आउट ऑफ पवेलियन : छीन लो ट्रॉफी! …पाकिस्तान से छिन सकती है चैंपियंस ट्रॉफी

अमिताभ श्रीवास्तव

तो अब ऐसी मानसिकता बनने लगी है, आईसीसी विचार करने लगा है कि पाकिस्तान से चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी छीन ली जाए। दरअसल, पाकिस्तान इस समय अपनी औकात में है। पूरा देश जल रहा है। राजनैतिक अस्थिरता ऐसी है कि जितने भी अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट उसके यहां हो रहे हैं सब लगभग रद्द किए जा रहे हैैं, खिलाड़ी स्वदेश भाग रहे हैं। ऐसे में आईसीसी विचार करने लगा है कि क्रिकेट का यह बड़ा आयोजन पाकिस्तान से छीन कर किसी अन्य देश में कराया जाए। इंडिया ने कह दिया है कि वो पाकिस्तान खेलने नहीं जाएगा और यदि आईसीसी को उचित जान पड़े तो वो मेजबानी भी कर सकती है। दरअसल, बड़ी-बड़ी डींगें हांकने के बाद पाकिस्तान के तेवर अब नरम होते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान में हाल ही में राजनीतिक विरोध-प्रदर्शनों के बाद चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ पूरी तरह से किसी दूसरे देश में आयोजित होने की स्थितियां बनने लगीं है। इस्लामाबाद में चल रहे राजनीतिक विरोध-प्रदर्शनों का असर सीधे तौर पर खेलों पर पड़ता दिख रहा है। श्रीलंका की ‘ए’ टीम अब वापस अपने देश लौट रही है। उसने पाकिस्तान शाहीन्स के खिलाफ चल रही वनडे सीरीज को बीच में ही छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि यह आईसीसी बोर्ड की वर्चुअल बैठक से एक दिन पहले हुआ है, जो २०२५ चैंपियंस ट्रॉफी के कार्यक्रम पर पैâसला करेगी। ऐसे में इस मामले को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है। कुछ और प्रतिभागी देशों के सुरक्षा संबंधी चिंता व्यक्त किए जाने के कारण, इस आयोजन को पाकिस्तान से बाहर ले जाने का खतरा मंडरा रहा है। बढ़ते दबाव के कारण पीसीबी अब इसे हाइब्रिड मॉडल में आयोजित करने पर सहमति जता सकता है। देश में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सफल आयोजन के पाकिस्तान के दावों को बड़ा झटका लगा, जब श्रीलंका ‘ए’ टीम ने पाकिस्तान की राजधानी में चल रहे बवाल के कारण अपना दौरा रद्द करने का फैसला लिया। इसके बाद ही पीसीबी ने पाकिस्तान शाहीन्स और श्रीलंका ‘ए’ के बीच होने वाले आखिरी दो ५० ओवर के मैचों को स्थगित कर दिया है। रद्द किए गए मैच बुधवार और शुक्रवार को खेले जाने थे। इस वक्त पाकिस्तान की राजधानी में पूरी तरह अराजकता है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक और जनरल आसिम मुनीर की सेना के बीच टकराव बढ़ गया है। पाकिस्तान १९९६ के बाद से अपने पहले आईसीसी इवेंट की मेजबानी करने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन इस घटना के बाद इसकी संभावनाएं कम नजर आ रही हैं। पाकिस्तान की राजधानी में इस समय सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, क्योंकि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री और क्रिकेटर इमरान खान के समर्थकों ने बड़ी संख्या में राजधानी की घेराबंदी कर रखी है। भारत के चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए पाकिस्तान जाने से इनकार करने के बाद से ही पड़ोसी मुल्क की परेशानी बढ़ी हुई थी। ऐसे में वहां चल रहे बवाल ने इस टूर्नामेंट की मेजबानी को और भी असंभव बना दिया है। अब आईसीसी जल्द ही फैसला लेगी कि क्या पाकिस्तान से मेजबानी छीन ली जाएगी या इसका कोई और विकल्प होगा। श्रीलंका ‘ए’ टीम का दौरा रद्द होने के पीछे चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने वाले खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर चिंता हो सकती है।

