौ जैसें हम परदेसी होंय! बंदर तौ अपनी मथुरा में हु हैं। वे बोले मथुरा के बंदर अलग और वृंदावन के अलग। हमनें पूछी कैसें? बोले, मथुरा के बंदर संतोसी ब्राह्मण जैसे हैं, पेट खाली रहै तभी तक घुर्रामें, पेट भर जाय तौ कहूँ एकांत में जाय कें अराम फरमान लगें। किंतु वृंदावन वारे एकदम प्रोफेशनल, बाकायदा ट्रेनिंग मिली होय ऐसौ लगै। इनकौ डर ऐसौ है कि ये तौ खुले में घूम रहे हैं और लोगबाग घर’न में पिंजरा की तरें रहवे कों मजबूर। यै ही हालत रही तौ वौ दिन दूर नाँय जब लोग पिंजरा में बंद है कें बाहर निकसौ करंगे! काऊ जिम्नास्टिक प्लेयर की तरें आपके चस्मा पै झपट्टा मार कें बगल की बिल्डिंग पै चढ़ जामें मगर नजर’न सों ओझल नाँय होमें। धमकाऊ नेता’न की तरें डरामें परंतु चस्मा पकरें रहें। प्रोफेसनल नेगोशिएटर की तरें। जब तक फ्रूटी या बिस्किट नहीं मिलै तब तक चस्मा नहीं छोड़ें। अनशन-आंदोलन वारे’न कों हु मात करें ऐसे अद्भुत हैं ये वृंदावन के बंदर।
इतनों ही नाँय बंदर’न के लिएं फ्रूटी फेंकवे वारे हु फुल्ली एक्सपर्ट। इनके आगें पोलिटिकल-एजेंट हू पानी भरें। फ्रूटी कब-कहाँ-कैसें फेंकनी है इनते सीखौ। कभू-कभू ऐसौ हु लगै जैसें ये बंदर’न की भासा जानते होंय। जब कोउ बंदर काहु तगड़ी पैसा वारी पार्टी कौ पर्स लै जाय तब पहलें तौ ये वा पार्टी सों पर्स छुड़ायवे की अपनी फीस तय करें फिर फ्रूटी-बिस्किट ऐसें फेंकें कि बंदर के हाथ में ही न आवै। या तरें ये अपनी फीस के सँग-सँग चार-पाँच फ्रूटी-बिस्किट’न के एक्स्ट्रा पैकेट हु जेब में धर लेमें। गुरूजी या ही मारें कही मथुरा के बंदर अलग और वृंदावन वारे अलग। समझदार कों इसारौ काफी होवै। समझौ तौ समझौ नहीं तौ जय राम जी की।
समाज के सिपाही : जिंदगी भर करना चाहती हैं समाजसेवा
सगीर अंसारी
समाज के लिए कुछ करनेवाले अपना रास्ता खुद-ब-खुद बना लेते हैं। ऐसे ही समाजसेवियों में से एक महिला पूर्व सपा नगरसेविका रुखसाना नाजिम सिद्दीकी हैं, जो पिछले २८ वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के समाजसेवा कर रही हैं। समाज के लिए दिन-रात काम करनेवाली रुखसाना सिद्दीकी अपने व्यवसाय के साथ ही पिछड़े व मध्यम लोगों के उद्धार के साथ-साथ महिलाओं की समस्याओं के लिए लगन और मेहनत से काम करती आ रही हैं। २३ वर्ष की उम्र से गरीब व बेसहारा लोगों की मदद करनेवाली रुखसाना सिद्दीकी के काम को देखते हुए समाजवादी पार्टी के मुंबई व महाराष्ट्र अध्यक्ष विधायक अबू हाशिम आजमी ने उन्हें मालाड विधानसभा क्षेत्र में महिला सेल की तालुका अध्यक्ष के पद पर काबिज किया और उनकी महिलाओं के हक दिलाने की लड़ाई को देख कुछ समय बाद उन्हें मुंबई महिला सेल की अध्यक्ष बनाया। वर्ष २०१७ के मनपा चुनाव में वॉर्ड क्र. १३६ से उन्हें उम्मीदवार बनाया, जहां से रुखसाना सिद्दीकी भारी मतों से विजयी होकर मनपा सदन पहुंचीं। गोवंडी के बैगनवाड़ी क्षेत्र में आनेवाला वॉर्ड क्र. १३६ एक स्लम क्षेत्र होने की कारण वहां काफी समस्याएं थीं, जिन्हें अबू हाशिम आजमी की मदद से रुखसाना ने खुद हल किया। घनी आबादी वाले क्षेत्र में बच्चों के खेलने व रहिवासियों के सैर के लिए कोई जगह नहीं थी। इस वजह से बच्चों और रहिवासियों को मजबूरन टहलने और खेलने के लिए डंपिंग रोड का सहारा लेना पड़ता था। लोगों की इस परेशानी को देख रुखसाना सिद्दीकी ने काफी मेहनत के बाद इस क्षेत्र में एक बड़ा गार्डन और बच्चों के खेलने के लिए मैदान का निर्माण करवाया। इसके साथ ही क्षेत्र के खस्ता हाल स्वास्थ्य केंद्र का पुनर्निर्माण करवाया। क्षेत्र में एचबीटी क्लिनिक खुलवाने के साथ ही कमला रामन नगर जैसी घनी आबादी वाले क्षेत्र की खस्ता हाल सड़कों का निर्माण करवाया। क्षेत्र में बढ़ती वारदातों को देखकर काफी जद्दोजहद कर उन्होंने एक पुलिस बीट का भी निर्माण करवाया। रुखसाना सिद्दीकी का कहना है कि यह समाज सेवा उन्हें अपनी मां से विरासत में मिली है। उन्होंने बताया कि उनकी मां भी इसी तरह गरीब दुखियारों की मदद के लिए हमेशा आगे रहीं। तन-मन-धन से गरीबों की हर तरह से मदद करनेवाली रुखसाना सिद्दीकी ने भी अपनी मां के इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए अपनी जिंदगी समाजसेवा के नाम कर दी।