संभल हिंसा के बाद जुमे की नमाज को लेकर कड़ी सुरक्षा!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद यूपी प्रशासन ने शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज को लेकर सतर्कता के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिस मुख्यालय से जुड़े सूत्रों की माने तो प्रशासन का उद्देश्य किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकना है। इसलिए पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने राज्य के संवेदनशील स्थानों के साथ-साथ भारत-नेपाल से सटे जिलों पर विशेष निगरानी करवा रहे हैं। बसपा और सपा सरकार में विधानसभा के कार्यवाही के दौरान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रभावित जिलों में चौकसी एडीजे स्तर के तेज-तर्रार अधिकारी देख रहे हैं। यदि कहीं आवश्यकता पड़ी तो चंद घंटों में उन जिलों में केंद्रीय फोर्स के जवान उपलब्ध होंगे।

बता दें कि बसपा सरकार में मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने राज्य के 22 जिलों में आईएसआई के सक्रिय होने की बात स्वीकारी थी। बाद में समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने 27 जिलों में आईएसआई की सक्रियता की बात सदन में एक प्रश्न का उत्तर देते समय बताया था। भाजपा के योगी आदित्यनाथ की सरकार में यह संख्या कहां तक गयी इसका ताजा आंकड़ा राज्य सरकार ने नहीं जारी किया है।

उधर संभल में जिला मजिस्ट्रेट डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने एक आदेश जारी किया, जिसमें जुमे को देखते हुये जिले के प्रमुख स्थानों पर मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है।डॉ. पैंसिया ने आदेश में बताया कि नगर क्षेत्र में 18 प्रमुख स्थानों पर मजिस्ट्रेटों को तैनात किया जाएगा। दो दिन के लिये संभल में इंटरनेट सेवा रोक दी गयी है। प्रमुख स्थानों पर प्रशासनिक अधिकारी सीडीओ गोरखनाथ भट्ट और बीडीओ पवांसा अजीत सिंह को चौधरी सराय में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा, जामा मस्जिद के आसपास के मोहल्लों में विशेष ध्यान दिया जाएगा। वहां एडीएम न्यायिक सुशील कुमार चौबे, नायब तहसीलदार अनुज कुमार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे। जामा मस्जिद के आसपास की 200 मीटर के क्षेत्र में एसडीएम वंदना मिश्रा, डीएसओ शिवि गर्ग, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी माधवी पांडे, नायब तहसीलदार सतेंद्र चाहर और ईओ संभल मनीभूषण तिवारी सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती भी की है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

पावर लिफ्टिंग टूर्नामेंट के स्वर्ण पदक विजेता मुकेश पाल का भव्य स्वागत

सामना संवाददाता / हल्द्वानी

अमेरिका के कोलंबिया में हुए पावर लिफ्टिंग के टूर्नामेंट में  स्वर्ण पदक जीत कर आज हल्द्वानी पहुंचने पर मुकेश पाल जी का 11:00 बजे हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत किया गया। जिसमें  प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के नवीन चंद्र वर्मा, जिला अध्यक्ष विपिन गुप्ता, ब्राह्मण उत्थान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विशाल शर्मा, ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष वह समाजसेवी हेमचंद भट्ट, मॉर्निंग वॉकर क्लब के अध्यक्ष हरिश्चंद्र पांडे, प्राचीन शिवसेवा समिति के मुरली मुलानी, सनी कपूर,  शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के त्रिलोक सिंह, महानगर अध्यक्ष, सुनील गुप्ता, नगर उपाध्यक्ष प्रमोद आर्या, नगर मंत्री सरदार मोनू सिंह, मीडिया प्रभारी अभिषेक कश्यप, आयुष वार्ष्णेय, मुकेश बिष्ट, दीपक राजपूत, प्रदीप पाठक, सोनू केसरवानी, फल सब्जी फुटकर व्यापार समिति के हसीन अंसारी, वरिष्ठ उपाध्याय रवि गुप्ता, सफदर, रामरूप गुप्ता, धर्मेंद्र साहू, विपिन कुमार गुप्ता, क्यों किशन कराटे फाउंडेशन उत्तराखंड इकाई के जिला अध्यक्ष नैनीताल भूपेन्द्र बिष्ट, प्रदेश उपाध्याय, मुजाहिद इस्लाम, प्रदेश सचिव दीपक रावत(अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी), हरीश कश्यप, एक समाज श्रेष्ठ समाज अध्यक्ष योगेन्द्र साहू, योगिता बनौला,  ट्रांसपोर्ट नगर एसोसिएशन  के प्रदीप सब्बरवाल, इंदर भूटानी ,अमरजीत सिंह सेठी,पार्षद रवि जोशी,.नीरज बगड़वाल, गोविंद बगड़वाल, व्यापारी नेता पार्षद नीरज बगड़वाल, पूर्व राज्य मंत्री ललित जोशी, नगर पालिका पूर्व उपाध्यक्ष महेंद्र अधिकारी, व्यापार मण्डल नगर महामंत्री मनोज जायसवाल, बबलू जायसवाल, सक्सेना उमाशंकर गुप्ता, रोहित पाल, संजय वर्मा, पूर्व तहसीलदार, मनोज मिश्रा, रेडक्रॉस सोसायटी के अशोक कुमार, आदि क्षेत्रवासियों और समाज सेवियों लोगों ने रेलवे स्टेशन पर मुकेश पाल का स्वागत किया। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से एक रोड शो के माध्यम से  प्रदेश उपाध्‍यक्ष रूपेन्द्र नागर के नेतृत्व में रोड शो शहर के रेलवे बाजार, नया बाजार, मीरा मार्ग, फल मंडी, मंगल पड़ाव, सिंधी चौराहा, रामपुर रोड, हाईवे रोड नीलकंठ हॉस्पिटल होते हुए निवास स्थान प्रगति बिहार डेहरिया में संपन्न हुआ। रोड शो में सैकड़ाें जगह समाजसेवी, व्यापारियों, फल सब्जी-फुटकर व्यापार समिति, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)  के शिवसैनिकों ने जगह-जगह मुकेश पाल को माल्यार्पण कर स्वागत किया। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मुकेश पाल ने सम्मान और प्रेम के लिए सभी समाजसेवियों का हृदय से धन्यवाद व्यक्त किया।