मेस्सी के बेटे में मेराडोना की आत्मा
अर्जेंटीना को मिल सकता है दूसरा मेराडोना
हालांकि, अभी यह कहना बहुत जल्दी होगा, मगर जैसा कि कल लोग कहते नजर आए कि लगता है फुटबाल के महान खिलाड़ी डियोगो मेराडोना की आत्मा लियोनल मेस्सी के बेटे थियागो में आ गई है। अर्जंेटीना के भविष्य के लिए यह एक सुखद क्षण था। दरअसल, लियोनेल मेस्सी और लुइस सुआरेज के बेटे पहली बार इंटर मियामी के लिए एक साथ खेले। यह एक आकर्षण का अवसर था। अपने बेटों को खेलते हुए देखना माता-पिता के लिए बहुत खुशी की बात होती है तो इस मैच में दोनों की पत्नियां अपने बेटों को खेलते हुए देखने स्टेडियम में मौजूद थी। दोनों को न्यूवेल्स कप में सामना करना था। अर्जेंटीना के रोसारियो में हुए मैच में उनकी मियामी टीम जीत गर्इं। इस जीत में इस जोड़ी ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। १२ वर्षीय थियागो मेस्सी ने अपने पिता की प्रतिष्ठित नंबर १० शर्ट पहनी थी, और मैदान पर मेराडोना की तरह दौड़ता भागता नजर आया। उसने भी मेराडोना और पिता लियोनल की तरह ही ऐसा पास दिया जिस पर बार्सिलोना के महान खिलाड़ी को गर्व होता। गेंद उसे ‘डी’ के ठीक बाहर दी गई और उसने अपने साथी खिलाड़ी को शानदार पहली बार पास दिया, जिसने प्रतिद्वंद्वी को चकमा भी दिया मगर गेंद को बाहर मार दिया। लेकिन उनके करीबी दोस्त बेंजामिन सुआरेज, जो लुइस सुआरेज के बेटे हैं, स्कोरशीट पर नाम दर्ज कराने में सफल रहे। इस युवा खिलाड़ी ने अपने पिता की तरह क्रॉस के अंत में पहुंचकर गेंद को गोल में पहुंचाने की करामात दिखाई। मेस्सी की पत्नी एंटोनेला स्टैंड से यह मैच देख रही थीं, इंटर मियामी का सामना न्यूवेल्स ओल्ड बॉयज से भी था, जहां मेस्सी एक युवा खिलाड़ी के रूप में आए थे। वे उस मुकाबले में १-० से हार गए, लेकिन पेनारोल के खिलाफ उन्होंने वापसी की, जिसका श्रेय कुछ हद तक मेस्सी और सुआरेज जूनियर को जाता है। ये लड़के इंटर मियामी के लिए न्यूवेल्स कप में युवा टूर्नामेंट के दसवें संस्करण में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, जिसमें उत्तर और दक्षिण अमेरिका के आठ क्लब शामिल थे। बच्चों के प्रदर्शन से प्रशंसक काफी प्रभावित हुए तथा एक ने तो थियागो को ‘बैलर’ बताया। एक अन्य प्रशंसक ने कहा, ‘लुइस सुआरेज के बेटे बेंजामिन को अपने पिता की यह प्रवृत्ति विरासत में मिली है कि वह अपने आस-पास की हर चीज को जायफल से भर देते हैं, या ऐसा ही लगता है।’
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

