उत्तर की बात : यूपी बीजेपी में अभी सब कुछ ठीक नहीं

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यूपी बीजेपी में घमासान मचा हुआ है। पिछले एक महीने से तो योगी विरोधी गुट अति सक्रियता दिखा रहा है। बात दिल्ली दरबार तक पहुंच चुकी है लेकिन योगी और विरोधी गुट की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और बैठकों के अलावा कुछ खास सामने नहीं आया है। योगी और उनके विरोधी गुट के पक्ष में पार्टी, संगठन और सरकार के किसी बड़े नेता का बयान सामने नहीं आया है। पर्दे के पीछे एक दूसरे को नीचा दिखाने की राजनीति जारी है।
पिछले दो महीने से यूपी के दोनों उप मुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक खुलकर तेवर दिखा रहे हैं। यह मैसेज बन रहा है कि दोनों उप मुख्यमंत्री नाराज हैं और इसलिए वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलाई बैठकों में नहीं शामिल हो रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से केशव प्रसाद मौर्य ने खुला विरोध किया है। कई और नेताओं ने योगी प्रशासन पर सवाल उठाया और हार का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ने का प्रयास किया। कांवड़ियों के रास्ते में दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखने के उनके पैâसले के समर्थन में पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं उतरा। तभी जब सुप्रीम कोर्ट ने पैâसले पर रोक लगाई तो इस पर भाजपा के अंदर से कोई आवाज नहीं उठी। इस मामले में प्रदेश सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। जानकार तो ये भी कहते हैं कि योगी विरोधी गुट ने दुकानदारों के नाम लिखने वाले मामले को हवा देने का काम किया। असलियत तो खैर किसी को मालूम नहीं, लेकिन लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि प्रदेश सरकार की छवि जो सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ से जुड़ी है, उसे डैमेज करने की कोशिशें जारी हैं।
दिल्ली में २ दिन तक चली भारतीय जनता पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक के बावजूद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच शीत युद्ध पर विराम नहीं लगा है। केशव प्रसाद मौर्य मानूसन सत्र के पहले दिन दोपहर में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा की बैठक में मुख्यमंत्री के आते ही निकल गए और उसके बाद शाम को उन्होंने योगी आदित्यनाथ के अंतर्गत आने वाले गृह विभाग की बैठक ले ली। इस बैठक की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की मगर, मुख्यमंत्री को टैग नहीं किया। इस बैठक को लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म है। किसके निर्देश पर केशव मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग की बैठक ले रहे हैं।
बैठक में पहुंचे डीजीपी प्रशांत कुमार और एसीपी दीपक कुमार को कानून व्यवस्था दुरुस्त करने समेत कई निर्देश दिए। इस मीटिंग के बारे में केशव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक पर कई फोटो के साथ जानकारी साझा की। लेकिन, सीएम योगी के विभाग की बैठक कर रहे केशव ने उन्हें ही टैग नहीं किया है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बीजेपी और यूपी बीजेपी को टैग किया है। केशव प्रसाद मौर्य की इस मीटिंग की पॉवर कॉरिडोर में बड़ी चर्चा है।
पार्टी के अंदर असंतोष और खींचतानी तो जारी है ही। वहीं पार्टी के नेताओं के साथ भाजपा की सहयोगी पार्टियों जैसे अपना दल, निषाद पार्टी, रालोद आदि के नेता भी खुल कर बोलने लगे हैं। अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कम से कम दो मौकों पर योगी सरकार को घेरा। पहले उन्होंने ज्यादा टोल टैक्स वसूले जाने की शिकायत की और फिर सरकारी नौकरियों में आरक्षित सीटों पर सामान्य श्रेणी के लोगों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया। इस विवाद और खींचतान के बीच मुख्यमंत्री ने पल्लवी पटेल से मुलाकात की है।
पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं और अपना दल कमेरावादी की नेता हैं। उन्होंने २०२२ के विधानसभा चुनाव में सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य को हराया था। तभी उनकी इस मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है। योगी ने पल्लवी पटेल से मिल कर केशव प्रसाद मौर्य और अनुप्रिया पटेल दोनों को मैसेज दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात का कोई राजनीतिक नतीजा निकलता है या सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स की कवायद मात्र ही रहता है। लब्बोलुआब यह है कि बीजेपी यूपी में दिनों-दिन भितरघात और आपसी खींचतान में कमजोर हो रही है। आने वाले दिनों में विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव भी होना है, ऐसे में इस खींचतान और तनातनी का असर उपचुनाव के नतीजों पर पड़ना लाजिमी है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

राज की बात : मोदी का कमाल …चुनावी पारदर्शिता पर सवाल!

