वाराणसी में 3 किलो विदेशी सोना के साथ गिरफ्तार हुआ पंजाब का तस्कर

उमेश गुप्ता / वाराणसी

वाराणसी में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की टीम ने शिवगंगा एक्सप्रेस में छापेमारी कर विदेशी सोना बरामद किया है। इस दौरान टीम ने पंजाब के सोना तस्कर के पास से तीन किलो सोना के अलावा ज्वैलरी और एक लाख रुपए बरामद किए हैं। बरामद सोने की बाजार में कीमत एक करोड़ 66 लाख रुपए से अधिक बताई गई है। टीम ने तस्कर से पूछताछ के बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। बाद में उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। अब डीआरआई सोना तस्कर के नेटवर्क को खंगालने में जुटी है।

राजस्व खुफिया निदेशालय की वाराणसी इकाई की टीम को सूचना मिली कि पंजाब के गुरुतेग बहादुर नगर ( दमदमा साहिब) निवासी प्रदीप कुमार सूरी सोना तस्कर है और बनारस में सोना खरीदने के लिए आया है। इस सूचना के बाद तस्कर की तलाश में टीमें लगाई गईं तो उसकी लोकेशन चौक क्षेत्र में मिली। पड़ताल में पता चला कि वह बनारस से सोना तस्करी कर पंजाब ले जा रहा है। रात की ट्रेन से दिल्ली और फिर पंजाब जाने की तैयारी है। इसके बाद डीआरआई की टीम बनारस स्टेशन पर पहुंची और स्टेशन से लेकर ट्रेनों में पड़ताल शुरू कर दी। हुलिया और सूचनाओं के अनुसार टीम गोपनीय तरीके से बनारस से नई दिल्ली जानेवाली ट्रेनों पर नजर रखे थी। बनारस से नई दिल्ली जाने वाली (12559) शिवगंगा एक्सप्रेस जैसे ही प्लेटफार्म पर आई टीम ने एक-एक कोच खंगालना शुरू किया। जांच के दौरान टीम ने वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के 17 नंबर बर्थ पर बैठे युवक का नाम पूछा तो प्रदीप बताया। फिर दस्तावेज खंगाले तो प्रदीप सूरी का पहचान पत्र मिला।

टीम ने कोच में ही पूछताछ के बाद तलाशी ली तो उसके पास से तीन किलो 176 ग्राम सोना, सोने के गहने और एक लाख रुपए बरामद हुए। बरामद सोना विदेशी था, जिस पर लगे टैग को मिटाया गया था। यह भी पता चला कि गिरफ्तार तस्कर प्रदीप कुमार सूरी बनारस के ही किसी तस्कर से सोना और गहने लेकर पंजाब जा रहा था। वह शिवगंगा एक्सप्रेस से नई दिल्ली पहुंचने के बाद वहां से पंजाब के लिए रवाना होता। टीम ने आरोपित के खिलाफ केस दर्ज कर उसे जिला सत्र न्यायालय की विशेष कोर्ट में हाजिर किया। हालांकि आरोपी की ओर से कोई वकील भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ, अभियोजन की दलील के बीच जज ने तस्कर को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।

छत्तीसगढ़ में संपन्न हुई शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) की प्रदेश स्तरीय बैठक

सामना संवाददाता / बस्तर

छत्तीसगढ़ शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) की सोमवार 8 तारीख़ को प्रदेश स्तरीय बैठक संपन्न हुई। कांकेर के उतर बस्तर में प्रदेश प्रवक्ता संजय नाग बताया कि आगामी नगर निकाय चुनाव जो नवंबर में होने वाली है। नगर निकाय चुनाव और उपचुनाव में किसे प्रत्याशी के रूप में उतारा जाएगा इस विषय पर गंभीरता से चर्चा  हुई।  संगठन अधिकारियों को को जिले में दौरा करने के निर्देश दिए गए ताकी संगठन को मज़बूती मिले। शिवसेना को प्रदेश स्तर पर मजबूत बनाने के लिए ब्लाॅक स्तर पर रणनीति तैयार की गई।