सटायर: संविधान दिवस पर यूनिवर्सिटी में ठुमके

 डाॅ रवीन्द्र कुमार

एक खबर है कि भारत के एक सूबे में संविधान दिवस पर कार्यक्रम में छात्राओं ने ठुमके लगाए। आलोचकों को आपत्ति ये है कि इस दिन छात्र-छात्राओं को संविधान बनाने की कहानी सुनानी चाहिए थी। अब इन आलोचकों से पूछो भई! ये आजकल के टाइम में कहानी सुनने-सुनाने में किस की रुचि होगी। सबसे बढ़िया मैथड है ऑडियो-विजुअल। इन आलोचकों को इस बात का भी आघात लगा है कि छात्राओं के साथ शिक्षक/शिक्षिकाएं भी ठुमके लगा रही थीं। अब इसमें क्या बात हो गई? नहीं लगाओ तो कहते हैं “…’इनवाॅल्व’ नहीं होते। आपको डूब जाना चाहिए।…” डूबो तो कहते हैं आपको नहीं डूबना चाहिए था।

देखिये संविधान 26 नवंबर 1949 को बन कर तैयार हो गया था और 26 जनवरी 1950 से लागू हो गया। बस ये दो लफ्जों की कहानी है। इसमें कोई क्या कहानी बना लेगा? क्या कहानी सुना लेगा? डांस भी सपना चौधरी का था। वही वाला ‘तेरी आंख्यां का यो काजल…’ इस गाने पर कोई पत्थर दिल ही होगा जिसका ठुमके लगाने का दिल नहीं करेगा। बच्चे सुकोमल होते हैं। शिक्षक/शिक्षिकाओं ने सही किया। देखिये इस डांस के बल पर भी वे बहुत कुछ सीख सकते हैं जैसे कि संविधान दिवस कब मनाया जाता है वही जब ‘तेरी आंख्यां का यो काजल’ गीत बाज्या था। जिस पर पचास साला मैडम भी कतई दिल खोल कर नाचीं थीं यानि कि 26 नवंबर को।

बच्चे जो नाच-गाने से सीख सकते हैं वह कितनी भी क्लास में कहानी सुना लो नहीं सीख पाते हैं। यह बात प्रूव हो चुकी है। अब इधर-उधर अखबार में छप जाने से और ऑबजेक्शन लेने से और भी ये दिन यादगार बन गया है। क्या स्टूडेंट, क्या शिक्षक सभी को ये दिन याद रहेगा। और उसी के साथ सपना चौधरी जी भी। अब ठुमके लगाने पर कोई क्या आपत्ति कर सकता है ? बिना ठुमके नृत्य हो ही नहीं सकता। संविधान में भी मौलिक अधिकारों में ये वर्णन है कि नागरिकों को सांस्कृतिक अधिकार है। वे संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा सकते हैं। अब कदम खुदबखुद डांस पर थिरकने लग जाएँ तो क्या करे कोई ? आखिर सपना चौधरी कोई ग़ैर संवैधानिक डांस तो करेंगी नहीं। लोगों को तो बात का बत्तंगड़ बनाना है। उससे होने वाली ‘लर्निंग’ की तरफ ध्यान ही नहीं जाता। आवरण को देख चिल्ल पौं मचा रहे हैं उसके निहितार्थ संदेश को कतई नहीं देख रहे। ऐसे ही लोग ना तो संविधान को समझते हैं न सपना चौधरी जी को ना उनके डांस को। ठुमके के तो जन्मजात खिलाफ ही होते हैं ऐसे लोग। एकदम ड्राई ड्राई। इनसे क्या ही तो उम्मीद करे कोई ? आप 26 जनवरी पर दुनियाँ भर के लोक नृत्य, दिन-दहाड़े इंडिया गेट पर, पूरे देश के सामने राजपथ बोले तो कर्तव्य पथ पर कर सकते हैं तो यह आपका मौलिक कर्तव्य है कि आप स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, गली-चौराहों शादी ब्याहों, जन्मदिन सब पर डांस करें। डांस एक वर्जिश भी है। डांस एक ‘फिटनेस मंत्रा’ भी है। दुनियाँ भर के डांस शो चल रहे हैं। लोग संसार में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अंतर्गत अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनाम-इकराम तो भारत सरकार ही देती है। खुद सपना चौधरी ना जाने कितने देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर वाह वाही लूट चुकी हैं। सम्पन्न तो वह हैं ही। कहानी लिखने वालों की दुर्दशा आपने-हमने- सबने देखी है। प्रेम चंद कैसी विपन्न अवस्था में रहे। यूं कहने को उन्होने तीन सौ से ऊपर कहानियाँ लिखीं। एक के बाद एक ‘मानसरोवर’ की झड़ी लगा दी मगर खुद धन की छींटों के लिए भी तरस गए।

