जीवन दर्पण : सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं… सुखमय होगा वैवाहिक जीवन

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
डॉ. बालकृष्ण मिश्र

गुरुजी, मेरे विवाह में विलंब क्यों हो रहा है? – चेतन तिवारी
(जन्म- ९ दिसंबर १९९२, समय- रात्रि १२.३०, स्थान- पुणे, महाराष्ट्र)
चेतन जी, आपका जन्म बुधवार के दिन कृतिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि वृषभ बन रही है। सिंह लग्न में आपका जन्म हुआ है। आपकी कुंडली में १२वें भाव पर बैठ करके मंगल ने आपकी कुंडली को मांगलिक बनाया हुआ है और चौथे स्थान पर सूर्य बैठा हुआ है, इस कारण आपको अनुकूल रिश्ते नहीं मिल पा रहे हैं। आपका विवाह २८ से ३० वर्ष तक हो जाना चाहिए था, लेकिन आप प्रयास करेंगे तो २०२४-२५ में निश्चित आपका विवाह हो जाएगा। इसके लिए २७ गुरुवार चने की दाल, केला और दक्षिणा किसी मंदिर में बैठे हुए पुजारी को देने के साथ ही पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। निश्चित ही विवाह हो जाएगा।
गुरुजी, मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है, उपाय बताएं? – पुष्पलता
(जन्म- १९ मई १९९१, समय-५.१५, स्थान- बोरीवली, मुंबई)
पुष्पलता जी, आपका जन्म पुष्य नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि कर्क बन रही है। आपके मैरिज को अगर हम देखें तो वृषभ लग्न में आपका जन्म हुआ है और आपकी राशि पर शनि की ढैया का भी प्रभाव चल रहा है। वृषभ लग्न में ही सूर्य बैठा हुआ है इसलिए कभी-कभी जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद बन जाते हैं। इस कारण आपका वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है। शनि की ढैया के लिए आपको पहले सूर्य का उपाय करना चाहिए। सूर्य का उपाय करने से आपको वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति हो सकती है। प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने के साथ विष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनें। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, कोई उपाय बताएं? – आर्यन गुप्ता
(जन्म- ११ सितंबर २०१२, समय- दिन ३.३७, स्थान- साकीनाका, मुंबई)
आर्यन जी, आपका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मिथुन बन रही है। बता दें कि आपका जन्म धनु लग्न में हुआ है। धनु लग्न का स्वामी बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे भाव पर बैठा है और लग्न भाव का स्वामी यदि छठे भाव पर बैठता है तो निश्चित ही स्वास्थ्य में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत रहती है। आप दुबले-पतले होंगे। आपके स्वास्थ्य को देखें तो शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। आपको देवगुरु बृहस्पति का उपाय करना चाहिए। यदि देवगुरु बृहस्पति का उपाय आप करें तो धीरे-धीरे आपको बहुत अच्छा लाभ मिलने लगेगा। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरा व्यापार नहीं चल रहा है, उपाय बताएं? – योगेश पांडेय
(जन्म- २४ जून १९६६, समय- रात्रि ८ बजे, स्थान- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)
योगेश जी, आपका जन्म शुक्रवार के दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि सिंह बन रही है। सिंह राशि के लोग बड़े पुरुषार्थी और बड़े मेधावी होते हैं, लेकिन आपको व्यापार में बेनिफिट क्यों नहीं हो पा रहा है क्योंकि शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। व्यापार से आपको पूरी तरह से लाभ पाने के लिए आपको शनि का उपाय करना चाहिए। इसके लिए आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
गुरुजी, क्या मैं अपने पिता के साथ व्यापार करें तो मुझे लाभ मिलेगा?
– आकाश पांडेय
(जन्म- ४ दिसंबर १९९७, समय- रात्रि २१.३०, स्थान- कानपुर, उत्तर प्रदेश)
आकाश जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन श्रवण नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मकर बन रही है। यदि आपके करियर को हम देखें कि क्या आप अपने पिता के साथ व्यापार में जुड़ सकते हैं तो लग्न के आधार पर अगर हम देखें कर्क लग्न में आपका जन्म हुआ है। कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा आपकी कुंडली में सप्तम भाव पर देवगुरु बृहस्पति के साथ बैठ करके गजकेसरी योग बना रहा है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि मैरिज के बाद आपको व्यापार का अच्छा लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। पिता के साथ व्यापार में जुड़ने से आपको बहुत अच्छा लाभ मिलेगा क्योंकि पिता स्थान का स्वामी मंगल आपकी कुंडली में छठे भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण चौथी दृष्टि से भाग्य भाव को देख रहा है इसलिए पिता से जुड़ना आपके भाग्योदय का कारक बनेगा। जीवन को विस्तार से जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरी लव मैरिज शादी होगी या अरेंज मैरिज?
– सुमित कांबले
(जन्म- ११ जनवरी २००३, समय- ११.१० दिन में, स्थान- नागपुर, महाराष्ट्र)
सुमित जी, आपका जन्म मीन लग्न में हुआ है और आपकी राशि मेष बन रही है। लग्न भाव का स्वामी बृहस्पति आपकी कुंडली में उच्च राशि का हो करके पंचम भाव पर बैठा है और वही बृहस्पति दशम भाव का भी स्वामी है, जहां से पिता का विचार किया जाता है। चंद्रमा आपकी कुंडली में द्वितीय भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण सप्तम दृष्टि से अष्टम भाव को देख रहा है इसलिए आपकी मानसिकता बनेगी कि मैं लव मैरिज विवाह करूं, लेकिन माता-पिता की सहमति के बगैर आपको विवाह नहीं करना चाहिए।

