रफ्तार का कहर! …दुकान में घुसी थार जीप, एक की मौत, 6 घायल

झुंझुनू। झुंझुनू जिले में एक तेज रफ्तार थार जीप दुकान में जा घुसी। हादसे में 6 लोग घायल हो गए। इनमें 3 को गंभीर हालत में जयपुर रेफर किया गया। जहां इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गई। घटना सदर थाना इलाके के नयासर गांव में सोमवार को हुई थी। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने ड्राइवर को पकड़ लिया। दुर्घटनाग्रस्त कार। कार ने दुकान को इतनी जोर से टक्कर मारी कि एक तरफ की दीवार ढह गई।

झुंझुनू के सदर थाना इंचार्ज अशोक चैधरी ने बताया कि उन्हे सूचना मिली कि थाना इलाके के नयासर गांव के चैक पर थार कार किराना शॉप में घुस गई। कार की चपेट में आकर दुकान मालिक देवकरण कस्वां (68), अखबार पढ़ रहे दो स्थानीय व्यक्ति राकेश कस्वां (50), रणवीर कस्वां (55) और दुकान पर सामान खरीदने रुके बाइक सवार मनोज मेघवाल (45) और उसके दो बेटे पुष्पेंद्र (23) व आर्यन (18) घायल हो गए। घायलों को बीडीके हॉस्पिटल पहुंचाया गया। जहां से गंभीर घायल राकेश कस्वां पुत्र विद्याधर, रणवीर कस्वां पुत्र रामकुमार और पुष्पेंद्र को जयपुर रेफर किया गया। जयपुर में इलाज के दौरान पुष्पेंद्र ने दम तोड़ दिया। पुष्पेंद्र अपने पिता मनोज और छोटे भाई आर्यन के साथ बाइक पर दुकान पर आया था। तीनों खेत में मजदूरी करने जा रहे थे। दुकान पर सामान लेने रुके थे।

लोगों ने आरोप लगाया कि थार गाड़ी रेंटल है। इसकी नंबर प्लेट, चेसिस नंबर फर्जी हैं और यह बिना रजिस्ट्रेशन घूम रही है। इसके बारे में पुलिस जांच में पता लगाएगी। सारे रिकॉर्ड चेक करेंगे। इलाके के सीसीटीवी भी खंगाल रहे हैं। उचित मुआवजे के लिए ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे। नयासर के ग्रामीण इमरान ने बताया कि नयासर गांव के चैक पर देवकरण कस्वां की किराना शॉप पर उस वक्त रणवीर व राकेश नाम के व्यक्ति अखबार पढ़ रहे थे। इसी दौरान खेत पर दो बेटों के साथ जा रहा मनोज दुकान पर सामान लेने रुका। तभी झुंझुनू की दिशा से गांव की तरफ बहुत तेज रफ्तार से ब्लैक कलर की थार लहराते हुए आई और आकर दुकान की दीवार तोड़ते हुए 6 लोगों को चपेट में ले लिया। टक्कर इतनी तेज थी कि थार का डायरेक्शन बदल गया। हादसे में घायल यहां वहां बिखर गए। एक तरफ की दीवार गिर गई। सामान और शटर टूट गए। मलबा आ गिरा।

मौके पर तुरंत लोगों की भीड़ जुट गई। कुछ लोगों ने थार में सवार ड्राइवर नवीन को पकड़ लिया। इसके बाद सदर थाने को सूचना दी। चश्मदीद और स्थानीय निवासी पवन ने बताया कि दो लोगों के पैर बुरी तरह कुचल गए। इन गाड़ियों को रेंट पर झुंझुनूं का कोई व्यक्ति चलाता है। इनकी नंबर प्लेट चेसिस नंबर सब फर्जी हैं। एक्सीडेंट के बाद हमने ड्राइवर को पकड़ लिया तो कुछ देर बाद दूसरी ब्लैक कलर की स्कॉर्पियो में एक महिला ड्राइवर को छुड़ाने के लिए आ गई। आते ही गाली-गलौज करने लगे। वह ड्राइवर को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। बोली यह मेरा बेटा है। गुंडा है। दादागिरी करने लगी। स्थानीय निवासी पवन ने बताया कि झुंझुनूं में बिना रजिस्ट्रेशन ने फर्जी नंबर प्लेट के साथ ये गाड़ियां चल रही हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस ने भी कुछ नहीं किया। आते ही युवक को पुलिस वाहन में बैठा लिया। पुलिस ने एंबुलेंस की जगह पहले क्रेन बुलाई ताकि थार गाड़ी को ले जा सके। ये भी नहीं पूछा कि किसे कहां चोट लगी।

घायलों में तो एक व्यक्ति पैरालाइज्ड है। हम लोगों ने थार के ऑनर को मौके पर बुलाने, उसे गिरफ्तार करने, उसकी सारी गाड़ियों को जब्त करने, गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने, टूटी दुकान और सामान की क्षति पूर्ति कराने और घायलों को आर्थिक मदद देने की मांग की है।

राजनीति में ताकतवर “एमवाई” फैक्टर, मोहब्बत में खूनी बन गयी!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

मुस्लिम-यादव का मजबूत राजनैतिक समीकरण प्यार में फेल हो गया। प्रयागराज के उतरांव थाना क्षेत्र के सराय इस्माइल लाला का पूरा में शनिवार रात नौवीं के यादव छात्र का प्रेम प्रसंग गांव के मुस्लिम लड़की से था। उसका गला दबा के बेहोश कर फावड़े से प्रहार कर हत्या कर दी गई। घर से करीब 200 मीटर दूर खेत में उसका शव फेंक कर हत्यारे फरार हो गए।