राजेश विक्रांत
मुंबई

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कमाल के लिए जाने जाते हैं। वे कोई भी कमाल कर सकते हैं। सर्जिकल के नाम पर फर्जीकल स्ट्राइक कर सकते हैं। अर्थव्यवस्था के आंकड़े को बढ़ा-चढ़ाकर बता सकते हैं। सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े में बढ़ोतरी कर सकते हैं। संभवत: उनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन व सहयोग से चुनाव आयोग भी आंकड़ों की हेराफेरी में अगर उस्ताद बन गया है, तो इसका श्रेय मोदी को ही जाएगा। चुनाव आयोग ने जो किया है, उससे चुनावी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
लोकतंत्र में चुनाव आयोग से आशा की जाती है कि वो चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता का पालन गंभीरता से करेगा, लेकिन शायद ऐसा हुआ नहीं है। चुनावी प्रक्रिया में सुधार को लेकर काम कर रही संस्था- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स- एडीआर ने लोकसभा चुनाव २०२४ को लेकर दावा किया है कि ५३८ संसदीय क्षेत्रों में डाले गए मतों और गिने गए मतों की संख्या में अंतर है। एडीआर के विश्लेषण के अनुसार, लोकसभा चुनावों में ३६२ संसदीय क्षेत्रों में पड़े कुल वोटों से ५,५४,५९८ वोट कम गिने गए। वहीं १७६ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पड़े कुल वोटों से ३५,०९३ वोट ज्यादा गिने गए।
अगर एडीआर का दावा सही है तो यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हिंदुस्थान में चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर बड़े गंभीर सवाल खड़े करता है। हालांकि, एडीआर ने यह साफ नहीं किया कि वोटों में इस अंतर की वजह से कितनी सीटों पर अलग परिणाम सामने आए, लेकिन मतगणना के दौरान ३६२ सीटों पर वोट कम गिने जाने तथा १७६ सीटों पर वोट ज्यादा गिने जाने से बड़ी संख्या में परिणाम प्रभावित हुए हैं, इतना तो तय है। लोकसभा चुनावों के दौरान देशभर में जैसा ट्रेंड चल रहा था, उसे देखते हुए यह तो तय ही था कि भाजपा को मिली २४० सीटों में कायदे की कमी आती। यह भी हो सकता है कि तब भाजपा १०० का भी आंकड़ा न हासिल कर पाती।
वोटों के गिनने में हुई हेराफेरी पर चुनाव आयोग की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। चुनाव आयोग ने ७ जून को लोकसभा चुनाव २०२४ में कुल वोटिंग का आंकड़ा जारी किया था। इस बार कुल मिलाकर ६५.७९ प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह २०१९ चुनाव के मुकाबले १.६१ प्रतिशत कम है। पिछली बार कुल आंकड़ा ६७.४० प्रतिशत था, लेकिन चुनाव आयोग को इसके बजाय कुल वोटों की संख्या जारी करनी चाहिए, जो कि उसने नहीं किया।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी आयोग की भूमिका ऐसी हो गई थी कि उसे सरकार का जेबी आयोग तक कह दिया गया था। एक तो उसने भीषण गर्मी में चुनावों का कार्यक्रम बनाया। चुनावी प्रक्रिया ७७ दिनों तक चलती रही, जबकि इसे २२-२५ दिन में पूरा किया जा सकता था। इसके साथ ही देश भर में भाजपा नेता सांप्रदायिक चुनावी भाषण देते रहे, लेकिन आयोग खामोश बैठा रहा या दिखावे की कार्रवाई करता रहा। मसलन, मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में भाषण दिया था, जिसमें घुसपैठिए और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले जैसे अपमानजनक जुमलों का प्रयोग किया गया, लेकिन मोदी की जगह भाजपा अध्यक्ष को नोटिस जारी कर दिया गया। कांग्रेस के खातों के प्रâीज होने की खबर तथा इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर भी आयोग बहरा बन गया था, जबकि चुनाव आयोग को न सिर्फ निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए।
चुनाव आयोग की हरकतों की वजह से एडीआर की हालिया रिपोर्ट पर भरोसा किया जा सकता है कि आयोग ने अपना फर्ज गंभीरता से नहीं निभाया, जाहिर है कि यह सब मोदी के इशारे पर ही किया गया होगा। वोटिंग का अंतिम आंकड़ा जारी करने में अत्यधिक देरी करना, अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों और मतदान केंद्रों पर हुई वोटिंग के क्षेत्रवार व केंद्रवार आंकड़े उपलब्ध नहीं कराना, शायद आयोग ने जानबूझकर और सच छुपाने के लिए किया है।
इसके साथ ही यहां पर एक सवाल और उठता है कि क्या चुनाव परिणाम आंकड़ों के अंतिम मैचिंग के आधार पर घोषित किए गए थे? आयोग ने वोटों की गिनती पर अंतिम और प्रामाणिक डेटा जारी करने से पहले परिणाम घोषित क्यों किए? ईवीएम में पड़े वोटों, उनकी गिनती में अंतर, चुनाव संपन्न होने के कुछ दिन बाद अंतिम मतदान प्रतिशत में वृद्धि, केंद्रवार डाले गए वोटों की संख्या का खुलासा न करना, डाले गए वोटों के आंकड़े जारी करने में बहुत देरी और अपनी वेबसाइट से कुछ आंकड़ों को हटाने पर भी आयोग की ओर से कोई सफाई नहीं आई है।
इससे साफ-साफ लगता है कि आयोग ने मोदी या सरकार के जेबी आयोग के रूप में काम किया और मनमर्जी काम किया। आयोग मोदी को हेट स्पीच के लिए फटकार नहीं लगा पाया, बल्कि उसने पार्टी अध्यक्ष को जवाबदेह बना दिया। इसने चुनाव में कुल वोटों की संख्या की बजाय, वोटिंग प्रतिशत जारी कर दिया और अब एडीआर की रिपोर्ट में आयोग एक बार फिर कटघरे में खड़ा हो गया है। पूरी चुनावी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है। क्या आयोग इस बारे में सफाई देगा?
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