इस अवसर पर  डॉ आनंद मल्होत्रा, सुनील कुकरेजा, एच एन सिंह पालीवार, चन्द्रमौलि मिश्रा, संतोष मार्कण्डे, बल्लू जांगड़े, प्रेमशंकर महिलांगे, संतोष पांडे, समीर पाल गंगोत्री साहू महिला सेना, आनंद तिवारी, जिला प्रमुख मनहरण साहू, ग़ोकुल पटेल, रामेश्वर जांगड़े, गिरीश गोस्वामी, रमेश गोस्वामी, सुरेश तिवारी, प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।

बीएल संतोष की यूपी समीक्षा- ठेकेदारी में गुजराती दबदबे के खिलाफ उठे स्वर पर चुप्पी साध गये!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

अहंकारी व्यवहार की दवा भी नहीं दे पाये संतोष!

2019 की अपेक्षा 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी से भाजपा की सीटें आधा होने से परेशान नेतृत्व ने संगठन में सबसे सामर्थ्यवान कहे जाने वाले महामंत्री संगठन को यूपी में हुई हार का कारण जानने आये थे। लेकिन टीम गुजरात के दबदबे के खिलाफ उठे सवालों से वह कन्नी काट गये। सूत्रों के अनुसार दो दिन में यूपी में हुई हार का कारण तलाशने आये बीएल संतोष अपने प्रवास में अलग-अलग फोरम के सैकड़ों कार्यकर्ताओं से मिले। कार्यकर्ताओं को अनुमान था कि सबकी बातें सुनने के बाद संतोष कुछ बड़ा आश्वासन भी देंगे। फिलहाल प्रथम दृष्टया कार्यकर्ताओं ने अपनी बात कह कर उन्होंने सबकी बात सुन कर संतोष कर लिया है। यदि उनके मन में संगठन पर किसी तरह की कार्रवाई करने की मंशा होगी भी तो वह उनके दिल्ली पहुंचने के कुछ दिन बाद दिखेगा। सूत्र बताते हैं कि बीएल संतोष ऐसी कोई बात जान कर नहीं गये हैं जो पहले से ही सर्वविदित न रह हो। बताया गया कि पिछड़े, दलित, महिला, अल्पसंख्यक सबसे मिले लेकिन मिल वही पाये जिसे वर्तमान काकस उनके पास भेजा।

पार्टी कार्यालय पर उपस्थित कार्यकर्ताओं ने तो यहां तक कहा कि लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को बार-बार यह कहते सुना गया है कि “2014 में जिस गुजरात मॉडल का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आये हैं वही 2024 में उनके जाने का कारण बनेगा।यह सच साबित होता दिख रहा है। संगठन गुजराती तानाशाही से ऊब चुका है। नाम न छापने की शर्त पर एक कार्यकर्ता ने कहा कि माल्यार्पण के दौरान राजनाथसिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं अमितशाह द्वारा बाहर करने के वायरल वीडियो को बार-बार देखने से यूपी की जनता और राजपूत वर्ग बहुत आक्रोशित होता था।” जेपी नड्डा को बाहर करने का तो कोई असर नहीं था लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर जेपी नड्डा की टिप्पणी ने कट्टर संघियों का पैर बांध दिया। प्रत्याशियों में अमितशाह और उनके गुर्गों के अहंकारी छवि की नकल करना चुनाव में भारी पड़ गया। अधिकतर ठेकों पर गुजराती ठेकेदारों का कब्जा होने का जो प्रचार हुआ उसका राज्य भाजपा और प्रदेश सरकार समय रहते सही काट नहीं दे पाये। पार्टी के भीतर सिस्टम वाले कार्यकर्ताओं की चंद दिन में हालत बदल गयी लेकिन जिनके परिश्रम से सरकार बनीं उन्हें केवल इस लिये वंचित होना पड़ा कि वह व्यक्ति विशेष की गैंग में भर्ती नहीं ले पाये।