मेरा शिक्षा जगत के विद्वानों से आग्रह है कि आपका फोकस लर्निंग पर होना चाहिए उसके तरीके सेकंडरी है। कहानियां डालना अब आउट ऑफ फैशन हो गया है। सब समझ जाते हैं कि अगला कहानियाँ डाल रहा है। कहानियाँ डालना एक निगेटिव कंसेप्ट है। जबकि नृत्य, नाटिका, स्किट, से सदा के लिए मॉरल मिलता है। अतः संविधान की शिक्षा के लिए शिक्षक जगत से मेरा निवेदन है कि उसे आसान बनाएँ। हँसते-खेलते उसको पढ़ाएँ। संविधान आधारित नृत्य- नाटिकाएं डवलप करें। बच्चे जल्दी समझेंगे और देर तक भूलेंगे नहीं। जिस-जिस ने भी उस दिन ठुमके लगाएँ हैं ना तो वो ठुमकों को भूल सकते हैं ना संविधान को।

सटायर: हेलमेट बिना कार चलाने पर चालान

 डाॅ रवीन्द्र कुमार

पुलिस में आप क्यों भर्ती होते हैं? बचपन का एक सपना होता है! पुलिस बोले तो पाॅवर! पाॅवर बोले तो पैसा। अब पुलिस में अगर किसी को ‘लाइट पनिशमेंट’ देना हो, बोले तो, खुड्डे लाइन लगाना हो तो लाइन हाजिर कर दिया जाता है। ऐसा ही एक क्षेत्र है ट्रैफिक पुलिस। उनका एक ही सहारा है। एक ही चलन है वो है चालान।

अब चालान यूं ही तो नहीं हो जाता। आपको बताना पड़ता है कि रेड लाइट जम्प की है या खिड़कियों की शीशे ज्यादा काले हैं। सीट बेल्ट नहीं पहनी। स्पीड लिमिट का पालन नहीं किया। जो कि ले दे कर ऐसे ही आधा दर्जन उल्लंघन है जिसके इर्दगिर्द सारा ट्रैफिक सिस्टम घूमता है। अतः उसी अनुसार ट्रैफिक पुलिस के पास भी यही आधा दर्जन क्षेत्र हैं जहां से उन्होंने अपने चाय-पानी का प्रबंध करना है। दूसरे शब्दों में रोज कुआं खोदना है रोज पानी पीना है। भई सड़क पर खड़े हुए बिना आप उल्लंघनकर्ता को पकड़ नहीं पाएंगे। अगर कैमरे ने ही पकड़ना है तो चालान भी कैमरे ने ही ले लेना है यानि ‘ऑन-लाइन’ होगा। आपका आमना-सामना फ्रेंडली पुलिसमैन से तो हो ही नहीं पाएगा। जब वो नहीं हो पाएगा तो कैसे आप अपने चालान को माफ करा पाएंगे? कैसे तो ट्रैफिक पुलिसमैन चाय-पानी पिएगा। अपना नहीं तो उस बेचारे ग़रीब का तो ख्याल करो जो सर्दी-गर्मी, बारिश-तूफान की परवाह किए बिना आपकी सहायता को पेड़ की आड़ में कहीं छुपा है या रेड लाइट से टर्न लेते ही तीन-चार की गिरोहबंदी करके खड़े हैं। किसलिए? सिर्फ इसलिए कि वे आपके किसी काम आ सकें। एक आप हैं जो उन्हीं से नजर बचाते फिरते हो। ये क्या बात हुई? सरकार आपके लिए परिवार नियोजन की एक से बढ़ कर एक योजनाएं लायी मगर आप उन्हीं योजनाओं से नजर बचाते घूमते रहे। ये जाने बिना कि असल में ये सब सरकार आपकी भलाई के लिए ही कर रही थी। उसी तरह ये ट्रैफिक पुलिस आपकी सेवा में आपके लिए ही है। स्कूटर- बाइक चला रहे लोग अव्वल तो हेलमेट पहनते नहीं, पहनते हैं तो उसे सर पर धर भर लेते हैं। उसका फीता नहीं बांधते। अब बताओ ऐसे हेलमेट का क्या लाभ ? जैसे पुलिस पर एहसान कर रहे हों। अलबता आप पुलिस के चालान से बच जाते हैं। धीरे-धीरे यह फार्मूला भी बासी हो गया। यानि लोग खुदबखुद फीता भी बांधने लगे। यह तो हद हो गई अब ट्रैफिक पुलिस क्या करे? कैसे तो आपकी सहायता करे और कैसे अपना अस्तित्व जस्टीफ़ाई करे। उन्होने हार नहीं मानी।

