कविता श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में इन दिनों बहुत तनाव है, वहां हिंसक घटनाएं हुई हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हैं। इस घटना से उत्तर प्रदेश का सत्तापक्ष और स्थानीय पुलिस विपक्ष के निशाने पर हैं, जबकि सत्तापक्ष ने इसके लिए विपक्षी दल के लोगों को जिम्मेदार बताया है। यह घटना चिंताजनक है। ऐसी घटनाओं से निश्चित ही शांति-व्यवस्था भंग होती है। कानून और व्यवस्था की स्थिति प्रभावित होती है। सामाजिक शांति में व्यवधान उत्पन्न होता है। अच्छी बात यह है कि संभल में हुआ यह मामला अधिक उग्र और सांप्रदायिक होकर दंगे में नहीं बदला। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। वहां के जामा मस्जिद में दोबारा सर्वे कराने पर हिंसा हुई थी। कुछ लोगों ने विरोध किया। भीड़ बढ़ी, पथराव हुआ और गोलियां चलीं। हिंसा की वारदातें हुर्इं। अब तनाव की स्थिति है। एहतियात के तौर पर विशेष बल तैनात है। विवादित स्थल पुलिस छावनी सा बन गया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की पहचान करने में व्यस्त है। स्थानीय सांसद व अन्य पर एफआईआर दर्ज हुई। इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हुई है। टीवी चैनलों पर गहमा-गहमी व बहस चल रही है। स्वाभाविक तौर पर सत्तापक्ष के लोग और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने में कहीं से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में वैसे भी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्ष समाजवादी पार्टी के बीच हमेशा ही कड़वाहट देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश बुलडोजर कार्रवाई के अलावा सरेआम गोलियां चलने की वारदातों के लिए भी चर्चित रहता है। संभल में हुई घटना में तीन लोगों की जान गोलियां लगने से चली गर्इं। विपक्ष का कहना है कि पुलिस ने गोलियां चलवार्इं। जबकि पुलिस का कहना है कि भीड़ में से गोलियां चलाई गर्इं और पथराव हुआ। तोड़-फोड़ की गई। यह भी कहा गया है कि यह सुनियोजित हिंसा थी। इसकी हकीकत तो जांच के बाद ही पता चल पाएगी। लेकिन संभलवासी इन दिनों सहमें-सहमें से नजर आ रहे हैं। प्रभावित हुए परिवारों के प्रति सबकी सहानुभूति है। संभल में कोर्ट के आदेश पर सर्वे हो रहा है। दावा है कि वहां प्राचीन मंदिर पर मस्जिद बनाई गई है। इसी का सर्वे हो रहा है। संभल के जामा मस्जिद में दरअसल सर्वे के समय पर्याप्त पुलिस बंदोबस्त रखना और संभावित स्थिति के प्रति तैयार रहना पुलिस व स्थानीय प्रशासन का दायित्व था। इसके बावजूद भीड़ का इकट्ठा होना, हिंसा भड़कना और पथराव, गोलीबारी जैसी वारदातें होना शासन-प्रशासन की विफलता ही दिखाता है। इसकी जिम्मेदारी तो स्थानीय प्रशासन पर ही बनती है। अब प्रशासन ने स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए हालात पर काबू पा लिया है। फिर भी इस मस्जिद को लेकर आगे कोई सर्वे अथवा कोई कार्रवाई होगी तो संभल को संभालने के लिए विशेष व्यवस्था भी बनानी होगी।