मौके से प्रेमिका के पिता का मोबाइल फोन, चप्पल और फावड़ा बरामद किया गया है। मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण गांव में तनाव है। पुलिस तैनात की गई है। सराय इस्माइल लाला का पूरा निवासी अश्वनी कुमार यादव सैदाबाद फीडर में मीटर रीडर के पद पर तैनात हैं। शनिवार को उनका बेटा शैलेश कुमार यादव (15) गांव में ही 13वीं भोज में शामिल होकर घर लौटा। लेकिन फिर कहीं चला गया। कुछ देर बाद जब नहीं आया तो परिजनों को अनहोनी की आशंका हुई। वे खोजबीन करने लगे। रात 10 बजे घर के समीप खेत में शैलेश का खून से लथपथ शव मिला। सिर पर गंभीर चोट के निशान थे। हत्या की सूचना पर एसीपी हंडिया सुनील कुमार सिंह, उतरांव पुलिस के अलावा सराय ममरेज की पुलिस भी पहुंच गई। मौके की फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड ने जांच की व सैंपल लिए। शव को रात में ही पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

मौके से कीपैड वाला मोबाइल फोन, एक जोड़ी चप्पल और फावड़ा बरामद हुआ, जो पड़ताल करने पर शैलेश के पड़ोसी का निकला। इसके बाद पुलिस ने उसके परिवार के पांच सदस्यों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। मृतक के पिता अश्विनी कुमार यादव की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। शैलेश मोतिहां स्थित पब्लिक इंटर कॉलेज में नौवीं का छात्र था। तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था। किशोरी भी उसके साथ ही पढ़ती है। सराय इस्माइल लालपुर गांव में शैलेश कुमार यादव की हत्या के बाद तनाव का माहौल है। मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण पुलिस-प्रशासन बराबर नजर बनाए हुए है। पुलिस सुरक्षा में रविवार की शाम को शव का अंतिम संस्कार किया गया। शाम को शव जब घर पहुंचा तो चीत्कार मच गई। आसपास के लोगों की भीड़ जमा हो गई। क्षेत्रीय विधायक व सपा नेता बिज्मा यादव भी मृतक के घर पहुंची और सांत्वना दी। शव का लीलापुर घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

घटना के बाद जब एक समुदाय के लोगों हिरासत में लेकर पूछताछ की जाने लगी तो उस समुदाय के लोग दहशत में आ गए। धीरे-धीरे लोग परिवार समेत घर में ताला बंद गांव से बाहर चले गए। गांव में 50 से ऊपर घर यादव के हैं। सिर्फ चार-पांच घर नाई बिरादरी के हैं।पुलिस सूत्रों के अनुसार हिरासत में लिए गए पांच लोगों में तीन लोगों के बयान अलग-अलग थे। किशोरी की मां ने बताया कि प्रेम संबंध के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी। घटना के वक्त बेटी उसके साथ थी। जबकि, पिता का कहना था कि उसने दोनों को साथ देखा। किशोरी ने पिता को कुसूरवार बताया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने की बात भी सामने आई है। आशंका जताई जा रही है कि मारने से पहले किशोर का गला दबाया गया, अचेत होने पर फावड़े से मारकर हत्या कर दी गई। गांव में चर्चा है कि शैलेश शनिवार रात किशोरी से मिलने पहुंचा था। इस दौरान किशोरी के पिता ने उसे देख लिया और गुस्से में वारदात हुई।

चर्चित शिक्षक अवैध ओझा ने थामा ‘आप’ का दामन … यूपीएससी की तैयारी के लिए मशहूर हैं ओझा

– पार्टी लड़ा सकती है दिल्ली विधानसभा का चुनाव

रमेश ठाकुर/ नई दिल्ली

अनोखे अंदाज से छात्रों को यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कराने में मशहूर मोटिवेशनल शिक्षक अवध ओझा ने सोमवार को आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी मौजूदगी में अवध ओझा को पार्टी ज्वाइन करवाई। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा हमारी पार्टी शिक्षा में परिवर्तन करने के लिए जानी जाती है, ओझा के जुड़ने से शिक्षा अभियान को और मजबूती मिलेगी। वहीं,अवध ओझा ने कहा कि मैं अरविंद केजरीवाल को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने मुझे राजनीति में भी रहकर भी शिक्षा के लिए काम करने की बात कही है। आज से मेरी राजनीति की शुरुआत हो रही है, शिक्षा में बदलाव की लड़ाई में मैं अपना पूरा सहयोग दूंगा। ज्वाइनिंग के वक्त उनसे सवाल किया गया, क्या चुनाव भी लडेंगे, तो उन्होंने कहा पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे स्वीकार करूंगा।

बता दें कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, कभी भी तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है। दिल्ली में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पूर्वांचलियों की संख्या अत्याधिक हैं, वहां से पार्टी उन्हें आगामी चुनाव में उतार सकती है। पार्टी उन्हें पूर्वी दिल्ली की किसी सीट से टिकट दे सकती है।

अवीवा इंडिया ने वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के लिए घोषित किए मजबूत वित्तीय नतीजे

सामना संवाददाता / मुंबई

अवीवा इंडिया ने वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के लिए अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की है। कंपनी के ये परिणाम सभी प्रमुख मानकों में कंपनी के स्थिर प्रगति का प्रदर्शित करते हैं। वित्त वर्ष 2024 में दमदार पर्फोर्मेंस के साथ 90 करोड़ रुपए के मुनाफे को आगे बढ़ाते हुए, कंपनी अपनी रणनीतिक पहलों, ग्राहक-केंद्रित इनोवेशन और परिचालन दक्षताओं के साथ एक बार फिर इस बेंचमार्क को पार करने की राह पर है। कंपनी का यह प्रयास इसकी बाजार स्थिति और वित्तीय सेहत को और भी मजबूती प्रदान करेगा।

वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में कंपनी का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 13% बढ़कर ₹14,636 करोड़ पहुंच गया है। यह कंपनी के विवेकपूर्ण फंड मैनेजमेंट और निवेशकों के मजबूत विश्वास को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, बिक्री की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। कंपनी की “प्रति 10 हजार पॉलिसी पर शिकायतें” वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही के 10.3 से घटकर वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 8.8 हो गईं हैं। यह आंकड़ा ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अवीवा इंडिया की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कंपनी का ग्रॉस रिटिन प्रीमियम 548 करोड़ रुपए रहा, जो वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में 546 करोड़ रुपए की तुलना में स्थिर ग्रोथ को दर्शाता है। वहीं कंपनी की परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। कंपनी का ओपेक्स-टु-GWP रेशियो पिछले वर्ष के 30% से घटकर 27% हो गया। यह आंकड़ा कंपनी द्वारा कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन और बेहतर रिसोर्स मैनेजमेंट पर फोकस करने करने की रणनीति को दर्शाता है।

टीएमयू में अक्षत जैन ने किया पेंटिंग प्रदर्शनी-परंपरा का शुभारंभ

सामना संवाददाता / मुरादाबाद

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस के प्रिंसिपल श्री रविन्द्र देव की यूनिवर्सिटी में फर्स्ट एकल प्रदर्शनी- परम्परा का एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन ने बतौर मुख्य अतिथि फीता काटकर शुभारंभ किया। इंडोर स्टेडियम के द्वितीय तल पर फाइन आर्टस कॉलेज में तीन दिनी प्रदर्शनी में लुप्त होती वाश पेंटिंग एवं वाटर कलर तकनीक के 41 चित्रों का डिसप्ले किया गया है। इनमें 25 वाश पेंटिंग और 16 वाटर कलर पेंटिंग हैं। कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ यह आर्ट गैलरी प्रातः 09 बजे से 04 बजे तक खुली रहेगी। इस सुअवसर पर कॉलेज के प्राचार्य रविन्द्र देव आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। यूनिवर्सिटी में इस समय कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस की ओर से बीएफए और एमएफए के संग-संग पीएचडी की डिग्री भी फाइन आर्टस में प्रदान की जा रही है। प्रदर्शनी देखने वालों में श्रीमती नीलिमा जैन, डॉ. अमित कंसल, डॉ. वैभव रस्तोगी आदि भी शामिल रहे।

एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने वाश पेंटिंग एवं वाटर कलर तकनीक के चित्रों को न केवल निहारते रहे, बल्कि प्रदर्शनी के सीनियर चित्रकार श्री देव से भी कुछ सवाल करके इस कला के प्रति अपडेट हुए। एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री जैन बोले, श्री देव के चित्रों में जीवंतता की झलक है। कहा, यह हम सबकी जिम्मेदारी है, कि हम वाश पेंटिंग कला को जीवित रखें। कला प्रदर्शनी में लुप्त हुई वाश पेंटिंग के 25 चित्रों का चित्रांकन हैं, जिसमें शिव तपस्या के संग-संग साधु-संतों आदि का चित्रण शामिल है। साथ ही 16 वाटर कलर पेंटिंग लैंडस्केप, कम्पोजिशन और पशु-पक्षियों पर आधारित हैं। प्रदर्शनी में स्त्री चित्रण मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं, जिसमें नारी के विभिन्न रूपों को पेपर पर उभारा गया है। प्रदर्शनी का उदेश्य स्टुडेंट्स और फैकल्टीज़ को वाश पेंटिंग और वाटर कलर पेंटिंग के प्रति प्रेरित करना है। यह प्रदर्शनी कला जगत में काम करने वालों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेगी। श्री देव कहते हैं, वाश तकनीक में गिने-चुने कलाकार ही काम कर रहे हैं, जिनमें वे एक हैं।

संपादकीय : हिंदुओं का जीना दुश्वार हो गया!

