तीन दिनों से अंधेरे में डूबा शताब्दी अस्पताल! …मनपा की स्वास्थ्य प्रणाली पर उठे सवाल

– इलाज कराने पहुंच रहे मरीज हो रहे बेहाल
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबईकरों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मुंबई महानगरपालिका के दावों की पोल कांदिवली स्थित शताब्दी अस्पताल के हालात ने खोल दी है। इस अस्पताल में पिछले तीन दिनों से बिजली नहीं है, ऐसे में डॉक्टरों को मरीजों का इलाज अंधेरे में ही करना पड़ रहा है और मरीज भी बेहाल हो रहे हैं। इससे पहले भी मनपा के कई अन्य अस्पतालों में बिजली न होने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में मनपा की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। फिलहाल, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बारिश के कारण तकनीकी खराबी आने से बिजली गुल है, जिसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तर मुंबई के मालाड, कांदिवली, बोरीवली और दहिसर के निवासी उपचार और सर्जरी के लिए कांदिवली शताब्दी अस्पताल पर निर्भर रहते हैं। पिछले दिनों मुंबई में कई दिनों तक मूसलाधार बारिश होती रही। इस कारण अस्पताल में रिसाव होने से बारिश का पानी इलेट्रिक डक्ट में घुस गया। इससे तकनीकी खामियां आ गर्इं और बीते तीन दिनों से अस्पताल में बिजली गुल है। अस्पताल में कामकाज अंधेरे में हो रहा है। इससे चिकित्सक और मरीज दोनों परेशान हैं। बता दें कि ४४४ बेड वाले शताब्दी अस्पताल में ३० आईसीयू, १६ एनसीआई, १२ पीसीआई बेड के वॉर्ड हैं, जबकि शेष सामान्य वॉर्डों का समावेश है। इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब १,६०० मरीज इलाज कराने आते हैं। इसके साथ ही औसतन गंभीर स्थिति के चलते ३८० मरीज भर्ती भी होते हैं। इतना ही नहीं प्रतिदिन करीब २०-२५ छोटी-बड़ी सर्जरियां भी होती हैं, ऐसे में बिजली न होने से इन सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अस्पताल का दावा-बिजली जाने से नहीं है कोई फर्क
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उत्सवी घाटकर ने कहा कि मनपा में संबंधित विभाग के अभियंताओं ने कारणों का पता लगा लिया है। उनके मुताबिक, बारिश का पानी जाने से इलेक्ट्रिक सप्लाई में दिक्कत हो रही है। इसे दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया है कि दो दिनों में इस दिक्कत को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। डॉ. घाटकर ने कहा कि फिलहाल, बिजली न होने से किसी तरह का कोई असर नहीं पहुंचा है। इमरजेंसी समेत सभी सुविधाएं बिना किसी व्यवधान के चल रही हैं।
पहले भी मनपा अस्पतालों में गुल हो चुकी है बिजली
बता दें कि मनपा के भाडुंप स्थित सुषमा स्वराज प्रसूति गृह में बिजली न होने से एक गर्भवती महिला का आपात स्थिति में मोबाइल टार्च की रोशनी में चिकित्सकों को सिजेरियन करना पड़ा था। इस कारण नवजात की मौत हो गई थी, जबकि दो दिनों के बाद महिला ने भी सायन अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इसके बाद परेल स्थित केईएम अस्पताल के वैâथलैब में भी बिजली गुल होने की खबर सामने आई थी। हालांकि, बाद में उसे ठीक कर दिया गया था।

पानी की मनमानी…बादल फाड़ तबाही! …कहीं हो रही `मौत’ की बारिश तो कहीं फटे बादल!