फिर क्रिकेट जगत में हड़कंप

आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी ने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व सचिव और चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन पर गंभीर आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है। एक पॉडकास्ट  में ललित मोदी ने खुलासा करते हुए कहा कि एन.श्रीनिवासन आईपीएल में अंपायर फिक्सिंग और ऑक्शन के दौरान धांधली किया करते थे। कभी आईपीएल कमिश्नर रहे मोदी ने यह भी कहा है कि श्रीनिवासन पहले आईपीएल के आगाज के पक्ष में नहीं थे, लेकिन जब यह टूर्नामेंट हिट हो गया तो वो इसमें कूद गए। ललित मोदी ने कहा कि आईपीएल की गवर्निंग बॉडी ने दूसरे संस्करण के ऑक्शन के दौरान ‘बोली में हेराफेरी’ की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एंड्रयू फ्लिंटॉफ सीएसके में जाएं। उन्होंने कहा कि यह श्रीनिवासन की इच्छा को पूरा करने के लिए किया गया था। मोदी ने श्रीनिवासन और सीएसके पर ‘अप्रत्यक्ष फिक्सिंग’ का भी आरोप लगाया है। ललित मोदी ने पॉडकास्ट पर आगे कहा कि वो अंपायर बदल देते थे, पहले तो मैंने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा, लेकिन जब मुझे एहसास हुआ कि वह चेन्नई के मैच में चेन्नई के अंपायर को नियुक्त कर रहे हैं तो मेरे लिए यह सहन करना मुश्किल हो गया। यह मेरे लिए एक मुद्दा बन गय था।  इसे अप्रत्यक्ष फिक्सिंग कहते हैं।

बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को बड़ा झटका …इस्कॉन पर नहीं लगेगा बैन …हाईकोर्ट का अहम फैसला

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ लगातार जारी हिंसा के बीच वहां के उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है। देशद्रोह के मामले में बांग्लादेश इस्कॉन के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से ही हिंदू समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही एक वकील की मौत हो गई, जिसके बाद बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। वकीलों ने बुधवार को संगठन से संबंधित कुछ समाचार पत्रों की रिपोर्ट रखने के बाद उच्च न्यायालय से अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना समाज (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