खलनायक हूं मैं…

फिटनेस के शौकीन तिहाड़ जेल में सहायक अधीक्षक के पद पर कार्यरत दीपक शर्मा का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में तिहाड़ जेल के जेलर संजय दत्त की फिल्म ‘खलनायक’ के मशहूर गाने ‘खलनायक हूं मैं’ पर पिस्तौल लहराते हुए डांस करते नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यह वीडियो घोंडा से भाजपा पार्षद के पति की जन्मदिन पार्टी के दौरान का है। इस वीडियो को देखने के बाद यूजर्स जहां मामले की जांच की मांग कर रहे हैं, वहीं दीपक शर्मा को अपने ‘गैर-जिम्मेदाराना’ व्यवहार के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। दीपक शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मीडिया यूजर ने कहा, ‘अगर कोई आम आदमी किसी वीडियो में पिस्तौल लहराते हुए डांस करता हुआ दिखाई दे तो पुलिस उसे तुरंत गिरफ्तार कर जेल में डाल देगी। लेकिन ये दिल्ली के तिहाड़ जेल के जेलर दीपक शर्मा हैं, जो अपनी ही सर्विस पिस्तौल लहराते हुए दिखाई दे रहे हैं। क्या इस मामले में कोई कार्रवाई होगी?’

ब्लडलेटिंग के बाद भी नहीं मिली सफलता

भारत की महिला पहलवान विनेश फोगाट का वजन कम करने के लिए उनके कोच और सपोर्ट स्टाफ ने सब कुछ कर लिया, लेकिन वो १०० ग्राम से ओवरवेट आईं और डिस्क्वॉलिफाई हो गईं। विनेश के बाल काटे गए, उनका खून तक निकाला गया, जिससे उनका वजन कुछ कम हो जाए। विनेश को उसके बाद हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। बता दें कि शरीर से खून निकलवाने को ब्लडलेटिंग कहते हैं। इससे डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, आयरन की कमी और खून की ऑक्सीजन फ्लो करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। रेसलर विनेश फोगाट ने ओलिंपिक गोल्ड मेडल बाउट से पहले वजन घटाने के लिए कथित तौर पर खून निकलवाया था। बकौल एक्सपर्ट्स, वजन घटाने के लिए ब्लडलेटिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

