मुंबई का माफियानामा : एक अधूरा ख्वाब : अबू भाई एमएलए

विवेक अग्रवाल

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।

उसे भी विधायकी का शौक चर्राया था। वह भी नेताजी होने की ओर चल पड़ा। अबू सालेम ने भी अरुण गवली की तरह अनोखा ख्वाब देखा। उसे भी लगा कि आज जो पुलिस वाले उसे दुत्कारते हैं, कल उसे सलामी देंगे। उसे जो आज जेलों में ठूंसते हैं, वे ही कल उसके साथ विधानसभा में बैठैंगे। जो जनता उससे भयभीत होकर भागती है, कल उसके दरबार में भीड़ की शक्ल में मौजूद होगी।
नवंबर २००६ में अबू ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मुबारकपुर से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने का मन बनाया। मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन दिया। अबू के वकील अशोक सरावगी के मुताबिक, तमाम जरूरी दस्तावेज संबंधित विभागों को भेजे। पहले तहसील दफ्तर में दस्तावेज गए, फिर जिलाधीश दफ्तर में भेजे। इससे भी पहले, अक्टूूबर २००६ में ही, अबू की तस्वीरों के साथ बैनर और पोस्टर चारों तरफ चस्पा हो गए। इनमें वो लोगों को दीवाली और ईद की मुबारकबाद देता दिख रहा था। ये पोस्टर बहुतायत से मुस्लिम बहुल इलाके में ही लगे। वकील अशोक सरावगी और अबू का परिवार चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उठाने लगे। उन्होंने दावा किया कि कुछ राजनीतिक दलों से सहयोग करने की चर्चा जारी है।
यह तो कार्यक्रम और योजना थी कि चुनाव लड़ेंगे, लेकिन सच क्या रहा। अबू ने न जाने किस नामालूम कारण से चुनाव नहीं लड़ा। पुलिस ने दावा किया कि वो डर गया। खबरियों ने कहा कि डी-कंपनी के तयशुदा हमले के कारण वह पीछे हट गया। राजनीतिक पंडितों ने कहा कि जीत तय थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के आगे झुकना पड़ा। जो भी हुआ… सच ये था कि ‘अबू भाई’ कभी ‘एमएलए अबू सालेम’ नहीं बन सका और एक ख्वाब फिर अधूरा ही रह गया।
ये कहा जाता है-
‘इतना पब्लिकसिटी कर दिया, अबी पबलिक क्या बोलेंगा, सोच के सोचो भाय?’
डी-कंपनी का संप्रदाय!
डी-कंपनी में शामिल होने के लिए कुछ हिंदू गुंडों ने इस्लाम कबूल किया, यह सर्वविदित तथ्य है। ये चंद लोग जानते हैं कि डी-कंपनी के कुछ ऐसे बंदे हुए हैं, जिन्होंने लश्करे-तैय्यबा के साथ काम किया और जिन्होंने ये ‘जोखिम’ उठाया तो उन्हें ‘बहुत कुछ’ गंवाना भी पड़ा। आप पूछेंगे नहीं कि वो क्या था?
पुलिस का दावा है कि ऐसे बंदों को अपना सुख, चैन, परिवार, देश, पहचान ही नहीं, अपना संप्रदाय तक बदलने पर मजबूर होना पड़ा। वे चाहे जिस संप्रदाय से ताल्लुक रखते हों, उन्हें अहले हदीस संप्रदाय का नुमाइंदा बनना पड़ा।
भारतीय खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों के एक अधिकारी जो डी-कंपनी के कारनामों पर पैनी निगाह रखते हैं, साफ कहते हैं कि इस गिरोह के ढेरों सदस्यों ने अहले हदीस की मान्यताओं के मुताबिक तब चलना शुरू किया, जब वे लश्कर के करीब हुए। २२ दिसंबर १९०६ को मरकज-ऐ-जमाईत अहले-हदीस की स्थापना इस्लामी शिक्षा को विस्तार देने के लिए हुई थी। यह कट्टरपंथी संप्रदाय एक वहाबी इस्लामी विद्वान ने स्थापित किया था। १९४७ में इस पर काफी परेशानियां आर्इं, क्योंकि भारत में इसके कम केंद्र थे। अहले हदीस इतना कट्टरवादी था कि उसके समर्थकों ने दरगाह तक जाना बंद कर दिया। कव्वालियां सुनना भी उनके लिए हराम था। इसका समर्थक हफीज सईद बाकी संप्रदायों के खिलाफ भी जहर उगलता है। वह मानता है कि इस्लाम ही दुनिया पर राज करेगा।
आतंकी गिरोह लश्कर से संबंध बनने के पहले तक डी-कंपनी के लिए जाति, संप्रदाय, धर्म इत्यादि के मायने न थे। गिरोह में हर धर्म, प्रांत, भाषा, संप्रदाय, जाति के बंदे थे। सब अपना-अपना काम करते थे। जबसे उनका संबंध लश्कर से बना, इस संप्रदाय विशेष की तरफ उनका झुकाव बढ़ा। इससे किसी को फायदा हो न हो, आतंकी गिरोहों और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई को काफी फायदा पहुंचा। वे आखिरकार हिंदुस्तान की मुकम्मिल तबाही ही नहीं चाहते बल्कि उसे फतह करने का ख्वाब भी देख रहे हैं।
इन हालात से भलीभांति वाकिफ बंदे की खास टिप्पणी-
‘थूक चाट के भूक नहीं मिटता सर, क्या करेंगा… चेंज बोले तो… चेंज।’