कार्यकर्ता खुलेआम बोल रहा है कि यूपी के लूट का माल राजस्थान के रास्ते गुजरात पहुंच गया हमें भनक तक न लगी।जिस तरह कृष्ण की विरह में डूबी गोपियों को ज्ञानी उद्धव नहीं समझा पाये उसी तरह वैचारिक उपासना में तप रहे कार्यकर्ताओं को बीएल संतोष भी नहीं संतुष्ट कर पाये हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हों या मुख्यमंत्री सामान्य कार्यकर्ता का इनमें से किसी से भी मिलना असंभव जैसा है। क्या बीएल संतोष यह कर सकते हैं कि कार्यकर्ताओं की बात व्यक्तिगत न सही सामुहिक ही महीने में कहीं सुनी जा सके।भाजपा के पास वोट पर पकड़ रखने वाले कुछ पिछड़े नेता मान भी लिये जांय तो दलित वोटों पर पकड़ रखने वाले किसी नेता को विकसित नहीं किया गया। भाजपा का दलित नेता वही है जो सामान्य वर्ग या टीम गुजरात के कथित पिछड़े वर्ग के किसी नेता का कृपापात्र हो। अपने और अपनों को पोषित करने में जुटे सरकार और पार्टी के अहम लोग यदि जल्दी अपने आचरण में सुधार नहीं किये तो 2027 में भाजपा बुरी हार के मुहाने पर खड़ी मिलेगी।

एक कार्यकर्ता 2017 के बाद लखनऊ में बेघर नेताओं के मकानों और फ्लैट्स की सूची लेकर घूम रहा था। उसका सवाल यह था कि जब ये लोग पिछले सात वर्षों से दिन रात पार्टी की सेवा में लगे रहे तो इन्हें कब और कैसे गाड़ी तथा आवास की सिद्धियां प्राप्त को गयीं। उसने कहा कि यह सब समीक्षा फर्जी है। जिन पदाधिकारियों के जिलों, बूथों से पार्टी साफ हो गयी उनके स्थान पर पार्टी नये लोगों को अवसर देगी। सबका साथ-सबका विकास का नारा देने वाली पार्टी के कर्णधार अपनों का साथ, अपनों के विकास में उलझ कर बेपटरी हो गयी है।समीक्षा की खानापूर्ति से कुछ भी संतोष कर लिया जाय, पार्टी के सामने 2027 में हार का खतरा खड़ा है। यही हाल रहा तो पार्टी 2014 के पहले वाली दशा में फिर पहुंच जायेगी। फिलहाल बीएल संतोष आने वाले विधानसभा के उपचुनाव और राष्ट्रीय कार्यसमिति को लेकर थोड़ा पत्ता खोले लेकिन ज्वलंत सवालों को श्रोता बन कर सुन लिया।यदि प्रदेश और जिलों के प्रमुख कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से मिलना आसान हो जाये तो समझा जायेगा कि संतोष के दौरे से कार्यकर्ताओं को राहत मिलेगी।सोशल मीडिया पर सुस्त पड़ चुकी पार्टी में कितनी चुस्ती आयी है इस पर सभी की निगाह है। प्रदेश के सभी जिलों में पार्टी की बिल्डिंग बनाने को प्रमुखता देने वाला भाजपा नेतृत्व यूपी पार्टी मुख्यालय पर राज्य के 80 जिलों से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिये एक निश्चित कक्ष नहीं दे पाया है।

सीएम शिंदे के ठाणे में मनपा में मची है पैसों की लूट, करोड़ों का हुआ है भ्रष्टाचार, महायुति के ही विधायक ने खोली पोल