हिंदुत्व के मामले में हमारे जैसे सिर्फ हम ही हैं। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि अगर हम नहीं होंगे तो हिंदुत्व खतरे में आ जाएगा। शेखी बघारते हुए इनका कहना है कि नरेंद्र मोदी हैं इसीलिए दुनिया में हिंदू ‘सेफ’ यानी सुरक्षित हैं। लेकिन भाजपा, मोदी और उनकी सरकार पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने में नाकाम साबित हुई है। बांग्लादेश में हिंदू समाज की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से वहां के हिंदू मंदिर, हिंदू बस्तियां, हिंदू व्यवसाय और उद्योग जलाकर राख किए जा रहे हैं। हिंदुओं पर हमले किए जा रहे हैं और उन्हें मारा जा रहा है। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और अब चिन्मय स्वामी के शिष्य, मंदिर के पुजारी आदिनाथ को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। आदिनाथ को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन सरकार का कहना है, आदिनाथ कौन हैं हम नहीं जानते। हमें उनकी गिरफ्तारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसका मतलब है कि पुजारी आदिनाथ गायब कर दिए गए हैं। बांग्लादेश में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पैरों तले रौंद दिया गया है। हिंदुओं को अवैध रूप से गिरफ्तार किया जा रहा है और अदालत में उनके लिए पेश होनेवाले वकीलों को मार दिया गया है। जब यह सब हो रहा है तो भारत की हिंदुत्ववादी मोदी सरकार कहां छुपी हुई है? प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर बांग्लादेश में हिंदू अत्याचारों पर एक शब्द नहीं बोले। हिंदुत्व के इस ‘दमन चक्र’ को मोदी सरकार उदासीन भाव से देख रही है। उनके लिए बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने से ज्यादा जरूरी महाराष्ट्र में सरकार बनाने का खेल जारी रखना लगता है। बांग्लादेश में हिंदू बच्चों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा चिंताजनक है। भारत में खुलेआम ‘वोट जिहाद’, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’ और ‘लव जिहाद’ का नारा लगाने वालों को पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं की पीड़ा नजर नहीं आती। महाराष्ट्र में नतीजे घोषित होते ही भाजपा के कई जीते हुए ऐरे-गैरे नत्थू खैरे मस्जिदों और दरगाहों जैसी जगहों पर दुआ कबूल होने के एवज में जाते दिख रहे हैं। इसमें ऐसे लोग भी हैं जो हिंदुओं का गब्बर कहलवाते हैं, तो ये लोग अपने हथियार लेकर बांग्लादेश जाकर हिंदुओं की रक्षा क्यों नहीं करते? हिंदू खतरे में है तो वह बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान में है। चूंकि भारत में हिंदुओं से ज्यादा संकट में भाजपा है इसलिए वे तवे पर मक्के के दानों की तरह तड़ातड़ उछल रही है। बांग्लादेश में आज की तस्वीर परेशान करनेवाली है, लेकिन नरेंद्र मोदी, फडणवीस, शिंदे आदि लोग इससे परेशान नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कागजी बम फोड़ते हुए कहा, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार बंद करो और हिरासत में लिए गए चिन्मय दास को रिहा करो।’ लेकिन क्या इस अपील से बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा रुक जाएगी? मूलत:, बांग्लादेश में जो हिंदू-विरोधी नफरत भड़की है, उसकी जड़ भारत में मोदी और भाजपा की कार्यप्रणाली में छिपी है। चुनाव जीतने के लिए मोदी ने हिंदू-मुसलमानों के बीच दरार पैदा की, मुसलमानों पर हमले किए। उन्होंने कई ‘प्रयोग’ किए जिससे दुनियाभर के मुसलमानों में मोदी के हिंदुत्व के प्रति नफरत पैदा हुई। उत्तर प्रदेश में संभल, अजमेर दरगाह, ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई भारत में आग लगा रही है, लेकिन क्या भाजपा के खोखले हिंदुत्ववादियों को इस बात की खबर है कि इस आग की आंच से भारत के बाहर के हिंदुओं को झुलसना पड़ रहा है? १९७१ में, जब पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं पर हमला हुआ और शरणार्थी भारत आने लगे तो मर्दाना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सीधे पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और इसे दो हिस्सों में बांट दिया। उनमें से एक हिस्सा बांग्लादेश है। मोदी सरकार की विदेश नीति साफतौर पर खराब हो गई है। पड़ोसी देशों के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण हैं। जब से मोदी आए हैं, भारत के पास-पड़ोसी के रूप में कोई मित्र नहीं रहा। मोदी की नीतियां न सिर्फ कच्ची हैं, बल्कि दुनियाभर के हिंदुओं का सिर शर्म से झुका देती हैं। मोदी के कारण विश्व का हिंदू असुरक्षित और कमजोर हो गया है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने देश में घटती जनसंख्या दर पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘जब किसी समाज की प्रजनन दर २.१ प्रतिशत से नीचे चली जाती है तो वह समाज धरती से गायब हो जाता है इसलिए जनसंख्या प्रजनन दर २.१ फीसद से नीचे नहीं जानी चाहिए। दो या तीन बच्चे पैदा करने चाहिए।’ हालांकि, भागवत ने सीधे तौर पर किसी समुदाय का नाम नहीं लिया है, लेकिन उनका अप्रत्यक्ष रुख हिंदुस्थान के हिंदू समुदाय की ओर ही है। भागवत सुझाव देना चाहते हैं कि देश के हिंदुओं को दो या तीन लड़कों को जन्म देना चाहिए और यहां के हिंदू समाज को सुरक्षित करने के लिए जनसंख्या बढ़ानी चाहिए। मौजूदा वक्त में हिंदुस्थान में स्वघोषित हिंदुत्ववादी ही सत्ता में हैं। ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे हिंदुओं को डरानेवाले नारे इस बात को ‘साबित’ कर देते हैं कि उन्हीं के शासनकाल में देश के हिंदू ‘अनसेफ’ हैं तो हिंदुओं की प्रजनन दर बढ़ जाने से हिंदुस्थान और दुनियाभर के हिंदू वैâसे सुरक्षित रहेंगे? यह प्रश्न है। सच तो यह है कि मोदी और उनकी भाजपा की वजह से दुनियाभर में हिंदुओं का जीना दुश्वार हो गया है, लेकिन बोलेगा कौन?