जाति पर भाजपा की गंदी राजनीति! …केंद्र सरकार पर विपक्ष का हमला

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
इन दिनों लोकसभा में जाति को लेकर जमकर घमासान हो रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा `जाति’ पर सवाल पूछे जाने पर राजनीति में उबाल आ गया है। कांग्रेसी आगबबूला हो उठे हैं। जाति पर भाजपा की गंदी राजनीति देखकर पूरे देश में भाजपा का विरोध जताया जा रहा है। उस पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर के भाषण का समर्थन किया है, जिससे पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। देश के कोने-कोने में अनुराग ठाकुर के पुतले जलाए जा रहे हैं। सुलतानपुर से भदोही तक भाजपा और अनुराग ठाकुर का विरोध जताया है।
पीएम को शोभा नहीं देता :दिग्विजय सिंह
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की जाति पूछे जाने पर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुर के भाषण की तारीफ की है। इस पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, `यह बदतमीजी है…प्रधानमंत्री से उम्मीद नहीं थी कि वह इसका समर्थन करेंगे।’

मोदी के खिलाफ एक्शन का प्लान
संसद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक्शन की तैयारी की है। कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी के खिलाफ एसजी के सामने विशेषाधिकार हनन की शिकायत दर्ज करा दी है। कांग्रेस ने बुधवार को ही आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री ठाकुर के भाषण का वीडियो शेयर कर संसदीय विशेषाधिकार के घोर हनन को बढ़ावा दिया है। कांग्रेस का आरोप हैं कि सांसद ने नेता प्रतिपक्ष की जाति पूछकर चर्चा के स्तर को गिराया है।

कांग्रेस ने फूंका अनुराग ठाकुर का पुतला
संसद में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की तरफ से राहुल गांधी पर एक विवादित टिप्पणी पर देशभर में सत्ता और विपक्ष के बीच सियासी जंग तेज हो गई है। बुधवार को भदोही से लेकर सुलतानपुर तक जगह-जगह अनुराग ठाकुर के पुतले फूंके गए। बुधवार को अवध के सुलतानपुर जिले में कलेक्ट्रेट के सामने पुलिस की मौजूदगी में कांग्रेसियों भाजपा नेता अनुराग ठाकुर का पुतला फूंककर विरोध प्रदर्शन किया।