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के ठाणे शहर में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की पोल खुद महायुति में शामिल भाजपा के विधायक संजय केलकर ने खोली है। बजट पर बोलते हुए ठाणे शहर से भाजपा विधायक संजय केलकर ने कहा कि जलापूर्ति और मल प्रक्रिया केंद्र के जरिए ठाणे मनपा में जनता के पैसों की लूट मची हुई है। उन्होंने सदन में सबूतों के साथ यह आरोप लगाते हुए अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
ठाणे मनपा के जल आपूर्ति विभाग में ५१३ ठेका कर्मचारी पानी की टंकी के परिचालन के लिए काम कर रहे हैं। इसके साथ ही १२६ पिसे टेमघर परियोजना में और कई ठेका कर्मचारी पंपिंग मशीनरी, डेटा संचालन, पानी की पाइपलाइन रखरखाव आदि के लिए काम कर रहे हैं। सदन में संजय केलकर ने कहा कि इन कर्मचारियों को कम से कम ३१ हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाना चाहिए, लेकिन इन सभी को केवल १२ से १५ हजार रुपए का वेतन दिया जा रहा है। इसके साथ ही संबंधित ठेकेदारों द्वारा बीते दस सालों से इनके पीएफ भी नहीं भरे गए हैं। यह लूट पिछले पांच वर्षों से चल रही है। भाजपा विधायक संजय केलकर ने आरोप लगाया कि यह भ्रष्टाचार संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा है। उन्होंने मांग की कि नगर विकास विभाग को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
ठाणे में शुरू है अनधिकृत निर्माण
केलकर ने अनधिकृत निर्माण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि ठाणे में आज भी अनधिकृत निर्माण जारी है और अधिकारी प्रति वर्ग फीट के हिसाब से पैसे ले रहे हैं। अनधिकृत इमारतों के निर्माण में खराब गुणवत्ता के सामान इस्तेमाल से इनके गिरने से लोगों की मौत हो रही है। केलकर ने सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद अधिकारियों और निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मनपा में ५० फीसदी रिक्तियां
ठाणे शहर में बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ कर्मचारियों पर काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हर महीने बड़ी संख्या में कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में मनपा के सभी विभागों में ५० फीसदी पद खाली होने से कार्यालयीन कामकाज में देरी होने लगी है।

बिना आदेश करोड़ों का भुगतान
केलकर द्वारा यह भी संज्ञान में लाया गया कि वर्ष २०१९ में ठाणे मनपा की स्थायी समिति ने कोपरी विभाग में पीपीपी के आधार पर सीवेज प्रक्रिया केंद्र स्थापित करने के लिए वी.ए. टेक कंपनी को मंजूरी दे दी थी, लेकिन असली बिल कोपरी बायो टेक के नाम पर दिया गया। उन्होंने कहा कि रखरखाव का कोई काम किए बिना ही गलत भुगतान किया गया। दिलचस्प बात यह है कि दो करोड़ रुपए के बिल का भुगतान तत्कालीन आयुक्त के आदेश के बिना ही कर दिया गया। विधायक संजय केलकर ने मांग की कि ठाणेकरों के टैक्स के पैसे को लूटा जा रहा है। ऐसे में संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जन आंदोलन खड़ा करने की भी चेतावनी दी।

भारी बारिश से सेंट्रल रेलवे लड़खड़ाई! रेलवे ट्रैक पर भरा पानी और मिट्टी यात्री हुए त्रस्त

सामना संवाददाता / मुंबई
ठाणे जिले में भारी बारिश के कारण कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सेंट्रल रेलवे के अटगांव-तानशेत के बीच भूस्खलन के कारण रेलवे ट्रैक पर मिट्टी का ढेर जमा हो गया। साथ ही खडवली-टिटवाला के बीच तकनीकी खराबी और वाशिंद-खडवली के बीच रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाने के कारण कल्याण और कसारा के बीच ट्रेन सेवा रोक दी गई है। परिणामस्वरूप, स्थानीय सेवाएं रोक दी गई हैं और रेल मार्गों का मार्ग बदल दिया गया है।
जालना से सीएसएमटी वंदे भारत एक्सप्रेस को इगतपुरी तक चलाया जाएगा। यह इगतपुरी से जालना की ओर भी जाएगी। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई। शनिवार रात से ही मुंबई समेत ठाणे जिले में बारिश तेज हुई है। रविवार तड़के भी बारिश जारी रहने के कारण ठाणे जिले में नदियां उफान पर हैं और निचले इलाकों में पानी भर गया है। वाशिंद-खडवली के बीच रेलवे लाइन पर पानी भर गया है। कल्याण-कसारा के बीच रेल मार्ग बंद कर दिया गया है। इसलिए मुंबई की ओर आने वाली कई ट्रेनों को मनमाड, नासिक, इगतपुरी तक चलाया जाएगा। उत्तर भारत जाने वाली कुछ ट्रेनें दिवा-वसई रोड-जलगांव रूट पर चलाई जाएंगी। ट्रेन नंबर २०७०५ जालना-सीएसएमटी वंदे भारत एक्सप्रेस इगतपुरी तक चलेगी तो ट्रेन नंबर २०७०६ सीएसएमटी-जालना वंदे भारत एक्सप्रेस को इगतपुरी से संचालित किया जाएगा। इससे रविवार को वंदे भारत जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी हुई।
मुंबई से वंदे भारत से एक्सप्रेस को यात्रियों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। हालांकि, अब जब वंदे भारत इगतपुरी से रवाना होगी तो मुंबई से यात्रियों के लिए इगतपुरी पहुंचना असुविधाजनक हो रहा है। इसके साथ ही मनमाड-सीएसएमटी पंचवटी एक्सप्रेस को इगतपुरी तक चलाया जाएगा। सीएसएमटी-जालना को नासिक से चलाया जाएगा। नागपुर-सीएसएमटी सेवाग्राम एक्सप्रेस को देवलाली से और सीएसएमटी-नागपुर सेवाग्राम एक्सप्रेस को नासिक से चलाया जाएगा। सीएसएमटी-लखनऊ पुष्पक एक्सप्रेस, एलटीटी-भागलपुर एक्सप्रेस, एलटीटी-अगरतला एक्सप्रेस दिवा-वसई रोड-जलगांव के रास्ते चलेंगी।