(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

तंबाकू-पान के शौकीन यात्रीगण कृपया ध्यान दें ! …तंबाकू की पीक थूकने में चली गई बसयात्री की जान

विक्रम सिंह/सुल्तानपुर 

कृपया चारपहिया वाहनों में सफर करने वाले तंबाकू-सुरती-तांबूल के शौकीन ध्यान दें। यूपी के पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रोडवेज बस से यात्रा कर रहे एक तंबाकू-खैनी के शौकीन युवक की पीक थूकने के चक्कर में शनिवार को जान चली गई।
दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम यूं घटित हुआ। बल्दीराय थानान्तर्गत बीही गांव के पास पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर रोडवेज की पिंक सेवा की बस लखनऊ से आज़मगढ़ की ओर गुजर रही थी। जिसपर लखनऊ के चिनहट थानांतर्गत छतरीक गांव निवासी रामजियावन(५८) भी यात्रा कर रहे थे। बस चालक हरिश्चंद्र तिवारी के अनुसार, तंबाकू खैनी के शौकीन रामजियावन ने तंबाकू की पीक थूकने के लिए चलती बस का दरवाजा अचानक खोला। जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया और वे नीचे सड़क पर जा गिरे। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इसकी सूचना एक्सप्रेस वे सुरक्षा दस्ते के जरिये सुल्तानपुर पुलिस को दी गई। जिसपर दारोगा रामदेव मौके पर पहुंचे और शव को किनारे कर परिवारीजनों को सूचित किया और बस चालक से बयान सहित अन्य विधिक औपचारिकताएं पूर्ण करने की कार्रवाई शुरू कर दी हैं।

ज्ञानवापी को देखने पहुंचा म्यांमार का घुसपैठिया, एटीएस ने दबोचा

उमेश गुप्ता/वाराणसी
यूपी एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) ने शुक्रवार की रात में वाराणसी रेलवे स्टेशन के पास से एक म्यांमार के घुसपैठिया को गिरफ्तार किया है, जो रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध तरीके से भारत में प्रवेश दिलाने का काम करता था। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुल सलाम मंडल के रूप में हुई है।

गिरफ्तारी के दौरान अब्दुल्ला के पास से एक मोबाइल फोन, तीन मेमोरी कार्ड, भारतीय आधार कार्ड, निर्वाचन कार्ड और पैन कार्ड भी बरामद हुए हैं। ये दस्तावेज उसकी अवैध गतिविधियों में उपयोग किए जाने की आशंका है।

सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल्ला लंबे समय से भारत में अवैध घुसपैठियों को प्रवेश दिलाने का काम कर रहा था। वह फर्जी दस्तावेज तैयार कर इन लोगों को भारतीय नागरिकता का भ्रम पैदा करता था। एटीएस को कई महीनों से अब्दुल्ला की तलाश थी और गुप्त सूचना के आधार पर उसे वाराणसी में धर दबोचा गया।

मोहम्मद अब्दुल्ला पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर से गुरुवार की रात वाराणसी पहुंचा था, रात में शहर में जगह जगह घुमा। शुक्रवार दिन में ज्ञानवापी समेत चार मस्जिदों में भी गया था। मोहम्मद अब्दुल्ला ने मेदिनीपुर में अपना ठिकाना बना रखा था। अब्दुल्ला ने एटीएस की पूछताछ बताया कि वह मूल रूप से म्यांमार के मांगडू के अकयाब जनपद का रहने वाला है। उसने पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में थाना गढ़बेटा के दुर्गबनकटी के निवासी के रूप में अपना आधार व अन्य दस्तावेज तैयार कराया। उसने अब्दुल सलाम मंडल पुत्र असगर मंडल के नाम से फर्जी आधार बनवाया है।

काशी में 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम, मां सती की प्रतिमा और शिवलिंग का हुआ अनावरण

उमेश गुप्ता/वाराणसी

शिव की नगरी काशी ने शनिवार को एक ऐसे ऐतिहासिक आयोजन की गवाह बनी, जिसने सनातन धर्म की एकता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस अभूतपूर्व कार्यक्रम का नाम था ‘मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम’। आयोजन का उद्देश्य सनातन धर्म के विभिन्न तीर्थस्थलों और समुदायों को एक मंच पर लाना था।

यह कार्यक्रम वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। इसमें भारत समेत श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से सनातन धर्म के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र, संत प्रखर जी महाराज, कश्मीर शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके बाद मां सती की प्रतिमा और शिवलिंग का अनावरण किया गया।

विशेष रूप से, कार्यक्रम की शुरुआत 51 महिलाओं द्वारा किए गए शंखनाद से हुई। पुष्पवर्षा और स्वागत समारोह के साथ मंच पर उपस्थित अतिथियों का अभिनंदन किया गया।

इस महासमागम में भारत के 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधियों के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के सनातन धर्मावलंबियों ने भाग लिया। आयोजन का मुख्य आकर्षण 400 से अधिक साधु-संतों और पीठाधीश्वरों का समागम रहा।

आयोजन में सनातन धर्म के प्रमुख स्थलों के बीच सामंजस्य की कमी और प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा हुई। आयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि इस समागम का उद्देश्य न केवल धर्मस्थलों के बीच एकता स्थापित करना है, बल्कि सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण को भी बढ़ावा देना है।

विशालाक्षी देवी के महंत राजनाथ तिवारी ने कहा, “काशी में शिव और शक्ति दोनों हैं, लेकिन उनके बीच सामंजस्य का अभाव है। यह आयोजन सनातन धर्म को एकसूत्र में पिरोने का प्रयास है।”

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस आयोजन को प्रदेश और देश के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सनातन धर्म की ध्वजा को और ऊंचा करेगा।

यह महासमागम 1 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें विभिन्न देशों और राज्यों से आए संत-महंत और प्रतिनिधि सनातन धर्म की मजबूती और सामूहिकता पर विचार करेंगे। यह आयोजन न केवल काशी बल्कि पूरे सनातन समाज के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।

वाराणसी के अति व्यस्त रेलवे स्टेशन कैंट के वाहन पार्किंग में लगी भीषण आग, 200 मोटर साईकिल जलकर खाक