लेटेस्ट खबर यह है कि ट्रैफिक पुलिस अब कार चालकों को भी रोकने लग गई हैं। उनसे पूछने लग पड़ी है उनका हेलमेट कहां हैं ? अब कार ड्राइवर का परेशान होना लाजिमी है। वह सोच रहा है ये कब में हो गया? अब इन बेखबर ड्राइवरों को कौन बताएगा ? अखबार वो पढ़ते नहीं। टी.वी. न्यूज वो देखते नहीं। फिर वो सोचता है हो सकता है उस को पता नहीं चला हो ये भी कोई नया कानून आ गया होगा कि अब कार चालकों को भी हेलमेट पहनना पड़ेगा। आखिर फ़ार्मूला रेस में ड्राइवर हेलमेट पहनता ही है।

उसे यह खुशी का एहसास भी हो सकता है कि गोया अब सरकार उसे भी फार्मूला रेस का ड्राइवर से कम नहीं समझती है। ये क्रेडिट की बात है। वह खुशी-खुशी चालान के नाम पर ट्रैफिक वाले को पैसे देने को तत्पर हो जाता होगा।और खुद जा पहुंचता होगा अपने लिए फार्मूला वन जैसा फैन्सी सुर्ख लाल हेलमेट खरीदने।

गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप ने अपनी नई ब्रांड पहचान को किया लॉन्च

सामना संवाददाता / मुंबई

देश में विविधतापूर्ण इंजीनियरिंग और डिज़ाइन पर आधारित अग्रणी समूह, गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप ने ग्राहकों और दूसरे भागीदारों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने के उद्देश्य से बिल्कुल नए सिरे से तैयार की गई अपनी ब्रांड पहचान को लॉन्च किया।

ब्रांड की इस नई पहचान में गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप की समृद्ध विरासत के प्रति सम्मान की झलक दिखाई देती है। साथ ही, इससे जाहिर होता है कि यह समूह डिज़ाइन पर आधारित इनोवेशन के साथ-साथ ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाकर और सस्टेनेबल विकल्पों को सबसे ज्यादा अहमियत देकर 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी के संकल्प पर कायम है।

इस अवसर पर गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, जमशेद गोदरेज ने कहा, “सही मायने में भारत के विकास से जुड़ी जरूरतों के लिए हमेशा उपयोगी बने रहने की क्षमता ने हमारी निरंतर प्रगति में सबसे अहम भूमिका निभाई है, और ब्रांड का नवीनीकरण खुद को लगातार नया रूप देने की हमारी चाहत को दर्शाता है। हम अपने ग्राहकों को हमेशा पहले से अधिक मूल्यवान समाधान और अनुभव प्रदान करना चाहते हैं, जो उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाले। अव्वल दर्जे की गुणवत्ता और जटिल इंजीनियरिंग ही हमारी बुनियाद है, लिहाजा हमारे ब्रांड को अपने ग्राहकों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए लगातार आगे बढ़ते रहना होगा।”

16वां डालमिया लायंस खेल महोत्सव का आयोजन

सामना संवाददाता / मुंबई
प्रह्लादराय डालमिया लायंस कॉलेज के ट्रस्टी व कर्णधार परिषद के महामंत्री लायन कन्हैयालाल घ. सराफ व प्राचार्य प्रो. डॉ. दिगंबर एन. गंजेवर ने बताया कि १६ वां ‘डालमिया लायंस खेल महोत्सव’ अन्तरमहाविद्यालयीन खेल स्पर्धा का आयोजन दिनांक १० , ११ एवं १२ दिसंबर २०२४ को सुंदर नगर, मालाड (प.) स्थित कॉलेज परिसर में किया गया है। इस महोत्सव में कैरम, रिंक फुटबॉल, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल एवं कबड्डी स्पर्धा में हिस्सा लेनेवाले कॉलेजों को खेल प्रशिक्षक राजेश मौर्य से ९९२०६०२००१ पर संपर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं |
विजेता कॉलेज टीम को ट्रॉफी एवं व्यक्तिगत विजेता छात्रों को प्रमाण पत्र पदक एवं नगद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा |

पब्लिक से पाई-पाई का हिसाब लेगी मोदी सरकार! … पैन २.० योजना को मिली मंजूरी

-हर अकाउंट पर हरदम रहेगी आयकर की सीधी नजर
– हरेक ट्रांजेक्शन पर आईटी को मिलेगा तुरंत अलर्ट
– रु. १,५०० करोड़ खर्च करके डेढ़ लाख करोड़ की होगी आम जनता से वसूली’

सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा सरकार के राज में आम लोगों की कमाई तो घट रही और खर्चे बढ़ रहे हैं। नोटबंदी के बाद सरकार ने जीएसटी लगाकर व्यापारियों की कमर तो तोड़ ही दी थी, अब आम आदमी भी सरकार के चक्रव्यूह में फंसने वाला है। मोदी सरकार ने पब्लिक से पाई-पाई का हिसाब लेने का मंसूबा बनाया है। यह काम पैन २.० योजना के तहत किया जाएगा। सरकार ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के लागू होने के बाद हर अकाउंट पर सरकार की सीधी नजर होगी। आम आदमी द्वारा किया गया हर ट्रांजेक्शन का अलर्ट आईटी को तुरंत मिल जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार पैन २.० के तहत नया पैन कार्ड जारी करनेवाली है। इसमें नंबर तो वही पुराना रहेगा, पर कार्ड में क्यूआर कोड जैसे नए फीचर जुड़नेवाले हैं। इस क्यूआर कोड को स्वैâन करते ही यूजर की सारी जानकारी सामने आ जाएगी। बताया जा रहा है कि इस योजना पर करीब १,५०० करोड़ रुपए खर्च होनेवाले हैं और सरकार इसके जरिए करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए की वसूली की मंशा पाले बैठी है।

पैन २.० करेगा आपकी कमाई का पंचनामा!

क्यूआर कोड को स्कैन करने पर व्यक्ति की फोटो, सिग्नेचर, नाम, पिता / माता का नाम और जन्मतिथि की जानकारी मिलेगी। इसके लिए नया पैन कार्ड अलग से बनवाने की जरूरत नहीं है।

केंद्र सरकार ने देशभर में पैन २.० शुरू करने एलान किया है। यह नया पैन कार्ड आपकी कमाई का पंचनामा करेगा यानी आपने कितना कमाया और कितना खर्च किया, इस बात की पूरी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को तुरंत पहुंच जाएगी। इस नए पैन कार्ड २.० में क्यूआर कोड होगा, जसे स्वैâन करते ही यूजर की सारी जानकारी सामने आ जाएगी। इसके लिए सरकार करीब १,५०० करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सरकारी दावे के अनुसार, इसका मकसद पैन कार्ड की प्रक्रिया को आसान और सुरक्षित बनाना है। देश में करीब ७० करोड़ पैन कार्ड हैं। पैन कार्ड २.० एक नई प्रणाली है जो पैन कार्ड से जुड़ी सभी जानकारियों को एक ही जगह पर लाएगी। अब तक पैन से जुड़े कामों के लिए अलग-अलग वेबसाइट्स थी, लेकिन अब एक ही वेबसाइट पर सभी काम हो सकेंगे। इसमें पैन कार्ड बनवाना, अपडेट करना, सुधार करना, आधार से लिंक करना, दोबारा जारी करवाना और पैन कार्ड की वैलिडिटी चेक करना जैसे काम शामिल हैं। क्यूआर कोड पैन कार्ड की जानकारी को वेरिफाई करने में मदद करता है। जहां तक क्यूआर कोड का सवाल है तो वह २०१७-१८ से ही पैन कार्ड में आ रहे हैं। मगर अब ये अनिवार्य हो जाएंगे। अब ये डायनामिक होंगे यानी इनमें पैन डेटाबेस की लेटेस्ट जानकारी दिखेगी। क्यूआर कोड को स्वैâन करने पर व्यक्ति की फोटो, सिग्नेचर, नाम, पिता / माता का नाम और जन्मतिथि की जानकारी मिलेगी। इसके लिए नया पैन कार्ड अलग से बनवाने की जरूरत नहीं है। पुराना पैन कार्ड वैलिड रहेगा।

क्यूआर कोड के साथ अपग्रेड होगा पैन २.०
बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के क्यूआर कोड के साथ पैन कार्ड को नए डिजाइन में अपग्रेड किया जा सकता है। हालांकि, अगर फिजिकल कार्ड चाहिए तो आवेदन करना होगा और इसके लिए ५० रुपए का भुगतान करना होगा। पैन कार्ड पर क्यूआर कोड न होने से उसकी वैधता प्रभावित नहीं होगी। इनकम टैक्स एक्ट, १९६१ के प्रावधानों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा पैन कार्ड नहीं रख सकता है। अगर किसी व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पैन है तो उसे अपने अधिकार क्षेत्र के निर्धारण अधिकारी को इसकी सूचना देना होगा और अतिरिक्त पैन को डिलीट या डिएक्टिवेट करवाना होगा।

संपादकीय : संविधान दिवस का ढोंग!