उडनछू : काजी और मुर्गी

अजय भट्टाचार्य

एक आदमी कटी हुई मुर्गी लेकर कसाई की दुकान पर आया और कहा कि भाई जरा इस मुर्गी को काट कर मुझे दे दो।
कसाई ने मुर्गी रखकर आधे घंटे बाद आने को कहा। थोड़ी देर बाद ही शहर का काजी कसाई की दुकान पर आ गया और कसाई से कहा कि ये मुर्गी मुझे दे दो। कसाई ने मुर्गी किसी और की है कहकर काजी को देने से मना कर दिया। तब काजी ने कहा कि कोई बात नहीं, ये मुझे दे दो मालिक आए तो कहना कि मुर्गी उड़ गई है।
कसाई बोला – ऐसा कहने का भला क्या फायदा होगा? कटी हुई मुर्गी वैâसे उड़ सकती है?
काजी बोला कि मैं जो कहता हूं उसे गौर से सुनो! बस ये मुर्गी मुझे दे दो। वह अंतत: तुम्हारे खिलाफ मुकदमा लेकर मेरे पास ही आएगा। कसाई ने मुर्गी काजी को पकड़ा दी।
मुर्गी के मालिक के आने पर कसाई ने मुर्गी उड़ जाने की बात कही। मुर्गी का मालिक हैरान कि मरी हुई मुर्गी वैâसे उड़ गई।
दोनों काजी के पास पहुंचे।
दोनों ने रास्ते में एक मुसलमान और यहूदी को लड़ते देखा। छुड़ाने की कोशिश में कसाई की उंगली यहूदी की आंख में जा लगी और यहूदी की आंख खराब हो गई। लोगो ने कसाई को पकड़ लिया और कहा कि अदालत लेकर जाएंगे। अब कसाई पर दो मुकदमे बन गए।
जब लोग कसाई को लेकर अदालत के करीब पहुंच गए तो कसाई अपने आपको छुड़ाकर भागने में कामयाब हो गया। मगर लोगों के पीछा करने पर करीबी मस्जिद में दाखिल होकर मीनारे पर चढ़ गया। लोग जब उसको पकड़ने के लिए मीनार पर चढ़ने लगे तो उसने छलांग लगाई तो एक बूढ़े आदमी पर गिर गया, जिससे वह बूढ़ा मर गया। अब उस बूढ़े के बेटे ने भी लोगों के साथ मिलकर उसको पकड़ लिया और सब उसको लेकर काजी के पास पहुंच गए।
काजी अपने सामने कसाई को देखकर हंस पड़ा, क्योंकि उसे मुर्गी याद आ गई। मगर बाकी दो केसों की जानकारी उसे नहीं थी। जब काजी को तीनों केसों के बारे में बताया गया तो उसने सिर पकड़ लिया। उसके बाद चंद किताबों को उल्टा-पुल्टा और कहा कि हम तीनों मुकदमात का एक के बाद एक पैâसला सुनाते हैं।
मुर्गी मालिक से काजी ने पूछा- ‘तुम्हारा कसाई पर दावा क्या है?
मुर्गी मालिक : मेरी मुर्गी चुराई है, क्योंके मैंने काट करके इसको दी थी, ये कहता है कि मुर्गी उड़ गई है। काजी साहब! मुर्दा मुर्गी वैâसे उड़ सकती है?
काज़ी : क्या तुम अल्लाह और उसकी कुदरत पर ईमान रखते हो?
मुर्गी मालिक : जी हां, क्यों नहीं काजी साहब।
काजी : क्या अल्लाह तआला बोसीदा हड्डियों को दोबारा जिंदा करने पर कादिर नहीं? तुम्हारी मुर्गी का जिंदा होकर उड़ना भला क्या मुश्किल है? ये सुनकर मुर्गी का मालिक खामोश हो गया और उसने अपना केस वापस ले लिया।
फिर काजी के सामने यहूदी को पेश किया गया तो उसने अर्ज किया कि काजी साहब इसने मेरी आंख में उंगली मारी है, जिससे मेरी आंख खराब हो गई। मैं भी इसकी आंख में उंगली मारकर इसकी आंख खराब करना चाहता हूं।
काजी ने थोड़ी देर सोचकर कहा: ‘मुसलमान पर गैर मुस्लिम की नीयत निसफ है इसलिए पहले ये मुसलमान तुम्हारी दूसरी९ आंख भी फोड़ेगा, उसके बाद तुम इसकी एक आंख फोड़ देना। नतीजतन यहूदी भी अपना केस वापस लेकर चलता बना।
अब मरनेवाले बूढ़े के बेटे ने काजी से कहा कि इसने मेरे बाप पर छलांग लगाई, जिससे वह मर गया।
काजी बोला : ऐसा करो, तुम उसी मीनारे पर चढ़ जाओ और कसाई पर उसी तरह छलांग लगा दो, जिस तरह कसाई ने तुम्हारे बाप पर छलांग लगाई थी।
नौजवान ने कहा : काजी साहब, अगर ये दाएं-बाएं हो गया, तब तो मैं जमीन पर गिरकर मर जाऊंगा। काजी ने कहा : ये मेरा मसला नही है, मेरा काम इंसाफ करना है, तुम्हारा बाप दाएं-बाएं क्यों नहीं हुआ?
मतलब साफ है कि अगर आपके पास काजी को देने के लिए मुर्गी है तो फिर काजी भी आपको बचाने का हर हुनर जानता है!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

इस्लाम की बात : फतवेबाजी या चुनावी सौदेबाजी?