मलाइका मैडम का दिन खराब

सोशल मीडिया के फायदे हैं तो इसके नुकसान भी हैं। लोग यहां अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। यहां तक तो ठीक है पर ये जो ट्रोल आर्मी है उसका क्या करें। ऐक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा को भी यह सब भुगतना पड़ता है। खासकर कभी अरबाज तो कभी अर्जुन को लेकर लोग मलाइका पर अवांछित टिप्पणियां करते रहते हैं। मलाइका ने इसीलिए सोशल मीडिया पर होने वाली ट्रोलिंग को लेकर कहा है, ‘मैं इंटरनेट पर अपने लिए बहुत भद्दे कमेंट पढ़ती हूं। कभी-कभार जब अपने बारे में ज्यादा खराब पढ़ने को मिलता है तो मेरा दिन खराब हो जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘अब मैं फालतू के शोर को नजरअंदाज करने से बेहतर महसूस कर रही हूं।’

खामोशी की पहली पसंद थीं माधुरी

बात तो खैर पुरानी है, पर अब जाकर भेद खुला है तो नई ही कहा जाएगा। यह मामला संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘खामोशी – द म्यूजिकल’ की है। हाल ही में अपनी मल्लिका जान मनीषा कोइराला ने बताया है कि वह संजय लीला भंसाली की पहली निर्देशित फिल्म ‘खामोशी : द म्यूजिकल’ के लिए उनकी पहली पसंद नहीं थीं। मनीषा ने बताया, ‘भंसाली ने कहा था कि मनीषा मैंने यह स्क्रिप्ट लिखी है, इसे पढ़ो लेकिन तुम इसमें अभिनय नहीं कर रही हो, काजोल और माधुरी दीक्षित मेरी पसंद हैं।’ ऐसे में मनीषा को वैâसा लगा होगा कि वह दूसरी अभिनेत्रियों के लिए लिखी गई स्क्रिप्ट पढ़ रही है। मगर वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। फिल्म मनीषा की झोली में आ गिरी।