स्कूल जाने की उम्र में बच्चियां जा रहीं ससुराल!

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर के ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह अब भी जारी है। शासन और प्रशासन की सुस्ती के कारण कई लोग इस गैरकानूनी काम को अब भी अंजाम दे रहे हैं, जिससे स्कूल, कॉलेज जाने की उम्र में लाडो पहले वधू बन रही फिर मां। इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। जिले की ३६,००० गर्भवती महिलाओं में से २,००० से अधिक की १९ वर्ष से कम उम्र की जानकारी सामने आई है। यह भी बताया जाता है कि आंगनवाड़ी में पंजीकरण कराते समय १८ वर्ष की आयु का प्रमाण दिए बिना ही पंजीकरण कर दिया जाता है, भले ही उम्र कम हो, ताकि पूछताछ की जरूरत न पड़े। सूत्रों के अनुसार, १८ वर्ष और १९ वर्ष से कम उम्र की गर्भवती महिलाओं की संख्या लगभग २,५०० है। यह संख्या पंजीकृत है, लेकिन कई कम उम्र की लड़कियां कार्रवाई के डर से अपनी गर्भावस्था की रिपोर्ट पंजीकृत नहीं कराती हैं। हालांकि, अगर आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य विभाग पंजीकरण से पहले बताई जा रही उम्र सुनिश्चित कर लें, तो ऐसी चीजों को रोका जा सकेगा।

डायबिटीज को न करें अनदेखा, थोड़ी सावधानी से होगा कंट्रोल, डॉक्टरों ने दी सावधानी बरतने की सलाह

अमर झा / मीरा रोड
भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी, असंतुलित खानपान से इंसान छोटी सी उम्र में ही कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। अब इसमें सबसे कॉमन हो गया है डायबिटीज। डायबिटीज को भले ही हौवा माना जाता हो लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। इसी कड़ी में मीरा रोड के शांति नगर के एमटीएनएल रोड पर स्थित ओकस इमारत में स्थित हितांक्षी अस्पताल के संचालक डॉ. आर.के. शर्मा (फिजिशियन, डायबिटीज स्पेशलिस्ट) ने डायबिटीज से जुड़ी कई जानकारियां दीं, साथ ही इससे बचाव के उपाय भी बताए, तो वहीं उनकी पत्नी डॉ. प्रीति शर्मा (स्त्री रोग विशेषज्ञ) ने भी महिलाओं से जुड़े रोग और उसके बचाव के बारे में जानकारी दी।

डायबिटीज के शुरुआती लक्षण 
डॉ. शर्मा बताते हैं कि डायबिटीज के कुछ शुुरुआती प्राथमिक लक्षण हैं, जैसे बार-बार भूख लगना, कमजोरी महसूस होना, अधिक प्यास लगना इत्यादि। अगर ये सारे लक्षण किसी को नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत अपनी डायबिटीज जांच कराना चाहिए।
इस बीमारी के होने के कारण
डॉ. शर्मा का कहना है कि आजकल डायबिटीज होने का मुख्य कारण लोगों की जीवनशैली है। लोग आरामतलब हो गए हैं। खान-पान की अनियमितता एवं छोटी-छोटी समस्याओं में तनाव लेना भी इसके कारण हैं।
क्या हैं बचाव
डॉ. शर्मा कहते हैं कि अगर कोई डायबिटीज से पीड़ित हो जाए तो उसे सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए। सुबह-शाम टहलना, व्यायाम करना चाहिए और हो सके तो शारारिक मेहनत को अपनी डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए। अगर डॉक्टर ने दवाई या इंसुलिन लेने की सलाह दी है तो उसे अनदेखा न करें और हां, मीठा खाने से बचें  अपना रूटीन चेकअप कराते रहें।