उमेश गुप्ता/वाराणसी

वाराणसी के अति व्यस्त रेलवे स्टेशन कैंट पर स्थित वाहन पार्किंग में बीती रात भीषण आग लगने से करीब 200 मोटर साइकिल जलकर खाक हो गई। आग लगने से रेलवे महकमे में हड़कंप मच गया, तो वही सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की आधा दर्जन वाहनों की मदद से घंटों बाद आग पर काबू पाया गया। आग को बुझाने में वाराणसी फायर ब्रिगेड के साथ जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे के कर्मचारी देर रात जुटे रहे। अधिकारियों के अनुसार प्राथमिक जांच में आग की वजह शॉर्ट सर्किट होने का अनुमान है। फिलहाल मौके पर आलाधिकारी जांच में देर रात तक जुटे रहे।

मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर रेलवे के कर्मचारी अपना वाहन पार्किंग में पार्क करते हैं। देर रात 200 से अधिक वाहन पार्किंग में पार्क किया गया था। बीती रात करीब 1 बजे के आस पास शॉर्ट सर्किट की वजह से पार्किंग में खड़ी कुछ वाहनों में आग लग गया। इसकी सूचना मिलते ही कई रेलवे के कर्मचारी अपने वाहनों को हटाने में जुट गए, लेकिन वाहनों में आग की लपटे तेजी से बढ़ी और कुछ ही मिनट में आग ने विकराल रूप ले लिया। कुछ रेलवे कर्मचारी अपने वाहन को पार्किंग के बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन करीब 200 मोटर साइकिल आग की जद में आ गई। स्टेशन पार्किंग में आग लगने की सूचना पर रेलवे के कर्मचारी और फायर ब्रिगेड की टीम के साथ स्थानीय सिगरा थाना, आरपीएफ और जीआरपी के जवान मौके पर पहुंचे और लोगो को वहां से दूर करते हुए आग को बुझाने में जुट गए। रेलवे कर्मचारियों के अनुसार करीब 2 घंटे तक सभी ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया।

 

अगलगी की इस घटना से क्षुब्ध होकर दूसरे दिन रेल कर्मियों ने धरना प्रदर्शन कर रेल प्रशासन से क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए कहा कि हम सभी कर्मचारियों द्वारा बैंकों से कर्ज लेकर वाहन खरीद कर यहां पर नौकरी करने आते थे मगर रेलवे के आला अधिकारियों के लापरवाही की वजह से यह आग लगी। जिस जगह पर आग लगी है वहां सीसी कैमरे भी नहीं है। आगजनी होने वाले स्थान के पास ट्रेन खड़ी थी यात्री हाल भी बगल में थे। इसके अलावा आवासीय क्षेत्र भी आसपास में मौजूद थे। यदि आग़ कुछ और फैल जाता तो काफी भारी भरकम जनहानि भी होती। इसको लेकर रेलवे आलाधिकारी उदासीन थे। ऐसे लोगों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। साथ ही जिन रेलवे के कर्मचारियों के गाड़ी जलने के वजह से पूरी तरह खत्म हो चुके हैं उनको रेलवे मुआवजा दे।

रंगों के पारखी रविन्द्र देव की टीएमयू प्रदर्शनी में दमकेंगी पेंटिग्स

प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

कलर्स के इस जादूगर का कैनवास रंगों से लबरेज है। विविधता है। चिंतन है। मनन है। किसी भी चीज को उकेरने की अदभुत क्षमता है। प्रकृति प्रेम से लेकर पशु-पक्षी प्रेम, ग्रामीण परिवेश, पुरातन वाद्य यंत्र, राजस्थानी वेशभूषा, देवी-देवता हों या फिर देश की श्रीश्री रविशंकर समेत दीगर तमाम हस्तियां इस शख्स के दिल-ओ-दिमाग में हमेशा कौंधती रहती हैं। जी हां, हम फाइन आर्टस के पुरोधा रविन्द्र देव की ही बात कर रहे हैं। श्री देव तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स के प्रिंसिपल हैं। श्री देव की यूनिवर्सिटी में फर्स्ट एकल प्रदर्शनी- परम्परा लगेगी, जिसमें लुप्त होती वाश पेंटिंग एवं वाटर कलर तकनीक के करीब 50 चित्र प्रदर्शित होंगे। कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स के द्वितीय तल पर 02 दिसंबर से आयोजित तीन दिनी इस प्रदर्शनी का टीएमयू के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन बतौर मुख्य अतिथि शुभारम्भ करेंगे।