मोदी सरकार का संविधान दिवस मनाना आश्चर्य की बात है। मोदी और उनके लोग देश में गांधी का सम्मान नहीं करते। उनके लोग यहां गांधी के हत्यारों की मूर्तियां लगवाते हैं, लेकिन मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो वहां गांधी स्मारकों पर माथा टेकते हैं। इसलिए यह आश्चर्यजनक है, लेकिन चौंकाने वाला नहीं कि मोदी सरकार ने संविधान दिवस मनाया। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ आदि नारों के साथ चुनाव लड़ने वालों का संविधान से क्या रिश्ता है? संविधान दिवस का सरकारी कार्यक्रम संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया। वहीं कांग्रेस ने दिल्ली में अपना संविधान दिवस कार्यक्रम मनाया। राहुल ने तंज कसते हुए कहा, ‘मोदी ने देश का संविधान नहीं पढ़ा!’ देश के मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें कोई शक नहीं कि राहुल गांधी ने सच बोला है। जब से मोदी सत्ता में आए हैं, संविधान द्वारा अपेक्षित कानून का शासन यहां देखने को नहीं मिल रहा है। न्याय, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द पूरी तरह से गायब हो गए हैं। जातिगत और धार्मिक संघर्ष जारी है और देश की संपत्ति एक ही उद्योगपति अडानी के कब्जे में चली गई है। भारत के संविधान में ये अपेक्षित नहीं था। अदालतें निष्पक्ष नहीं हैं और न्यायाधीश संवैधानिक मुद्दों पर न्याय से पलायन करते हैं। चुनाव आयोग, राजभवन मोदी के अंधभक्तों के अड्डे बन गए हैं। देश में चुनाव एक तमाशा बन गया है। वोट और मतदाता खरीदे जाते हैं या चुनावी व्यवस्था पर कब्जा करके जीत हासिल की जाती है। यह हमारे लोकतंत्र का मजाक है और जो लोग ऐसा करते हैं वे संसद में संविधान दिवस मनाते हैं। संविधान दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक मांग की, उन्होंने कहा, ‘हम ईवीएम से चुनाव नहीं चाहते, सभी चुनाव बैलेट पेपर पर कराएं।’ श्री खड़गे ने यह मांग महाराष्ट्र विधानसभा नतीजों के चलते की है। यह साफ हो चला है कि भाजपा गलत तरीके से जीती है, लेकिन मोदी उस पापपूर्ण जीत का जश्न मनाते हैं। गिने गए वोटों की संख्या महाराष्ट्र में हुए मतदान से करीब १० लाख ज्यादा है और ये संख्या और भी बढ़ सकती है। यह एक घोटाला है, लेकिन मोदी और उनके लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विधायक, सांसद और चुनाव में वोट तक चुराने का मोदी सरकार का खेल चल रहा है। उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर दंगा भड़काया गया। वहां पुलिस फायरिंग में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ लोगों का दावा था कि जामा मस्जिद के नीचे एक मंदिर है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ऐसी आग लगाकर गए और उसका परिणाम देश भुगत रहा है। चूंकि चंद्रचूड़ काल में यह निर्णय लिया गया था कि मस्जिद का सर्वेक्षण करने में कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए भक्त उग्र हो गए और कुदाल और फावड़े से सभी मस्जिदों के तहखाने की खुदाई पर निकल पड़े हैं। ये वे बातें हैं जो देश को विघटन और अराजकता की ओर ले जाती हैं। संविधान ऐसी बातों की इजाजत नहीं देता, लेकिन मोदी ऐसा कर रहे हैं और फिर से संविधान दिवस मना रहे हैं। ये घटिया काम चुनाव जीतने के लिए चल रहे हैं। महाराष्ट्र में भाजपा ने विधायक खरीदकर संविधान विरोधी सरकार को बिठाया। राज्यपाल ने इसके लिए झूठ बोला। चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से धोखाधड़ी कर सरकार की रक्षा की। तब इनमें से किसी को भी संविधान के मूल्यों की परवाह नहीं थी। वे लोकसभा चुनाव में ४०० सीटें जीतकर संविधान बदलना चाहते थे, लेकिन हम भारतीय समझदार हैं इसलिए मोदी के ये मंसूबे नाकाम हो गए, बावजूद मोदी और उनके लोग चुप नहीं बैठे हैं। स्वार्थ के लिए उनके छल और षड्यंत्र जारी हैं। क्योंकि मोदी और उनके लोगों ने भारतीय संविधान का एक भी पन्ना नहीं पढ़ा है। इसीलिए राहुल गांधी ने मोदी को बेनकाब किया है। मोदी संसद नहीं चलने देते। जब विपक्षी नेता अडानी के भ्रष्ट कारोबार पर बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो उनके माइक बंद कर दिए जाते हैं। मोदी संसद और विधानसभा में विपक्षी दल नहीं चाहते। मूलत: वे लोकतंत्र और संवैधानिक शासन नहीं चाहते। वे ‘तोड़ो, फोड़ो, राज करो और देश को लूटने वालों का समर्थन करो’ की नीति लागू करना चाहते हैं। मणिपुर जल रहा है। महिलाओं को सड़कों पर नंगा किया जा रहा है। बलात्कार हो रहे हैं। उसे देखकर संविधान की प्रतियां आंसुओं से भीग गई होंगी, लेकिन मोदी-शाह संविधान की रक्षा नहीं करना चाहते और संविधान का सम्मान करते हुए देश चलाना नहीं चाहते। मोदी विपक्षी दलों के कब्जे वाले राज्यों को अल्लम-गल्लम मानते हैं। क्या यही संविधान की सीख है? समता, समान न्याय का सिद्धांत यहां खत्म हो गया है। हम करे सो कानून, इसका संविधान में कोई स्थान नहीं है। लोकतंत्र के चारों स्तंभों को गुलाम बनाकर अगर कोई संविधान महोत्सव का डंका बजाता है तो यह ढोंग है, पाखंड है। मोदी, संविधान पढ़िए और फिर बोलिए!