सत्यमेव जयते नहीं, सत्तामेव जयते! …सरकार ने योजनाओं का एनेस्थीसिया देकर सत्ता ऑपरेशन पूरा किया …उद्धव ठाकरे का भाजपा पर जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को प्रचंड बहुमत मिला है, लेकिन राज्य में उत्साह का माहौल नजर नहीं आ रहा। इस जीत पर खुद महायुति को भरोसा नहीं है। सत्ता स्थापना के लिए राजभवन में जाने की आवश्यकता थी, लेकिन अमावस्या के दिन खेत में पूजा करने की नौबत आ गई। ऐसा जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा और शिंदे पर किया।
उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी और सत्ता के लिए असीमित धन के खर्च को लेकर कहा कि ईवीएम को लेकर हर कोई सवाल उठा रहा है। चुनावों में सत्ताधारी दल ने पैसों का खुला खेल किया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा। अब ‘सत्यमेव जयते’ नहीं, बल्कि सत्तामेव जयते का दौर चल रहा है। सरकार ने योजनाओं का एनेस्थीसिया देकर सत्ता का ऑपरेशन पूरा किया है। वे पुणे में डॉ. बाबा आढाव के आंदोलन में शामिल होकर समर्थन करने पहुंचे थे। इस दौरान उनके आग्रह पर बाबा आढ़ाव ने यह आत्मक्लेश आंदोलन खत्म किया।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि महायुति की जीत ईवीएम की करामात है। इसी कारण न तो जीतने वालों को जीत की खुशी है, न ही हारने वालों को हार का दुख। लोकतंत्र में मतदाता को यह जानने का अधिकार है कि उसका वोट कहां गया। वीवीपैट की रसीद तो मिलती है, लेकिन मशीन के अंदर क्या दर्ज होता है, यह भी स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग पुनर्गणना की मांग क्यों नहीं मान रहा है।

यह एक चिंगारी है, जो बड़ी आग में बदल सकती है!
उद्धव ठाकरे ने किया डॉ. बाबा आढाव का समर्थन

विधानसभा चुनावों में हुए पैसों के खेल और ईवीएम घोटाले के विरोध में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बाबा आढाव ने पुणे के महात्मा फुले वाड़ा में आत्मक्लेश आंदोलन शुरू किया था। कल शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर उनका समर्थन किया और उनसे आंदोलन खत्म करने की गुजारिश भी की।
इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह आंदोलन छोटा नहीं है, यह एक चिंगारी है, जो जल्दी ही बड़ी आग में बदल सकती है। ऐसी चेतावनी भी उन्होंने सरकार को दी। चुनावों में पैसों का दुरुपयोग खुलकर किया गया। खुद भाजपा महासचिव विनोद तावडे का वीडियो सबने देखा। इस दौरान अंतिम समय में ७६ लाख वोट बढ़ने का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने पूछा कि जब इतने वोट बढ़े, तो मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें क्यों नहीं दिखीं?
राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया?
उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि महायुति को प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद उन्हें खेतों में पूजा-अर्चना क्यों करनी पड़ी। विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बावजूद राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया गया? उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि महायुति को खुद भी भरोसा नहीं था कि वे सत्ता में लौटेंगे। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि महाविकास आघाड़ी की सरकार बनने पर तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, लेकिन इस बार ऐसा क्यों नहीं हुआ?
महाविकास आघाड़ी का आंदोलन
उद्धव ठाकरे ने कहा कि डॉ. बाबा आढाव जैसे तपस्वी व्यक्ति ने चुनाव में पैसों के दुरुपयोग और ईवीएम में गड़बड़ी के खिलाफ जो आत्मक्लेश आंदोलन शुरू किया, वह प्रेरणादायी है। इसलिए मैं इनका आशीर्वाद लेने आया हूं। इस आंदोलन का उद्देश्य जनता के अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि केवल ‘भारत माता की जय’ बोलने से काम नहीं चलेगा। महाविकास आघाड़ी के माध्यम से पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा करना होगा। जब आंदोलन होगा तो वे सभी लोग शामिल होंगे, जिन्हें लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा करेगा और महाराष्ट्र एक बार फिर देश को नई दिशा दिखाएगा। उद्धव ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हम सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।

उपोषण खत्म करने का आग्रह
उद्धव ठाकरे ने बाबा आढाव से उपोषण खत्म करने की अपील की और कहा कि यह आंदोलन केवल उनका नहीं, बल्कि देश का आत्मक्लेश है। इसके बाद बाबा आढाव ने तीसरे दिन अपना अनशन समाप्त कर दिया। इस मौके पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील, शिवसेना नेता संजय राऊत, उपनेता सुषमा अंधारे, अधिवक्ता असीम सरोदे और पुणे शहर प्रमुख संजय मोरे जैसे प्रमुख नेता उपस्थित थे।

रोखठोक : शांति! ईवीएम गर्भवती है!

संजय राऊत -कार्यकारी संपादक

विजय के सौ पिता होते हैं। पराजय लावारिस होती है। महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के बाद एक गूढ़ और भयानक शांति फैली हुई है। कहीं उत्सव नहीं, जल्लोश नहीं। मानो जनता के मन के विरुद्ध नतीजे आए हैं। ‘ईवीएम’ पर पुन: प्रश्नचिह्न लग गए हैं। कारण महाराष्ट्र में इतने बुरे नतीजे आ ही नहीं सकते!