शिलालेख : सोम से ओम की यात्रा शिव है

हृदयनारायण दीक्षित, लखनऊ

भारत में सावन का महीना शिव उपासना का जलरस भरा मुहूर्त है। शिव सोम प्रेमी हैं। सोम प्रकृति की सृजन शक्ति है। सृजन की यही शक्ति शिव ललाट की दीप्ति है। शिव के माथे पर सोम चंद्र हैं। ऋग्वेद के ऋषियों के दुलारे सोम वनस्पतियों के राजा हैं। सोम प्रसन्न होते हैं, वनस्पतियां औषधियां उगती हैं, खिलती हैं और खिलखिलाती हैं। भारतीय सप्ताह में एक दिन सोम का। पहला दिन रविवार रवि का तो दूसरा दिन सोमवार सोम का। शिवभक्तों को सोमवार प्रीतिकर है। शिव भी सोमवार का दिन भक्तों के लिए ही खाली रखते होंगे। काशी बहुत जाता हूं। काशी के मंदिर में शिव उपासना की मूर्ति है। शिव दर्शन कई बार हुआ। मैंने समूची वाराणसी को सोम शिव पाया। हर-हर महादेव की गूंज व लोक उल्लास।
शिव भोले शंकर हैं, औघड़दानी हैं। गण समूहों के मित्र हैं। गणों के साथ स्वयं भी नृत्य करते हैं। वे रूद्र शिव एशिया के बड़े भूभाग में प्राचीन काल से ही उपासित हैं। शिव गूढ़ रहस्य हैं। युधिष्ठिर के मन में शिव जिज्ञासा थी। शर शैय्या पर लेटे भीष्म से उन्होंने तमाम प्रश्न पूछे थे। वे भीष्म से शिव गुण भी सुनना चाहते थे। भीष्म ने कहा, ‘शिवगुणों का वर्णन करने में मैं असमर्थ हूं। वे सर्वत्र व्यापक हैं। वे प्रकृति से परे और पुरूष से विलक्षण हैं। श्रीकृष्ण के अलावा उनका तत्व दूसरा कोई नहीं जानता। फिर अर्जुन से कहा, ‘रूद्र भक्ति के कारण ही श्रीकृष्ण ने जगत को व्याप्त किया है।’ यहां श्रीकृष्ण के विराट का कारण भी शिव तत्व का बोध है। मैं भारत के मन के साथ मन मिलाते हुए महादेव को नमस्कार करता हूं।
ऋग्वेद वाले रूद्र शिव ‘सुगंधिं पुष्टिवर्द्धनं’ हैं। देवों को पुष्पार्चन किया जाता है लेकिन शिव को बेलपत्र और धतूरे का फल। शिव मस्त-मस्त बिंदास देवता हैं। परम योगी। चरमोत्कर्ष वाले नृत्यकर्ता। श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन पर तीनों लोक मोहित हुए थे तो शिव के डमरू की धुन पर तीनों लोक अस्तित्व में रहते हैं। शिव जब चाहते हैं, रूद्र हो जाते हैं। प्रलयंकर हो जाते हैं, लेकिन यही रूद्र शिव भी हैं। शिव महाकाल हैं। ऋग्वेद में ‘जो रूद्र है, वही शिव भी है।’ त्रिशूल उनका हथियार। ये तीन शूल क्या हैं? ये दैविक, दैहिक और भौतिक कष्ट तो नहीं हैं? या भौतिक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक वेदनाएं हैं। शिव दुख हारी हैं-त्रिशूल धारक जो हैं। लेकिन सोचने से मन नहीं भरता। मन यहां, वहां, जहां, तहां भागता ही है। मैं मन ही मन यजुर्वेद के शिव संकल्प मंत्र दोहराता हूं-‘हमारा मन भागता है। यहां- वहां। ऐसा हमारा मन शिव संकल्प से भरा-पूरा हो-तन्मे मन: शिव संकल्पं अस्तु।’ मैं राजनीति में हूं सो मंच, माला, माइक का त्रिशूल भीतर तक धंसा हुआ है। सोम सामने है, भीतर ओम है, लेकिन सोम से वंचित हूं। ओम की अनुभूति नहीं। करूं तो क्या करूं? ऋग्वेद के ऋषि वशिष्ठ ने आर्तभाव से पुकारा था त्र्यंबक रूद्र को-हमें पकी ककड़ी की तरह मृत्यु बंधन से मुक्त करो। मैं स्वयं भी डंठल से चिपका हुआ पका फल हूं। ऋग्वेद के सोम कम लोगों को याद हैं, लेकिन सोमवार हर सातवें दिन उन्हीं की स्मृति दिलाता है। सोम से ओम की यात्रा शिव है। यहां कोई भौगोलिक दूरी नहीं। सोम और ओम साथ-साथ हैं। सोम शिव के ललाट पर हैं ही। शिव रूपक का सोम प्रतीक बड़ा प्यारा है। ऋग्वेद में सोम को पृथ्वी का निवासी बताया गया है। सोम असाधारण देवता हैं। आनंददाता भी हैं।
सत्य, शिव और सुंदर की त्रयी आकर्षक है। इस त्रयी में सत्य महत्वपूर्ण है लेकिन सत्य को शिव भी होना चाहिए। सत्य और शिव का एकात्म सुंदर होता है। शिव में तीनों हैं। शिव और लोकमंगल पर्यायवाची हैं। लेकिन यह ऊर्जा सहज प्राप्य नहीं है। शिव के प्रति लोक आस्था विस्मयकारी है। कांवड़िये लंबी पदयात्रा करते हैं। शिव प्राप्ति के प्रयास जरूरी हैं। पार्वती को भी शिव प्राप्ति के लिए महातप करना पड़ा था। कालिदास के ‘कुमार संभव’ में तपरत पार्वती को एक ब्रह्मचारी ने भड़काया ‘पार्वती! आप भी किस प्रेम में फंस गर्ईं। आपका सुंदर हाथ सांप लिपटे शंकर को कैसे छुएगा। कहां हंस छपी चूनर ओढ़े आप? और कहां खाल ओढ़े शंकर?’ शिव शंकर के रूप-कुरूप पर उसने बहुत कुछ कहा। पार्वती ने कहा ‘संसार के सारे रूप शिव के ही हैं-विश्वकूर्तेखाधार्यते वपु।’ शिव ही सभी रूपों में रूप, रूप-प्रतिरूप हैं। कालिदास के कथानक में तब शिव ने अपना रूप प्रकट कर दिया। शिव बोले ‘अब मैं तुम्हारा दास हूं, पार्वती-तवस्मि दास:।’ मन करता है कि पूछूं शिव से-महादेव! इतना कठोर तप क्यों कराते हैं? लेकिन शिव तप का पुरूस्कार भी तो देते हैं। तप प्रभाव में वे स्वयं भक्त के भी भक्त बन जाते हैं। भारतीय साहित्य शिव-पार्वती के संवाद से भरापूरा है। पार्वती प्रश्नाकुल हैं और शिव समाधानकर्ता। तुलसीदास के रामचरित मानस में पार्वती ने सीधे राम के अस्तित्व पर ही पूछा। शिव ने ब्रह्म तत्व समझाया, लेकिन पार्वती ने स्वयं परीक्षा ली। यह भी उचित था। अनुभव करना सुनने से ज्यादा श्रेष्ठ है। लेकिन शिव सब जानते थे। वे सर्वत्र उपस्थित हैं। शरद् चंद्र की पूनो शिव रस सोम की ही वर्षा करती है। शिव ने सनत कुमारों को बताया कि उनके तीन नेत्र हैं। सूर्य दांया नेत्र है और बांया चन्द्रमा। अग्नि मध्य नेत्र हैं। हम भ्ाारतवासी बहुदेव उपासक हैं। बहुदेव उपासना हमारा स्वभाव है। शिव एशिया के बड़े भाग में प्रचलित देव हैं। शिव देव नहीं महादेव हैं। वे हजारों बरस से भारत के मन में रमते हैं। एक अकेले ही। एको रूद्र द्वितीयोनास्ति। कुछेक विद्वान रूद्र शिव को आयातित देवता मानते हैं। शिव उपासना पश्चिम एशिया व मध्य एशिया तक विस्तृत थी भी। प्रख्यात मार्क्सवादी चिंतक डॉ. रामविलास शर्मा ने भारतीय संस्कृति और हिंदी प्रदेश (पृष्ठ ६७९) में लिखा है ‘वास्तव में शैवमत, वैष्णवमत, बौद्धमत इन सबके स्रोत भारत में थे। यहां से इन मतों का प्रसार मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया में हुआ।’ शिव उपासना का मूल केंद्र भारत है। यजुर्वेद प्राचीन है। इसका १६वां अध्याय शिव की ही स्तुति है। यहां शिव कण-कण में व्याप्त चेतना हैं।
(लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार हैं।)