सैयद सलमान
मुंबई

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव २०२४ के नतीजे चौंकानेवाले रहे। महायुति की भारी जीत और महाविकास आघाड़ी की अप्रत्याशित हार ने राजनीतिक विश्लेषकों सहित महाराष्ट्र के मतदाताओं को भी आश्चर्य में डाल दिया है। चुनाव परिणामों ने मुस्लिम मतदाताओं के रुख और राज्य की राजनीति में फतवेबाजी के प्रभाव के बारे में एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। चुनाव प्रचार के दौरान मौलाना सज्जाद नोमानी जैसे धार्मिक नेताओं और कई मौलवियों ने मुस्लिम समाज को महाविकास आघाड़ी के पक्ष में वोट देने की अपील की। इसे ‘वोट जिहाद’ और ‘फतवेबाजी’ का नाम देकर भाजपा ने मतदाताओं में भ्रम पैâलाया। सवाल उन मौलवियों से भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर अच्छे भले चुनाव के दौरान भाजपा की पिच पर जाकर खेलने के लिए उन्हें किसने प्रेरित किया? किस सौदेबाजी के तहत ऐसे बयान जारी किए गए जिसका लाभ भाजपा को ही मिलना था। हालांकि, यह कहना भी सही है कि इस अपील का असर सीमित रहा, लेकिन भाजपा ने एक नेरेटिव सेट कर दिया कि मुसलमान एकजुट हो रहे हैं, लेकिन चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया कि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर वोट नहीं डाल सके, जिससे उनके वोट बंट गए और इसका फायदा भाजपा को मिला। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम वोटरों का बंटवारा और कई सीटों पर एकाधिक उम्मीदवारों की मौजूदगी ने भी वोटों को विभाजित किया, जिससे महायुति को लाभ मिला।
जहां तक मुस्लिम उम्मीदवारों के जीतने की बात है तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कुल १० मुस्लिम उम्मीदवार विजयी हुए हैं। यह संख्या पिछले चुनावों, २०१४ और २०१९ के समान ही है। विजेताओं में से तीन कांग्रेस से, दो एनसीपी (अजीत पवार गुट) से, दो समाजवादी पार्टी से, एक शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से, एक एमआईएम से और एक शिवसेना (शिंदे गुट) से हैं। मुंबई की वर्सोवा सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान ने सभी सियासी गुणा-भाग को धता बताते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की। वैसे भाजपा ने इस चुनाव में हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने की दिशा में कई प्रयोग और प्रयास किए। चुनाव प्रचार के दौरान ‘वोट धर्म युद्ध’, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों ने हिंदू मतदाताओं को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। व्यावहारिक रूप से देखें तो भाजपा की राजनीति का मुख्य आधार आज भी जाति और धर्म ही है। देश की अन्य कई राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता भी अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए जाति और धर्म का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं। चुनावी रणनीति तैयार करने में कमोबेश हर पार्टी धर्म और जाति से जुड़े समीकरणों को संतुलित करने पर ध्यान देती है। जाति और धार्मिक भावनाओं को उभारकर राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति कोई नई बात नहीं है। संविधान लागू होने के बाद से लेकर आज तक चुनावों में किसी न किसी रूप में जाति और धर्म के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी और ध्रुवीकरण का इतिहास रहा है। इस बार भी चुनाव प्रचार के दौरान ध्रुवीकरण के लिए राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों को उम्मीदवारी नहीं देने, मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने और वक्फ संशोधन विधेयक जैसे मुद्दे जोर-शोर से उठाए गए। कहना गलत नहीं होगा कि मूलभूत मुद्दे इस शोर में कहीं खो जाते हैं।
इसलिए मुसलमानों को जाति और धर्म के आधार पर वोट देने के बजाय अब रोजगार, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण न केवल व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में समरसता और एकता को भी मजबूत करेगा। मुस्लिम समाज के लिए रोजगार की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। इस से उन्हें न केवल आर्थिक स्थिरता मिल सकती है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। जब समाज के लोग अच्छी नौकरियों में कार्यरत होंगे तो वे अपने परिवार और समाज का बेहतर प्रतिनिधित्व कर पाएंगे। इसके लिए शिक्षित होना जरूरी है। शिक्षा का स्तर सीधे तौर पर विकास से जुड़ा होता है। एक शिक्षित समाज अधिक जागरूक और सक्षम होता है। मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने की आवश्यकता है, ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर सकें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें। वहीं स्वास्थ्य, पानी, बिजली, और परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाएं किसी भी समुदाय के विकास के लिए आवश्यक हैं इसलिए इन मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने वोटिंग पैटर्न को बदलें और उन मुद्दों पर ध्यान दें, जो उनके जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं। जब समाज एकजुट होकर विकास के मुद्दों पर वोट करेगा तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए लाभकारी होगा।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