इन दिनों हिंदुस्थान में जगह-जगह पानी की मनमानी और तबाही दोनों ही देखने को मिल रही है। कहीं बारिश मौत बनकर आई है तो कहीं बादल के फटने से कोहराम मचा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में बीती रात हुई भारी बारिश ने प्रदेश में तबाही मचा दी है। साथ ही प्रदेश में कई जगह बादल फटा है, जिसके बाद भयंकर नुकसान देखने को मिला है। आनी के निरमंड में दो जगह, कुल्लू के मलाणा, मंडी जिले के थलटूखोड़ व चंबा जिले में बादल फटे हैं। कई मकान, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चार स्थानों पर करीब ५० लोग अभी भी लापता हैं। चार शव बरामद हुए हैं। करीब चार पुल व १५ घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं दशिमला (हिमाचल प्रदेश) के रामपुर में गुरुवार सुबह बादल फटने से समेज खड्डे में बाढ़ आ गई। शिमला के डीसी अनुपम कश्यप ने बताया कि बादल फटने के बाद १९ लोग लापता हैं। मंडी के थलटूखोड़ में आधी रात बादल फटने से तबाही मच गई। यहां मकान ढहने की सूचना है।

देहरादून में बारिश से १२ लोगों की मौत
देहरादून में कल भारी बारिश के कारण रुद्रप्रयाग प्रशासन ने यात्रियों से बृहस्पतिवार को अपनी केदारनाथ यात्रा स्थगित करने को कहा, जबकि उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर बुधवार से वर्षा संबंधी घटनाओं में १२ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और करीब छह अन्य घायल हो गए। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक बच्चे के नाले में बहने की भी सूचना है, जिसकी तलाश की जा रही है।

मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के ठेकेदार ने की १८१ दिन की समय सीमा बढ़ाने की मांग

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट का ९१ फीसदी काम पूरा हो चुका है और पूरे प्रोजेक्ट को शुरू करने की डेडलाइन मई २०२४ थी। इस संदर्भ में मुंबई मनपा ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को बताया है कि अब ठेकेदार ने १८१ दिन की अवधि बढ़ाकर देने की मांग की है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने मुंबई मनपा से कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के तहत परियोजना के पूरा होने की मूल तिथि और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। मुंबई मनपा ने गलगली को बताया कि भाग ४ का काम पूरा होने की मूल तारीख १२ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार बढ़ाकर २५ मई २०२३, २६ नवंबर २०२३ और २ अप्रैल २०२४ तक किया गया था। अब तक ९१ फीसदी काम पूरा हो चुका है और प्रोजेक्ट का काम अंतिम चरण में है। लार्सन एंड टूब्रो ने २३ जुलाई, २०२४ को एक लिखित पत्र भेजकर १८१ दिनों की मोहलत मांगी। इसमें ८ कारण बताते हुए मोहलत मांगी गई है। पहले पार्ट १ का काम पूरा होने की मूल तारीख १२ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार बढ़ाकर ९ जून २०२३, १० सितंबर २०२३ और २२ मई २०२५ तक कर दिया गया है। भाग २ का कार्य पूर्ण होने की मूल तिथि १५ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार ६ अक्टूबर, २०२३, ७ अक्टूबर, २०२३ और २५ अक्टूबर, २०२४ को बढ़ाया गया है। गलगली के मुताबिक, प्रोजेक्ट का काम २०२५ तक पूरा नहीं होगा। राज्य सरकार को चुनाव को देखते हुए जल्दबाजी में काम का उद्घाटन तब तक नहीं करना चाहिए जब तक कि काम शत-प्रतिशत पूरा न हो जाए।