१० दिन में खराब हो गया पदक

पेरिस ओलिंपिक २०२४ का समापन आज होने वाला है। पेरिस ओलिंपिक में पिछले दो सप्ताह में कई विवाद देखने को मिले, जिसमें विनेश फोगट को अयोग्य ठहराए जाने से लेकर सीन नदी में प्रदूषित पानी तक शामिल है। इसी बीच स्केटबोर्ड में कांस्य पदक जीतने वाले अमेरिका के न्याजा ह्यूस्टन ने कुछ दिनों में ही अपने कांस्य पदक के खराब होने की कई तस्वीरें साझा की हैं। न्याजा ह्यूस्टन ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि जब ये ओलिंपिक पदक बिल्कुल नए होते हैं तो ये बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन जब उन्होंने इस मेडल को कुछ देर तक पहने रखा और इस पर पसीना लगा, तब पता चला कि ये उतने उच्च गुणवत्ता वाले नहीं होते, जितना की सोचा जाता है। उन्होंने अपने वीडियो में कहा कि मेडल खुरदरी दिख रही है। यहां तर कि १० दिन में ही सामने का हिस्सा भी थोड़ा-थोड़ा टूटने लगा है। इसके अलावा उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा कि मुझे नहीं पता…ओलिंपिक पदक की गुणवत्ता को थोड़ा और बढ़ाना होगा। उन्होंने यह भी लिखा कि मुझे लगता है कि पदक केस में रखे जाने चाहिए।