शाहबाज फिर हुए शर्मसार …बेलारूस के राष्ट्रपति बोले, कश्मीर छोड़ो, काम की बात करो!

पाकिस्तान समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर का राग अलापते रहता है, लेकिन उसे सिवाय बेइज्जती के और कुछ नहीं मिलता। इस बीच हाल ही में अपने ही देश में इस मुद्दे को उठाना उसे भारी पड़ गया और उसे अपने ही घर में काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। दरअसल, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको सोमवार को पाकिस्तान के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे। इस दौरान इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनसे मुलाकात की और कश्मीर मुद्दा उठाया। लुकाशेंको ने साफ कर दिया कि वह किसी राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा करने नहीं आए हैं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुलाकात के दौरान शाहबाज शरीफ ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को खास दोस्त बताया और फिर उनके सामने कश्मीर का मुद्दा उठाया। वह चाहते थे कि लुकाशेंको कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी बयान दें, लेकिन बेलारूस के राष्ट्रपति ने शरीफ को झटका दे दिया। लुकाशेंको ने इस पर बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को छोड़िए, मैं यहां सिर्फ व्यापार और द्विपक्षीय सहयोग पर बात करने आया हूं।’

बात-जज्बात : ऑटोरिक्शा ‘घोड़े’ से परेशान यात्री…!

राज ईश्वरी
आप मुंबई उपनगर में रहते हैं या फिर ठाणे, नई मुंबई या फिर आगे तो आपके लिए ऑटोरिक्शा यातायात का सुलभ और अति आवश्यक साधन है। ऑटोरिक्शा, टैक्सी और निजी वाहनों से अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है। आसानी से मिल भी जाता है, लेकिन तकलीफ तब होती है जब आपको ऑटोरिक्शा का किराया भी टैक्सी और कभी-कभी उससे ज्यादा देना पड़ता है। मजबूरी आपकी होती है क्योंकि अक्सर आप इतनी जल्दबाजी में होते हैं या हालात ऐसे होते हैं कि आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते… और यह जानते हुए कि आप अधिक किराया दे रहे हैं, आप मन मसोस कर किराया दे देते हैं! वहीं ऑटोरिक्शा ड्राइवर आपसे बहस भी करता है, आपको कन्विंस करने के लिए कहता है कि आप मीटर चेक कर लीजिए, आप वही किराया दे रहे हैं जो मीटर बता रहा है!
हम सभी ऑटोरिक्शा ड्राइवरों को कटघरे में खड़ा नहीं कर रहे, लेकिन हाल ही में दो मामले सामने आए हैं, जिससे यह साबित हो गया कि ऑटोरिक्शा के मीटर टेंपर किए गए यानी उनको फास्ट कर दिया गया। आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘घोड़ा’ नाम दिया गया है। घोड़ा जो तेज गति का द्योतक है, ईमानदारी और स्वामी भक्ति के लिए जाना जाता है, को ऑटोरिक्शा वालों ने बदनाम कर दिया है। अधिकतर ऐसे ऑटोरिक्शा वाले कुर्ला रेलवे स्टेशन, बांद्रा टर्मिनस रेलवे स्टेशन, बोरीवली रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट परिसर में दिखाई पड़ते हैं। जानकार बताते हैं कि उनका अपना एक गिरोह है। कुछ ऑटोरिक्शा वाले ऐसे भी रिपेयरिंग करनेवालों के पास से अपने मीटर को फास्ट करवा देते हैं, जिससे किराया अधिक आता है।
हालांकि, यह मामला नया नहीं है। कुछ साल पहले आरटीओ ने मुहिम चलाई थी और काफी हद तक इस पर अंकुश लगाने में कामयाबी भी मिली थी, लेकिन समय के साथ-साथ घोड़ा मीटर फिर से तेजी पकड़ने लगा है। ऑटोरिक्शा यूनियनें घोड़ा मीटर के खिलाफ हमेशा से रही हैं, लेकिन कुछ मछलियां सारे तालाब को गंदा कर ही देती हैं। आरटीओ ने यात्रियों को आगाह करने के लिए वीडियो मैसेज भी सर्वुâलेट किए हैं और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। अगर आपको ऑटोरिक्शा के मीटर को लेकर संदेह होता है तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं। पूर्वी उपनगर के लिए व्हॉट्सऐप नंबर है ९१५२ २४०३०३, अंधेरी आरटीओ का व्हॉट्सऐप नंबर है ९९२०२४०२०२ और बोरीवली आरटीओ का व्हॉट्सऐप नंबर है ८५९१९४४७४७। वैसे भी हर ऑटोरिक्शा में एक हेल्पलाइन नंबर लिखा हुआ होता है। फिर भी अगर आपको परेशानी है तो आप सीधे-सीधे नजदीकी पुलिस चौकी या किसी भी आरटीओ से जुड़े पुलिसकर्मी से शिकायत कर सकते हैं। अगर हालात बिगड़ जाते हैं तो पुलिस का १०० नंबर आपको याद ही होगा।