महाराष्ट्र में सामने आए आश्चर्यजनक नतीजों पर चर्चा करना, दीवार पर सिर पटकने जैसा है। ‘‘जब तक मोदी-शाह दिल्ली में सत्तासीन हैं, तब तक चुनाव नहीं लड़ना चाहिए,” इस बात पर अब सभी सहमत हो रहे हैं। भाजपा की राजनीति का विरोध करने वाले दलों को यह समझ लेना चाहिए कि निष्पक्ष चुनाव का युग समाप्त हो चुका है।
२३ तारीख को सुबह ८ बजे वोटों की गिनती शुरू हो गई। प्रारंभ में पोस्टल बैलेट (मतपत्रों) की गिनती की गई। इसके मुताबिक, महाराष्ट्र में १३८ सीटों पर महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार आगे चल रहे थे। मुकाबला बराबरी का था।
९ बजे महायुति और महाविकास आघाड़ी दोनों १३७-१३७ सीटों पर आगे चल रही थीं। ठीक १० बजे आंकड़े बदल गए। महाविकास आघाड़ी केवल ५३ और महायुति २११ इस तरह का उलटफेर हो गया। चुनाव में हार-जीत होती रहती है। यही लोकतंत्र का असली स्वरूप है, लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में जो हुआ वह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है। भाजपा, शिंदे गुट, अजीत पवार इन्होंने दो सौ से ज्यादा सीटें जीतीं। लोग इस ‘ईवीएम’ नतीजे पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ‘ईवीएम’ भारतीय लोकतंत्र के लिए अभिशाप है। क्या यह अभिशाप भारत के अस्तित्व को ही नष्ट कर देगा?

हत्या होती रहेगी
जब तक ईवीएम हटाकर बैलेट पेपर पर चुनाव शुरू नहीं किया जाएगा, तब तक महाराष्ट्र की तरह लोकतंत्र की हत्या होती रहेगी। यहां तक ​​कि अमेरिका, इंग्लैंड जैसे आधुनिक सुधारवादी देश भी अपने चुनावों में ईवीएम का उपयोग नहीं करते हैं। २००६ में नीदरलैंड ने ईवीएम पर प्रतिबंध लगा दिया। २००९ में रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड ने ईवीएम पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद इटली ने भी अपने चुनावों से ईवीएम को हटा दिया। मार्च २००९ में जर्मनी के सुप्रीम कोर्ट ने इसे घोटाला घोषित करते हुए ‘ईवीएम’ वोटिंग को गैरकानूनी घोषित कर दिया। नॉर्वे, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कोस्टारिका, फिलीपींस, ग्वाटेमाला, बांग्लादेश ने भी ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया। जापान जैसे देश ने भी २०१६ से यह कहते हुए ‘बैलेट’ पेपर पर ही मतदान करने का फैसला किया कि ईवीएम से मतदान पारदर्शी नहीं है। अमेरिका में एलन मस्क ने बार-बार जाहिर किया है कि ईवीएम एक जंबो घोटाला है और सभी ईवीएम को एक साथ हैक करके इच्छानुसार मतदान कराए जा सकते हैं। मस्क से लेकर अमेरिका, यूरोप जैसे देश मूर्ख हैं और भारत के मोदी-शाह और उनकी भाजपा इतनी समझदार! महाराष्ट्र जैसे अहम राज्य के नतीजे जिस तरीके से घोषित हुए, उसके बाद ऐसा नहीं लगता कि देश की चुनावी प्रक्रिया पर किसी को भरोसा होगा। सुप्रीम कोर्ट अब उसी ईवीएम की वकालत कर रहा है।

घटनाक्रम देखें
महाराष्ट्र में ‘नतीजा’ चौंकाने वाला है। जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस को सफलता मिली तब क्या ईवीएम घोटाला नहीं हुआ? यह प्रश्न निरर्थक है। बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की मांग पिछले दस साल से हो रही है। ईवीएम से चुनाव जीतने वाले कई लोगों ने बैलेट पेपर पर ही चुनाव कराने की मांग की है। अमेरिकी तकनीशियनों ने महज ५ मिनट में ईवीएम को हैक करके दिखा दिया और ये प्रत्यक्ष सभी ने देखा। महाराष्ट्र के अनगिनत मतदान केंद्रों पर भाजपा ने क्या खेल किया, ये देखिए।
-ध्यान दें कि २०१४ में मोदी लहर थी। तब भी भाजपा को इतनी सीटें नहीं मिली थीं। इस बार भाजपा ने १४८ सीटों पर चुनाव लड़ा और १३२ सीटें जीतीं। स्ट्राइक रेट ८९ फीसदी। क्या यह संभव है?
-महाराष्ट्र में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के अनुसार मतदाता सूची से नाम हटाकर उनकी जगह ‘फर्जी’ नाम डाले जाने को लेकर हंगामा शुरू ही था। अब ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के प्रत्येक बूथ पर लगभग सौ वोट बढ़ाए गए। इस तरह ४०० बूथों पर चालीस हजार मतदान जो हर विधानसभा क्षेत्र में बढ़ाए गए, ऐसा दिखाई देता है।
-२० नवंबर को जब मतदान हुआ तब महाराष्ट्र में ५ करोड़ ७० लाख लोगों ने वोट किया था। २३ नवंबर को जब वोटों की गिनती हुई तो ७ करोड़ ७० लाख वोट गिने गए। ये ‘ऊपर के’ २ करोड़ वोट कहां से आए?
-महाराष्ट्र में वोटिंग प्रतिशत वैâसे बदल गया? उन आंकड़ों के जंतर-मंतर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। २० तारीख को शाम ५ बजे मतदान प्रतिशत ५८.२२ फीसदी था। फिर रात ११.३० बजे यह प्रतिशत बढ़कर ६५.०२ फीसदी हो गया। वोटों की गिनती शुरू होने से पहले वोटिंग प्रतिशत ६८.०५ फीसदी हो गया।
तो फर्क समझें।
६.८०% + १.०३%= ७.८३%
इतना वोट वैâसे बढ़ गया?
क्या ईवीएम गर्भवती है?