श्री देव की झोली में 50 वर्षों का समृद्ध अनुभव है। श्री देव के चित्र गहरी भावनाओं को जगाते हैं। आलोचनात्मक विचार को उकसाते हैं। बदलाव को प्रेरित करते हैं। समाज को प्रतिबिम्बित करते हैं। सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देते हैं। वह 2011 से टीएमयू के कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस का संचालन कर रहे हैं। श्री देव लखनऊ के फाइन आर्टस कॉलेज से 1982 बैच के छात्र रहे हैं। श्री देव के पसंदीदा डाफ्ट से लेकर क्राफ्ट तक वैश्विक दुनिया को उनके सोशल मीडिया प्लेटफाम पर देखा जा सकता है। वे न केवल देश और विदेश के ऐसे सृजनात्मक ग्रुपों से जुड़े हैं, बल्कि चीन के जे हून सून की वाटर कलर पेंटिंग और पोट्रेट से लेकर अरमान हुसैन खान के मुरीद हैं। कभी-कभी श्री देव फेसबुक प्लेटफॉर्म से हाउ टू ड्रा नोज़ इजी सरीखे स्टेप भी सिखाते हैं। हाल ही में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर का आगमन हुआ तो श्री देव की ओर से बनाई गई उनकी बेहद आकर्षक पोट्रेट भेंट की गई।

श्री बीएन आर्य, श्री योगी योगेन्द्र नाथ वर्मा, श्री पीसी लिटिल, श्री जय किसन अग्रवाल, श्री सतीश चन्द्रा, श्री एसजी श्रीखंडे, श्री आरएस बिष्ट, श्री एसपी कपूर, श्री हीरा सिंह बिष्ट सरीखे शिक्षाविदों एवम् जाने-माने चित्रकारों को श्री देव अपना आदर्श मानते हैं। श्री देव ने देश की जानी-मानी कंपनियों एवम् उत्पादों- इंडियन एयरलाइन्स, आईटीडीसी, पान पराग, राजदूत, टेलीविस्टा, ग्रावेरा सूटिंग्स एवम् शर्टिंग, पीसीएल कम्प्यूटर्स के इश्तहार के डिजाइनिंग में सृजनात्मक भूमिका निभाई है। अपने जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना के चुनावी कैंपेन में भी बतौर चित्रकार आपका रोल रहा है। यूनिवर्सिटी में इस समय बीएफए और एमएफए के संग-संग पीएचडी की डिग्री भी फाइन आर्टस में प्रदान की जा रही है।

कंक्रीट रोडों के पक्ष में नहीं विदिशा के व्यापारी, असमंजस का माहौल

दीपक तिवारी

विदिशा नगर के व्यापारी कुछ दिनों से चिंतित और परेशान हैं। मुद्दा माधवगंज से बड़ा बाज़ार के मुख्य बाज़ार की सड़क को कंक्रीट में तब्दील किए जाने को लेकर चल रहे असमंजस का है। उक्त प्रतिक्रिया बाल संरक्षण आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि विदिशा पिछले 2500 वर्षों से व्यापारिक नगर है। यहां की जीवन रेखा व्यापार ही है, यहां के व्यापारियों ने अपनी मेहनत से न केवल नगर को समृद्ध बनाया है बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध भी बनाया है। बाजार का निर्विघ्न चलना और निर्बाध आवागमन व्यापार की प्राथमिक आवश्यकता होती है।

मैं आजकल विदिशा में हूं तो कई लोगों ने मुझसे संपर्क कर अपनी निम्न आशंकाओं से अवगत करवाया है।