 

मैथिली व्यंग्य : व्हॉट्सऐप के महिमा!

डॉ. ममता शशि झा
मुंबई

व्हाट्सऐप ऐला के बाद जे सब स बेसी तेजी स जे बात भेल से अछि पुराना लोक सब के ग्रुप बननाई। आ सबटा ग्रुप बनतई ते स्कूल आ कॉलेज के जे पुरना दोस्त, संग में पढ़ बला आ संगतुरिया सब के ग्रुप कोना छुटि जइतइ, पैâमिली के ग्रुप, नैहर के, ससुर के, ननदि-भौजाई के, बहिन के, नानी गाम के, सामाजिक और कार्यस्थल और न जाने कौन-कौन ग्रुप बन लागल मुदा सब स बेसी फेमस और चीजी बीएफएफ ग्रुप! हर बात के अंत हां एकर व्हाट्सऐप ग्रुप बना लिए अहि वाक्य स होम लागल। आ जहन ग्रुप बनलइ त ओकर सब-ग्रुप, आ माइक्रो ग्रुप सेहो बनि जाय छइ। ग्रुप में गप्प करइत-करइत ओहि ग्रुप के दू गोटा के आपस में सेहो गप्प होइत रहई छइ जे कखनो काल के गलती सँ ग्रुप पर पोस्ट भे जाय छइ आ तहन लोक के बुझ नहिं अबइ छइ जे इ अनून गप्प बीच में कत से आबि गेलइ। अनेकता में एकता के बात सिद्ध कर बला इ ग्रुप सब आ कखनो काल के एकता में अनेकता के बात सिद्ध कर बला सेहो बनि जाय छइ।
अहि परिवर्तन सँ लोक सब के संबोधन के तरीका तक बदलि गेलइ। फलाँ के माँ, कनिया आ फलाँ गामवली के जगह अब फलाँ ग्रुप वाली के संबोधन स होब लागल। आ बुझिते छियइ जे अहाँ सब जत लोक ओत गप्प आ जत गप्प ओत झगड़ा!! सब स बेसी झगड़ा पति-पत्नी में लास्ट सीन आ ब्ल्यू टिक मार्क दुआरे होब लागल। जे पति सोझा में पेपर पढ़ के बहाने पत्नी के बात अंठिया दइ छलखिन, इ कही क जे नहीं सुनलहूं, पेपर दिस ध्यान छल इ सद्यह झूठ बजइ छला, कियेक ते पत्नी जे धीरे स ककरो करइ छलखिन से बात सब पति एकदम ठीक स सुनि लइ छलखिन आ बीच में टिपकारी दइ छलखिन हुनका सबके भारी मुश्किल होअ लगलनि। शायद इ लास्ट सीन आ ब्ल्यू टिक के नहिं देखाइ से बला फीचर व्हाट्सऐप पर ऐहने कोनो पति के दिमाग के करामात के आविष्कार हेतनी। ओहु स खरनाक बात इमेजिस जहन शुरू-शुरू में लोक सब उपयोग केनाई शुरू केलक तहत होई छलइ, कान बला इमेजिस के जगह जँ हँस बला चली गेल त बुझू जे झगड़ा निश्चिते! तकरे बाद बुझाइया जे डिलीट फोर ऑल बला फीचर ओहि में जोड़ने हेथिन! त अहि तरहे अनेक तरहक बात अछी, जेना हरि अनंत हरि कथा अनंता ताहिना व्हाट्सऐप के अनंत कथा अछी। आगिला लेख में आर विस्तारपूर्वक कहब!