अवधान गांव की व्यथा
महाराष्ट्र के नतीजों पर भरोसा नहीं किया जा सकता और ईवीएम पूरी तरह से सेट किए गए, इसे लेकर अब शंका नहीं रही। ईवीएम भी सेट किया गया और न्यायालय भी सेट कर लिया गया, तो फिर देश में बचा क्या? शरद पवार ने लोकसभा में १० में से ८ सीटें जीतीं। अजीत पवार को सिर्फ १ सीट मिली। अब शरद पवार को विधानसभा में १० सीटें और अजीत पवार को ४१ सीटें मिलती हैं, यह हिंदी सिनेमा का रोमांचक अंत है।
-धुले ग्रामीण से कांग्रेस के कुणाल पाटील हार गए। उस विधानसभा क्षेत्र के अवधान गांव के लोग अब चुनाव आयोग के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। कुणाल पाटील की संस्था में गांव के ७० फीसदी लोग काम करते हैं। वहां कुणाल पाटील को शून्य वोट मिले। इस वजह से पूरा गांव निषेध करते हुए सड़कों पर उतर आया।
-कराड दक्षिण विधानसभा बूथ संख्या १६४ पर कुल मतदान ५१४ है, जबकि वहां भाजपा को ५५७ वोट मिले।
नासिक से वंचित के उम्मीदवार अविनाश शिंदे ने कहा, ‘‘मेरे घर में ही ६५ मतदाता हैं, गांव के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों सहित ३५० लोग मेरे साथ थे। लेकिन मुझे केवल ४ वोट मिले।’’ पूरे महाराष्ट्र में ऐसा ही करके चुनाव को हाईजैक कर लिया गया। ऐसी तस्वीर थी कि महाराष्ट्र के चुनाव पर जनता ही काबिज रहेगी, लेकिन ‘ईवीएम’ ने ही चुनाव को हाईजैक कर लिया। नांदेड़ में विधानसभा के साथ लोकसभा उपचुनाव भी हुए थे। कांग्रेस ने लोकसभा में जीत हासिल की, लेकिन भाजपा ने निचली छह विधानसभाओं में जीत हासिल की। कांग्रेस को एक भी विधानसभा में जीत नहीं मिली। यानी ईवीएम सिर्फ विधानसभा के लिए सेट की गई थीं। हरियाणा में मतदान और मतगणना के दौरान जो हुआ, वही महाराष्ट्र में हुआ। हरियाणा में हर विधानसभा क्षेत्र में १५ हजार वोट ब़ढ़ाए गए और वहां भी लोकतंत्र ने आत्मसमर्पण कर दिया। महाराष्ट्र के नतीजों के बाद कुछ अति समझदार लोग महाविकास आघाड़ी को रोज ज्ञान सिखा रहे हैं। महाविकास आघाड़ी में घटक दलों के बीच सामंजस्य नहीं था और नेता अति आत्मविश्वास में रहे। उन्होंने मेहनत नहीं की। ये बिल्कुल गलत है। जीत के सौ पिता होते हैं और हार लावारिस होती है। महायुति के अकूत पैसे, जोड़-तोड़ के खेल, पुलिस, ईडी का दबाव तंत्र, न्यायालय की निष्क्रियता पर कोई बात नहीं करता। लोग हर जगह ईवीएम के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं। उस पर भी वो चुप है। ये लोग बैलेट पेपर पर चुनाव कराने पर जोर नहीं देते। लेकिन ज्ञान देने में उनके बीच प्रतिस्पर्धा है। महाविकास आघाड़ी के सीट आवंटन में छोटी-मोटी अड़चनें थीं, लेकिन किसी ने इसे टूटने की स्थिति तक नहीं पहुंचाया। विदर्भ में कांग्रेस की ही हवा है यह कांग्रेस का तर्क था इसलिए उन्होंने विदर्भ में बड़ा हिस्सा ले लिया। शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नाना पटोले और उनके सहयोगियों ने कड़ी मेहनत नहीं की, ऐसा आरोप लगाना अनुचित होगा। शरद पवार, उद्धव ठाकरे ने प्रचार का तूफान ला दिया था। लोकसभा की अपेक्षा यह चुनाव ज्यादा संघर्षपूर्ण है, ये मानकर विधानसभा चुनाव लड़ा गया, लेकिन चुनावी यंत्रणा ही बेच दी गई। चुनाव आयोग ने राज्य को बेच दिया। इसलिए वास्तविक मतदान की अपेक्षा कुछ लाख वोट अधिक गिने गए। इस वजह से नतीजा पलट गया। विधानसभा के नतीजों के बाद लोगों में खुशी का वातावरण नहीं है। फडणवीस- शिंदे कैसे जीत गए? ये सवाल जनता के जहन में है। राज्य में एक प्रकार की गूढ़ शांति है!
शांति! ईवीएम गर्भवती हो गई!
शांति! ईवीएम हैक हो गया!
शांति! लोकतंत्र मर चुका है!

चुनाव खत्म, अब ‘लाडली’ नहीं रहीं बहनें! …एक परिवार में केवल २ होंगी ‘लाडली बहन’

२,१०० रुपए दिए तो १८,००० करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ

सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा अपने स्वार्थ की राज ‘नीति’ को लाडली बहनों के साथ भी दोहराने वाली है। मतलब चुनाव खत्म होने के बाद अब लाडली बहन योजना पर कैंची चलानेवाली है। सूत्रों के अनुसार, राज्य में नई गठित होनेवाली भाजपा नेतृत्व की महायुति सरकार लाडली बहनों की अब छंटनी करेगी। प्रत्येक घर में सिर्फ दो ही लाडली बहनों को इस योजना का लाभ मिलेगा। पहले यह लाभ २ करोड़ से अधिक महिलाओं को दिया गया था, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद लाभार्थी महिलाओं की संख्या लगभग आधी हो जाएगी।
विधानसभा चुनाव से पहले ‘लाडली बहन’ योजना के तहत महायुति सरकार ने बिना किसी जांच-पड़ताल के हर परिवार की महिलाओं के खाते में सीधे १,५०० रुपए जमा कराए। इस लोकलुभावन योजना के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति पर भारी दबाव पड़ रहा है। इसे देखते हुए नई सरकार योजना के नियम सख्त करने का निर्णय लेगी। अब प्रत्येक परिवार की केवल दो महिलाओं के खाते में ही पैसे जमा होंगे।