मुंबईकरों के पानी का टेंशन हुआ दूर! … झीलों में ७८.४० फीसदी पर पहुंचा जल भंडारण

 मनपा ने पानी कटौती कर दी खत्म
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई को जलापूर्ति करनेवाले झील प्रदेशों में हुई मूसलाधार बारिश से मुंबईकरों की साल भर की पानी की चिंता खत्म हो गई है। जोरदार हुई बारिश के कारण मुंबई को जलापूर्ति करने वाली चार झीलें पहले ही ओवरफ्लो होकर बहने लगी हैं। इसके साथ ही अब सभी सातों झीलों में इस समय ११,३४,७३६ एमएलडी यानी ७८.४० फीसदी जल भंडारण हो चुका है। इसके अलावा मुंबई में जारी १० फीसदी पानी की कटौती को भी मनपा ने सोमवार से खत्म कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई को जलापूर्ति करनेवाले झील क्षेत्र में भारी बारिश हो रही है। परिणामस्वरूप जल भंडार में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्तमान में चार झीलें विहार, तुलसी, तानसा और मोडक सागर लबालब होकर बहने लगी हैं। पवई और तुलसी झीलें पहले ही भर चुकी थीं। कल सुबह छह बजे तक जल भंडारण बढ़कर ७८.४० फीसदी तक पहुंच गया है। वर्तमान बारिश को देखते हुए शेष तीन झीलें भी अगस्त माह में भरने की संभावना है। परिणामस्वरूप, मुंबईकरों की साल भर की पानी की चिंता दूर हो जाएगी।

 

महंगाई का झटका …बढ़ गए एलपीजी सिलिंडर के दाम 

सामना संवाददाता / नई दिल्ली  
अगस्त महीने की पहली तारीख पर ही आम लोगों को महंगाई का झटका लगा है। सरकारी तेल व गैस विपणन कंपनियों ने एलपीजी सिलिंडर के दाम में बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद १९ किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलिंडर एक अगस्त से महंगे हो गए हैं। हालांकि, राहत की बात है यह है कि घरेलू इस्तेमाल वाले एलपीजी सिलिंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकारी तेल कंपनियों के द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, एक अगस्त से देश के विभिन्न शहरों में एलपीजी सिलिंडर के दाम में लगभग ८-९ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इस बढ़ोतरी के बाद मुंबई के लोगों को इस बड़े सिलिंडर के लिए अब १,६०५ रुपए का भुगतान करना होगा। इससे पहले जुलाई महीने में दाम में १९ रुपए की कटौती की गई थी।

फिर से बढ़ेगा बारिश का जोर, महाराष्ट्र में चार दिनों तक झमाझम!

मुंबई और पुणे समेत कई जिलों को ऑरेंज अलर्ट

मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के ठेकेदार ने की
१८१ दिन की समय सीमा बढ़ाने की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट का ९१ फीसदी काम पूरा हो चुका है और पूरे प्रोजेक्ट को शुरू करने की डेडलाइन मई २०२४ थी। इस संदर्भ में मुंबई मनपा ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को बताया है कि अब ठेकेदार ने १८१ दिन की अवधि बढ़ाकर देने की मांग की है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने मुंबई मनपा से कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के तहत परियोजना के पूरा होने की मूल तिथि और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। मुंबई मनपा ने गलगली को बताया कि भाग ४ का काम पूरा होने की मूल तारीख १२ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार बढ़ाकर २५ मई २०२३, २६ नवंबर २०२३ और २ अप्रैल २०२४ तक किया गया था। अब तक ९१ फीसदी काम पूरा हो चुका है और प्रोजेक्ट का काम अंतिम चरण में है। लार्सन एंड टूब्रो ने २३ जुलाई, २०२४ को एक लिखित पत्र भेजकर १८१ दिनों की मोहलत मांगी। इसमें ८ कारण बताते हुए मोहलत मांगी गई है। पहले पार्ट १ का काम पूरा होने की मूल तारीख १२ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार बढ़ाकर ९ जून २०२३, १० सितंबर २०२३ और २२ मई २०२५ तक कर दिया गया है। भाग २ का कार्य पूर्ण होने की मूल तिथि १५ अक्टूबर २०२२ थी। इस कार्य को तीन बार ६ अक्टूबर, २०२३, ७ अक्टूबर, २०२३ और २५ अक्टूबर, २०२४ को बढ़ाया गया है। गलगली के मुताबिक, प्रोजेक्ट का काम २०२५ तक पूरा नहीं होगा। राज्य सरकार को चुनाव को देखते हुए जल्दबाजी में काम का उद्घाटन तब तक नहीं करना चाहिए जब तक कि काम शत-प्रतिशत पूरा न हो जाए।