कंक्रीट की सड़कें उन इलाक़ों के लिए मुफ़ीद होती हैं जहां लगातार पानी बहता है और कोलतार जम नहीं पाता है।

कंक्रीट की सड़क पर वर्षा का पानी बह जाता है, वर्षाजल भूमि में अवशोषित नहीं होता है। लगातार ऐसा होने और ग्राउंड वाटर रिचार्ज न होने से भूजल का स्तर गिर जाता है नतीजे में ट्यूबवेल, कुंआ, हैंडपंप सूखने लगते हैं।

उदाहरण के लिए चेन्नई के कंक्रीटकरण के कारण वहां की पेयजल समस्या की खबरों से लोग भयभीत हो रहे हैं।

शहर की कई गलियों में कंक्रीट करते वक्त ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही से सड़कों के किनारों की नालियां समाप्त कर दी गई हैं अब जगह जगह मोहल्लों में घरों के अंदर बारिश में वाटरलॉगिंग (पानी भरने) का एक यह भी कारण है ऐसी चिंता लोगों को है कहीं ऐसे हालात दुकानों के न हो जायें।

शहरवासी जानते हैं कि नगर में सभी नालियां 30 से 45 डिग्री के कोण में हुआ करती थीं।

उन्होंने कहा कि नगर की सभी दुकानों को 4-5 फिट ऊपर उठाना संभव नहीं है क्योंकि ऊपर की मंज़िल पर लोगों का निवास है कहीं गोदाम भी है।

पूर्व में शहर में एक भी कंक्रीट निर्माण सड़क को खोद कर नीचे से बेस बनाकर नहीं किया गया है जिसके नतीजे में सड़के ऊंची हो गयीं मकान/दुकान नीचे हो गये।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि पूरा नगर खोद कर निर्माण करेंगे तो इसमें दो साल लगेंगे पूर्व में सीवेज लाइन निर्माण के समय ऐसा होने पर व्यापार ठप्प हो गया था और बस स्टैंड, विवेकानंद चौराहे के बीच कई दुकान शिफ्ट होने से प्रॉपर्टी के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई थी ।

अब ऐसा हुआ तो मजबूरी में नदी के उस पार बासौदा- बैरासिया मार्ग पर में ही बाज़ार को शिफ्ट करना पड़ेगा क्योंकि भोपाल रोड बहुत महंगा हो गया है औसत व्यापारी दुकान नहीं ख़रीद पायेंगे उनको को वहाँ के माल्स में किराए की दुकाने लेनी पड़ेंगी।

नगर के व्यापारियों ने कभी विकास का विरोध नहीं किया है हमेशा आगे बढ़कर बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं, जिससे कि नगर का नई दिशाओं में विकास हो सके फिर चाहे वो-पीतल मील, खरीफाटक, पुरानी कलारी क्षेत्र, गल्ला मंडी क्षेत्र, अरिहंत विहार, महामाई झांकी क्षेत्र,पेढ़ी चौराहा, रामद्वारा या अस्पताल रोड के व्यापारी रहे हों सभी ने नगर की प्रगति के लिए अपने व्यावसायिक हितों को बलिदान किया है।

शहर के सभी लोग इन व्यापारियों के ऋणी हैं जिन्होंने पूर्व में अपने प्रतिष्ठान बंद या स्थांतरित किए हैं।

सरकार, समाज और परिवार एक दूसरे के सहयोग और परस्पर प्रेम से चलने वाली संस्थाएं हैं। हमारे मुख्यमंत्री मोहन यादव बेहद संवेदनशील हैं, मेरा विश्वास है कि व्यापार के हित में निर्णय लेकर जनभावना के अनुकूल सरकारी आदेश में आवश्यक संशोधन करेंगे।

हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को देंगे पांच-पांच लाख रुपए -अखिलेश