चिरंजीवी भी निकले धक्केबाज

फिल्मी सितारे इन दिनों धक्केबाज बन गए हैं। कुछ दिनों पहले मुंबई एयरपोर्ट पर तेलुगु स्टार नागार्जुन के बॉडीगार्ड ने अपने एक दिव्यांग फैन को धक्का दे दिया था। बाद में जब यह मामला सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में आ गया तो वापसी में नागार्जुन ने उस दिव्यांग फैन को गले लगाकर सेल्फी खिंचवाई थी। अब बारी चिरंजीवी की है। पेरिस ओलिंपिक देखकर स्वदेश लौटे चिरंजीवी द्वारा एयरपोर्ट पर उनके साथ सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे फैन को धक्का देकर साइड किए जाने का वीडियो सामने आया है। अपनी यूनिफॉर्म से यह फैन एयरपोर्ट स्टाफ का सदस्य लग रहा था। कुछ यूजर्स ने वीडियो को लेकर चिरंजीवी की आलोचना की है, जबकि कुछ ने उनका बचाव किया है।

घर से निकलने में लगता था डर

घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही…लगता था डर। अरे यह गाना हम नहीं बल्कि अभिनेत्री जरीन खान गाने लगी थीं। दरअसल, बात ही कुछ ऐसी थी। उनकी पहली फिल्म फ्लॉप हो गई थी। खैर, हिट-फ्लॉप का दौर तो यहां चलता रहता है। बात यह है कि वो सलमान खान के साथ थी और लोग उनकी तुलना कटरीना कैफ से करने लगे थे। जरीन ने हाल ही में बताया है कि फिल्म ‘वीर’ से डेब्यू के बाद कटरीना कैफ से तुलना किए जाने का उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होंने बताया, ‘मुझे घर से निकलने तक से डर लगता था क्योंकि…लोग मेरे कपड़ों पर कमेंट करते थे। ‘वीर’ के बाद उन्हें लंबे समय तक कोई काम नहीं मिला। बॉलीवुड में ऐसा भी होता है।

४ दिनों तक कार में सोई

बॉलीवुड की चकाचौंध के पीछे काफी स्याह खबरें भी छिपी होती हैं। अब खूबसूरत अभिनेत्री रश्मि देसाई ने हाल ही में एक ऐसा खुलासा किया है कि उसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। मुंबई में रश्मि को चार दिनों तक अपनी कार में बिताना पड़ा था। हाल ही में रश्मि देसाई ने एक इंटरव्यू में बताया कि अभिनेता नंदीश संधू से तलाक के बाद वह आर्थिक समस्याओं से जूझ रही थीं। उन्होंने कहा, ‘एक घर खरीदा था। मुझ पर ३.२५-३.५ करोड़ रुपए का कर्ज था। मेरा शो अचानक बंद हो गया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘४ दिनों तक सड़क पर थी। अपनी ऑडी ए६ में सोई थी। २० रुपए में मिलने वाला खाना खाया था।’ अब २० रुपए में तो वडा-पाव ही आएगा। सो एक टॉप की अभिनेत्री ने वडा-पाव खाकर गुजारा किया। तो मुंबई में ऐसा भी होता है।

अब ‘पुष्पा २’ का सीन लीक

डिजिटल दुनिया में इन दिनों कब क्या और कहां लीक हो जाए, कहा नहीं जा सकता। हाल ही में सिंघम अगेन का सीन लीक हो गया था। अब खबर है कि अल्लु अर्जुन की आगामी फिल्म ‘पुष्पा २: द रूल’ का एक सीन लीक हो गया है। अब लोग तो ऐसे सीन का मजा ले रहे हैं पर मेकर्स का तो कलेजा मुंह में आ गया होगा। जानकारी के अनुसार, इस फिल्म के सेट से क्लाइमेक्स फाइट सीन का एक वीडियो लीक हो गया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि, वीडियो में किसी एक्टर का चेहरा नजर नहीं आ रहा है। अब सीन का मजा लेने के बाद पैंâस फिल्म के मेकर्स से इस वीडियो को वायरल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

दारू बेच रहे मुन्नाभाई

मुन्नाभाई इन दिनों काफी लिमिटेड काम कर रहे हैं। वैसे भी अब फिल्मों में रखा ही क्या है। चार दशक से ऊपर हो गए एक्टिंग करते हुए। वो फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस को वो सीन याद है न जिसमें मुन्ना और सर्किट नाले के पाए पर बैठकर दारू गटक रहे हैं। खैर, वो तो हुई फिल्म की बात अब खबर है कि रीयल लाइफ में मुन्नाभाई दारू बिजनेस में उतर गए हैं। उनका यह धंधा अब बहुत जोर-शोर से चल रहा है। संजय दत्त के शराब ब्रांड ग्लेनवॉक की एक बोतल की कीमत १,६०० रुपए के करीब है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्लेनवॉक की १,२०,००० बोतलें केवल चार महीने में ही बिक गर्इं। मुंबई, ठाणे और पुणे में ही इस कंपनी ने तीन महीने में १८ फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। अब मुन्नाभाई जिस धंधे में जुटेंगे, वह उड़ान तो भरेगा ही।