प्रियंका गांधी ने केरल की पारंपरिक कसावु साड़ी पहनकर संसद में ली शपथ

– तालियों की गड़गड़ाहट से किया सदस्यों ने स्वागत
– संजय राउत ने कहा ‘आ गई शेरनी’

रमेश ठाकुर/नई दिल्ली

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की गुरुवार से संसदीय पारी शुरू हो गई है। वह केरल के वायनाड संसदीय सीट से रिकॉर्ड वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंची हैं। गुरुवार को सत्र आरंभ से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रियंका गांधी का नाम पुकारा, उसके बाद उन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ लीं। शपथ पढ़ने के दौरान उनके हाथ में संविधान की पुस्तक थी। प्रियंका संसद में पहली पहुंची थी, उस दौरान उन्होंने केरल की पांरपरिक कसावु साड़ी पहनी। कसावु साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है। पारंपरिक रूप से मलयाली महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली इस साड़ी की केरला संस्कृति में गहरी जड़ें हैं। साड़ी को महिलाएं शुभ अवसरों, त्योहारों और विशेष उत्सवों पर पहनती हैं। कसावु साड़ी के पहनने पर वायनाड की जनता प्रियंका से बहुत खुश हुईं।

बता दें, प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के साथ गुरुवार को सुबह संसद भवन पहुंची। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नाम पुकारते ही वह हाथ में संविधान की किताब लेकर मंच पर पहुंची और हिंदी में शपथ लीं। शपथ के दौरान विपक्षी सदस्यों ने तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया।

वर्चुअल प्रोडक्शन की दुनिया में भारतीय प्रतिभाओं का एप्टेक बना नया केंद्र

सामना संवाददाता / मुंबई

एप्टेक मुंबई स्थित भारत की पहली संपूर्ण वर्चुअल प्रोडक्शन एकेडमी, छात्रों को अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आईसीवीएफएक्स, मोशन कैप्चर और एलईडी वॉल्स पर प्रशिक्षण प्रदान करती है। यहां अनरियल इंजन, एडोब सब्सटैंस पेंटर जैसे टूल्स सिखाकर उन्हें फिल्म निर्माण, गेमिंग,और वीएफएक्स इंडस्ट्री में करियर के लिए तैयार किया जाता है। हाल ही में, एकेडमी ने वीआईवीई मार्स ग्लोबल कॉम्पीटिशन में दूसरा स्थान प्राप्त कर अपनी दक्षता साबित की। अतुल जैन, सीईओ के अनुसार, यह एकेडमी स्टूडेंट्स को वैश्विक फिल्ममेकिंग इंडस्ट्री के लिए तैयार करती है, जिससे उनके लिए अनगिनत संभावनाओं के दरवाजे खुलते हैं।