काहें बिसरा गांव : ददा और झटके से टूटा ट्रांजिस्टर

पंकज तिवारी

कका का मुंह बना देख झटके में जोर से हंस पड़ी काकी और-
‘बरसत बा घनघोर बदरवा, पियऊ धान लगउतऽ होऽ…’
हाथ में थाली और छोटी बाल्टी लिए काकी भी गाने लगी थीं और कका भी साथ निभाने लगे थे। चारों तरफ अपने-अपने खेत में काम में लगे लोग खड़े होकर देखने लगे थे। कुछ लोग तो कका के पास पहुंचकर नाचने भी लगे थे।
माहौल पूरा उत्सवमयी सा हो गया था। कीचा से भरा खेत, खेत में छपा-छप मिट्टी से सने लोग। जैसे बच्चों का कोई खेल हो रहा हो और थमने का नाम ही नहीं ले रहा हो कि अचानक से काकी की निगाह दूर से आते ददा पर पड़ गई। जल्दी से सभी को शांत कराते हुए काकी अपने साथ लाई गुड़ और दाना सभी लोगों को देने लगीं। पहले से रखी बाल्टी में पानी था, सभी लोग हाथ धुलकर मिल-बांटकर खाने लगे थे। ददा अपने हिस्से का दाना लिए बगल पीपल के नीचे जा बैठे और ट्रांजिस्टर बजाकर ‘परदेसियों से…’ गाना सुनने लगे और दाना चबाने लगे। रमई, लहकू दौड़कर अपने खेत से अपने लिए लाया चबैना भी काकी को ही दे दिए थे, ताकि काकी का चबैना कम ना पड़े। मिल-बांटकर खाने का मजा ही अलग है। कुछ देर बाद सभी आनंद के साथ अपने-अपने खेत में अपने काम पर लग गए थे। ददा फिर से बीयड़ पहुंचाने चले गए थे। काकी अब कका का हाथ बंटाने लगी थी। दोनों मिलकर बियड़ उखाड़ने लगे थे। गाने का काम अब दादी का था।
‘बरसऽ-बरसऽ बदरवा बरसऽ हो बरसऽ बरसऽ।
देखत बाटऽ धान लगत बाऽ धान लगत बाऽ
तरसत बा मनईऽ पानी केऽ बरसऽ बरसऽ’
साथे-साथे कका भी गाए जा रहे थे। कभी-कभी तो जवाबी गीत भी शुरू हो जा रहा था। दोनों रमे हुए अपने काम को आगे बढ़ाए जा रहे थे। अब दो लोगों के हो जाने से बीयड़ की बोझुली सैराने लगी थी। खूब सारी बोझिया इकट्ठी हो गई थी। ददा को अब जल्दी-जल्दी चक्कर लगाना पड़ रहा था। दोनों मगन मन गा ही रहे थे कि ददा जोर-शोर से चिल्लाते हुए भगे आ रहे थे। कुल मिलाकर, बयालिस किलो के बेचारे ददा जैसे ही मेड़ पर पहुंचे पातर मेड़ के चलते भहरा गए…। हाथ-पैर तो टूटते-टूटते बचा पर ट्रांजिस्टर नऽ बच सका। मेड़ अभी पिछले हफ्ते ददा ही कांट-छांट कर के पतला किए थे। कुछ लोग होते हैं जो हर साल थोड़ा-थोड़ा मेड़ काट-काट कर अपने खेत को सैरवाने का प्रयास करते हैं। गांव भर के लोग मेड़ कटवा बुलाते हैं ऐसे लोगों को। ददा भी इसी नाम से प्रसिद्ध थे, पर आज खुद के खोदे गड्ढे में गिर गए थे ददा। देखने वाले एक दो लोग पहले तो हंसे फिर उठाने के लिए दौड़े, पर तब तक ददा खुद से ही उठ खड़े हुए थे। खड़े होते ही चहक उठे ददा, ताकि किसी को दर्द का एहसास न हो पर पास ही बिखरे पड़े ट्रांजिस्टर की दशा देख ददा खुद को मायूस होने से नहीं रोक सके। आंसू नहीं आए बाकी दुख के सारे लक्षण नजर आ गए। ददा गिरने के बाद भूल ही गए कि मैं अभी कुछ देर पहले इतना तेज चिल्लाते हुए भाग क्यों रहा था? मिट्टी से सने ददा अब बहुत ही संभल-संभल कर अपने पैर रख रहे थे, ताकि बेटे और बहू को उनके गिरने का एहसास न हो सके। वाकई उन दोनों को अभी तक मालूम नहीं चल सका था। मुश्किल से दो पग ही बढ़ाए होंगे कि ददा की निगाह फिर वहीं पड़ गई, जिसकी वजह से ददा को भागना पड़ा था। कका के पीछे रखे बीयड़ के बोझिया को करियवा सांड़ खाए जा रहा था और कका तथा काकी को पता तक नहीं था। ‘अन्हरा बरे जाइ पंड़वा चबान जाइ’ वाली कहावत चरितार्थ होती साफ दिख रही थी। ददा फिर दौड़ पड़े पर अबकी बार दायां पैर नहीं उठ सका और ददा झटके में ही गिर पड़े।
(लेखक बखार कला पत्रिका के संपादक एवं कवि, चित्रकार, कला समीक्षक हैं)