डबल धमाके के बाद हैट्रिक की मनुकामना! … २ अगस्त को होगा गोल्डन चांस

भारत की इस बेटी ने तो कमाल कर दिया। युवा शूटर मनु भाकर ने इतिहास रचते हुए लगातार इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए हैं। मनु ने विमेंस १० मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उसके बाद उन्होंने १० मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में यह उपलब्धि हासिल की। डबल धमाके के बाद हिंदुस्थान की अब यही मनोकामना है कि २ अगस्त को होनेवाले विमेंस २५ मीटर एयर पिस्टल इवेंट के क्वालिफिकेशन राउंड में अच्छा प्रदर्शन करके फाइनल में जाएं। अगर ऐसा होता है तो उनके पास मेडल की हैट्रिक लगाने का गोल्डन चांस होगा। उनके पास मेडल की हैट्रिक लगाने का सुनहरा अवसर है। मनु अगर २ अगस्त को क्वालिफिकेशन राउंड में बेहतर प्रदर्शन से फाइनल में जाती है तो वह अगले दिन कमाल कर सकती है। ऐसे में ३ अगस्त को वह दोपहर १ बजे फाइनल में खेलेंगी। मनु तीसरा मेडल जीतकर ३ अगस्त की तारीख को अपने लिए खास बना सकती हैं। अब तक भारत के किसी भी एथलीट ने अकेले ३ मेडल नहीं जीते हैं। हालांकि, टीम इवेंट में कई हॉकी खिलाड़ियों ने यह उपलब्धि हासिल की है, लेकिन कोई अकेले ३ मेडल नहीं जीत पाया है।

दमदार सूर्यकुमार

तीसरा टी-२० मैच भारत ने सुपरओवर में जीत लिया। भारतीय टीम सीरीज में श्रीलंका का पूर्ण सफाया करने में सफल रही। तीसरे टी-२० मैच में कप्तान सूर्यकुमार यादव की कप्तानी काफी शानदार रही है। इसीके साथ ही उन्होंने अपनी पहली कप्तानी में धांसू प्रदर्शन से पैंâस का दिल जीत लिया। भारतीय टीम के युवा ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर ने कहा है कि टी-२० के नए कप्तान सूर्यकुमार यादव का श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टी-२० मैच में अहम मौके पर रिंकू सिंह को गेंदबाजी देना और आखिरी ओवर खुद करना उनकी जोखिम लेने की क्षमता को बताता है और इसी के दम पर भारत को आखिरी मैच में जीत मिली। भारत और श्रीलंका के बीच मंगलवार को पल्लेकेले में खेले गए आखिरी टी-२० मैच में भारत ने श्रीलंका के मुंह से जीत छीन ली। श्रीलंकाई टीम १३८ रनों के टारगेट का पीछा कर रही थी। आखिरी दो ओवरों में उसे १२ रनों की जरूरत थी जबकि उसके छह विकेट बचे थे। सूर्यकुमार ने यहां दांव चला और १९वां ओवर रिंकू सिंह को दे दिया। इस ओवर में रिंकू ने दो विकेट निकाले। आखिरी ओवर सूर्यकुमार ने खुद फेंका, जिसमें दो विकेट लेकर सभी को हैरान कर दिया। मैच सुपर ओवर में गया। यहां श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की और चार गेंदों के अंदर दो विकेट खो दिए। भारत को तीन रनों का टारगेट मिला जो सूर्यकुमार ने पहली गेंद पर चौका मार कर हासिल करते हुए भारत को जीत दिला दी। मैच के बाद सुंदर ने सूर्यकुमार की कप्तानी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, `ईमानदारी से कहूं तो, ये शानदार था। उनकी कप्तानी शानदार है। १२ गेंदें बची थीं और १२ रन चाहिए थे। ऐसे मौके पर उनका रिंकू सिंह को लाना, खासकर तब जब कुसल परेरा बल्लेबाजी कर रहे हों, रिंकू ने उन्हें आउट कर दिया। आखिरी ओवर में सूर्यकुमार खुद गेंदबाजी करने आ गए और हमें मैच जिता दिया।’