गरीबों के ‘आनंद’ के निवाले पर ग्रहण …. रवा में मिला चूहों का मल, भूसी और पत्थर पाम तेल से आ रही बदबू

सामना संवाददाता / मुंबई
शिंदे-फडणवीस सरकार ने धूम-धड़ाके के साथ त्योहारी सीजन में गरीबों के लिए जिस ‘आनंदाचा शिधा (आनंद का राशन) योजना’ को शुरुआत की थी, अब उसकी कलई खुलने लगी है। जानकारी सामने आई है कि आनंद का शिधा घटिया स्तर का पाया गया है। इसमें पामतेल से बदबू आ रही थी, जबकि सूजी में मल, भूसी और बारीक पत्थर मिले। इस योजना पर ७२७ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जाता है, लेकिन यह राशन खाने लायक नहीं है। हद तो यह हो गई है कि बिना टेंडर के ही सरकार ने अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका दे दिया है। महाराष्ट्र ग्राहक कृति समिति ने कल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मांग की है कि सरकार ने ठेकेदार के खिलाफ फौजदारी और कानूनी कार्रवाई करें।
उल्लेखनीय है कि दिवाली, राम नवमी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती के मौके पर १०० रुपए में आनंद का शिधा देने की योजना की घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की थी। प्रदेश के १.६५ करोड़ राशन कार्ड धारकों को सौ रुपए में एक किलो सूजी, चना दाल, चीनी, पाम तेल दिया गया, लेकिन पाम तेल से तेज बदबू आ रही थी। यह तेल खाने लायक नहीं था। सूजी बहुत मोटा था। उसमें चूहों का मल, भूसी और बारीक पत्थर मिले थे। अब फिर से त्योहारों के दिन शुरू हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही ‘आनंद का शिधा’ शुरू हो जाएगा।
शिकायतों की हो रही अनदेखी
‘आनंद का शिधा’ की गुणवत्ता को लेकर महाराष्ट्र ग्राहक सुरक्षा कृति समिति ने सितंबर २०२३ में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र भेजकर शिकायत की थी, वहीं इसी तरह की शिकायत राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव से भी की गई थी, लेकिन फिर भी राज्य सरकार ने इस शिकायत की अनदेखी की और ध्यान नहीं दिया। साथ ही राज्य सरकार ने इन वस्तुओं की आपूर्ति जारी रखी।
ठेकेदारों पर मेहरबानी
महाराष्ट्र ग्राहक सुरक्षा कृति समिति के अध्यक्ष अनिल पंडित ने फिर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर ‘आनंद का शिधा’ के खाद्यान्न की निम्न गुणवत्ता की शिकायत की है। ये वस्तुएं खाने लायक नहीं थीं। ठेकेदारों को ठेका देते समय उनकी वित्तीय और खाद्यान्न सप्लाई करने की क्षमता की जांच नहीं की गई। असल में ठेकेदारों को ठेका देते समय टेंडर प्रक्रिया लागू नहीं की गई। शर्तों और नियमों को ताक पर रखकर पसंदीदा ठेकेदारों को ठेका दे दिया गया, इसलिए समिति के अध्यक्ष अनिल पंडित ने चेतावनी दी है कि गरीब राशन कार्ड धारकों के साथ धोखाधड़ी करनेवाले ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए, अन्यथा वे इस मामले में अदालत जाएंगे।