मौलाना ने की नाबालिग से रेप की कोशिश

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ७ साल की मासूम बच्ची के साथ ७० साल के मौलाना ने रेप करने की कोशिश की, लेकिन तभी एक युवक ने उसकी वीडियो बना लिया। खबर लगते ही लोगों की भीड़ लग गई, लेकिन वह दूसरे कमरे से बचकर भाग निकला। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है। घटना कानपुर के ग्वालटोली थाना इलाके की है। पुलिस ने मामले में मौलाना के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज किया है। उसकी तेजी से तलाश की जा रही है। लोगों ने बताया कि मोहल्ले के एक युवक को मौलाना पर पिछले कई दिनों से शक था कि वह बच्चियों के साथ गलत हरकत करता है। ऐसे में युवक मौलाना पर नजर रख रहा था। शुक्रवार को जब मौलाना एक बच्ची को अपने साथ टॉफी दिलाने के बहाने कमरे में लेकर गया, तो उसका पीछा करते हुए युवक भी जा पहुंचा। मौलाना ने बच्ची के साथ जब रेप करने की कोशिश की, तो युवक ने खिड़की से वीडियो बना लिया।
युवक ने तुरंत पड़ोसियों को आवाज लगाई। लोग वहां इकट्ठे हुए, यह सब देखते ही मौलाना दरवाजा खोलकर दूसरे कमरे से भाग निकला। बताया जा रहा है कि बच्ची से रेप के आरोप में जिस मौलाना का वीडियो बनाया गया है, उसकी उम्र करीब ७० साल है। वह कानपुर के ग्वालटोली का ही रहने वाला है। आरोप है कि मौलाना ने पहले भी कई बच्चियों के साथ ऐसी हरकत की होगी। ऐसे में उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
एसीपी महेश कुमार ने बताया कि कानपुर के ग्वालटोली इलाके में एक ७ साल की मासूम के साथ ७० साल के मौलाना ने रेप करने की कोशिश की। लोगों ने आपत्तिजनक हालत में देख लिया, उसे कोई पकड़ पाता इससे पहले ही वह धक्का-मुक्की कर भाग निकला। मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी की तलाश की जा रही है।

ब्लैंचेट की बॉडी पर १०२ चम्मचों का टॉप

ये मुआ फैशन भी जो न कराए। अपने यहां एक उर्फी जावेद हैं जो न जाने क्या-क्या अपने बदन पर लपेटकर फैशन की नुमाइश करती रहती हैं। लगता है इस मामले में उनकी गुरु हॉलीवुड वाली अभिनेत्री केट ब्लैंचेट हैं। अब देखिए हाल ही में वे एक गजब की तस्वीर में नजर आईं। उन्होंने लॉस एंजिल्स में एक इवेंट के दौरान १०२ चम्मचों से बना टॉप पहना था। इस हॉल्टर नेक टॉप को एलेन होडाकोवा लार्सन ने डिजाइन किया था और उन्होंने स्वीडन में स्थानीय स्तर पर प्रत्येक चम्मच को खरीदा था। ब्लैंचेट कई मौकों पर अपने रेड कार्पेट आउटफिट को दोहराने के लिए जानी जाती हैं। अब समझ गए न कि फैशन के चक्कर में लोग न जाने क्या-क्या पहन ले रहे हैं। बॉलीवुड ही नहीं वहां हॉलीवुड में भी।