लुभाने के लिए लाई गई लाडली बहन योजना
चुनाव खत्म होते ही शर्तें लादने की तैयारी

विधानसभा चुनाव में किसानों और महिलाओं की नाराजगी के चलते महायुति सरकार ने ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ की शुरुआत की थी। योजना के तहत हर बहन के खाते में १,५०० रुपए जमा करने की घोषणा की गई थी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए २.५ लाख रुपए से अधिक वार्षिक आय वाली महिलाओं ने भी आवेदन किया था। शुरू में योजना के तहत प्रत्येक परिवार की केवल दो महिलाओं को पैसे देने की योजना थी, लेकिन चुनाव के मद्देनजर बिना किसी जांच के सभी महिलाओं के खातों में १,५०० रुपए जमा कर दिए गए।
सरकार ने लगभग २ करोड़ ४३ लाख महिलाओं के खातों में पैसे जमा किए, जिससे बीते नौ महीनों में सरकारी खजाने पर लगभग ३३,००० करोड़ रुपए का बोझ पड़ा। अब विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र में वादा किए गए २,१०० रुपए प्रतिमाह के हिसाब से देने पर सरकारी खजाने पर १८,००० करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है।
चुनाव खत्म होने के बाद अब सरकार इस योजना के तहत सख्त शर्तें लागू करने की तैयारी में है। पहले बिना किसी नियम के लाडली बहनों के खातों में पैसे जमा किए गए थे, लेकिन अब आय प्रमाणपत्र, इनकम टैक्स रिटर्न, पेंशन की राशि, चारपहिया वाहन और ५ एकड़ से अधिक भूमि जैसी शर्तों की जांच की जाएगी।

बढ़े हुए वोटाें ने महायुति को जिताया!- संजय राऊत ने खोली विधानसभा चुनाव में जीत की पोल

राज्य में लोकतंत्र व सामाजिक व्यवस्था खतरे में
चुनाव आयोग और कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में संदेह जताया जा रहा है। कैसे बढ़े ७६ लाख वोट? यह प्रश्न अनुत्तरित है। मराठी फिल्म ‘सामना’ में एक डायलॉग है, ‘मारुति कांबले का क्या हुआ?’ वैसे ही सवाल है कि ७६ लाख वोटों का क्या हुआ? शाम ५ बजे से रात ११.३० बजे तक ये वोट कहां से आए? हरियाणा में भी १४ लाख वोट बढ़े, यही फॉर्मूला महाराष्ट्र में भी लागू करते हुए ७६ लाख वोट बढ़े हैं। भाजपा पर ऐसा जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, सांसद संजय राऊत ने कहा कि ये बढ़े हुए वोट ही महायुति की जीत के सूत्रधार हैं। संजय राऊत ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह बात कही।

संजय राऊत ने कहा कि ७६ लाख वोट कहां से आए, यह सवाल नाना पटोले ने उठाया था और हमारा भी यही सवाल है। रात ११.३० बजे तक कतार में लगकर लोग कहां मतदान कर रहे थे, यह चुनाव आयोग को दिखाना चाहिए। रात ११.३० बजे कौन मतदान कर रहा था? हरियाणा में १४ लाख वोट बढ़े और बीजेपी जीत गई। महाराष्ट्र में भी ७६ लाख वोट बढ़े और महायुति की जीत हुई। ये जीत असली नहीं है।
संजय राऊत ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी और चुनाव में धन के दुरूपयोग को लेकर डॉ. बाबा आढाव और उनके साथ कई लोग इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं। अब महाराष्ट्र भी धीरे-धीरे इसमें शामिल हो जाएगा। राज्य में लोकतंत्र और सामाजिक व्यवस्था खतरे में है। चुनाव प्रणाली भ्रष्ट है। ९५ साल के बाबा आढाव पिछले दो दिनों से पुणे में आत्मक्लेश आंदोलन कर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन यह तस्वीर बहुत गंभीर है और महाराष्ट्र को कलंकित करनेवाली है।
उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर लोगों में संशय है। लोग खुश नहीं हैं। इतनी बड़ी जीत के बाद भी कहीं कोई खुशी नहीं है। खुद कार्यवाहक मुख्यमंत्री परेशान हैं और अमावस्या के मौके पर अपने गांव चले गए हैं। महाराष्ट्र को इंतजार है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मुझे नहीं पता कि फडणवीस की जगह किसी और का नाम आएगा या नहीं। इस बीच कई उम्मीदवारों ने ईवीएम पर संदेह जताते हुए दोबारा गिनती के लिए पैसे जमा कराए हैं। क्या इससे कुछ हासिल होगा? पूछे जाने पर राऊत ने कहा कि चुनाव आयोग और कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। अगर अदालत लोगों की बात नहीं सुनती तो हमने इसकी स्थापना क्यों की? ईवीएम से जुड़ी याचिकाएं २ मिनट में खारिज हो गई। क्या न्याय हुआ? राऊत ने ऐसा सवाल पूछा।