बेरोजगार बॉयफ्रेंड  करता था बार-बार बेइज्जती … परेशान पायलट ने दी जान!

सामना संवाददाता / मुंबई
अंधेरी में एक महिला पायलट की मौत का मामला सामने आया है। शुरुआत की जांच में पता चला है कि इस महिला पायलट का बेरोजगार बॉयफ्रेंड उसकी बार-बार बेइज्जती करता था। कई बार तो उसने सार्वजनिक रूप में भी बेइज्जती की थी। इससे परेशान होकर महिला पायलट ने जान दे दी। पुलिस ने अब मामले की जांच के बाद पायलट के बॉयफ्रेंड को  गिरफ्तार कर लिया है। पायलट के घर वालों का यह आरोप है कि पीड़िता का यह तथाकथित पुरुष मित्र उसे काफी परेशान तो करता ही था, उससे पैसे भी लेता था। इसके साथ ही वह बात-बात पर झगड़ा भी करता था।

पायलट की परीक्षा में फेल हो गया था आरोपी!
-बात-बात पर प्रेमिका को करता था प्रताड़ित

इस झगड़े ने इतना तूल पकड़ा कि गुस्से में प्रेमी रात के एक बजे दिल्ली जाने के लिए निकल पड़ा। प्रेमी के इस रवैए से निराश श्रृष्टि ने उसे फोन कर कहा कि वह आत्महत्या करने जा रही है।

महिला पायलट और हवाई सुंदरियों के साथ एविएशन विभाग के अधिकारी तो कहीं पायलट द्वारा शारीरिक शोषण करने के कई मामले दर्ज हो चुके हैं। ऐसे मे एक और ताजा मामला सामने आया है। अपने बॉयप्रâेंड से तंग आकर एक महिला पायलट ने खुदकुशी कर ली। पता चला है कि आरोपी पायलट की परीक्षा में फेल हो गया था और इस कारण अपनी पायलट प्रेमिका के साथ कुंठा का अनुभव करता था। इसी वजह से वह बार-बार अपनी प्रेमिका को बात-बात पर प्रताड़ित करता था।
मिली जानकारी के मुताबिक, महिला पायलट श्रष्टि तुली एयर इंडिया में कार्यरत थी और वह अंधेरी के मरोल स्थित किराए के मकान में रहती थी। पवई पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक जितेंद्र सोनावने ने बताया कि श्रृष्टि का आदित्य पंडित नाम के शख्स के साथ प्रेम प्रसंग था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच अनबन चल रही थी। रविवार रात को श्रृष्टि जब काम पर से लौटी तो उसका उसके प्रेमी पंडित के साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। इस झगड़े ने इतना तूल पकड़ा कि गुस्से में प्रेमी रात के एक बजे दिल्ली जाने के लिए निकल पड़ा। प्रेमी के इस रवैए से निराश श्रृष्टि ने उसे फोन कर कहा कि वह आत्महत्या करने जा रही है। पवई पुलिस के मुताबिक, जब आरोपी घबराकर श्रृष्टि के घर लौटा तो घर में श्रृष्टि बदहवास हालत में पड़ी हुई थी। पुलिस के मुताबिक, पंडित फौरन श्रृष्टि को अंधेरी स्थित सेवन हिल अस्पताल लेकर गया, जहां डॉक्टरों ने श्रृष्टि को मृत घोषित कर दिया। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक जितेंद्र सोनावने के मुताबिक, आत्महत्या का मामला दर्ज कर आरोपी आदित्य पंडित को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने पायलट की परीक्षा दी थी, लेकिन वह फेल हो गया था।