इस्लाम की बात : हठधर्मिता और विवादों से बचें मुसलमान

सैयद सलमान
मुंबई

इस्लाम की सीख है कि धर्म को समझे बगैर ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो समाज में विभाजन पैदा करे। नमाज एक व्यक्तिगत आस्था और समयबद्ध धार्मिक प्रथा है इसलिए नमाज पढ़ने या इबादत करने के लिए जबरदस्ती करने की किसी को इजाजत नहीं है। इस्लाम सिखाता है कि ऐसी जगह पर इबादत करना मना है, जिसे जबरन हासिल किया गया हो। वैसे भी जुमा की नमाज मर्दों पर फर्ज है, जबकि महिलाओं के लिए वैकल्पिक है। इस्लाम में कजा नमाज पढ़ने का भी प्रावधान है, ताकि अगर किसी कारणवश नमाज छूट जाए तो बाद में कजा पढ़ी जा सके तो क्या कारोबार, नौकरी, शिक्षण, बीमारी, सफर इत्यादि में अक्सर नमाज नहीं छूटती है? आखिर कजा पढ़कर भरपाई की ही जाती है तो फिर सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने की यह जिद क्यों?

सावन का पवित्र महीना चल रहा है। कांवड़ यात्रा चल रही है। मुस्लिम समाज का अरबी महीना मुहर्रम भी चल रहा है। मखसूस तबका इसे गम के रूप में मनाता है। शिया मुसलामानों के मातम के वीडियो पर जहर उगलने वाली एक अदाकारा, जो किसी के दम पर अब सांसद हैं, नकारात्मक टिप्पणी करते हुए हिंदू भाइयों को उकसाती हैं। २ रुपल्ली के ट्रोलर उनकी वाह-वाह करते हैं। आत्ममुग्ध महिला इससे प्रसन्न होती हैं, लेकिन यह भूल जाती हैं कि वह अब सांसद हैं और उन्हें तोल-मोल कर बोलना सीखना चाहिए। उनकी और उनके समर्थकों की नजर उन कांवड़ियों के हुजूम पर नहीं पड़ती कि जिस वैâराना-मुजफ्फराबाद जैसी जगहों पर कभी भयंकर फसाद हो चुका है, वहां के मुसलमान कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे हैं। अब वहां का आलम यह है कि उनकी एकता इकरा हसन को सांसद बना देती है। वही इकरा संसद में हिंदू तीर्थ यात्रियों के लिए विभिन्न धार्मिक स्थलों तक पहुंचने के लिए विशेष ट्रेन की मांग करती हैं। मुस्लिम डॉक्टर्स की टीम कांवड़ यात्रियों की सेवा-शुश्रूषा में लगी है। उनके पैरों के जख्मों पर मरहम लगा रही है। मुसलमान उनके खान-पान की व्यवस्था कर रहे हैं, जबकि यूपी, उत्तराखंड और भाजपा शासित प्रदेश की सरकारों ने नफरत पैâलाने की हर मुमकिन कोशिश कर ली। कहीं-कहीं कांवड़ियों द्वारा की गई तोड़-फोड़, एकाध जगह पर मुसलमानों पर हमले की खबर भी आई, लेकिन दोनों समाज ने जिस सहनशीलता का परिचय दिया वह काबिल-ए-तारीफ है। कुल मिलाकर नफरत हार रही है, मोहब्बत को जीतता हुआ आसानी से देखा जा सकता है। बस उन आंखों और दिल का होना जरूरी है, जो इस भाव को देख और समझ सकें।