कम उम्र में माहवारी की शिकायत
आज-कल कम उम्र की कई लड़कियों में हार्मोन की गड़बड़ी के कारण उम्र से पहले माहवारी शुरू होने की शिकायत देखने को मिल रही है। इन सब का मुख्य कारण है लड़कियों  का घर में रहकर मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर पर लगे रहना, असंतुलित भोजन करना, आउट डोर खेल-कूद में इन्वॉल्व न होना।
कम उम्र में माहवारी के दुष्परिणाम 
कम उम्र में माहवारी की समस्या से लड़कियों में कई दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। उनके शारीरिक विकास में बाधा आना, मोटापा आना, लंबाई नहीं बढ़ना, समय से पहले ही माहवारी बंद हो जाना और गर्भाशय वैंâसर होने का भी खतरा बना रहता है।
बचने के उपाय
डॉ. प्रीति बताती हैं कि बच्चों की जीवनशैली को ठीक करना चाहिए। उन्हें खेलने-कूदने के लिए बाहर भेजना चाहिए। अगर हो सके तो उन्हें खाने में प्रोटीन, फाइबर से युक्त भोजन दें, फास्टफूड एकदम से बंद कर दें। बच्चों को पढ़ाई के लिए ज्यादा दबाब न बनाएं। अगर आप महिला हैं तो व्यायाम करना चाहिए, लेट नाइट पार्टी से बचना चाहिए, शराब सिगरेट का सेवन न करें।

मेरा दुख किसी ने नहीं समझा

भारतीय टीम के शानदार विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन ने पहली बार टीम से बाहर होने और बीसीसीआई कॉन्ट्रैक्ट गंवाने के बाद इस पर बात की है। ईशान किशन ने मानसिक थकान के कारण पिछले साल दिसंबर में भारत के साउथ अप्रâीका दौरे से ब्रेक मांगा था और तब से टीम में वापसी नहीं की है। हालांकि, उन्होंने आईपीएल २०२४ में मुंबई इंडियंस के साथ खेला, लेकिन उन्हें हाल ही में जिम्बाब्वे दौरे के लिए नहीं चुना गया। हाल ही में ईशान किशन ने भारतीय टीम से बाहर होने और केंद्रीय अनुबंध में अनदेखी पर खुलकर बात की। भारतीय टीम से बाहर किए जाने और केंद्रीय अनुबंध में अनदेखी के बारे में पूछे जाने पर ईशान ने कहा, `मैं किसी भी बात से दुखी नहीं होना चाहता। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देना जारी रखूंगा।’ ईशान किशन ने कहा, यह निराशाजनक था। आज मैं यह नहीं कहना चाहता कि सब कुछ ठीक था। यह मेरे लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। आप बहुत कुछ झेलते हैं। मेरे दिमाग में ये सब चलता रहा कि यार क्या होगा, क्यों हो गया, मेरे साथ क्यों? ये सब चीजें तब हुईं जब मैं प्रदर्शन कर रहा था। मुझे सफर से थकान महसूस हुई। इसका मतलब था कि कुछ गड़बड़ है, मैं अच्छा या ठीक महसूस नहीं कर रहा था और इसलिए मैंने ब्रेक लेने का पैâसला किया। हालांकि, दुख की बात है कि मेरे परिवार और कुछ करीबी लोगों को छोड़कर किसी ने भी इसे नहीं समझा।

लिटिल मास्टर की बड़ी डिमांड, राहुल द्रविड़ को मिले भारतरत्न!