पहले भी हो चुकी हैं शोषण की घटनाएं
एयर होस्टेस और महिला पायलट के साथ शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करने की कई घटनाएं पहले सामने आ चुकी हैं। इस तरह का खेल कोई और नहीं, बल्कि पायलट या एविएशन विभाग के अधिकारी ही करते हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली की महिला पायलट के सामने पेश आया था। डीजीसीए का एक अधिकारी महिला पायलट को शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। जब महिला को पता चला कि उसके साथ धोखा हुआ है तो उसने अक्टूबर २०२४ को डीजीसीए अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। इसी तरह २०२० में कोलकाता से बैंकाक जा रहे फ्लाइट में पायलट ने एयरहोस्टेस को अपने कॉकपिट में बैठाकर उसके साथ शारीरिक शोषण किया। एक और मामले में एयरहोस्टेस ने पायलट के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाया था।

गृह विभाग पर गृह क्लेश! …शिंदे को गृह मंत्रालय भी देने के मूड में नहीं भाजपा

रामदिनेश यादव / मुंबई
महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर मचे घमासान के बीच अब गृह मंत्रालय को लेकर क्लेश शुरू हो गया है। इसे लेकर शिंदे और फडणवीस के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है। हालांकि, फिलहाल इस मामले में शिंदे कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। जहां तक सीएम पद का सवाल है तो शिंदे ने अपना कदम पीछे लेकर यह साबित कर दिया है कि भाजपा के सामने उन्होंने घुटने टेक दिए हैं। ऐसे में साफ है कि महायुति में भाजपा जो चाहती है, वही होगा। इसी के साथ यह भी तय हो गया है कि भाजपा के लिए एकनाथ शिंदे का महत्व अब खत्म हो गया है। भाजपा इन्हें जो भी देगी, उसे लेना ही पड़ेगा। मुख्यमंत्री पद को लेकर हार मान चुके एकनाथ शिंदे ने अपनी लाज बचाने के उद्देश्य से पत्रकार परिषद लेकर स्वीकार किया कि भाजपा जो भी कहेगी, वे मानेंगे। लेकिन इसके साथ ही अब सवाल उठता है कि सीएम पद नहीं मिला तो अब शिंदे क्या करेंगे?

शाह भरोसे शिंदे!
गृह मंत्रालय के लिए दिल्ली से की बात

भाजपा नई सरकार में मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय मतलब टॉप के दोनों मंत्रालय शिंदे को नहीं देगी। संभवत: शिंदे को उनकी पुरानी जगह सार्वजनिक निर्माण व शहरी विकास विभाग ही मिलेगा।

खबर है कि एकनाथ शिंदे नई सरकार में गृह मंत्री पद के लिए अड़ गए हैं, लेकिन उनकी इस मंशा को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस पूरी होने देने के मूड में नहीं हैं। दरअसल, फडणवीस का सबसे पसंदीदा विभाग गृह विभाग है। उसी के सहारे वे पूरे महाराष्ट्र में अपनी धाक जमाते हैं, अब ऐसे में गृह विभाग देवेंद्र फडणवीस किसी दूसरे को नहीं देंगे, लेकिन शिंदे भी कम नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री अमित शाह से भी बात की है।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पद को लेकर शिंदे और भाजपा के बीच विवाद किसी तरह खत्म हुआ तो अब गृह विभाग को लेकर क्लेश बढ़ गया है। नई गठित होने वाली सरकार में शिंदे अब गृह मंत्री के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो भाजपा नई सरकार में मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय मतलब टॉप के दोनों मंत्रालय शिंदे को नहीं देगी। संभवत: शिंदे को उनकी पुरानी जगह सार्वजनिक निर्माण व शहरी विकास विभाग ही मिलेगा। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, शिंदे पर गद्दारी का ठप्पा लगा है। ऐसे में भाजपा शिंदे गुट पर भविष्य के लिए किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि भाजपा शिंदे को ये दोनों विभाग न देकर अन्य कोई दो विभाग दे सकती है।
शिंदे गुट के विधायक ठगे गए?
विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद शिंदे गुट के विधायक भले बड़े जोर-शोर से जश्न मना रहे थे, लेकिन अब मंत्री पद के लिए वे खुद को लाचार पा रहे हैं। अजीत पवार गुट की भाजपा से बढ़ती नजदीकियों के चलते शिंदे गट अब खुद को अलग-थलग देख रहा है। वास्तव में अब उन्हें एहसास हो रहा है कि वे ठगे जा चुके हैं। ऐसे में शिंदे गुट के विधायक किसी भी तरह मंत्री पद पाने की ख्वाहिश लेकर अब भी ताज लैंड्स होटल में रुके हुए हैं।

शिंदे का सरेंडर
बुधवार को ठाणे में कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि भाजपा का सीएम हमें मंजूर है। मुझे पद की लालसा नहीं। अब भाजपा वाले जो पैâसला लेंगे, स्वीकार होगा। भाजपा के लोग मन में कोई अड़चन न लाएं। कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है। हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं बनेंगे। इस दौरान वे काफी हताश नजर आ रहे थे। वे भले खुद को खुश जता रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।