लेकिन इस बीच केरल में मुसलमानों के एक समूह की हरकत से नफरत के बीज बोनेवालों को खुराक मिल गई। दरअसल, केरल में मुस्लिम छात्रों के एक वर्ग ने चर्च द्वारा संचालित एक कॉलेज परिसर के भीतर ‘नमाज’ अदा करने की अनुमति नहीं दिए जाने का विरोध किया। विवाद तब खड़ा हुआ, जब यह दावा किया गया कि गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने कुछ महिला छात्रों को संस्थान के एक कमरे में ‘जुमा की नमाज’ पढ़ने से रोका था। छात्रों ने इस मामले में प्रिंसिपल से माफी मांगने की मांग की और हंगामा खड़ा कर दिया। छात्रों ने दावा किया कि कई दिनों तक कॉलेज के स्‍टाफ ने उन्‍हें नमाज पढ़ने करने की अनुमति नहीं दी। यानी यह सिर्फ जुमा की नमाज का मसला नहीं था, बल्कि अन्य नमाज की भी मांग रही होगी, जबकि भारतीय मुस्लिम विद्वानों और इस्लामी न्यायविदों ने हमेशा मुसलमानों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना करने से बचने की सलाह दी है। इस्लाम भी यही कहता है। क्या चर्च द्वारा संचालित वह कमरा मस्जिद की अवधारणा के अनुरूप है? क्या वह कमरा उन शर्तों को पूरा करता है, जिसे मस्जिद कहा जा सके? जुमा की नमाज तो केवल मस्जिद में ही पढ़ी जा सकती है, तो फिर कॉलेज परिसर के कमरे में नमाज पढ़ने की जिद क्यों? अगर ऐसे में यह सवाल कोई पूछे कि क्या कोई मुस्लिम कॉलेज हिंदुओं या ईसाइयों को प्रार्थना करने के लिए कमरे देगा, तो मुसलमानों की क्या प्रतिक्रिया होगी? आखिर क्यों इस तरह का विवाद पैदा कर आम मुसलमानों के प्रति नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की गई? एक तरफ तो खुद मुस्लिम महिलाएं मस्जिदों में नमाज पढ़ने की लड़ाई लड़ रही हैं और आप दूसरे धर्मों के संस्थानों में नमाज की इजाजत चाहते हैं।
हालांकि, इस पूरे प्रकरण पर एक सुखद पहलू यह रहा कि जिम्मेदार मुसलमानों को यह बात गलत लगी। इस घटना पर मुस्लिम इबादतगाहों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल और मुस्लिम संगठनों ने कॉलेज प्रशासन से मुलाकात की और खेद जताया। दरअसल, यही होना चाहिए। अपनी गलतियों का एहसास इंसान को हो जाए और वह झुक जाए तो छोटा नहीं, बल्कि बड़ा बन जाता है। इस्लाम की सीख है कि धर्म को समझे बगैर ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो समाज में विभाजन पैदा करे। नमाज एक व्यक्तिगत आस्था और समयबद्ध धार्मिक प्रथा है इसलिए नमाज पढ़ने या इबादत करने के लिए जबरदस्ती करने की किसी को इजाजत नहीं है। इस्लाम सिखाता है कि ऐसी जगह पर इबादत करना मना है, जिसे जबरन हासिल किया गया हो। वैसे भी जुमा की नमाज मर्दों पर फर्ज है, जबकि महिलाओं के लिए वैकल्पिक है। इस्लाम में कजा नमाज पढ़ने का भी प्रावधान है, ताकि अगर किसी कारणवश नमाज छूट जाए तो बाद में कजा पढ़ी जा सके तो क्या कारोबार, नौकरी, शिक्षण, बीमारी, सफर इत्यादि में अक्सर नमाज नहीं छूटती है? आखिर कजा पढ़कर भरपाई की ही जाती है तो फिर सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने की यह जिद क्यों? मुसलमानों को इस तरह के तमाम विवादों और हठधर्मिता से बचने की जरूरत है, वरना नफरत के सौदागर घात लगाए बैठे ही हैं।