२०२२ में राहुल द्रविड़ के टीम इंडिया के हेड कोच बनने के साथ ही सब कुछ बदल गया। द्रविड़ ने कप्तान रोहित शर्मा के साथ मिलकर ऐसे खिलाड़ियों को चुना, जो आक्रामक अंदाज में खेलें और भारत को ट्रॉफी जिता सकें। इसका नतीजा हुआ कि भारत के पास अब टी-२० वर्ल्डकप का खिताब है। भारत के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने अब द्रविड़ के योगदान को देखते हुए उनके लिए देश के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न की मांग की है। हालांकि, इसके लिए उन्होंने एक अलग और बड़ी वजह बताई है। सुनील गावस्कर का नाम भारत के महान खिलाड़ियों में शामिल है। हेड कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा की लीडरशिप में भारत के प्रदर्शन और वर्ल्डकप ट्रॉफी से काफी खुश हैं। उनका कहना है कि सरकार के लिए राहुल द्रविड़ को भारतरत्न देने के लिए यह सही समय है। गावस्कर ने टी-२० वर्ल्डकप से भी हटकर कुछ कारण बताए हैं। उनके मुताबिक, द्रविड़ ने इस जीत में तो मदद की ही है, लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनका इससे भी बड़ा योगदान है। उन्होंने एक खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर टीम इंडिया को बहुत कुछ दिया है। द्रविड़ ने अपनी कोचिंग में जहां नए खिलाड़यों को तैयार किया, वहीं उन्होंने खेलते हुए टीम को कई मुश्किल मैच जिताए। कप्तान के तौर पर उन्होंने विदेशी सरजमीं पर तब सीरीज जीती, जब एक मैच जीतना भी मुश्किल होता था।

बिहार में धड़ाधड़ गिर रहे पुल, अधिकारियों-ठेकेदारों को सत्ता का संरक्षण

नीतीश कुमार पर कांग्रेस का हमला
१२ दिनों में ४ पुलों ने ली जलसमाधि

सामना संवाददाता / पटना
बिहार में धड़ाधड़ गिर रहे पुलों को लेकर कांग्रेस ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने मांग की है कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान राज्य में निर्मित पुल-पुलिया के निर्माण की गुणवत्ता की जांच न्यायिक आयोग से कराई जाए। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि एक न्यायिक आयोग का गठन करें, ताकि जांच में लीपापोती की गुंजाइश ही नहीं बचे। एक के बाद एक ध्वस्त हुए पुल-पुलिया के कारण जनता में रोष है और यातायात सुरक्षा की चिंता भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है। निर्माण कार्य से जुड़े सरकारी विभागों में सत्ता के संरक्षण में माफिया हावी हैं। उसके आगे विभागीय मंत्री तक विवश हैं। साक्ष्य मिटाने के लिए सचिवालय में जब-तब हुए अग्निकांडों की भी जांच होनी चाहिए।
बिहार के सिवान जिले में चार पुल १२ दिनों में ध्वस्त हो चुके हैं। इनमें कुछ पुल जर्जर हालत में थे, उस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया, तो कुछ निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी होने के कारण समय से पूर्व ही ध्वस्त हो गए, इससे करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। पुल ध्वस्त होने के बाद डीएम मुकुल कुमार गुप्ता ने जिले के सभी जर्जर पुल का सर्वे कराया, इसमें ४६ पुल-पुलिया जर्जर पाए गए। सर्वे के बाद तीन जुलाई को महाराजगंज प्रखंड में तीन पुल ध्वस्त हो गए। इनमें देवरिया, टेघड़ा व तेवथा के पुल शामिल हैं। इसके अलावा २२ जून को दारौंदा प्रखंड की रामगढ़ा पंचायत के गरौली में भी गंडक नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था। ये सभी पुल सर्वे में शामिल थे। घटना के बाद विभागीय अधिकारियों सहित प्रशासनिक महकमे में भी हलचल मच गई थी।
इस तरह से हुआ पुल का निर्माण
पुलों की स्थिति पर नजर डालें तो महाराजगंज प्रखंड की टेघड़ा पंचायत में ध्वस्त पुल का निर्माण १९९० में किया गया। इस पुल का निर्माण ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर किया था। ग्रामीणों के अनुसार, पुल निर्माण के बाद आज तक कोई मरम्मत नहीं की गई। वहीं तेवथा पंचायत में सिकंदरपुर-नौतन के बीच ध्वस्त पुल का निर्माण तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह ने १९९८ में छह लाख रुपए की लागत से कराया था।