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

संभल में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन समाजवादी पार्टी पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद करेगी। सांसद रुचि वीरा ने बताया कि मृतकों के परिजन के साथ पार्टी की संवेदनाएं हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने परिजन की मदद करने की घोषणा की है। सहायता राशि परिजन को जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। समाजवादी पार्टी की मांग है कि सरकार मृतकों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद करे। बीती 24 नवंबर को मस्जिद सर्वे के दौरान संभल में बवाल हो गया था। इसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। कई लोग घायल हुए थे। यहां तक कि डिप्टी एसपी के पैर में गोली लगने से वह घायल हो गए थे। इसके बाद से वहीं पर स्थिति तनाव पूर्ण है। दूसरी तरफ मामले में राजनीति भी खूब हो रही है।

शनिवार की सुबह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के घर के बाहर पुलिस लगा दी गई। दरअसल शनिवार को सपा के डेलिगेशन को संभल जाना था। इससे पहले ही नेताओं के घरों के बाहर पुलिस बन तैनात कर दिया गया है।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में सपा का 15 सदस्यीय डेलिगेशन संभल जाने वाला थे। सपा नेता संभल में पीड़ितों से मिलकर जानकारी जुटाने की बात कह रहे थे। इसके बाद इसकी जानकारी सपा मुखिया के साथ साझा करना था। उनके निकलने से पहले ही पुलिस उनके घरों के बाहर तैनात मिली।

शतरंज की राष्ट्रीय विजेता बनकर उभरी भाविनी

सामना संवाददाता / भायंदर
कौशल, रणनीति और संयम के एक प्रेरक प्रदर्शन में सेंट फ्रांसिस हाई स्कूल, भायंदर (पूर्व) की छात्रा सुश्री भाविनी मल्लिक 17 नवंबर 2024 को मध्य प्रदेश, नर्मदापुरम में आयोजित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय शतरंज स्तर की प्रतियोगिता की विजेता बनकर उभरी हैं, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के कुछ बेहतरीन युवा दिमागों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया है। नांदेड़ में आयोजित राज्यस्तरीय शतरंज प्रतियोगिता में उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया। वह बुद्ध विहार, मीरा रोड में आयोजित जिला खेल संगठन (डीएसओ) में भी प्रथम स्थान पर रहीं। इतना ही नहीं, उन्होंने 11 अक्टूबर, 2024 को अंधेरी में आयोजित डिविजन शतरंज प्रतियोगिता में भी 5वां स्थान हासिल किया है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, शिवसेना ने पीएम से की दखल देने की मांग

 

रायपुर। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार व अमानवीय व्यवहार से आज हिंदुस्थान का हर हिंदू दुखी है। बांग्लादेश में हिंदुओं की माताओं-बहनों के साथ हो रहे बलात्कार, धार्मिक स्थलों की तोड़फोड़ को हिंदुस्थान की भाजपा सरकार आंखें बंद कर मूकदर्शक बनी देख रही है। इस अत्याचार को अविलंब हस्तक्षेप कर रुकवाने की मांग छत्तीसगढ़ के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रदेश इकाई के प्रवक्ता संजय नाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की।

जब से यूनुस सरकार बांग्लादेश में सत्ता में आई है तब से निरंतर हिंदुओं के धर्मस्थलों को तोड़ा जा रहा है। हिंदुओं की माता बहनों से बलात्कार किया जा रहा है। हिंदुओं के धार्मिक पूजा स्थलों को तोड़फोड़ किया जा रहा है। अभी वर्तमान में हद तो तब हो गई जब हिंदुओं के भगवान कृष्ण को मानने वाले इस्कॉन संस्था के अध्यक्ष चिन्मय प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर गोली चलाकर कई हिंदुओं की हत्या कर दी गई। उसके बाद हुए दंगे में हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और अंतरराष्ट्रीय इस्कॉन संस्था पर प्रतिबंध लगाने हेतु यूनुस सरकार द्वारा फरमान जारी किया गया है। आखिर क्या कारण है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जो विश्व में कहीं पर भी कोई देश में कोई बात होती है तो मानव अधिकार का राग अलापने लगती है। आज बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो सबका मुंह बंद है।