(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

बसों का नहीं है अता-पता …सरकार चला रही है तमाम योजनाएं

अनिल मिश्रा / बदलापुर
राज्य की शिंदे सरकार ने बस यात्रियों के लिए तमाम तरह की योजनाएं शुरू की हैं और योजना से जुड़े लोगों को परिचय-पत्र दिया गया है, परंतु जब बसें ही नहीं हैं तो ऐसी परिस्थिति में योजना का क्या लाभ? राज्य की बस रियायत योजना एक तरह से बस यात्रियों के साथ जुमला योजना साबित हो रही है।
विश्वास कालुंखे नामक यात्री ने बताया कि पहले ग्रामीण क्षेत्र में टिटवाला मंदिर, कल्याण ग्रामीण, बदलापुर के दूर-दराज के गांवों में राज्य परिवहन की सेवाएं दी जाती थीं, परंतु अब उक्त बस सेवाएं धीरे-धीरे बंद हो रही हैं। जब बस ही नहीं है तो बस में यात्रा करनेवाले वरिष्ठ नागरिक, महिलाओं, पुरस्कार प्राप्त करनेवाले और दिव्यांगों जैसे अन्य तमाम तरह के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बदलापुर गांव के समीप रहनेवाले एक वरिष्ठ नागरिक का कहना है कि बदलापुर से मुरबाड़ के लिए एक-एक घंटे में बस आती और जाती है। कभी-कभी कोई न कोई कारण बताकर बस के एकाध फेरे को रद्द कर दिया जाता है। अगर कहीं किसी को जल्द पहुंचना हो या जाना हो तो वह शिंदे सरकार की परिवहन सेवा योजना का लाभ वैâसे ले? बदलापुर नपा ‘अ’ वर्ग की नपा है। इसके बावजूद उसके पास परिवहन सेवा नहीं है। पहले विट्ठलवाड़ी डिपो से बस चलती थी, उसे भी बंद कर दिया गया है। राज्य परिवहन की बस को बंद करने से ग्रामीण लोगों को काफी यातनाएं भुगतनी पड़ रही हैं। राज्य परिवहन की बस सेवा बंद करने या फिर कम करने से ऑटोरिक्शा, टैक्सी जैसे अन्य निजी वाहनों के सहारे यात्रियों को रहना पड़ता है और इन वाहन चालकों द्वारा यात्रियों का आर्थिक शोषण किया जाता है। जैसे बुधवार के दिन बदलापुर में मालगाड़ी द्वारा रूट बदलने के कारण मुंबई से आनेवाली गाड़ियों का आवागमन घंटों बंद हो जाने से ऑटोरिक्शा चालकों की चांदी हो गई। ऑटोरिक्शा चालकों द्वारा की गई इस लूट का लोगों ने विरोध किया। लोगों का आक्रोश राज्य सरकार पर भी देखा गया, जिनकी बस सेवा जरूरतमंदों के काम नहीं आई। बस सेवा न होने से काफी लोग आर्थिक शोषण के शिकार हुए, जिसके भुक्तभोगी सरकार की योजना के पात्र लोग भी थे।

राहुल गांधी से आंख तक नहीं मिला पा रहे मोदी …टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने साधा निशाना

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा ‘जाति’ को लेकर दिए गए बयान पर हो रहे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से आंख तक नहीं मिला पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता की जाति के बारे में पूछना गलत है। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि यह गलत था। विपक्ष के एक शक्तिशाली, लोकप्रिय नेता राहुल गांधी की जाति के बारे में पूछना गलत है। आप इस तरह से जाति के बारे में नहीं पूछ सकते। हम अनुराग ठाकुर को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, वो भी हमारे अपने हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा के सामने अब पुराना वाला विपक्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पहले जैसा विपक्ष नहीं है, सरकार भी पहले जैसी नहीं है। अब जब विपक्ष के नेता उन्हें चुनौती दे रहे हैं, तो प्रधानमंत्री विपक्ष के नेता से आंख मिलाकर बात नहीं कर पा रहे हैं। यह एक नाजुक सरकार है। अगर वे इसी तरह चलते रहे, तो यह इससे समस्या तो होगी।
गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि जिनकी जाति का पता नहीं, वे जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं। बाद में उन्होंने कहा कि उन्होंने टिप्पणी में किसी का नाम नहीं लिया था। हालांकि, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि यह टिप्पणी उन पर की गई थी। उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर ने उन्हें गाली दी और अपमानित किया।